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1----कुंवारी कलि ना चोदिये, चूत पे करे घमंड;
चुदी चुदाई चोदिये, जो लपक के लेवे लंड ।
2----जबसे लन्ड ने चूत को निशाना बना रक्खा है,
चूत ने भी लबों को अपने खोल रक्खा है।
टट्टो तुम चूत को पीटते क्यों हो,
तुम को किसने अन्दर जाने से रोक रक्खा है।
लन्ड के खौफ़ से चूत सहमी रहती थी पहले,
अब तो उस ने चुदाई का मज़ा चख रक्खा है।
चूत हर वक्त लन्ड को खुश आमदीद कहे,
लन्ड के रास्ते में उस ने छिड़काव कर रक्खा है।
चूत को लन्ड से मुहब्बत हो गयी कुछ ऐसी,
रात दिन उस ने दर अपना खुला छोड़ रक्खा है।
चूत लन्ड को नहला धुला कर बाहर भेजे,
लगता है उसने अन्दर हमाम बना रक्खा है।
चूत भी क्या चीज़ है, खट्टी भी तुर्श भी,
फिर भी उसके जूस में कितना मज़ा रक्खा है।
सब कोई लड़ाई झगड़े से नफ़रत है लेकिन,
चूत ने लन्ड के लिये मैदान बना रक्खा है।
लन्ड अन्दर जाये तो चूत, खिल खिल जाती है,
एक एक धक्के पर लन्ड के, चूत हिल हिल जाती है,
ऐसे मिलें जैसे ताल से ताल मिल जाती है,
इसी झटके इसी धक्के में तो मज़ा रक्खा है॥
Kamini Ki tagdi wali chudai kab Hogi Aslam ji Ab Kamini ki chudai Ka intezar hai
चुदी चुदाई चोदिये, जो लपक के लेवे लंड ।
2----जबसे लन्ड ने चूत को निशाना बना रक्खा है,
चूत ने भी लबों को अपने खोल रक्खा है।
टट्टो तुम चूत को पीटते क्यों हो,
तुम को किसने अन्दर जाने से रोक रक्खा है।
लन्ड के खौफ़ से चूत सहमी रहती थी पहले,
अब तो उस ने चुदाई का मज़ा चख रक्खा है।
चूत हर वक्त लन्ड को खुश आमदीद कहे,
लन्ड के रास्ते में उस ने छिड़काव कर रक्खा है।
चूत को लन्ड से मुहब्बत हो गयी कुछ ऐसी,
रात दिन उस ने दर अपना खुला छोड़ रक्खा है।
चूत लन्ड को नहला धुला कर बाहर भेजे,
लगता है उसने अन्दर हमाम बना रक्खा है।
चूत भी क्या चीज़ है, खट्टी भी तुर्श भी,
फिर भी उसके जूस में कितना मज़ा रक्खा है।
सब कोई लड़ाई झगड़े से नफ़रत है लेकिन,
चूत ने लन्ड के लिये मैदान बना रक्खा है।
लन्ड अन्दर जाये तो चूत, खिल खिल जाती है,
एक एक धक्के पर लन्ड के, चूत हिल हिल जाती है,
ऐसे मिलें जैसे ताल से ताल मिल जाती है,
इसी झटके इसी धक्के में तो मज़ा रक्खा है॥
Kamini Ki tagdi wali chudai kab Hogi Aslam ji Ab Kamini ki chudai Ka intezar hai
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