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“आगे बोलो!” लड़की तुरंत कुछ नहीं बोली। पूर्व की भांति एक बार फिर उसके माथे पर पड़ने वाली सिलवटों ने बताया कि वह दृश्यों के स्पष्ट होने की प्रतीक्षा कर रही है। “पीपल के तने से कोई बंधा हुआ नजर आ रहा है। मशाल की रोशनी में मैं अनुमान के आधार पर कह सकती हूं कि वह शायद...शायद... आदमी है।....हां....वह आदमी ही है, जो चीख-चीख कर भीड़ से कोई फरियाद कर रहा है....लेकिन मुझे उसकी फरियाद सुनाई नहीं दे़ रही है, क्योंकि भीड़ के लोग उसे देखते ही तेज शोर मचाने लगे हैं। युवक के चेहरे पर दहशत नजर आ रही है।.....अब वह डर कर रो भी रहा है, चीख भी रहा है। उफ्फ....!” लड़की की भावभंगिमाओं ने इंगित किया कि दृश्य अचानक ही हृदयविदारक हो उठा था। उसकी सांसों की गति इस हद तक तेज हो गयी कि उसका वक्ष-स्थल उठता-गिरता नजर आने लगा। “क्या हुआ?” “भीड़ में से किसी ने जलती हुई मशाल पीपल की ओर उछाल दी है। मशाल सीधा आदमी पर जाकर गिरा है। उसके कपड़ों में आग लग गयी है। चीखते-चीखते उसका गला बैठ रहा है, लेकिन भीड़ बेरहम है। एक-एक करके हर आदमी अपनी मशाल उस आदमी पर फेंकने लगा है। कुछ