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Incest Bhai ka sahara

Neha tyagi

Member
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मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे।
एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड…….. उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया….पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया…. मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी।
मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले…. वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था….पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है……..तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा……..धत्त…. ये क्या….सोचने लगी….।
मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।

मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था…. मैने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी….।
मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे…. पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था….और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
मैने शुरुआत कर दी….”क्या बात है मुन्ना…. आज तुम बैचेन से लग रहे हो….? “
“हां दीदी…. मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है…. ” उसका लन्ड खडा हुआ था…. उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा…. मुझे सिरहन सी आ गयी…. मैं उसकी हालत समझ रही थी…. दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई…. पर झिझक के मारे वापस उठ गयी…. ।
रात के ११ बज रहे थे ….पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी….और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था…. दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा ….फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया…. मैने उसे कुछ नहीं कहा…. बस झुरझुरी सी आ गयी।
उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।
उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा …. मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।

मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये….और दबा दिये…. मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी….वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।
“भैय्या…. हाय रे…. मत कर ना….” मैने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा….और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये…. नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
“दीदीऽऽऽऽऽऽ……..” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया…. मेरे स्तन जोर से दबा दिये।
“भैय्या…. मर गयी …. हाऽऽऽय….” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे….मैं तो खुशी से मरी जा रही थी…. हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा…. मैं भैया से चुद जाऊंगी…. मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी।
“भैय्या…. हाय मत कर ना…….. ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है….”
“जाने दे बहना…. आज इसे जाने दे…. वर्ना मैं मर जाऊंगा…. दीदी …. प्लीज….”
मेरी सिसकारी निकल पडी…. उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था…. पर मैने कुछ कहा नहीं…. ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई….उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया…. और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे …. उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे।
“नेहा दीदी…. आप कितनी अच्छी है…. हाय….मुझे कितना मजा आ रहा है….” मुन्ना मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था…. पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी….
“भैय्या …. अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़…. आगे भी तो आग लगी है मुन्ना….” मैने मुन्ना से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था।
“भैया…. देखो मैं झड़ जाऊंगी…. प्लीज़…. अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना….।”
मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था…. बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे….कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी …. लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी…. मन में कसक सी उठी…. और एक हूक सी उठी…. एक सिसकारी निकल पड़ी।
“चोद दे मुन्ना…. चोद दे…. अपनी बहन को चोद दे…. आज मुझे निहाल कर दे……..” मैं सिसकते हुए बोली।
“हाय दीदी….इसमें इतना मजा आता है…. मुझे नहीं मालूम था…. हाय दीदी….” मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी…. शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध…. गलत काम …. चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था…….. जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
“मुन्ना…. हाय तेरा मोटा लन्ड रे…. कितना मजा आ रहा है….फ़ाड दे रे मेरी चूत….”
“दीदी रे…. हां मेरी दीदी…….. खा ले तू भी आज भैया का लन्ड…….. मुझे तो दीदी…. स्वर्ग का मजा दे दिया….”
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी…. मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था…. मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी…. आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया…. उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।
“अब जोर से चोद दे भैय्या …. दे लन्ड…. और जोर से लन्ड मार …. मेरी चूत पानी छोड़ रही है….ऊऊऊउईईईई…. दे ….और दे…. चोद दे मुन्ना….”
मेरी चरमसीमा आ रही थी…. मैं बेहाल हो उठी थी…. मुझे लग रहा था मुझे और चोदे…. इतना चोदे कि…. बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे …. और और…. अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी……..मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर…. मेरा रोकना किसी काम ना आया…. बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया…. मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा…. एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा…. मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था…. लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था…. मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी….
“भैया….छोड़ दो अब…. हाय लग रही है……..”
पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा…. ओह ओह ये क्या…. मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया…. मैं छटपटा उठी…. तेज अन्दर दर्द हुआ…. शायद जड़ तक को चीर दिया था….
“मुन्ना छोड़….छोड़ …. हाय रे…. फ़ाड़ डालेगा क्या……..”
पर वो वास्तव में झड़ रहा था…. उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी….पूरा जोर लगा कर …. मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था…. उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी…. अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। मुन्ना ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया….
“दीदी…….. आज से मैं आपका गुलाम हो गया…. आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है…. मैं क्या कहूं….”
उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा…….. हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई…. मेरे बोबे तन गये….मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा…. और…. और…. फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा …….. मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई……
 
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Yadavg

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मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे।
एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड…….. उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया….पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया…. मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी।
मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले…. वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था….पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है……..तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा……..धत्त…. ये क्या….सोचने लगी….।
मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।

मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था…. मैने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी….।
मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे…. पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था….और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
मैने शुरुआत कर दी….”क्या बात है मुन्ना…. आज तुम बैचेन से लग रहे हो….? “
“हां दीदी…. मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है…. ” उसका लन्ड खडा हुआ था…. उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा…. मुझे सिरहन सी आ गयी…. मैं उसकी हालत समझ रही थी…. दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई…. पर झिझक के मारे वापस उठ गयी…. ।
रात के ११ बज रहे थे ….पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी….और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था…. दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा ….फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया…. मैने उसे कुछ नहीं कहा…. बस झुरझुरी सी आ गयी।
उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।
उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा …. मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।

मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये….और दबा दिये…. मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी….वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।
“भैय्या…. हाय रे…. मत कर ना….” मैने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा….और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये…. नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
“दीदीऽऽऽऽऽऽ……..” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया…. मेरे स्तन जोर से दबा दिये।
“भैय्या…. मर गयी …. हाऽऽऽय….” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे….मैं तो खुशी से मरी जा रही थी…. हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा…. मैं भैया से चुद जाऊंगी…. मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी।
“भैय्या…. हाय मत कर ना…….. ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है….”
“जाने दे बहना…. आज इसे जाने दे…. वर्ना मैं मर जाऊंगा…. दीदी …. प्लीज….”
मेरी सिसकारी निकल पडी…. उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था…. पर मैने कुछ कहा नहीं…. ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई….उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया…. और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे …. उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे।
“नेहा दीदी…. आप कितनी अच्छी है…. हाय….मुझे कितना मजा आ रहा है….” मुन्ना मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था…. पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी….
“भैय्या …. अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़…. आगे भी तो आग लगी है मुन्ना….” मैने मुन्ना से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था।
“भैया…. देखो मैं झड़ जाऊंगी…. प्लीज़…. अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना….।”
मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था…. बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे….कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी …. लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी…. मन में कसक सी उठी…. और एक हूक सी उठी…. एक सिसकारी निकल पड़ी।
“चोद दे मुन्ना…. चोद दे…. अपनी बहन को चोद दे…. आज मुझे निहाल कर दे……..” मैं सिसकते हुए बोली।
“हाय दीदी….इसमें इतना मजा आता है…. मुझे नहीं मालूम था…. हाय दीदी….” मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी…. शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध…. गलत काम …. चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था…….. जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
“मुन्ना…. हाय तेरा मोटा लन्ड रे…. कितना मजा आ रहा है….फ़ाड दे रे मेरी चूत….”
“दीदी रे…. हां मेरी दीदी…….. खा ले तू भी आज भैया का लन्ड…….. मुझे तो दीदी…. स्वर्ग का मजा दे दिया….”
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी…. मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था…. मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी…. आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया…. उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।
“अब जोर से चोद दे भैय्या …. दे लन्ड…. और जोर से लन्ड मार …. मेरी चूत पानी छोड़ रही है….ऊऊऊउईईईई…. दे ….और दे…. चोद दे मुन्ना….”
मेरी चरमसीमा आ रही थी…. मैं बेहाल हो उठी थी…. मुझे लग रहा था मुझे और चोदे…. इतना चोदे कि…. बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे …. और और…. अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी……..मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर…. मेरा रोकना किसी काम ना आया…. बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया…. मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा…. एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा…. मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था…. लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था…. मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी….
“भैया….छोड़ दो अब…. हाय लग रही है……..”
पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा…. ओह ओह ये क्या…. मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया…. मैं छटपटा उठी…. तेज अन्दर दर्द हुआ…. शायद जड़ तक को चीर दिया था….
“मुन्ना छोड़….छोड़ …. हाय रे…. फ़ाड़ डालेगा क्या……..”
पर वो वास्तव में झड़ रहा था…. उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी….पूरा जोर लगा कर …. मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था…. उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी…. अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। मुन्ना ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया….
“दीदी…….. आज से मैं आपका गुलाम हो गया…. आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है…. मैं क्या कहूं….”
उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा…….. हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई…. मेरे बोबे तन गये….मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा…. और…. और…. फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा …….. मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई……
Badhiya hai pr itna jaldi chudayi nhi hona chahiye tha
 
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Yashu7979

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Maza aa gaya..lekin aaram aaram sa karna chaiya tha aur story thodi lambi honi chaiye thi
 
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Rinkp219

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Superb ..bhai iss khel main apne papa ko bhi shamil karo aur double penetrated karao aage pichhe se.... waiting more
 
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