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पहले इश्क़ को आग होने दीजिए,
फिर दिल को राख होने दीजिए,
तब जाकर पकेगी बेपनाह मोहब्बत,
जो भी हो रहा बेहिसाब होने दीजिए,
सजाएं मुकर्रर करना इत्मिनान से,
मगर पहले कोई गुनाह होने दीजिए,
मैं भूला नहीं बस थोड़ा थक गया हु,
लौट आऊंगा घर शाम होने दीजिए,
चाँद के दीदार की चाहत दिन में जगी है,
आयेगा नज़र वो, रात होने दीजिए,
जो नदियां सूख गयी हैं इंतज़ार में,
वो भी भरेंगी बस बरसात होने दीजिए,
नासमझ, पागल, लापरवाह, बंजारा हु मैं,
संभल जाउंगा मैं वो भी एहसास होने दीजिए...
फिर दिल को राख होने दीजिए,
तब जाकर पकेगी बेपनाह मोहब्बत,
जो भी हो रहा बेहिसाब होने दीजिए,
सजाएं मुकर्रर करना इत्मिनान से,
मगर पहले कोई गुनाह होने दीजिए,
मैं भूला नहीं बस थोड़ा थक गया हु,
लौट आऊंगा घर शाम होने दीजिए,
चाँद के दीदार की चाहत दिन में जगी है,
आयेगा नज़र वो, रात होने दीजिए,
जो नदियां सूख गयी हैं इंतज़ार में,
वो भी भरेंगी बस बरसात होने दीजिए,
नासमझ, पागल, लापरवाह, बंजारा हु मैं,
संभल जाउंगा मैं वो भी एहसास होने दीजिए...