Vik1006
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पता नहीं मैं किस ख्याल में सोनिया के कमरे में
घुस गया। मुझे जब ध्यान आया तो मैंने अपने आप को सोनिया के बिस्तर के पास खड़ा पाया। सोनिया इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ आधा ढके हुई थी।
मेरे सामने अभी भी मीना चाची की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में मैंने देखा कि सोनिया की मस्त चिकनी- चिकनी टाँगें और फुले हुए चुतड़ जो उसने चड्डी छुपाऐ मुझ रहा नहीं गया और मैं बिस्तर के साइड में हो कर उस्की चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी।
जिस चुतड़ की खुशबू मैं चड्डी में सूँघता और चाटता था वही चुतड़ आज मैं असली में मैं सूँघ रहा था और अपने होंठों से किस कर रहा था।
इतने में सोनिया कुनमुनाई और मैं डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।
उस के बाद मैं बाथरूम गया और मीना चाची की चड्डी और ब्रा अपने रूम में ला कर सूँघते और चाटते हुए खूब मुठ मारी, और मैंने इरादा किया की एक बार मैं मीना चाची के साथ ट्राई तो मार के देखूँ, क्या पता, प्यासी चूत है, अपने आप ही मुझे चोदने को दे।
मुठ मारते मारते मैं मीना चाची की ब्रा अपने होंठों से लगा कर सो गया।
अगली सुबह में मीना चाची ने मुझे झखझोड़ के जगाया और बोली “गोलू आज कालेज क्यों नहीं गया ?
देख सुबह के दस बज रहे हैं, तेरे चाचा को तो आज सुबह महीने भर के लिये बम्बई जाना था,
वो तो कभी के चले भी गये और सोनिया भी अपनी स्कूल ट्रिप के साथ जयपुर चली गई है, मैं भी थक रही हूँ, तू नहा धो के नाश्ता कर ले तो मैं भी थोड़ा लेटूंगी।"
मैंने जल्दी से उठ कर सबसे पहले मीना चाची की चड्डी और ब्रा ढूंढी पर मुझे कहीं नहीं मिली। मेरी तो डर के मारे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, और मैं सोचने लगा की अगर चाची को पता पड़ गया चाची मेरी खूब पिटाई करेंगी।
मैं चुपचाप अपने सारे काम पूरे करके टीवी देखने बैठ गया और उधर चाची मुझे नाश्ता देकर अंदर जा कर लेट गयीं।
थोड़ी देर बाद आवाज दे कर मुझे अपने कमरे में बुलाया और बोली “गोलू मेरा जरा बदन दबा दे”।
उस समय मीना चाची सिर्फ़ ब्लाऊ और पेटीकोट थीं और कहने के बाद पेट के बल हो कर उल्टी लेट गई।
मीना चाची ने अपने ब्लाऊ का सिर्फ़ एक हुक छोड़ कर सारे हुक खोले हुए थे और अपना पेटीकोट भी कुछ ज्यादा ही नीचे कर के बाँधा हुआ था जिस से उनकी गाँड की दरार साफ आ रही थी।
मेरे साम नज़र आ रही मेरे सामने वो चुतड़ थे जिसे सिर्फ़ देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मीना चाची तो अपना पूरा बदन मेरे को दिखाते हुए मसलने को कह रही थी।
मैं बिना देर करे चुप चाप चाची के साईड में बैठ कर धीरे धीरे उनका बदन दबाने लगा, उनके चिकने बदन को छूते ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और मैं डरने लगा की कहीं मीना चाची को पता नहीं चल जाए।
जब पेटीकोट के ऊपर से मीना चाची के चूतड़ दबाए तो लंड एक दम मस्त हो गया। पेटीकोट के ऊपर से ही मीना चाची के चूतड़ दबा कर मालूम पड़ गया था कि गाँड वाकई में बहुत मोटी और तगड़ी थी।
थोड़ी देर बाद चाची बोली “अरे गोलू, जरा तेल लगा कर जोर से जरा अच्छी तरह से मालिश कर।"
मैंने कहा “चाची तेल से आपका ब्लाऊज़ खराब हो जाएगा, आप अपना ब्लाऊज़ खोल दो।"
मीना चाची बोली “गोलू मैं तो लेटी हूँ, तू मेरे पीछे से ब्लाऊज के हुक खोल के साईड में कर दे।" मैं जिस मीना चाची को नंगा देखने को तरसता था और जिसके ब्रा चाटता था, उनके मैंने बड़े धीरे धीरे से ब्लाऊज के हुक खोले और अब चाची की नंगी पीठ पर सिर्फ़ काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे।
मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथों पर लेकर चाची की पीठ पर मलना चालू किया पर बार बार चाची की काली ब्रा के स्ट्रैप दिक्कत दे रहे थे।
मैंने मीना चाची को बोला कि "चाची आपकी पूरी ब्रा खराब हो रही है और मालीश करने में भी दिक्कत हो रही है।"
तब मीना चाची बोली कि “तू मेरे ब्रा के स्ट्रैप खोल दे।”
मीना चाची के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड तो झटके लेने लगा। मैंने भी बड़े ही प्यार से ब्रा के हुक खोल दिये। पहली बार इतने पास से मैं मीना चाची की चिकनी सुन्दर पीठ देख रहा था। मैं उस नंगी पीठ पर धीरे धीरे तेल से मालीश करने लगा।
थोड़ी देर बाद मीना चाची बोली "गोलू जरा मेरे नीचे भी मालीश कर दे।”
मैंने कहा “चाची कहाँ करूँ" तो मीना चाची बिना किसी शरम के बोलीं की “मेरे चुतड़ों की और किसकी।”
मैंने भी सोचा मौका अच्छा है और मैंने कहा पर उसके लिए तो आपका पेटीकोट उतारना पड़ेगा।”
तब चाची बोली "जा कर अच्छे से पहले दरवाजा बंद कर आ।"
मैं जल्दी जाके दरवाजा बंद कर के आया तो देखा मीना चाची पहले से ही अपना पेटीकोट उतार कर पिंक चड्डी और काली ब्रा को अपने हाथों से दबाए, पेट के बल उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई थीं।
मैंने तेल लेकर धीरे धीरे चाची की मस्त टाँगों की और उन मस्ताने मोटे चूतड़ों की मालिश चालू कर दी।
मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की वो मीना चाची जिसका नाम लेकर मैं रात भर मुठ मारता था, एक दिन ब्रा और चड्डी में मेरे समने लेट कर मेरे हाथ से अपनी मालीश करवाऐंगी।
मालीश करते करते जब मैं मीना चाची की जाँघों पर पहुँचा तो मेरे हाथ बार बार चड्डी के ऊपर से मीना चाची की कसी हुई चूत की मछलियों से टच हो रहे थे जो मुझे एक अजीब तरह का आनन्द दे रहे थे।
मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैंने मीना चाची की चड्डी के साइड से अपनी एक उंगली धीरे धीरे अंदर डाली और मीना चाची की चूत पर उंगली फेरने लगा।
मीना चाची की चूत एक दम बिना बाल की थी और उसकी साफ़्टनैस से मालूम हो रहा था की चाची शेव नहीं बल्कि हेयर रिमूवर से अपनी चूत के बाल साफ़ करती थीं।
तभी अचानक चाची सीधी हुई और अपनी काली ब्रा को छोड़ के एक चाँटा मेरे गाल पर मार दिया और बोली "मादरचोद, तुझे शरम नहिं आती मेरी बूर में उंगली डालते हुए।"
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