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Incest Doodh chut gand hawas

gauravrani

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राकेश हँसने लगा" अरे क्या इसमें घुसाने को ही प्यार बोलते हैं" "तो" पिंकी ने उल्टा स्वाल किया! देखती जाओ मैं दिखाता हूँ प्यार क्या होता है. कहते हुए राकेश ने पिंकी को अपनी गोद में बैठा लिया. राकेश ने उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया और बड़ी शिद्दत से चूमते हुए उसे उसके बेड पर लिटा दिया. उसका नाइट सूट नीचे से हटाया और एक एक करके उसके बटन खोलने लगा. अब पिंकी के बदन पर एक पैंटी के अलावा कुछ नही था. राकेश ने अपना टॉवेल उतार दिया और झुक कर उसकी नाभि को चूमने लगा. पिंकी के बदन में चीटियाँ सी दौड़ रही थी. उसका मंन हो रहा था कि बिना देर किए राकेश उसकी योनी का मुँह अपने लिंग से भरकर बंद कर दे. वो तड़पति रही पर कुछ ना बोली; उसको प्यार सीखना जो था.
 
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धीरे धीरे राकेश अपने हाथो को उसकी स्तनों पर लाया और अंगुलियों से उसके स्तनाग्र को छेड़ने लगा. राकेश का लिंग उसकी योनी पर पैंटी के उपर से दस्तक दे रहा था. पिंकी को लग रहा था जैसे उसकी योनी को किसी ने जलते तेल के कढाहे में डाल दिया हो. वो फूल कर पकौड़े की तरह होती जा रही थी. अचानक राकेश पीछे लेट गया और पिंकी को बिठा लिया. और अपने लिंग की और इशारा करते हुए बोला," इसे मुँह में लो." पिंकी तन्नाई हुई थी,बोली," ज़रूरी है क्या.... पर ये मेरे मुँह में आएगा कैसे? बचपन में कुलफी खाई है ना, बस ऐसे ही.पिंकी ने राकेश के लिंग के सुपडे पर जीभ लगाई तो उसको करेंट सा लगा. धीरे धीरे उसने सुपडे को मुँह में भर लिया और चूसने सी लगी. उसको बहुत मज़ा आ रहा था. राकेश ज़्यादा के लिए कहना चाहता था पर उसको पता था वो ले नही पाएगी. " मज़ा आ रहा है ना!"
 
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"ह्म्‍म्म्म" पिंकी ने सूपड़ा मुँह से निकालते हुए कहा"पर इसमें खुजली हो रही है" अपनी योनी को मसलते हुए उसने कहा." कुछ करो ना.... ये सुनकर राकेश ने उसको अपनी पीठ पर टाँगों की तरफ मुँह करके बैठने को कहा. उसने ऐसा ही किया. राकेश ने उसको आगे अपने लिंग की ओर झुका दिया जिससे पिंकी की योनी और नितंब राकेश के मुँह के पास आ गयी. एकदम तना हुआ राकेश का लिंग पिंकी की आँखों के सामने सलामी दे रहा था. राकेश ने जब अपने होंठ पिंकी की योनी की फांको पर टिकाए तो वह सीत्कार कर उठी. इतना अधिक आनंद उससे सहन नही हो रहा था. उसने अपने होंठ लिंग के सुपडे पर जमा दिए. राकेश उसकी योनी को नीचे से उपर तक चाट रहा था. उसकी एक उंगली पिंकी की नितंब के छेद को हल्के से कुरेद रही तही. इससे पिंकी का मज़ा दोगुना हो रहा था
 
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अब वह ज़ोर ज़ोर से लिंग पर अपने होंठों और जीभ का जादू दिखाने लगी. लेकिन ज़्यादा देर तक वह इतना आनंद सहन ना कर पाई और उसकी योनी ने पानी छोड दिया जो राकेश की मांसल छाती पर टपकने लगा. पिंकी ने राकेश की टाँगो को जाकड़ लिया और हाँफने लगी. राकेश का शेर हमले को तैयार था. उसने ज़्यादा देर ना करते हुए कंबल की सीट बना कर बेड पर रखा और पिंकी को उस पर उल्टा लिटा दिया. पिंकी की नितंब अब उपर की और उठी हुई थी. और स्तन बेड से टकरा रही थी. राकेश ने अपना लिंग उसकी योनी के द्वार पर रखा और पेल दिया. योनी रस की वजह से योनी गीली होने से लिंग 'प्यूच' की आवाज़ के साथ पूरा उसमें उतर गया. पिंकी की तो जान ही निकल गयी. इतना मीठा दर्द! उसको लगा लिंग उसकी आंतडियों से जा टकराया है. राकेश ने पिंकी की नितंब को एक हाथ से पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. एक एक धक्के के साथ जैसे पिंकी जन्नत तक जाकर आ रही थी. जब उसको बहुत मज़े आने
 
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लगे तो उसने अपनी नितंब को थोड़ा और चौड़ा करके पीछे की ओर कर लिया. राकेश के जांघे उसकी योनी के पास जैसे थप्पड़ से मार रहे थे. राकेश की नज़र पिंकी की नितंब के छेद पर पड़ी. कितना सुंदर छेद था. उसने उस छेद पर थूक गिराया और उंगली से उसको कुरेदने लगा. पिंकी आनंद से करती जा रही थी. राकेश धीरे धीरे अपनी उंगली को पिंकी की नितंब में घुसाने लगा."उहह, सीसी...क्या....क्कार... रहे हो.. ज..ज्ज़ान!" पिंकी कसमसा उठी. देखती रहो! और राकेश ने पूरी उंगली धक्के लगाते लगाते उसकी नितंब में उतार दी. पिंकी पागल सी हो गयी थी. वह नीचे की ओर मुँह करके अपनी योनी में जाते लिंग को देखने की कोशिश कर रही थी. पर कंबल की वजह से ऐसा नही हो पाया. राकेश को जब लगा कि पिंकी का काम अब होने ही वाला है तो उसने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. सीधे गर्भाशय पे धक्कों को पिंकी सहन ना कर सकी और ढेर हो गयी
 
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राकेश ने तुरंत उसको सीधा लिटाया और वापस अपना लिंग योनी में पेल दिया. पिंकी अब बिल्कुल थक चुकी थी और उसका हर अंग दुख रहा था, पर वो सहन करने की कोशिश करती रही. राकेश ने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी. धीरे धीरे एक बार फिर पिंकी को मज़ा आने लगा और वो भी सहयोग करने लगी. अब राकेश ने उसकी स्तनों को मसलना शुरू कर दिया था. पिंकी फिर से मंज़िल के करीब थी. उसने जब राकेश की बाहों पर अपने दाँत गाड़ने शुरू कर दिए तो राकेश भी और ज़्यादा स्पीड से धक्के लगाने लगा. पिंकी की योनी के पानी छोड़ते ही उसने अपना लिंग बाहर निकाल लिया और पिंकी के मुँह में दे दिया. पिंकी के योनी रस से सना होने की वजह से एक बार तो पिंकी ने मना करने की सोची पर कुछ ना कहकर उसको बैठ कर मुँह में ले ही लिया. राकेश ने पिंकी का सिर पीछे से पकड़ लिया और मुँह में वीर्य की बौछार सी कर दी
 
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पिंकी गू...गूओ करके रह गयी पर क्या कर सकती थी. करीब 8-10 बौछारे वीर्य ने उसके मुँह को पूरा भर दिया. राकेश ने उसको तभी छोडा जब वो सारा वीर्य गटक गयी. दोनों एक दूसरे पर ढेर हो गये. पिंकी गुस्से और प्यार से पहले तो उसको देखती रही. जब उसको लगा कि वीर्य पीना कुछ खास बुरा नही था तो वो राकेश से चिपक गयी और उसके उपर आकर उसके चेहरे को चूमने लगी... यहाँ इन्स्पेक्टर कबीर अपनी मीटिंग ख़तम करके अपने असिस्टेंट पाठक को तहक़ीक़ात करने के लिए बोला और खुद अपने घर चला आया. तब दोपहर हो रही थी… कबीर अपनी गाड़ी से उतर कर अपने घर की तरफ मुड़ा… और उसने घर की बेल बजाई… दरवाजा एक लड़की ने खोला बला की खूबसूरत लड़की थी…नाम था… रुहाना…! कबीर और रुहाना की शादी हो गयी थी… कबीर ने जब उसे पहली बार देखा था तभी से उसे उससे प्यार हो गया था… तभी उसने अपने माता पिता से बातचीत करके कहा कि ये लड़की मुझे पसंद है… तब उसके माता पिता बहुत खुश हुए क्योंकि कबीर के लिए बहुत सारे रिश्ते आए थे…. पर अपना कबीर कहाँ मानने वाला था उसे
 
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तो रुहाना ही पसंद आई थी… एक दिन उसने अपने घर ये बात बता दी..तो उसके घर वालों ने रुहाना के घर पर बातचीत कर के दोनो की शादी करा दी…. तो रुहाना ने दरवाज़ा खोला और सामने कबीर को देख कर कमर पे हाथ रख के बोली… आ गये आप… चलो फ्रेश होकर खाना खा लो… कबीर चुप चाप कमरे में आ गया और बाथरूम जाकर फ्रेश हो गया… तब तक रुहाना ने खाना परोस दिया था… कबीर खाना खाने बैठ गया.. और चुप चाप खाना ख़तम कर दिया… आप सब लोग सोच रहे होंगे… इतना रौब जमाने वाला कबीर घर पर क्यूँ बिल्ली बन कर रहता था… क्यूंकी रुहाना थी ही वैसी…तीखी मिर्ची थी वह… इसलिए कबीर उसके प्यार मे पागल हुए जा रहा था… उसने खाना ख़तम किया और अपने बेडरूम मे चला गया… जब सब बर्तन और घर का सारा काम करके रुहाना फ्रेश होने बाथरूम मे चली गयी….फ्रेश होके वो अपने बेडरूम मे कबीर के पास गयी तो कबीर ने उसे झटके से अपनी बाहों मे भर लिया… रुहाना ने उसके गालो पर प्यार से
 
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चपत लगाई… और बोली… हर बार आपको कुछ ना कुछ सूझता रहता है… कबीर बोला तुम हो ही ऐसी….तब रुहाना बोली “अच्छा..” "हां चलो प्यार करते है…" कबीर बोला… मौसम कितना सुहाना है… बाहर बादल घिर आए है… तब रुहाना बोली चुप बैठो जब देखो तो यही सूझते रहता है… बेचारा कबीर क्या करता मन मसोस कर के बैठ गया… मुँह फूला कर … करवट ले कर सो गया.. रुहाना भी उसके बगल मे करवट ले कर सो गयी… लेकिन कबीर कहाँ सब्र करने वाला था… कबीर ने पलट कर रुहाना को देखा… रुहाना नींद मे होने का नाटक कर रही थी… उसे पता था कि उसके पति अब क्या करने वाले है… कबीर ने उसके गले को चूमना शुरू किया और फिर कबीर ने उसे पलट कर अपनी तरफ उसका मुँह किया और कबीर ने उसे प्यार से अपनी बाहों मे जकड़ लिया. दोनो के होंठ खुद-ब-खुद एक दूसरे से मिल गये और चुंबन का वो खेल शुरू हुआ जो बहुत देर तक चलता रहा सांसे
 
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भड़क रही थी दोनो की पर मज़ाल है कि होंठो से होंठ हट जाए. जुड़े रहे यू ही बहुत देर तक. जब होंठ एक दूसरे से जुदा हुए तो दोनो हांप रहे थे. कबीर ने अब रुहाना को सीधा किया और उसके उपर आ गया. कबीर का लिंग पूरे तनाव में था और रुहाना को वो अपनी योनि के ठीक उपर महसूस हो रहा था. “तुम तो बहुत उत्तेजना लिए हुए हो.” रुहाना ने बोल कर अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया. कबीर ने रुहाना के हाथ एक तरफ हटाए और फिर से उसके होंठो को अपने होंठो में जाकड़ लिया. कबीर के हाथ कब रुहाना के सुराही दार उभारो तक पहुँच गये उशे भी नही पता चला. अब कबीर बहके बहके अंदाज में रुहाना के उभारो से खेल रहा था. कबीर ने अपने कपड़े उतार दिए परंतु रुहाना अपनी सारी नही उतार पाई. मदहोश जो रही थी
 
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