वैसे तो यह कहानी तीन फैमिली के इर्द-गिर्द चल रही है लेकिन इन सभी फैमिली का आपस मे किसी न किसी तरह से खून का रिलेशन भी बना हुआ है ।
सुरेश चोपड़ा साहब का परिवार हो , चंद्रो देवी का परिवार हो या फिर चाहे अंजलि मैडम का परिवार हो , सभी किसी न किसी रूप से एक दूसरे के रिलेटिव ही है । और कमाल की बात यह कि सभी परिवार मे कुछ अच्छे लोग भी है और कुछ गलत लोग भी है । वैसे अंजलि की अपनी फैमिली को अपवाद मान सकते है।
विलेन की तादाद भी कुछ कम नही है ।
सुरेश चोपड़ा साहब इस पुरी कहानी के सबसे बड़े खलनायक के रूप मे नजर आए है । साहब ने धन दौलत के लिए , अपनी हवस मिटाने के लिए निकृष्टता की हदें तक पार कर दी । अपनी ही पुत्री के साथ रेप किया , उसे कुँवारी मां बनाया और फिर उसे जान से मारने की कोशिश की ।
सोनिया मैडम वैंप के किरदार मे नजर आई । अपने हसबैंड के मकसदों को साधने मे उनकी पुरी मदद की लेकिन अपने पुत्र के लिए हमेशा लाॅयल रही । अपनी पुत्री के प्रति उनका व्यवहार नरम गरम जैसा दिखाई दिया।
कमल और सोहन , दोनो भाई अपने बाप के नक्शेकदम पर चले वहीं कोमल एक लेस्बियन औरत के रोल मे पाई गई । लेस्बियन होना कोई खास बुरी बात नही थी लेकिन इसके लिए उनका पार्टनर का सेलेक्शन और विकृत तरीका निहायत ही गलत था ।
अजय साहब इस कहानी के दूसरे प्रमुख विलेन थे । अंजलि मैडम के साथ किया हुआ गलत बर्ताव , तुषार और रूचि का जन्म लेना और फिर इनके राह मे सदैव कांटे बोने का काम , क्षमादान योग्य हो ही नही सकता।
यश साहब ने भी कमोबेश वही किया जो इनके भाई साहब ने किया । लेकिन लगता है इन्हे अपने कुकर्म का एहसास होने लगा है ।
सभी विलेन का रोल्स बहुत ही बेहतरीन तरीके से क्रिएट किया है आपने ।
Everything is precise Riya madam.
Outstanding n amazing updates.