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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Adirshi

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Besabari se intezaar rahega next update ka @adkrshi bhai....

intezaar rahega....

intezaar rahega....

intezaar rahega....

waiting for the next update....

intezaar rahega....

intezaar rahega....

Besabari se intezaar rahega next update ka Adirshi bhai....
Update kuch hi Palo me
 

Adirshi

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Boss aaj hi aapki story dekhi aur sarey 45 updates aaj hi pad daley bina rukey magar story dil me ghar kar gayi apne aap ko characters se itna attach kar diya ki kahi has padey ton kahi bhavuk ho gaye. Maza aa gay boss dil ko chu liya is story ne
Welcome to the story mate :dost:
Thank you for the review
Aur total 46 update hai index updated nahi hai aage ke pages pe update 46 mil jayega aur abhi 47th update post kar hi Raha hu review ka intazar karunga
 

Adirshi

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Update 47





हेवन.... स्वर्ग... जन्नत....

बस यही वो शब्द था जो एकांश के दिमाग में।उसके मस्तिष्क में चल रहा था

बहुत दिनों बाद या सालो बाद अक्षिता के मुलायम होठों को अपने होठों पर महसूस कर एकांश को स्वर्ग से अनुभूति हो रही थी और इस एहसास को वो शब्दो में बयान नही कर सकता था

अक्षित के होंठो का मीठा स्वाद सीधा उसकी रगो में घुल रहा था, वो अक्षिता को ऐसे चूम रहा था जैसे वो कई दिनों का भूखा हो, उसके हार्मोंस मचल रहे थे, उसके अक्षिता को अपने और करीब खींचा और उसके बालो में हाथ घूमने लगा, उसका दिल इस वक्त जोरो से धड़क रहा था और एकांश का हाथ अपने बालो में पाते ही अक्षिता भी मचल उठी थी

अपने रिलेशनशिप के दौरान दोनो ने कई बार एकदूसरे को किस किया था लेकिन आज का ये किस कुछ अलग था, आज जैसे एकांश रुकना ही नही चाहता था

इस किस में प्यार था, एक जुनून था और अक्षिता भी उसी जुनून के साथ एकांश का साथ दे रही थी, यही तो को चाहती थी, इसी पल को तो वो जीना चाहती थी, इस प्यार के पल के अलावा इसे कुछ नही चाहिए था

काफी लंबे समय से वो दोनो को इसके लिए तरस रहे थे, इस पल में इस मोमेंट में अक्षिता भी समझ गई थी के एकांश उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसे चाहती थी

वो दोनो की इस किस में इस पल में खो गए थे जैसे अब कभी रुकेंगे ही नही

कुछ देर बार दोनो सास लेते हुए हांफते हुए अलग हुए, एकांश अक्षिता के चेहरे को उसके सुर्ख लाल होठों को देख रहा था वही अक्षिता शर्मा कर नीचे देख रहीं थी और एकांश की नजरो से नजरे नही मिला पा रही थी

एकांश ने अक्षिता के चेहरे को उसके गालों को अपने हाथो में थाम रखा और और वो दोबारा उसे किस करने लगा, अक्षिता के साथ उसके सीने पर घूम रहे थे वही अब एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर थे जो उसके साडी पहने होने की वजह से खुली थी, और कुछ समय बाद वो दोनो वापसी सास लेने के लिए अलग हुए

एकांश ने अपना माथा अक्षिता के माथे से टिकाए रखा था और मुस्कुरा रहा था वही अक्षिता भी खुश थी और उसके उसे कसकर गले लगा लिया और तभी उन्होंने सरिताजी को उन्हें पुकारते सुना और वो दोनो एकदूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगा, अक्षिता के चेहरे पर आई शर्म को देख एकांश के चेहरे पर मुस्कान थी, दोनो ने अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खाना खाने नीचे चले गए

दोनों के चेहरों पर इस समय एक सुकून भरी मुस्कान थी..

अक्षिता की माँ ने एकांश को वहा जाकर अपना ख्याल ठीक से रखने के निर्देश दिए और उसने एक बच्चे की तरह अपना सिर हिलाया, जिससे अक्षिता और उसके पिता मुस्कुरा उठे

अगले दिन सुबह एकांश अपने पेरेंट्स से मिलने गया, एकांश ने उनका आशीर्वाद लिया और जर्मनी की यात्रा शुरू करने के लिए वापिस अक्षिता के घर लौट आया, एकांश के पिता ने उसके लिए जर्मनी ने सब कुछ अरेंज कर दिया था..

एकांश ने अपने कपड़े, अक्षिता की रिपोर्टें पैक कीं और हर चीज़ की दोबारा देखी के कही कुछ छूट ना जाए

एकांश ने फिर अक्षिता के माता-पिता रोहन और स्वरा को अलविदा कहा, उसने उनसे अक्षिता का ख्याल रखने और कुछ भी अगर हो तो तुरंत उसे फोन करने कहा और वो अक्षिता के कमरे कमरे के दरवाज़े की ओर देखने लगा जो बंद था, उसने अक्षिता के माता-पिता की ओर देखा तो सरिताजी ने उसे जाकर अक्षिता से बात करने के लिए कहा

एकांश कमरे के अंदर गया तो उसने देखा कि उसका कमरा खाली था और जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि अक्षिता बाहर से आ रही थी

"तुम कहाँ गयी थी?" एकांश ने उससे पूछा

"मंदिर में" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा

वो उसकी ओर बढ़ी और उसने उसके माथे पर तिलक किया

"हैप्पी जर्नी" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा वही सब लोग उसे देख थोड़े चकित थे क्युकी सबको लग रहा था के वो रो पड़ेगी

"अपना ख्याल रखना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना डर था और वो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता था

"तुम भी"

"अपना ख्याल रखना बेटा और ठीक से खाना खाना" सरिताजी ने एक बार फिर कहा

"चिंता मत करो आंटी, अमर भी मेरे साथ जर्मनी जा रहा है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"वो बेवकूफ अपना ख्याल नहीं रख सकता तुम्हारा क्या रहेगा" स्वरा ने कहा जिसपर सब हंसने लगे

तब तक एकांश का ड्राइवर भी आ चुका था और एकांश अमर को पिक करते हुए एयरपोर्ट जाने वाला था, उसने एक नजर अक्षिता को देखा और अपने सफर पर निकल गया और अक्षिता वही खडी होकर उसकी कार को अपने से दूर जागे देखती रही

"अक्षिता, ठीक हो?" स्वरा ने पूछा

"हाँ." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके साथ घर के अंदर चली आई

पहले तो जब एकांश ने उसे बताया था के वो जा रहा है तो वो डर गई थी लेकिन फिर कल वाले किस के बाद मानो उसकी सारी परेशानियां खतम हो गई थी, वो किस अभी भी उसके जेहन में उतना ही ताजा था

******

एकांश ने जर्मनी पहुंचते ही अक्षिता को वीडियो कॉल किया और वो भी उसे देखकर खुश हुई क्योंकि उसे वो एक दिन एक साल जैसा लग रहा था

देखते ही देखते तीन दिन बीत गए थे और दोनों अब एक दूसरे से मिलने का इंतजार कर रहे थे

अक्षिता अभी पौधों को पानी दे रही थी की अचानक उसे चक्कर आने लगा जिसने अक्षिता को अब और चिंता मे डाल दिया था क्योंकि ये अब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उसने इस बारे मे अभी अपने पेरेंट्स को भी कुछ नहीं बताया था पता नहीं क्यू लेकिन वो उन्हे और टेंशन मे नहीं डालना चाहती थी, अक्षिता को अब हर पल ऐसा लगता जैसे उसे कुछ होने वाला है

वो आजकल ज्यादा आराम करती थी क्योंकि वो जल्दी थक जाती थी और उसका बायां हाथ भी कभी-कभी सुन्न हो जाता था जिससे उसका डर और भी बढ़ रहा था

वो जीना चाहती थी

कम से कम तब तक जब तक एकांश वापस नहीं आ जाता

इससे पहले कि उसे कुछ हो जाए, वो उसे आखिरी बार देखना चाहती थी

दूसरी तरफ, एकांश वीडियो कॉल में उसके पीले पड़े चेहरे को देखकर परेशान था, वो जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने उसपर परेशानी बताने के लिए दबाव भी नहीं डाला

उसने सोचा कि वो जल्द से जल्द अपना काम निपटाकर उसके पास पहुच जाएगा वो भी बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था के अक्षिता को कुछ हो ना जाए कम से कम तब तक नहीं जब तक वो वहा न पहुच जाए

******

अक्षिता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे नींद नहीं आ रही थी वो बिस्तर पर बैठ गई और एकांश को फ़ोन करने के बारे में सोचने लगी लेकिन टाइम ज़ोन जानने के कारण उसने फिर फ़ोन नहीं किया

उसका सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था, उसने सिर दर्द की दवा ली, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर में कुछ धड़क रहा हो, उसने अपने डॉक्टर से भी बात की और उसे अपनी हालत के बारे में भी बताया

उन्होंने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, जिससे वो थोड़ा डर गई

अक्षिता ने डॉक्टर को बताया कि वो ठीक है, बस थोड़ा सा सिरदर्द है और इसे वो संभाल लेगी

एकांश दो दिन में आ जाएगा और वह अभी अस्पताल में ऐड्मिट नहीं होना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक डॉक्टर उसे ऐड्मिट होने के लिए क्यों कह रहे हैं

सुबह वो अपने डेली के काम निपटाकर टीवी देख रही थी, उसे नींद भी आ रही थी, उसे रातों को नींद नहीं आती थी और नतिजन दिनभर वो फिर सोती रहती थी और अभी भी अनजाने मे वो सोफ़े पर ही सो गई थी

सरिताजी अपनी बेटी को देखकर चिंतित थी, आजकल वो बहुत ज्यादा सो रही थी या बैठी रहती थी जो की उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था और इसी बात मे सरिताजी को चिंता मे डाल हुआ था

उन्होंने इस बारे मे एकांश को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन उसका फ़ोन बंद था इसलिए उन्होंने सोचा कि उसके वापस आने के बाद ही इस बारे मे बात करेंगी

******

अक्षिता बेचैन महसूस कर रही थी इसीलिए उसने सोच के क्यूना मंदिर जाकर वहा के क्षांत वातावरण मे कुछ समय बिताया जाए इसीलिए वो मंदिर चली आई और वहा जाकर उसने प्रार्थना की, अपने जीवन के लिए नहीं बल्कि एकांश के लिए, उसने ऊपरवाले से बस इतना मांग के जब वो इस दुनिया मे ना हो तब एकांश को अपने आप को संभालने की शक्ति दे

अक्षिता की आँखों मे आँसू आ गए थे, उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे, वो रोना नहीं चाहती थी, उसे अपने इस जीवन मे अब तक जो कुछ भी मिला था उससे वो खुश थी, प्यार लूटने वाले मतअ पिता, खयाल रखने वाले दोस्त और वो जिसके बारे मे उसने काभी सोच भी नहीं था, उसका प्यार....

एकांश का उसकी जिंदगी मे आने उसके जीवन मे घाटी सबसे अच्छी घटना थी क्युकी हर कीसी को कहा अपना प्यार मिलता है

प्यार करना और प्यार पाना एक वरदान है जिसे अक्षिता ने पा लिया था

एकांश ने उसे इतना प्यार दिया था कि उसे फिर कीसी चीज की कमी नहीं लगी थी, उसे उसका प्यार मिल गया था और अक्षिता ने उस अद्भुत एहसास का अनुभव किया था, उसके प्यार और उसके त्याग की वैल्यू पता थी और इसीलिए उसने जो भी अपने जीवन मे पाया था वो उससे खुश थी बस ये बात और थी के वो एकांश को लेकर चिंतित थी की उसके बाद उसका क्या होगा

वो जानती थी कि वो उस सदमे को नहीं सह पाएगा और बस इसीलिए वो चिंतित थी वो उसे बहुत अच्छी तरह से जानती थी के वो इसे नहीं संभाल पाएगा वो परेशान हो जाएगा और सब कुछ तबाह करने निकल जाएगा जो की वो बिल्कुल नहीं चाहती थी, अक्षिता ने एकांश के बारे मे सोचते हुए अपनी आंखे बंद कर ली थी , वो बस एकांश के भले की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी

******

रात के 12 बज चुके थे और अक्षिता सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए उसने एक कीतब उठाई और पढ़ने लगी और तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने किताब एक तरफ रखी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई और सोचने लगी कि इस समय कौन होगा..

उसने अपने पेरेंट्स को जगाने के बारे में सोचा, लेकिन फिर सोचा कि उसे डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसका जीवन वैसे भी खत्म होने वाला है, बस यही खयाल आजकल उसके दिमाग मे घूमते थे जिससे उसे अब अपने आप से ही चिढ़ होने लगी थी

जब दरवाजे की घंटी फिर बजी तो अक्षिता अपने खयालों से बाहर आई और उसे एहसास हुआ कि वो बंद दरवाजे के सामने खड़ी होकर खुद से बात कर रही थी

उसने मन ही मन ये बात नोट कर ली कि उसे अपनी ये आदत छोड़ देनी चाहिए...... खुद से बात करने की आदत

अक्षिता ने दरवाजा खोला तो देखा के बेल बजाने वाला इंसान चेहरे पर मुस्कान लिया वहा खड़ा था, अक्षिता को पहले तो उसे देख यकीन ही ना हुआ उसने अपने पलके झपकाई ये जाचने के लिए के वो सचमुच वहा है या वो कोई सपना देख रही है

"मिस्ड मी?" उसने पूछा वही अक्षिता अभी भी शॉक मे उसे देख रही थी

क्रमश.....
 

parkas

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Update 47





हेवन.... स्वर्ग... जन्नत....

बस यही वो शब्द था जो एकांश के दिमाग में।उसके मस्तिष्क में चल रहा था

बहुत दिनों बाद या सालो बाद अक्षिता के मुलायम होठों को अपने होठों पर महसूस कर एकांश को स्वर्ग से अनुभूति हो रही थी और इस एहसास को वो शब्दो में बयान नही कर सकता था

अक्षित के होंठो का मीठा स्वाद सीधा उसकी रगो में घुल रहा था, वो अक्षिता को ऐसे चूम रहा था जैसे वो कई दिनों का भूखा हो, उसके हार्मोंस मचल रहे थे, उसके अक्षिता को अपने और करीब खींचा और उसके बालो में हाथ घूमने लगा, उसका दिल इस वक्त जोरो से धड़क रहा था और एकांश का हाथ अपने बालो में पाते ही अक्षिता भी मचल उठी थी

अपने रिलेशनशिप के दौरान दोनो ने कई बार एकदूसरे को किस किया था लेकिन आज का ये किस कुछ अलग था, आज जैसे एकांश रुकना ही नही चाहता था

इस किस में प्यार था, एक जुनून था और अक्षिता भी उसी जुनून के साथ एकांश का साथ दे रही थी, यही तो को चाहती थी, इसी पल को तो वो जीना चाहती थी, इस प्यार के पल के अलावा इसे कुछ नही चाहिए था

काफी लंबे समय से वो दोनो को इसके लिए तरस रहे थे, इस पल में इस मोमेंट में अक्षिता भी समझ गई थी के एकांश उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसे चाहती थी

वो दोनो की इस किस में इस पल में खो गए थे जैसे अब कभी रुकेंगे ही नही

कुछ देर बार दोनो सास लेते हुए हांफते हुए अलग हुए, एकांश अक्षिता के चेहरे को उसके सुर्ख लाल होठों को देख रहा था वही अक्षिता शर्मा कर नीचे देख रहीं थी और एकांश की नजरो से नजरे नही मिला पा रही थी

एकांश ने अक्षिता के चेहरे को उसके गालों को अपने हाथो में थाम रखा और और वो दोबारा उसे किस करने लगा, अक्षिता के साथ उसके सीने पर घूम रहे थे वही अब एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर थे जो उसके साडी पहने होने की वजह से खुली थी, और कुछ समय बाद वो दोनो वापसी सास लेने के लिए अलग हुए

एकांश ने अपना माथा अक्षिता के माथे से टिकाए रखा था और मुस्कुरा रहा था वही अक्षिता भी खुश थी और उसके उसे कसकर गले लगा लिया और तभी उन्होंने सरिताजी को उन्हें पुकारते सुना और वो दोनो एकदूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगा, अक्षिता के चेहरे पर आई शर्म को देख एकांश के चेहरे पर मुस्कान थी, दोनो ने अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खाना खाने नीचे चले गए

दोनों के चेहरों पर इस समय एक सुकून भरी मुस्कान थी..

अक्षिता की माँ ने एकांश को वहा जाकर अपना ख्याल ठीक से रखने के निर्देश दिए और उसने एक बच्चे की तरह अपना सिर हिलाया, जिससे अक्षिता और उसके पिता मुस्कुरा उठे

अगले दिन सुबह एकांश अपने पेरेंट्स से मिलने गया, एकांश ने उनका आशीर्वाद लिया और जर्मनी की यात्रा शुरू करने के लिए वापिस अक्षिता के घर लौट आया, एकांश के पिता ने उसके लिए जर्मनी ने सब कुछ अरेंज कर दिया था..

एकांश ने अपने कपड़े, अक्षिता की रिपोर्टें पैक कीं और हर चीज़ की दोबारा देखी के कही कुछ छूट ना जाए

एकांश ने फिर अक्षिता के माता-पिता रोहन और स्वरा को अलविदा कहा, उसने उनसे अक्षिता का ख्याल रखने और कुछ भी अगर हो तो तुरंत उसे फोन करने कहा और वो अक्षिता के कमरे कमरे के दरवाज़े की ओर देखने लगा जो बंद था, उसने अक्षिता के माता-पिता की ओर देखा तो सरिताजी ने उसे जाकर अक्षिता से बात करने के लिए कहा

एकांश कमरे के अंदर गया तो उसने देखा कि उसका कमरा खाली था और जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि अक्षिता बाहर से आ रही थी

"तुम कहाँ गयी थी?" एकांश ने उससे पूछा

"मंदिर में" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा

वो उसकी ओर बढ़ी और उसने उसके माथे पर तिलक किया

"हैप्पी जर्नी" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा वही सब लोग उसे देख थोड़े चकित थे क्युकी सबको लग रहा था के वो रो पड़ेगी

"अपना ख्याल रखना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना डर था और वो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता था

"तुम भी"

"अपना ख्याल रखना बेटा और ठीक से खाना खाना" सरिताजी ने एक बार फिर कहा

"चिंता मत करो आंटी, अमर भी मेरे साथ जर्मनी जा रहा है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"वो बेवकूफ अपना ख्याल नहीं रख सकता तुम्हारा क्या रहेगा" स्वरा ने कहा जिसपर सब हंसने लगे

तब तक एकांश का ड्राइवर भी आ चुका था और एकांश अमर को पिक करते हुए एयरपोर्ट जाने वाला था, उसने एक नजर अक्षिता को देखा और अपने सफर पर निकल गया और अक्षिता वही खडी होकर उसकी कार को अपने से दूर जागे देखती रही

"अक्षिता, ठीक हो?" स्वरा ने पूछा

"हाँ." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके साथ घर के अंदर चली आई

पहले तो जब एकांश ने उसे बताया था के वो जा रहा है तो वो डर गई थी लेकिन फिर कल वाले किस के बाद मानो उसकी सारी परेशानियां खतम हो गई थी, वो किस अभी भी उसके जेहन में उतना ही ताजा था

******

एकांश ने जर्मनी पहुंचते ही अक्षिता को वीडियो कॉल किया और वो भी उसे देखकर खुश हुई क्योंकि उसे वो एक दिन एक साल जैसा लग रहा था

देखते ही देखते तीन दिन बीत गए थे और दोनों अब एक दूसरे से मिलने का इंतजार कर रहे थे

अक्षिता अभी पौधों को पानी दे रही थी की अचानक उसे चक्कर आने लगा जिसने अक्षिता को अब और चिंता मे डाल दिया था क्योंकि ये अब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उसने इस बारे मे अभी अपने पेरेंट्स को भी कुछ नहीं बताया था पता नहीं क्यू लेकिन वो उन्हे और टेंशन मे नहीं डालना चाहती थी, अक्षिता को अब हर पल ऐसा लगता जैसे उसे कुछ होने वाला है

वो आजकल ज्यादा आराम करती थी क्योंकि वो जल्दी थक जाती थी और उसका बायां हाथ भी कभी-कभी सुन्न हो जाता था जिससे उसका डर और भी बढ़ रहा था

वो जीना चाहती थी

कम से कम तब तक जब तक एकांश वापस नहीं आ जाता

इससे पहले कि उसे कुछ हो जाए, वो उसे आखिरी बार देखना चाहती थी

दूसरी तरफ, एकांश वीडियो कॉल में उसके पीले पड़े चेहरे को देखकर परेशान था, वो जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने उसपर परेशानी बताने के लिए दबाव भी नहीं डाला

उसने सोचा कि वो जल्द से जल्द अपना काम निपटाकर उसके पास पहुच जाएगा वो भी बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था के अक्षिता को कुछ हो ना जाए कम से कम तब तक नहीं जब तक वो वहा न पहुच जाए

******

अक्षिता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे नींद नहीं आ रही थी वो बिस्तर पर बैठ गई और एकांश को फ़ोन करने के बारे में सोचने लगी लेकिन टाइम ज़ोन जानने के कारण उसने फिर फ़ोन नहीं किया

उसका सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था, उसने सिर दर्द की दवा ली, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर में कुछ धड़क रहा हो, उसने अपने डॉक्टर से भी बात की और उसे अपनी हालत के बारे में भी बताया

उन्होंने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, जिससे वो थोड़ा डर गई

अक्षिता ने डॉक्टर को बताया कि वो ठीक है, बस थोड़ा सा सिरदर्द है और इसे वो संभाल लेगी

एकांश दो दिन में आ जाएगा और वह अभी अस्पताल में ऐड्मिट नहीं होना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक डॉक्टर उसे ऐड्मिट होने के लिए क्यों कह रहे हैं

सुबह वो अपने डेली के काम निपटाकर टीवी देख रही थी, उसे नींद भी आ रही थी, उसे रातों को नींद नहीं आती थी और नतिजन दिनभर वो फिर सोती रहती थी और अभी भी अनजाने मे वो सोफ़े पर ही सो गई थी

सरिताजी अपनी बेटी को देखकर चिंतित थी, आजकल वो बहुत ज्यादा सो रही थी या बैठी रहती थी जो की उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था और इसी बात मे सरिताजी को चिंता मे डाल हुआ था

उन्होंने इस बारे मे एकांश को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन उसका फ़ोन बंद था इसलिए उन्होंने सोचा कि उसके वापस आने के बाद ही इस बारे मे बात करेंगी

******

अक्षिता बेचैन महसूस कर रही थी इसीलिए उसने सोच के क्यूना मंदिर जाकर वहा के क्षांत वातावरण मे कुछ समय बिताया जाए इसीलिए वो मंदिर चली आई और वहा जाकर उसने प्रार्थना की, अपने जीवन के लिए नहीं बल्कि एकांश के लिए, उसने ऊपरवाले से बस इतना मांग के जब वो इस दुनिया मे ना हो तब एकांश को अपने आप को संभालने की शक्ति दे

अक्षिता की आँखों मे आँसू आ गए थे, उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे, वो रोना नहीं चाहती थी, उसे अपने इस जीवन मे अब तक जो कुछ भी मिला था उससे वो खुश थी, प्यार लूटने वाले मतअ पिता, खयाल रखने वाले दोस्त और वो जिसके बारे मे उसने काभी सोच भी नहीं था, उसका प्यार....

एकांश का उसकी जिंदगी मे आने उसके जीवन मे घाटी सबसे अच्छी घटना थी क्युकी हर कीसी को कहा अपना प्यार मिलता है

प्यार करना और प्यार पाना एक वरदान है जिसे अक्षिता ने पा लिया था

एकांश ने उसे इतना प्यार दिया था कि उसे फिर कीसी चीज की कमी नहीं लगी थी, उसे उसका प्यार मिल गया था और अक्षिता ने उस अद्भुत एहसास का अनुभव किया था, उसके प्यार और उसके त्याग की वैल्यू पता थी और इसीलिए उसने जो भी अपने जीवन मे पाया था वो उससे खुश थी बस ये बात और थी के वो एकांश को लेकर चिंतित थी की उसके बाद उसका क्या होगा

वो जानती थी कि वो उस सदमे को नहीं सह पाएगा और बस इसीलिए वो चिंतित थी वो उसे बहुत अच्छी तरह से जानती थी के वो इसे नहीं संभाल पाएगा वो परेशान हो जाएगा और सब कुछ तबाह करने निकल जाएगा जो की वो बिल्कुल नहीं चाहती थी, अक्षिता ने एकांश के बारे मे सोचते हुए अपनी आंखे बंद कर ली थी , वो बस एकांश के भले की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी

******

रात के 12 बज चुके थे और अक्षिता सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए उसने एक कीतब उठाई और पढ़ने लगी और तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने किताब एक तरफ रखी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई और सोचने लगी कि इस समय कौन होगा..

उसने अपने पेरेंट्स को जगाने के बारे में सोचा, लेकिन फिर सोचा कि उसे डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसका जीवन वैसे भी खत्म होने वाला है, बस यही खयाल आजकल उसके दिमाग मे घूमते थे जिससे उसे अब अपने आप से ही चिढ़ होने लगी थी

जब दरवाजे की घंटी फिर बजी तो अक्षिता अपने खयालों से बाहर आई और उसे एहसास हुआ कि वो बंद दरवाजे के सामने खड़ी होकर खुद से बात कर रही थी

उसने मन ही मन ये बात नोट कर ली कि उसे अपनी ये आदत छोड़ देनी चाहिए...... खुद से बात करने की आदत

अक्षिता ने दरवाजा खोला तो देखा के बेल बजाने वाला इंसान चेहरे पर मुस्कान लिया वहा खड़ा था, अक्षिता को पहले तो उसे देख यकीन ही ना हुआ उसने अपने पलके झपकाई ये जाचने के लिए के वो सचमुच वहा है या वो कोई सपना देख रही है

"मिस्ड मी?" उसने पूछा वही अक्षिता अभी भी शॉक मे उसे देख रही थी

क्रमश.....
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....
Nice and lovely update....
 

Tiger 786

Well-Known Member
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Update 47





हेवन.... स्वर्ग... जन्नत....

बस यही वो शब्द था जो एकांश के दिमाग में।उसके मस्तिष्क में चल रहा था

बहुत दिनों बाद या सालो बाद अक्षिता के मुलायम होठों को अपने होठों पर महसूस कर एकांश को स्वर्ग से अनुभूति हो रही थी और इस एहसास को वो शब्दो में बयान नही कर सकता था

अक्षित के होंठो का मीठा स्वाद सीधा उसकी रगो में घुल रहा था, वो अक्षिता को ऐसे चूम रहा था जैसे वो कई दिनों का भूखा हो, उसके हार्मोंस मचल रहे थे, उसके अक्षिता को अपने और करीब खींचा और उसके बालो में हाथ घूमने लगा, उसका दिल इस वक्त जोरो से धड़क रहा था और एकांश का हाथ अपने बालो में पाते ही अक्षिता भी मचल उठी थी

अपने रिलेशनशिप के दौरान दोनो ने कई बार एकदूसरे को किस किया था लेकिन आज का ये किस कुछ अलग था, आज जैसे एकांश रुकना ही नही चाहता था

इस किस में प्यार था, एक जुनून था और अक्षिता भी उसी जुनून के साथ एकांश का साथ दे रही थी, यही तो को चाहती थी, इसी पल को तो वो जीना चाहती थी, इस प्यार के पल के अलावा इसे कुछ नही चाहिए था

काफी लंबे समय से वो दोनो को इसके लिए तरस रहे थे, इस पल में इस मोमेंट में अक्षिता भी समझ गई थी के एकांश उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसे चाहती थी

वो दोनो की इस किस में इस पल में खो गए थे जैसे अब कभी रुकेंगे ही नही

कुछ देर बार दोनो सास लेते हुए हांफते हुए अलग हुए, एकांश अक्षिता के चेहरे को उसके सुर्ख लाल होठों को देख रहा था वही अक्षिता शर्मा कर नीचे देख रहीं थी और एकांश की नजरो से नजरे नही मिला पा रही थी

एकांश ने अक्षिता के चेहरे को उसके गालों को अपने हाथो में थाम रखा और और वो दोबारा उसे किस करने लगा, अक्षिता के साथ उसके सीने पर घूम रहे थे वही अब एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर थे जो उसके साडी पहने होने की वजह से खुली थी, और कुछ समय बाद वो दोनो वापसी सास लेने के लिए अलग हुए

एकांश ने अपना माथा अक्षिता के माथे से टिकाए रखा था और मुस्कुरा रहा था वही अक्षिता भी खुश थी और उसके उसे कसकर गले लगा लिया और तभी उन्होंने सरिताजी को उन्हें पुकारते सुना और वो दोनो एकदूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगा, अक्षिता के चेहरे पर आई शर्म को देख एकांश के चेहरे पर मुस्कान थी, दोनो ने अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खाना खाने नीचे चले गए

दोनों के चेहरों पर इस समय एक सुकून भरी मुस्कान थी..

अक्षिता की माँ ने एकांश को वहा जाकर अपना ख्याल ठीक से रखने के निर्देश दिए और उसने एक बच्चे की तरह अपना सिर हिलाया, जिससे अक्षिता और उसके पिता मुस्कुरा उठे

अगले दिन सुबह एकांश अपने पेरेंट्स से मिलने गया, एकांश ने उनका आशीर्वाद लिया और जर्मनी की यात्रा शुरू करने के लिए वापिस अक्षिता के घर लौट आया, एकांश के पिता ने उसके लिए जर्मनी ने सब कुछ अरेंज कर दिया था..

एकांश ने अपने कपड़े, अक्षिता की रिपोर्टें पैक कीं और हर चीज़ की दोबारा देखी के कही कुछ छूट ना जाए

एकांश ने फिर अक्षिता के माता-पिता रोहन और स्वरा को अलविदा कहा, उसने उनसे अक्षिता का ख्याल रखने और कुछ भी अगर हो तो तुरंत उसे फोन करने कहा और वो अक्षिता के कमरे कमरे के दरवाज़े की ओर देखने लगा जो बंद था, उसने अक्षिता के माता-पिता की ओर देखा तो सरिताजी ने उसे जाकर अक्षिता से बात करने के लिए कहा

एकांश कमरे के अंदर गया तो उसने देखा कि उसका कमरा खाली था और जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि अक्षिता बाहर से आ रही थी

"तुम कहाँ गयी थी?" एकांश ने उससे पूछा

"मंदिर में" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा

वो उसकी ओर बढ़ी और उसने उसके माथे पर तिलक किया

"हैप्पी जर्नी" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा वही सब लोग उसे देख थोड़े चकित थे क्युकी सबको लग रहा था के वो रो पड़ेगी

"अपना ख्याल रखना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना डर था और वो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता था

"तुम भी"

"अपना ख्याल रखना बेटा और ठीक से खाना खाना" सरिताजी ने एक बार फिर कहा

"चिंता मत करो आंटी, अमर भी मेरे साथ जर्मनी जा रहा है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"वो बेवकूफ अपना ख्याल नहीं रख सकता तुम्हारा क्या रहेगा" स्वरा ने कहा जिसपर सब हंसने लगे

तब तक एकांश का ड्राइवर भी आ चुका था और एकांश अमर को पिक करते हुए एयरपोर्ट जाने वाला था, उसने एक नजर अक्षिता को देखा और अपने सफर पर निकल गया और अक्षिता वही खडी होकर उसकी कार को अपने से दूर जागे देखती रही

"अक्षिता, ठीक हो?" स्वरा ने पूछा

"हाँ." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके साथ घर के अंदर चली आई

पहले तो जब एकांश ने उसे बताया था के वो जा रहा है तो वो डर गई थी लेकिन फिर कल वाले किस के बाद मानो उसकी सारी परेशानियां खतम हो गई थी, वो किस अभी भी उसके जेहन में उतना ही ताजा था

******

एकांश ने जर्मनी पहुंचते ही अक्षिता को वीडियो कॉल किया और वो भी उसे देखकर खुश हुई क्योंकि उसे वो एक दिन एक साल जैसा लग रहा था

देखते ही देखते तीन दिन बीत गए थे और दोनों अब एक दूसरे से मिलने का इंतजार कर रहे थे

अक्षिता अभी पौधों को पानी दे रही थी की अचानक उसे चक्कर आने लगा जिसने अक्षिता को अब और चिंता मे डाल दिया था क्योंकि ये अब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उसने इस बारे मे अभी अपने पेरेंट्स को भी कुछ नहीं बताया था पता नहीं क्यू लेकिन वो उन्हे और टेंशन मे नहीं डालना चाहती थी, अक्षिता को अब हर पल ऐसा लगता जैसे उसे कुछ होने वाला है

वो आजकल ज्यादा आराम करती थी क्योंकि वो जल्दी थक जाती थी और उसका बायां हाथ भी कभी-कभी सुन्न हो जाता था जिससे उसका डर और भी बढ़ रहा था

वो जीना चाहती थी

कम से कम तब तक जब तक एकांश वापस नहीं आ जाता

इससे पहले कि उसे कुछ हो जाए, वो उसे आखिरी बार देखना चाहती थी

दूसरी तरफ, एकांश वीडियो कॉल में उसके पीले पड़े चेहरे को देखकर परेशान था, वो जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने उसपर परेशानी बताने के लिए दबाव भी नहीं डाला

उसने सोचा कि वो जल्द से जल्द अपना काम निपटाकर उसके पास पहुच जाएगा वो भी बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था के अक्षिता को कुछ हो ना जाए कम से कम तब तक नहीं जब तक वो वहा न पहुच जाए

******

अक्षिता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे नींद नहीं आ रही थी वो बिस्तर पर बैठ गई और एकांश को फ़ोन करने के बारे में सोचने लगी लेकिन टाइम ज़ोन जानने के कारण उसने फिर फ़ोन नहीं किया

उसका सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था, उसने सिर दर्द की दवा ली, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर में कुछ धड़क रहा हो, उसने अपने डॉक्टर से भी बात की और उसे अपनी हालत के बारे में भी बताया

उन्होंने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, जिससे वो थोड़ा डर गई

अक्षिता ने डॉक्टर को बताया कि वो ठीक है, बस थोड़ा सा सिरदर्द है और इसे वो संभाल लेगी

एकांश दो दिन में आ जाएगा और वह अभी अस्पताल में ऐड्मिट नहीं होना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक डॉक्टर उसे ऐड्मिट होने के लिए क्यों कह रहे हैं

सुबह वो अपने डेली के काम निपटाकर टीवी देख रही थी, उसे नींद भी आ रही थी, उसे रातों को नींद नहीं आती थी और नतिजन दिनभर वो फिर सोती रहती थी और अभी भी अनजाने मे वो सोफ़े पर ही सो गई थी

सरिताजी अपनी बेटी को देखकर चिंतित थी, आजकल वो बहुत ज्यादा सो रही थी या बैठी रहती थी जो की उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था और इसी बात मे सरिताजी को चिंता मे डाल हुआ था

उन्होंने इस बारे मे एकांश को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन उसका फ़ोन बंद था इसलिए उन्होंने सोचा कि उसके वापस आने के बाद ही इस बारे मे बात करेंगी

******

अक्षिता बेचैन महसूस कर रही थी इसीलिए उसने सोच के क्यूना मंदिर जाकर वहा के क्षांत वातावरण मे कुछ समय बिताया जाए इसीलिए वो मंदिर चली आई और वहा जाकर उसने प्रार्थना की, अपने जीवन के लिए नहीं बल्कि एकांश के लिए, उसने ऊपरवाले से बस इतना मांग के जब वो इस दुनिया मे ना हो तब एकांश को अपने आप को संभालने की शक्ति दे

अक्षिता की आँखों मे आँसू आ गए थे, उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे, वो रोना नहीं चाहती थी, उसे अपने इस जीवन मे अब तक जो कुछ भी मिला था उससे वो खुश थी, प्यार लूटने वाले मतअ पिता, खयाल रखने वाले दोस्त और वो जिसके बारे मे उसने काभी सोच भी नहीं था, उसका प्यार....

एकांश का उसकी जिंदगी मे आने उसके जीवन मे घाटी सबसे अच्छी घटना थी क्युकी हर कीसी को कहा अपना प्यार मिलता है

प्यार करना और प्यार पाना एक वरदान है जिसे अक्षिता ने पा लिया था

एकांश ने उसे इतना प्यार दिया था कि उसे फिर कीसी चीज की कमी नहीं लगी थी, उसे उसका प्यार मिल गया था और अक्षिता ने उस अद्भुत एहसास का अनुभव किया था, उसके प्यार और उसके त्याग की वैल्यू पता थी और इसीलिए उसने जो भी अपने जीवन मे पाया था वो उससे खुश थी बस ये बात और थी के वो एकांश को लेकर चिंतित थी की उसके बाद उसका क्या होगा

वो जानती थी कि वो उस सदमे को नहीं सह पाएगा और बस इसीलिए वो चिंतित थी वो उसे बहुत अच्छी तरह से जानती थी के वो इसे नहीं संभाल पाएगा वो परेशान हो जाएगा और सब कुछ तबाह करने निकल जाएगा जो की वो बिल्कुल नहीं चाहती थी, अक्षिता ने एकांश के बारे मे सोचते हुए अपनी आंखे बंद कर ली थी , वो बस एकांश के भले की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी

******

रात के 12 बज चुके थे और अक्षिता सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए उसने एक कीतब उठाई और पढ़ने लगी और तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने किताब एक तरफ रखी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई और सोचने लगी कि इस समय कौन होगा..

उसने अपने पेरेंट्स को जगाने के बारे में सोचा, लेकिन फिर सोचा कि उसे डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसका जीवन वैसे भी खत्म होने वाला है, बस यही खयाल आजकल उसके दिमाग मे घूमते थे जिससे उसे अब अपने आप से ही चिढ़ होने लगी थी

जब दरवाजे की घंटी फिर बजी तो अक्षिता अपने खयालों से बाहर आई और उसे एहसास हुआ कि वो बंद दरवाजे के सामने खड़ी होकर खुद से बात कर रही थी

उसने मन ही मन ये बात नोट कर ली कि उसे अपनी ये आदत छोड़ देनी चाहिए...... खुद से बात करने की आदत

अक्षिता ने दरवाजा खोला तो देखा के बेल बजाने वाला इंसान चेहरे पर मुस्कान लिया वहा खड़ा था, अक्षिता को पहले तो उसे देख यकीन ही ना हुआ उसने अपने पलके झपकाई ये जाचने के लिए के वो सचमुच वहा है या वो कोई सपना देख रही है

"मिस्ड मी?" उसने पूछा वही अक्षिता अभी भी शॉक मे उसे देख रही थी

क्रमश.....
ADHI bhai apki kahani ko hum padte nahi hai,hum usko jeete hai.jaisi hum apki story ke kirdar ho
Mind-blowing update
 
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Sweetkaran

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हेवन.... स्वर्ग... जन्नत....

बस यही वो शब्द था जो एकांश के दिमाग में।उसके मस्तिष्क में चल रहा था

बहुत दिनों बाद या सालो बाद अक्षिता के मुलायम होठों को अपने होठों पर महसूस कर एकांश को स्वर्ग से अनुभूति हो रही थी और इस एहसास को वो शब्दो में बयान नही कर सकता था

अक्षित के होंठो का मीठा स्वाद सीधा उसकी रगो में घुल रहा था, वो अक्षिता को ऐसे चूम रहा था जैसे वो कई दिनों का भूखा हो, उसके हार्मोंस मचल रहे थे, उसके अक्षिता को अपने और करीब खींचा और उसके बालो में हाथ घूमने लगा, उसका दिल इस वक्त जोरो से धड़क रहा था और एकांश का हाथ अपने बालो में पाते ही अक्षिता भी मचल उठी थी

अपने रिलेशनशिप के दौरान दोनो ने कई बार एकदूसरे को किस किया था लेकिन आज का ये किस कुछ अलग था, आज जैसे एकांश रुकना ही नही चाहता था

इस किस में प्यार था, एक जुनून था और अक्षिता भी उसी जुनून के साथ एकांश का साथ दे रही थी, यही तो को चाहती थी, इसी पल को तो वो जीना चाहती थी, इस प्यार के पल के अलावा इसे कुछ नही चाहिए था

काफी लंबे समय से वो दोनो को इसके लिए तरस रहे थे, इस पल में इस मोमेंट में अक्षिता भी समझ गई थी के एकांश उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसे चाहती थी

वो दोनो की इस किस में इस पल में खो गए थे जैसे अब कभी रुकेंगे ही नही

कुछ देर बार दोनो सास लेते हुए हांफते हुए अलग हुए, एकांश अक्षिता के चेहरे को उसके सुर्ख लाल होठों को देख रहा था वही अक्षिता शर्मा कर नीचे देख रहीं थी और एकांश की नजरो से नजरे नही मिला पा रही थी

एकांश ने अक्षिता के चेहरे को उसके गालों को अपने हाथो में थाम रखा और और वो दोबारा उसे किस करने लगा, अक्षिता के साथ उसके सीने पर घूम रहे थे वही अब एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर थे जो उसके साडी पहने होने की वजह से खुली थी, और कुछ समय बाद वो दोनो वापसी सास लेने के लिए अलग हुए

एकांश ने अपना माथा अक्षिता के माथे से टिकाए रखा था और मुस्कुरा रहा था वही अक्षिता भी खुश थी और उसके उसे कसकर गले लगा लिया और तभी उन्होंने सरिताजी को उन्हें पुकारते सुना और वो दोनो एकदूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगा, अक्षिता के चेहरे पर आई शर्म को देख एकांश के चेहरे पर मुस्कान थी, दोनो ने अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खाना खाने नीचे चले गए

दोनों के चेहरों पर इस समय एक सुकून भरी मुस्कान थी..

अक्षिता की माँ ने एकांश को वहा जाकर अपना ख्याल ठीक से रखने के निर्देश दिए और उसने एक बच्चे की तरह अपना सिर हिलाया, जिससे अक्षिता और उसके पिता मुस्कुरा उठे

अगले दिन सुबह एकांश अपने पेरेंट्स से मिलने गया, एकांश ने उनका आशीर्वाद लिया और जर्मनी की यात्रा शुरू करने के लिए वापिस अक्षिता के घर लौट आया, एकांश के पिता ने उसके लिए जर्मनी ने सब कुछ अरेंज कर दिया था..

एकांश ने अपने कपड़े, अक्षिता की रिपोर्टें पैक कीं और हर चीज़ की दोबारा देखी के कही कुछ छूट ना जाए

एकांश ने फिर अक्षिता के माता-पिता रोहन और स्वरा को अलविदा कहा, उसने उनसे अक्षिता का ख्याल रखने और कुछ भी अगर हो तो तुरंत उसे फोन करने कहा और वो अक्षिता के कमरे कमरे के दरवाज़े की ओर देखने लगा जो बंद था, उसने अक्षिता के माता-पिता की ओर देखा तो सरिताजी ने उसे जाकर अक्षिता से बात करने के लिए कहा

एकांश कमरे के अंदर गया तो उसने देखा कि उसका कमरा खाली था और जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि अक्षिता बाहर से आ रही थी

"तुम कहाँ गयी थी?" एकांश ने उससे पूछा

"मंदिर में" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा

वो उसकी ओर बढ़ी और उसने उसके माथे पर तिलक किया

"हैप्पी जर्नी" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा वही सब लोग उसे देख थोड़े चकित थे क्युकी सबको लग रहा था के वो रो पड़ेगी

"अपना ख्याल रखना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना डर था और वो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता था

"तुम भी"

"अपना ख्याल रखना बेटा और ठीक से खाना खाना" सरिताजी ने एक बार फिर कहा

"चिंता मत करो आंटी, अमर भी मेरे साथ जर्मनी जा रहा है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"वो बेवकूफ अपना ख्याल नहीं रख सकता तुम्हारा क्या रहेगा" स्वरा ने कहा जिसपर सब हंसने लगे

तब तक एकांश का ड्राइवर भी आ चुका था और एकांश अमर को पिक करते हुए एयरपोर्ट जाने वाला था, उसने एक नजर अक्षिता को देखा और अपने सफर पर निकल गया और अक्षिता वही खडी होकर उसकी कार को अपने से दूर जागे देखती रही

"अक्षिता, ठीक हो?" स्वरा ने पूछा

"हाँ." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके साथ घर के अंदर चली आई

पहले तो जब एकांश ने उसे बताया था के वो जा रहा है तो वो डर गई थी लेकिन फिर कल वाले किस के बाद मानो उसकी सारी परेशानियां खतम हो गई थी, वो किस अभी भी उसके जेहन में उतना ही ताजा था

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एकांश ने जर्मनी पहुंचते ही अक्षिता को वीडियो कॉल किया और वो भी उसे देखकर खुश हुई क्योंकि उसे वो एक दिन एक साल जैसा लग रहा था

देखते ही देखते तीन दिन बीत गए थे और दोनों अब एक दूसरे से मिलने का इंतजार कर रहे थे

अक्षिता अभी पौधों को पानी दे रही थी की अचानक उसे चक्कर आने लगा जिसने अक्षिता को अब और चिंता मे डाल दिया था क्योंकि ये अब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उसने इस बारे मे अभी अपने पेरेंट्स को भी कुछ नहीं बताया था पता नहीं क्यू लेकिन वो उन्हे और टेंशन मे नहीं डालना चाहती थी, अक्षिता को अब हर पल ऐसा लगता जैसे उसे कुछ होने वाला है

वो आजकल ज्यादा आराम करती थी क्योंकि वो जल्दी थक जाती थी और उसका बायां हाथ भी कभी-कभी सुन्न हो जाता था जिससे उसका डर और भी बढ़ रहा था

वो जीना चाहती थी

कम से कम तब तक जब तक एकांश वापस नहीं आ जाता

इससे पहले कि उसे कुछ हो जाए, वो उसे आखिरी बार देखना चाहती थी

दूसरी तरफ, एकांश वीडियो कॉल में उसके पीले पड़े चेहरे को देखकर परेशान था, वो जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने उसपर परेशानी बताने के लिए दबाव भी नहीं डाला

उसने सोचा कि वो जल्द से जल्द अपना काम निपटाकर उसके पास पहुच जाएगा वो भी बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था के अक्षिता को कुछ हो ना जाए कम से कम तब तक नहीं जब तक वो वहा न पहुच जाए

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अक्षिता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे नींद नहीं आ रही थी वो बिस्तर पर बैठ गई और एकांश को फ़ोन करने के बारे में सोचने लगी लेकिन टाइम ज़ोन जानने के कारण उसने फिर फ़ोन नहीं किया

उसका सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था, उसने सिर दर्द की दवा ली, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर में कुछ धड़क रहा हो, उसने अपने डॉक्टर से भी बात की और उसे अपनी हालत के बारे में भी बताया

उन्होंने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, जिससे वो थोड़ा डर गई

अक्षिता ने डॉक्टर को बताया कि वो ठीक है, बस थोड़ा सा सिरदर्द है और इसे वो संभाल लेगी

एकांश दो दिन में आ जाएगा और वह अभी अस्पताल में ऐड्मिट नहीं होना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक डॉक्टर उसे ऐड्मिट होने के लिए क्यों कह रहे हैं

सुबह वो अपने डेली के काम निपटाकर टीवी देख रही थी, उसे नींद भी आ रही थी, उसे रातों को नींद नहीं आती थी और नतिजन दिनभर वो फिर सोती रहती थी और अभी भी अनजाने मे वो सोफ़े पर ही सो गई थी

सरिताजी अपनी बेटी को देखकर चिंतित थी, आजकल वो बहुत ज्यादा सो रही थी या बैठी रहती थी जो की उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था और इसी बात मे सरिताजी को चिंता मे डाल हुआ था

उन्होंने इस बारे मे एकांश को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन उसका फ़ोन बंद था इसलिए उन्होंने सोचा कि उसके वापस आने के बाद ही इस बारे मे बात करेंगी

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अक्षिता बेचैन महसूस कर रही थी इसीलिए उसने सोच के क्यूना मंदिर जाकर वहा के क्षांत वातावरण मे कुछ समय बिताया जाए इसीलिए वो मंदिर चली आई और वहा जाकर उसने प्रार्थना की, अपने जीवन के लिए नहीं बल्कि एकांश के लिए, उसने ऊपरवाले से बस इतना मांग के जब वो इस दुनिया मे ना हो तब एकांश को अपने आप को संभालने की शक्ति दे

अक्षिता की आँखों मे आँसू आ गए थे, उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे, वो रोना नहीं चाहती थी, उसे अपने इस जीवन मे अब तक जो कुछ भी मिला था उससे वो खुश थी, प्यार लूटने वाले मतअ पिता, खयाल रखने वाले दोस्त और वो जिसके बारे मे उसने काभी सोच भी नहीं था, उसका प्यार....

एकांश का उसकी जिंदगी मे आने उसके जीवन मे घाटी सबसे अच्छी घटना थी क्युकी हर कीसी को कहा अपना प्यार मिलता है

प्यार करना और प्यार पाना एक वरदान है जिसे अक्षिता ने पा लिया था

एकांश ने उसे इतना प्यार दिया था कि उसे फिर कीसी चीज की कमी नहीं लगी थी, उसे उसका प्यार मिल गया था और अक्षिता ने उस अद्भुत एहसास का अनुभव किया था, उसके प्यार और उसके त्याग की वैल्यू पता थी और इसीलिए उसने जो भी अपने जीवन मे पाया था वो उससे खुश थी बस ये बात और थी के वो एकांश को लेकर चिंतित थी की उसके बाद उसका क्या होगा

वो जानती थी कि वो उस सदमे को नहीं सह पाएगा और बस इसीलिए वो चिंतित थी वो उसे बहुत अच्छी तरह से जानती थी के वो इसे नहीं संभाल पाएगा वो परेशान हो जाएगा और सब कुछ तबाह करने निकल जाएगा जो की वो बिल्कुल नहीं चाहती थी, अक्षिता ने एकांश के बारे मे सोचते हुए अपनी आंखे बंद कर ली थी , वो बस एकांश के भले की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी

******

रात के 12 बज चुके थे और अक्षिता सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए उसने एक कीतब उठाई और पढ़ने लगी और तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने किताब एक तरफ रखी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई और सोचने लगी कि इस समय कौन होगा..

उसने अपने पेरेंट्स को जगाने के बारे में सोचा, लेकिन फिर सोचा कि उसे डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसका जीवन वैसे भी खत्म होने वाला है, बस यही खयाल आजकल उसके दिमाग मे घूमते थे जिससे उसे अब अपने आप से ही चिढ़ होने लगी थी

जब दरवाजे की घंटी फिर बजी तो अक्षिता अपने खयालों से बाहर आई और उसे एहसास हुआ कि वो बंद दरवाजे के सामने खड़ी होकर खुद से बात कर रही थी

उसने मन ही मन ये बात नोट कर ली कि उसे अपनी ये आदत छोड़ देनी चाहिए...... खुद से बात करने की आदत

अक्षिता ने दरवाजा खोला तो देखा के बेल बजाने वाला इंसान चेहरे पर मुस्कान लिया वहा खड़ा था, अक्षिता को पहले तो उसे देख यकीन ही ना हुआ उसने अपने पलके झपकाई ये जाचने के लिए के वो सचमुच वहा है या वो कोई सपना देख रही है

"मिस्ड मी?" उसने पूछा वही अक्षिता अभी भी शॉक मे उसे देख रही थी

क्रमश.....
Awesome fabulous mind blowing update bro
 
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park

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हेवन.... स्वर्ग... जन्नत....

बस यही वो शब्द था जो एकांश के दिमाग में।उसके मस्तिष्क में चल रहा था

बहुत दिनों बाद या सालो बाद अक्षिता के मुलायम होठों को अपने होठों पर महसूस कर एकांश को स्वर्ग से अनुभूति हो रही थी और इस एहसास को वो शब्दो में बयान नही कर सकता था

अक्षित के होंठो का मीठा स्वाद सीधा उसकी रगो में घुल रहा था, वो अक्षिता को ऐसे चूम रहा था जैसे वो कई दिनों का भूखा हो, उसके हार्मोंस मचल रहे थे, उसके अक्षिता को अपने और करीब खींचा और उसके बालो में हाथ घूमने लगा, उसका दिल इस वक्त जोरो से धड़क रहा था और एकांश का हाथ अपने बालो में पाते ही अक्षिता भी मचल उठी थी

अपने रिलेशनशिप के दौरान दोनो ने कई बार एकदूसरे को किस किया था लेकिन आज का ये किस कुछ अलग था, आज जैसे एकांश रुकना ही नही चाहता था

इस किस में प्यार था, एक जुनून था और अक्षिता भी उसी जुनून के साथ एकांश का साथ दे रही थी, यही तो को चाहती थी, इसी पल को तो वो जीना चाहती थी, इस प्यार के पल के अलावा इसे कुछ नही चाहिए था

काफी लंबे समय से वो दोनो को इसके लिए तरस रहे थे, इस पल में इस मोमेंट में अक्षिता भी समझ गई थी के एकांश उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसे चाहती थी

वो दोनो की इस किस में इस पल में खो गए थे जैसे अब कभी रुकेंगे ही नही

कुछ देर बार दोनो सास लेते हुए हांफते हुए अलग हुए, एकांश अक्षिता के चेहरे को उसके सुर्ख लाल होठों को देख रहा था वही अक्षिता शर्मा कर नीचे देख रहीं थी और एकांश की नजरो से नजरे नही मिला पा रही थी

एकांश ने अक्षिता के चेहरे को उसके गालों को अपने हाथो में थाम रखा और और वो दोबारा उसे किस करने लगा, अक्षिता के साथ उसके सीने पर घूम रहे थे वही अब एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर थे जो उसके साडी पहने होने की वजह से खुली थी, और कुछ समय बाद वो दोनो वापसी सास लेने के लिए अलग हुए

एकांश ने अपना माथा अक्षिता के माथे से टिकाए रखा था और मुस्कुरा रहा था वही अक्षिता भी खुश थी और उसके उसे कसकर गले लगा लिया और तभी उन्होंने सरिताजी को उन्हें पुकारते सुना और वो दोनो एकदूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगा, अक्षिता के चेहरे पर आई शर्म को देख एकांश के चेहरे पर मुस्कान थी, दोनो ने अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खाना खाने नीचे चले गए

दोनों के चेहरों पर इस समय एक सुकून भरी मुस्कान थी..

अक्षिता की माँ ने एकांश को वहा जाकर अपना ख्याल ठीक से रखने के निर्देश दिए और उसने एक बच्चे की तरह अपना सिर हिलाया, जिससे अक्षिता और उसके पिता मुस्कुरा उठे

अगले दिन सुबह एकांश अपने पेरेंट्स से मिलने गया, एकांश ने उनका आशीर्वाद लिया और जर्मनी की यात्रा शुरू करने के लिए वापिस अक्षिता के घर लौट आया, एकांश के पिता ने उसके लिए जर्मनी ने सब कुछ अरेंज कर दिया था..

एकांश ने अपने कपड़े, अक्षिता की रिपोर्टें पैक कीं और हर चीज़ की दोबारा देखी के कही कुछ छूट ना जाए

एकांश ने फिर अक्षिता के माता-पिता रोहन और स्वरा को अलविदा कहा, उसने उनसे अक्षिता का ख्याल रखने और कुछ भी अगर हो तो तुरंत उसे फोन करने कहा और वो अक्षिता के कमरे कमरे के दरवाज़े की ओर देखने लगा जो बंद था, उसने अक्षिता के माता-पिता की ओर देखा तो सरिताजी ने उसे जाकर अक्षिता से बात करने के लिए कहा

एकांश कमरे के अंदर गया तो उसने देखा कि उसका कमरा खाली था और जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि अक्षिता बाहर से आ रही थी

"तुम कहाँ गयी थी?" एकांश ने उससे पूछा

"मंदिर में" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा

वो उसकी ओर बढ़ी और उसने उसके माथे पर तिलक किया

"हैप्पी जर्नी" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा वही सब लोग उसे देख थोड़े चकित थे क्युकी सबको लग रहा था के वो रो पड़ेगी

"अपना ख्याल रखना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना डर था और वो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता था

"तुम भी"

"अपना ख्याल रखना बेटा और ठीक से खाना खाना" सरिताजी ने एक बार फिर कहा

"चिंता मत करो आंटी, अमर भी मेरे साथ जर्मनी जा रहा है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"वो बेवकूफ अपना ख्याल नहीं रख सकता तुम्हारा क्या रहेगा" स्वरा ने कहा जिसपर सब हंसने लगे

तब तक एकांश का ड्राइवर भी आ चुका था और एकांश अमर को पिक करते हुए एयरपोर्ट जाने वाला था, उसने एक नजर अक्षिता को देखा और अपने सफर पर निकल गया और अक्षिता वही खडी होकर उसकी कार को अपने से दूर जागे देखती रही

"अक्षिता, ठीक हो?" स्वरा ने पूछा

"हाँ." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके साथ घर के अंदर चली आई

पहले तो जब एकांश ने उसे बताया था के वो जा रहा है तो वो डर गई थी लेकिन फिर कल वाले किस के बाद मानो उसकी सारी परेशानियां खतम हो गई थी, वो किस अभी भी उसके जेहन में उतना ही ताजा था

******

एकांश ने जर्मनी पहुंचते ही अक्षिता को वीडियो कॉल किया और वो भी उसे देखकर खुश हुई क्योंकि उसे वो एक दिन एक साल जैसा लग रहा था

देखते ही देखते तीन दिन बीत गए थे और दोनों अब एक दूसरे से मिलने का इंतजार कर रहे थे

अक्षिता अभी पौधों को पानी दे रही थी की अचानक उसे चक्कर आने लगा जिसने अक्षिता को अब और चिंता मे डाल दिया था क्योंकि ये अब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उसने इस बारे मे अभी अपने पेरेंट्स को भी कुछ नहीं बताया था पता नहीं क्यू लेकिन वो उन्हे और टेंशन मे नहीं डालना चाहती थी, अक्षिता को अब हर पल ऐसा लगता जैसे उसे कुछ होने वाला है

वो आजकल ज्यादा आराम करती थी क्योंकि वो जल्दी थक जाती थी और उसका बायां हाथ भी कभी-कभी सुन्न हो जाता था जिससे उसका डर और भी बढ़ रहा था

वो जीना चाहती थी

कम से कम तब तक जब तक एकांश वापस नहीं आ जाता

इससे पहले कि उसे कुछ हो जाए, वो उसे आखिरी बार देखना चाहती थी

दूसरी तरफ, एकांश वीडियो कॉल में उसके पीले पड़े चेहरे को देखकर परेशान था, वो जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने उसपर परेशानी बताने के लिए दबाव भी नहीं डाला

उसने सोचा कि वो जल्द से जल्द अपना काम निपटाकर उसके पास पहुच जाएगा वो भी बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था के अक्षिता को कुछ हो ना जाए कम से कम तब तक नहीं जब तक वो वहा न पहुच जाए

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अक्षिता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे नींद नहीं आ रही थी वो बिस्तर पर बैठ गई और एकांश को फ़ोन करने के बारे में सोचने लगी लेकिन टाइम ज़ोन जानने के कारण उसने फिर फ़ोन नहीं किया

उसका सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था, उसने सिर दर्द की दवा ली, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर में कुछ धड़क रहा हो, उसने अपने डॉक्टर से भी बात की और उसे अपनी हालत के बारे में भी बताया

उन्होंने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, जिससे वो थोड़ा डर गई

अक्षिता ने डॉक्टर को बताया कि वो ठीक है, बस थोड़ा सा सिरदर्द है और इसे वो संभाल लेगी

एकांश दो दिन में आ जाएगा और वह अभी अस्पताल में ऐड्मिट नहीं होना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक डॉक्टर उसे ऐड्मिट होने के लिए क्यों कह रहे हैं

सुबह वो अपने डेली के काम निपटाकर टीवी देख रही थी, उसे नींद भी आ रही थी, उसे रातों को नींद नहीं आती थी और नतिजन दिनभर वो फिर सोती रहती थी और अभी भी अनजाने मे वो सोफ़े पर ही सो गई थी

सरिताजी अपनी बेटी को देखकर चिंतित थी, आजकल वो बहुत ज्यादा सो रही थी या बैठी रहती थी जो की उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था और इसी बात मे सरिताजी को चिंता मे डाल हुआ था

उन्होंने इस बारे मे एकांश को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन उसका फ़ोन बंद था इसलिए उन्होंने सोचा कि उसके वापस आने के बाद ही इस बारे मे बात करेंगी

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अक्षिता बेचैन महसूस कर रही थी इसीलिए उसने सोच के क्यूना मंदिर जाकर वहा के क्षांत वातावरण मे कुछ समय बिताया जाए इसीलिए वो मंदिर चली आई और वहा जाकर उसने प्रार्थना की, अपने जीवन के लिए नहीं बल्कि एकांश के लिए, उसने ऊपरवाले से बस इतना मांग के जब वो इस दुनिया मे ना हो तब एकांश को अपने आप को संभालने की शक्ति दे

अक्षिता की आँखों मे आँसू आ गए थे, उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे, वो रोना नहीं चाहती थी, उसे अपने इस जीवन मे अब तक जो कुछ भी मिला था उससे वो खुश थी, प्यार लूटने वाले मतअ पिता, खयाल रखने वाले दोस्त और वो जिसके बारे मे उसने काभी सोच भी नहीं था, उसका प्यार....

एकांश का उसकी जिंदगी मे आने उसके जीवन मे घाटी सबसे अच्छी घटना थी क्युकी हर कीसी को कहा अपना प्यार मिलता है

प्यार करना और प्यार पाना एक वरदान है जिसे अक्षिता ने पा लिया था

एकांश ने उसे इतना प्यार दिया था कि उसे फिर कीसी चीज की कमी नहीं लगी थी, उसे उसका प्यार मिल गया था और अक्षिता ने उस अद्भुत एहसास का अनुभव किया था, उसके प्यार और उसके त्याग की वैल्यू पता थी और इसीलिए उसने जो भी अपने जीवन मे पाया था वो उससे खुश थी बस ये बात और थी के वो एकांश को लेकर चिंतित थी की उसके बाद उसका क्या होगा

वो जानती थी कि वो उस सदमे को नहीं सह पाएगा और बस इसीलिए वो चिंतित थी वो उसे बहुत अच्छी तरह से जानती थी के वो इसे नहीं संभाल पाएगा वो परेशान हो जाएगा और सब कुछ तबाह करने निकल जाएगा जो की वो बिल्कुल नहीं चाहती थी, अक्षिता ने एकांश के बारे मे सोचते हुए अपनी आंखे बंद कर ली थी , वो बस एकांश के भले की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी

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रात के 12 बज चुके थे और अक्षिता सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए उसने एक कीतब उठाई और पढ़ने लगी और तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने किताब एक तरफ रखी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई और सोचने लगी कि इस समय कौन होगा..

उसने अपने पेरेंट्स को जगाने के बारे में सोचा, लेकिन फिर सोचा कि उसे डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसका जीवन वैसे भी खत्म होने वाला है, बस यही खयाल आजकल उसके दिमाग मे घूमते थे जिससे उसे अब अपने आप से ही चिढ़ होने लगी थी

जब दरवाजे की घंटी फिर बजी तो अक्षिता अपने खयालों से बाहर आई और उसे एहसास हुआ कि वो बंद दरवाजे के सामने खड़ी होकर खुद से बात कर रही थी

उसने मन ही मन ये बात नोट कर ली कि उसे अपनी ये आदत छोड़ देनी चाहिए...... खुद से बात करने की आदत

अक्षिता ने दरवाजा खोला तो देखा के बेल बजाने वाला इंसान चेहरे पर मुस्कान लिया वहा खड़ा था, अक्षिता को पहले तो उसे देख यकीन ही ना हुआ उसने अपने पलके झपकाई ये जाचने के लिए के वो सचमुच वहा है या वो कोई सपना देख रही है

"मिस्ड मी?" उसने पूछा वही अक्षिता अभी भी शॉक मे उसे देख रही थी

क्रमश.....
Nice and superb update....
 

RAAZ

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हेवन.... स्वर्ग... जन्नत....

बस यही वो शब्द था जो एकांश के दिमाग में।उसके मस्तिष्क में चल रहा था

बहुत दिनों बाद या सालो बाद अक्षिता के मुलायम होठों को अपने होठों पर महसूस कर एकांश को स्वर्ग से अनुभूति हो रही थी और इस एहसास को वो शब्दो में बयान नही कर सकता था

अक्षित के होंठो का मीठा स्वाद सीधा उसकी रगो में घुल रहा था, वो अक्षिता को ऐसे चूम रहा था जैसे वो कई दिनों का भूखा हो, उसके हार्मोंस मचल रहे थे, उसके अक्षिता को अपने और करीब खींचा और उसके बालो में हाथ घूमने लगा, उसका दिल इस वक्त जोरो से धड़क रहा था और एकांश का हाथ अपने बालो में पाते ही अक्षिता भी मचल उठी थी

अपने रिलेशनशिप के दौरान दोनो ने कई बार एकदूसरे को किस किया था लेकिन आज का ये किस कुछ अलग था, आज जैसे एकांश रुकना ही नही चाहता था

इस किस में प्यार था, एक जुनून था और अक्षिता भी उसी जुनून के साथ एकांश का साथ दे रही थी, यही तो को चाहती थी, इसी पल को तो वो जीना चाहती थी, इस प्यार के पल के अलावा इसे कुछ नही चाहिए था

काफी लंबे समय से वो दोनो को इसके लिए तरस रहे थे, इस पल में इस मोमेंट में अक्षिता भी समझ गई थी के एकांश उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसे चाहती थी

वो दोनो की इस किस में इस पल में खो गए थे जैसे अब कभी रुकेंगे ही नही

कुछ देर बार दोनो सास लेते हुए हांफते हुए अलग हुए, एकांश अक्षिता के चेहरे को उसके सुर्ख लाल होठों को देख रहा था वही अक्षिता शर्मा कर नीचे देख रहीं थी और एकांश की नजरो से नजरे नही मिला पा रही थी

एकांश ने अक्षिता के चेहरे को उसके गालों को अपने हाथो में थाम रखा और और वो दोबारा उसे किस करने लगा, अक्षिता के साथ उसके सीने पर घूम रहे थे वही अब एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर थे जो उसके साडी पहने होने की वजह से खुली थी, और कुछ समय बाद वो दोनो वापसी सास लेने के लिए अलग हुए

एकांश ने अपना माथा अक्षिता के माथे से टिकाए रखा था और मुस्कुरा रहा था वही अक्षिता भी खुश थी और उसके उसे कसकर गले लगा लिया और तभी उन्होंने सरिताजी को उन्हें पुकारते सुना और वो दोनो एकदूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगा, अक्षिता के चेहरे पर आई शर्म को देख एकांश के चेहरे पर मुस्कान थी, दोनो ने अपने कपड़े और बाल ठीक किए और खाना खाने नीचे चले गए

दोनों के चेहरों पर इस समय एक सुकून भरी मुस्कान थी..

अक्षिता की माँ ने एकांश को वहा जाकर अपना ख्याल ठीक से रखने के निर्देश दिए और उसने एक बच्चे की तरह अपना सिर हिलाया, जिससे अक्षिता और उसके पिता मुस्कुरा उठे

अगले दिन सुबह एकांश अपने पेरेंट्स से मिलने गया, एकांश ने उनका आशीर्वाद लिया और जर्मनी की यात्रा शुरू करने के लिए वापिस अक्षिता के घर लौट आया, एकांश के पिता ने उसके लिए जर्मनी ने सब कुछ अरेंज कर दिया था..

एकांश ने अपने कपड़े, अक्षिता की रिपोर्टें पैक कीं और हर चीज़ की दोबारा देखी के कही कुछ छूट ना जाए

एकांश ने फिर अक्षिता के माता-पिता रोहन और स्वरा को अलविदा कहा, उसने उनसे अक्षिता का ख्याल रखने और कुछ भी अगर हो तो तुरंत उसे फोन करने कहा और वो अक्षिता के कमरे कमरे के दरवाज़े की ओर देखने लगा जो बंद था, उसने अक्षिता के माता-पिता की ओर देखा तो सरिताजी ने उसे जाकर अक्षिता से बात करने के लिए कहा

एकांश कमरे के अंदर गया तो उसने देखा कि उसका कमरा खाली था और जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि अक्षिता बाहर से आ रही थी

"तुम कहाँ गयी थी?" एकांश ने उससे पूछा

"मंदिर में" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा

वो उसकी ओर बढ़ी और उसने उसके माथे पर तिलक किया

"हैप्पी जर्नी" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा वही सब लोग उसे देख थोड़े चकित थे क्युकी सबको लग रहा था के वो रो पड़ेगी

"अपना ख्याल रखना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना डर था और वो उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता था

"तुम भी"

"अपना ख्याल रखना बेटा और ठीक से खाना खाना" सरिताजी ने एक बार फिर कहा

"चिंता मत करो आंटी, अमर भी मेरे साथ जर्मनी जा रहा है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"वो बेवकूफ अपना ख्याल नहीं रख सकता तुम्हारा क्या रहेगा" स्वरा ने कहा जिसपर सब हंसने लगे

तब तक एकांश का ड्राइवर भी आ चुका था और एकांश अमर को पिक करते हुए एयरपोर्ट जाने वाला था, उसने एक नजर अक्षिता को देखा और अपने सफर पर निकल गया और अक्षिता वही खडी होकर उसकी कार को अपने से दूर जागे देखती रही

"अक्षिता, ठीक हो?" स्वरा ने पूछा

"हाँ." अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके साथ घर के अंदर चली आई

पहले तो जब एकांश ने उसे बताया था के वो जा रहा है तो वो डर गई थी लेकिन फिर कल वाले किस के बाद मानो उसकी सारी परेशानियां खतम हो गई थी, वो किस अभी भी उसके जेहन में उतना ही ताजा था

******

एकांश ने जर्मनी पहुंचते ही अक्षिता को वीडियो कॉल किया और वो भी उसे देखकर खुश हुई क्योंकि उसे वो एक दिन एक साल जैसा लग रहा था

देखते ही देखते तीन दिन बीत गए थे और दोनों अब एक दूसरे से मिलने का इंतजार कर रहे थे

अक्षिता अभी पौधों को पानी दे रही थी की अचानक उसे चक्कर आने लगा जिसने अक्षिता को अब और चिंता मे डाल दिया था क्योंकि ये अब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उसने इस बारे मे अभी अपने पेरेंट्स को भी कुछ नहीं बताया था पता नहीं क्यू लेकिन वो उन्हे और टेंशन मे नहीं डालना चाहती थी, अक्षिता को अब हर पल ऐसा लगता जैसे उसे कुछ होने वाला है

वो आजकल ज्यादा आराम करती थी क्योंकि वो जल्दी थक जाती थी और उसका बायां हाथ भी कभी-कभी सुन्न हो जाता था जिससे उसका डर और भी बढ़ रहा था

वो जीना चाहती थी

कम से कम तब तक जब तक एकांश वापस नहीं आ जाता

इससे पहले कि उसे कुछ हो जाए, वो उसे आखिरी बार देखना चाहती थी

दूसरी तरफ, एकांश वीडियो कॉल में उसके पीले पड़े चेहरे को देखकर परेशान था, वो जानता था कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने उसपर परेशानी बताने के लिए दबाव भी नहीं डाला

उसने सोचा कि वो जल्द से जल्द अपना काम निपटाकर उसके पास पहुच जाएगा वो भी बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था के अक्षिता को कुछ हो ना जाए कम से कम तब तक नहीं जब तक वो वहा न पहुच जाए

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अक्षिता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे नींद नहीं आ रही थी वो बिस्तर पर बैठ गई और एकांश को फ़ोन करने के बारे में सोचने लगी लेकिन टाइम ज़ोन जानने के कारण उसने फिर फ़ोन नहीं किया

उसका सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था, उसने सिर दर्द की दवा ली, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर में कुछ धड़क रहा हो, उसने अपने डॉक्टर से भी बात की और उसे अपनी हालत के बारे में भी बताया

उन्होंने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती होने को कहा, जिससे वो थोड़ा डर गई

अक्षिता ने डॉक्टर को बताया कि वो ठीक है, बस थोड़ा सा सिरदर्द है और इसे वो संभाल लेगी

एकांश दो दिन में आ जाएगा और वह अभी अस्पताल में ऐड्मिट नहीं होना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक डॉक्टर उसे ऐड्मिट होने के लिए क्यों कह रहे हैं

सुबह वो अपने डेली के काम निपटाकर टीवी देख रही थी, उसे नींद भी आ रही थी, उसे रातों को नींद नहीं आती थी और नतिजन दिनभर वो फिर सोती रहती थी और अभी भी अनजाने मे वो सोफ़े पर ही सो गई थी

सरिताजी अपनी बेटी को देखकर चिंतित थी, आजकल वो बहुत ज्यादा सो रही थी या बैठी रहती थी जो की उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था और इसी बात मे सरिताजी को चिंता मे डाल हुआ था

उन्होंने इस बारे मे एकांश को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन उसका फ़ोन बंद था इसलिए उन्होंने सोचा कि उसके वापस आने के बाद ही इस बारे मे बात करेंगी

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अक्षिता बेचैन महसूस कर रही थी इसीलिए उसने सोच के क्यूना मंदिर जाकर वहा के क्षांत वातावरण मे कुछ समय बिताया जाए इसीलिए वो मंदिर चली आई और वहा जाकर उसने प्रार्थना की, अपने जीवन के लिए नहीं बल्कि एकांश के लिए, उसने ऊपरवाले से बस इतना मांग के जब वो इस दुनिया मे ना हो तब एकांश को अपने आप को संभालने की शक्ति दे

अक्षिता की आँखों मे आँसू आ गए थे, उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे, वो रोना नहीं चाहती थी, उसे अपने इस जीवन मे अब तक जो कुछ भी मिला था उससे वो खुश थी, प्यार लूटने वाले मतअ पिता, खयाल रखने वाले दोस्त और वो जिसके बारे मे उसने काभी सोच भी नहीं था, उसका प्यार....

एकांश का उसकी जिंदगी मे आने उसके जीवन मे घाटी सबसे अच्छी घटना थी क्युकी हर कीसी को कहा अपना प्यार मिलता है

प्यार करना और प्यार पाना एक वरदान है जिसे अक्षिता ने पा लिया था

एकांश ने उसे इतना प्यार दिया था कि उसे फिर कीसी चीज की कमी नहीं लगी थी, उसे उसका प्यार मिल गया था और अक्षिता ने उस अद्भुत एहसास का अनुभव किया था, उसके प्यार और उसके त्याग की वैल्यू पता थी और इसीलिए उसने जो भी अपने जीवन मे पाया था वो उससे खुश थी बस ये बात और थी के वो एकांश को लेकर चिंतित थी की उसके बाद उसका क्या होगा

वो जानती थी कि वो उस सदमे को नहीं सह पाएगा और बस इसीलिए वो चिंतित थी वो उसे बहुत अच्छी तरह से जानती थी के वो इसे नहीं संभाल पाएगा वो परेशान हो जाएगा और सब कुछ तबाह करने निकल जाएगा जो की वो बिल्कुल नहीं चाहती थी, अक्षिता ने एकांश के बारे मे सोचते हुए अपनी आंखे बंद कर ली थी , वो बस एकांश के भले की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी

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रात के 12 बज चुके थे और अक्षिता सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए उसने एक कीतब उठाई और पढ़ने लगी और तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने किताब एक तरफ रखी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई और सोचने लगी कि इस समय कौन होगा..

उसने अपने पेरेंट्स को जगाने के बारे में सोचा, लेकिन फिर सोचा कि उसे डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसका जीवन वैसे भी खत्म होने वाला है, बस यही खयाल आजकल उसके दिमाग मे घूमते थे जिससे उसे अब अपने आप से ही चिढ़ होने लगी थी

जब दरवाजे की घंटी फिर बजी तो अक्षिता अपने खयालों से बाहर आई और उसे एहसास हुआ कि वो बंद दरवाजे के सामने खड़ी होकर खुद से बात कर रही थी

उसने मन ही मन ये बात नोट कर ली कि उसे अपनी ये आदत छोड़ देनी चाहिए...... खुद से बात करने की आदत

अक्षिता ने दरवाजा खोला तो देखा के बेल बजाने वाला इंसान चेहरे पर मुस्कान लिया वहा खड़ा था, अक्षिता को पहले तो उसे देख यकीन ही ना हुआ उसने अपने पलके झपकाई ये जाचने के लिए के वो सचमुच वहा है या वो कोई सपना देख रही है

"मिस्ड मी?" उसने पूछा वही अक्षिता अभी भी शॉक मे उसे देख रही थी

क्रमश.....
Bohat khoobsurat, aakhir Germany pohach gaya Ansh dekhna hoga jaane se fayda hoga ki nahi magar peeche woh wapas anshita ko usi majhdar me wapas chor gaya jahan per woh pehlay thee aur ab achanak ke samne aane se usko shock lagna kahi anshita ke liye khatra na ban jaye.
 
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