Episode 6
दोस्तों मेरा नाम राज है और मैं जयपुर के पास एक गांव का हूं. मेरी ऊंचाई 6'1" फीट है और मैं देखने में अच्छा खासा हूँ.
एग्जाम 3rd year का ख़त्म हो गए थे और मुझे अपने गाँव आना पड़ा जो जयपुर से 60 किमी दूर था. गांव मेरे पिता जी और 2 चाचा जी का परिवार रहता था. पिता जी और दोनों चाचा जी खेती करते थे. मैं अपने माँ बाप की इकलौती संतान हूँ.
गांव में मुझे 1 महीने हो गए थे और मुझे कोई चूत नहीं मिली थी, बस पिता जी और चाचा जी की खेती में मदद कर्ता और खाली समय में अपने मोबाइल पर कोई फॉर्म भरना नौकरी के लिए आवेदन था.... पिता जी बोले एमकॉम का भी फॉर्म भर दूं.
मैं जब जयपुर गया तीनो भाभी नहीं मिली, कोई गर्मी की छुट्टी में बच्चों के गई थी कोई अपने पति के साथ आउटस्टेशन गई थी, मेरा चुटिया कट गया. मैंने तीनो से बात नहीं की थी सरप्राइज देने गया था, खुद शॉक्ड होकर वापस आ गया।
बस जयपुर से अपने कॉलेज के दोस्तों से मिल के शाम को वापस आ गया. अब बिना चूत के रहना मुश्किल था और अपने गांव में रिस्क नहीं ले सकते थे क्यों कि मैं सब के सामने बहुत भोला भला और सीधा बच्चे बन के रहता था.
ऐसा बिल्कुल नहीं था मुझसे कई गांव वाली लड़की या भाभी पट सकती थी लेकिन बदनामी का डर हमेशा लगा रहता था.... इसलीये गाँव की किसी लड़की या भाभी से दूर से हाथ जोड़ देता यानी प्रणाम कर देता.
बस शाम को अपने गांव के दोस्तों से उसकी चुदाई के कोई सुनता, "उसका वो चक्कर है, उसने दूसरी भाभी सेट कर ली"... मन ही मन खुश होता. उनके लिए मैं बहुत शरीफ लड़का था. लेकिन उनका क्या पता मैं जयपुर की कितनी भाभियों की कितनी बार चुदाई कर चूका हूँ.
घर आ कर रात में कोमल, रश्मी और ज्योति भाभी से चैट या कॉल कर लेता अब वो भी नहीं थी.... मुझे अपने लौड़े की लिए एक चूत गांव में ढूंढनी थी....
ऐसे ही 1 हफ्ता और निकल गया मेरा लौड़ा चूत के बिना बेचन था. मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती थी वो अक्सर मेरी माँ से मिलने आ जाती थी। भाभी का नाम रेखा हैं. मुझे वो सब से ज्यादा सेफ छुट लगी जब सब तरफ तलाश की, लेकिन देगी कि हिम्मत नहीं हुई.
वो देखने में एकदम से मस्त माल है. शहर वालियन से अलग थी, बस वो भी मुझे प्यारी नज़र से से देखती थी ये बाद में पता चला.
भाभी की शादी 18 वर्ष की उम्र में ही हो गयी थी. उस वक्त मेरे मन में मेरी भाभी को लेकर सेक्स वाले विचार नहीं आते थे क्योंकि तब मेरी उम्र बहुत कम थी. मगर उस वक्त मेरा लंड खड़ा होना शुरू चुका था पर चुदाई का गायन नहीं था....
अभी रेखा भाभी की उम्र 29 साल है और दो बच्चे भी हैं। जैसे जैसे मैं जवान होता गया तो मेरे मन में भी औरत के जिस्म की तरफ आकर्षण प्रबल हो रहा था.... थोड़ी शर्मिला था और ग्रेजुएशन के लिए जयपुर आ गया था, अब रेखा भाभी पे मेरी गंदी यही बस को जुगाड़ हो जाए.
जयपुर ग्रेजुएशन करने गया वहां कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी, मुझे क्लास की लड़कियों से बात करने में शर्म आती थी, फिर मोबाइल पे सेक्स स्टोरी पढ़ता उसमें समय भाभी वाली स्टोरी मुझे ज्यादा ही अच्छी लगती थी। तब किसी भाभी को पता के चोदने का सोच, एक तो जोखिम कम था और प्रेगनेंसी का भी डर नहीं था। भाभी मुझे सबसे सुरक्षित लगती थी सेक्स करने के लिए।
पहले साल में मुझे कोमल भाभी मिली उसकी चुदाई करता, दूसरे साल में मुझे रश्मी भाभी मिली और तीसरे साल में मुझे ज्योति भाभी से सेटिंग हो गई.... अब मुझे चूतों की कमी नहीं थी लेकिन अब गांव आआ तो एक भी चूत नहीं मिली....
अब मेरी रेखा भाभी से थोड़ी बातें होती जब माँ से मिलने आती.... उनकी बातें छिपके सुनाता.... बोरिंग बातें होती थीं लेकिन जब भाभी मेरा जिक्र करती थी तो बहुत अच्छा लगता था.
माँ से बात करती रेखा भाभी को देख के मैं उनकी तरफ आकर्षित होने लगा.... पहले तो सिर्फ उसने राम राम होती थी फिर बस उनका हाल चाल पूछने लगा.... ऐसा ही एक हफ़्ते और निकल गया और मेरा लंड चुदाई के लिए तड़पने लगा था. मुझे अब किसी की चूत चाहिए थी. धीरे धीरे मेरे मन में भाभी के जिस्म की तरफ भी वही आकर्षण आ रहा था.उस वक्त भाभी से मेरी थोड़ी बहुत बात होती थी.
फिर एक दिन ऐसा हुआ, पापा और माँ 3 दिन के लिए कहीं डर के रिश्तेदार की शादी में जाने वाले थे. मैंने मना कर दिया आप जाके शादी अटेंड कर आयो, मैं किसको जानता हूं, बस 3 दिन की बात है मैं देख कर लूंगा.
मैंने मां से बोला खाने का काम क्या करेगा? मैंने बोल दिया कि मैं खाना खुद बना लूंगा. मेरे दोनों चाची से मेरी मां की थोड़ी अन्नबन चल रही थी. मैं बोला कि आप परेशान ना हो मैं चाची के घर खा लूंगा.
तभी रेखा भाभी मैं घर आ गयी तब माँ उनको देख के बोली रेखा हम तीन के लिए शादी में जा रहे हैं और राज यहीं रुकेगा तो तू उसके लिए खाना बना देगी क्या?
रेखा भाभी हंसी ख़ुशी मान गई इसमे कौन सी बड़ी बात है मैं बना दूंगी लेकिन राज भैया से पूछ लो ये मेरे हाथ का खाना खा लेग्ने क्या? और हंसने लगी
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मैं भी शर्मा गया पर माँ बोली रेखा तू ही बना देना.... मैं मना नहीं कर सका और अपने कमरे में चला गया भाभी और माँ हंसने लगी.. मेरा मन में रेखा भाभी से अकेले में मेरे घर आने से कितना खुश हुआ बता नहीं सकता... मुझे लगा भाभी के करीब जा के उसकी चूत मार लूंगा.
अगली सुबह मां और पापा के जाने के घंटे भर बाद भाभी मेरे घर आ गयी... उसने मुझसे मेरा हाल चल पूछा और फिर रसोई में मेरे लिये खाने बनाने गयी.
चूंकि उसको हमारे रसोई के बारे में ज्यादा पता नहीं था इसलिए वो बार बार मुझसे ही पूछ रही थी. मैं उनकी मदद कर रहा था. उनको बता रहा था कि कौन सा सामान कहां पर रखा हुआ है.
उनको घर में अकेली पाकर मेरे मन में सेक्स के ख्याल आने शुरू हो गये थे. भाभी की गांड काफी मस्त थी. मैं उसकी चूचियों में झांकने की कोशिश कर रहा था. मैंने उनको बहाने से छूना शुरू कर दिया. कभी भाभी की गांड पर हाथ लग जाता था तो कभी उनके कंधे को सहला देता था.
ये सब मैं जानबूझकर कर रहा था. भाभी भी मेरे इशारों को समझ चुकी थी लेकिन शायद कुछ बोलना नहीं चाह रही थी. जब मैंने देखा कि भाभी कुछ नहीं बोल रही है तो मैंने उनके पीछे आकर बहाने से अपने खड़ा
लंड को उनकी गांड पर टच करवा दिया....
मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था. मैंने भाभी की गांड पर लंड लगाया तब भी भाभी ने कुछ नहीं कहा. बल्कि वो थोड़ी सी पीछे होकर अपनी गांड को मेरे लंड पर दबाने लगी.
यह मेरे लिये ग्रीन सिग्नल के जैसा था. मैंने अपने लंड को भाभी की गांड पर सटा दिया. भाभी ने तब भी कुछ नहीं कहा. मेरी हिम्मत और बढ़ गयी, मुझे चूत की जबरदस्त तलब लगी थी
मैंने रेखा भाभी को अपनी बांहों में जकड़ लिया तो भाभी भी मेरी तरफ घूम गयी. उन्होंने मुझे देखा और मैंने उनको देखा उनकी खामोशी और लाल होंठ मुझे निमंत्रण दे रहे थे चूमने के लिए और जैसा ही मैंने उनके होंठों को चूसने के लिए आगे गर्दन की तो उन्होंने मुझे रोक दिया....
रेखा भाभी - ये क्या कर रहे हो राज भैया? मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूं... मुझे छोड़... मुझे जाने दो....
एक बार तो मैं समझ नहीं पाया और भाभी को छोड़ के सॉरी बोल दिया... फिर अपने कमरे में चला गया और जो कुछ हुआ था ये सोच के मेरी गांड फट गई थी... शायद मैंने जल्दी बाजी कर दी.... पहला भाभी को अच्छे से पहचानना चाहिए.
फिर कुछ मिनट बाद कमरे से बाहर आया और देखा रेखा भाभी खाना बना रही थी... मैंने चैन की साँस ली, भाभी बुरा नहीं मानी पर माँ को ना बता दे ये डर था. मैं वापस कमरे में गया और अपने मोबाइल पर कुछ देखने लगा पर मन नहीं लग रहा था.... रेखा भाभी ने मुझे रिजेक्ट कर दिया था ये सोच के बहुत अपने आप पर गुस्सा आ रहा था।
आधे घंटे बाद भाभी मेरे कमरे आई और बोली - खाना बना दिया है.... भैया खाना खा लेना.
मैंने चुप रहने में ही भलाई समझी और सार झुका के बिस्तर पर बैठा रहा.... मुझे बहुत आत्मगिलनी होने लगी...
रेखा भाभी कमरे के अंदर आईं और बोलीं- चुप क्यों हो?
मैं अभी भी चुप था... फिर वो मेरे साथ बिस्तर पर बैठ गई और मेरा सीधा हाथ पकड़ के बोली - ये सब अभी करना ठीक नहीं है. यहां पर किसी के आने का डर है. वैसे भी ये तुम्हारा घर है. अगर किसी ने देख लिया तो बेवजह बदनामी होगी.
मैंने भाभी की तरफ देखा और बोला - सॉरी भाभी मैं अब ऐसा नहीं करूंगी प्लीज मां को मत बताना... मैंने उसके हाथ पर दूसरा हाथ रख दिया.
रेखा भाभी खड़ी हुई और झुक के मेरे सीधे गाल पे किस कर दी और बोली - बस अभी चुंबन इसे काम चला लो, मैं कॉल कर दूंगी मेरी बताई जगह आ जाना तुम्हारे सारे गैलेसिकवे डर कर दूंगी... अब हस तो दो.
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वो हंसने लगी.... मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो मेरा हाथ छोड़ के कमरे से बाहर निकलने लगी.
मैं खड़ा हुआ बिस्तर से और झझक के पूछा - भाभी आप से बात कैसे होगी मेरा मोबाइल नंबर तो ले लो।
रेखा भाभी जाती-2 बोलीं- मेरे पास आपका नंबर है.... मैं अपने घर जा रही हूं बाहर से अपना किवाड़ बंद कर लेना.
मैं कमरे के बाहर खड़ा होकर उसकी गांड मटकती हुई देखता रह था.... वो आखिरी बार पीछे मुड़ के देखे मुस्कुराई और घर से बाहर चली गई.... वो भी जानती थी मैं उसकी गांड ही देखा रहा हूं इसलिए पलट के देखो के मुस्कुरा दी।
मेरा लौड़ा जो भाभी ने पहले खड़े होने से रोक दिया था फिर से मेरा पजामा खड़ा हो गया था.... मैं उसको दबा के सोच रहा था कि रेखा भाभी देगी कि नहीं या मजाक कर के चली गई? उस समय मैं भाभी से जबरदस्ती भी कर सकता था वो मुझे रोक नहीं सकती थी लेकिन मैंने खुद को रोका था और एक बात तो थी की रेखा भाभी किसी से कुछ नहीं बोलेगी स्पेशली मेरी माँ से.
रेखा भाभी अपनी चूत देगी तो ठीक वरना कल कोमल भाभी भी आ रही है जयपुर जाके उसकी अच्छे से लूंगा. ये अपना गाँव है यहाँ जोखिम भरा हो गया था चुदाई करना, रेखा भाभी को मैं मना कर दूँगा.
मैंने घर का किवाड़ बंद किया और खाना खाते हुए ये सोच रहा था कि भाभी के साथ मुझे कुछ करना चाहिए की नहीं? रिस्क तो है लेकिन मेरे लंड से सोचो तो अभी भी खड़ा था रेखा भाभी की चूत लेने के लिए.
2 घंटे बाद मेरा घर के किवाड़ की सांकल बाजी... मैं अपने मोबाइल पर एक फिल्म देख रहा था.... जा के गेट खोला तो रेखा भाभी नयी साड़ी में और उनके दो बच्चे नये कपडे पहन के दरवाजे पर खड़े हैं. भाभी ने अपने दोनो बच्चो को मुझे नमस्ते करना को बोला.... बच्चे मुझे नमस्ते चाचा जी बोले... मैंने भी दोनों के सारे हाथ फेरे.... नमस्ते नमस्ते.... कहीं जा रहे होंगे ये सोच?
एक बैग भी भाभी के साथ था और बोली - तुम्हारे भैया से मेरी लड़ाई हो गई है.... क्या मुझे मेरे मायके छोड़ दो गए अपनी बाइक से?
मैं - पहले आप अंदर आयो और दोनों बच्चों और भाभी को अंदर के अंदर किया फिर बाहर देखा कोई नहीं था। किवाद लगा के आंगन में एक चारपाई पे सब को दिया।
रेखा भाभी अपने बच्चों को बैग से निकाल के दो चिप्स के पैकेट दिए और मुझसे बोली - राज भैया किचन से पानी लाना.... चलो मैं खुद के लेती हूं आप भी आएं मुझे आप से बात करनी है... बच्चों तुम यहीं रुको, उठना मत चारपाई से.... बच्चे भी जी मम्मी बोल दिया.
रेखा भाभी का एक लड़का, एक लड़की जो 9 और 7 साल के थे. बच्चे नानी के घर जाने के लिए खुश थे और चिप्स खा रहे थे और भाभी किचन में थोड़े पानी पी तब भी मैं वहां आ गया।
मुझे तो थोड़ा अजीब लगा भाभी अचानक आ जाएंगी और अपने दोनों बच्चों के साथ।
रेखा बोलीं- आपको मैंने रास्ते दिखा दिया है, मेरे साथ मेरे मायके चलो वहां मेरी माँ के सिवा कोई नहीं होगा, बच्चे माँ को देख के उसके साथ लगे रहेंगे और आप आज रात वहीं रुक जाना मैंने आपकी मां से अनुमति ले ली है मोबाइल पर.
मैंने इतना नहीं सोचा था और अब मैंने माना करना सही समझा।
मैंने पूछा - भैया से लड़ै कैसे हुई भैया से?
वो अपने पति को ही दोष लेने लगी और सारी गलती तुम्हारे भैया की है जो दिन बहार शराब पिए नशे में पड़ा रहता है, मैं तो तंग आ चुकी हूं यह जिंदगी से...
वो मेर कंधे पे सर रख के बोली - राज मैं बहुत अकेली हूं मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.
मैं तो सकपका गया और बोला - भाभी बच्चे देख लेंगे, जीवन भैया ने मुझे जान से मार देना है...
(जीवन - रेखा भाभी के पति )
भाभी हंसने लगी और धीरे से बोली - ऐसे ही मुझे पीछे से पकड़ लिया और फिर चुंबन करने कोशिश की थी क्या?
... अगर मैं ना रोकती?.... मुझे लगा कि तुम सबसे अगला होगे शायद तुम्हारे लिए मैं सिर्फ खेलने की वास्तु हूं. वो थोड़ी इमोशनल हो गई थी.
मैं उसका हाथ पकड़ के रसोई के दूसरे दरवाजे से अपनी मां के कमरे में ले गया और बोला - रेखा भाभी आप मुझे गलत मत समझो, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं आपको बहुत पसंद करने लगा हूं. बस किसी को पता ना चल जाए इसलिए डरता भी हूं।
रेखा भाभी के आँखों में चमक सी आ गई, वो मेरे गले लग गई और बोली - इसलिए तो बोल रही हूँ मेरे मायके चलो, वहां कोई हमें दिक्कत नहीं होगी और हम खुल के साथ रहेंगे.
मैं भाभी की कमर पकड़ा दोनो हाथ से फिर हाथों को उसके सेक्सी गांड तक ले नीचे ले गया उसके दोनों चुत्तड़ साड़ी की ऊपर से सहलाते हुए - वहां आपकी मां भी तो होगी?
भाभी - सिइइइइइ अह्ह्ह्हह्ह मत कर राज.... मैं कहीं बेकाबू ना जाऊं.... तू मुझे बस दूर ले चल इस गांव से बाकी मैं देख लुंगी.
मैंने - कहीं भागने का इरादा तो नहीं मेरी भाभीजान का?
मैं भी अब अपने रंग में आ चुका था, कहीं रेखा भाभी मुझे कोई चुटिया ना समझ रही है.... बात साफ होनी चाहिए कि चूत देगी की नहीं और मेरे गले नहीं पड़ेगी.
रेखा भाभी - मेरे दो बच्चे हैं, अपनी कसम, जब मेरी मर्जी है तू बेकार में डर रहा है.... मैं तेरे गले नहीं पडुंगी बेफिकर रह.... बस कभी-कभी तेरे प्यार मुझे मिलना चाहिए तेरे भैया तो अब किसी काम के नहीं.
मुझे बच्चों को डर लग रहा था और भाभी के होठों पर एक किस किया और उसको छोड़ दिया और हम दोनों बच्चों के पास आ गए... मैंने बच्चों के स्कूल का नाम पूछा और उसकी क्लास भी, फिर चॉकलेट लेन्ने के लिए उनको पैसे भी दिए.... बच्चे खुश होकर पैसे लेकर चले गए दुकान पे और मैंने किवाद बंद किया और भाभी की तरफ बढ़के उसने अपनी बाहों में लिया और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे....
अब सब क्लियर हो गया हम एक दूसरे के साथ सेक्स की जरूरत पूरी करेंगे और किसी को पता भी नहीं चलने देंगे. एक दूसरे के बदन को स्पर्श करते हुए 5 मिनट तक चुंबन करते रहे जब तक सांसें न फूल गईं..... जानता था बच्चों को 10 मिनट से भी कम समय लागेगा इसलिए अनकी बच्चों को माँ को छोड़ दो मैं जा कर किवाड़ की संकल खोला दीया.
मैं और रेखा भाभी एक दूसरे से बातें करने लगे.... 5 मिनट बाद दोनो बच्चे भी आ गये चॉकलेट ले कर और हम को दिखा रहे थे..... मैं और भाभी खुश होकर मुस्कुरा रहे थे.
बच्चे तो मासूम होते हैं लेकिन मुझे अब भी डर था कि किसी को पता ना चल जाए तो मैंने बच्चों को सब समझा दिया कि मैं उनको उनकी नानी के घर तभी ले जाऊंगा जब मेरा सारा कहना मानेगा.... दोनो ने प्रॉमिस किया मुझसे तो मैंने भी दोनों को गले लगा के उनके सर पे चूमा. भाभी भी बहुत खुश हुई कि मैं उनके बच्चों को कितना प्यार दिखा रहा हूँ, ये सब तो करना ही था, बस एक चूत मिलने की आस पे....
पहले अपनी मां से मोबाइल से बात की फिर पिता जी से और देखने की कोशिश की मैं जाना तो नहीं चाहता लेकिन आप बोल रहे हो तभी जा रहा हूं। दोनो ने मुझे अपनी भाभी और बच्चे के साथ जाने की बात की और मैं मान गया।
अपने कॉलेज बैग में 2 जोड़ी कपड़े डाल लिये, बाइक में पेट्रोल फुल ही था और दोनों बच्चों को ले लिया, भाभी को पीछे की सीट पे बिठा के बाइक पे.
भाभी ने बताया था कि उनका मायका यहां से 25 किलोमीटर दूर है. दोपहर 1 बजे के करीब हम उनके मायके पहुच गये.
भाभी की माँ से मिला और उसके पौन छुहे. वो आशीर्वाद दी और पूछी ये क्यों है?
फिर भाभी ने मेरा परिचय कराया दीया, मेरे माँ और पिता जी का नाम लेकर उसका बेटा है जो बाइक पर मुझे और बच्चों को लेकर आया है. भाभी की माँ ने मेरे माँ बाप की तारीफ करने लगी. फिर भाभी ने सब अपनी माँ से बता दिया, तीन दिन हम वापस चले जायेंगे राज के माँ बाप किसी की शादी में गये हैं दूसरे गाँव.
भाभी की माँ मुझे बोली - इसको अपना ही घर समझ बेटा, मुझे पता नहीं था कि रज्जो (मेरी माँ का नाम ) बेटा इतना बड़ा हो गया है. जीता रह और मेरा चेहरा अपने हाथ से छूने लगी.
भाभी ने मुझे बताया कि उनकी माँ को कम दिखाया देता है, एक नौकरानी उसकी देख भल करती थी, जो 45 साल की थी उसका नाम सरोज था.
रेखा भाभी का एक छोटा भाई था जो उदयपुर में सरकारी नौकरी करता था, हर महिने अपनी बूढ़ी माँ को पैसे भेज देता था. पहले चाय पानी हुआ फिर भाभी ने जल्दी से मटर पुलाव बना दिया और हम सब खा के आराम करने लगे.
सरोज को भाभी ने उसके घर भेज दिया और 4 बजे आने को कहा. सरोज चली गई अपने घर और भाभी ने मुख्य दरवाजा घर का बंद कर दिया.
दोनो बच्चे अपनी नानी कमरे में सो रहे थे और भाभी मुझे ऊपर चुबारे में ले गई. खुली छत थी 2.5 फीट की बाउंड्री एक कमरा और लैट्रिन बाथरूम बन हुआ.
भाभी साथ मैं ऊपर कमरे में आ गया और वो एक चुंबन की और बोली - मैने नीचे सब चेक करके आती हूं तब तक तुम आराम करो.
मैंने ठीक है बोल दिया और कमरे को देखना लगा मुझे लग रहा था कि ये कमरा भाभी के छोटे भाई का होगा, सब सामान था, सोफ़ा, डबल बेड, टीवी, फ़्रीज़.
मैं आराम से बिस्तर पे लेट गए. मेरा लंड तो पहले से ही उत्तेजना में था. बस भाभी कब आएगी कम से कम एक बार मेरा लंड ही चूस देती?
मेरी आंखें लग गईं, आधे घंटे बाद भाभी आईं और दरवाजा बंद करके मेरे साथ बिस्तर पर लेट गईं और मुझे गाल पे किस करके हुए जगा दी.
मैं भी उठ गया और भाभी को किस करना शुरू कर दिया और वो भी मेरा साथ देने लगी..... भाभी ने बताया उनकी माँ और बच्चे गहरी नींद में सो रहे हैं, जीने की कुंडी ऊपर से लगा दी है कोई आएगा तो पता चल जाएगा वैसे 4 बजे मां चाय बनाने के लिए उठेगी और सरोज भी आ जायेगी... हमारे पास 2 घंटे हैं और मुझे आंख मार दी.... मैं भाभी के ऊपर चढ़के काफी देर तक एक दूसरे को किस करते रहे.
मैं भाभी के बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा. उनके होंठों को चूसते हुए मुझे भाभी के पूर्ण आकार के 36 बूब्स दबाने में काफी मजा आ रहा था.... "आह्ह्ह्ह सीइइइ धीरे -2 राज.... आराम से दबाओ मैं कहीं भाग नहीं जाऊँगी... आहहहहहह..."
फिर मैंने भाभी की साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. उनकी साड़ी का पल्लू उतरते ही उनके बूब्स की गहराईयां मुझे दिखने लगीं. मैंने जोर से उसके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया.
भाभी अब गर्म होने लगी थी. वो मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड पर हाथ रख कर उसको दबा रही थी. भाभी मेरे लंड को सहलाने लगी और मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा.
रेखा अपने मन में - कितना बड़ा और मोटा है राज का लंड.... आज मेरी चूत की प्यास अच्छे से बुझेगी....
मैंने भाभी का ब्लाउज और लाल ब्रा उतार दी साइड हो कर, फिर ऐसा नजारा देख के मैं तो बेकाबू हो गया और तुरंत उनकी नंगी गोरी 36 साइज की बड़ी बड़ी चूचियों पर झपट पड़ा.....
भाभी - आहहहहहहहहह आराम से....
मेरे मुँह से लार गिरने वाली थी.... पहले तो मैंने भाभी के बूब्स को हाथों में भरा और जोर से भींच कर देखा. उनके नर्म मुलायम बूब्स को दबाते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था..... पहला दाहिनी चूची को चूमा चाटा फिर बायीं वाली को और फिर दोनों निपल्स को बारी बारी चुनने लगा....
भाभी इस बीच में मेरी गर्दन को चूम रही थी आहें भारती आह्ह.... अच्छे से पी मेरी चूची.... सारी आकड़ निकल दे चूज़ चूज़ के.... सिइइ.... आहहहहह....
मेरे सर के बालों को सहलाने लगी.... 5 मिनट तक मैंने निपल्स चूस के खड़े और गिला कर दिया....
फिर मैंने भाभी को लिटा दिया और उनकी साड़ी को खोल दिया. भाभी अब केवल पेटीकोट में रह गयी थी. उसके बाद मैंने उनके पेटीकोट भी उतार दिया. नीचे से भाभी ने लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
भाभी की पैंटी उसकी गोरी जांघों पर बहुत मस्त लग रही थी.... उसके बाद मैंने उसकी पैंटी पर किस कर दिया. मैं भाभी की पैंटी को चाटने लगा.... आहहहहहह... राज अब रुका नहीं जाता....सीइइइ.... भाभी की चूत गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी.
मैंने भाभी की पैंटी को खींच कर उतार दिया..... दोनो झांगों को खोल के भाभी की नांगी चूत मेरे सामने आ गई.... रेखा भाभी ने अपनी दोनों आँखों को बंद कर लिया.... ऐसे मत देखो मुझे बहुत शर्म आ रही थी.... प्लीज़ राज....
मैंने उसकी चूत पर हाथ से सहला कर देखा.... चुदासी हो चुकी भाभी की चूत गीली हो गयी थी.... बाहर से देखने पर चूत का रंग सांवला दिख रहा था.... फिर मैंने उसकी चूत की फांकों को खोल कर देखा.... उसकी चूत अंदर से बिल्कुल लाल दिखाई दे रही थी.
मैंने चूत की फांकों को अपनी उंगलियों से अलग कर लिया और झुक के अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर चलाने लगा....
रेखा भाभी कसमसाने लगी..... मैंने भाभी की चूत में जीभ से चोदना शुरू कर दिया.... उसके बाद मैंने जोर से काफी देर भाभी की चूत को चूसा और भाभी सिसकारियां लेने लगी.
वो - आह्ह .. राज भैया... तुमने इस तरह से चूत को चाटना कहां से सीखा है?
मैं - बस भाभी ऐसे ही पोर्न सेक्स वीडियो देख कर सीखा है.... आपको अच्छा नहीं लगा क्या?
वो बोली - मेरे पति ने मेरी चूत को कभी इस तरह से नहीं चाटा.... मेरी चूत को और जोर से चाटो.... मुझे बहुत मजा आ रहा है.... मैंने फिर से उनकी चूत चाटने लगा वो सिसकियाँ लेने लगी.... आहहहहहहहहहह..... आह्ह्ह्ह ....
मैं तेजी के साथ भाभी की चूत में जीभ को चलाने लगा. भाभी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.... वो मेरे मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी.... वो इतनी जोर से मेरे मुंह को चूत में दबा रही थी कि मुझसे सांस नहीं लिया जा रहा था.
भाभी बहुत कामुक हो गयी..... आख़िर वो झड़ने लगी मेरे मुँह में.... मैं अभी भी उसकी चूत में जीभ को चला रहा था.... फिर मैंने हांफते हुए जीभ को बाहर निकाल लिया.... मेरे लंड का हाल बुरा हो गया था.
मैं उठा और अपने कपड़े निकालने लगा. मैंने शर्ट उतार दी. उसके बाद बनियान भी उतार दी.... जैसे ही मैं पैंट को खोलने लगा तो भाभी उठी और मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ने लगी.
मेरे लंड को सहलाते हुए उसने मेरी पैंट खोल दी.... मैंने फिर पैंट को टांगों से अलग कर दिया. मेरा लंड मेरी अंडरवियर में तना हुआ था. भाभी ने मेरी अंडरवियर को नीचे कर दिया और मेरा लौडा किंग कोबरा की तरह लहर के उनको डरा रहा....
रेखा भाभी अपने मुँह पर हाथ रख ली और कभी मुझे और कभी मेरे किंग कोबरा जैसे लौड़े को देख रही थी फटी आँखों से....
मैंने नाटक किया - भाभी मेरा लंड कैसा है ?
मैंने अपने किंग कोबरा को अपने हाथ में लेकर सहला के पूछा.
रेखा भाभी बोलीं - हे राम!!! इतना बड़ा कैसे किया भैया आपने.... मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा...
मैने नाटक चालू रखा और बोला - क्या भाभी आप मुझे अभी भी भैया बोल रही हैं..... मैं तो आपका अब सैंया बनूंगा अपकी चूत मार के..... हाहाहाहा और मेरे आंख मार दी
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भाभी बुरा सा मुँह बना के मेरे कंधे और चौड़े सीने पे मरने लगी - राज तू बहुत कमीना है अपनी भाभी का मज़ाक उड़ा रहा है.... मैं नहीं करती तेरे से बात...
मैं हंस रहा था और भाभी बिस्तार पे दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गई गुस्से से....
मैंने हंसना बंद किया और अपनी अंडरवियर साइड में रखा और रेखा भाभी की कातिल गोलमेटोल सेक्सी चुत्तड़ के बीच अपना 8 इंच का लांबा लौड़ा जिसकी मोटी 3 इंच थी उसके चुत्तड़ों से लगा, उनकी तरफ करवट लेकर समानांतर लेट गया और उसको अपनी कोल्ही में भर लिया....
भाभी की गारदन और बालों को चूम के उसकी दोनो चूची पकड़ लिया - मेरी जान रेखा, तू मुझसे ऐसे रूठ जाएगी तो मैं किस्से प्यार करूंगा, ला इक बार और तेरी मीठी प्यारी चूत चाट देता हूं.... तुझे अच्छा लगेगा....
रेखा भाभी मेरा लौड़ा पीछे हाथ डाल के पकड़ ली, सीधी होकर पलट गई और मेरे गाल पर काट के बोली - तू कितना चालू है मैं तो तुझे बहुत शरीफ लड़का समझती थी.... तेरी मां को भी बताऊंगी कि उसका लौंडा कितना हरामी है.
मैंने अपना भोला चेहरा बना के बोला - तू मेरे से नाराज मत हो, मैं तेरे से मजाक मस्ती करता हूं वैसे मेरी कोई और तो है नहीं सिवाए मेरी प्यारी अप्सरा जैसी रेखा भाभी के.
किसी औरत को अपनी तारीफ कभी बुरी लगी है और ये हाल रेखा का था.... वो तो मस्ती करने आई थी.
राज एक बहुत सुंदर और हट्टाकट्टा जवान लड़का था, वो इतना शरीफ और भोला दिखता था की गांव का हर लड़की और औरत उसकी मिसाल देती थी। रेखा तो बचपन से राज को देखती आ रही थी, उसका पति राज का आधा भी नहीं था... ना रंग में, ना ऊंचाई में और ना ही लंड के साइज़ में.
वो अब राज का बड़ा मोटा लंड दोनो हाथ से सेहला और टोल रही थी उसके चौड़े सीने को चूमती हुई.... राज उसके बड़े बड़े मस्त गोल आकर चुट्टाड को सहला रहा था....
राज - मेरा लंड आपको अच्छा नहीं लगा क्या?
रेखा उसकी तरफ़ देखी और राज के मासूम चेहरे और आँखों में देख के बोली - पसंद नहीं आता तो क्या अपने हाथ में लेती इसको... मुझे तो तभी अंदाज़ा हो गया था जब तू ने मुझे किचन में पीछे से पकड़ लिया था और अपना मोटा लम्बा खूंटा जैसा लंड मेरे पिछवड़े से लगा था... अब ये बता कि तूने पहले भी किसी लड़की या औरत को लगाया है?
मैंने साफ झूठ बोल दिया - क्या बात कर रही हो भाभी... मैंने अश्लील वीडियो खूब देखी है और ये सब सीखा है पहली बार...
( मैं तीनो भाभी का नाम नहीं बता सकता था अगर रेखा कसम लेगी तो बाद में बता दूंगा पहला इसकी चूत चोद लूं)
भाभी ने मेरे होठों को चूम के सीधे बैठ गई और मैंने पीठ के बाल सीधा लेट गया..... भाभी ने मेरे लंड को सीधा हाथ में लेकर पकड़ लिया.... उसको अच्छे से दबा कर देखने लगी.... ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड फटने वाला है..... मैंने भाभी को लंड चूसने के लिए इशारा किया तो भाभी मुंह बनाने लगी..... 'एक बार चाट के चूसे दो भाभी'...
रेखा भाभी - 'कभी नहीं '...
मैंने भाभी को रिक्वेस्ट की.... वो आनाकानी करती रही. मेरे लंड से पानी छूटने लगा था जिससे लंड का टोपा गीला हो गया था.... फिर मैंने उनके होंठों पर लंड को रगड़ दिया.....
उसने मेरी तरफ देखा और उसके बाद रेखा भाभी ने मेरे लंड को एकदम से मुंह में ले लिया और मैं जैसे स्वर्ग की सैर करने लगा..... भाभी के चेहरे से पता पड़ रहा था वो नाटक कर रही थी और उनको मेरा लौड़ा बहुत पसंद आया...
मेरे लंड पर मुंह चलाते हुए भाभी मेरा लंड चूसने लगी... आह्ह्ह्ह भाभी आप कमाल हो.... ऐसे ही प्यार से चूसो.... मैं भी लंड चुसवाने के मजे लेता रहा.
जब मुझसे रहा न गया तो मैंने भाभी को लिटा दिया और उसकी टांगों को फैला दिया. मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और तेजी के साथ भाभी की चूत में उंगली करने लगा.
भाभी की चूत पानी छोड़ छोड़ कर बिल्कुल चिकनी हो चुकी थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी गर्म भट्टी में हाथ दे रहा हूं.
मैंने भाभी की चूत को कुरेदा तो भाभी सिसकारने लगी. वो बोली- बस … आ्हह … अब डाल दे. मेरी चूत को चोद दे. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मैंने तेजी के साथ भाभी की चूत में उंगली को चलाना शुरू कर दिया.
भाभी पागल सी हो उठी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.
उसके बाद मैंने भाभी के बूब्स को जोर से दबाया और उसके होंठों को चूसने लगा. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गये. भाभी ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और उसे जोर से चूसने लगी.
मैं भी भाभी की चूत को जीभ से ही चोदने लगा. मैं अपनी गांड को उठा उठा कर भाभी के मुंह में लंड को धकेल रहा था. भाभी भी मेरे लंड को चूस-चाट रही थी. दोनों ही पागल से हो गये थे.
ऐसे ही चूसते हुए 10 मिनट मैंने भाभी के मुंह में ही माल छोड़ दिया क्योंकि मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ. भाभी के मुंह में मेरा सारा वीर्य निकल गया.
भाभी ने पहले ही चूत का पानी छोड़ दी थी मेरे मुँह में मैं अमृत समझ के पी लिया था... अभी भी मैं उसकी चूत को चाट रहा था सच में भाभी की चूत और चूत का पानी बहुत टेस्टी था....
फिर भाभी उठी और मेरे माल को उसने बाहर थूक दिया फर्श पे.... कुछ देर के लिए हम शांत हो गये.
रेखा भाभी बाद मुझे बोली कि तेरे भैया ने 6 महीने से उसको नहीं चोदा है और आज खाने बना के वो अपने घर जाकर पहले अपनी झटें साफ की... यानी उसे पहले ही फासला कर लिया था कि मेरे से चुद के रहेगी और मैं यहां खुद को रिजेक्ट समझ लिया था.
औरत जिसको अपनी चूत देने को राजी होती है उसे चोद के ही मानती है, मर्द साला जबरदस्ती कर चोद लेटा है पर औरत का दिल नहीं जीत पाता और मजा दिल से चुदाई दोनों की राजी में आता है। ( लेक्चर बहुत हो गया अब कहानी पर आते हैं)
फिर दोबारा से मैंने भाभी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया.... वो भी मेरे लंड को पकड़ कर हाथ से सहलाने लगी... हम एक दूसरे के बातें करके फिर से गरम होने लगे.... अभी 2:45 हुआ था और मैं अपनी सुन्दर रेखा भाभी को चोदने के लिए तैयार हूं...
मैंने भाभी की चूत में दो उंगली डाल दी.... कुछ ही देर के बाद भाभी के मुंह से फिर से सिसकारियां निकलने लगीं.... सिइइइइ.... आह्ह्ह्ह.... वो अपनी टांगों को फैलाने लगी.... मेरा बड़ा मोटा लंड भी अब खड़ा हो चुका था....
भाभी बोली- अब चोद दो मुझे.... मेरी चूत को फाड़ दो.... अब रुका नहीं जाता... 6 महीने से उंगली से काम चला रही हूं आज तेरे मोटा लुंबा लंड मिला है जो होगा देखा जाएगा बस देर मत कर....
मैंने भाभी की चूत को 3 उंगली डाल के अच्छे से रगड़ और उसकी टांगों को चौड़ी कर दिया.... उसको नीचे लिटा कर मैंने अपने लंड को भाभी की चूत पर सेट कर दिया.... और नौसिखिये की तरह चुत मे एक धक्का लगाने लगा.... इसे ये हुआ मेरा लंड उसकी चूत पर से फिसल गया....
रेखा भाभी को जल्दी से चुदने की वो मेरे लंड को पकड़ कर खुद अपनी चूत के छेद पर सेट करवा लिया. (मैंने ऐसा दिखाया कि मेरा पहली बार है)
लौड़े को चूत पर रख कर मैंने जोर से एक धक्का दिया तो फिसल कर आधा लंड भाभी की चूत में उतर गया. चूत में लंड जाते ही भाभी के मुंह से आह्ह … करके एक चीख सी निकल गयी.
वो बोली दर्द से बोली - ऐसे नहीं बोला था, आह्ह्ह्ह...कुत्ते वापस निकाल इसको मादरचोद.... सिइइइ.... फाड़ दी मेरी चूत आह्ह … बहुत दर्द हो रहा है. इसे निकाल बाहर!
भाभी कराहने लगी मेरा मोटा लंड अभी आधा ही चूत में गया था, अब मैं रुक नहीं सकता था और भाभी की चूत भी काफी टाइट थी... 6 महीने से चुदी नहीं थी इसलिए
मैंने भाभी की एक न सुनी और दोबारा से एक जोर्दार शॉट उसकी चूत में लगा दिया.... मेरा लगभाग पूरा लंड उसकी चूत में उतार गया था.
उसकी चूत दर्द से कुलबुला उठी और भाभी मुझे पीछे धकेलने लगी.... उसके बाद मैंने उसके ऊपर झुक के उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.... होंठों को चूसते हुए मैं भाभी के नंगे जिस्म पर पूरी तरह से लेट गया और उसको हिलने नहीं दिया.... मुझे पता था मेरा लौड़ा जादा ही बड़ा और मोटा, भाभी ने मेरे लौड़े को ताकत अभी तक देखी कहां थी....
5 एक मिनट तक मैं भाभी को चूमते हुए उसको मम्मे दबाता रहा...... कुछ देर के बाद जब उसको थोड़ी राहत मिली तो..... मैंने धीरे धीरे करके उसकी चूत में लंड को चलाना शुरू कर दिया.
जब मैंने 2 मिनट बाद स्पीड बढ़ाई तो भाभी के मुंह से हल्की दर्द भरी आवाजें निकलने लगीं- आह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह … आराम से....
मैं कुछ मिनट धीमा हुआ पर फिर से भाभी की चूत को मैंने तेजी के साथ चोदना शुरू कर दिया..... भाभी की चूत अब ढीली हो गई थी और लौड़ा आसान से पूरा अन्दर बाहर हो रहा था.... मैं अब जोर से उसकी चूत में धक्के लगा रहा था.....भाभी के मुंह से अब मादक सिसकारियां निकल रही थीं.
वो अब मेरा पूरा साथ दे रही थी, उसके मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह्ह … और तेज … आह्ह … मजा आ रहा है … चोदो मुझे राज भैया … और तेजी से …आहह.... मसल दो मेरी चूत को.
जब भाभी ने मुझे फिर से भैया बोला तो मैं एक दम से रुक गया और उनको देखने लगा घूर के.... वो भी अपनी आंखें खोल जैसे बोल रही हो रुका क्यों? फिर गलती का एहसास हुआ की और सॉरी बोली....गलती से भैया निकल गया.
मैने चूत में फिर से धक्के मारने शुरू किया और बोला - आप मुझे बहनचोद बोल रही हो.... बार बार....
रेखा हंसने लगी और मैंने भी हंसने लगा.....मैं भी भाभी की चूत को मस्ती में पेलने लगा.... अब वो गांड उठा उठा कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेने लगी..... मैं उसकी चूत में धक्के लगा रहा था और चुदक्कड़ भाभी नीचे से अपनी गांड उठा कर मेरे लंड की तरफ चूत को धकेल रही थी.... दोनों ही आनंद में डूब गये थे.
15 मिनट तक भाभी की चूत को पेलने के बाद वो एकदम से झड़ने लगी.... उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया..... मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में अंदर बाहर रहा था..... चुदाई के कारण चूत से पच पच की आवाज होने लगी पर मैं चोदता रहा और भाभी बेसुध सी होकर चुदती रही.... इतने दिन बाद कोई चूत मिल थी और वो भी मन पसंद रेखा भाभी की.... मैं पूरी कसर निकल रहा था इतने दिन बाद सुख के....
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी..... मैंने तेजी के साथ फच-फच करते हुए भाभी की चूत में लंड को पेलना शुरू कर दिया.... मैं जोर से उसकी चिकनी चूत को पेलने लगा.... 5 मिनट बाद मेरा भी वीर्य निकलने को हो गया. 15-16 शॉट जोर से लगाने के बाद मैंने भाभी की चूत में ही वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया....
मेरा पूरा बदन अकड़ गया.... मैंने सारा वीर्य चूत में छोड़ दिया और भाभी के ऊपर हांफते हुए गिर गया..... वो मेरी पीठ को सहलाने लगी..... दो मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे....
उसके बाद हम दोनों उठ गये.... हमने एक दूसरे को साफ किया..... फिर हम अपने अपने कपड़े पहनने लगे.
भाभी बोली - अब मेरी मां ऊपर ना जाए इसे पहले मैं नीचे जाती हूं.... रात में हम छत पे सोएंगे तब तक सबर रखना....
मैने अच्छे बच्चे की तरह हां बोल दिया.... रेखा को नीचे जाने दिया अपने बच्चों के पास और मैंने रात को नींद अभी लेने की सोच के सो गया....
रेखा भाभी ने मेरी चुदाई की भूख अच्छे से शांत करवा दी.... बिचारी थोड़ा लंगड़ा के चल रही थी, मेरी चुदाई उसको इतनी अच्छी लगी उसने शिकायत नहीं की....
रेखा भाभी की चुदाई की स्टोरी पसन्द आई या नहीं? प्लीज़ टिप्पणी करना.
ध्यानवाद.
अगले एपिसोड में रेखा भाभी ने मेरे लिए एक नई चूत का इंतज़ाम कैसा किया ? तो मिलते हैं अगले एपिसोड के साथ।