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Bohot badhiya start hai bhaiएक दूजे के वास्ते
प्रोलॉग
शाम का वक्त था और सुहाना मौसम था, पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश ने मौसम मे ठंड बढ़ा दी थी और ऐसे मे वो पार्क मे बेंच पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी, ये वही जगह थी जहा वो लोग अक्सर मिला करते थे
“हे”
ये आवाज सुन उसने ऊपर देखा तो उस इंसान को पाया जिसका वो यहा इंतजार कर रही थी
“हाइ” उसने मुस्कुरा कर कहा और खड़ी हो गई
“क्या सोच रही थी? उसने जब आते हुए उसे बेंच पर सोच मे डूबा देखा तो पुछ लिया
“नहीं कुछ नहीं, तुम बताओ तुमने मुझे इतना अर्जन्टली मिलने क्यू बुलाया है?”
“वो मुझे कुछ बताना था तुम्हें, वो मैंने कल हमारे बारे मे घर पर मेरी मा को बात दिया” उसने नर्वसली अपनी गर्दन खुजाते हुए उससे कहा और वो शांति से उसकी बात सुन रही थी
“पहले तो वो थोड़ी गुस्सा हुई लेकिन फिर जब मैंने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया, हमारे बारे मे बताया के हम एक दूसरे से कितना प्यार करते है और मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता तब..... वो मान गई और वो एक बार तुमसे मिलना चाहती है” उसने मुस्कुराते हुए कहा, उसकी खुशी उसके चेहरे से साफ देखि जा सकती थी
“तुम्हारी मा से मिलना है? इतनी जल्दी?” उसने नर्वस होते हुए कहा
“अरे तो उसमे क्या है, मैं जल्द ही बिजनस टेकओवर करने वाला हु और मा पापा चाहते है के मैं जल्द ही सेटल हो जाऊ और जब मैंने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया तो वो बस तुमसे मिलना चाहते है” उसने कहा
“उम्म... मैं नहीं कर सकती ये, नहीं मिल सकती” उसने नीचे देखते हुए कहा
“क्या???? लेकिन क्यू?? वो कन्फ्यूज़ था
“मुझे अभी ये सब नहीं चाहिए, मैं फिलहाल कोई कमिट्मन्ट नहीं चाहती थी” उसने सपाट चेहरे के साथ कहा
“लेकिन क्यू अक्षु? तुम मुझसे प्यार करती हो ना? अब वो इस से डर रहा था
वो चुप रही
“अक्षिता.... तुम जानती हो ना मैं तुमसे कितना प्यार करता हु और मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता”
उसने अपनी गर्दन हिला दी
“तो फिर ये सब क्यू??” अब उसे गुस्सा आ रहा था
उसमे उसका सामना करने ही अब हिम्मत नहीं थी वो पलट गई
“क्युकी... मैं तुमसे प्यार नहीं करती” उसने कहा
और वो ये शब्द सुन वो अपनी जगह स्तब्ध खड़ा हो गया
“तुम.... तुम मजाक कर रही हो ना” उसे खोने का डर उसकी आवाज मे साफ झलक रहा था
“नहीं!”
“क्या??” वो थोड़ा चिल्लाया
कुछ पल वहा उन दोनों के बीच शांति छाई रही
“मैं नहीं मानता! मुझे तुम्हारी इस बात पर यकीन नहीं है, तुमने कहा था तुम मुझसे प्यार करती हो यार” वो चिल्लाया
“मैंने झूठ कहा था” उसने आराम से कहा
“तो तुम कह रही हो हमारे बीच पिछले दो सालों मे जो कुछ भी हुआ वो सब कुछ झूठ था” उसकी आंखे नम हो चुकी थी उनमे पानी जमने लगा था
“हा”
“लेकिन क्यू??”
“क्युकी मुझे तुम्हारा पैसा तुम्हारा अटेंशन अच्छा लगा था, तुम्हारा लुक तुम्हारा स्टैटस पसंद था... बस”
उसकी बात सुन वो अब कुछ कहने की हालत मे नहीं था, वो शॉक मे था
“तुम मुझे तुम्हारे साथ सेटल होने कह रहे हो जिसके लिए मैं रेडी नहीं हु, मेरी भी फॅमिली है जिम्मेदारिया है सपने है अपनी जिंदगी है और मैं ये सब फिर एक अट्रैक्शन के लिए नहीं छोड़ सकती”
उसने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर घुमाया
“मेरी आँखों मे देखक कर कहो अक्षिता... के तुम मुझसे प्यार नहीं करती” वो गुस्से मे चिल्लाया गुस्से से उसकी आंखे लाल हो गई थी
“मैं तुमसे प्यार नहीं करती” उसने उसकी आँखों मे देखते हुए कहा
अक्षिता की बात सुन उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, आज उसके दिल के टुकड़े टुकड़े हो गए थे
अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने स्वरा को वही छोड़ा और वहा से चला गया और पीछे छोड़ गया अपने प्यार अपनी जिंदगी को....
पता नहीं इनकी कहानी मे आगे क्या होगा... क्या ये अंत है या एक नई शुरुवात... क्या सच मे अक्षिता उससे प्यार नहीं करती?? और अगर वो अक्षिता को इतना चाहता है तो क्या वो उसके इस धोके से उबर पाएगा.... जानने के लिए पढिए, एक दूजे के वास्ते.....




Ab dekhne wali baat ye hogi ki kya sach me waisa hi hai jo dikh raha hai? Ya kuch or hai iske liye to first update padhna hi padega






