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Jindagi chali ja rahi he ,hum bhi chalte ja rahe he,
Manzil na ho jaise mirage ho maya ka,
Jindagi chali ja rahi he hum bhi chalte ja rahe he...
Thakta hu,girta hu ,kapde zaad ke uth ke chalne lagta hu,
Manjil kya he, kaha hai pata nahi par me rukta nahi,
kyonki ?
Jindagi chali ja rahi he hum bhi chalte ja rahe he...
Kabhi sochu paisa he meri manjil he, to pyar kya he ?
Agar pyar he mera mukaddar he to mere sapne kya sirf sapne hai ?
kabhi dil tadapta he kehta he ke bana le kisi ko apna humsafar ,pyar kar use...
par dimag kehta he kabhi khud se pyar kiya he jo kisi aur se karega ?
Kyonki...
Jindagi chali ja rahi he hum bhi chalte ja rahe he...
Ye kaise manjil hai meri jiska rasta khatam he nahi hota ?
Ye kaisa safar he mera jaha koi milta he do pyar ki bunde chhidakta he aur wapas chala jata hai ?
Ye kaisa safar he mera jaha sirf suffer kar raha hu me ?
kyo ye Jindagi chali ja rahi he hum bhi chalte ja rahe he ?
Ye kaun log he mere sath jo milte he, haste he ,ruthate he,haste he, Dil tod ke jod kar anjan bante he ?
Aisa konsa paap kiya he humne jo iss akelepan ki saja hume mili ?
Sab kuchh samne ho ke bhi ghut-ghut ke jiye ja rahe hai hum .
Aisi bhi kya Dillagi he teri ae jindagi jo tu chali ja rahi he hum bhi chalte ja rahe he ?
Abhi ke liye itna he ,baki shayari kisi aur din puri karenge jyada serious nahi hone ka .
दिल , धड़कन और जिंदगी
फ्यू वर्ड्स फ्रॉम हार्ट/ब्रेन जो भी तुम कहो -
जिंदगी चली जा रही हे ,हम भी चलते जा रहे हे,
मंज़िल ना हो जैसे मिराज हो माया का,
जिंदगी चली जा रही हे हम भी चलते जा रहे हे...
थकता हू,गिरता हू ,कपड़े झाड़ के उठ के चलने लगता हू,
मंज़िल क्या हे, कहा है पता नही पर मे रुकता नही,
क्योंकि ?
जिंदगी चली जा रही हे हम भी चलते जा रहे हे...
कभी सोचु पैसा हे मेरी मंज़िल हे, तो प्यार क्या हे ?
अगर प्यार हे मेरा मुक़द्दर हे तो मेरे सपने क्या सिर्फ़ सपने है ?
कभी दिल तड़प्ता हे कहता हे के बना ले किसी को अपना हमसफर ,प्यार कर उसे...
पर दिमाग़ कहता हे कभी खुद से प्यार किया हे जो किसी और से करेगा ?
क्योंकि...
जिंदगी चली जा रही हे हम भी चलते जा रहे हे...
ये कैसे मंज़िल है मेरी जिसका रास्ता ख़तम हे नही होता ?
ये कैसा सफ़र हे मेरा जहा कोई मिलता हे दो प्यार की बूंदे छिदकता हे और वापस चला जाता है ?
ये कैसा सफ़र हे मेरा जहा सिर्फ़ सफ्फर कर रहा हू मै ?
क्यो ये जिंदगी चली जा रही हे हम भी चलते जा रहे हे ?
ये कौन लोग हे मेरे साथ जो मिलते हे, हस्ते हे ,रूठते हे,हस्ते हे, दिल तोड़ के जोड़ कर अंजान बनते हे ?
ऐसा कोनसा पाप किया हे हमने जो इस्स अकेलेपन की सज़ा हमे मिली ?
सब कुछ सामने हो के भी घुट-घुट के जिए जा रहे है हम .
ऐसी भी क्या दिल्लगी हे तेरी ए जिंदगी जो तू चली जा रही हे हम भी चलते जा रहे हे ?
अभी के लिए इतना हे ,बाकी शायरी किसी और दिन पूरी करेंगे ज़्यादा सीरीयस नही होने का : .