जब माहौल गमगीन भरा हो , किसी के मृत्यु से जुड़ा हो और यह सब एक नेक इंसान से सम्बंधित हो तो कुछ भी अच्छा नही लगता । हंसी-मजाक तो नासूर की तरह दिल मे चुभता है ।
खैर एकांश और उनके स्टाफ के बीच का यह वाक्या एक मिस - अंडरस्टेंडिंग के चलते हुआ था इसलिए इस पर अधिक विमर्श भी शोभा नही देता ।
एकांश साहब एक संभ्रांत वर्ग से आते है , धन दौलत की कृपा भी बरस रही है , अच्छे खासे बिजनेस मैन भी है लेकिन , यह सब होने के बावजूद भी वह समाज मे कोई रसूखदार व्यक्ति या फिर ताकतवर शख्सियत का रूतबा नही रखते ।
डॉक्टर इनकी बात को अहमियत नही देता । पुलिस इनकी बात को गंभीरता से नही लेता । इन्होने ऐसी कोई टीम या संगठन नही बनाई है जो ऐसे किसी विषम परिस्थिति मे उनकी मदद कर सके ।
एकांश साहब रईस तो हैं पर रसूखदार नही ।
अक्षिता को ढूंढना भूसे से सुई निकालने वाली कंडीशन पैदा हो गई है और प्रोब्लम यह है कि अक्षिता के पास अधिक समय नही बचा है ।
अक्षिता के नजरिए से सोचा जाए तो उसकी मृत्यु अटल है लेकिन वह यह जरूर चाहेगी कि उसकी मृत्यु वहां हो जिसे वो अपने दिल के सबसे अधिक करीब महसूस करती है।
और वह जगह एकांश और उसके द्वारा बिताए गए कुछ खास जगह से अच्छी कौन होगी !
एकांश साहब को उस जगह के बारे मे अवश्य सोचना चाहिए । उस प्रत्येक जगह के बारे मे सोचना चाहिए जहां अक्षिता के साथ सुनहरी यादें जुड़ी हो ।
एक और खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।