RAHUL SHARMA23
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Awesome superb and laajawab update BhaiUpdate 36
The next morning
हर सुबह नई ताजगी लेकर आती है । हर सुबह दरवाजा खटखटाएगी लेकिन आप सोते रहोगे तो वो निकल जायेगी । आज वो सुबह जिशू के बड़ी ही महत्वपूर्ण था जिसके लिए बेकार था । आज की सुबह यू बेबाजा खामोश हो कर बैठ है नाजाने ख्वाइशों की पतन पतन को ढील देने वाले है या नही । डाली पर चिड़िया कबसे चहचहा रही है अपनी गीत से दुनिया को बोल रही है आपके एक और सुबह एक और दिन पैदा हो गई है । हर सुबह की किरण से फूल खिलते हे लेकिन आज क्या फुल खिलेगा । क्या हर सूर्य की किरणों की तरह अवसरों का प्रकाश होगा आज का दिन ।
जिशु एक बड़े से बरगर पेड़ के आड़ में चुप के मन से प्राथना कर रहा था ।" इतनी शक्ति देना दाता मुझे की मन का विश्वास कोमजोर ना हो ।भूल कर भी कोई भूल होने ना देना हमसे आज़ ।"
अभी भी कोरहा सुबह था सुरज की किरणों की बारिश अभी तक नही हुई थी । अक्सर ऐसी सुबह में लोग शुभकाम के लिए निकलते है या दूर यात्रा पर । लेकिन आज जिशू का जिंदगी का नया पेहलू लिखने जा रहा था जिंदगी की ऐसी परीक्षा जिसमे ना तो किताबी ज्ञान का एतबार था ना हीं रट्टा मारने का उपयोग । कुछ था तो अपने दिल को दर्शाना और मेहसूस करवाना ।
खिलखिलाती सुबाह में ताजगी भरा सवेरा फूलो और बहारो के साथ साथ जिशु की दिल में भी रंग भर रहा था । बस सुबाह के चारे चार बजे उठ के ट्रैक सूट शूज और टोपी पहन के तैयार था शीतल से मुलाकात करने । खाली रास्ते पर उसकी नाजाने कब से नजर गढ़ी हुई थी ।
आखिर वो लम्हा आ ही गया । उसके दिल की रानी मॉर्निंग वॉक करती हुई आ रही थी । पेड़ो मे मोजे पहने फ्लेट जुटी रात की वोही नाइटी और बदन पे सॉल ओढ़े इधर उधर नजारे को देखती हुई और खुश नुमा प्रकृति का एहसास करती हुई ।
जिशू ने उसे थोड़ी कदमे आगे जाने दी । और 50 मीटर की पीछे से जॉगिंग स्टार्ट किया और दौड़ते हुए शीतल की बराबर में चलने लगा ।
शीतल उसे देख के सोक गई और अहसहेज हो गई ।(ये कहा से आ गया । क्या मेरा पीछा कर रहा है । है भगवान इसे दूर कर दे इसके चेहरे से ही चिढ़ होती है । नजाने कहां से ये मेरे पीछे पड़ गया । और दिन याद आ गया जो उसके दर्दनाक लम्हों में एक दिन का लम्हा था । )
जिशु शीतल को देख के मुस्कुराने लगा ।" आप इस ठंड में भी मॉर्निंग वॉक के पे निकली है ।"
शीतल तंज कश के ।" क्यूं नही निकालना चाहिए था । तो फिर तू क्यों निकला है ।"
जिशु मुस्कान लाते हुए ।" वो में हफ्ते में 4 दिन जोगिंग करता हूं । सैटरडे और सन्डे को छोड़ के (जूठ । थोड़ा तो जूठ बनता है यारा नहीं तो मजा कैसे आएगा ) अब आप पूछेगी क्यू वीक में चार दिन ही क्यू तो में बता दूं कि में दो दिन बॉडी की मांसपेशियों को आराम देता हूं । आपका पता है हमारी बॉडी को अगर सही मात्रा में आराम ना मिले तो हमारी बॉडी में जो एंटीबॉडी होती है वो ठीक से काम नही करता हे इसलिए ज्यादा मेहनती लोगो को बड़ी बड़ी बीमारी होती है । (साला कमीना कितना फेकता है ) आप रोज उठती है ना जोगिंग करने ।"
शीतल बेचारी देहाती भली भाली सच में उसकी बाते विश्वाश कर बैठी थी लेकिन चिढ़ भी गई थी खास कर जिशू की कातिलाना मुस्कान से ।( मुझे क्या तू दो आराम कर चार दिन आराम करे मर भी जाओ तो भी मुझे क्या ) " तुम जोगिंग कर रहे हो ना तो जाओ ना आगे दौरों । मेरा दिमाग क्यू खा रहे हो ।"
जिशू उसकी तीखी बाते शरबत की तरह पि जाता है । और वोही मुस्कान लिए बोला ।" अरे में 4 किलोमीटर दोर के आया इसलिए थक गया हूं । तो आपके साथ पेडल ही चलूं तो अच्छा है ।"
शीतल मुंह फेर लेती है (उसे चिढ़ तो रही थी लेकिन जिशू के मुस्कान उसकी दिल में उतर रही थी जो सायेद उसे एहसास ही नही था)
जिशू ।" कितनी अच्छी view है ना सूरज दिखाई देते तो और अच्छा नजारा आता । हमारे शहर में ऐसा नजारा कभी नही दिखते । बस पार्क में ही थोड़ी बोहोत हरियाली दिखाई देती है वो भी एक तरह से आर्टिफिशियल बोला जा सकता हे जितना पढ़ो पे कट कूट के डिजाईन के साथ साथ मेडिसिन चिड़कती है कहा उन पधो में प्रकृति रंग ही गायब कर देते हे । हैं ना आंटी मैंने सही कहा ना ।"
शीतल की मुंह में ताला लगी हुई थी मानो बस कोहनी नजरो से घूरती हे और सीधे देख के चलने लगती हे । लेकिन जिशू मायूस नहीं होता है फिर भी कशिश जारी रखता है वो ।
जिशू ।" आंटी आपको तो गांव के बारे में पता ही होगा थोड़ा अपने गांव के बारे में बताओ ना । "
शीतल चुप ।
जिशू ।" आंटी आपने एक बार बताया था की जब आपके घर में लड़की की बॉक्स बॉक्स वाला ब्लैक एंड व्हाइट tv ले आया था तो आपके घर में मेला लग गया था । हाहा हां हां "(जिशू खुद ही बुर्बक की तरह हसने लगा)
सायेद शीतल की सेहन शक्ति जवाब दे रही थी । और वो फ्रस्ट्रेशन निकल के चिंखी ।" बस्स्स । बस बोहोत हो गया जब में तुमसे बात नही कर रही तो क्यूं मुझसे जबरदस्ती बात कर रहे हो ।"
जिशू का कलीजा रो पड़ता है बस आखों पे आसू आना बाकी था । उसके कदम वोही थाम जाता है गर्दन झुकाए दर्द से मायूस हो जाता है । शीतल आगे बढ़ जाती है गुस्से में बरबराती हुई ।
कुछ पल जिशू की दिमाग में उलझन आ जाती है आखिर शीतल की हसी को बापच से लाए तो लाए कैसे । हर प्लान फैल होते हुए नजर आ रहा है । हर तरफ निराशा ही निराशा ।
जिशु अपनी जूते रगड़ने लगता है मिट्टी पे और दिमाग के घोड़े डोरने लगता है । और उसकी दिमाग से नही दिल की अंदर आवाज आती हे जिस तरह से तूने उसे चोट दिया हे उसी तू चोट खा तभी वो तुझे समझ पाएगी । जिशु मन में बोलता है हा में तयार हूं चोट के बदले चोट खाने के लिए ।
शीतल कुछ 100 मीटर ही दूर चली थी । जिशू एक हाथ में पत्थर उठता है और घुटनों पे खड़े हो के चिल्लाता है ।" आंटी रूक जाओ नहीं तो में अपने शीर पर पत्थर मार लूंगा ।"
शीतल की कदम बस थामने ही वाली होती है लेकिन दिमाग में आता हे ये एक और इसका नया ड्रामा । और बिना रुके चली जाती रहती हे ।
जिशू फिर चिल्ला के बोलता है ।" आंटी रुको वरना में सच में शीर फोड़ लूंगा ।"
लेकिन शीतल नेही रुकती या फिर एक कान से सुन के दूसरी कान से निकल देती है ।
जिशू ।" आंटी एक कदम भी आगे बढ़ाया तो में अपना शीर फोड़ लूंगा जूठ नहीं बोल रहा हूं ।"
शीतल को कोई फर्क नही पड़ता अपनी कदम और तेज कर देती हे । चेहरे पे कठिन भाव जैसे बिन दया की दिल लिए जा रही थी । जरा भी रहम नही आ रही थी जिशू के ऊपर ।
जिशू अपना हाथ ऊपर उठता है और तेज़ी से अपने शीर पर पत्थर मरता है । फिर एक बार और एक ऐसे उसने पांच बार जब पत्थर मारा तो अपने आप ही कोमजोर हो गया । खून तेजी से वेहने लगे थे । शिर से ऊपर से खून बेह के पूरे ट्रैक सूट भिगोने लगे ।
दर्द से कराह उठा बेचारा ।" आंटी रूक जाओ "
लेकिन शीतल अगले मोड़ ले चुकी थी उसकी कदम नहीं रुक रही थी । वो अब मुड़ कर देखे भी तो जिशू को देख नहीं पाएगी । इधर जिशू की दर्द से मारा जा रहा था ऐसा लग रहा था उसे जैसे जिस्म ठंडा पड़ रहा है जान निकल रही हे धीरे धीरे आंखे बंद हुई जा रही थी ।
तभी एक मच्छी वाला साइकिल पे आते हुए दिखाई दिया कैरियर पे मच्छी का हांडी बांध के साइकिल चला के आ रहा था और आज पास के घरों में आवाज लगा रहा था ।" ए मच्छी ले ले मच्छी मच्छी । ताज़ी ताज़ी मच्छी ताजी ताज़ी पोथी मच्छी "
वो आवाज़ लगाते लगाते देखा एक लड़का रास्ते पे लहू लुहान हुए गिरने की हालत मे है । वो मच्छी वाला किस्मत से एक दयालु इंसान निकला । वो तुरंत ही साइकिल खड़ा कर के उतरता हे और जीशू के पास जा के जिशू संभालने लगा और उसे दर भी लग रहा था ।
मच्छी वाला ।" या खुदा ये क्या । तुमहरी ये हालत कैसे हुई ।"
जिशु की आंखे आधी खुली आंखे बस उसे एक नज़र देखता है ।
मच्छी वाला छूट बूट खो देता है वो क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे ।" लड़के तुम कहां रहते हो । इस गांव के तो नही लगते हो ।"
जिशु बस इतना ही बोल पाता है "कोठी" और वो बेहूस हो जाता है मच्छी वाले के गोद में
मच्छी वाला दर जाता है और उसे हिलाते हुए आवाज देने लगता है लेकिन जिशू होश में नही था । वोही उस रास्ते से एक सब्जी वाला ठेला गाड़ी ले के बाजार में सब्जी मंडी लगने जा रहा था वो भी जिशू को देख के जिशु के पास आया ।
सब्जीब्वाला ।" ये भाई ये क्या हे इसका इतना खून कैसे निकल रहा है । हे भगवान कही इसे किसी ने एक्सीडेंट कर के तो नही भाग गया ।"
मच्छी वाला ।" भाई जरा मदद करो ना बेचारा मार जायेगा ।"
सब्जीवाला ।" मदद तो कर दूं ऐसे किसी की जान कैसे जाने दूं । पर ये हे कोन कुछ बोला क्या ।"
मच्छी वाला ।" बस कोठी बोला और बेहूस हो गया है । आस पास कोई हॉस्पिटल भी नही हे क्या करू अब । मेरे ही गोद में बेहूस हो गया ।"
सब्जी वला दिमाग पे जोर देते हुए ।" याद आया वो स्कूल के पास पुरानी कोठी हे ना सायेद वाहा लोग आए होंगे और ये उन्ही में से ये एक लड़का होगा । "
मच्छी वाला ।" हो सकता है आते वक्त मेने कोठी पे एक गाड़ी भी देखा था । एक काम करते है इसे वाहा ले जाते है वो लोग हॉस्पिटल में ले जायेंगे गाड़ी से ।"
सब्जी वाला ।" हा हा सही कहा इतना तो हम कर सकते हे । देखो तो कितना खून बह रहा हे । चलो एक काम करो मेरे हाथ गाड़ी पे इसे लिटा दो ।"
सब्जी वाला अपना चारा सब्जी एक पेड़ के नीचे रख देता है और मच्छी वाला भी अपना साइकिल पेड़ के नीचे रख के जिशु को हाथ गाड़ी में लिया देता है और दोनो डोरते हुए कोठी पोहोचाने हाथ गाड़ी को धक्का दे के ले जाता । जिशू अज्ञान हो कर पड़ा रहा ठेलें के ऊपर ।
5 मिनट में दोनो कोठी के गेट पे हाथ गाड़ी रोक कर दोनो गेट पे हाथ मारता हे और जोर से चिल्लाता है ।" दरवाजा खोलो । जल्दी खोलो । खोलो दरवाजा ।"
शामू गेट पे ढांग धांग आवाज सुन के जाग जाता है ।" कौन आया इतनी सुबह सुबह और दरवाजा काहे पीट रहा है ।"
शानू अपने कमरे से निकल कर गेट का एक पल्ला खुलता हे और जिशू को लहू लुहान देख के मुंह से " इसे क्या हुआ । कैसे हुआ ।?"
और मालकिन मालकिन चिल्लाते हुए कोठी की ऊपरी मंजिल पे जाता हे और सबको चिल्ला चिल्ला के आवाज दे के उठा देता है और डरते हुए बस " जिशु जिशू जिशू को जिशु को बोलता है"
सभी लोग नींद से उठ के आती हे और " क्या हुआ जिशू जिशू को ।"
शामू ।" जिशू बाबा नीचे । नीचे ।" घबराहट के मारे वो कुछ बोल ही नहीं पा रहा था ।
और वो नीचे दोरता है बाकी सभी नीचे आ जाता है । और जिशू को लहू लुहान देख के सबकी चीख निकल जाती है " जिशू " तीनों औरते रो पड़ती है । और तीनो दोस्त उसे जगाने में लगते है ।
शामू ।" मालकिन जिशु बाबा को हॉस्पिटल ले चलो ।"
तानिया रो रो के ।" हा हा जल्दी ले चलो मेरा बेटा ।"
विशु ।" पर काका यहां हॉस्पिटल कहा है ।"
शामू ।" गांव में नहीं है गांव में सिर्फ दबाखाना है हॉस्पिटल गांव से बाहर मिलेगा ।"
तपन गुस्से से चिल्लाता है ।" तो तू भी चल ना बोल क्या रहा हे ।"
सामू सोक जाता है बस हा में शीर हिलाता है । मच्छी वाला और सब्जी वाला दोनो बस तमाचा देख रहे थे । वो लोग भी क्या करे उनसे कोइ गुना ज्यादा उनके अपने फिक्र कर रहे थे ।
आखिर में जिशु को गाड़ी में बिठा के ले जाता है हॉस्पिटल । कोठी खाली रह जाता है । मच्छी वाला और सब्जी वाला खुद ही गेट बंद कर के अपने काम को निकल जाते है ।
Awesome update and one of the best update and moment bas ab age dhekhte hai kaise aur kya kya hota hai