क्योंकि जो चाल रश्मी के दिमाग़ में थी, उसके हिसाब से अगली गेम अगर उसके हिसाब से चली तो सबके लंड के साथ-2 वो उनके पैसे भी अंदर ले लेगी..
रश्मी ने रुची से कहा : "चलो, जाकर सभी को विश करो...''
रश्मी किसी मालकिन की तरह उस स्लेव बनी रुची पर अपना हुक्म चला रही थी..
रुची अपने हाथों और पैरों पर चलती हुई लाला की तरफ बढ़ने लगी...उसकी
ब्रा से झाँक रहे मुम्मे देखकर पहले से ही लाला की हालत खराब थी, उसे ऐसे अपनी तरफ आता देखकर वो तो
बुध खोकर उसकी गहरी आँखो में देखता रह गया.
वो धीरे-2 चलती हुई उसकी टाँगो के बीच पहुँची..और उसके खड़े हुए लंड के ठीक सामने जाकर उसने अपने होंठों की गर्म हवा छोड़ी और बोली : "हैल्लो मास्टर....कैसे है आप...''
जवाब मे सिर्फ़ उसके अंडरवीयर में क़ैद लंड ने एक जोरदार झटका मारा..
.जिसे रुची ने बड़े ही करीब से महसूस किया...उसका तो मन कर रहा था की उसके अंडरवीयर को नीचे खिसकाए और चूस ले उसे ..पर अभी उसकी मास्टर यानी रश्मी का ये हुक्म नही था.. इसलिए वो वापिस पीछे आई और उसी तरह रिशू और राजू की टाँगों के बीच जाकर उन्हे भी विश किया.
रिशू ने तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपने खड़े हुए लंड पर झुकाने की भी कोशिश की पर तभी रश्मी ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक हंटर टाइप का डंडा उसके हाथों पर मारा और बोली : "जब तक मैं नही कहूँगी, वो कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी का नही करेगी...'' खेल सच मे काफ़ी रोचक होता जा रहा था...
उनके मायूस चेहरों को देखकर रश्मी की हँसी निकल गयी और साथ ही निकला उसकी योजना का अगला चरण....
वो बोली : "अच्छा ठीक है...अगर तुम सभी इससे अपनी मर्ज़ी का कुछ करवाना चाहते हो तो इसके लिए तुम्हे पैसा खर्च करना पड़ेगा...'' सभी की आँखे चमक उठी...अपनी मर्ज़ी से वो उसके साथ कुछ भी कर सकते थे...
सभी एक साथ चिल्ला पड़े...पहले मैं...पहले मैं..
रश्मी : "पर वो जो भी करेगी , दूर से ही ...तुम इसको हाथ नही लगा पाओगे...''
सभी एक बार फिर से मायूस हो गये..पर फिर भी, जितना मिल रहा था उसे भी वो खोना नही चाहते थे..रश्मी ने हर एक्ट की कीमत भी उन्हे बता दी, दस हज़ार रूपए ...जिसे देने में उन्हे कोई परेशानी नही थी.. सबसे पहले लाला ने अपने दिल की बात बताई : "रुची को बोलो की ये तुम्हे पालतू कुतिया की तरह प्यार करे...तुम्हे चाटकार..अपनी जीभ से...''
शायद ये उसकी फेंटसी थी, उसने भी एक मूवी में ऐसे देखा था, और रश्मी और रुची को ऐसा करता देखकर उसके मन में वो बात फिर से उभर आई...वैसे तो वो अपने आप को चटवाना चाहता था रुची से..पर उसके लिए रश्मी ने मना कर दिया था...इसलिए उसने रश्मी ऐसा करने को कहा..
रश्मी भी मुस्कुरा दी...और रुची की तरफ देखकर उसे अपनी तरफ खींचा..
रुची की चूत तो पहले से ही पनिया गयी थी ये सुनकर...वो चलती हुई उसके पास आई और सीधा अपनी जीभ उसकी मोटी जाँघ पर रख दी... पुर कमरे मे एक नही कई सिसकियाँ गूँज उठी.. एक तो रश्मी की और बाकी उन तीनों की.. रुची ने उसकी जाँघ को अच्छी तरह से चाटा ...और फिर धीरे-2 वो नीचे की तरफ जाने लगी...और उसके मखमली घुटनों के बाद उसकी सॉलिड पिंडलियों पर भी उसने अपनी लार से गीलापन छोड़ दिया.. और वो वहीं नही रुकी...उसने रश्मी के पैरों पर भी अपनी जीभ की कलाकारी दिखाई...
ये सब करते हुए उसको खुद भी काफ़ी मज़ा आ रहा था... और फिर उसने धीरे-2 अपनी जीभ से उसके लेदर के सेंडिलस को भी चाटा ...जैसा की असली स्लेव करती है...वो तो पूरी कैरेक्टर में घुस चुकी थी...खुद भी मज़े ले रही थी और देखने वालो को भी मज़े दे रही थी...
सभी उसकी ऐसी परफॉर्मेंस देखकर तालियाँ बजाने लगे... अब रिशू की बारी थी... उसने दस हज़ार रूपए दिए और बोला : "मुझे तो उसको नंगा देखना है...''
वो तो वैसे भी वो हो ही जाती, शायद अगली 2-3 गेम्स में ..पर उसका उतावलापन अपनी जगह सही भी था... रुची के जवान जिस्म को नंगा देखने की चाहत उसे कब से थी...आज वो पूरी होने जा रही थी..
रश्मी ने उसे इशारा किया और रुची अपने पैरों पर खड़ी हो गयी..
वो रिशू के सामने आकर बैठ गयी...और रुची सिर्फ़ ब्रा मे बैठी थी उसके सामने... रिशू तो इतनी पास से उसकी ब्रा में क़ैद मुम्मों को देखकर फिर से बावला हो गया.. और फिर रुची ने हंसते हुए अपनी ब्रा के हुक खोले और उसे एक ही झटके मे उतार कर फेंक दिया... और कमरे मे हर शख्स ने पहली बार उसे टॉपलेस देखा.. एकदम कड़क थे उसके बूब्स..
.सामने की तरफ तने हुए...भरे हुए, दोनो हाथों मे मुश्किल ही आए..पर ज़्यादा बड़े भी नही...इतने रसीले और बड़े रसगुल्लों को अपने सामने देखकर सभी के मुँह में पानी आ गया.. पर कोई कुछ कर तो नही सकता था ना..
और फिर रुची ने अपनी पेंटी को पकड़ा और उसे भी उतार दिया.. और एक ताजी चूत का झोंका रिशू के नथुनों से आ टकराया...ऐसा लगा उसे की उसकी चूत से गर्म भाप छोड़ी गयी है ख़ास उसके लिए..जिसकी खुश्बू में अपनी सुध बुध खोकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली... रुची पूरी की पूरी नंगी खड़ी थी सबके सामने...क्या तराशा हुआ जिस्म था उसका...उपर से नीचे तक माल थी वो लड़की..
सबने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को रोका हुआ था...भले ही वो कुछ नही कर पा रहे थे, पर इस खेल में उन्हे मज़ा बहुत आ रहा था. अब राजू की बारी थी.. उसने दस हज़ार रश्मी को सौंप दिए और अपने दिल की इच्छा बताई..
राजू : "रश्मी, तुमने जो हंटर पकड़ा हुआ है अपने हाथ मे, उससे तुम इसकी गांड की पिटाई करके इसको लाल कर दो...''
ये सुनकर सभी चोंक गये...
रुची : "ऐसा क्यो कर रहे हो तुम....मेरे से ऐसी क्या दुश्मनी है जो मेरी लाल करने पर तुले हो...''
वो हंस भी रही थी, की ऐसा क्यो बोल रहा है वो.
राजू : "अब ये तो मुझे नही मालूम, पर यहाँ जब सभी अपनी - 2 इच्छा बता रहे हैं तो मैने भी बोल दी, वैसे ये काम मैं अपनी बीबी के साथ कब से करना चाहता हू...उसे नंगा करके अपनी गोद में लेकर उसकी भरी हुई गांड पर चपेटें लगाकर उसे लाल करना चाहता हू...और फिर उसे चूमना चाहता हू..पर वो मेरी इस बात को आज तक नही मान सकी...बोलती है की मैं पागल हू...ऐसा कौन करता है भला ...अब वो मना कर देती है तो उसकी मर्ज़ी, ये तो मना नही करेगी ना, इसको तो पैसे दे रहा हू मैं ...''
यानी अपने पैसे के बल पर वो अपने दिल की इच्छा को पूरा करवाना चाह रहा था...लाला और रिशू की तो जायज़ सी डिमांड थी, पर ये थोड़ी ख़तरनाक सी थी.. पर अपनी गांड पर हंटर पड़ने की बात सुनकर रुची काफ़ी गर्म हो चुकी थी...मोनू भी अक्सर उसे घोड़ी बनाकर जब चोदता था तो उसकी गांड पर बेतहाशा थप्पड़ मारकर उसे लाल कर देता था..उसे काफ़ी मज़ा आता था उसके हाथों की मार अपनी गांड पर खाकर...इसलिए उसने झट से वो पैसे लिए और अपनी गांड को रश्मी की तरफ करके खड़ी हो गयी..
जब उसको ही कोई प्राब्लम नही थी तो भला किसी और को क्या हो सकती थी...रश्मी ने उसे उसी सोफे के हत्थे पर उल्टा लिटाया, जिसपर बैठकर वो पहले खेल देख रही थी और हल्के हाथों से उसकी गोरी गांड पर हंटर बरसाने शुरू कर दिए... हल्की डोरियाँ लगी थी हंटर के आगे...जो एक रेशमी सा एहसास छोड़ रही थी रुची की मखमली गांड पर..और वो हर प्रहार से कराह उठती...दर्द से नही, मज़े से.
..क्योंकि उसे उसमें काफ़ी मज़ा मिल रहा था.. और धीरे-2 उसकी गोरी गांड लाल सुर्ख हो गयी...जिसे चूमकर रश्मी ने उसकी गर्मी को शांत किया..