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Thriller FIR WAHI KHAUF

gauravrani

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“आगे बोलो!” लड़की तुरंत कुछ नहीं बोली। पूर्व की भांति एक बार फिर उसके माथे पर पड़ने वाली सिलवटों ने बताया कि वह दृश्यों के स्पष्ट होने की प्रतीक्षा कर रही है। “पीपल के तने से कोई बंधा हुआ नजर आ रहा है। मशाल की रोशनी में मैं अनुमान के आधार पर कह सकती हूं कि वह शायद...शायद... आदमी है।....हां....वह आदमी ही है, जो चीख-चीख कर भीड़ से कोई फरियाद कर रहा है....लेकिन मुझे उसकी फरियाद सुनाई नहीं दे़ रही है, क्योंकि भीड़ के लोग उसे देखते ही तेज शोर मचाने लगे हैं। युवक के चेहरे पर दहशत नजर आ रही है।.....अब वह डर कर रो भी रहा है, चीख भी रहा है। उफ्फ....!” लड़की की भावभंगिमाओं ने इंगित किया कि दृश्य अचानक ही हृदयविदारक हो उठा था। उसकी सांसों की गति इस हद तक तेज हो गयी कि उसका वक्ष-स्थल उठता-गिरता नजर आने लगा। “क्या हुआ?” “भीड़ में से किसी ने जलती हुई मशाल पीपल की ओर उछाल दी है। मशाल सीधा आदमी पर जाकर गिरा है। उसके कपड़ों में आग लग गयी है। चीखते-चीखते उसका गला बैठ रहा है, लेकिन भीड़ बेरहम है। एक-एक करके हर आदमी अपनी मशाल उस आदमी पर फेंकने लगा है। कुछ
 
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मशालें उसके जिस्म से टकरा रही हैं तो कुछ पीपल के तने से टकराकर जमीन पर गिर रही हैं। उसके जिस्म के साथ-साथ पीपल के जड़ों में भी आग लग गयी है। वह चीख रहा है, लेकिन उसकी चीख भीड़ पर बेअसर साबित हो रही है। आग धधक उठी है। वह जल रहा है। दर्दनाक चीखों के बीच कुछ बोल भी रहा है, लेकिन भीड़ के कोलाहल में मैं नहीं सुन पा रही हूं कि वह क्या कह रहा है। वह मर रहा है......वह मर रहा है......वह मर जाएगा।” आखिरी बार ‘वह मर जाएगा।’ कहते ही लड़की ने चीख कर आँखें खोल दी। उसकी साँसें लोहार की धौंकनी की भांति चल रही थीं। चेहरे पर पसीने की बूंदे यूं चमक रही थीं, मानो कपास के फूल पर ओस की बूंदे चमक रही हों। उसने उठने का उपक्रम करना चाहा किन्तु डॉक्टर ने मना कर दिया। “लेटी रहो। तुम्हें आराम की जरूरत है।” “य....ये सब क्या था डॉक्टर.....?” लड़की ने साँसों की गति को संयत करने का प्रयास करते हुए पूछ। “उन घटनाओं की एक वजह, जिनकी छाया इस वक्त तुम्हारे जीवन पर दहशत बन कर मंडरा रही है।” लड़की ने बगैर कुछ कहे युवक की ओर देखा। युवक के चेहरे पर ऐसे भाव थे
 
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जैसे उसे पहले से ही पता था कि हिप्नोटिज्म के दौरान लड़की को क्या नजर आने वाला है? “तुम्हारी बीमारी को ठीक करने में हमें वक्त लगेगा, लेकिन नर्वस होने की कोई बात नहीं है। ‘तुम ठीक हो जाओगी’ इस बात की प्रबल संभावना नजर आयी है। तुम्हारे साथ राजमहल में जो कुछ हुआ है, उसे मेडिकल साइंस भले ही हैलुसिनेशन कह कर खारिज कर दे, किन्तु परामनोविज्ञान के पास ऐसी घटनाओं की व्याख्या है।” लड़की आगे भी कुछ बोलने को उद्यत थी, किन्तु डॉक्टर के इस वाक्य ने उसे खामोश कर दिया। “नहीं संस्कृति। तुम ठीक हो जाओगी; इससे अधिक जानना तुम्हारे लिए गैरजरूरी है। तुम हिप्नोसिस से बाहर आयी हो। यू नीड टू टेक सम रेस्ट। सी यू अगेन।” कहने के बाद डॉक्टर, युवक की ओर मुखातिब हुए- “तुम मेरे साथ आओ साहिल। कुछ जरूरी बात करनी है।” “श्योर।” साहिल ने संस्कृति का धड़ चादर से ढका और कमरे से बाहर निकल रहे डॉक्टर के पीछे लपक गया। “सिचुएशन क्रिटिकल है।” डॉक्टर ने कमरे से बाहर आते ही साहिल से कहा। “क्या मतलब?” साहिल ने केबिन की ओर बढ़ रहे डॉक्टर के साथ कदमताल करते हुए व्यग्र भाव से पूछा।
 
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“आई मीन इस लड़की का केस थोडा स्ट्रेंज है।” “पूरी बात बताइये डॉक्टर?” डॉक्टर ने तब तक कुछ नहीं कहा, जब तक कि अपने केबिन में नहीं पहुंच गये। रिवॉल्विंग चेयर पर आसीन होने के बाद उन्होंने साहिल को सामने पड़ी विजिटर्स चेयर्स में से एक पर बैठने का इशारा करते हुए कहा- “बैठो, बताता हूं।” विचित्र तरद्दुद में फंसा साहिल एक विजिटर्स चेयर पर बैठ गया। डॉक्टर ने चश्मा दुरुस्त करते हुए मेज पर पड़े कुछ पेपर्स को उठाया और उनका अवलोकन करते हुए कहा- “मृत्यु एक घटना है, जिसके तहत मनुष्य की चेतना का उसके मस्तिष्क से बहिर्गमन हो जाता है। ये वही चेतना होती है, जिसे विज्ञान में ऊर्जा का शुध्दतम रूप कहा जाता है। अर्थात जिस प्रकार ऊर्जा का नाश नहीं होता है, उसी प्रकार चेतना का भी नाश नहीं होता है। यानी कि किसी व्यक्ति व्दारा जन्म से लेकर मृत्यु के क्षणों तक अर्जित की गयी समस्त चेतना, उसके मरणोपरांत स्थूल शरीर से अलग हो जाने के बाद भी ब्रह्माण्ड में कहीं न कहीं व्याप्त रहती है। ये चेतना जब किसी अन्य व्यक्ति की चेतना से जुड़ जाती है, तो ये अतिरिक्त चेतना उस व्यक्ति के लिये पिछले जन्म की स्मृति बन जाती है।” “इस थ्योरी का संस्कृति से क्या सम्बन्ध है?”
 
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“सम्बन्ध है, क्योंकि उसके साथ ऐसा ही हुआ है।” “यू मीन वह किसी लावारिस चेतना का शिकार हुई है?” “ऑफ़कोर्स। हिप्नोटिज्म के दौरान उसे जो कुछ नजर आया, वह उस लावारिस चेतना यानी कि उसके पूर्वजन्म का ही एक हिस्सा था।” “लेकिन ऐसा हुआ क्यों? ब्रह्माण्ड में भटक रही लावारिस चेतनाओं के किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ने की क्या वजह होती है?” “कई वजहें हो सकती हैं। बगैर केस स्टडी किये वजह बता पाना मुश्किल होता है। धर्मशास्त्रों में तो पुनर्जन्म की आठ वजहें बताई गयी हैं। जिनमें से एक वजह ये भी है कि जीवात्मा अपनी अधूरी इच्छा पूरी करने, किसी से प्रतिशोध साधने या अपने कर्मों के अधूरे फल भोगने के लिए इस धरती पर वापस आती है, किन्तु पैरासाइकोलॉजी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहता है कि ब्रह्माण्ड में लावारिस भटक रही चेतनाओं के हमारे वर्तमान पर हावी होने के लिए हमारा अवचेतन मस्तिष्क यानी कि सबकॉन्शियस माइण्ड जिम्मेदार होता है। नींद की अवस्था में जब हमारा अवचेतन मस्तिष्क क्रियाशील होता है तो वह उन्हीं चेतनाओं से रूबरू होता रहता है।”
 
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“तो क्या स्वप्न में हम जो कुछ देखते हैं, वे ब्रह्माण्ड में भटक रही लावारिस चेतनाएं ही होती हैं?” “एब्सल्युटली! लेकिन नींद की अवस्था से बाहर आने पर हम उन सपनों को पचहत्तर फीसदी भूल चुके होते हैं, इसलिए वे हमारी वर्तमान चेतना अर्थात इस जन्म की चेतना पर हावी नहीं हो पाते, किन्तु जब कभी स्वप्न के रूप में दिखाई पड़ने वाली ये चेतनाएं किन्हीं रहस्यमयी कारणों से किसी के वर्तमान पर हावी हो जाती हैं, तो उन रहस्यमयी कारणों को तलाशना जरूरी हो जाता है, क्योंकि ज्यादातर स्थितियों में ये लावारिस चेतनाएं बेहद खतरनाक होती हैं।” “संस्कृति के केस में वह रहस्यमयी कारण क्या हो सकता है?” “गुड क्वेश्चन! लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरा ऑन्सर सुनने से पहले तुम ये चारों स्केचेज देख लो।” डॉक्टर ने वे पेपर्स साहिल की ओर बढ़ा दिये, जिनका थोड़ी देर पहले वे अवलोकन कर रहे थे। साहिल पन्नों पर उभरे स्केचेज को देखते ही चौंक पड़ा। उसके चेहरे पर ऐसे भाव काबिज हुए, जैसे वह इन स्केचेज को पहले भी कई बार देख चुका हो। दरअसल उसके चौंकने की वजह ये थी कि उसे इन स्केचेज के यहाँ होने का ज़रा भी अंदाजा नहीं था।
 
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पहले पन्ने पर एक भव्य महल का स्केच बनाया गया था। दूसरे पन्ने पर जलते हुए पीपल का पेड़ बनाया गया था, जिसके तने से कोई इंसान बंधा हुआ नजर आ रहा था। तीसरे पन्ने पर एक व्यक्ति को दर्शाया गया था, जिसकी वेशभूषा अट्ठारहवीं सदी के ब्राह्मणों से मिलती-जुलती थी। उसके सफाचट सर पर चोटी नजर आ रही थी। चौथे पन्ने पर एक तालाब के किनारे घास पर लेटी राजकुमारी का स्केच उकेरा गया था, जो दाहिने गाल पर हाथ रखे हुए जल में अपनी परछाईं देख रही थी। “क्या तुम जानना चाहते हो कि ये स्केचेज किसने बनाये हैं?” “संस्कृति ने?” “करैक्ट। शायद वह खाली समय में स्केचेज बनाने की शौक़ीन है। जब तुम उसे यहाँ छोड़कर कुछ जरूरी काम निपटाने के लिए इलाहबाद गये थे तो उसने अपना सत्र आने तक का समय काटने के लिए नर्स से कुछ कोरे कागज और पेन्सिल की माँग की थी। उसी दौरान उसने ये स्केचेज बनाए। इन्हें देखकर पहले तो हमने यही सोचा कि उसने मन बहलाने के लिये ये स्केचेज बनायी होंगी, किन्तु जब उसने हिप्नोटिज्म के दौरान देखे हुए दृश्य को बताया तो अचानक ही मेरे दिमाग में एक ख्याल आया।”
 

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“कहीं आप ये तो नहीं कहना चाहते कि ये स्केचेज संस्कृति व्दारा हिप्नोटिज्म के दौरान देखे गये दृश्य से सम्बन्धित हैं?” “गौर से देखो साहिल।” डॉक्टर मुस्कुराये- “क्या तुम्हें नहीं लगता कि ये उन्हीं दृश्यों से सम्बंधित स्केच हैं, जो संस्कृति ने हिप्नोटिज्म के दौरान देखे?” कहने के बाद डॉक्टर ने साहिल के हाथ से पन्नों को ले लिया और उस पन्ने को, जिस पर महल का स्केच बना हुआ था, साहिल को दिखाते हुए बोले- “इस महल को देखो। क्या ये महल शंकरगढ़ के राजमहल जैसा नहीं दिख रहा है?” साहिल के जवाब की प्रतीक्षा किये बगैर डॉक्टर ने उसे अगला स्केच दिखाया और कहा- “क्या राजकुमारी जैसी नजर आ रही इस युवती का चेहरा संस्कृति से नहीं मिल रहा है? क्या पीपल के तने से बांधकर जलाया जा रहा ये इंसान संस्कृति को हिप्नोटिज्म के दौरान नजर नहीं आया था़?” “तो अब इन सबसे आपने क्या निष्कर्ष निकाला?” “ये दृश्य पहले से ही संस्कृति की चेतना का हिस्सा थे, जो हिप्नोटिज्म की अवस्था में इतने स्पष्ट हो गये कि उसे चलचित्र की भांति नजर आये। ये इस बात का कन्फर्मेशन है कि संस्कृति के वर्तमान पर उसका पिछला जन्म हावी है।” “लेकिन अभी तक आपने इसकी वजह नहीं बताई।”
 

The Immortal

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Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 
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