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Horror He Loves Me..... He Loves Me Not!

Dark Soul

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Nice update bro bas intimate scene ko thoda aur deep thoda aur feel k sath likho :waiting: for next


आपका बहुत धन्यवाद.. :thanks:

मैं प्रयास करूँगा अगली बार से सेक्स सीन्स में थोड़ा और ठहराव लाने का.. पर पहले ही बता दूँ की इस कहानी में ऐसे सीन्स कम ही आएँगे... अधिकांश सस्पेंस और थ्रिल ही रहेगा. :)
 

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Now I am become Death, the destroyer of worlds
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अगले दिन,

सुबह से ही तेज़ बुखार से देव तप रहा था..

नेहा देव के बगल में ही बैठी उस के सिर पर पट्टी लगा रही थी... बहुत चिंतित थी वो.

एकदम इस तरह से कोई अपना बीमार पड़ जाए तो कोई भी परेशान हो ही जाता है.

देव के बगल में एक कुर्सी पर बैठा डॉक्टर निमेश तनिक सामने की ओर झुक कर उसकी जाँच कर रहा था. देव – नेहा और निमेश एक दूसरे से भली भांति परिचित हैं. निमेश के पापा भी एक डॉक्टर थे जो देव की फैमिली के ‘फैमिली डॉक्टर’ हुआ करते थे. आजकल रिटायरमेंट ले कर अपने घर के ही बगीचे में एक छोटा सा कमरा बना कर कम से कम फ़ीस लेकर गरीबों और अन्य लोगों का उपचार कर रहे हैं.

निमेश अपने पापा के ही पदचिन्हों पर चलते हुए डॉक्टरी का पढ़ाई किया. कई जगह प्रैक्टिस करने के बाद अपने शहर में लौट आया और अब यहीं रह कर अपनी डॉक्टरी की सेवाएँ दे रहा है. संयोग से देव भी अपने घर अर्थात् इसी शहर में ही अपने दम पर एक कॉलेज खोल चुका है और ये उसी की दूरदृष्टि, कार्य कुशलता, तीक्ष्ण बुद्धि, लक्ष्य के प्रति समर्पण एवं अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि उसका कॉलेज आज शहर के सभी कॉलेजों का अग्रगण्य बन चुका है.

एकदिन मार्किट में निमेश से भेंट हुई, साथ चाय – सिगरेट पीना हुआ और धीरे धीरे बात इतनी बढ़ गई की शीघ्र ही निमेश भी अपने पिताजी की ही तरह देव का पर्सनल व फैमिली डॉक्टर बन गया.

कुछ देर चेकिंग के बाद निमेश बोला,

“और सब तो ठीक है, लगता है ठीक से नींद न लेने के कारण या फ़िर अत्यधिक टेंशन लेने के कारण ही शायद इसकी तबियत गड़बड़ हो गई है. काम काज से बीच बीच में छुट्टी लेने बोलिए इसे... नहीं तो आगे तरह तरह की बिमारियों से दो चार होना पड़ेगा.”

“जी, मैं ध्यान रखूँगी इस बात का. और इसे भी समझाऊँगी.” नेहा के इस कथन में भी चिंता स्पष्ट झलकी.

निमेश ने कुछ दवाईयाँ प्रेस्क्राइब किया और कुछ सावधानी बरतने को कह कर एक सप्ताह बाद फिर आ कर चेक करने की बात कह कर चला गया.

दरवाज़ा लगा कर नेहा देव के पास आई.. तापमान चेक की और फिर कुछ खाने का इंतजाम करने रसोई में चली गई.

इधर देव आँखें बंद किए लेटा रहा...

जल्द ही आँखें खुलीं....

तेज़ सर दर्द से जैसे दिमाग मानो फटा जा रहा हो..

पास ही रखे एक मरहम ले कर सिर में लगाने से उसे आराम मिला. दोबारा चादर खिंच कर आँखें बंद कर लेट गया. रसोई से आती खाने की भीनी भीनी सी सुगंध देव के पेट में भूख जगाने लगी. पर तापमान कुछ यूँ सिर चढ़ा है कि भूख जागते ही खुद ही मर जाती. बाम लगाने से मिली आराम के कारण देव भूख के बारे में अधिक न सोच कर कुछ देर सोने का निर्णय लिया मन ही मन इस बात के लिए तैयार भी हुआ.

कुछ ही देर बाद देव को एक मुलायम हथेली का अपने सिर पर मंद गति से रगड़ने का अहसास हुआ. देव मन ही मन मुस्कराया,

‘नेहा को मेरी कितनी चिंता है... अभी तो डॉक्टर बुलाई थी.. और अब ये... हम्म... शायद बाम लगा रही है.’

ऐसा सोचते सोचते अनायास ही बोल पड़ा,

“म.. मैं ठीक हो जाऊँगा.. नेहा.... त.. तुम अधिक चिंता न करो... ब.. बुखार ही तो है...”

पर कोई प्रत्युत्तर नहीं मिला.

देव ने सोचा की शायद नेहा अभी कुछ कहना नहीं चाहती... इसलिए चुप है. देव ने भी कुछ और न कहने का विचार कर चुपचाप लेटा रहा. कुछ और मिनट गुज़रे होंगे कि देव का ध्यान उस हाथ की नर्म अँगुलियों पर गया.

कुछ अधिक ही मुलायम हैं ये.....

“नेहा... क्या बात है... तुम.. आज कल कुछ लगाती हो क्या अपनी हथेलियों में.. कुछ ज्यादा ही मुलायम होती जा रही हैं..”

नेहा अब भी कुछ नहीं बोली...

देव आँखें बंद किए ही बोला,

“नेहा... प्लीज़.. इतना परेशान मत हो... बुखार ही है.. मैं ठीक हो जाऊँगा.”

कपाल और बंद आँखों पर स्नेहपूर्वक चलती नेहा की अँगुलियों को अपने बाएँ हाथ से पकड़ कर हल्के दबाव से मसलते हुए आँखें अभी भी बंद रखे ही देव खुद बोला,

“क्या हुआ... कुछ बोलोगी नहीं? गुस्सा हो? अगर वाकई गुस्सा हो तब तो मुझे अपनी आँखें खोल कर तुम्हारा ये गुस्से वाला फूला हुआ मुँह देखना चाहिए... हाहाहा.”

कहते हुए देव नेहा की हथेली को मुँह के और पास लाते हुए बड़े प्यार से चूमा. ऐसा करते ही देव को एक के बाद एक लगातार दो चीज़ें बड़ी अजीब लगीं.

वो आगे कुछ सोचता या बोलता की तभी कमरे के दरवाज़े के पास ज़ोर से आवाज़ हुई, देव चौंक कर लगभग उछलते हुए बिस्तर पर उठ बैठा.. दरवाज़े की ओर देखा.. नेहा दोनों हाथों से एक बर्तन आगे की ओर कर के पकड़ी हुई है और अपनी बायीं ओर नीचे देख रही है.

“क... क्या हुआ नेहा?”

अपनी तेज़ हो गई साँसों की गति पर थोड़ा नियंत्रण पाते हुए देव पूछा.

“ओह.. तुम उठ गए?! सो सॉरी.. देखो न तुम्हारे लिए ये काढ़ा बनाई.. ले के आ रही थी कि थोड़ी सी चूक हो जाने पर इसपर रखा प्लेट गिर गया.”

“ओह.. अच्छा.. कोई बात नहीं.. प्लेट टूट गया क्या?”

“अरे नहीं.. स्टील का है.. टूटेगा क्या?!”

कह कर नेहा हँस पड़ी... देव भी मुस्कराया. अब तक वह दुबारा बिस्तर पर पसर गया था. नेहा आकर बीएड के बगल में रखे स्टूल पर काढ़ा वाला बर्तन रखते हुए बोली,

“ऍम सो सॉरी... मेरे कारण तुम्हारा नींद खराब हो गया.”

“अरे नहीं.. मैं तो सिर्फ़ आँखें बंद किए ही लेटा था.. तुम टेंशन मत लो.” देव मुस्कराते हुए बोला.

“ठीक है.. मैं टेंशन नहीं लूँगी... लेकिन तुम्हें टेंशन होने वाली है.” कहते हुए नेहा एक शरारत सी मुस्कान दी.

“मतलब?”

“मतलब कि... ये लो... जल्दी से ये पी लो!”

ये कह कर नेहा ने काढ़ा वाला बर्तन एकदम से देव के सामने रख दी.

देव हड़बड़ा गया.

बर्तन को देख नेहा की ओर देखा.. नेहा के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी... देव समझ गया. निराश होते हुए बोला,

“ओह.. ये वाला टेंशन...!”

“तो.. तुम्हें क्या लगा... किस टेंशन की बात कर रही हूँ?”

‘सेक्स वाली टेंशन.’ देव मन में बोला.

“नहीं.. कुछ नहीं.. मैं सोचा पता नहीं तुम किस टेंशन की बात कर रही हो.”

“ओके.. चलो अब जल्दी से पी लो इसे... गर्मागर्म... बहुत लाभ होगा.”

“ये पीना ज़रूरी है?”

“बिल्कुल ज़रूरी है.”

नेहा तुनकते हुए बोली.

देव ने बात आगे न बढ़ाते हुए काढ़े की एक चुस्की लिया...

“ओह..यक...नेहा.. यार... कितना कड़वा है ये!”

“है तो है.. पीना तो तुम्हें पड़ेगा ही.”

नेहा ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर बालों पर कंघी चलाते हुए बोली.

बुखार से तपता देव वैसे भी खुद को थोड़ा कमज़ोर महसूस कर रहा था... ऐसी हालत में नेहा से बहस बिल्कुल नहीं कर सकता है वो ये उसे अच्छे से पता है. मजबूरी वाला मुँह बनाते हुए चुपचाप काढ़ा पीने लगा. पीते पीते अचानक से उसे कुछ याद आया... नेहा की ओर देखते हुए पूछा,

“नेहा, तुमने ये कब बनाया?”

“क्यों?”

“अरे बोलो न..”

“अभी ही तो, देखो.. कितना गर्म है.”

“हम्म.. गर्म तो है...”

देव की पेशानी में बल पड़े; दो बातों को एक साथ नहीं मिला पा रहा था.. फिर पूछा,

“तुमने एक साथ दो काम कैसे कर ली?”

“मतलब? कौनसे दो काम?”

“तुम तो अभी यहाँ थी न.. मेरे पास...?”

“तुम्हारे पास?”

“हाँ.. मेरे पास.. यहाँ... मेरा सिर दबा रही थी... अम्म... बाम लगा रही थी... शायद...”

“शायद?”

देव की ये गोल गोल बातें अब नेहा को भी क्न्फ्यूजन में डालने लगीं... हतप्रभ सी वह देव को देखने लगी..

“अ.. ह.. हाँ.. दरअसल, मेरी आँखें बंद थीं न.. तेज़ दर्द था सिर में.. इसलिए आँखें बंद किए लेटा था... तुम्हें देखा नहीं...”

नेहा हँस पड़ी,

“अच्छा?!! मुझे देखा नहीं तुमने... और आँखें बंद किए तुम्हें लगा कि वो मैं हूँ?!.. मैं तुम्हारे पास थी?”

“अरे तो फ़िर और कौन होगा?.. घर में तो सिर्फ़ हमीं दोनों तो हैं.”

देव अपनी बात पे ज़ोर देते हुए बोला.

नेहा फ़िर हँसी.. बोली,

“बुखार के कारण तुम्हारा सिर दर्द करने लगा होगा.. तुम आँखें बंद कर लेटे और तुम्हें नींद आ गई होगी.. और कोई सपना देख लिया होगा तुमने.”

नेहा फ़िर से खिलखिला कर हँस दी,

“अच्छा!! सिर्फ़ हमीं दोनों हैं?”

‘हमीं’ शब्द पर उसने थोड़ा ख़ास ज़ोर दिया... देव का दिमाग घूम गया.. न जाने क्यों अब तक पिछली रात की घटना को भूल चुका वो अचानक से याद आ गया. पल भर को उसका दिमाग सन्न सा हो गया. उसे समझ में नहीं आया की उसकी अगली प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए. वो क्या कहे.. क्या पूछे.. क्या सोचे...

मन ही मन प्रश्न किया उसने,

‘क्या नेहा सीरियस है...? क्या वाकई हम केवल दो नहीं हैं?! कोई आया है क्या घर में? अगर हाँ तो फ़िर मैंने अब तक उसे देखा क्यों नहीं..?? कम से कम नेहा को तो बताना चाहिए था...’

देव को काढ़ा न पी कर किसी सोच में डूबा देख कर नेहा को थोड़ा आश्चर्य हुआ... अपने जगह से उठ कर देव के पास आई और उसके बगल में बैठ कर उसके कान के पीछे बालों में अंगुलियाँ चलाती हुए पूछी,

“अरे क्या हुआ... तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है.. इतना मत सोचो... और जल्दी से ये का...”

‘ॐ........’

उसके आगे के शब्दों को डोर बेल के आवाज़ से ब्रेक लग गए.

“ओफ्फो... अब कौन आ गया..”

नेहा का रोमांटिक अंदाज़ अब एक चिडचिडेपन में बदल गया..

बेमन और थोड़ा गुस्सा लिए उठ कर दरवाज़ा खोलने चली गई; इधर देव अपने सोच से बाहर आते हुए काढ़ा पीने लगा.

२ मिनट बाद ही बाहर से नेहा की आवाज़ आई,

“देवsss...”


आवाज़ से स्पष्ट था की देव को तुरंत ही वहाँ जाना होगा. थोड़े बचे काढ़े को वहीँ छोड़ देव अपने को सम्भालता हुआ किसी तरह मेन डोर तक पहुँचा.. देखा, नेहा ने दरवाज़ा पूरा नहीं खोला है.. दरवाज़े को जरा सा खोल कर बाहर किसी से बात कर रही है; आहट पा कर सिर घूमा कर देव की ओर देखी.. आँखों में आश्चर्य और अविश्वास मिले जुले भाव थे.. किसी अनहोनी का संदेह लिए देव दरवाज़े के पास पहुँच कर उसे थोड़ा और खोल कर बाहर देखा.. वाचमैन खड़ा है... हाँफ रहा है..

किसी अनिष्ट के संभावना को विचार कर मन में अपने इष्ट का नाम लेते हुए पूछा,

“क्या हुआ?”

दरबान के बदले नेहा बोली,

“अम्म.. देव... ये कह रहा है कि दो रात पहले जिस आदमी से तुम्हारा झगड़ा हुआ था; वो आज सुबह अपनी गाड़ी के पास लहूलुहान और मृतप्राय अवस्था में मिला है.. किसी ने शायद बहुत बुरी तरह से मारा है उसे....क..”

नेहा को बीच में टोकते हुए देव बोल पड़ा,

“मारना ही चाहिए.. ऐसे बदजुबान और बदमिज़ाज लोगों के साथ ऐसा ही सलूक होना चाहिए.. सभ्य, मॉडेस्ट समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं ऐसे बेहुदे लोगों को...”

देव गुस्से में और न जाने कितना ही कुछ कह गया.. थोड़ा शांत होने पर पूछा,

“खैर, पता चला किसने उसे इतनी बुरी तरह पीटा है?”

“नहीं सर, लेकिन...”

“लेकिन क्या...??”

“व.. अम... किसी ने पुलिस को भी फ़ोन लगा दिया है और ऐसा संदेह जताया जा रहा है कि...”


“कि...??”

“क.. की उसे शायद आपने भी मारा हो सकता है..”

“मैंने?!!”

“नहीं.. सर... पक्का कुछ नहीं है... बस, दो – तीन लोगों की आपस में बातें हो रही थी...”

“कौन हैं वो - दो तीन लोग?” नेहा ने पूछा.

तनिक अफ़सोस सा चेहरा बनाते हुए दरबान बोला,

“सॉरी सर... वो दरअसल बी ब्लॉक के लोग थे.. मैं ठीक से जानता नहीं.”

एक तो बुखार, ऊपर से ये एक नयी परेशानी...देव झुँझला उठा.. बोला,

“हम्म.. अच्छा ठीक है.. जो होगा देख लूँगा... अ..”

देव की बात खत्म होने से पहले ही दरबान बोला,

“एक बात और है सर...”

“अब क्या?” देव के बजाए नेहा पूछी..


“जिस रात आपका उस आदमी के साथ झगड़ा हुआ था.. और बाद में जब सब अपने अपने घर चले गए थे... तब आप सबके जाते ही एक लड़की न जाने कहाँ से आई और पूरे मामले के बारे में पूछने लगी.. ख़ास कर आपके बारे में पूछ रही थी..”

नेहा तुनक कर पूछी,

“क्या पूछ रही थी?”

“यही कि सर कैसे हैं.. क्या कोई हाथापाई भी हुई है? सर को ज़्यादा चोट तो नहीं पहुँची...?? वगैरह वगैरह..”

“ओह..”

“जी सर... और...”

“और...??”

“कल रात भी आई थी.. आपके बारे में पूछने.”

“मेरे बारे में? फ़िर से??”


“जी सर... मैंने जब ठीक से कोई जवाब नहीं दिया तब वो लिफ्ट की ओर जाने लगी.. मैंने रोका तो कहने लगी की सर ने.. मतलब आपने बुलाया है.. कहने लगी की सर को मेरी हेल्प चाहिए... मुझे जाना होगा. मैं उसे लिफ्ट में जाने से रोकने ही वाला था की तभी गेट पर मिस्टर खोसला जी का गाड़ी आ कर हॉर्न बजाने लगा. सर, आप तो जानते ही हैं की सेकंड भर की भी अगर देर हो जाए तो खोसला साहब कितना गुस्सा करते हैं, कितना चिल्लाने लगते हैं.. इसलिए मजबूरन मुझे उस लड़की को वहीँ छोड़ कर गेट खोलने के लिए जाना पड़ा.. वापस आ कर देखा तो लड़की वहाँ नहीं थी!”


देव और नेहा, एक साथ कुछ कहने के लिए मुँह खोला पर कुछ कह नहीं पाए.. दोनों ही असमंजस में पड़ गए... और एक दूसरे को प्रश्नसूचक दृष्टि से देखने लगे.... |
kaun hai ye ladki jo Dev ko itna pasand karti hai ki uske liye khoon bhi kar diya...waise khoon ussi ne kiya hai ye bas anumaan hai..saayad koi collage ki ladki hgi ussi ke collage ki...
Mast update hai...
waiting for next :waiting:
 

DARK WOLFKING

Supreme
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zabardast update ...dev ka sar dabana wo bhi ekdam pyar se 🤔..lagta hai jis aadmi ke saath dev ki behas huyi thi usko us ladki ne hi peeta hoga 🤔🤔. .
jo bhi hai wo lagta hai dev se bahut pyar karti hai ..
ek baar sex karte waqt aur ab sar dabate waqt dev us ladki ka chehra nahi dekh paya 🤔🤔..shayad koi jaan pehechan ki ho ..
 

Moon Light

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:applause:
सस्पेंस वाला अपडेट,
कहानी अपने लय में आती हुई

प्रतीक्षा अगले अपडेट की :waiting:
 
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Dark Soul

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kaun hai ye ladki jo Dev ko itna pasand karti hai ki uske liye khoon bhi kar diya...waise khoon ussi ne kiya hai ye bas anumaan hai..saayad koi collage ki ladki hgi ussi ke collage ki...
Mast update hai...
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आपको अपडेट पसंद आया जान कर प्रसन्नता हुई. तीसरे पर काम चल रहा है.

यूँ ही साथ बने रहें.

धन्यवाद. :)
 
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Dark Soul

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zabardast update ...dev ka sar dabana wo bhi ekdam pyar se 🤔..lagta hai jis aadmi ke saath dev ki behas huyi thi usko us ladki ne hi peeta hoga 🤔🤔. .
jo bhi hai wo lagta hai dev se bahut pyar karti hai ..
ek baar sex karte waqt aur ab sar dabate waqt dev us ladki ka chehra nahi dekh paya 🤔🤔..shayad koi jaan pehechan ki ho ..

आपको अपडेट पसंद आया जान कर प्रसन्नता हुई. तीसरे पर काम चल रहा है.

यूँ ही साथ बने रहें.

बहुत धन्यवाद आपका. :)
 

Dark Soul

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सस्पेंस वाला अपडेट,
कहानी अपने लय में आती हुई

प्रतीक्षा अगले अपडेट की :waiting:


आपको अपडेट पसंद आया जान कर प्रसन्नता हुई. तीसरे पर काम चल रहा है.

यूँ ही साथ बने रहें.

बहुत बहुत धन्यवाद. :)
 
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Ajay

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आरंभ

१)

अचानक से उसकी आँखें खुलीं.

नज़रें सीधे नीचे पैरों की ओर गई.

चौंक पड़ा,

“न... नेहा?!”

नेहा उसके पैरों के तलवों को चूम रही थी!

देव ने सिरहाने के पास रखे एक छोटे से टेबल पर रखे टेबल क्लॉक की ओर नज़र घूमाया.

रात के तीन बज रहे थे!

“न... नेहा... तीन बज रहे हैं.. अभी ... य.. ये क्या कर रही हो..? आओ, सो जाओ.”

कहा तो देव ने बहुत प्यार से, बिल्कुल स्पष्ट..

लेकिन नेहा तो जैसे कुछ सुनी ही नहीं.

वो पहले की ही तरह देव के पैरों को हाथों में उठा कर लगातार चूमती रही.

फ़िर अचानक से अपना जीभ जरा सा निकाल कर देव के बाएँ पैर के अँगूठे पर रख दी और धीरे धीरे बड़े प्यार से अँगूठे के ऊपरी सिरे पर जीभ फिराते हुए उसे अपने मुँह में भर ली.

भीगे जीभ के साथ मुँह के अंदर का गर्म अहसास पाते ही एकदम से एक सनसनाहट सी तरंग उस पैर से होते हुए तैर गई देव के पूरे बदन में.

कुछ पलों के लिए देव की आँखें स्वतः ही बंद हो गई...

एक अलग किस्म का आनंद मिलने लगा उसे.

गर्म अहसास पाते हुए भीगे जीभ का अँगूठे के चारों ओर घूमने से जो एक अलग सुखद अहसास होने लगा देव को; उससे वो कुछ ही क्षण पहले किए अपने प्रश्न और वर्तमान स्थिति को भूल गया.

खुद को दोबारा उसी हाल में निढाल छोड़ने ही वाला था कि तभी उसे कुछ याद आया.

नेहा अमूमन ऐसा करती नहीं है.. ये उसका तरीका नहीं है..

निःसंदेह वो दोनों टाँगों के बीच आती ज़रूर है, लेकिन पूरे टाँगों को कभी इस तरह प्यार नहीं करती.

बहुत हुआ तो दोनों गोरे जाँघों को ५ – १० मिनट चूम ली, पुचकार दी... पर इससे ज्यादा कभी नहीं.

असल में उसका ध्यान तो हमेशा देव के दोनों जाँघों के बीच ............ |

इतनी देर में नेहा उसके अँगूठे को छोड़ कर पैर को चूमते हुए ऊपर उठने लगी थी.

जल्द ही घुटने को भी पार कर गई.

ऊपर की ओर उठने के दौरान देव के उस पैर का थोड़ा सा हिस्सा नेहा के दाएँ स्तन से छू गया.

हल्के छूअन से ही उसका स्तन तनिक दब गया और इसी के साथ ही देव को किसी रेशमी कपड़े को छूने का अहसास हुआ!

जाँघों के अंदरूनी हिस्सों तक सिमट आए बरमूडा को कस के पकड़ कर एक झटके में घुटनों से नीचे कर के देव पर लगभग कूद ही गई नेहा. नेहा के द्वारा किए गए अब तक के सेक्सी क्रियाओं ने देव के लंड को सख्त कर चुका था.

एक क्षण भी गँवाए बगैर नेहा का मुलायम हाथ देव के जाँघों के बीच चला गया और हल्की गुदगुदी करते हुए उसके आंड़ पर घूमने लगा.

बढ़ती उत्तेजना और आंड़ पर होती गुदगुदी से देव कसमसा उठा और हाथ बढ़ा कर नेहा को छूना चाहा; पर नेहा उसका हाथ झटक दी.

देव समझ गया...

नेहा खुद चार्ज लेने के मूड में है!


वैसे देखा जाए तो... बेवक्त... रात के इस समय देव का न तो इस सब का मूड है और न ही अपनी नींद ख़राब करना चाहता है लेकिन नेहा के इस रूप... इस सेक्सी अवतार ने देव को उसकी खातिर मान जाने को विवश कर दिया. और तो और, आज नेहा के प्रत्येक छुअन ने तो जैसे प्रतिपल देव को अलग ही दुनिया में पहुँचाने का निर्णय किया हुआ है... शरीर पर मंद मंद रेंगती नेहा की नर्म अंगुलियाँ और बीच बीच में उसके स्तनों के छुअन उत्तेजना और प्रेम का जो संचार किया है देव के मन में; ऐसा आज से पहले कभी हुआ नहीं.


देव की आँखें दोबारा बंद होने लगी.... कि तभी..


अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने देव को उसकी सोच की दुनिया से एक झटके में बाहर कर दिया...

नेहा की नर्म अँगुलियों ने अब सख्त हो चुके देव के लंड को बड़े प्यार से अपनी कोमल गिरफ़्त में ले लिया और धीरे धीरे.... बड़े प्यार से... बेहद अपनेपन का अहसास लिए लंड के मशरूम मुंड से ले कर नीचे जड़ तक घूमने लगे.


कुछ देर के सहलाने से लंड के मशरूम मुंड का मुहाना चिपचिप सा हो गया...

नेहा ने अँगूठे से मुहाने पर थोड़ा से छेड़खानी करते हुए उस चिपचिपे पानी को पूरे मशरूम मुंड पर लगा दी और धीरे धीरे देव पर... उसके सीने पर झुकने लगी.

देव की धडकनें बढ़ने लगीं.. तेज़... बहुत तेज़... क्यों..?... पता नहीं... इससे पहले इस तरह का फोरप्ले तो कई बार हुआ था... पर ऐसी हालत नहीं हुई थी... वरन.. इसके उलट ही हुआ था... चरम उत्तेजना में भर जाया करता था वो. तो फिर आज... आज क्यों उसे इस तरह की फीलिंग आ रही है..? ऐसी ... मनो आज ये उसका फर्स्ट टाइम है... और मारे घबराहट और उत्तेजना के उसकी साँसें ही रुक जाएगी.

सामने आते आते नेहा एक सेकंड रुकी और फिर देव के सीने पर एकदम से झुकी और उसके सीने को चूमने लगी.

सीने पर नेहा के होंठों का स्पर्श पहले भी कई बार पा चुका है देव पर जो बात आज के चुम्बन और होंठों के स्पर्श में है; बिल्कुल वो बात देव को इससे पहले नहीं मिली थी.

देव के कमर के ऊपर बैठ कर नेहा ने एक झटके में अपना टॉप उतार दी और सेकंड भर रुक कर देव के दोनों हाथों को पकड़ अपने सीने पर वक्षों वाले स्थान पर रख दी.

३४ के सख्त गोलाईयाँ और एक अलग मुलायम लिए आज इन स्तनों में भी कुछ भिन्न, कुछ विशेष लगा उसे.

इस बात पर अधिक न सोचते हुए देव उन मुलायम स्तनों पर अपने हाथों का हल्का दबाव बनाते हुए उन परफेक्ट गोलाईयों को महसूस करने लगा.


नेहा सामने की ओर थोड़ा और झुकी; अपना दायाँ हाथ देव के सीने पर रखते हुए खुद को ओर झुकाती हुई देव पर झुकती चली गई.. इतना की अब उसके सिर के लंबे बाल देव के चेहरे से टकराती हुई गुदगुदी करने लगी. दोनों के गर्म साँसें एक दूसरे के चेहरे से टकराकर दोनों को एक दूसरे के निकटतम होने का अहसास कराने लगे.

नेहा ने बड़े प्यार से देव के होंठों पर अपने होंठ रखकर एक छोटा सा किस किया और जल्दी से सीधी हो कर बैठ गई.

नेहा के इस हरकत को देख कर देव धीरे से हँस पड़ा और अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे दबा कर नेहा की अगली हरकत का अंदाज़ा लगाने लगा.

नेहा का दायाँ हाथ अब भी देव के सीने पर था. फिर से थोड़ा झुकी वो और अब अपने बाएँ हाथ को पीछे कर के अपने पीठ पर ले गई.

रात के इस समय कमरे में पसरे सन्नाटे में एक हल्की ‘क्लिक’ की आवाज़ हुई...


अगले ही क्षण नेहा की ब्रा ढीली हो गई.....

आज नेहा के इस बदले अंदाज़ से देव को जितनी हैरानी हो रही है उससे भी कहीं अधिक उसे ख़ुशी और उत्तेजना हो रही है... वो भी बिल्कुल अलग स्तर का.

तभी देव को कुछ अलग सा अनुभव हुआ और अनायास ही अपने दाएँ ओर सिर घूमा कर देखा......

देखते ही वो चौंक उठा.. बुरी तरह से चौंक पड़ा.

अपने बगल में जो देख रहा था अब वो; उसे देखकर उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ..

नेहा तो बगल में लेटी हुई है.!!!

तो फिर.....ये कौन है जो उसके कमर पर बैठी हुई है??!!

फौरन ही सिर घूमा कर अपने ऊपर बैठी लड़की को देखा उसने.

और अचानक से... न जाने कैसे... उस अँधेरे में पता नहीं दूर कहाँ से एक हल्की फीकी रौशनी चमकी और इसी के साथ देव को उसका चेहरा दिख गया.!

डर और आतंक के जैसे हज़ारों तरंगें दौड़ गईं देव के पूरे शरीर में... आँखें भी अत्यधिक डर और अविश्वास से चौड़ी हो गई...

.
.

और अगले ही क्षण,


तेज़ आवाज़ में बस एक ही शब्द गूँजा उस कमरे में...... “त... त.... तुम!!!”
Congratulations for new story and nice update bhai
 
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