Ek aur Arjun ki jhalak apne is kahani me ke chandan me dikhai hai sir.
Takriban aadha darjan baar aapke sandesh aur samiksha ko padhq ho bhai aur muskurya us se doguna. Bas jawaab na de saka kyonki ek toh jiwan vyast aur upar se mausam ne kiya hua alag trast.अपडेट १.
कहानी में दो चौराहे का जिक्र है जिसमें एक में चंदन के पिता की मौत हुई थी और दूसरे में भुत प्रेत का बसेरा जान पड़ता है । जहां चंदन के पिता मनोहर की मौत हुई थी वो चौराहा कुछ सस्पेंस लिए हुए प्रतीत होता लग रहा है और जहां झमरू और छगन की मौत हुई थी वो सच में भुतिया दिख रहा है । चूंकि कहानी में भुत प्रेत का भी टैग लगा हुआ है तो यह मानकर ही चलते हैं कि सच में भुत प्रेत का अस्तित्व उस चौराहे पर है ।
कहानी की शुरुआत अंग्रेजों के शासनकाल से शुरू होती है जब यहां के वायसराय लॉर्ड कर्जन हुआ करते थे । शायद १९०२ में कर्जन ही वायसराय रहे होंगे !
कहानी का नायक अठारह वर्षीय चंदन है जिसे पागल , मंदबुद्धि और अनाथ जैसे शब्दों से सम्बोधित किया जाता है पर मुझे अभी तक कहीं से भी ऐसा नहीं लगा । उसकी बातें और उसकी सोच से मुझे ऐसा कभी भी नहीं लगा ।
अनुराधा और उसके लड़के के साथ जैसा सलूक शहर में किया गया वो बहुत ही खराब था । उसे ही उसके पति के मौत का कारण माना गया । एक विधवा की जिंदगी और उस पर इतनी वाहियात लाछन ! बहुत ही बुरा था यह ।
बिल्लियों को घर में पालने के बारे में " आलु भाई " की बात से मैं भी सहमत हूं । पर पालतू बिल्ली घर में उतना नुकसान नहीं करती जितना दगाबाज दोस्त कर बैठते हैं । इसके अलावा " फ्लैग " नामक महामारी से बचाने में भी इनका अहम योगदान रहा है ।
अनुराधा की मां जानकी देवी ने जो झमरू कुम्हार और छगन जुलाहे के फैमिली के साथ किया उससे तो उन्होंने हमारा दिल ही जीत लिया । दोनों अपनी गरीबी नामक महा बिमारी से पीड़ित थे । उन्हें एक आशा की किरण दिखाई दी । उन्होंने कोशिश भी किया पर अपने जीवन रूपी दिए की लौ को बुझने से बचाने में कामयाब नहीं हो पाए ।
अंग्रेजी अफसर ने अनुराधा को उसके पति के मौत के एक साल बाद आर्थिक मदद दिया । ये पैसे पहले मिले होते तो इनकी आर्थिक परेशानियां दूर ही हो गई होती । शायद अनुराधा एक खुदगर्जी औरत है इसलिए उसने पैसे लेने से मना किया होगा पर अपने पति के कमाई पर पत्नी का हक तो बनता ही है । सौ चांदी के सिक्के और दो सोने के सिक्के । उस जमाने के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी यह ।
चौराहे पर दिए जलाने का जो कारण बताया था चंदन ने वो बहुत ही बढ़िया लगा । हमेशा के लिए उस चौराहे से बिदा होते वक्त जहां उसके पिता की मृत्यु हुई थी , उसे हाथ जोड़कर प्रणाम करते देख भी मन को भा गया ।
चंदन के लिए मनसुख काका की बात को मैं भी दोहराना चाहूंगा -" अंधकार में तुम जरूर राह दिखाने वाले चांद बनोगे । "
कहानी में सब कुछ अव्वल दर्जे का था । परिस्थितियों को बहुत ही खूबसूरती से दिखाया है आपने । सियार की " हुवां हुवां " वाली आवाज से तो मैं भी परिचित हूं । टमटम जिसे हम गांव में " ऐका " कहते थे का जिक्र पुरानी यादें ताजा करने वाला था । कहानी पढ़ने के बाद कहीं कहीं मन इमोशनल भी हुआ , खासतौर पे अनुराधा और चंदन की बातों के दौरान और झमरू और छगन की फैमिली के लिए ।
बहुत ही खूबसूरत और आउटस्टैंडिंग अपडेट भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
Arjun, Chandan, Surja, Rameshwar, Shankar, Sudarshan.. ye sabhi kahi na kahi har insaan me he rehte hai bhai. Ye hum par hai ki hum jiwan ko kaise swikaar karte aur behtar banate hai.Ek aur Arjun ki jhalak apne is kahani me ke chandan me dikhai hai sir.
Jahan se DAAR shuru hota he vahan se hum saye ki tarah sath chalte heBhaiya hum to anth tak saath chalne ko taiyar hai bas bas aap aage rahe kyunki....... Hume darrlagta hai
Absolutely right sir jiArjun, Chandan, Surja, Rameshwar, Shankar, Sudarshan.. ye sabhi kahi na kahi har insaan me he rehte hai bhai. Ye hum par hai ki hum jiwan ko kaise swikaar karte aur behtar banate hai.
Professionalism to hota hi he namatlab marketing kaise karni hai .. ye to pandat ko bakhoobi aata hai .. abhi kahani likhni bhi shuru nahi kari .. aur abhi se 200 update ka chart bana dala .. utsukta ko hawa kaise deni hai ye koi aapse seekhe ...
muzhe to laga tha ki iska tag 'horror' hoga .. magar ispe bhi 'incest' chaspa kar diya ... waah
Kaha se dhundh late ho Samir bhai
Daar gaye bhaiMaaf krna bhai Par ye Story mujy kuch pand nhi i
Mujhe lagta he ki aap Hero ke rup me Jamsbond se jyada prabhabit he,ha ha ha......I think jo larka story mai dikhaya gya hy wo hero hy
Agar Aisa hy to Mujy Hero aikDm Bakwas lga
Don't Mind plz