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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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एक दूजे के वास्ते
प्रोलॉग



शाम का वक्त था और सुहाना मौसम था, पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश ने मौसम मे ठंड बढ़ा दी थी और ऐसे मे वो पार्क मे बेंच पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी, ये वही जगह थी जहा वो लोग अक्सर मिला करते थे

“हे”

ये आवाज सुन उसने ऊपर देखा तो उस इंसान को पाया जिसका वो यहा इंतजार कर रही थी

“हाइ” उसने मुस्कुरा कर कहा और खड़ी हो गई

“क्या सोच रही थी? उसने जब आते हुए उसे बेंच पर सोच मे डूबा देखा तो पुछ लिया

“नहीं कुछ नहीं, तुम बताओ तुमने मुझे इतना अर्जन्टली मिलने क्यू बुलाया है?”

“वो मुझे कुछ बताना था तुम्हें, वो मैंने कल हमारे बारे मे घर पर मेरी मा को बात दिया” उसने नर्वसली अपनी गर्दन खुजाते हुए उससे कहा और वो शांति से उसकी बात सुन रही थी

“पहले तो वो थोड़ी गुस्सा हुई लेकिन फिर जब मैंने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया, हमारे बारे मे बताया के हम एक दूसरे से कितना प्यार करते है और मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता तब..... वो मान गई और वो एक बार तुमसे मिलना चाहती है” उसने मुस्कुराते हुए कहा, उसकी खुशी उसके चेहरे से साफ देखि जा सकती थी

“तुम्हारी मा से मिलना है? इतनी जल्दी?” उसने नर्वस होते हुए कहा

“अरे तो उसमे क्या है, मैं जल्द ही बिजनस टेकओवर करने वाला हु और मा पापा चाहते है के मैं जल्द ही सेटल हो जाऊ और जब मैंने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया तो वो बस तुमसे मिलना चाहते है” उसने कहा

“उम्म... मैं नहीं कर सकती ये, नहीं मिल सकती” उसने नीचे देखते हुए कहा

“क्या???? लेकिन क्यू?? वो कन्फ्यूज़ था

“मुझे अभी ये सब नहीं चाहिए, मैं फिलहाल कोई कमिट्मन्ट नहीं चाहती थी” उसने सपाट चेहरे के साथ कहा

“लेकिन क्यू अक्षु? तुम मुझसे प्यार करती हो ना? अब वो इस से डर रहा था

वो चुप रही

“अक्षिता.... तुम जानती हो ना मैं तुमसे कितना प्यार करता हु और मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता”

उसने अपनी गर्दन हिला दी

“तो फिर ये सब क्यू??” अब उसे गुस्सा आ रहा था

उसमे उसका सामना करने ही अब हिम्मत नहीं थी वो पलट गई

“क्युकी... मैं तुमसे प्यार नहीं करती” उसने कहा

और वो ये शब्द सुन वो अपनी जगह स्तब्ध खड़ा हो गया

“तुम.... तुम मजाक कर रही हो ना” उसे खोने का डर उसकी आवाज मे साफ झलक रहा था

“नहीं!”

“क्या??” वो थोड़ा चिल्लाया

कुछ पल वहा उन दोनों के बीच शांति छाई रही

“मैं नहीं मानता! मुझे तुम्हारी इस बात पर यकीन नहीं है, तुमने कहा था तुम मुझसे प्यार करती हो यार” वो चिल्लाया

“मैंने झूठ कहा था” उसने आराम से कहा

“तो तुम कह रही हो हमारे बीच पिछले दो सालों मे जो कुछ भी हुआ वो सब कुछ झूठ था” उसकी आंखे नम हो चुकी थी उनमे पानी जमने लगा था

“हा”

“लेकिन क्यू??”

“क्युकी मुझे तुम्हारा पैसा तुम्हारा अटेंशन अच्छा लगा था, तुम्हारा लुक तुम्हारा स्टैटस पसंद था... बस”

उसकी बात सुन वो अब कुछ कहने की हालत मे नहीं था, वो शॉक मे था

“तुम मुझे तुम्हारे साथ सेटल होने कह रहे हो जिसके लिए मैं रेडी नहीं हु, मेरी भी फॅमिली है जिम्मेदारिया है सपने है अपनी जिंदगी है और मैं ये सब फिर एक अट्रैक्शन के लिए नहीं छोड़ सकती”

उसने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर घुमाया

“मेरी आँखों मे देखक कर कहो अक्षिता... के तुम मुझसे प्यार नहीं करती” वो गुस्से मे चिल्लाया गुस्से से उसकी आंखे लाल हो गई थी

“मैं तुमसे प्यार नहीं करती” उसने उसकी आँखों मे देखते हुए कहा

अक्षिता की बात सुन उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, आज उसके दिल के टुकड़े टुकड़े हो गए थे

अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने स्वरा को वही छोड़ा और वहा से चला गया और पीछे छोड़ गया अपने प्यार अपनी जिंदगी को....


पता नहीं इनकी कहानी मे आगे क्या होगा... क्या ये अंत है या एक नई शुरुवात... क्या सच मे अक्षिता उससे प्यार नहीं करती?? और अगर वो अक्षिता को इतना चाहता है तो क्या वो उसके इस धोके से उबर पाएगा.... जानने के लिए पढिए, एक दूजे के वास्ते.....
Bohot badhiya start hai bhai :applause: :applause: Akshita naam ki ladki ne apne so-called pre.i ka dil tod diya( kyuki abhi tak writer ne naam nahi bataya uska:winknudge:) pyar me ruswai mil gai use kyu ki jaha tak padha hai us se to yahi lagta hai ki ladki be wafa hai. Or paiso ka lalach hi wajah thi sath rehne ki👍
Ab dekhne wali baat ye hogi ki kya sach me waisa hi hai jo dikh raha hai? Ya kuch or hai iske liye to first update padhna hi padega:idk1:Awesome 👌🏻
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

parkas

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Update 1


1.5 साल बाद...

“अक्षु उठो अब तुमने रात मे कहा था न तुम्हें ऑफिस जल्दी जाना है लेट हो जाएगा तुम्हें”

इस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे और अक्षिता की मा उसे नींद से जगाने की कोशिश मे लगी हुई थी

“उमहू, मम्मी यार सोने दो ना, चली जाऊँगी ऑफिस भी”

“अरे पर तुमने ही तो कहा था के तुम्हें आज ऑफिस जल्दी जाना था आज जरूरी काम है ऑफिस मे और अब सोई हो उठो, 8 बजे गए है”

और जैसे ही अक्षिता के कानों ने 8 बजने की बात सुनी अक्षिता उठ बैठी, उसे 8.30 तक ऑफिस पहुचना था लेकिन 8 उसे घर पर ही बज चुके थे और आज इतने इम्पॉर्टन्ट दिन उसका ऑफिस के लिए लेट होना लगभग तय हो चुका था, वो जल्दी से बेड से उठी और रेडी होकर ऑफिस के लिए रवाना हो गई,

अक्षिता जितनी जल्दी हो सकता था ऑफिस पहुच गई थी फिर भी उसे लेट हो चुका था और जैसे ही वो ऑफिस मे घुसी

“अक्षु इधर”

अक्षिता की दोस्त और कलीग स्वरा ने उसे आवाज दिया और अक्षिता मुसकुराते हुए उसके पास गई

“तुमको कोई आइडीया है के कितने बज रहे है?” स्वरा ने गुस्से मे कहा

“सवा नौ” अक्षिता ने नीचे देखते हुए धीमे से कहा

“और आपको ऑफिस कितने बजे तक आना था?”

“साढ़े आठ बजे तक” अक्षिता ने वैसे ही नीचे देखते हुए कहा

“और वो क्यू??”

“क्युकी आज हमारा नया बॉस आने वाला है” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा, उसको जरा भी अपने लेट आने का पछतावा नहीं था और इसको कोई फरक नहीं पड़ा ये देख स्वरा ने अपना सर झटक लिया

“सॉरी ना यार स्वरू और इतना भी लेट नहीं हुआ है वैसे भी मैं उसके आने के पहले तो आ ही गई हु ना अब चल जल्दी हॉल मे”

जिसके साथ ही अक्षिता स्वरा को अपने साथ खिच के ले जाने लगी

“ओये रोहन कहा है” अक्षिता ने अपने दूसरे दोस्त के बारे मे पूछा

“वो पहुच गया है हमारी राह देख रहा है” स्वरा ने कहा

आज से 1 साल पहले अक्षिता स्वरा और रोहन ने एक साथ ही इस कंपनी मे जॉइन किया था और तभी से तीनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी, वो दोनों मीटिंग हॉल मे पहुची जहा रोहन पहले ही मौजूद था

“हाश पहुच गए.... हाइ रोहन” अक्षिता ने रोहन को देखते ही कहा

“चलो तुम दोनों पहुची तो” रोहन ने उन दोनों को देख कहा

“ओये तुम लोगों को पता है क्या अपना नया बॉस कौन है?? मैंने सुना है वो बहुत हैन्डसम है, ऊपर से बैच्लर भी है” स्वरा ने अपने नए बॉस के बारे मे सोचते हुए उन दोनों से पूछा

“और मैंने तो ये भी सुना है के वो हैन्डसम होने के साथ साथ गुस्से वाला और ऐरगन्ट भी है तो मैडम सपने से बाहर आओ और बेहतर होगा के उसके सामने तमीज से रहो क्युकी मैंने यहा तक सुना है के वो किसी को फायर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता” रोहन ने स्वरा को सपनों से बाहर लाते हुए सच्चाई से अवगत कराया।

पूरा हॉल लगभग भर चुका था, ऑफिस के सभी कर्मचारी आ गए थे और जैसे ही बॉस की एंट्री होने लगी पूरा हॉल एकदम शांत हो गया, लेकिन ये उनका नया नहीं बल्कि पुराना बॉस था, जो आज रिटायर हो रहे थे, उन्होंने कंपनी के बारे मे, अपने इक्स्पीरीअन्स के बारे मे बहुत सी बाते की, और आज जब उन्होंने अपनी कंपनी को बेच दिया था तो उन्हे कैसा फ़ील हो रहा था ये उन्होंने अपने एम्प्लॉईस को बताया

अक्षिता अपने पुराने बॉस को देख मुस्कुराई जब उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान उसके काम की तारीफ की, वो लगभग 60 साल के थे और चुकी उनके कोई बाल बच्चे नहीं थे जो उनका बिजनस आगे बढ़ाए तो उन्होंने कंपनी को बेच कर रेटाइरमेंट लेकर बाकी जिंदगी अपनी वाइफ के साथ बिताने का फैसला किया था, ये न तो कोई बड़ी कंपनी थी ना ही ज्यादा छोटी, लेकिन उनका बिजनस अच्छे खासे प्रॉफ़िट मे था जिसने कई सालों तक कई लोगों को नौकरिया दी थी और अब चुकी वो रेटायर हो रहे थे उन्होंने इस सफल बिजनस की बागडोर किसी और को सोपने का मन बनाया था...

“सो माइ डिअर स्टाफ, प्लीज वेलकम योर न्यू बॉस” उन्होंने मुसकुराते हुए कहा

और इसी के साथ हॉल मे तालियों की गूंज उठने लगी और गेट से हॉल मे एक हैन्डसम नौजवान की एंट्री हुई, अपने नए बॉस को देख जहा एक ओर सारा स्टाफ खुश था उत्साहित था वही अक्षिता शॉक थी, वो अपनी जगह पर जम गई थी।

‘नहीं ये नहीं हो सकता’

‘ये वो नहीं है, ये हो ही नहीं सकता ये झूठ है’ अक्षिता ने अपने आप से कहा तभी

“स्टाफ प्लीज वेलकम मिस्टर एकांश रघुवंशी, आपके नए बॉस, और मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है के हमारी कंपनी रघुवंशी ग्रुप के साथ लिगली और कंप्लीटली मर्ज हो चुकी है और अब इस कंपनी की बागडोर मिस्टर एकांश संभालेंगे”

‘ये वही है और अब ये मेरा बॉस है’ अक्षिता ने मन मे कहा,

इस बात पर कैसे रीऐक्ट करे अक्षिता को समझ ही नहीं आ रहा था वो बस शॉक होकर अपनी जगह पर जम गई थी वही दूसरी ओर नेहा अपने नए बॉस को देख बहुत खुश थी खास तौर पर इतने हैन्डसम बॉस को देख कर और उसकी इस खुशी को देख रोहन इरिटैट हो रहा था,

उनका पुराना बॉस एकांश को अपने सारे स्टाफ से मिला रहा था और अक्षिता उसे दूर से देख रही, वो बहुत बदल चुका था ये वो नहीं था जिसे वो कभी जानती थी उसे देख कर ऐसा लगता था मानो उसे हसना आता ही ना हो, उसे देखते हुए अक्षिता की आँखों मे पानी जमने लगा था, आज वो उसे पूरे पूरे 1.5 साल बाद देख रही थी, उसने उसे बहुत ज्यादा मिस किया था उसकी स्माइल उसका उसे छेड़ना, गले लगाना, सब कुछ उसने मिस किया था लेकिन इन सब का अब कोई मतलब नहीं था।

एकांश एक एक कर सभी स्टाफ से मिल रहा था..

‘ये लोग तो यही आ रहे है? क्या करू? क्या करू? क्या ये जानता है मैं यहा काम करती हु? हे भगवान मैं कैसे फेस करूंगी उसे? क्या वो मुझे पहचानेगा? एक काम करती हु पलट कर भाग जाती हु मिलूँगी ही नहीं, हा ये सही रहेगा’ अक्षिता अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रही थी और अभी उससे ना मिलना ही अक्षिता ने सही समझा लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला था वो अब उसका बॉस था और कभी न कभी तो दोनों को आमने सामने आना ही था

अक्षिता पसीने से भीगी हुई थी मानो उसे कोई पैनिक अटैक आया हो और ऐसे मे वो उससे नहीं मिल सकती थी, उसे फेस करने के लिए अक्षिता को पहले अपने आपको तयार करना था मेंटली प्रीपेर करना था और ऐसे मे अक्षिता को सबसे अच्छा आइडीया वहा से भागने का ही लगा उसने लंबी सास ली और बगैर किसी की नजर मे आए वहा से निकलने के बारे मे सोचा और वो धीरे धीरे पीछे सरक कर वहा से निकलने ही वाली थी के तभी...

“अक्षिता”

अपने पुराने बॉस की आवाज सुन वो रुकी और उसने पीछे पलट कर देखा तो पाया के उसका पुराना बॉस नए बॉस के साथ उसे ही देख रहा था, उसको अपनी ओर देखता पा कर अक्षिता की सास अटक रही थी लेकिन एकांश का चेहरा एकदम नूट्रल था उसे कुछ फरक नहीं पड रहा था

‘लगता है इसने मुझे पहचाना नहीं’ अक्षिता ने मन मे सोचा तभी

“कहा जा रही हो, यहा आओ” अक्षिता के पुराने बॉस ने उसे बुलाया एक एम्प्लोयी के तौर पर उसे अक्षिता का काम बहुत पसंद था उसने स्माइल के साथ अक्षिता से कहा और अक्षिता ने एक लंबी सास ली और नीचे देखते हुए उनकी ओर बढ़ी

“मिस्टर रघुवंशी मीट मिस अक्षिता पांडे, ये हमारे एचआर डिपार्ट्मन्ट मे काम करती है” बॉस ने अक्षिता का इन्ट्रो कराया और इस पूरे टाइम अखिता बस गर्दन झुकाए नीचे देख रही थी जब तक के

“नाइस तो मीट यू मिस पांडे” उसके शांत ठंडी आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता ने सर उठा कर उसे देखा उसकी आँखों मे आँसू जमने लगे थे दिमाग मे जंग छिड़ी थी उसकी आवाज बता रही थी वो उसे भुला नहीं था लेकिन चेहरे पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था

“नाइस टु मीट यू टू, मिस्टर रघुवंशी” अक्षिता ने कहा

“बाकी लोगों से मिल ले?” एकांश ने कहा और वो बाकी लोगों की ओर बढ़ गया

कुछ समय बाद

“अक्षु क्या हुआ था सुबह?” लंच करते हुए स्वरा ने अक्षिता से पूछा

“कब?” लेकिन अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया तब स्वरा ने रोहन को देखा

“अक्षिता हमने सबने देखा था वो” रोहन ने कहा

“तुम लोग किस बारे मे बात कर रहे हो बताओगे?” अक्षिता ने अब थोड़ा जोर से पूछा, उसने अपने की लिए कॉफी ली हुई थी सुबह से हो रही घटनाओ से उसका सर फटा जा रहा था और ये कॉफी उसे शायद थोड़ा आराम दे दे

“पहली बात तो जब हमारा नया बॉस आया उसे देखते ही तुम्हारा चेहरा ऐसा हो गया था जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो” स्वरा ने कहा जिससे अब अक्षिता थोड़ा टेंशन मे थी

“दूसरी बात, तुम हॉल से भागने की कोशिश कर रही थी बताओगी ऐसा क्यू?” रोहन ने अगला सवाल दागा

“और तीसरी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात नए बॉस ने सबको ग्रीट किया सबसे हाथ मिलाया लेकिन तुमसे नहीं ऐसा क्यू?” स्वरा

“ये जाकर उससे पूछो” अक्षिता ने अपना पल्ला झाड दिया

“ये कोई जवाब नहीं हुआ, अक्षु तुम ठीक हो न?” स्वरा ने उससे पूछा

“हा बाबा मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ है, अब सर मत दुखाओ यार” इसी के साथ अक्षिता ने उन दोनों को चुप करा दिया लेकिन उसके दिमाग मे एक जंग छिड़ी हुई थी कई सारी बाते घूम रही थी पता नहीं आने वाला समय उसके जीवन मे क्या लाने वाला था, फिलहाल तो उसके दिमाग मे सबसे ऊपर एक ही बात थी के जल्दी से घर जाकर दवा लेकर सो जाए जो होगा देखा जाएगा....

क्रमश:
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....
Nice and lovely update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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68,641
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Update 1


1.5 साल बाद...

“अक्षु उठो अब तुमने रात मे कहा था न तुम्हें ऑफिस जल्दी जाना है लेट हो जाएगा तुम्हें”

इस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे और अक्षिता की मा उसे नींद से जगाने की कोशिश मे लगी हुई थी

“उमहू, मम्मी यार सोने दो ना, चली जाऊँगी ऑफिस भी”

“अरे पर तुमने ही तो कहा था के तुम्हें आज ऑफिस जल्दी जाना था आज जरूरी काम है ऑफिस मे और अब सोई हो उठो, 8 बजे गए है”

और जैसे ही अक्षिता के कानों ने 8 बजने की बात सुनी अक्षिता उठ बैठी, उसे 8.30 तक ऑफिस पहुचना था लेकिन 8 उसे घर पर ही बज चुके थे और आज इतने इम्पॉर्टन्ट दिन उसका ऑफिस के लिए लेट होना लगभग तय हो चुका था, वो जल्दी से बेड से उठी और रेडी होकर ऑफिस के लिए रवाना हो गई,

अक्षिता जितनी जल्दी हो सकता था ऑफिस पहुच गई थी फिर भी उसे लेट हो चुका था और जैसे ही वो ऑफिस मे घुसी

“अक्षु इधर”

अक्षिता की दोस्त और कलीग स्वरा ने उसे आवाज दिया और अक्षिता मुसकुराते हुए उसके पास गई

“तुमको कोई आइडीया है के कितने बज रहे है?” स्वरा ने गुस्से मे कहा

“सवा नौ” अक्षिता ने नीचे देखते हुए धीमे से कहा

“और आपको ऑफिस कितने बजे तक आना था?”

“साढ़े आठ बजे तक” अक्षिता ने वैसे ही नीचे देखते हुए कहा

“और वो क्यू??”

“क्युकी आज हमारा नया बॉस आने वाला है” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा, उसको जरा भी अपने लेट आने का पछतावा नहीं था और इसको कोई फरक नहीं पड़ा ये देख स्वरा ने अपना सर झटक लिया

“सॉरी ना यार स्वरू और इतना भी लेट नहीं हुआ है वैसे भी मैं उसके आने के पहले तो आ ही गई हु ना अब चल जल्दी हॉल मे”

जिसके साथ ही अक्षिता स्वरा को अपने साथ खिच के ले जाने लगी

“ओये रोहन कहा है” अक्षिता ने अपने दूसरे दोस्त के बारे मे पूछा

“वो पहुच गया है हमारी राह देख रहा है” स्वरा ने कहा

आज से 1 साल पहले अक्षिता स्वरा और रोहन ने एक साथ ही इस कंपनी मे जॉइन किया था और तभी से तीनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी, वो दोनों मीटिंग हॉल मे पहुची जहा रोहन पहले ही मौजूद था

“हाश पहुच गए.... हाइ रोहन” अक्षिता ने रोहन को देखते ही कहा

“चलो तुम दोनों पहुची तो” रोहन ने उन दोनों को देख कहा

“ओये तुम लोगों को पता है क्या अपना नया बॉस कौन है?? मैंने सुना है वो बहुत हैन्डसम है, ऊपर से बैच्लर भी है” स्वरा ने अपने नए बॉस के बारे मे सोचते हुए उन दोनों से पूछा

“और मैंने तो ये भी सुना है के वो हैन्डसम होने के साथ साथ गुस्से वाला और ऐरगन्ट भी है तो मैडम सपने से बाहर आओ और बेहतर होगा के उसके सामने तमीज से रहो क्युकी मैंने यहा तक सुना है के वो किसी को फायर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता” रोहन ने स्वरा को सपनों से बाहर लाते हुए सच्चाई से अवगत कराया।

पूरा हॉल लगभग भर चुका था, ऑफिस के सभी कर्मचारी आ गए थे और जैसे ही बॉस की एंट्री होने लगी पूरा हॉल एकदम शांत हो गया, लेकिन ये उनका नया नहीं बल्कि पुराना बॉस था, जो आज रिटायर हो रहे थे, उन्होंने कंपनी के बारे मे, अपने इक्स्पीरीअन्स के बारे मे बहुत सी बाते की, और आज जब उन्होंने अपनी कंपनी को बेच दिया था तो उन्हे कैसा फ़ील हो रहा था ये उन्होंने अपने एम्प्लॉईस को बताया

अक्षिता अपने पुराने बॉस को देख मुस्कुराई जब उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान उसके काम की तारीफ की, वो लगभग 60 साल के थे और चुकी उनके कोई बाल बच्चे नहीं थे जो उनका बिजनस आगे बढ़ाए तो उन्होंने कंपनी को बेच कर रेटाइरमेंट लेकर बाकी जिंदगी अपनी वाइफ के साथ बिताने का फैसला किया था, ये न तो कोई बड़ी कंपनी थी ना ही ज्यादा छोटी, लेकिन उनका बिजनस अच्छे खासे प्रॉफ़िट मे था जिसने कई सालों तक कई लोगों को नौकरिया दी थी और अब चुकी वो रेटायर हो रहे थे उन्होंने इस सफल बिजनस की बागडोर किसी और को सोपने का मन बनाया था...

“सो माइ डिअर स्टाफ, प्लीज वेलकम योर न्यू बॉस” उन्होंने मुसकुराते हुए कहा

और इसी के साथ हॉल मे तालियों की गूंज उठने लगी और गेट से हॉल मे एक हैन्डसम नौजवान की एंट्री हुई, अपने नए बॉस को देख जहा एक ओर सारा स्टाफ खुश था उत्साहित था वही अक्षिता शॉक थी, वो अपनी जगह पर जम गई थी।

‘नहीं ये नहीं हो सकता’

‘ये वो नहीं है, ये हो ही नहीं सकता ये झूठ है’ अक्षिता ने अपने आप से कहा तभी

“स्टाफ प्लीज वेलकम मिस्टर एकांश रघुवंशी, आपके नए बॉस, और मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है के हमारी कंपनी रघुवंशी ग्रुप के साथ लिगली और कंप्लीटली मर्ज हो चुकी है और अब इस कंपनी की बागडोर मिस्टर एकांश संभालेंगे”

‘ये वही है और अब ये मेरा बॉस है’ अक्षिता ने मन मे कहा,

इस बात पर कैसे रीऐक्ट करे अक्षिता को समझ ही नहीं आ रहा था वो बस शॉक होकर अपनी जगह पर जम गई थी वही दूसरी ओर नेहा अपने नए बॉस को देख बहुत खुश थी खास तौर पर इतने हैन्डसम बॉस को देख कर और उसकी इस खुशी को देख रोहन इरिटैट हो रहा था,

उनका पुराना बॉस एकांश को अपने सारे स्टाफ से मिला रहा था और अक्षिता उसे दूर से देख रही, वो बहुत बदल चुका था ये वो नहीं था जिसे वो कभी जानती थी उसे देख कर ऐसा लगता था मानो उसे हसना आता ही ना हो, उसे देखते हुए अक्षिता की आँखों मे पानी जमने लगा था, आज वो उसे पूरे पूरे 1.5 साल बाद देख रही थी, उसने उसे बहुत ज्यादा मिस किया था उसकी स्माइल उसका उसे छेड़ना, गले लगाना, सब कुछ उसने मिस किया था लेकिन इन सब का अब कोई मतलब नहीं था।

एकांश एक एक कर सभी स्टाफ से मिल रहा था..

‘ये लोग तो यही आ रहे है? क्या करू? क्या करू? क्या ये जानता है मैं यहा काम करती हु? हे भगवान मैं कैसे फेस करूंगी उसे? क्या वो मुझे पहचानेगा? एक काम करती हु पलट कर भाग जाती हु मिलूँगी ही नहीं, हा ये सही रहेगा’ अक्षिता अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रही थी और अभी उससे ना मिलना ही अक्षिता ने सही समझा लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला था वो अब उसका बॉस था और कभी न कभी तो दोनों को आमने सामने आना ही था

अक्षिता पसीने से भीगी हुई थी मानो उसे कोई पैनिक अटैक आया हो और ऐसे मे वो उससे नहीं मिल सकती थी, उसे फेस करने के लिए अक्षिता को पहले अपने आपको तयार करना था मेंटली प्रीपेर करना था और ऐसे मे अक्षिता को सबसे अच्छा आइडीया वहा से भागने का ही लगा उसने लंबी सास ली और बगैर किसी की नजर मे आए वहा से निकलने के बारे मे सोचा और वो धीरे धीरे पीछे सरक कर वहा से निकलने ही वाली थी के तभी...

“अक्षिता”

अपने पुराने बॉस की आवाज सुन वो रुकी और उसने पीछे पलट कर देखा तो पाया के उसका पुराना बॉस नए बॉस के साथ उसे ही देख रहा था, उसको अपनी ओर देखता पा कर अक्षिता की सास अटक रही थी लेकिन एकांश का चेहरा एकदम नूट्रल था उसे कुछ फरक नहीं पड रहा था

‘लगता है इसने मुझे पहचाना नहीं’ अक्षिता ने मन मे सोचा तभी

“कहा जा रही हो, यहा आओ” अक्षिता के पुराने बॉस ने उसे बुलाया एक एम्प्लोयी के तौर पर उसे अक्षिता का काम बहुत पसंद था उसने स्माइल के साथ अक्षिता से कहा और अक्षिता ने एक लंबी सास ली और नीचे देखते हुए उनकी ओर बढ़ी

“मिस्टर रघुवंशी मीट मिस अक्षिता पांडे, ये हमारे एचआर डिपार्ट्मन्ट मे काम करती है” बॉस ने अक्षिता का इन्ट्रो कराया और इस पूरे टाइम अखिता बस गर्दन झुकाए नीचे देख रही थी जब तक के

“नाइस तो मीट यू मिस पांडे” उसके शांत ठंडी आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता ने सर उठा कर उसे देखा उसकी आँखों मे आँसू जमने लगे थे दिमाग मे जंग छिड़ी थी उसकी आवाज बता रही थी वो उसे भुला नहीं था लेकिन चेहरे पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था

“नाइस टु मीट यू टू, मिस्टर रघुवंशी” अक्षिता ने कहा

“बाकी लोगों से मिल ले?” एकांश ने कहा और वो बाकी लोगों की ओर बढ़ गया

कुछ समय बाद

“अक्षु क्या हुआ था सुबह?” लंच करते हुए स्वरा ने अक्षिता से पूछा

“कब?” लेकिन अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया तब स्वरा ने रोहन को देखा

“अक्षिता हमने सबने देखा था वो” रोहन ने कहा

“तुम लोग किस बारे मे बात कर रहे हो बताओगे?” अक्षिता ने अब थोड़ा जोर से पूछा, उसने अपने की लिए कॉफी ली हुई थी सुबह से हो रही घटनाओ से उसका सर फटा जा रहा था और ये कॉफी उसे शायद थोड़ा आराम दे दे

“पहली बात तो जब हमारा नया बॉस आया उसे देखते ही तुम्हारा चेहरा ऐसा हो गया था जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो” स्वरा ने कहा जिससे अब अक्षिता थोड़ा टेंशन मे थी

“दूसरी बात, तुम हॉल से भागने की कोशिश कर रही थी बताओगी ऐसा क्यू?” रोहन ने अगला सवाल दागा

“और तीसरी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात नए बॉस ने सबको ग्रीट किया सबसे हाथ मिलाया लेकिन तुमसे नहीं ऐसा क्यू?” स्वरा

“ये जाकर उससे पूछो” अक्षिता ने अपना पल्ला झाड दिया

“ये कोई जवाब नहीं हुआ, अक्षु तुम ठीक हो न?” स्वरा ने उससे पूछा

“हा बाबा मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ है, अब सर मत दुखाओ यार” इसी के साथ अक्षिता ने उन दोनों को चुप करा दिया लेकिन उसके दिमाग मे एक जंग छिड़ी हुई थी कई सारी बाते घूम रही थी पता नहीं आने वाला समय उसके जीवन मे क्या लाने वाला था, फिलहाल तो उसके दिमाग मे सबसे ऊपर एक ही बात थी के जल्दी से घर जाकर दवा लेकर सो जाए जो होगा देखा जाएगा....

क्रमश:
Ekans Raghuvansi yahi hai apni kahani ka hiro. Akshita ko pehchan liya usne. Per fir bhi kuch nahi bola? Akshita kab tak apne dosto se sachai chupa payegi? Ye dekhne wali baat hogi :idk1:
Pehla update bohot hi badhiya tha. Agle update ka besabri se intjaar rahega. Awesome update and superb writing ✍️
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥
 
Last edited:

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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Update 1


1.5 साल बाद...

“अक्षु उठो अब तुमने रात मे कहा था न तुम्हें ऑफिस जल्दी जाना है लेट हो जाएगा तुम्हें”

इस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे और अक्षिता की मा उसे नींद से जगाने की कोशिश मे लगी हुई थी

“उमहू, मम्मी यार सोने दो ना, चली जाऊँगी ऑफिस भी”

“अरे पर तुमने ही तो कहा था के तुम्हें आज ऑफिस जल्दी जाना था आज जरूरी काम है ऑफिस मे और अब सोई हो उठो, 8 बजे गए है”

और जैसे ही अक्षिता के कानों ने 8 बजने की बात सुनी अक्षिता उठ बैठी, उसे 8.30 तक ऑफिस पहुचना था लेकिन 8 उसे घर पर ही बज चुके थे और आज इतने इम्पॉर्टन्ट दिन उसका ऑफिस के लिए लेट होना लगभग तय हो चुका था, वो जल्दी से बेड से उठी और रेडी होकर ऑफिस के लिए रवाना हो गई,

अक्षिता जितनी जल्दी हो सकता था ऑफिस पहुच गई थी फिर भी उसे लेट हो चुका था और जैसे ही वो ऑफिस मे घुसी

“अक्षु इधर”

अक्षिता की दोस्त और कलीग स्वरा ने उसे आवाज दिया और अक्षिता मुसकुराते हुए उसके पास गई

“तुमको कोई आइडीया है के कितने बज रहे है?” स्वरा ने गुस्से मे कहा

“सवा नौ” अक्षिता ने नीचे देखते हुए धीमे से कहा

“और आपको ऑफिस कितने बजे तक आना था?”

“साढ़े आठ बजे तक” अक्षिता ने वैसे ही नीचे देखते हुए कहा

“और वो क्यू??”

“क्युकी आज हमारा नया बॉस आने वाला है” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा, उसको जरा भी अपने लेट आने का पछतावा नहीं था और इसको कोई फरक नहीं पड़ा ये देख स्वरा ने अपना सर झटक लिया

“सॉरी ना यार स्वरू और इतना भी लेट नहीं हुआ है वैसे भी मैं उसके आने के पहले तो आ ही गई हु ना अब चल जल्दी हॉल मे”

जिसके साथ ही अक्षिता स्वरा को अपने साथ खिच के ले जाने लगी

“ओये रोहन कहा है” अक्षिता ने अपने दूसरे दोस्त के बारे मे पूछा

“वो पहुच गया है हमारी राह देख रहा है” स्वरा ने कहा

आज से 1 साल पहले अक्षिता स्वरा और रोहन ने एक साथ ही इस कंपनी मे जॉइन किया था और तभी से तीनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी, वो दोनों मीटिंग हॉल मे पहुची जहा रोहन पहले ही मौजूद था

“हाश पहुच गए.... हाइ रोहन” अक्षिता ने रोहन को देखते ही कहा

“चलो तुम दोनों पहुची तो” रोहन ने उन दोनों को देख कहा

“ओये तुम लोगों को पता है क्या अपना नया बॉस कौन है?? मैंने सुना है वो बहुत हैन्डसम है, ऊपर से बैच्लर भी है” स्वरा ने अपने नए बॉस के बारे मे सोचते हुए उन दोनों से पूछा

“और मैंने तो ये भी सुना है के वो हैन्डसम होने के साथ साथ गुस्से वाला और ऐरगन्ट भी है तो मैडम सपने से बाहर आओ और बेहतर होगा के उसके सामने तमीज से रहो क्युकी मैंने यहा तक सुना है के वो किसी को फायर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता” रोहन ने स्वरा को सपनों से बाहर लाते हुए सच्चाई से अवगत कराया।

पूरा हॉल लगभग भर चुका था, ऑफिस के सभी कर्मचारी आ गए थे और जैसे ही बॉस की एंट्री होने लगी पूरा हॉल एकदम शांत हो गया, लेकिन ये उनका नया नहीं बल्कि पुराना बॉस था, जो आज रिटायर हो रहे थे, उन्होंने कंपनी के बारे मे, अपने इक्स्पीरीअन्स के बारे मे बहुत सी बाते की, और आज जब उन्होंने अपनी कंपनी को बेच दिया था तो उन्हे कैसा फ़ील हो रहा था ये उन्होंने अपने एम्प्लॉईस को बताया

अक्षिता अपने पुराने बॉस को देख मुस्कुराई जब उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान उसके काम की तारीफ की, वो लगभग 60 साल के थे और चुकी उनके कोई बाल बच्चे नहीं थे जो उनका बिजनस आगे बढ़ाए तो उन्होंने कंपनी को बेच कर रेटाइरमेंट लेकर बाकी जिंदगी अपनी वाइफ के साथ बिताने का फैसला किया था, ये न तो कोई बड़ी कंपनी थी ना ही ज्यादा छोटी, लेकिन उनका बिजनस अच्छे खासे प्रॉफ़िट मे था जिसने कई सालों तक कई लोगों को नौकरिया दी थी और अब चुकी वो रेटायर हो रहे थे उन्होंने इस सफल बिजनस की बागडोर किसी और को सोपने का मन बनाया था...

“सो माइ डिअर स्टाफ, प्लीज वेलकम योर न्यू बॉस” उन्होंने मुसकुराते हुए कहा

और इसी के साथ हॉल मे तालियों की गूंज उठने लगी और गेट से हॉल मे एक हैन्डसम नौजवान की एंट्री हुई, अपने नए बॉस को देख जहा एक ओर सारा स्टाफ खुश था उत्साहित था वही अक्षिता शॉक थी, वो अपनी जगह पर जम गई थी।

‘नहीं ये नहीं हो सकता’

‘ये वो नहीं है, ये हो ही नहीं सकता ये झूठ है’ अक्षिता ने अपने आप से कहा तभी

“स्टाफ प्लीज वेलकम मिस्टर एकांश रघुवंशी, आपके नए बॉस, और मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है के हमारी कंपनी रघुवंशी ग्रुप के साथ लिगली और कंप्लीटली मर्ज हो चुकी है और अब इस कंपनी की बागडोर मिस्टर एकांश संभालेंगे”

‘ये वही है और अब ये मेरा बॉस है’ अक्षिता ने मन मे कहा,

इस बात पर कैसे रीऐक्ट करे अक्षिता को समझ ही नहीं आ रहा था वो बस शॉक होकर अपनी जगह पर जम गई थी वही दूसरी ओर नेहा अपने नए बॉस को देख बहुत खुश थी खास तौर पर इतने हैन्डसम बॉस को देख कर और उसकी इस खुशी को देख रोहन इरिटैट हो रहा था,

उनका पुराना बॉस एकांश को अपने सारे स्टाफ से मिला रहा था और अक्षिता उसे दूर से देख रही, वो बहुत बदल चुका था ये वो नहीं था जिसे वो कभी जानती थी उसे देख कर ऐसा लगता था मानो उसे हसना आता ही ना हो, उसे देखते हुए अक्षिता की आँखों मे पानी जमने लगा था, आज वो उसे पूरे पूरे 1.5 साल बाद देख रही थी, उसने उसे बहुत ज्यादा मिस किया था उसकी स्माइल उसका उसे छेड़ना, गले लगाना, सब कुछ उसने मिस किया था लेकिन इन सब का अब कोई मतलब नहीं था।

एकांश एक एक कर सभी स्टाफ से मिल रहा था..

‘ये लोग तो यही आ रहे है? क्या करू? क्या करू? क्या ये जानता है मैं यहा काम करती हु? हे भगवान मैं कैसे फेस करूंगी उसे? क्या वो मुझे पहचानेगा? एक काम करती हु पलट कर भाग जाती हु मिलूँगी ही नहीं, हा ये सही रहेगा’ अक्षिता अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रही थी और अभी उससे ना मिलना ही अक्षिता ने सही समझा लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला था वो अब उसका बॉस था और कभी न कभी तो दोनों को आमने सामने आना ही था

अक्षिता पसीने से भीगी हुई थी मानो उसे कोई पैनिक अटैक आया हो और ऐसे मे वो उससे नहीं मिल सकती थी, उसे फेस करने के लिए अक्षिता को पहले अपने आपको तयार करना था मेंटली प्रीपेर करना था और ऐसे मे अक्षिता को सबसे अच्छा आइडीया वहा से भागने का ही लगा उसने लंबी सास ली और बगैर किसी की नजर मे आए वहा से निकलने के बारे मे सोचा और वो धीरे धीरे पीछे सरक कर वहा से निकलने ही वाली थी के तभी...

“अक्षिता”

अपने पुराने बॉस की आवाज सुन वो रुकी और उसने पीछे पलट कर देखा तो पाया के उसका पुराना बॉस नए बॉस के साथ उसे ही देख रहा था, उसको अपनी ओर देखता पा कर अक्षिता की सास अटक रही थी लेकिन एकांश का चेहरा एकदम नूट्रल था उसे कुछ फरक नहीं पड रहा था

‘लगता है इसने मुझे पहचाना नहीं’ अक्षिता ने मन मे सोचा तभी

“कहा जा रही हो, यहा आओ” अक्षिता के पुराने बॉस ने उसे बुलाया एक एम्प्लोयी के तौर पर उसे अक्षिता का काम बहुत पसंद था उसने स्माइल के साथ अक्षिता से कहा और अक्षिता ने एक लंबी सास ली और नीचे देखते हुए उनकी ओर बढ़ी

“मिस्टर रघुवंशी मीट मिस अक्षिता पांडे, ये हमारे एचआर डिपार्ट्मन्ट मे काम करती है” बॉस ने अक्षिता का इन्ट्रो कराया और इस पूरे टाइम अखिता बस गर्दन झुकाए नीचे देख रही थी जब तक के

“नाइस तो मीट यू मिस पांडे” उसके शांत ठंडी आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता ने सर उठा कर उसे देखा उसकी आँखों मे आँसू जमने लगे थे दिमाग मे जंग छिड़ी थी उसकी आवाज बता रही थी वो उसे भुला नहीं था लेकिन चेहरे पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था

“नाइस टु मीट यू टू, मिस्टर रघुवंशी” अक्षिता ने कहा

“बाकी लोगों से मिल ले?” एकांश ने कहा और वो बाकी लोगों की ओर बढ़ गया

कुछ समय बाद

“अक्षु क्या हुआ था सुबह?” लंच करते हुए स्वरा ने अक्षिता से पूछा

“कब?” लेकिन अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया तब स्वरा ने रोहन को देखा

“अक्षिता हमने सबने देखा था वो” रोहन ने कहा

“तुम लोग किस बारे मे बात कर रहे हो बताओगे?” अक्षिता ने अब थोड़ा जोर से पूछा, उसने अपने की लिए कॉफी ली हुई थी सुबह से हो रही घटनाओ से उसका सर फटा जा रहा था और ये कॉफी उसे शायद थोड़ा आराम दे दे

“पहली बात तो जब हमारा नया बॉस आया उसे देखते ही तुम्हारा चेहरा ऐसा हो गया था जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो” स्वरा ने कहा जिससे अब अक्षिता थोड़ा टेंशन मे थी

“दूसरी बात, तुम हॉल से भागने की कोशिश कर रही थी बताओगी ऐसा क्यू?” रोहन ने अगला सवाल दागा

“और तीसरी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात नए बॉस ने सबको ग्रीट किया सबसे हाथ मिलाया लेकिन तुमसे नहीं ऐसा क्यू?” स्वरा

“ये जाकर उससे पूछो” अक्षिता ने अपना पल्ला झाड दिया

“ये कोई जवाब नहीं हुआ, अक्षु तुम ठीक हो न?” स्वरा ने उससे पूछा

“हा बाबा मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ है, अब सर मत दुखाओ यार” इसी के साथ अक्षिता ने उन दोनों को चुप करा दिया लेकिन उसके दिमाग मे एक जंग छिड़ी हुई थी कई सारी बाते घूम रही थी पता नहीं आने वाला समय उसके जीवन मे क्या लाने वाला था, फिलहाल तो उसके दिमाग मे सबसे ऊपर एक ही बात थी के जल्दी से घर जाकर दवा लेकर सो जाए जो होगा देखा जाएगा....

क्रमश:
Bhot hi sanndar shuruwaat ....ummed h ye bhi apki pichli khani ki trh umda level pe hogi definitely.... dekhte h....aage kya hota h ...kafi dino se forum sukha sukha tha ab dekhte h 🧐kitna romnchak bante h aap iss ..
 

Raj_sharma

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Update 1


1.5 साल बाद...

“अक्षु उठो अब तुमने रात मे कहा था न तुम्हें ऑफिस जल्दी जाना है लेट हो जाएगा तुम्हें”

इस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे और अक्षिता की मा उसे नींद से जगाने की कोशिश मे लगी हुई थी

“उमहू, मम्मी यार सोने दो ना, चली जाऊँगी ऑफिस भी”

“अरे पर तुमने ही तो कहा था के तुम्हें आज ऑफिस जल्दी जाना था आज जरूरी काम है ऑफिस मे और अब सोई हो उठो, 8 बजे गए है”

और जैसे ही अक्षिता के कानों ने 8 बजने की बात सुनी अक्षिता उठ बैठी, उसे 8.30 तक ऑफिस पहुचना था लेकिन 8 उसे घर पर ही बज चुके थे और आज इतने इम्पॉर्टन्ट दिन उसका ऑफिस के लिए लेट होना लगभग तय हो चुका था, वो जल्दी से बेड से उठी और रेडी होकर ऑफिस के लिए रवाना हो गई,

अक्षिता जितनी जल्दी हो सकता था ऑफिस पहुच गई थी फिर भी उसे लेट हो चुका था और जैसे ही वो ऑफिस मे घुसी

“अक्षु इधर”

अक्षिता की दोस्त और कलीग स्वरा ने उसे आवाज दिया और अक्षिता मुसकुराते हुए उसके पास गई

“तुमको कोई आइडीया है के कितने बज रहे है?” स्वरा ने गुस्से मे कहा

“सवा नौ” अक्षिता ने नीचे देखते हुए धीमे से कहा

“और आपको ऑफिस कितने बजे तक आना था?”

“साढ़े आठ बजे तक” अक्षिता ने वैसे ही नीचे देखते हुए कहा

“और वो क्यू??”

“क्युकी आज हमारा नया बॉस आने वाला है” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा, उसको जरा भी अपने लेट आने का पछतावा नहीं था और इसको कोई फरक नहीं पड़ा ये देख स्वरा ने अपना सर झटक लिया

“सॉरी ना यार स्वरू और इतना भी लेट नहीं हुआ है वैसे भी मैं उसके आने के पहले तो आ ही गई हु ना अब चल जल्दी हॉल मे”

जिसके साथ ही अक्षिता स्वरा को अपने साथ खिच के ले जाने लगी

“ओये रोहन कहा है” अक्षिता ने अपने दूसरे दोस्त के बारे मे पूछा

“वो पहुच गया है हमारी राह देख रहा है” स्वरा ने कहा

आज से 1 साल पहले अक्षिता स्वरा और रोहन ने एक साथ ही इस कंपनी मे जॉइन किया था और तभी से तीनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी, वो दोनों मीटिंग हॉल मे पहुची जहा रोहन पहले ही मौजूद था

“हाश पहुच गए.... हाइ रोहन” अक्षिता ने रोहन को देखते ही कहा

“चलो तुम दोनों पहुची तो” रोहन ने उन दोनों को देख कहा

“ओये तुम लोगों को पता है क्या अपना नया बॉस कौन है?? मैंने सुना है वो बहुत हैन्डसम है, ऊपर से बैच्लर भी है” स्वरा ने अपने नए बॉस के बारे मे सोचते हुए उन दोनों से पूछा

“और मैंने तो ये भी सुना है के वो हैन्डसम होने के साथ साथ गुस्से वाला और ऐरगन्ट भी है तो मैडम सपने से बाहर आओ और बेहतर होगा के उसके सामने तमीज से रहो क्युकी मैंने यहा तक सुना है के वो किसी को फायर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता” रोहन ने स्वरा को सपनों से बाहर लाते हुए सच्चाई से अवगत कराया।

पूरा हॉल लगभग भर चुका था, ऑफिस के सभी कर्मचारी आ गए थे और जैसे ही बॉस की एंट्री होने लगी पूरा हॉल एकदम शांत हो गया, लेकिन ये उनका नया नहीं बल्कि पुराना बॉस था, जो आज रिटायर हो रहे थे, उन्होंने कंपनी के बारे मे, अपने इक्स्पीरीअन्स के बारे मे बहुत सी बाते की, और आज जब उन्होंने अपनी कंपनी को बेच दिया था तो उन्हे कैसा फ़ील हो रहा था ये उन्होंने अपने एम्प्लॉईस को बताया

अक्षिता अपने पुराने बॉस को देख मुस्कुराई जब उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान उसके काम की तारीफ की, वो लगभग 60 साल के थे और चुकी उनके कोई बाल बच्चे नहीं थे जो उनका बिजनस आगे बढ़ाए तो उन्होंने कंपनी को बेच कर रेटाइरमेंट लेकर बाकी जिंदगी अपनी वाइफ के साथ बिताने का फैसला किया था, ये न तो कोई बड़ी कंपनी थी ना ही ज्यादा छोटी, लेकिन उनका बिजनस अच्छे खासे प्रॉफ़िट मे था जिसने कई सालों तक कई लोगों को नौकरिया दी थी और अब चुकी वो रेटायर हो रहे थे उन्होंने इस सफल बिजनस की बागडोर किसी और को सोपने का मन बनाया था...

“सो माइ डिअर स्टाफ, प्लीज वेलकम योर न्यू बॉस” उन्होंने मुसकुराते हुए कहा

और इसी के साथ हॉल मे तालियों की गूंज उठने लगी और गेट से हॉल मे एक हैन्डसम नौजवान की एंट्री हुई, अपने नए बॉस को देख जहा एक ओर सारा स्टाफ खुश था उत्साहित था वही अक्षिता शॉक थी, वो अपनी जगह पर जम गई थी।

‘नहीं ये नहीं हो सकता’

‘ये वो नहीं है, ये हो ही नहीं सकता ये झूठ है’ अक्षिता ने अपने आप से कहा तभी

“स्टाफ प्लीज वेलकम मिस्टर एकांश रघुवंशी, आपके नए बॉस, और मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है के हमारी कंपनी रघुवंशी ग्रुप के साथ लिगली और कंप्लीटली मर्ज हो चुकी है और अब इस कंपनी की बागडोर मिस्टर एकांश संभालेंगे”

‘ये वही है और अब ये मेरा बॉस है’ अक्षिता ने मन मे कहा,

इस बात पर कैसे रीऐक्ट करे अक्षिता को समझ ही नहीं आ रहा था वो बस शॉक होकर अपनी जगह पर जम गई थी वही दूसरी ओर नेहा अपने नए बॉस को देख बहुत खुश थी खास तौर पर इतने हैन्डसम बॉस को देख कर और उसकी इस खुशी को देख रोहन इरिटैट हो रहा था,

उनका पुराना बॉस एकांश को अपने सारे स्टाफ से मिला रहा था और अक्षिता उसे दूर से देख रही, वो बहुत बदल चुका था ये वो नहीं था जिसे वो कभी जानती थी उसे देख कर ऐसा लगता था मानो उसे हसना आता ही ना हो, उसे देखते हुए अक्षिता की आँखों मे पानी जमने लगा था, आज वो उसे पूरे पूरे 1.5 साल बाद देख रही थी, उसने उसे बहुत ज्यादा मिस किया था उसकी स्माइल उसका उसे छेड़ना, गले लगाना, सब कुछ उसने मिस किया था लेकिन इन सब का अब कोई मतलब नहीं था।

एकांश एक एक कर सभी स्टाफ से मिल रहा था..

‘ये लोग तो यही आ रहे है? क्या करू? क्या करू? क्या ये जानता है मैं यहा काम करती हु? हे भगवान मैं कैसे फेस करूंगी उसे? क्या वो मुझे पहचानेगा? एक काम करती हु पलट कर भाग जाती हु मिलूँगी ही नहीं, हा ये सही रहेगा’ अक्षिता अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रही थी और अभी उससे ना मिलना ही अक्षिता ने सही समझा लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला था वो अब उसका बॉस था और कभी न कभी तो दोनों को आमने सामने आना ही था

अक्षिता पसीने से भीगी हुई थी मानो उसे कोई पैनिक अटैक आया हो और ऐसे मे वो उससे नहीं मिल सकती थी, उसे फेस करने के लिए अक्षिता को पहले अपने आपको तयार करना था मेंटली प्रीपेर करना था और ऐसे मे अक्षिता को सबसे अच्छा आइडीया वहा से भागने का ही लगा उसने लंबी सास ली और बगैर किसी की नजर मे आए वहा से निकलने के बारे मे सोचा और वो धीरे धीरे पीछे सरक कर वहा से निकलने ही वाली थी के तभी...

“अक्षिता”

अपने पुराने बॉस की आवाज सुन वो रुकी और उसने पीछे पलट कर देखा तो पाया के उसका पुराना बॉस नए बॉस के साथ उसे ही देख रहा था, उसको अपनी ओर देखता पा कर अक्षिता की सास अटक रही थी लेकिन एकांश का चेहरा एकदम नूट्रल था उसे कुछ फरक नहीं पड रहा था

‘लगता है इसने मुझे पहचाना नहीं’ अक्षिता ने मन मे सोचा तभी

“कहा जा रही हो, यहा आओ” अक्षिता के पुराने बॉस ने उसे बुलाया एक एम्प्लोयी के तौर पर उसे अक्षिता का काम बहुत पसंद था उसने स्माइल के साथ अक्षिता से कहा और अक्षिता ने एक लंबी सास ली और नीचे देखते हुए उनकी ओर बढ़ी

“मिस्टर रघुवंशी मीट मिस अक्षिता पांडे, ये हमारे एचआर डिपार्ट्मन्ट मे काम करती है” बॉस ने अक्षिता का इन्ट्रो कराया और इस पूरे टाइम अखिता बस गर्दन झुकाए नीचे देख रही थी जब तक के

“नाइस तो मीट यू मिस पांडे” उसके शांत ठंडी आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता ने सर उठा कर उसे देखा उसकी आँखों मे आँसू जमने लगे थे दिमाग मे जंग छिड़ी थी उसकी आवाज बता रही थी वो उसे भुला नहीं था लेकिन चेहरे पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था

“नाइस टु मीट यू टू, मिस्टर रघुवंशी” अक्षिता ने कहा

“बाकी लोगों से मिल ले?” एकांश ने कहा और वो बाकी लोगों की ओर बढ़ गया

कुछ समय बाद

“अक्षु क्या हुआ था सुबह?” लंच करते हुए स्वरा ने अक्षिता से पूछा

“कब?” लेकिन अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया तब स्वरा ने रोहन को देखा

“अक्षिता हमने सबने देखा था वो” रोहन ने कहा

“तुम लोग किस बारे मे बात कर रहे हो बताओगे?” अक्षिता ने अब थोड़ा जोर से पूछा, उसने अपने की लिए कॉफी ली हुई थी सुबह से हो रही घटनाओ से उसका सर फटा जा रहा था और ये कॉफी उसे शायद थोड़ा आराम दे दे

“पहली बात तो जब हमारा नया बॉस आया उसे देखते ही तुम्हारा चेहरा ऐसा हो गया था जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो” स्वरा ने कहा जिससे अब अक्षिता थोड़ा टेंशन मे थी

“दूसरी बात, तुम हॉल से भागने की कोशिश कर रही थी बताओगी ऐसा क्यू?” रोहन ने अगला सवाल दागा

“और तीसरी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात नए बॉस ने सबको ग्रीट किया सबसे हाथ मिलाया लेकिन तुमसे नहीं ऐसा क्यू?” स्वरा

“ये जाकर उससे पूछो” अक्षिता ने अपना पल्ला झाड दिया

“ये कोई जवाब नहीं हुआ, अक्षु तुम ठीक हो न?” स्वरा ने उससे पूछा

“हा बाबा मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ है, अब सर मत दुखाओ यार” इसी के साथ अक्षिता ने उन दोनों को चुप करा दिया लेकिन उसके दिमाग मे एक जंग छिड़ी हुई थी कई सारी बाते घूम रही थी पता नहीं आने वाला समय उसके जीवन मे क्या लाने वाला था, फिलहाल तो उसके दिमाग मे सबसे ऊपर एक ही बात थी के जल्दी से घर जाकर दवा लेकर सो जाए जो होगा देखा जाएगा....

क्रमश:
Nice update....
 

SKYESH

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किसी कहानी की प्रस्तावना उस कहानी की हकीकत बयां नही करती । उसी तरह जैसे आंखो और कानो द्वारा देखी - सुनी गई हर चीज हकीकत नही होती ।

इस प्रस्तावना को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे अक्षिता ने नायक के साथ बेवफाई की है लेकिन मेरा मानना है , यूं ही कोई बेवफा तो नही होता । इस बेवफाई के लिए कोई तो वजह होगी , कोई तो ठोस रीजन होगा ।

और अगर कोई वजह नही हुई , कोई ठोस रीजन नही हुआ , यह सब मात्र दिल्लगी के नाम पर टाइम पास था तब ऐसी हसीनों के लिए यही गीत गुनगुनाए जा सकते है -

" मोहब्बत अब तिजारत ( व्यापार ) बन गई है ,
तिजारत अब मोहब्बत बन गई है ।
किसी से खेलना फिर छोड़ देना ,
खिलौनों की तरह दिल तोड़ देना ,
हसीनों की ये आदत बन गई है ।

कभी था नाम इसका बेवफाई ,
मगर अब आजकल ये बेहयाई ,
शरीफों की शराफत बन गई है । "

वेटिंग फर्स्ट अपडेट आदि भाई ।
agree with you .....sanjubhai
 
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