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Update 9
लाला ने रश्मी की आशा के अनुसार कुछ नही किया और फिर से अपनी गेम के अंदर घुस गया..हज़ार के दो नोट लिए और उन्हे लंड से मसल कर नीचे फेंक दिया.
रश्मी थोड़ी हैरान ज़रूर हुई पर फिर ये सोचकर की शायद वो मोनू के नीचे बैठे होने की वजह से घबरा रहा है, इसलिए कुछ नही कर रहा ..
रश्मी : "अब शायद मोनू उपर नही आएगा...वो सब पीने मे मस्त हो चुके हैं..''
जैसे वो लाला को ये बताना चाहती हो की कर ले घोंचू , जो भी करना है, मोनू नही आने वाला अब उपर..
लाला भी उसकी बात का मतलब समझ गया, फिर भी उसने बात घुमा दी और बोला : "हाँ ...पर उसका अपना घर है, कभी भी आ सकता है...ऐसे खेल के बीच में डिस्टर्ब नही होना चाहता मैं बार -2...''
रश्मी समझ नही पा रही थी की उसके मन मे आख़िर चल क्या रहा है...ऐसा भी कोई चूतिया होता है क्या जो एक लड़की के नंगे मुम्मे को देखकर भी अडिग रहे...और वो भी लाला जैसा हरामी, जो उसे देखकर गली में भी छेड़ता था...और अब जब वो खुद उसके सामने ऐसी हालत मे बैठी है, वो साधु बना बैठा है.
रश्मी ने भी ठान लिया की वो भी रम्भा बनकर इस विश्वामित्र की तपस्या भंग करके दिखाएगी..
पर अब तक बीच मे काफ़ी पैसे इकट्ठे हो चुके थे...और वो ये भी देखना चाहती थी की इस बार उसका टोटका सही काम कर रहा है या नही..इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..
उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गयी...और इसी खुशी मे उसने अपने दूसरे मुम्मे को भी बाहर खींच निकाला और लाला की अदालत के सामने नंगा कर दिया..
अब तो लाला का ईमान बुरी तरह से डोलने लगा..सिर्फ़ गले वाले हिस्से से बाहर निकालने की वजह से उसके दोनो मुम्मे अकड़ से गये थे...और उसे जिप भी चुभ रही थी उनपर..वो कभी इधर से तो कभी उधर से उन्हे सहलाने लगी..
लाला का ध्यान उसके मुम्मों के साथ-2 गेम पर भी. था..रश्मी की तरफ से चाल आती देखकर उसने भी पत्ते उठा लिए..उसके पास चिड़ी का कलर आया था..उसने भी अपने लंड से रगड़कर 4 हज़ार की चाल चल दी..
चाल के उपर चाल आती देखकर रश्मी डर गयी...अब इतना तो वो समझने ही लगी थी की ऐसी हालत मे गेम किसी की भी हो सकती है...वैसे भी एक पेयर ही तो आया था उसके पास और वो भी काफ़ी बड़ा नही था..इसलिए उसने मन मसोस कर शो माँग लिया..और अपने दोनो मुम्मों से अच्छी तरह से पैसे रगड़ने के बाद उन्हे नीचे फेंक दिया..
उत्तेजना और उपर से लगातार मिल रही रगड़ाई से उसके निप्पल लाल हो चुके थे...और बुरी तरह से अकड़ भी गये थे..रश्मी को हल्का -2 दर्द भी होने लगा था उनमे..जो किसी के दबाने से ही निकलने वाला था..
रश्मी ने अपने पत्ते लाला के सामने फेंक दिए..
बीच मे लगभग 30 हज़ार रुपय थे..
लाला ने उसके पत्ते देखे..उसके पत्ते तो बड़े थे ही..इसलिए वो जीत ही चुका था ये गेम ..पर इस समय उसे इन पैसों से ज़्यादा अपने प्लान की चिंता थी...जिसे अपनाकर वो उसे धीरे-2 नंगा कर देना चाहता था..
लाला ने उसके पत्ते देखे और अपने पत्ते बिना उसे दिखाए उल्टे करके वापिस गड्डी में रख दिए और बोला : "ओह्ह्ह्ह .....ये गेम तो तुम जीत गयी...''
और खुशी से फूली ना समाते हुए रश्मी ने एक बार और जोरदार चीख मारकर वो सारे पैसे अपनी तरफ खींच लिए..लाला के पत्ते देखने की उसने भी जहमत नही उठाई...उसके मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे...लाला ने जान बूझकर ये गेम हारी थी..ताकि रश्मी यही समझे की अपने मुम्मे नंगे करने वाले टोटके की वजह से ही वो ये बाजी जीती है..
लाला (थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए) : "तुम अपने टोटके मुझसे ज़्यादा चला रही हो अब...मैं भी देखता हू की अगली गेम तुम कैसे जीतोगी ..''
इतना कहते हुए उसने अपनी पूरी की पूरी पेंट और साथ मे अंडरवीयर भी उतार दिया
अब वो नीचे से नंगा होकर बैठा था रश्मी के सामने..
रश्मी ने पत्ते बाँटे और लाला के नंगे बदन को निहारती रही...उसका तो बस मन कर रहा था की टूट पड़े वो लाला के उपर..पर उससे पहले वो उसके बचे हुए पैसों को जीतना चाहती थी...अभी भी लाला के पास लगभग 20 हज़ार रूपए बचे थे...और रश्मी ने ये सोच लिया था की वो इसी गेम में वो सारे पैसे जीत लेगी..
और उसके बाद वो करेगी सब...जिसे सोचकर ही उसकी चूत से पानी निकले जा रहा है...
पर उससे पहले वो खेल को थोड़ा और गर्म करना चाहती थी..ताकि लाला जो अपनी तरफ से ये ड्रामे कर रहा है, वो बंद कर दे..और उसपर टूट पड़े, इसलिए जैसे ही उसकी ब्लाइंड की बारी आई, उसने अपनी टी शर्ट को उपर उठाया और गले से घुमा कर निकाल फेंका..
अब वो टॉपलेस होकर बैठी थी लाला के सामने.
..अपने मुम्मो के नीचे हाथ रखकर उसने अपने दोनों कंधारी अनार लाला की भुखी आँखों के सामने फ्रूट बास्केट की तरह परोस दिए
लाला ने अपने हाथ मे हज़ार का नोट पकड़ा हुआ था, जिसे वो अपने लंड पर घिस रहा था..रश्मी के टॉपलेस होते ही वो उसकी सुंदरता देखता रह गया...और कब उसके हाथ से नोट निकल कर गिर गया उसे भी पता नही चला..
और वो उसके उपर से नंगे बदन को देखते हुए ज़ोर-2 से मूठ मारने लगा..
रश्मी भी उसकी हालत देखकर मुस्कुरा दी..रश्मी ने भी उसकी हालत पर दया दिखाते हुए अपने हाथ पूरी तरह से अपने स्तनों से हटा लिए , नग्न सुंदरता की मूरत लग रही थी इस समय रश्मी
अब खेल सच मे काफ़ी गर्म हो चुका था.
लाला जिस लड़की को एक बार देखने के लिए तरसता था, आज वो उसके सामने लगभग नंगी बैठी हुई थी...
पैसों में कितनी ताक़त होती है ये आज उसे पता चला..पर पैसों के साथ -2 लंड में भी जान होनी चाहिए, तभी लड़कियां आकर्षित होती है..
पर रश्मी को ऐसी हालत में अपने सामने बैठा देखकर लाला के हाथ मचल उठे, उसने जैसे ही अपने हाथ आगे करते हुए रश्मी के स्तनों तक पहुँचाए, रश्मी ने उसे टोक दिया और बोली : "ना जी ना, इतनी जल्दी नही, गेम पर ध्यान दो पहले... मैं जब खुश होउंगी , तभी तुम इसे छू पाओगे...''
लाला : "और तुम खुश कैसे होगी ??"
रश्मी (अपने दाँत दिखाते हुए) : "जब मैं जीतूँगी अगली बाजी ...''
रश्मी ने बड़ी ही चालाकी से लाला के सामने अपनी शर्त रख दी... मज़े और पैसे एक साथ लेने के मूड मे थी रश्मी..
लाला को भला क्या परेशानी हो सकती थी, अभी तक का खेल जिस तरह से चल रहा था, उसके हिसाब से ही उसको काफ़ी मज़ा मिल चुका था..
लाला : "लेकिन अगली बाजी मैं जीत गया तो...''
रश्मी : "तो तुम्हे मुझे छूने के लिए वो जीते हुए पैसे मुझे देने होंगे..''
यानी रश्मी मज़ा और पैसे दोनों लेना चाहती थी...उसकी इस शर्त के अनुसार तो दोनो ही सूरत में पैसे उसके पास पहुँचने वाले थे..
अब खेल सच मे रोमांचक हो चुका था.
4-4 ब्लाइंड चलने के बाद लाला ने अपने पत्ते उठा लिए...उसे तो हर गेम के ख़त्म होने की जल्दी थी..क्योंकि अगर वो जीतेगा तो अपने पैसे रश्मी को देकर , या फिर हारेगा तो भी रश्मी की खुशी को देखकर वो मज़े लेना चाहता था.
लाला के पास सिर्फ़ इक्का ही आया था, बाकी के दोनों छोटे पत्ते थे..
उसने झट से शो माँग लिया..अभी बीच मे सिर्फ़ 10 हज़ार रुपय थे..लाला ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए.
रश्मी ने भी अपने पत्ते उठाए..उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी..उसके पत्ते तो लाला से भी बेकार थे..उसने जब अपने पत्ते लाला के सामने रखे तो लाला भी हंस दिया..उसके पास 4,6,9 नंबर आए थे..
लाला ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..फिर उन नोटों की गड्डी बना कर उसने रश्मी की तरफ बड़ा दिया और बोला : "अब तो छू सकता हूँ ना...इन पैसों के बदले..''
रश्मी के होंठ लरज कर रह गये...उसने लाला के हाथ से पैसे ले लिए..और उन्हे फिर से अपनी जाँघ के नीचे दबा लिया.
लाला : "अब इधर आओ...मेरे पास...''
लाला ने अपनी उंगली का इशारा करके रश्मी को अपनी तरफ बुलाया..
वो बेचारी मना भी नही कर पाई...आख़िर उसने पैसे जो दिए थे..
वो अपनी सीट से उठी और धीरे-2 चलती हुई लाला के पीछे जाकर खड़ी हो गयी...लाला अपने लंड को मसलता हुआ उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा था..और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसने अपना सिर उपर करके उसकी आँखो में देखा और बोला : "नीचे करो इन्हे...''
वो उसपर ऐसे हुक्म चला रहा था जैसे 10 हज़ार मे उसने उसके मुम्मों को खरीद लिया है..पर रश्मी भी उसकी बात मान रही थी, क्योंकि अंदर ही अंदर वो भी तो इस मज़े को महसूस करना चाहती थी...हारने के बाद 10 हज़ार भी वापिस मिल गये और अब मज़ा भी मिलेगा, ऐसा सौदा तो रश्मी को काफ़ी उत्साहित कर रहा था..
रश्मी धीरे से नीचे झुकी और लाला ने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह के अंदर घुस गये और लाला उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ उसने रश्मी के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा..
कुल मिलाकर वो अपने 10 हज़ार रुपय सही तरीके से वसूल कर रहा था..
रश्मी तो उसके हमले से कराह उठी...एक तो उसके दाँत काफ़ी तेज थे और उपर से वो काफ़ी एक्ससाईटिड भी था,पैसे देकर वो रश्मी के जिस्म पर कुछ देर के लिए ही सही पर अपना पूरा अधिकार जता रहा था...
लाला ने उसके निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था...और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही लाला ने उसकी चूत की तरफ हाथ बदाया, रश्मी छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना ....इतने में सिर्फ़ इतना ही मिलेगा...''
और वो अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसको चिढ़ाती हुई वापिस अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी..
लाला भी सोचने लगा की इतनी उत्तेजना बढ़ाने के बाद भी वो कैसे कंट्रोल कर पा रही है...आज तक जितनी भी लड़कियों की उसने चुदाई की थी, वो तो सिर्फ़ उसके हाथ लगाने भर की वेट करती थी...और खुद ब खुद नंगी होकर उसके लंड पर टूट पड़ती थी...रश्मी ना जाने किस मिट्टी की बनी थी..कभी तो उसकी आँखो मे सेक्स की भूख एकदम साफ़ दिखाई देती थी..और कभी वो एकदम से पीछे होकर उसपर कंट्रोल करती दिखाई देती थी..
लाला ने रश्मी की आशा के अनुसार कुछ नही किया और फिर से अपनी गेम के अंदर घुस गया..हज़ार के दो नोट लिए और उन्हे लंड से मसल कर नीचे फेंक दिया.
रश्मी थोड़ी हैरान ज़रूर हुई पर फिर ये सोचकर की शायद वो मोनू के नीचे बैठे होने की वजह से घबरा रहा है, इसलिए कुछ नही कर रहा ..
रश्मी : "अब शायद मोनू उपर नही आएगा...वो सब पीने मे मस्त हो चुके हैं..''
जैसे वो लाला को ये बताना चाहती हो की कर ले घोंचू , जो भी करना है, मोनू नही आने वाला अब उपर..
लाला भी उसकी बात का मतलब समझ गया, फिर भी उसने बात घुमा दी और बोला : "हाँ ...पर उसका अपना घर है, कभी भी आ सकता है...ऐसे खेल के बीच में डिस्टर्ब नही होना चाहता मैं बार -2...''
रश्मी समझ नही पा रही थी की उसके मन मे आख़िर चल क्या रहा है...ऐसा भी कोई चूतिया होता है क्या जो एक लड़की के नंगे मुम्मे को देखकर भी अडिग रहे...और वो भी लाला जैसा हरामी, जो उसे देखकर गली में भी छेड़ता था...और अब जब वो खुद उसके सामने ऐसी हालत मे बैठी है, वो साधु बना बैठा है.
रश्मी ने भी ठान लिया की वो भी रम्भा बनकर इस विश्वामित्र की तपस्या भंग करके दिखाएगी..
पर अब तक बीच मे काफ़ी पैसे इकट्ठे हो चुके थे...और वो ये भी देखना चाहती थी की इस बार उसका टोटका सही काम कर रहा है या नही..इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..
उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गयी...और इसी खुशी मे उसने अपने दूसरे मुम्मे को भी बाहर खींच निकाला और लाला की अदालत के सामने नंगा कर दिया..
अब तो लाला का ईमान बुरी तरह से डोलने लगा..सिर्फ़ गले वाले हिस्से से बाहर निकालने की वजह से उसके दोनो मुम्मे अकड़ से गये थे...और उसे जिप भी चुभ रही थी उनपर..वो कभी इधर से तो कभी उधर से उन्हे सहलाने लगी..
लाला का ध्यान उसके मुम्मों के साथ-2 गेम पर भी. था..रश्मी की तरफ से चाल आती देखकर उसने भी पत्ते उठा लिए..उसके पास चिड़ी का कलर आया था..उसने भी अपने लंड से रगड़कर 4 हज़ार की चाल चल दी..
चाल के उपर चाल आती देखकर रश्मी डर गयी...अब इतना तो वो समझने ही लगी थी की ऐसी हालत मे गेम किसी की भी हो सकती है...वैसे भी एक पेयर ही तो आया था उसके पास और वो भी काफ़ी बड़ा नही था..इसलिए उसने मन मसोस कर शो माँग लिया..और अपने दोनो मुम्मों से अच्छी तरह से पैसे रगड़ने के बाद उन्हे नीचे फेंक दिया..
उत्तेजना और उपर से लगातार मिल रही रगड़ाई से उसके निप्पल लाल हो चुके थे...और बुरी तरह से अकड़ भी गये थे..रश्मी को हल्का -2 दर्द भी होने लगा था उनमे..जो किसी के दबाने से ही निकलने वाला था..
रश्मी ने अपने पत्ते लाला के सामने फेंक दिए..
बीच मे लगभग 30 हज़ार रुपय थे..
लाला ने उसके पत्ते देखे..उसके पत्ते तो बड़े थे ही..इसलिए वो जीत ही चुका था ये गेम ..पर इस समय उसे इन पैसों से ज़्यादा अपने प्लान की चिंता थी...जिसे अपनाकर वो उसे धीरे-2 नंगा कर देना चाहता था..
लाला ने उसके पत्ते देखे और अपने पत्ते बिना उसे दिखाए उल्टे करके वापिस गड्डी में रख दिए और बोला : "ओह्ह्ह्ह .....ये गेम तो तुम जीत गयी...''
और खुशी से फूली ना समाते हुए रश्मी ने एक बार और जोरदार चीख मारकर वो सारे पैसे अपनी तरफ खींच लिए..लाला के पत्ते देखने की उसने भी जहमत नही उठाई...उसके मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे...लाला ने जान बूझकर ये गेम हारी थी..ताकि रश्मी यही समझे की अपने मुम्मे नंगे करने वाले टोटके की वजह से ही वो ये बाजी जीती है..
लाला (थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए) : "तुम अपने टोटके मुझसे ज़्यादा चला रही हो अब...मैं भी देखता हू की अगली गेम तुम कैसे जीतोगी ..''
इतना कहते हुए उसने अपनी पूरी की पूरी पेंट और साथ मे अंडरवीयर भी उतार दिया
अब वो नीचे से नंगा होकर बैठा था रश्मी के सामने..
रश्मी ने पत्ते बाँटे और लाला के नंगे बदन को निहारती रही...उसका तो बस मन कर रहा था की टूट पड़े वो लाला के उपर..पर उससे पहले वो उसके बचे हुए पैसों को जीतना चाहती थी...अभी भी लाला के पास लगभग 20 हज़ार रूपए बचे थे...और रश्मी ने ये सोच लिया था की वो इसी गेम में वो सारे पैसे जीत लेगी..
और उसके बाद वो करेगी सब...जिसे सोचकर ही उसकी चूत से पानी निकले जा रहा है...
पर उससे पहले वो खेल को थोड़ा और गर्म करना चाहती थी..ताकि लाला जो अपनी तरफ से ये ड्रामे कर रहा है, वो बंद कर दे..और उसपर टूट पड़े, इसलिए जैसे ही उसकी ब्लाइंड की बारी आई, उसने अपनी टी शर्ट को उपर उठाया और गले से घुमा कर निकाल फेंका..
अब वो टॉपलेस होकर बैठी थी लाला के सामने.
..अपने मुम्मो के नीचे हाथ रखकर उसने अपने दोनों कंधारी अनार लाला की भुखी आँखों के सामने फ्रूट बास्केट की तरह परोस दिए
लाला ने अपने हाथ मे हज़ार का नोट पकड़ा हुआ था, जिसे वो अपने लंड पर घिस रहा था..रश्मी के टॉपलेस होते ही वो उसकी सुंदरता देखता रह गया...और कब उसके हाथ से नोट निकल कर गिर गया उसे भी पता नही चला..
और वो उसके उपर से नंगे बदन को देखते हुए ज़ोर-2 से मूठ मारने लगा..
रश्मी भी उसकी हालत देखकर मुस्कुरा दी..रश्मी ने भी उसकी हालत पर दया दिखाते हुए अपने हाथ पूरी तरह से अपने स्तनों से हटा लिए , नग्न सुंदरता की मूरत लग रही थी इस समय रश्मी
अब खेल सच मे काफ़ी गर्म हो चुका था.
लाला जिस लड़की को एक बार देखने के लिए तरसता था, आज वो उसके सामने लगभग नंगी बैठी हुई थी...
पैसों में कितनी ताक़त होती है ये आज उसे पता चला..पर पैसों के साथ -2 लंड में भी जान होनी चाहिए, तभी लड़कियां आकर्षित होती है..
पर रश्मी को ऐसी हालत में अपने सामने बैठा देखकर लाला के हाथ मचल उठे, उसने जैसे ही अपने हाथ आगे करते हुए रश्मी के स्तनों तक पहुँचाए, रश्मी ने उसे टोक दिया और बोली : "ना जी ना, इतनी जल्दी नही, गेम पर ध्यान दो पहले... मैं जब खुश होउंगी , तभी तुम इसे छू पाओगे...''
लाला : "और तुम खुश कैसे होगी ??"
रश्मी (अपने दाँत दिखाते हुए) : "जब मैं जीतूँगी अगली बाजी ...''
रश्मी ने बड़ी ही चालाकी से लाला के सामने अपनी शर्त रख दी... मज़े और पैसे एक साथ लेने के मूड मे थी रश्मी..
लाला को भला क्या परेशानी हो सकती थी, अभी तक का खेल जिस तरह से चल रहा था, उसके हिसाब से ही उसको काफ़ी मज़ा मिल चुका था..
लाला : "लेकिन अगली बाजी मैं जीत गया तो...''
रश्मी : "तो तुम्हे मुझे छूने के लिए वो जीते हुए पैसे मुझे देने होंगे..''
यानी रश्मी मज़ा और पैसे दोनों लेना चाहती थी...उसकी इस शर्त के अनुसार तो दोनो ही सूरत में पैसे उसके पास पहुँचने वाले थे..
अब खेल सच मे रोमांचक हो चुका था.
4-4 ब्लाइंड चलने के बाद लाला ने अपने पत्ते उठा लिए...उसे तो हर गेम के ख़त्म होने की जल्दी थी..क्योंकि अगर वो जीतेगा तो अपने पैसे रश्मी को देकर , या फिर हारेगा तो भी रश्मी की खुशी को देखकर वो मज़े लेना चाहता था.
लाला के पास सिर्फ़ इक्का ही आया था, बाकी के दोनों छोटे पत्ते थे..
उसने झट से शो माँग लिया..अभी बीच मे सिर्फ़ 10 हज़ार रुपय थे..लाला ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए.
रश्मी ने भी अपने पत्ते उठाए..उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी..उसके पत्ते तो लाला से भी बेकार थे..उसने जब अपने पत्ते लाला के सामने रखे तो लाला भी हंस दिया..उसके पास 4,6,9 नंबर आए थे..
लाला ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..फिर उन नोटों की गड्डी बना कर उसने रश्मी की तरफ बड़ा दिया और बोला : "अब तो छू सकता हूँ ना...इन पैसों के बदले..''
रश्मी के होंठ लरज कर रह गये...उसने लाला के हाथ से पैसे ले लिए..और उन्हे फिर से अपनी जाँघ के नीचे दबा लिया.
लाला : "अब इधर आओ...मेरे पास...''
लाला ने अपनी उंगली का इशारा करके रश्मी को अपनी तरफ बुलाया..
वो बेचारी मना भी नही कर पाई...आख़िर उसने पैसे जो दिए थे..
वो अपनी सीट से उठी और धीरे-2 चलती हुई लाला के पीछे जाकर खड़ी हो गयी...लाला अपने लंड को मसलता हुआ उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा था..और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसने अपना सिर उपर करके उसकी आँखो में देखा और बोला : "नीचे करो इन्हे...''
वो उसपर ऐसे हुक्म चला रहा था जैसे 10 हज़ार मे उसने उसके मुम्मों को खरीद लिया है..पर रश्मी भी उसकी बात मान रही थी, क्योंकि अंदर ही अंदर वो भी तो इस मज़े को महसूस करना चाहती थी...हारने के बाद 10 हज़ार भी वापिस मिल गये और अब मज़ा भी मिलेगा, ऐसा सौदा तो रश्मी को काफ़ी उत्साहित कर रहा था..
रश्मी धीरे से नीचे झुकी और लाला ने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह के अंदर घुस गये और लाला उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ उसने रश्मी के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा..
कुल मिलाकर वो अपने 10 हज़ार रुपय सही तरीके से वसूल कर रहा था..
रश्मी तो उसके हमले से कराह उठी...एक तो उसके दाँत काफ़ी तेज थे और उपर से वो काफ़ी एक्ससाईटिड भी था,पैसे देकर वो रश्मी के जिस्म पर कुछ देर के लिए ही सही पर अपना पूरा अधिकार जता रहा था...
लाला ने उसके निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था...और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही लाला ने उसकी चूत की तरफ हाथ बदाया, रश्मी छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना ....इतने में सिर्फ़ इतना ही मिलेगा...''
और वो अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसको चिढ़ाती हुई वापिस अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी..
लाला भी सोचने लगा की इतनी उत्तेजना बढ़ाने के बाद भी वो कैसे कंट्रोल कर पा रही है...आज तक जितनी भी लड़कियों की उसने चुदाई की थी, वो तो सिर्फ़ उसके हाथ लगाने भर की वेट करती थी...और खुद ब खुद नंगी होकर उसके लंड पर टूट पड़ती थी...रश्मी ना जाने किस मिट्टी की बनी थी..कभी तो उसकी आँखो मे सेक्स की भूख एकदम साफ़ दिखाई देती थी..और कभी वो एकदम से पीछे होकर उसपर कंट्रोल करती दिखाई देती थी..
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