यही गंदी आदत होती है हर राइटर की जैसे ही औरत नीचे आई उसको humiliate करना शुरू कर देते हैं जब तक पटती नहीं तब तक तो वो देवी रहती है जैसे ही नीचे आई रण्डी और कुतिया और छीनाल और रखैल और गुलाम बन जाती है उसके लिए, और खुद को मालिक बना लेता है हर राइटर, ये सोच ही गंदी है आदमी की , उसके लिए औरत सिर्फ चोदने की ओर जलील करने की वस्तु है, वास्तव जब कोई दमदार औरत उस आदमी की गांड पर लात मारती तब उसको पता चलता है कि औरत क्या चीज़ है, ख्याली पुलाव तो कोई भी बना लेता है, शब्दों के, अपनी कहानी में खुद को हीरो बनाकर, जरा औरत तो इज्जत की नजरों से देखो, वो भी तुमको गांदू भड़वा कुत्ता और चूतिया बोल सकती है मगर तुमसे सुना नहीं जायेगा, कुछ तो इज्जत से लिखा करो