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Romance Ek Duje ke Vaaste..

park

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Update 31



एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

----

एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

--

“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत खरगे का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Nice and superb update....
 
Last edited:

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

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एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

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“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत खरगे का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Bas ab or kya hi kahna chehre ki mukurahat sab bayaan kar rahi hai :happy:
 

kas1709

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Update 31



एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

----

एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

--

“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत खरगे का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Nice update....
 
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ऐसे माहौल मे शाहरुख खान का एक डायलॉग याद आता है - " इतनी शिद्दत से मैने तुम्हे पाने की कोशिश की है....कि हर जर्रे ने मुझे तुमसे मिलाने की साजिश की है । कहते हैं किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश मे लग जाती है ।"

लेकिन अक्षिता से मिलने की खुशी मे एकांश साहब मैनर्स भूल गए । उनके लिए न उस छोटी बच्ची के चोट की परवाह थी और न ही अमृता मैडम द्वारा किए गए उसके अच्छे सर्विस की ।
ऐसा लगा मेरा काम हो गया और अब तुम अपना रास्ता नापो । कम से कम एहसान के दो मीठे शब्द तो बोल दिए होते !

मुझे यह भी समझ नही आ रहा है कि एकांश सर अक्षिता के पड़ोस मे रहकर क्या करेंगे ? क्या वह उसे दूर - दूर से ही देखकर निहारते रहेंगे ? क्या वो उसे रोज तील - तील कर मरते हुए देखेंगे ? क्या वो अक्षिता की रोजाना दिनचर्या का दीदार करते हुए रहेंगे ?
बेहतर होता , वो उसके पास जाते । सबकुछ सच बताते । सारे गिले शिकवे दूर करते । दुनिया के सबसे बेहतरीन डाॅक्टर से उसका इलाज करवाते ।

खैर देखते हैं , एकांश साहब की प्लानिंग क्या है !

बेहतरीन अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

parkas

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एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

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एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

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“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत खरगे का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....
Nice and lovely update....
 

Tiger 786

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Update 31



एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

----

एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

--

“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत खरगे का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Awesome update
 

Sweetkaran

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एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

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एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

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“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत खरगे का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Nice update bro
 
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