Bhai aap bahut hii achha likh rahe ho..... waiting moreHaan yaar par lagta hai itni pasand nahi aa rhi logo ko story so i think i will wait for sometime
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Bohot khub bhai super update ab sayad behen randi banane ke liye suruat karegi agle update ki pratiksha rahegiमैं नाहा की जल्दी जल्दी नीचे गया नीचे जा के देखता हूं तो दीदी गुस्से में लाल खड़ी थी..उसकी वो जीन्स टॉप में कसी जवानी देख मेरा मन डोल गया और मैंने अभी बाथरूम में जो उसके स्तन और गांड की तारफे सुनी थी वो मेरे सामने खड़ी थी ।
दीदी: हो गया तुम्हारा नाहना?
माई: हां दीदी
दीदी मेरे तरफ देखती है शायद वो बाथरूम की बात को सोच कर गुस्सा कर रही थी मेरी फट रही थी की कही उसने पैंटी के बारे में पूछ लिया तो मेरी मर जाएगी। खैर दीदी ने मुझे ऊपर से नीचे देखा और एक पल के लिए उसकी आँखें मेरे पैंट पे अटक गयी ।
दीदी: हम्म चलो ठीक है जल्दी से दरवाज़ा बंद करो हमे जा के तुम्हारे लिए रूम देखना है।
मैं: ओके , दीदी मैं अपना सामान ले कर आया ?
दीदी: ज्यादा नौटंकी करने की जरुरत नहीं है। मुझे सब पता है तुम और सलीम बहोत बिगड़ गए हो। मार पड़ेगी न बच्चू तो सारी जवानी निकल जाएगी तुम्हारी ऐसे हरकते करते हो घर में ?
मेरी तो सांस ही फूल गयी ये सुन कर और हलकी गहरी सांस ली और बोलै "सॉरी दीदी अब से ऐसा नहीं होगा , आप सच बोल रही मैं बिगड़ गया था थोड़ा अब से नहीं मिलूंगा उस सलीम से "
मुझे दीदी छदमपुर इलाके में शिफ्ट करना चाहती थी क्यूंकि वो मेरे ऑफिस के पास था और सलीम के घर से दूर जो की करीब 60, किमी दूर थ। दीदी एक दम कड़क माल लग रही थी और उसके बूब्स मनो ब्लाउज फाड़ क बहार आने को तैयार थे। दीदी ने मोबाइल निकला और uber /ola बुक करने की कोसिसि की पर किसी ने एक्सेप्ट नहीं किया। मैंने दरवाज़ा लॉक किया और हम दोनों निकल गए। थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद हमने कुछ ऑटो को हाथ दिया पर कोई खली नहीं दिखा सब भरे हुए जा रहे थे।
दीदी: इस सहर में न कही जाना हो तो वो भी नामुमकिन है।
मैं: दीदी बस में चला जाता हु मैं शाम तक देख कर आ जाऊंगा मैं कोई रूम।
दीदी: नहीं तुम अकेले नहीं जाओगे , मुझे पता है तुम उस सलीम के यहाँ जा के पूरा दिन बर्बाद कर दोगे ।
मैंने कुछ बोलै नहीं और हम दोनों चुप चाप बस स्टैंड की और जाने लगे। फिर कुछ देर बाद १२ नंबर बस आयी और हम उसपे चढ़ गए बस एक दम खचा खच भरी हुई थी। सब वर्कर क्लास लोग ही थे क्यूंकि बस हमारे एरिया में सेफ नहीं थी आये दिन दंगे लूट पाट हमारे सेहर में होती रहती थी। दीदी ने थोड़ा रास्ता बनाते हुए घुस तो गयी आगे पर मैं पीछे ही फंस गया मनो कोई आगे जाने देना ही नहीं चाहता हो सब अपनी जगह पे बूत जैसे खड़े थे । दीदी ने मेरी और देखा और इशारा किया जहा हु वही रहु। मैंने सर हिलाया और हैंडल पकड़ के खड़ा हो गया।
जैसे ही बस थोड़ी दूर चली मैंने चारो और देखा दीदी के आगे पीछे सिर्फ मर्द ही मर्द थे 50 लोगो की बस में शायद ही 4-5, औरते होंगी। उसमे से एक आदमी जो करीब 40+ का होगा दीदी की मस्त गांड को घूरे जा रहा था और साइड से उनकी मादक मोटी मोटी चूचियों को भी देख रहा था। उसको मैंने देख कर सोचा की दीदी को आवाज़ लगा कर हटा दू वहा से फिर मैंने सलीम की बातें याद की और चुप चाप देखने लगा की आगे क्या होता है।
उसका लंड तना जा रहा था उसकी पैंट में और उसने बस की भीड़ का फायदा उठा कर एक दो बार दीदी के चूतड़ों पे अपने लुंड का चुम्बन करा दिया था। दीदी के चूतड़ एक दम गद्दे जैसे डाब रहे थे उसके हर एक झटके से मैंने मन ही मन सोचा सलीम को कितना मजा आया होगा इन मुलायम चूतड़ों को दबाने में उफ्फफ्फ्फ़ मेरे लंड में अजीब सा तनाव आने लगा।
आगे जब उसने कस के झटका दिया दीदी अचानक से पीछे मुड़ी और गुस्से में उस आदमी से बोला
दीदी: आराम से नहीं खड़े रह सकते उपदर गिरे पड़े हो।
आदमी: अरे मैडम इत्ता ही आराम चाहिए था आपको तो पर्सनल गाड़ी से जाना चाहिए था न ? ये सरकारी सवारी में क्यों आ गयी ? (सब हसने लगते है दीदी पे )
दीदी: हाँ तो क्या सरकारी सवारी में धक्के मरोगे। थोड़ा डिस्टेंस मेन्टेन करो तुम मेरे से।
आदमी: मैडम हम तो यही खड़े रहेंगे आपको उतरना हो तो बस से उतर जाइये।
दीदी बस में घर के देखती ह थोड़ी भी जगह नहीं थी और हर तरफ मर्द ही मर्द थे वो चुप चाप मुँह बना के खड़ी हो गयी। उस मर्द की हिम्मत और बढ़ गयी उसने धीरे से अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना काला लंड निकाल दिया और दीदी के कपड़ो पे पीछे से घिसने लगा। दीदी ये सब इग्नोर कर के मुझे ढूढ़ रही थी पर भीड़ में मैं उन्हें दिखाई नहीं दे रहा था। उस आदमी ने धीरे धीरे अपना झूला हुआ लंड चूतड़ों पे घिस घिस के खड़ा कर लिया जो की अब लगभग 7,इंच का हो चूका था। दीदी उसके लिंग घर्षण से परेशान थी और मन ही मन गालियां दे रही थी "बेवक़ूफ़ कही के पता नहीं कहा कहा से आ जाते है "
इत्ते में उस आदमी ने धीरे से दीदी के हाथो के बीच में अपना लुंड फंसा दिया। ufff मैं तो देख के ही दांग रह गया उस आदमी की हिम्मत दीदी की भी आंखें बड़ी हो गयी और उसने पीछे देखा तो उसके हाथ में उस आदमी का लंड घिस रहा था।
दीदी: धीरे से " छी ये क्या कर रहे हो चुप चाप इसे हटाओ वार्ना मई शोर मचाउंगी "
आदमी : ठीक है मैडम मचा दो शोर मई भी बोल दूंगा आपने मेरी पैंट खोल के बहार निकला और पैसे मांग रही थी नहीं तो शोर मचाने की धमकी देने लग गयी
दीदी का मुँह खुला का खुला रह गया "झूठे इंसान " वो आदमी धीरे से हँसता है और बोलता है "अरे मैडम हल्का सा सेहला दीजिये इत्ता भी बुरा नहीं है " कह कर पूरा का पूरा लंड दीदी के हाथो में फंसा देता है। दीदी भी उसके लुंड का साइज और मोटाई सोच कर जीजू की बात याद करने लगती है बड़े लंड वाली शायद उसके साथ ये पहला एक्सपीरियंस था की किसी गैर मर्द का लिंग छू रही हो।
वो थोड़ा संकुचती है फिर मुझे ढूढ़ने की कोसिस करती है मैं उसे नहीं दीखता जिसके बाद मैं देखता हु उसके हाथ धीरे से उसके लंड को सहलाने लगती है वो आदमी धीरे से अपनी आंखें बंद कर लेता है और अपनी कमर को दीदी के हाथ के साथ हिलता है कान में धीरे-धीरे से उससे बातें करने लगता है
मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था इसलिए मैं धीरे धीरे रास्ता बनाते हुए उस आदमी के पीछे जा कर खड़ा हो जाता हु। और दीदी के हाथ में उसका लंड धीरे धीरे सहलाते हुए देखता हु। और वो आदमी धीरे धीरे दीदी से बातें कर रहा था।
आदमी: आअह्ह्ह रानी ऐसे सेहलाओगी तो हमारा जल्दी निकल जाएगा।
दीदी: शायद झूठा गुस्सा दिखा रही थी "चुप्प करो तुम और जल्दी से अपना काम निपटाओ "
आदमी: उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह थोड़ा टोपे पे अपना अंगूठा तो घुमाओ न रानी।एकदम हाई क्लास रांड लग रही हो बहोत पैसे लेती होगी न बिस्तर गरम करने के ?
दीदी: दबी आवाज में "मैं कोई रंडी नहीं हु हरामी । मैं अपने भाई के लिए रूम देखने जा रही थी पता नहीं कहा से इस बस में चढ़ गयी " दीदी धीरे से अपना अंगूठे से उसके लंड के टिप को सहलाने लगी
आदमी: अरे कोई भी हो अभी तो रंडियो की तरह ही सेहला रही न रानी जरा मुठी लगा मेरी जोर जोर से सोच की तेरी चुत में ये अवजार जा रहा आये हाय रानी उफ्फफ्फ्फ़
मेरा उसकी बातें सुनकर खड़ा हुए जा रहा था और दीदी किसी रोड छाप रंडी की तरह बदनामी के डर से उसके लन्ड को और तेजी से हिलाये जा रही थी। उस आदमी की हिम्मत और बढ़ गयी और वो दीदी की जीन्स नीचे खिसकने लगा धीरे धीरे कर के उनके गोर गोर चूतड़ मुझे दिखने लगे
दीदी: हे पागल हो क्या ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो ?
आदमी: कोई नहीं देखेगा रानी आगे से तो पूरी ढकी है पीछे से मैंने कवर किया है तू बस हिलती रह मुझे तेरी इस गोरी गांड के मजे लेने दे।
दीदी शर्मा गयी उसकी ऐसी बातें सुनकर और मैं भी सर झुका कर उनकी बातो का मजा ले रहा था। उसने अपना लन्ड धीरे से पीछे किया और उसकी नंगी गांड पे चाट चाट कर के अपना लुंड मारने लगा। दीदी उसको पीछे धकेल रही थी पर वो रुकने वाला कहा था। उसने दीदी की पैंटी नीचे की और गांड की डराओ के बीच लन्ड घिसना शुरू कर दिया जोर जोर से।
दीदी के मुँह से उफ्फफ्फ्फ़ और अह्ह्ह्ह निकलने लागा पहली बार किसी गैर मर्द का अपनी नंगी गांड पे स्पर्श उसको शर्म में डूबा भी रहा था और साथ ही साथ मदहोस भी कर रहा था। सीईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ "क्या कर रहे हो तुम ? प्लीज मुझे छोड़ दो ये ठीक नहीं है " वो आदमी दीदी को किसी बाजारू रंडी के तरह घिसे जा रहा था धीरे धीरे गांड के बीच में उसका लन्ड ऊपर नीचे हो रहा था। फिर उसने धीरे से अपने दोनों हाथो से दीदी की गांड को दबाया और टाइट कर के उनके बीच में आँख बंद कर के मजे लेने लगा।
दीदी: "सीईई उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह बस भी करो मेरा भाई भी इसी बस में है। "
आदमी: उफ्फ्फ ,,,होने दे साले को कोण सा तेरे सामने खड़ा है। और होता भी तो ऐसी हॉट बहन जिसकी हो उसको तो मेरे से पहले ऐसा कर लेना चाहिए था
दीदी:: "अह्ह्ह ऐसे मत बोलो " दीदी अपना चेहरा वापस से बस के पीछे घुमा कर मुझे ढूढ़ने की कोसिस करती है पर मुझे न देख कर उसे सुकून मिलता है। उसे क्या पता था मई दीदी के पीछे खड़े हो कर उसकी गोरी चूतड़ों की घिसाई एक काले लन्ड से देख रहा था। वो आदमी धीरे से अपने अंगूठे को दीदी के होंठो पे फिराते हुए बोलता है चुसो इसे रानी। दीदी थोड़ा संकुचाती है पर फिर धीरे से उसका अंगूठा अपने मुँह में भर कर चूसने लगती है और वो आदमी दीदी की गांड पे रगड़े जा रहा था।
आदमी: अह्ह्ह्ह कभी किसी ने तुम्हारी गांड में लन्ड चलाया है ? लगता है तुम्हारे पति ने अच्छे से इस्तमाल नहीं किया तुम्हे।
दीदी: अहह उफ्फ्फ्फ़ नहीं मैंने कभी इत्ती परमिशन नहीं दी उन्हें
उस आदमी ने झट से अपना हाथ से दीदी के चूतड़ों की दोनों फांक अलग की और अपना अंगूठा उसकी गांड में घुसा दिया दीदी अपने पैरो पे उचक सी गयी " उईईईईई अह्ह्ह्हह्हह निकालो इसे क्या डाल दिया तुमने ?उफ्फफ्फ्फ़ मत करो मैं शोर मचा दूंगी "
आदमी: चुप करो जाने मन अब तो ये अंगूठा तभी निकलेगा जब तक तेरे हाथ मेरा मुठ न निकाल दे। अह्ह्ह्ह हिला साली रांड मेरे लन्ड को हिला। दीदी इत्ता सुनते ही उसके लन्ड को धीरे धीरे हिलने लगी और वो आदमी अपने अंगूठे से दीदी की कसी गांड मनो चोद रहा हो। "अह्ह्ह गजब टाइट माल है साली तू भी मेरे साथ चल ले एक रात का 50,000, दिलवा दूंगा और खुश अलग करूँगा ।
दीदी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी और उसका लन्ड हिलाये जा रही थी। "अह्ह्ह उफ्फ्फ रानी आज इत्ती जल्दी झाड़ देगी क्या साली छिनाल " वह आदमी चरम सुख पर पहोचने वाला था और मैं भी। पहली बार मेरे सामने कम से कम दीदी की नंगी गांड रगड़ने के साथ साथ छोड़ी गयी वो भी अंगूठे से उफ्फ्फफ्फ्फ़ क्या ही मजा आ रहा था मेरा भी पैंट में ही छुट गया। थोड़ी देर में उस आदमी की भी पिचकारी उसने दीदी की गांड पे मार द। दीदी की गांड पे गाढ़ा सफ़ेद मुठ की लाइन बन गयी। और दीदी की जीन्स चढ़ा दी उसने उनकी कमर पे उसके मुठ को वैसे ही लगे हुए।
आदमी : जा मेरी निशानी लेके अपने घर। शुक्रिया मुझे शांत करने के लिए। तुझे भी मजा आया क्यों ?
दीदी: थोड़ा सा साइड हुई और गुस्से में बोली " शर्म नहीं आती एक औरत की मज़बूरी का फायदा उठाते हुए ? हटो अब यहाँ से मुझे मेरे भाई के साथ नेक्स्ट स्टॉप पे उतरना है "
मैं धीरे से पीछे निकल जाता हु और चिल्लाता हु "दीदी वो स्टॉप आ गया हमारा " दीदी सर हिलाती है और गेट के पास आती है। वो आदमी भी मुझे देख कर मुस्कुराता है। मुझे डर था की कहि उसने मुझे देखा न हो मैं भी झट से दीदी के साथ उतर गया दीदी थोड़ा मटक के चल रही थी शायद उस आदमी के अंगूठे से गुदा मैथुन का असर हो।
आज दीदी की नंगी गांड देख कर मानो मन सातवे आसमान पर था।