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Phir toh chod dena chahiye thaये कुछ साल पहले की बात है...में एक इस्तेदार के वहा गांव में शादी में गया हुआ था... सुबह को बारात लेकर जाना था...सब देर तक नाच के जहा जगा मिली वहा बिस्तर लगा के सोने लगे... घर के अंदर तो जरा भी जगा नही थी... मेरी भाभी ने मुझे घर के पीछे एक खतिया में सोने को बिस्तर लगा दिया... वहा उन्होंने एक छोटा सा बगीचा बना रखा था और वही पानी की एक टंकी थी और एक छोटा सा बाथरूम बना हुआ था...जो की खुला था... हा पक्का वाला नही बस जैसे तैसे झाड़ियों और कुछ यहां सेंमेट के शीट से बना हुआ...घर के अन्दर से कोई कुछ नही देख सकता था लेकिन आगे से वो बिना दरवाजा वाला बाथरूम पूरा खुला होने से सब साफ साफ दिखाई देता था...
एक और बाथरूम भी था घर में लेकिन यहां आज लोग भी काफी थे...और वहा आदमी सब नहा रहे थे...और वहा कुछ ज्यादा ही लोग थे जो जो भी नहाने जाता या बाहर आता उसे देख सकते थे...
मेरी नींद तब खुली जब... एक जोर की आवाज आई...कुछ गिरने से...
और जो मेरी आखों के सामने दिखा वो देख मेरे होस उड़ गई...मेरा लिंग लोहे जैसे सख्त हो उठा...
मेरी आखों के सामने मेरी भाभी अर्ध नंगी बैठ अपने रेशमी मुलायम जिस्म को साबुल से मल रही थी...उनकी आखें बंद थी... अपनी योनि को भाभी ने एक पेटीकोट से छुपा रखा था...लेकिन आखिर में वो अपनी योनि से भी परदा उठा ली...
जब भाभी पूरी तरह से नहा ली...उनकी छोटी बहन आई...जो अभी तक एक दम कच्छी कली थी...भाभी उसे नहला रही थी...खास कर के उसकी पीठ को साफ करने के लिए भाभी वहा थी...
भाभी की बहन के बदन पे एक बाल नहीं था पूरी चिकनी जांघों के बीच उसकी योनि जेसे गुलाब का फूल था...उसके स्तन तो बस न के बराबर थे...लेकिन उसके निप्पल बड़े थे...जो किसी काले अंगुर जेसे ठंड में खड़े हुए थे...
दोनों बहनों को एक साथ नंगा देख में तो पागल सा हुआ जा रहा था...
उसके बाद भाभी को कभी नंगा नही देख पाया...