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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Tiger 786

Well-Known Member
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Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Bohot hi khubsurat update
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,034
22,447
159
Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:


लड़की - जिसकी तबियत बहुत खराब है। लड़की - जो शायद कभी भी स्वर्ग सिधार सकती है। लड़की - जिसको सबसे बेहतरीन इलाज़ की ज़रुरत है।

लड़का - जो उस लड़की से बेइन्तहाँ प्यार करता है। लड़का - जो उस लड़की के न होने पर निष्प्राण हो जाता है। लड़का - जिसके अंदर इतना सामर्थ्य है कि उस लड़की को सबसे बेहतरीन इलाज़ मुहैया करवा सके।

लेकिन आईये देखें कि लड़के की चॉइस क्या है? लड़का, लड़की के पड़ोस में रह कर, उसे दूर से ही निहारता रहेगा - किसी पीपिंग टॉम की तरह। लड़की के पास अगर किसी चीज़ की कमी है, तो है वक़्त की। लेकिन लड़के भाई साहब के पास वक़्त की अफ़रात है। इतनी कि वो कितना भी वक़्त जाया कर सकते हैं, अपनी चूटिया सोच पर।

अरे भाई, इतनी ही मोहब्बत है, तो अपनी मोहब्बत के सामने नत होना सीखो। मोहब्बत में ग़ुमान का कोई रोल नहीं है। पहले ग़ुमान छोड़ो।

और फिर जा कर कहो अक्षिता से कि मेरे महबूब, मैं चूतिया हूँ... मुझसे ग़लतियाँ हुई हैं। माफ़ कर दो। तुम मेरी जान हो। तो मुझे अपनी जान बचा लेने का एक मौका दो। चलो मेरे संग, और चलो अपना इलाज़ करवाने। अब ये लड़ाई एक दिन की हो, या एक साल की, या एक सदी की, साथ ही रह कर लड़ेंगे।


ख़ैर...

माफ़ करना भाई। इतने दिनों बाद कुछ लिखा, और वो भी इतना कड़वा कड़वा।

लेकिन क्या करूँ? एकांश का किरदार सच में महा-चूतिया है।
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Mind blowing update again Adirshi bhaiya, ek baar fir emotional karne me kamyab ho gaye ju:verysad: Akhsita ki halat theek nahi lag rahi, udhar ekansh kirayedar ban ke pahuch gaya per kuch bol nahi pa raha use, dekhne wale baat ye hogi ki dono kaise ek dusre ka saamna karte hai?
Awesome writing ✍️ dear👌🏻👌🏻👌🏻
 
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parkas

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अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Bahut hi badhiya update diya hai Adirshi bhai....
Nice and beautiful update....
 

Sweetkaran

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Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Awesome update bro
 

park

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Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Nice and superb update....
 

kas1709

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Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Nice update....
 
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41,978
258
अक्षिता की डायरी , नो डाऊट बहुत ही इमोशनल है । इस डायरी को पढ़कर कोई भी बंदा भावुक हो सकता है ।
लेकिन फिर से सारे सवाल हमारे नायक एकांश साहब पर आकर खड़ा हो जाता है ।
इस तरह से गैप ले लेकर और वह भी रोजाना ऐसी दर्दनाक डायरी कौन पढ़ता है भाई ?
अगर मै एकांश साहब की जगह पर होता तो मै सारे काम धाम छोड़कर पहले अक्षिता की डायरी पढ़ता । उस अक्षिता की डायरी जो अपनी मौत के द्वार पर खड़ी है । उस अक्षिता की डायरी जिसे मै सबसे अधिक प्यार करता हूं । उस अक्षिता की डायरी जिस की मौत मै बर्दाश्त नही कर सकता । उस अक्षिता की डायरी जिसके हर पन्ने , हर सेन्टेन्स पर मेरा नाम लिखा हुआ है ।
एकांश साहब के अंदर मैच्योरिटी का पुरा पुरा अभाव है । अब तक उन्होने ऐसा एक काम नही किया जिसे हम तारीफ कर सकें ।
देखते हैं ऊपर वाला इन्हे कब सद् बुद्धि देता है !

बहुत ही खूबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,034
22,447
159
अक्षिता की डायरी , नो डाऊट बहुत ही इमोशनल है । इस डायरी को पढ़कर कोई भी बंदा भावुक हो सकता है ।
लेकिन फिर से सारे सवाल हमारे नायक एकांश साहब पर आकर खड़ा हो जाता है ।
इस तरह से गैप ले लेकर और वह भी रोजाना ऐसी दर्दनाक डायरी कौन पढ़ता है भाई ?
अगर मै एकांश साहब की जगह पर होता तो मै सारे काम धाम छोड़कर पहले अक्षिता की डायरी पढ़ता । उस अक्षिता की डायरी जो अपनी मौत के द्वार पर खड़ी है । उस अक्षिता की डायरी जिसे मै सबसे अधिक प्यार करता हूं । उस अक्षिता की डायरी जिस की मौत मै बर्दाश्त नही कर सकता । उस अक्षिता की डायरी जिसके हर पन्ने , हर सेन्टेन्स पर मेरा नाम लिखा हुआ है ।
एकांश साहब के अंदर मैच्योरिटी का पुरा पुरा अभाव है । अब तक उन्होने ऐसा एक काम नही किया जिसे हम तारीफ कर सकें ।
देखते हैं ऊपर वाला इन्हे कब सद् बुद्धि देता है !

बहुत ही खूबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

पूरी तरह से सहमत।
एकांश का किरदार एक ठस दिमाग वाले आदमी का है - अनयूज़्ड! न इंटेलिजेंस और न ही इमोशनल कोशेंट है।
जब एक एक सेकंड ऐसा बेशक़ीमती हो, तो आदमी उन क्षणों की वैल्यू साल साल भर बराबर बना देता है, और कुछ भी कर गुजरता है। लेकिन एकांश भाई साहब तो निराले हैं - पीपिंग टॉम बनना पसंद है उनको, और जैसा आपने कहा, डायरी पढ़ते रहते हैं। अपनी मूर्खता के कारण जो झेल होती है उन्हें, उसकी खीझ दूसरों पर निकालते हैं। अजीब शय हैं!
अच्छा है, अक्षिता दूर है उससे। ऐसे बौड़म आदमी के संग कोई न ही हो, तो बेहतर।
 
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पूरी तरह से सहमत।
एकांश का किरदार एक ठस दिमाग वाले आदमी का है - अनयूज़्ड! न इंटेलिजेंस और न ही इमोशनल कोशेंट है।
जब एक एक सेकंड ऐसा बेशक़ीमती हो, तो आदमी उन क्षणों की वैल्यू साल साल भर बराबर बना देता है, और कुछ भी कर गुजरता है। लेकिन एकांश भाई साहब तो निराले हैं - पीपिंग टॉम बनना पसंद है उनको, और जैसा आपने कहा, डायरी पढ़ते रहते हैं। अपनी मूर्खता के कारण जो झेल होती है उन्हें, उसकी खीझ दूसरों पर निकालते हैं। अजीब शय हैं!
अच्छा है, अक्षिता दूर है उससे। ऐसे बौड़म आदमी के संग कोई न ही हो, तो बेहतर।
थोड़ा-बहुत मूढ़ मगज है एकांश लेकिन एक सच्चा प्रेमी भी है । वह अपने सोच अनुसार काम करता है जो वह स्वयं नही जानता कि यह ठीक है या गलत ।
वक्त गुजरने के बाद लोग परिपक्व होते हैं , उनके फैसले सही होते हैं । हमारे एकांश साहब भी परिपक्व होंगे ।
उन्हे एहसास होगा कि आप की अच्छी सोच न सिर्फ अपने चुनींदा लोगों के साथ होनी चाहिए बरन हर उस व्यक्ति के साथ होनी चाहिए जो डिजर्व करते हैं ।
हर उस व्यक्ति के साथ जो दरिद्र हो , जो किसी वाहन एक्सिडेंट की वजह से घायल पड़ा हो , जो आप के काम आ रहा हो , जो वक्त की मारी दुखी महिला हो , जो जरूरतमंद बुजुर्ग हो , जो एक अबोध बालक हो ।
 
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