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Mind blowing update bhai Diary se bhi poora clues mil sakta hai waise, bas usko padhna padega poiraWaise wo dr. Chootia tha sala haath me aayi hui akshita nikaal di usne, bhai mujh se to ekansh ka dard dekha nahi ja raha, ab to bechare ko milwa do aadi bhau, aur lagta hai jasoos rakhne ka kuch fayda hone wala hai awesome update againUpdate 28
मैं तुमसे बहुत प्यार करती ही अंश, बहुत बहुत ज्यादा प्यार, इतना के मैं तुमसे दूर होने को भी तयार हू, मैं ये भी जानती हु के जो भी मैने किया उसके लिए तुम मुझसे नफरत कर रहे होगे लेकिन मुझे यही सबसे अच्छा तरीका लगा तुम्हे मुझसे और मेरी मौत से बचाने का..
एक महीने पहले कोई अगर मुझे बताता के मैं तुमसे प्यार नही करती या हम कभी मिल नही सकते और मैं एक दिन तुम्हारा दिल तोड़ दूंगी तो मुझे इस बात पर कभी विश्वास नही होता और ऐसी बात बोलने के लिए मैं उस इंसान को थप्पड़ मार देती लेकिन अब....
मुझे कुछ दिनों पहले ही मेरी जानलेवा बीमारी के बारे में पता चला है जिसमे मेरी दुनिया ही उलट के रख दी है, तुमसे, मम्मी पापा से दूर जाने का खयाल ही असहनीय है और यही सोच सोच के मुझे रोना आ रहा है
लेकिन..
मुझे अपने आप को संभालना होगा, मेरे बीमारी की वजह से मैं तुम्हे तड़पता नही देख सकती, मुझे अपने आप को संभालना होगा तुम्हारे सामने बुरा बनना होगा मुझे तुम्हे अपने से दूर करना होगा, मैं जानती हु तुम्हे मेरे बर्ताव से बहुत तकलीफ हुई है लेकिन अंश तुम जितने दर्द में मैं उससे हजार गुना ज्यादा दर्द महसूस कर रही हु..
मैं अपने आप से वादा किया था के तुम्हे कभी कोई तकलीफ नही होने दूंगी लेकिन मैं ये नही जानती थी के एक ना एक दिन मैं ही तुम्हारे दर्द का कारण बनूंगी
मैने ये जिंदगी तुम्हारे साथ बिताने का वादा तोड़ा है अंश होसके तो मुझे माफ करना
आई एम सॉरी अंश
तुम हमेशा मेरे दिल में मेरे करीब रहोगे, एक तुम ही हो जिसे मैं आखरी सास तक चाहूंगी..
मैने बस तुमसे प्यार किया था, करती ही और करती रहूंगी....
डायरी पढ़ते हुए एकांश रोने लगा था, अक्षिता ने ये उस वक्त लिखा था जब वो दोनो अलग हुए थे और उसका दर्द इन लिखे हुए पन्नो से बयान हो रहा था, डायरी के उस पन्ने पर आंसुओ की बूंदे भी एकांश को दिख रही थी जो अब सुख गई थी
सारा गिल्ट सारी गलतफहमियां सब एक के बाद एक एकांश के दिमाग में आ रही थी और अब एकांश से ये दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था, अपनी भावनाओं पर उसका नियंत्रण नही था और इस सब में वो ये भी भूल गया था के वो क्या कर रहा था..
नेहा ने एकांश से पूरी डायरी चेक करने कहा के कही से कुछ पता चले लेकिन उसमे भी कोई क्लू नही था
वो सभी लोग अक्षिता के घर से खाली हाथ लौट आए थे लेकिन एकांश ने उसके घर को चाबी और वो डायरी अपने पास रख ली थी वो इस डायरी को अच्छे से पढ़ना चाहता था, अक्षिता की भावनाओ को समझना चाहता था,
ये डायरी उन दिनो को गवाह थी जहा अक्षिता अकेली थी और अपनी बीमारी से जूझ रही थी साथ ही इस गम में जी रही थी के उसने एकांश का दिल दुखाया है,
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एक और दिन बीत गया था और उन्हें अक्षिता के बारे में कुछ पता नहीं चला था, समय रेत की भांति फिसल रहा था और अब एकांश का मन और भी ज्यादा व्याकुल होने लगा था, एक के बाद एक दिन बीत रहे थे और आखिर वो दिन भी आ गया जब अक्षिता की डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट थी, एकांश अमर स्वरा और रोहन सुबह से ही हॉस्पिटल पहुंच गए थे के जैसे ही अक्षिता दिखे उसे मिले उससे यू अचानक जाने का जवाब मांगे,
आज अक्षिता से मुलाकात होगी बस इसी खयाल से एकांश रातभर सो भी नही पाया था लेकिन वो नहीं आई
वो लोग बस इंतजार करते रहे लेकिन वो नहीं आई, खुद के चेकअप के लिए भी नही आई
अब सभी लोगो को हिम्मत टूटने लगी थी, खास तौर पर एकांश की, उसने डॉक्टर से अक्षिता के आते ही उन्हें इनफॉर्म करने कहा और फिर वापिस अपनी खोज में लग गए
और फिर अगले दिन एकांश का फोन बजा, उसने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और फोन देखा तो अनजान नंबर से कॉल आ रहा था जिसे एकांश से रिसीव किया
"हेलो?"
"हेलो मिस्टर रघुवंशी मैं डॉक्टर सुरेश बात कर रहा हु"
एकांश एकदम सचेत हो गया
"हा डॉक्टर बोलिए, कोई खबर?"
"हा, मैने वही बताने के लिए कॉल किया है, वो आज चेक अप के लिए आई थी" डॉक्टर ने कहा
एकांश एकदम शॉक था, अक्षिता हॉस्पिटल में थी यही सोच के उसकी सारी एनर्जी लौट आए थी, मालिन होती आशा में उम्मीद का दिया वापिस जलने लगा था
"मैं... मैं अभी.. अभी आ रहा हु डॉक्टर, आप उसे रोक के रखिए, उसे कही जाने मत दीजिएगा" एकांश ने जल्दी जल्दी कहा और गाड़ी शुरू करने लगा
"वो अभी यह नही है मिस्टर रघुवंशी, वो अभी अभी यह से गई है" डॉक्टर ने कहा
"क्या??? ये जानते हुए भी के हम उसे ढूंढने में लगे हुए है आप उसे ऐसे कैसे जाने दे सकते है??" एकांश गुस्से में चिल्लाया
"शांत हो जाइए मिस्टर रघुवंशी, मैं इसमें कुछ नही कर सकता था आज उसका अपॉइंटमेंट नही था वो अचानक आई थी और मैं उसके सामने आपको कैसे बताता?" डॉक्टर बोला
"आपके पास उसे रोकने के और भी रास्ते थे डॉक्टर, आपको उसे रोके रखना चाहिए था" एकांश ने वापिस गुस्से में कहा
"वो मेरी पेशेंट है मिस्टर रघुवंशी और उसे हालत को देखते हुए मैं उससे इंतजार नही करवा सकता था, आपको क्या लगता है मैंने कोशिश नही की है या आप मेरे कोई दुश्मन है, मैने उसे रोकने को बहुत कोशिश की है लेकिन वो बहुत जल्दी में थी और मेरे हाथ में कुछ नही था" डॉक्टर ने कहा
एक बार फिर एकांश को निराशा ने घेर लिया था
"वो अभी अभी यहा से गई है, ज्यादा दूर नही गई होगी अगर आप जल्द से जल्द आ जाए तो शायद आप उसे पकड़ सकते है" डॉक्टर ने आगे कहा
"ठीक है, मैं बस कुछ ही देर में पहुंच रहा हु" एकांश ने कहा और फोन काट दिया
फिर एकांश ने रोहन और अमर को भी बता दिया और जल्द से जल्द आने को कहा, स्वरा रोहन के साथ ही थी और कुछ हॉस्पिटल की ओर निकल गया
कुछ ही मिनटों में वो हॉस्पिटल में था और वो वहा का हर तरफ अक्षिता को ढूंढने लगा, हॉस्पिटल उसके आसपास का सब इलाका लेकिन अक्षिता उसे कही नही दिखी,
उसने हॉस्पिटल के अंदर भी हर तरफ चेक किया, आने जाने वाले सभी को देखा, जहा मरीजों के टेस्ट्स होते है वहा भी देखा लेकिन कोई फायदा नही हुआ
थोड़े समय बात रोहन स्वरा और अमर भी एकांश के पास पहुंच गए थे हो हाफ रहा था और दौड़ने की वजह से पूरा पसीने से तरबतर था
"एकांश सर आप ठीक हो?" स्वरा ने उसे देखते हुए पूछा
"भाई.." अमर ने एकांश के कंधे पर हाथ रखा, एकांश ने इन लोगो को बस जल्दी आने कहा था इस उम्मीद में के ज्यादा लोग होंगे तो अक्षिता को जल्दी खोजा जा सकता था लेकिन उसके पास पूरी बात बताने का वक्त नहीं था और अब शायद देर हो चुकी थी, वो वापिस जा चुकी थी
"वो चली गई, वापिस चली गई" एकांश हताश होते हुए वहा रखी एक बेंच पर बैठते हुए बोला वो अपने आप को एकदम ही हारा हुआ सा महसूस कर रहा था और उसकी टूटती हिम्मत देख बाकी लोग भी परेशान हो रहे थे
"एकांश उठो, हम ढूंढ लेंगे उसे" रोहन ने कहा, उसने एक दोस्त जैसे एकांश से कहा, अब वो बॉस एम्प्लॉय नही थे,
"हा, कमसे कम इतना तो पता ही चला के वो इसी शहर में है" स्वरा ने कहा
"चलो पहले डॉक्टर से मिलते है" अमर बोला और वो चारो डॉक्टर के केबिन को ओर गए
डॉक्टर ने एकांश को देखा, उसकी आंखे लाल हो गई थी और थोड़ी सूज गई थी
"क्या हुआ? बात बनी?" डॉक्टर ने अपनी जगह से उठते हुए पूछा
"हम उसे नही ढूंढ पाए" रोहन ने बताया
डॉक्टर ने एकांश को कुर्सी पर बैठने कहा और पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ाया
"लो पानी पियो"
एकांश ने वो ग्लास लिया और चुप चाप पानी पीने लगा, उसका यू शांत रहना बाकी लोगों को डरा रहा था
"आपको हमे तब ही कॉल कर देना चाहिए था जब वो यहां थी, तब शायद हम उसे पकड़ सकते थे" स्वरा ने डॉक्टर से कहा, एकांश ने जब उन्हें केबिन को ओर आते हुए पूरी बात बताई थी तभी से वो भी थोड़े गुस्से में थी
"मैडम मैं आपकी भावनाओं को कद्र करता हु लेकिन मैं एक डॉक्टर हु और मेरे लिए मेरे पेशेंट की जान ज्यादा इंपोर्टेंट है, मैने उसे कुछ टेस्ट्स करने का बोल कर चेकअप के बाद रोकने की कोशिश की थी लेकिन वो अचानक उठ कर चली गई अब इसमें मैं क्या कर सकता था बताइए" डॉक्टर अपना बचाव करते हुए बोला
"कैसी है वो?" इतनी देर से शांत एकांश ने पूछा और सबका ध्यान उसकी ओर गया
"वो.. वो ठीक है" डॉक्टर ने कहा लेकिन एकांश को इसपर यकीन नही हुआ
"बताओ डॉक्टर, उसकी कंडीशन कैसी है अब" एकांश ने डॉक्टर की ओर देखते हुए पूछा, उसकी आंखे से झलकता सर्द डॉक्टर भी महसूस कर सकता था, डॉक्टर कुछ नही बोला,
"बोलो डॉक्टर" एकांश ने दिए एक बार पूछा
"ना ज्यादा अच्छी है ना बहुत बुरी है, एक तरह से वो बीच में झूल रही है, कभी भी कुछ भी हो सकता है" डॉक्टर ने कहा
एकांश की आंखो से आंसू की एक बूंद गिरी लेकिन उसने डॉक्टर पर से अपनी नजरे नही हटाई और डॉक्टर से आगे बोलने कहा
"हमने बहुत से अलग स्पेशलिस्ट से भी कंसल्ट किया है और इस बार मैंने कुछ अलग दवाइया दी है जो ज्यादा एडवांस और पावरफुल है, देखिए मिस्टर रघुवंशी मैं झूठी उम्मीद नहीं दूंगा जो है सब आपको मैंने बता दिया है, मैने उससे कहा है के उसे कुछ भी लगे जरा भी तकलीफ हो तुरंत हॉस्पिटल आए ताकि हम आगे देख सके" डॉक्टर ने कहा
"अगली बार अगर वो आए तो प्लीज हमे छिप कर मैसेज कर दीजिएगा" स्वरा ने कहा
"ठीक है, और इस बार जब तक आपलोग नही आ जाते उसे रोकने को कोशिश भी करूंगा"
जिसके बाद वो सभी लोग वहा से निकल गए, एकांश सीधा अपने घर गया और उसने वापिस अपने आप को अपने कमरे में बंद कर लिया और बेड पर लेट गया तभी उसकी नज़र डायरी पर पड़ी, उसने उसे उठाया और पढ़ने लगा
मुझे नही पता था तुमसे दूर जाना मेरे लिए इतना मुश्किल होगा के मैं तुमसे दूरी का दर्द ही बर्दाश्त न कर पाऊं.
तुम्हे पता है जब मैने तुमसे ब्रेक अप किया और घर आई तो मैंने सोचा था के मैने तुम्हे मुझसे से बचा लिया था और इस बात से मुझे खुश होना चाहिए था लेकिन नही... तुमसे दूर रहना, तुमसे बात ना कर पाना, तुम्हे ना देख पाना दिन ब दिन मुझे पागल कर रहा है
मैने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया है, सभी दरवाजे खिड़कियां सब बंद हैं और अब अंधेरे में ही दिन बीत रहे है
मैं शायद डिप्रेशन की शिकार हो गई ही ऐसा लगता है बस सोई रहु और कभी उठू ही ना, मेरी बीमारी, ये डिप्रेशन और ये अंधेरा सब मुझे पागल कर रहा है, समय से पहले ही मौत को मैंने तो स्वीकार कर लिया था लेकिन शायद मम्मी पापा नही कर पाए और उन्होंने मुझे बचा लिया, डॉक्टर्स और थेरेपिस्ट यहा कामियाब हो गए
मैने बंद कमरे और अंधेरे में इतना रह चुकी हु के अब वो अंधेरा और बर्दाश्त नही होता, पता चला है के अब मुझे claustrophobia भी है, जब भी अंधेरी बंद जगह में रहती हु सारा दर्द आंसू सबकुछ हावी होने लगता इतना ही सास भी नही ले पाती हु
मैने सोच लिया है अब मेरी वजह से मेरे मम्मी पापा को और तकलीफ नही होगी, वो पहले ही मेरी वजह से काफी कुछ सहन कर रहे है अब और नही,
मैं थेरेपी ले रही हु, डिप्रेशन से बाहर आ रही हु, थेरेपिस्ट ने कहा है के जिन्हे मैं किसी से कह नही सकती वो बाते लिख लिया करू, जो मैं फील करती ही लिख लिया करू बस इसीलिए ये डायरी लिख रही हु
शायद में मेरे भीतर छिपा दर्द बाहर ले आए
आई लव यू, अंश...
अब एकांश को उसके claustrophobia का रीजन समझ आया था और उसने एक बार फिर खुद को उससे उस दिन ज्यादा काम करवाने के लिए कोसा...
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दो दिन और बीत गए लेकिन अक्षिता का कुछ पता नहीं चला ना ही उन्हें कही से कोई नई इनफॉर्मेशन मिल रही थी, एकांश जहा जहा ढूंढ सकता था हर जगह ढूंढ लिया था और एक बार फिर उसके हाथ में अक्षिता की डायरी थी
अंश! एक बहुत अच्छी खबर है, मुझे नौकरी मिल गई है!
बहुत सारी मिन्नतों और रोने धोने के बाद मम्मी पापा मेरी जॉब के लिए मान गए है और अब मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हु
सारा दिन घर पर बस बीमारी के खयाल आते थे, में वापिस डिप्रेस्ड फील करने लगी थी तो डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद मैंने अपने आप को बीजी रखने जॉब करने का फैसला किया है
और मैं तुम्हे बहुत बहुत ज्यादा मिस कर रही हु
मैने तुम्हे एक मैगजीन के कवर पर देखा, तुम्हे अपने पापा को कंपनी को टेकओवर कर लिया है और मुझे इस बात की बहुत खुशी है फोटो में काफी हैंडसम दिख रहे हो लेकिन तुम्हारे चेहरे का दर्द वो फोटो भी नही छिपा पाया, मैं जानती हु तुम्हारी उन सुनी आंखो के लिए मैं ही जिम्मेदार हु
आई एम सॉरी
एंड
आई लव यू...
"आई लव यू टू" एकांश ने कहा और अपने पास के अक्षिता के फोटोंको चूम लिया और उसकी तस्वीर को देखते हुए ही नींद के आगोश में समा गया
एकांश की नींद उसके फोन के बजने से टूटी उसने नींद में देखा तो कोई नया नंबर था, एक पल को खयाल आया के शायद अक्षिता का फोन हो और उसने जल्दी से रिसीव किया
"हेलो?"
और जैसे ही उसे पता चला सामने अक्षिता नही है उसका चेहरा उतर गया
"हेलो सर"
"कौन बात कर रहा है"
"सर, मुझे मिस्टर अमर ने अपना नंबर दिया है ताकि मैं सीधा आपसे बात कर सकू" सामने से एक लड़की ने कहा
"हम्म्म बोलो"
"सर, मैं डिटेक्टिव मंदिरा बोल रही हु, क्या मैं आपने एक मिनट बात कर सकती हु?"
"हा"
"सर मुझे आपसे मिस अक्षिता के केस के सिलसिले में कुछ बात करनी है" उसने कहा और अब एकांश का दिमाग चमका
"तो आप ही है वो जिसे अमर ने हायर किया है"
"हा सर"
"बताइए क्या मैटर है"
"सर मुझे लगता है we have found a lead!"....
क्रमश:
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