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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Adirshi

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आदरणीय लेखक जी, अब और कितना इंतज़ार कराएंगे अगले अपडेट के लिए? आपकी कहानी ने दिल को ऐसा बांध लिया है कि हर पल बस नए अध्याय की उम्मीद रहती है। कृपया हमारी इस बेताबी पर ध्यान दें और जल्दी से अगला अपडेट लेकर आएं। आपके शब्दों की दुनिया में खो जाना हमेशा सुखद अनुभव होता है।
Bas abhiye agla update post karta hu :online:
 

Adirshi

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Update 42




अक्षिता अपने आस-पास के माहौल को देख रही थी, हर कोई बातें कर रहा था, हंस रहा था, नाच रहा था,मौज-मस्ती कर रहा था,

उसने एकांश की तरफ देखा जो उससे थोड़ी दूर खड़ा किसी से बात कर रहा था, वो एकांश को देख रही थी और खुश थी, आज वो काफी टाइम बाद कुछ अच्छा कुछ नया महसूस कर रही थी, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो इतने दिनों से मानो पिंजरे में बंद थी, लेकिन अब बाहर आकर लोगों से मिलकर उसे अच्छा लग रहा था, और सबके खास बात ये की जिससे वो पीर करती थी वो उसके साथ था…

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा तो पाया कि वो अपने चारों ओर देखकर मुस्कुरा रही थी, वो कीसी मेले मे घूम रहे बच्चे की तरह एक्सईटेड लग रही थी, खुश थी मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जिससे वो बात कर रहा था उनसे विद ली और अक्षिता के पास चला आया और उसने उसका हाथ पकड़ा अपने हाथ पर कीसी का हाथ महसूस कर अक्षिता थोड़ा चौकी लेकिन फिर जब उसने देखा के वो एकांश है तो वो थोड़ी शांत हो गई, एकांश उसे ही देख रहा था वही अक्षिता एकांश से नजरे बचाने की कोशिश करते हुते इधर उधर देख रही थी

और तभी अक्षिता ने कुछ ऐसा देखा जिससे वो थोड़ा घबराई और वो डर के मारे थोड़ा पीछे हटने लगी, एकांश ने भी अक्षिता मे आए इस बदलाव को नोटिस किया और उसकी मुस्कान के गायब होने का कारण जानने के लिए उसने अक्षिता की नजरों का पीछा किया तो वो समझ गया के क्या हुआ है और तभी अक्षिता वहा से जाने के लिए मुड़ी लेकिन जा न सकी, एकांश ने उसका हाथ मजबूती से पकड़ रखा था

"कहा जा रही हो?" एकांश ने पूछा

"मेरा हाथ छोड़ो एकांश?" अक्षिता ने धीमी आवाज मे कहा

"क्या? क्यों?"

"मैं.... " अक्षिता ने कुछ बोलते नहीं बन रहा था और अब वो उन लोगों की ओर देख रही थी जो उन दोनों के पास आ रहे थे

"तुम उन्हें देखकर इतने डरी हुए क्यों हो?" एकांश ने पूछा

"क्योंकि मैं उनकी आँखों में अपने लिए नफ़रत नहीं देखना चाहती" अक्षिता ने वापिस धीमी आवाज मे नीचे देखते हुए कहा

"तुम पागल हो गई जो क्या, और वो भला तुमसे नफरत क्यों करने लगे?" एकांश ने कहा

"क्योंकि मैं उन्हें बिना कुछ बताए सब कुछ छोड़ कर आई थी और अब शायद वो...." बोलते बोलते अक्षिता चुप हो गई और वापिस नीचे देखने लगी वही एकांश उसकी इस बात पर हसने के अलावा कुछ ना कर सका

"मैंने कोई जोक मारा क्या जो यू हस रहे हो?" अक्षिता ने एकांश को घूरते हुए पूछा

"नहीं तुम्हारी बेवकूफी पर हास रहा हु"

"छोड़ो यार जाने डू मुझे" अक्षिता ने चिढ़कर कहा और एकांश के हाथ से अपने हाथ छुड़ाने लगी

"तुम्हें पागलपन के दौरे पड़ते है क्या जो सोच रही हो के वो लोग तुमसे नफरत करेंगे, तुम्हें पता भी है कि जब तुम अचानक चली गई थी तो उनलोगों की क्या हालत थी, ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी उन्होंने जहा तुम्हें खोजा ना हो और स्वरा का तो रो रो के बुरा हाल था और तुम सोचती हो कि वो तुमसे नफरत करेंगे?" एकांश ने कहा

"लेकिन.... मुझे नहीं पता कि मैं उनका सामना कैसे करूंगी....." अक्षिता ने वापिस धीमी आवाज मे कहा जीसे सुन कोई भी समझ सकता था के वो काभी भी रो पड़ेगी

"अक्षिता, वो दोस्त है तुम्हारे, बल्कि सबसे अच्छे दोस्त है, देखो तुम्हारे जाने का जो भी कारण हो, वो समझ जाएंगे और ट्रस्ट मी तुमसे मिलकर खुश होंगे ना की तुमसे नफरत करेंगे वैसे कोई तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता, अब जाओ और जाकर मिलों उनसे" एकांश ने अक्षिता के आँखों मे देखते हुए उसे समझाते हुए कहा और उसने भी हा मे सिर हिलाया मानो एकांश की बात समझ गई जो जीसे देख एकांश के चेहरे पर भी स्माइल आ गई और अक्षिता उन लोगों की ओर मुड़ी जो अब वहा पहुच चुके थे और उसे ही देख रहे थे लेकिन कुछ बोल नहीं रहे थे

रोहन और स्वरा उन दोनो के सामने खड़े अक्षिता को देख रही थे वही अक्षिता को समझ नही आ रहा था के क्या बोले, कैसे अपने दोस्तो का सामना करे और आखिर स्वरा ने ही वो चुप्पी तोडी

"फिर से हमसे दूर भाग रही थी?" स्वरा ने पूछा, उसके चेहरे पर हल्का सा गुस्सा था और उसकी नजरो से अपने लिए वो गुस्सा देख अक्षिता से आगे कुछ बोलते ही नही बना, वो नीचे देखने लगी, उसकी आंखों में पानी था

"मैं... वो... मैं..." वो हकला रही थी, समझ नहीं पा रही थी कि क्या कहे कैसे कहे और फिर स्वरा ने वो किया जो अक्षिता ने सोचा नही था, अगले ही मिनट स्वरा ने उसे गले लगा लिया

"पागल हो क्या यार अक्षु, ऐसे कोई गायब होता है क्या पता है।हम कितना टेंशन में आ गए थे?" स्वरा अक्षिता को कसकर गले लगाते हुए रो पड़ी यही हाल अक्षिता का भी था, उसने भी स्वरा को कस कर गले लगा लिया

"I missed you" स्वरा ने कहा

"I missed you too"

कुछ देर बाद दोनो अलग हुए और अक्षिता ने स्वरा के आंसू पोछे

"होगया... लॉस्ट लवर्स का मिलाप हो गया?" रोहन ने उनका रोना धोना देख ताना मारते हुए कहा जिसे सुन स्वरा ने उसे घूरकर देखा वही अक्षिता हस पड़ी

"How are you?" रोहन ने अक्षिता को गले लगाते हुए कहा

"एकदम बढ़िया"

"Good..... and you look better too..... that's nice" रोहन ने अक्षिता को देखते हुए कहा जिसपर वो बस मुस्कुरा दी

"हटो यार रोहन बोर कर रहे हो तुम, मुझे मेरी बेस्ट फ्रेंड से बहुत सारी बाते करने है" स्वरा ने रोहन को दूर धकेलते हुए कहा

"अरे! वो मेरी भी तो दोस्त है यार" रोहन ने कहा लेकिन तब तक स्वरा अक्षिता को अपने साथ ले गई थी और इस दौरान एकांश वहीं खड़े होकर बस उन्हें देखकर मुस्कुरा रहा था..

"तुम ठीक हो? तुम्हारी तबीयत कैसी है अब? दवाइयां ठीक से ले रही हो ना? आंटी और अंकल कैसे हैं?" स्वरा ने अक्षिता पे एक के बाद एक सवाल दाग दिए वही अक्षिता बस उसे देख हस रही थी और सोच रही थी के उसने स्वरा इस इस बकबक को कितना मिस किया था

"ठीक है ठीक है..... बस ये बताओ तुम कैसी हो?" स्वरा ने इस बार उसे हसता देख कर सीरियस होकर पूछा

अक्षिता ने एक नजर एकांश की ओर देखा जो रोहन से बात कर रहा था

"मैं ठीक हूं... सच में..." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा लेकिन वो अब भी एकांश को देखे जा रही थी

उसे यू देख स्वरा के भी चेहरे पर स्माइल आ गई क्योंकि वो भी जानती थी कि उसकी दोस्त का क्या मतलब था, जब तक एकांश उसके साथ है, अक्षिता खुश है..

और फिर उन सभी बातो का सिलसिला शुरू हुआ जो इन दोनो ने मिस की थी

"अब इससे पहले कि एकांश आकर तुम्हें खींचकर ले जाए, चलो" स्वरा ने कहा और अक्षिता ने एकांश की ओर देखा जो बीच-बीच में उसकी ओर ही देख रहा था, पूरा ध्यान रख रहा था कि वो ठीक है या नहीं स्वरा और अक्षिता भी जाकर रोहन एकांश के पास खड़े हों गए..

"कुछ खाए क्या अब भूख लग रही है?" स्वरा ने कहा जिसपर बाकी सब ने भी सहमति जताई और एकांश ने उन्हें खाने के सेक्शन की ओर चलने का इशारा किया और सब उसके पीछे हो लिया

एकांश अक्षिता के खाने के लिए एक प्लेट में सारी हेल्थी चीजे ले आया था जो के बस सलाद और फ्रूट्स थे जिसे देख अक्षिता ने मुंह बना लिया लेकिन जब उसके मुंह बनाने का एकांश पर कोई असर नहीं हुआ तो उसने चुप चाप वही खा लिया

"आइसक्रीम!" खाना होने के बाद अक्षिता ने अचानक चीखकर कहा जिससे बाकी तीनों चौके

"क्या?" एकांश पूछा

"वो देखो उधर आइस क्रीम है, चलो ना आइस क्रीम खाते है" अक्षिता ने एक और इशारा करते हुए कहा और एकांश का चेहरा थोड़ा टेंशन में आ गया वही रोहन और स्वरा ने भी एकदूसरे को देखा

"अक्षिता बाहर बहुत ठंड है और ऐसे मौसम में तुम्हें आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए..... तुम्हें सर्दी लग सकती है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"Whatever मुझे आइस क्रीम खानी है बस" अक्षिता ने ज़िद करते हुए कहा

एकांश ने स्वरा और रोहन की ओर मदद की नजरो से देखा, वो अक्षिता को सेहत के साथ कोई रिस्क नही लेना चाहता था खासकर तब जब उसकी हालत में सुधार हो रहा था

"अक्षिता, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.... अकेले में" रोहन ने कहा

" लेकिन....."

"प्लीज....." रोहन ने जोर देते हुए कहा

"ठीक है" बोलके अक्षिता रोहन के साथ चली गई

एकांश और स्वरा ने अक्षिता और रोहन की ओर देखा जो कुछ सीरियस होकर बातचीत कर रहे थे एकांश ने देखा कि जब रोहन ने अपनी बात खत्म की तो अक्षिता थोड़ी निराश दिख रही थी और उसका दिल ये सोचकर दुख रहा था कि वो जो चाहती थी वो खा भी नहीं पाई..

"Let's have some desert.." स्वरा ने अक्षिता का मूड ठीक करने के लिए कहा

"नहीं रहने दो" अक्षिता ने कहा

"क्यों?" स्वरा ने पूछा

"मेरा अब कुछ खाने का मन नही है" अक्षिता ने नीचे देखते हुए कहा और कोने में रखे एक सोफे पर जाकर बैठ गई, एकांश को उसे यू मायूस देखना बिलकुल अच्छा नही लग रहा था

रोहन और स्वरा ने एकांश की ओर देखा जो कुछ लोगो से बात कर रहा था और बीच बीच में अक्षिता को भी देख रहा था अक्षिता भी जब वो उसकी ओर देखता तो मुस्कुरा देती, लेकिन एकांश समझ गया था कि वो किसी बात गहन चिंतन में डूबी हुई थी, रोहन किसी ऐसे बंदे से बात कर रहा था जिसे वो कंपनी की मीटिंग के कारण जानता था और स्वरा को एक फोन आया था जिसे वो अटेंड कर रही थी

अक्षिता सोफे पर अकेली बैठी थी और बीच-बीच में वो भी एकांश को देख रही थी साथ ही उन लड़कियों को घूर रही थी जो बेशर्मी से एकांश पर लाइन मार रही थीं,

अक्षिता अभी सोफ़े पर बैठी अपने खयालों मे खोई थी के उसने महसूस किया के कोई उसके बाजू मे आके बैठा है उसने अपने पास बैठे बंदे को देखा जो उसे ही देख रहा था जिसके बाद अक्षिता ने अपने कपड़े ठीक कीये

"what a hot and young woman like you doing here sitting alone?" उस बंदे ने अक्षिता की ओर देख पूछा, उसके इंटेन्शन अक्षिता को सही नहीं लग रहे थे

"it’s none of your business" अक्षिता ने तीखे स्वर मे कहा

"जब बात खूबसूरत लड़कियों की आती है then it’s my business" उसने अक्षिता के शरीर को ऊपर से नीचे देखते हुए कहा

"इक्स्क्यूज़ मी" अक्षिता ने कहा और वहा से जाने के लिए उठ खड़ी हुई और वो वहा से जाने ही वाली थी के उस बंदे से अक्षिता का हाथ पकड़ कर उसे जाने से रोका और अक्षिता अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी

"stop struggling, let’s have some fun... वैसे भी इस साड़ी मे बहुत सेक्सी लग रही हो तुम" उस बंदे के अक्षिता के पास आते हुए कहा

“हाथ छोड़ो मेरा" अक्षिता ने गुस्से मे कहा और इससे पहले कि वो बंद आगे कुछ कह पाता वो अपना जबड़ा पकड़े फर्श पर गिरा पड़ा था और एकांश उसे जानलेवा नजरों से घूर रहा था

"how dare you touch her?" एकांश ने चिल्ला कर कहा और उस बंदे को मारने के लिए उसकी ओर बढ़ा अक्षिता ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन अब एकांश कहा रुकने वाला था वही वो बंदा भी शांत नहीं था उसने ऐसी बात बोली की एकांश को और गुस्सा चढ़ने लगा

"एकांश रघुवंशी, तो तुम्हारी भी नजर है उसपर.... बढ़िया तो क्यों न हम दोनों मिलकर उसके साथ मजे करें... क्या बोलते हो" एकांश ने मुक्का इतनी जोर से मारा था के उस बंदे का होंठ फट गया था जिसमे से थोड़ा खून आ रहा था फिर भी वो मुसकुराते हुए एकांश को देख बोला और अगले ही पल वो अपना पेट पकड़े वापिस जमीन पर पड़ा था

"तूने दोबारा उसकी ओर देखने की हिम्मत भी की ओर जान से मार दूंगा...... " एकांश ने उसका कॉलर पकड़ कर उसे ऊपर उठाते हुए कहा

"अंश... रुको..." अक्षिता ने एकांश का हाथ पकड़ लिया

मामला बढ़ता देख कई लोग अब बीच मे आ गए थे एकांश को रोकने लगे थे, एकांश को यू गुस्से मे एक लड़की के लिए झगड़ते देख कई लोग हैरान था, कीसी ने भी उसे पहले कभी कीसी लड़की के साथ नहीं देखा था और अब एकांश का वहा रुकने का जरा भी मन नहीं था वो अक्षिता का हाथ थामे होटल से बाहर चला आया वही अक्षिता उसे देखती हुई उसके पीछे पीछे चल रही

उनके साथ ही रोहन और स्वरा भी निकल आए थे और पार्किंग मे अक्षिता ने उन दोनों से बाय कहा, रोहन ने एकांश को देखा जो अभी भी काफी गुस्से मे था और ऐसा लग रहा था के कभी भी फट पड़ेगा, अक्षिता और एकांश कार मे बैठे और कार घर की ओर चल पड़ी

अक्षिता को समझ नहीं आ रहा था कि वो एकांश को कैसे शांत करे, जो अभी भी गुस्से में अपनी मुट्ठियाँ भींचे हुए था, उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा जो स्टीयरिंग व्हील को कसकर पकड़े हुए था

अक्षिता की छुअन से एकांश का मन थोड़ा शांत होने लगा था, उसने उसकी ओर देखा जो चिंतित नजरों से उसे देख रही थी, उसने सोचा था के पार्टी के बाद अक्षिता को बढ़िया डिनर पर ले जाएगा, उसे सप्राइज़ करेगा लेकिन कुछ और ही हो गया था

एकांश ने अचानक कार की डिरेक्शिन चेंज की, पहले तो अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने कोई सवाल नहीं किया और वो कहा जा रहे है ये सोच ही रही थी के तभी अचानक कार रुकी और एकांश नीचे उतार कर उसकी साइड आया और उसने उसके लिए दरवाजा खोला

"आइ एम सॉरी.... मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे साथ ये सब होगा... मुझे केयरफूल रहना चाहिए था और किसी को भी तुम्हारे पास नहीं आने देना चाहिए था.... सॉरी अक्षिता....." एकांश ने कहा और तभी अक्षिता ने उसे कसकर गले लगा लिया, एकांश पहले तो हैरान हुआ लेकिन फिर उसने भी अपने आप को उस मोमेंट के हवाले कर दिया, उसका मन शांत होने लगा था,

"तो हम यहाँ क्या कर रहे हैं?" कुछ समय बाद उससे अलग होते हुए अक्षिता ने पूछा

"मुझे पता है कि तुमने वहाँ ज्यादा कुछ नहीं खाया इसीलिए कुछ खाने आए है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

एकांश को मुसकुराता देख की अक्षिता को राहत महसूस हुई

"यहाँ? लेकिन मुझे यहाँ कोई होटल नहीं दिख रहा है.." अक्षिता ने अपने चारों ओर देखते हुए कहा

"चलो मेरी साथ" एकांश ने अपनी कार लॉक करते हुए कहा और अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे लेकर थोड़ा आगे आया और अक्षिता का रिएक्शन देखने रुका

उस जगह को देख अक्षिता के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी और उसने मुस्कुराते हुए पूछा

"मजाक तो नहीं कर रहे न?"

"नहीं..." एकांश ने भी वैसे ही मुसकुराते हुए कहा....

क्रमश:
 
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park

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अक्षिता अपने आस-पास के माहौल को देख रही थी, हर कोई बातें कर रहा था, हंस रहा था, नाच रहा था,मौज-मस्ती कर रहा था,

उसने एकांश की तरफ देखा जो उससे थोड़ी दूर खड़ा किसी से बात कर रहा था, वो एकांश को देख रही थी और खुश थी, आज वो काफी टाइम बाद कुछ अच्छा कुछ नया महसूस कर रही थी, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो इतने दिनों से मानो पिंजरे में बंद थी, लेकिन अब बाहर आकर लोगों से मिलकर उसे अच्छा लग रहा था, और सबके खास बात ये की जिससे वो पीर करती थी वो उसके साथ था…

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा तो पाया कि वो अपने चारों ओर देखकर मुस्कुरा रही थी, वो कीसी मेले मे घूम रहे बच्चे की तरह एक्सईटेड लग रही थी, खुश थी मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जिससे वो बात कर रहा था उनसे विद ली और अक्षिता के पास चला आया और उसने उसका हाथ पकड़ा अपने हाथ पर कीसी का हाथ महसूस कर अक्षिता थोड़ा चौकी लेकिन फिर जब उसने देखा के वो एकांश है तो वो थोड़ी शांत हो गई, एकांश उसे ही देख रहा था वही अक्षिता एकांश से नजरे बचाने की कोशिश करते हुते इधर उधर देख रही थी

और तभी अक्षिता ने कुछ ऐसा देखा जिससे वो थोड़ा घबराई और वो डर के मारे थोड़ा पीछे हटने लगी, एकांश ने भी अक्षिता मे आए इस बदलाव को नोटिस किया और उसकी मुस्कान के गायब होने का कारण जानने के लिए उसने अक्षिता की नजरों का पीछा किया तो वो समझ गया के क्या हुआ है और तभी अक्षिता वहा से जाने के लिए मुड़ी लेकिन जा न सकी, एकांश ने उसका हाथ मजबूती से पकड़ रखा था

"कहा जा रही हो?" एकांश ने पूछा

"मेरा हाथ छोड़ो एकांश?" अक्षिता ने धीमी आवाज मे कहा

"क्या? क्यों?"

"मैं.... " अक्षिता ने कुछ बोलते नहीं बन रहा था और अब वो उन लोगों की ओर देख रही थी जो उन दोनों के पास आ रहे थे

"तुम उन्हें देखकर इतने डरी हुए क्यों हो?" एकांश ने पूछा

"क्योंकि मैं उनकी आँखों में अपने लिए नफ़रत नहीं देखना चाहती" अक्षिता ने वापिस धीमी आवाज मे नीचे देखते हुए कहा

"तुम पागल हो गई जो क्या, और वो भला तुमसे नफरत क्यों करने लगे?" एकांश ने कहा

"क्योंकि मैं उन्हें बिना कुछ बताए सब कुछ छोड़ कर आई थी और अब शायद वो...." बोलते बोलते अक्षिता चुप हो गई और वापिस नीचे देखने लगी वही एकांश उसकी इस बात पर हसने के अलावा कुछ ना कर सका

"मैंने कोई जोक मारा क्या जो यू हस रहे हो?" अक्षिता ने एकांश को घूरते हुए पूछा

"नहीं तुम्हारी बेवकूफी पर हास रहा हु"

"छोड़ो यार जाने डू मुझे" अक्षिता ने चिढ़कर कहा और एकांश के हाथ से अपने हाथ छुड़ाने लगी

"तुम्हें पागलपन के दौरे पड़ते है क्या जो सोच रही हो के वो लोग तुमसे नफरत करेंगे, तुम्हें पता भी है कि जब तुम अचानक चली गई थी तो उनलोगों की क्या हालत थी, ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी उन्होंने जहा तुम्हें खोजा ना हो और स्वरा का तो रो रो के बुरा हाल था और तुम सोचती हो कि वो तुमसे नफरत करेंगे?" एकांश ने कहा

"लेकिन.... मुझे नहीं पता कि मैं उनका सामना कैसे करूंगी....." अक्षिता ने वापिस धीमी आवाज मे कहा जीसे सुन कोई भी समझ सकता था के वो काभी भी रो पड़ेगी

"अक्षिता, वो दोस्त है तुम्हारे, बल्कि सबसे अच्छे दोस्त है, देखो तुम्हारे जाने का जो भी कारण हो, वो समझ जाएंगे और ट्रस्ट मी तुमसे मिलकर खुश होंगे ना की तुमसे नफरत करेंगे वैसे कोई तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता, अब जाओ और जाकर मिलों उनसे" एकांश ने अक्षिता के आँखों मे देखते हुए उसे समझाते हुए कहा और उसने भी हा मे सिर हिलाया मानो एकांश की बात समझ गई जो जीसे देख एकांश के चेहरे पर भी स्माइल आ गई और अक्षिता उन लोगों की ओर मुड़ी जो अब वहा पहुच चुके थे और उसे ही देख रहे थे लेकिन कुछ बोल नहीं रहे थे

रोहन और स्वरा उन दोनो के सामने खड़े अक्षिता को देख रही थे वही अक्षिता को समझ नही आ रहा था के क्या बोले, कैसे अपने दोस्तो का सामना करे और आखिर स्वरा ने ही वो चुप्पी तोडी

"फिर से हमसे दूर भाग रही थी?" स्वरा ने पूछा, उसके चेहरे पर हल्का सा गुस्सा था और उसकी नजरो से अपने लिए वो गुस्सा देख अक्षिता से आगे कुछ बोलते ही नही बना, वो नीचे देखने लगी, उसकी आंखों में पानी था

"मैं... वो... मैं..." वो हकला रही थी, समझ नहीं पा रही थी कि क्या कहे कैसे कहे और फिर स्वरा ने वो किया जो अक्षिता ने सोचा नही था, अगले ही मिनट स्वरा ने उसे गले लगा लिया

"पागल हो क्या यार अक्षु, ऐसे कोई गायब होता है क्या पता है।हम कितना टेंशन में आ गए थे?" स्वरा अक्षिता को कसकर गले लगाते हुए रो पड़ी यही हाल अक्षिता का भी था, उसने भी स्वरा को कस कर गले लगा लिया

"I missed you" स्वरा ने कहा

"I missed you too"

कुछ देर बाद दोनो अलग हुए और अक्षिता ने स्वरा के आंसू पोछे

"होगया... लॉस्ट लवर्स का मिलाप हो गया?" रोहन ने उनका रोना धोना देख ताना मारते हुए कहा जिसे सुन स्वरा ने उसे घूरकर देखा वही अक्षिता हस पड़ी

"How are you?" रोहन ने अक्षिता को गले लगाते हुए कहा

"एकदम बढ़िया"

"Good..... and you look better too..... that's nice" रोहन ने अक्षिता को देखते हुए कहा जिसपर वो बस मुस्कुरा दी

"हटो यार रोहन बोर कर रहे हो तुम, मुझे मेरी बेस्ट फ्रेंड से बहुत सारी बाते करने है" स्वरा ने रोहन को दूर धकेलते हुए कहा

"अरे! वो मेरी भी तो दोस्त है यार" रोहन ने कहा लेकिन तब तक स्वरा अक्षिता को अपने साथ ले गई थी और इस दौरान एकांश वहीं खड़े होकर बस उन्हें देखकर मुस्कुरा रहा था..

"तुम ठीक हो? तुम्हारी तबीयत कैसी है अब? दवाइयां ठीक से ले रही हो ना? आंटी और अंकल कैसे हैं?" स्वरा ने अक्षिता पे एक के बाद एक सवाल दाग दिए वही अक्षिता बस उसे देख हस रही थी और सोच रही थी के उसने स्वरा इस इस बकबक को कितना मिस किया था

"ठीक है ठीक है..... बस ये बताओ तुम कैसी हो?" स्वरा ने इस बार उसे हसता देख कर सीरियस होकर पूछा

अक्षिता ने एक नजर एकांश की ओर देखा जो रोहन से बात कर रहा था

"मैं ठीक हूं... सच में..." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा लेकिन वो अब भी एकांश को देखे जा रही थी

उसे यू देख स्वरा के भी चेहरे पर स्माइल आ गई क्योंकि वो भी जानती थी कि उसकी दोस्त का क्या मतलब था, जब तक एकांश उसके साथ है, अक्षिता खुश है..

और फिर उन सभी बातो का सिलसिला शुरू हुआ जो इन दोनो ने मिस की थी

"अब इससे पहले कि एकांश आकर तुम्हें खींचकर ले जाए, चलो" स्वरा ने कहा और अक्षिता ने एकांश की ओर देखा जो बीच-बीच में उसकी ओर ही देख रहा था, पूरा ध्यान रख रहा था कि वो ठीक है या नहीं स्वरा और अक्षिता भी जाकर रोहन एकांश के पास खड़े हों गए..

"कुछ खाए क्या अब भूख लग रही है?" स्वरा ने कहा जिसपर बाकी सब ने भी सहमति जताई और एकांश ने उन्हें खाने के सेक्शन की ओर चलने का इशारा किया और सब उसके पीछे हो लिया

एकांश अक्षिता के खाने के लिए एक प्लेट में सारी हेल्थी चीजे ले आया था जो के बस सलाद और फ्रूट्स थे जिसे देख अक्षिता ने मुंह बना लिया लेकिन जब उसके मुंह बनाने का एकांश पर कोई असर नहीं हुआ तो उसने चुप चाप वही खा लिया

"आइसक्रीम!" खाना होने के बाद अक्षिता ने अचानक चीखकर कहा जिससे बाकी तीनों चौके

"क्या?" एकांश पूछा

"वो देखो उधर आइस क्रीम है, चलो ना आइस क्रीम खाते है" अक्षिता ने एक और इशारा करते हुए कहा और एकांश का चेहरा थोड़ा टेंशन में आ गया वही रोहन और स्वरा ने भी एकदूसरे को देखा

"अक्षिता बाहर बहुत ठंड है और ऐसे मौसम में तुम्हें आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए..... तुम्हें सर्दी लग सकती है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"Whatever मुझे आइस क्रीम खानी है बस" अक्षिता ने ज़िद करते हुए कहा

एकांश ने स्वरा और रोहन की ओर मदद की नजरो से देखा, वो अक्षिता को सेहत के साथ कोई रिस्क नही लेना चाहता था खासकर तब जब उसकी हालत में सुधार हो रहा था

"अक्षिता, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.... अकेले में" रोहन ने कहा

" लेकिन....."

"प्लीज....." रोहन ने जोर देते हुए कहा

"ठीक है" बोलके अक्षिता रोहन के साथ चली गई

एकांश और स्वरा ने अक्षिता और रोहन की ओर देखा जो कुछ सीरियस होकर बातचीत कर रहे थे एकांश ने देखा कि जब रोहन ने अपनी बात खत्म की तो अक्षिता थोड़ी निराश दिख रही थी और उसका दिल ये सोचकर दुख रहा था कि वो जो चाहती थी वो खा भी नहीं पाई..

"Let's have some desert.." स्वरा ने अक्षिता का मूड ठीक करने के लिए कहा

"नहीं रहने दो" अक्षिता ने कहा

"क्यों?" स्वरा ने पूछा

"मेरा अब कुछ खाने का मन नही है" अक्षिता ने नीचे देखते हुए कहा और कोने में रखे एक सोफे पर जाकर बैठ गई, एकांश को उसे यू मायूस देखना बिलकुल अच्छा नही लग रहा था

रोहन और स्वरा ने एकांश की ओर देखा जो कुछ लोगो से बात कर रहा था और बीच बीच में अक्षिता को भी देख रहा था अक्षिता भी जब वो उसकी ओर देखता तो मुस्कुरा देती, लेकिन एकांश समझ गया था कि वो किसी बात गहन चिंतन में डूबी हुई थी, रोहन किसी ऐसे बंदे से बात कर रहा था जिसे वो कंपनी की मीटिंग के कारण जानता था और स्वरा को एक फोन आया था जिसे वो अटेंड कर रही थी

अक्षिता सोफे पर अकेली बैठी थी और बीच-बीच में वो भी एकांश को देख रही थी साथ ही उन लड़कियों को घूर रही थी जो बेशर्मी से एकांश पर लाइन मार रही थीं,

अक्षिता अभी सोफ़े पर बैठी अपने खयालों मे खोई थी के उसने महसूस किया के कोई उसके बाजू मे आके बैठा है उसने अपने पास बैठे बंदे को देखा जो उसे ही देख रहा था जिसके बाद अक्षिता ने अपने कपड़े ठीक कीये

"what a hot and young woman like you doing here sitting alone?" उस बंदे ने अक्षिता की ओर देख पूछा, उसके इंटेन्शन अक्षिता को सही नहीं लग रहे थे

"it’s none of your business" अक्षिता ने तीखे स्वर मे कहा

"जब बात खूबसूरत लड़कियों की आती है then it’s my business" उसने अक्षिता के शरीर को ऊपर से नीचे देखते हुए कहा

"इक्स्क्यूज़ मी" अक्षिता ने कहा और वहा से जाने के लिए उठ खड़ी हुई और वो वहा से जाने ही वाली थी के उस बंदे से अक्षिता का हाथ पकड़ कर उसे जाने से रोका और अक्षिता अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी

"stop struggling, let’s have some fun... वैसे भी इस साड़ी मे बहुत सेक्सी लग रही हो तुम" उस बंदे के अक्षिता के पास आते हुए कहा

“हाथ छोड़ो मेरा" अक्षिता ने गुस्से मे कहा और इससे पहले कि वो बंद आगे कुछ कह पाता वो अपना जबड़ा पकड़े फर्श पर गिरा पड़ा था और एकांश उसे जानलेवा नजरों से घूर रहा था

"how dare you touch her?" एकांश ने चिल्ला कर कहा और उस बंदे को मारने के लिए उसकी ओर बढ़ा अक्षिता ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन अब एकांश कहा रुकने वाला था वही वो बंदा भी शांत नहीं था उसने ऐसी बात बोली की एकांश को और गुस्सा चढ़ने लगा

"एकांश रघुवंशी, तो तुम्हारी भी नजर है उसपर.... बढ़िया तो क्यों न हम दोनों मिलकर उसके साथ मजे करें... क्या बोलते हो" एकांश ने मुक्का इतनी जोर से मारा था के उस बंदे का होंठ फट गया था जिसमे से थोड़ा खून आ रहा था फिर भी वो मुसकुराते हुए एकांश को देख बोला और अगले ही पल वो अपना पेट पकड़े वापिस जमीन पर पड़ा था

"तूने दोबारा उसकी ओर देखने की हिम्मत भी की ओर जान से मार दूंगा...... " एकांश ने उसका कॉलर पकड़ कर उसे ऊपर उठाते हुए कहा

"अंश... रुको..." अक्षिता ने एकांश का हाथ पकड़ लिया

मामला बढ़ता देख कई लोग अब बीच मे आ गए थे एकांश को रोकने लगे थे, एकांश को यू गुस्से मे एक लड़की के लिए झगड़ते देख कई लोग हैरान था, कीसी ने भी उसे पहले कभी कीसी लड़की के साथ नहीं देखा था और अब एकांश का वहा रुकने का जरा भी मन नहीं था वो अक्षिता का हाथ थामे होटल से बाहर चला आया वही अक्षिता उसे देखती हुई उसके पीछे पीछे चल रही

उनके साथ ही रोहन और स्वरा भी निकल आए थे और पार्किंग मे अक्षिता ने उन दोनों से बाय कहा, रोहन ने एकांश को देखा जो अभी भी काफी गुस्से मे था और ऐसा लग रहा था के कभी भी फट पड़ेगा, अक्षिता और एकांश कार मे बैठे और कार घर की ओर चल पड़ी

अक्षिता को समझ नहीं आ रहा था कि वो एकांश को कैसे शांत करे, जो अभी भी गुस्से में अपनी मुट्ठियाँ भींचे हुए था, उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा जो स्टीयरिंग व्हील को कसकर पकड़े हुए था

अक्षिता की छुअन से एकांश का मन थोड़ा शांत होने लगा था, उसने उसकी ओर देखा जो चिंतित नजरों से उसे देख रही थी, उसने सोचा था के पार्टी के बाद अक्षिता को बढ़िया डिनर पर ले जाएगा, उसे सप्राइज़ करेगा लेकिन कुछ और ही हो गया था

एकांश ने अचानक कार की डिरेक्शिन चेंज की, पहले तो अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने कोई सवाल नहीं किया और वो कहा जा रहे है ये सोच ही रही थी के तभी अचानक कार रुकी और एकांश नीचे उतार कर उसकी साइड आया और उसने उसके लिए दरवाजा खोला

"आइ एम सॉरी.... मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे साथ ये सब होगा... मुझे केयरफूल रहना चाहिए था और किसी को भी तुम्हारे पास नहीं आने देना चाहिए था.... सॉरी अक्षिता....." एकांश ने कहा और तभी अक्षिता ने उसे कसकर गले लगा लिया, एकांश पहले तो हैरान हुआ लेकिन फिर उसने भी अपने आप को उस मोमेंट के हवाले कर दिया, उसका मन शांत होने लगा था,

"तो हम यहाँ क्या कर रहे हैं?" कुछ समय बाद उससे अलग होते हुए अक्षिता ने पूछा

"मुझे पता है कि तुमने वहाँ ज्यादा कुछ नहीं खाया इसीलिए कुछ खाने आए है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

एकांश को मुसकुराता देख की अक्षिता को राहत महसूस हुई

"यहाँ? लेकिन मुझे यहाँ कोई होटल नहीं दिख रहा है.." अक्षिता ने अपने चारों ओर देखते हुए कहा

"चलो मेरी साथ" एकांश ने अपनी कार लॉक करते हुए कहा और अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे लेकर थोड़ा आगे आया और अक्षिता का रिएक्शन देखने रुका

उस जगह को देख अक्षिता के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी और उसने मुस्कुराते हुए पूछा

"मजाक तो नहीं कर रहे न?"

"नहीं..." एकांश ने भी वैसे ही मुसकुराते हुए कहा....

क्रमश:
Nice and superb update....
 

आसिफा

Family Love 😘😘
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Update 42




अक्षिता अपने आस-पास के माहौल को देख रही थी, हर कोई बातें कर रहा था, हंस रहा था, नाच रहा था,मौज-मस्ती कर रहा था,

उसने एकांश की तरफ देखा जो उससे थोड़ी दूर खड़ा किसी से बात कर रहा था, वो एकांश को देख रही थी और खुश थी, आज वो काफी टाइम बाद कुछ अच्छा कुछ नया महसूस कर रही थी, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो इतने दिनों से मानो पिंजरे में बंद थी, लेकिन अब बाहर आकर लोगों से मिलकर उसे अच्छा लग रहा था, और सबके खास बात ये की जिससे वो पीर करती थी वो उसके साथ था…

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा तो पाया कि वो अपने चारों ओर देखकर मुस्कुरा रही थी, वो कीसी मेले मे घूम रहे बच्चे की तरह एक्सईटेड लग रही थी, खुश थी मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जिससे वो बात कर रहा था उनसे विद ली और अक्षिता के पास चला आया और उसने उसका हाथ पकड़ा अपने हाथ पर कीसी का हाथ महसूस कर अक्षिता थोड़ा चौकी लेकिन फिर जब उसने देखा के वो एकांश है तो वो थोड़ी शांत हो गई, एकांश उसे ही देख रहा था वही अक्षिता एकांश से नजरे बचाने की कोशिश करते हुते इधर उधर देख रही थी

और तभी अक्षिता ने कुछ ऐसा देखा जिससे वो थोड़ा घबराई और वो डर के मारे थोड़ा पीछे हटने लगी, एकांश ने भी अक्षिता मे आए इस बदलाव को नोटिस किया और उसकी मुस्कान के गायब होने का कारण जानने के लिए उसने अक्षिता की नजरों का पीछा किया तो वो समझ गया के क्या हुआ है और तभी अक्षिता वहा से जाने के लिए मुड़ी लेकिन जा न सकी, एकांश ने उसका हाथ मजबूती से पकड़ रखा था

"कहा जा रही हो?" एकांश ने पूछा

"मेरा हाथ छोड़ो एकांश?" अक्षिता ने धीमी आवाज मे कहा

"क्या? क्यों?"

"मैं.... " अक्षिता ने कुछ बोलते नहीं बन रहा था और अब वो उन लोगों की ओर देख रही थी जो उन दोनों के पास आ रहे थे

"तुम उन्हें देखकर इतने डरी हुए क्यों हो?" एकांश ने पूछा

"क्योंकि मैं उनकी आँखों में अपने लिए नफ़रत नहीं देखना चाहती" अक्षिता ने वापिस धीमी आवाज मे नीचे देखते हुए कहा

"तुम पागल हो गई जो क्या, और वो भला तुमसे नफरत क्यों करने लगे?" एकांश ने कहा

"क्योंकि मैं उन्हें बिना कुछ बताए सब कुछ छोड़ कर आई थी और अब शायद वो...." बोलते बोलते अक्षिता चुप हो गई और वापिस नीचे देखने लगी वही एकांश उसकी इस बात पर हसने के अलावा कुछ ना कर सका

"मैंने कोई जोक मारा क्या जो यू हस रहे हो?" अक्षिता ने एकांश को घूरते हुए पूछा

"नहीं तुम्हारी बेवकूफी पर हास रहा हु"

"छोड़ो यार जाने डू मुझे" अक्षिता ने चिढ़कर कहा और एकांश के हाथ से अपने हाथ छुड़ाने लगी

"तुम्हें पागलपन के दौरे पड़ते है क्या जो सोच रही हो के वो लोग तुमसे नफरत करेंगे, तुम्हें पता भी है कि जब तुम अचानक चली गई थी तो उनलोगों की क्या हालत थी, ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी उन्होंने जहा तुम्हें खोजा ना हो और स्वरा का तो रो रो के बुरा हाल था और तुम सोचती हो कि वो तुमसे नफरत करेंगे?" एकांश ने कहा

"लेकिन.... मुझे नहीं पता कि मैं उनका सामना कैसे करूंगी....." अक्षिता ने वापिस धीमी आवाज मे कहा जीसे सुन कोई भी समझ सकता था के वो काभी भी रो पड़ेगी

"अक्षिता, वो दोस्त है तुम्हारे, बल्कि सबसे अच्छे दोस्त है, देखो तुम्हारे जाने का जो भी कारण हो, वो समझ जाएंगे और ट्रस्ट मी तुमसे मिलकर खुश होंगे ना की तुमसे नफरत करेंगे वैसे कोई तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता, अब जाओ और जाकर मिलों उनसे" एकांश ने अक्षिता के आँखों मे देखते हुए उसे समझाते हुए कहा और उसने भी हा मे सिर हिलाया मानो एकांश की बात समझ गई जो जीसे देख एकांश के चेहरे पर भी स्माइल आ गई और अक्षिता उन लोगों की ओर मुड़ी जो अब वहा पहुच चुके थे और उसे ही देख रहे थे लेकिन कुछ बोल नहीं रहे थे

रोहन और स्वरा उन दोनो के सामने खड़े अक्षिता को देख रही थे वही अक्षिता को समझ नही आ रहा था के क्या बोले, कैसे अपने दोस्तो का सामना करे और आखिर स्वरा ने ही वो चुप्पी तोडी

"फिर से हमसे दूर भाग रही थी?" स्वरा ने पूछा, उसके चेहरे पर हल्का सा गुस्सा था और उसकी नजरो से अपने लिए वो गुस्सा देख अक्षिता से आगे कुछ बोलते ही नही बना, वो नीचे देखने लगी, उसकी आंखों में पानी था

"मैं... वो... मैं..." वो हकला रही थी, समझ नहीं पा रही थी कि क्या कहे कैसे कहे और फिर स्वरा ने वो किया जो अक्षिता ने सोचा नही था, अगले ही मिनट स्वरा ने उसे गले लगा लिया

"पागल हो क्या यार अक्षु, ऐसे कोई गायब होता है क्या पता है।हम कितना टेंशन में आ गए थे?" स्वरा अक्षिता को कसकर गले लगाते हुए रो पड़ी यही हाल अक्षिता का भी था, उसने भी स्वरा को कस कर गले लगा लिया

"I missed you" स्वरा ने कहा

"I missed you too"

कुछ देर बाद दोनो अलग हुए और अक्षिता ने स्वरा के आंसू पोछे

"होगया... लॉस्ट लवर्स का मिलाप हो गया?" रोहन ने उनका रोना धोना देख ताना मारते हुए कहा जिसे सुन स्वरा ने उसे घूरकर देखा वही अक्षिता हस पड़ी

"How are you?" रोहन ने अक्षिता को गले लगाते हुए कहा

"एकदम बढ़िया"

"Good..... and you look better too..... that's nice" रोहन ने अक्षिता को देखते हुए कहा जिसपर वो बस मुस्कुरा दी

"हटो यार रोहन बोर कर रहे हो तुम, मुझे मेरी बेस्ट फ्रेंड से बहुत सारी बाते करने है" स्वरा ने रोहन को दूर धकेलते हुए कहा

"अरे! वो मेरी भी तो दोस्त है यार" रोहन ने कहा लेकिन तब तक स्वरा अक्षिता को अपने साथ ले गई थी और इस दौरान एकांश वहीं खड़े होकर बस उन्हें देखकर मुस्कुरा रहा था..

"तुम ठीक हो? तुम्हारी तबीयत कैसी है अब? दवाइयां ठीक से ले रही हो ना? आंटी और अंकल कैसे हैं?" स्वरा ने अक्षिता पे एक के बाद एक सवाल दाग दिए वही अक्षिता बस उसे देख हस रही थी और सोच रही थी के उसने स्वरा इस इस बकबक को कितना मिस किया था

"ठीक है ठीक है..... बस ये बताओ तुम कैसी हो?" स्वरा ने इस बार उसे हसता देख कर सीरियस होकर पूछा

अक्षिता ने एक नजर एकांश की ओर देखा जो रोहन से बात कर रहा था

"मैं ठीक हूं... सच में..." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा लेकिन वो अब भी एकांश को देखे जा रही थी

उसे यू देख स्वरा के भी चेहरे पर स्माइल आ गई क्योंकि वो भी जानती थी कि उसकी दोस्त का क्या मतलब था, जब तक एकांश उसके साथ है, अक्षिता खुश है..

और फिर उन सभी बातो का सिलसिला शुरू हुआ जो इन दोनो ने मिस की थी

"अब इससे पहले कि एकांश आकर तुम्हें खींचकर ले जाए, चलो" स्वरा ने कहा और अक्षिता ने एकांश की ओर देखा जो बीच-बीच में उसकी ओर ही देख रहा था, पूरा ध्यान रख रहा था कि वो ठीक है या नहीं स्वरा और अक्षिता भी जाकर रोहन एकांश के पास खड़े हों गए..

"कुछ खाए क्या अब भूख लग रही है?" स्वरा ने कहा जिसपर बाकी सब ने भी सहमति जताई और एकांश ने उन्हें खाने के सेक्शन की ओर चलने का इशारा किया और सब उसके पीछे हो लिया

एकांश अक्षिता के खाने के लिए एक प्लेट में सारी हेल्थी चीजे ले आया था जो के बस सलाद और फ्रूट्स थे जिसे देख अक्षिता ने मुंह बना लिया लेकिन जब उसके मुंह बनाने का एकांश पर कोई असर नहीं हुआ तो उसने चुप चाप वही खा लिया

"आइसक्रीम!" खाना होने के बाद अक्षिता ने अचानक चीखकर कहा जिससे बाकी तीनों चौके

"क्या?" एकांश पूछा

"वो देखो उधर आइस क्रीम है, चलो ना आइस क्रीम खाते है" अक्षिता ने एक और इशारा करते हुए कहा और एकांश का चेहरा थोड़ा टेंशन में आ गया वही रोहन और स्वरा ने भी एकदूसरे को देखा

"अक्षिता बाहर बहुत ठंड है और ऐसे मौसम में तुम्हें आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए..... तुम्हें सर्दी लग सकती है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"Whatever मुझे आइस क्रीम खानी है बस" अक्षिता ने ज़िद करते हुए कहा

एकांश ने स्वरा और रोहन की ओर मदद की नजरो से देखा, वो अक्षिता को सेहत के साथ कोई रिस्क नही लेना चाहता था खासकर तब जब उसकी हालत में सुधार हो रहा था

"अक्षिता, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.... अकेले में" रोहन ने कहा

" लेकिन....."

"प्लीज....." रोहन ने जोर देते हुए कहा

"ठीक है" बोलके अक्षिता रोहन के साथ चली गई

एकांश और स्वरा ने अक्षिता और रोहन की ओर देखा जो कुछ सीरियस होकर बातचीत कर रहे थे एकांश ने देखा कि जब रोहन ने अपनी बात खत्म की तो अक्षिता थोड़ी निराश दिख रही थी और उसका दिल ये सोचकर दुख रहा था कि वो जो चाहती थी वो खा भी नहीं पाई..

"Let's have some desert.." स्वरा ने अक्षिता का मूड ठीक करने के लिए कहा

"नहीं रहने दो" अक्षिता ने कहा

"क्यों?" स्वरा ने पूछा

"मेरा अब कुछ खाने का मन नही है" अक्षिता ने नीचे देखते हुए कहा और कोने में रखे एक सोफे पर जाकर बैठ गई, एकांश को उसे यू मायूस देखना बिलकुल अच्छा नही लग रहा था

रोहन और स्वरा ने एकांश की ओर देखा जो कुछ लोगो से बात कर रहा था और बीच बीच में अक्षिता को भी देख रहा था अक्षिता भी जब वो उसकी ओर देखता तो मुस्कुरा देती, लेकिन एकांश समझ गया था कि वो किसी बात गहन चिंतन में डूबी हुई थी, रोहन किसी ऐसे बंदे से बात कर रहा था जिसे वो कंपनी की मीटिंग के कारण जानता था और स्वरा को एक फोन आया था जिसे वो अटेंड कर रही थी

अक्षिता सोफे पर अकेली बैठी थी और बीच-बीच में वो भी एकांश को देख रही थी साथ ही उन लड़कियों को घूर रही थी जो बेशर्मी से एकांश पर लाइन मार रही थीं,

अक्षिता अभी सोफ़े पर बैठी अपने खयालों मे खोई थी के उसने महसूस किया के कोई उसके बाजू मे आके बैठा है उसने अपने पास बैठे बंदे को देखा जो उसे ही देख रहा था जिसके बाद अक्षिता ने अपने कपड़े ठीक कीये

"what a hot and young woman like you doing here sitting alone?" उस बंदे ने अक्षिता की ओर देख पूछा, उसके इंटेन्शन अक्षिता को सही नहीं लग रहे थे

"it’s none of your business" अक्षिता ने तीखे स्वर मे कहा

"जब बात खूबसूरत लड़कियों की आती है then it’s my business" उसने अक्षिता के शरीर को ऊपर से नीचे देखते हुए कहा

"इक्स्क्यूज़ मी" अक्षिता ने कहा और वहा से जाने के लिए उठ खड़ी हुई और वो वहा से जाने ही वाली थी के उस बंदे से अक्षिता का हाथ पकड़ कर उसे जाने से रोका और अक्षिता अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी

"stop struggling, let’s have some fun... वैसे भी इस साड़ी मे बहुत सेक्सी लग रही हो तुम" उस बंदे के अक्षिता के पास आते हुए कहा

“हाथ छोड़ो मेरा" अक्षिता ने गुस्से मे कहा और इससे पहले कि वो बंद आगे कुछ कह पाता वो अपना जबड़ा पकड़े फर्श पर गिरा पड़ा था और एकांश उसे जानलेवा नजरों से घूर रहा था

"how dare you touch her?" एकांश ने चिल्ला कर कहा और उस बंदे को मारने के लिए उसकी ओर बढ़ा अक्षिता ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन अब एकांश कहा रुकने वाला था वही वो बंदा भी शांत नहीं था उसने ऐसी बात बोली की एकांश को और गुस्सा चढ़ने लगा

"एकांश रघुवंशी, तो तुम्हारी भी नजर है उसपर.... बढ़िया तो क्यों न हम दोनों मिलकर उसके साथ मजे करें... क्या बोलते हो" एकांश ने मुक्का इतनी जोर से मारा था के उस बंदे का होंठ फट गया था जिसमे से थोड़ा खून आ रहा था फिर भी वो मुसकुराते हुए एकांश को देख बोला और अगले ही पल वो अपना पेट पकड़े वापिस जमीन पर पड़ा था

"तूने दोबारा उसकी ओर देखने की हिम्मत भी की ओर जान से मार दूंगा...... " एकांश ने उसका कॉलर पकड़ कर उसे ऊपर उठाते हुए कहा

"अंश... रुको..." अक्षिता ने एकांश का हाथ पकड़ लिया

मामला बढ़ता देख कई लोग अब बीच मे आ गए थे एकांश को रोकने लगे थे, एकांश को यू गुस्से मे एक लड़की के लिए झगड़ते देख कई लोग हैरान था, कीसी ने भी उसे पहले कभी कीसी लड़की के साथ नहीं देखा था और अब एकांश का वहा रुकने का जरा भी मन नहीं था वो अक्षिता का हाथ थामे होटल से बाहर चला आया वही अक्षिता उसे देखती हुई उसके पीछे पीछे चल रही

उनके साथ ही रोहन और स्वरा भी निकल आए थे और पार्किंग मे अक्षिता ने उन दोनों से बाय कहा, रोहन ने एकांश को देखा जो अभी भी काफी गुस्से मे था और ऐसा लग रहा था के कभी भी फट पड़ेगा, अक्षिता और एकांश कार मे बैठे और कार घर की ओर चल पड़ी

अक्षिता को समझ नहीं आ रहा था कि वो एकांश को कैसे शांत करे, जो अभी भी गुस्से में अपनी मुट्ठियाँ भींचे हुए था, उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा जो स्टीयरिंग व्हील को कसकर पकड़े हुए था

अक्षिता की छुअन से एकांश का मन थोड़ा शांत होने लगा था, उसने उसकी ओर देखा जो चिंतित नजरों से उसे देख रही थी, उसने सोचा था के पार्टी के बाद अक्षिता को बढ़िया डिनर पर ले जाएगा, उसे सप्राइज़ करेगा लेकिन कुछ और ही हो गया था

एकांश ने अचानक कार की डिरेक्शिन चेंज की, पहले तो अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने कोई सवाल नहीं किया और वो कहा जा रहे है ये सोच ही रही थी के तभी अचानक कार रुकी और एकांश नीचे उतार कर उसकी साइड आया और उसने उसके लिए दरवाजा खोला

"आइ एम सॉरी.... मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे साथ ये सब होगा... मुझे केयरफूल रहना चाहिए था और किसी को भी तुम्हारे पास नहीं आने देना चाहिए था.... सॉरी अक्षिता....." एकांश ने कहा और तभी अक्षिता ने उसे कसकर गले लगा लिया, एकांश पहले तो हैरान हुआ लेकिन फिर उसने भी अपने आप को उस मोमेंट के हवाले कर दिया, उसका मन शांत होने लगा था,

"तो हम यहाँ क्या कर रहे हैं?" कुछ समय बाद उससे अलग होते हुए अक्षिता ने पूछा

"मुझे पता है कि तुमने वहाँ ज्यादा कुछ नहीं खाया इसीलिए कुछ खाने आए है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

एकांश को मुसकुराता देख की अक्षिता को राहत महसूस हुई

"यहाँ? लेकिन मुझे यहाँ कोई होटल नहीं दिख रहा है.." अक्षिता ने अपने चारों ओर देखते हुए कहा

"चलो मेरी साथ" एकांश ने अपनी कार लॉक करते हुए कहा और अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे लेकर थोड़ा आगे आया और अक्षिता का रिएक्शन देखने रुका

उस जगह को देख अक्षिता के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी और उसने मुस्कुराते हुए पूछा

"मजाक तो नहीं कर रहे न?"

"नहीं..." एकांश ने भी वैसे ही मुसकुराते हुए कहा....

क्रमश:
वाह! क्या कमाल की कहानी लिखी है। ऐसा लगा मानो अक्षिता और एकांश की दुनिया में खो गई हूँ। आपके लिखने का तरीका बहुत ही आकर्षक और जीवंत है। अक्षिता और एकांश की केमिस्ट्री दिल छू लेने वाली है, और हर सीन में उनके इमोशन्स को बखूबी दिखाया गया है। एकांश का अक्षिता के लिए खड़ा होना और उसकी सुरक्षा का ख्याल रखना कहानी को और भी खास बनाता है।

कहानी में रोमांच और इमोशन का बेहतरीन संतुलन है। हर पल जानने की उत्सुकता रहती है कि आगे क्या होगा। स्वरा और रोहन का किरदार भी कहानी में ताजगी लाता है। अक्षिता की घबराहट, एकांश का गुस्सा और उनकी छोटी-छोटी नोकझोंक इतनी असली लगती है कि दिल बार-बार "आगे क्या होगा" पूछने लगता है।

लेखक से निवेदन:
कृपया अगले अपडेट जल्द से जल्द दें। कहानी बहुत ही रोमांचक मोड़ पर है, और अब और इंतजार नहीं होता। "एक दूजे के वास्ते" पढ़कर दिल में हलचल सी मच गई। अगले हिस्से का बेसब्री से इंतजार है। 🙏
 
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