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Fantasy I am not a raiter but i like ths story and shar to all

bantoo

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bantoo

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अगले दिन दोपहर का समय था, मैं पास के एक काम्प्लेक्स में खड़ा था, तभी राखी उधर आई तो मुझे देखकर मुस्कराई, राखी से मैंने पूछा- किस काम से आई हो?

राखी बोली- मेरे पति को अगले महीने ट्रक पर जाना है, मालिक एक बार ट्रक पर जाने के लिए ट्रक के खर्चे के पच्चीस हजार देता है कल मालिक का नौकर अगले टूर के लिए मुझे और मुन्नी को रुपए दे गया है। अभी 15 दिन हैं जाने में तो पैसे बैंक में जमा कर देती हूँ, घर में चोरी का डर रहता है। मुन्नी तो पैसे अपने घर में ही रखती है।

इसके बाद राखी धीरे से बोली- तुमसे चुदने का मन कर रहा है।

मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ ! शाम को भाभी के घर पर आ जाना, मुझे भी ख़ुशी होगी तुम्हें चोद कर ! उस रात तो मज़ा आ गया था।

राखी बोली- मेरा पति शक्की है, उस दिन तो मेहमान आ गए थे इसलिए मौका मिल गया था। कहीं बाहर चलकर मज़े करते हैं।

हम दोनों ने दो दिन बाद एक जगह मिलने का वादा कर लिया। दो दिन बाद राखी को लेकर मैं एक अड्डे पर चला गया जहाँ दो सौ रुपए में दो घंटे को कमरा मिलता था। राखी और मैंने चुदाई का मज़ा लिया।

इसके बाद राखी मेरी गोद मैं बैठकर बतियाने लगी तो मैंने कुसुम और मुन्नी की बात छेड़ दी।

बातों बातों में राखी ने बताया कि दो दिन पहले मेरे जाने के बाद कुसुम पोस्ट ऑफिस के पास मिली थी काफ़ी रुपए मनी आर्डर कर रही थी। रेलवे कलोनी में एक के घर काम करती है उससे पच्चीस हजार रुपए उधार लिए थे। कुसुम के भाई और बाप जेल में हैं, गाँव में एक लफड़ा हो गया था, उसके भाई ने एक आदमी को मार दिया था समझौते के लिए पचास हजार की बात हुई है। पच्चीस हजार की और जरूरत बता रही थी। मुझसे ट्रक वाले रुपए मांगने लगी। मैंने कान पकड़े और वहाँ से भाग ली।

उसने मुझे मुन्नी और कुसुम के बारे में कई बातें बताई, उसने बताया कि एक बार मुन्नी का हाथ टूट गया था तो 15 दिन कुसुम ने मुन्नी के यहाँ खाना बनाया था। मैंने राखी की निप्पल उमेठते हुए कहा- तुम कुसुम से बोलो कि मुन्नी के पास रुपये हैं, ले ले।

राखी हँसते हुए बोली- मुन्नी का पति उसका गला दबा देगा अगर उसने ट्रक के पैसे कुसुम को दे दिए। सौ-सौ रुपए के लिए पीट देता है मुन्नी को।

मैंने राखी के होंट चूसते हुए कहा- तुम उसे एक बार बता दो कि मुन्नी के पास पैसे रखे हैं, बदले में ये 500 रुपए रखो !

और मैंने राखी को 500 रुपए दे दिए।

राखी बोली- ठीक है, कल ही बोल देती हूँ।

उसके बाद एक बार हमने चुदाई का खेल और खेला और अपने घर को वापस हो लिए।

मेरे कहे अनुसार भाभी ने मुन्नी से दोस्ती कर ली। मैंने भाभी से कहा- मेरी पहचान भी मुन्नी से करा दो, तभी कुतिया से तुम्हारी बेइज्ज़ती का बदला लिया जा सकेगा।

गीता ने एक दिन मुन्नी को चाय पर बुला लिया। जब मैं ऑफिस से आया मुन्नी और गीता चाय पी रही थीं। गीता ने मेरा परिचय मुन्नी से कराया और बोली- यह इनका चचेरा भाई है।

मैं मुन्नी का बदन घूर घूर कर देखने लगा, पूरा नई नवेली औरत जैसा था। जवानी का रस टपक रहा था ब्लाउज के अंदर से सफ़ेद ब्रा दिख रही थी।

मुन्नी को चोदने के लिए मेरा लण्ड परेशान होने लगा था।

मुन्नी से मेरी भी बातचीत होने लगी मैंने मुन्नी को बताया- मुंबई में पच्चीस हजार की नौकरी कर रहा हूँ।

इस बीच मैंने अपनी जेब से एक सौ की गड्डी निकाली और आँख दबाते हुए बोला- भाभी, ये दस हजार रुपए हैं, रख देना जरा।

5-6 दिन बाद शाम को भाभी ने बताया- आज मुन्नी परेशान सी घूम रही थी। राखी बता रही थी कि किसी ने इसके पच्चीस हजार रुपए चुरा लिए हैं।

गीता भाभी खुश थीं, बोलीं- बड़ा मज़ा आया ! रंडी सबसे उधार मांग रही है, कोई सौ रुपल्ली देने को भी तैयार नहीं है। इस चाल में भी आई थी और मेरे सामने से भी निकली थी, रोते हुए बोली कि उसने एक लिफाफे में पैसे रखे थे, चोरी हो गए दो दिन बाद ये आएँगे तो पीट पीट कर बुरी हालत कर देंगे।

मैंने मौका देखकर गीता के चूतड़ दबाए और बोला- भाभी, अब मेरा खेल देखो। राखी से कहो वो मुन्नी को बोले कि राकेश भैया से पैसे उधार मांगे तो मिल सकते हैं।

गीता बोली- तुम क्यों दोगे?

मैंने स्तन दबाते हुए एक पप्पी गीता को दी और बोला- इसकी चूत जो आपके सामने मारनी है ! आपको बदनाम किया था न इसने ! और आपके दो हजार भी तो वापस दिलाने हैं।

भाभी ने राखी से मुन्नी को कहला दिया कि अगर राकेश भैया से पैसे मांगे तो मिल सकते हैं।

अगले दिन रविवार था, भाभी अकेले हाट चली गई थी, योजना के मुताबिक राखी ने मुन्नी को बता दिया कि मैं घर पर अकेला हूँ।
मौका देखकर मुन्नी अंदर आ गई, आज अच्छी तरह सजी थी, नाभी के काफी नीचे उसने पेटीकोट बांध रखी थी पूरा चिकना पेट और गर्भ प्रदेश दिख रहा था, मुझे देखकर बोली- भाभी नहीं हैं?

मैंने कहा- आ रही होंगी, आप बैठो !

वो सामने पड़ी खाट पर बैठ गई।

मैं किताब पढ़ने का नाटक करने लगा। इस बीच उसने बड़ी मीठी आवाज़ में कहा- भैया, आप मेरी मदद कर दो न।

मैंने अनजान बनते हुए उसकी तरफ देखा और कहा- कैसी मदद?

उसने उठ कर दरवाज़ा बंद किया और जानबूझ कर साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया, पूरी चूचियाँ नंगी दिख रही थीं, ब्रा उसने पहनी नहीं थी, पारदर्शी ब्लाउज का सिर्फ एक बटन लगा था। उसकी काली निप्पल और उसके तने हुए स्तनों ने तो मेरे लोड़े में आग लगा दी।
मुन्नी बोली- राखी कह रही थी कि आप मुझे रुपए दे सकते हैं, प्लीज़ मुझे पच्चीस हजार उधार दे दीजिए न, आप ही मुझे अब बचा सकते हैं।

अपनी गोल नाभि में उंगली घुमाते हुए बोली- आप जो कहेंगे वो मैं करने को राज़ी हूँ।

मुर्गी फंसने वाली थी, मैंने आँख मारते हुए उसके स्तनों की तरफ इशारा करते हुए कहा- आपके संतरे बहुत सुंदर हैं।

उसने अपने ब्लाउज का एकमात्र बटन भी खोल दिया और बोली- आप चूस कर देखिये न बहुत मज़ा आएगा।

मस्त स्तन मेरे सामने खुले हुए थे, मैं अपने को रोक नहीं पाया और आगे बढ़कर उन्हें अपने हाथों में भर लिया।

उसकी नंगी चूचियाँ कस कर दबाते हुए दोनों चूचियाँ बारी बारी से मुँह में भर कर कई बार चूसीं।

मुन्नी 25-26 साल की जवान गरम औरत थी, उसने मेरा लण्ड गीला कर दिया था।

चूचियाँ दबाने के बाद मैंने उसकी नाभि और पेट को होंटों से चाटा और बोला- आप जैसी सुन्दर रस भरी औरत को मना तो नहीं कर सकता पर अभी मेरे पास सिर्फ पांच हजार जमा हैं।

मुन्नी रोने का नाटक करती हुई बोली- आप मुझे पच्चीस का इंतजाम करा दो बदले मैं आप मेरा पूरा रस पी लेना, पूरा मज़ा आपको दूँगी, आप कहोगे तो मुँह में भी ले लूँगी।

मेरा मन ख़ुशी से उछल उठा, मैंने कहा- सच? जल्दी से मुँह में लो, अब रहा नहीं जा रहा, आज तक किसी ने मेरा लोड़ा नहीं चूसा है।
आगे बढ़कर मुन्नी ने चेन खोलकर मेरा लोड़ा पैंट से बाहर निकला और बिना देर किये अपने मुँह में भर लिया और बड़े प्रेम से चूसने लगी।

इस बीच मैंने उसकी साड़ी पीछे से उठा कर नंगे चूतड़ दबाने शुरू कर दिए, उसकी गांड में एक उंगली भी घुसा दी, बड़ी टाईट गाण्ड थी।
मुन्नी बड़े प्यार से दस मिनट तक लण्ड चूसती रही, मुझे उसने पूरा मज़ा दिया। उसके बाद वो पूरा रस मुँह में गटक गई।

मैंने उसे उठाकर अपने से चिपकाया और बोला- अभी तुम ये पांच रखो और कल मुझे लोकल स्टेशन पर 12 बजे मिलो, वहाँ ठीक से बात करते हैं।

मुन्नी पाँच हजार रुपए लेकर वहाँ से चली गई।

अगले दिन स्टेशन पर जब मैं 12 बजे पहुँचा तो मुन्नी सजी धजी साड़ी में खड़ी थी, मुझे देख कर मुस्कराई, हम दोनों एक कोठी में चले गए।

कोठी में मेरे जानकार गार्ड ने दो सौ रुपए लेकर हमें एक प्राइवेट जगह पर खुले में बैठा दिया और एक चटाई बैठने के लिए दे दी और मुझसे बोला- जो मन में आए, वो कर लो, एक घंटे तक आसपास कोई नहीं आएगा।

उसके जाने के बाद मुन्नी मेरी गोदी में उछल कर बैठ गई, उसका ब्लाउज मैंने खोल दिया और उसके उभारों पर हाथ फेरते हुए बोला- पहले थोड़ा प्यार हो जाए।

मुन्नी ने मेरे होंटों में होंट लगा दिए और हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसा कर एक दूसरे को चूसने लगे।

मुन्नी के होंट चूसते हुए मैंने मुन्नी की चूचियाँ दबा दबा के कड़ी कर दीं, मुन्नी ने भी मेरी पेंट खोलकर लोड़ा बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी, आह भरती हुई बोली- आपका तो बहुत मोटा है।

मेरा हाथ उसकी साड़ी के अंदर घुस गया था, उसकी चड्डी में हाथ डालते हुए मैं उसकी चिकनी चूत सहलाने लगा, साथ ही साथ उसकी चूत का दाना रगड़ने लगा, उन्माद में बोला- वाह, क्या चिकनी और फूली हुई चूत है रानी।

मुन्नी सिसकारियाँ लेती हुई बोली- निगोड़ी को चोद दीजिए न ! आज सुबह उठकर आपके लिए ही चिकनी करी है। यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं !

मैंने कहा- मुन्नी जान, पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो अपनी चूत खुद खोलती है, अब जल्दी से अपनी चड्डी उतारो और अपनी चूत को चौड़ा करो, फिर तुम्हें जन्नत का मज़ा दूँगा।

मुन्नी चटाई पर लेट गई और अपनी चड्डी उतार कर उसने साड़ी और पेटीकोट ऊपर तक उठा दिया, सामने उसकी पाव भाजी की तरह फूली हुई गुदाज़ चूत दिखने लगी, अब अपने पर काबू रखना मुश्किल था, मैंने लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।

मुन्नी पूरी गरम थी, बिना देर किये उसने नीचे सरकते हुए लण्ड चूत में डलवा लिया और सिसकारियाँ भरते हुए बोली- आह, चोदो न ! बड़ा अच्छा लग रहा है, क्या मोटा लण्ड है।

उसकी चूत में लण्ड पेल कर मैंने चुदाई शुरू कर दी। वो गर्म आहें भर रही थी और चुदने का पूरा मज़ा ले रही थी। खुले में मुन्नी की चुदाई का अलग ही मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने अपनी टांगें मेरी पीठ पर मोड़ लीं और ढेर सारा पानी छोड़ दिया, उसकी बुर झड़ गई थी।

मैंने उसे उठा दिया, मेरा लण्ड अभी गर्म था, अबकी मैंने उसे आधा लेटा कर घोड़ी बना दिया और उसकी चूत में पीछे से अपना लोड़ा लगा दिया, दोनों चूचियाँ हाथों से दबाते हुए खुले में उसकी चोदने लगा, वो मस्ती भरी उह… आह… ऊई… से अपनी ख़ुशी जाहिर करने लगी।

कुछ देर चोदने के बाद मैंने वीर्य उसकी चूत में भर दिया।

कपड़े सही करने के बाद मुन्नी मुझसे चिपक गई और बोली- आप मुझे उधार पैसे दे दो, मैं हर महीने हज़ार हजार करके चुका दूंगी। मैंने उसका हाथ दबाते हुए कहा- मुझे क्या फायदा होगा?

मुन्नी बोली- आप जो कहोगे वो करने को मैं तयार हूँ। अगर मुझे पैसे नहीं मिले तो मैं बर्बाद हो जाऊँगी।

उसने बोलना जारी रखा, वो बोली- रसोई में मैंने संभाल कर दाल के डिब्बे में पैसे रखे थे, पता नहीं कौन ले गया। जब दो दिन पहले मैंने देखा तो खाली लिफाफा रखा था।

‘तुम किसी उधार देने वाले साहूकार से उधार क्यों नहीं ले लेतीं?’

मुन्नी रोते हुए बोली- साहूकार तो बुरी तरह लूट लेते हैं, एक बार इन्होंने दो हजार लिए थे, पूरे पांच हजार लौटने पड़े कुछ ही महीने बाद। सबको यह भी पता है कि हम पर पैसों की तंगी है। मेरी एक सहेली अंजना तो दस हजार के उधार के चक्कर में इतनी बुरी फंसी की उसके पति ने ही उससे परेशान होकर उसे कोठे पर बेच दिया। इन्हें पता चल गया तो ये भी मुझे कोठे पर बेच देंगे, पहले भी एक बार मैं इन्हें पाँच हजार का चूना लगा चुकी हूँ। बाप रे ! रंडी बनने से तो अच्छा है आपसे ही चुद लूँ। मैं वादा करती हूँ आपको अभी जैसा मज़ा दिया उससे भी ज्यादा जब भी आप कहोगे, तब दूंगी और पैसे भी लौटा दूंगी।

मुन्नी को झूठी सहानभूति दिखाते हुए मैंने कहा- दस हजार रुपए भाभी के पास रखे हैं, बाकी रुपए मुझे उधार लेने पड़ेंगे। मैं पैसे का तो इंतजाम कर दूंगा लेकिन तुम्हारा विश्वास कैसे करूँ?

मैंने कहा- भाभी ने मुझे तुम्हारे बारे में सब बता दिया है किस तरह से तुमने उन्हें बेइज्ज़त करके चाल से निकलवा दिया था।

मुन्नी रोते हुए बोली- हाँ, मुझसे गलती हो गई थी। गीता के चिंटू से सम्बन्ध बहुत पहले से हैं। गीता उससे चुदती रहती थी। मैं कुसुम को अपने पास कमरा दिलवाना चाहती थी। उस दिन हमने और कुसुम ने प्लान करके रंगे हाथों चुदते हुए पकड़ लिया। उधर से मुकुंद सेठ आ गए और उन्होंने घर खाली करने को कह दिया साथ ही साथ चुप रहने के बदले अपना लोड़ा भी गीता को हम दोनों के सामने चुसवाया। दो हजार रुपए मैंने भी चुप रहने के ले लिए थे, मैं उन्हें वो दो हजार रुपए वापस कर दूंगी।

मैंने कहा- भाभी मुझे इतने प्यार से रखती हैं, उनकी सहमति के बिना मैं और पैसे तुम्हें नहीं दूंगा और अपनी प्यारी भाभी की बेइज्ज़ती का बदला तो लेना ही पड़ेगा। भाभी की कुछ शर्तें हैं, अगर तुम उनकी बात मान लोगी तो मैं तुम्हें पैसे के साथ साथ एक सुंदर इनाम भी दूँगा, तुम खुश हो जाओगी। शाम को तुम मोहन भैया के आने से पहले भाभी से मिलो।

मुन्नी बुझे हुए चेहरे के साथ बोली- ठीक है, शाम को आती हूँ।
 

bantoo

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मैं घर चार बजे पहुँच गया, भाभी को जब मैंने यह सब बताया तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया और मेरी तीन चार पप्पी ले लीं।

उसके बाद हम लोगों ने आपस में योजना बनाई कि भाभी की बेइज्ज़ती का बदला कैसे लेना है।

मैंने भाभी से पूछा- मुन्नी रुपयों के लिए चुदने को क्यों तैयार है? अपने पति को चोरी की बात क्यों नहीं बता देती?

भाभी हँसते हुए बोली- ये सुसरी मुन्नी बड़ी बदमाश है। पहले कई बार अपने पति से छुपकर घर पैसे भेज देती थी।

एक बार इसके पति ने सबके सामने इसकी खूब पिटाई करी और साथ ही बोल दिया कि तुझे कोठे पर बेच दूँगा, तबसे डरी हुई है। इसका पति तो यह मानेगा ही नहीं कि पैसे चोरी हो गए हैं।

मुन्नी शाम को सात बजे भाभी के कमरे में आ गई थी भाभी के चेहरे पर मुस्कान थी, हँसते हुए बोली- आओ मुन्नी आओ ! राकेश ने मुझे सब बता दिया है। तुमने तो मुझे बदनाम करने की कोई कसर ही नहीं छोड़ी थी और मेरी चूत चुदाई का खूब मज़ा लिया था। लेकिन मैं तुझे बदनाम नहीं होने दूँगी। मज़बूरी तो औरतों को रंडी भी बना देती है। अंजना का तो तुझे पता ही है इस उधारी के चक्कर में उसने अपना मंगलसूत्र और सास का जेवर बेच दिया था उसके पति ने परेशान होकर उसे चंपा बाई के कोठे पर बेच दिया था… कल राखी बता रही थी कि मुन्नू दूधवाला उसे कोठे पर चोद कर आया था। बेचारी रो रही थी कह रही थी रोज़ दस बारह लण्ड डलवाती है चंपा बाई। तू भी उस दिन मुझे रंडी बना कर छोड़ती वो ! तो मुकुंद सेठ मान गए थे किसी को पता नहीं चला।

मुन्नी बोली- दीदी, मुझे मेरी करनी के लिए माफ़ कर दो। आप ही मुझे आज मेरी मुसीबत से बचा सकती हो। राकेश भैया से उधार दिला दो न ! मैं आपके लिए हुए दो हजार और उधार के पैसे हर महीने कुछ कुछ देकर चुका दूँगी।

‘देख मुन्नी, विश्वास तो मेरा अब तुझ पर रहा नहीं ! पैसे मैं तुझे देवर राकेश से दिलवा दूंगी लेकिन इसके लिए तुझे अपनी नंगी फोटो खिंचवानी पड़ेंगी और राकेश भैया से मुकुंद सेठ के सामने चुदना पड़ेगा। पैसे देती जाना और अपनी फोटो लेती जाना ! ब्लैकमेल मैं करती नहीं, लेकिन बदमाश को बदमाशी से ही पकड़ा जाता है। राकेश जी ब्याज में तेरी जवानी का रस पी लेंगे पर तूने हर महीने मूल के एक हजार नहीं दिए तो राकेश के दोस्तों को भी अपनी जवानी का रस पिलाना पड़ेगा। बदले में मूल ये अपने दोस्तों से ले लेंगे और यह पूरी चाल में पता है कि मैं वायदे की पक्की हूँ।’

मुन्नी को सांप सूंघ गया और वो वहाँ से उठकर चली गई।

मैं और भाभी अकेले थे। मैंने भाभी के ब्लाउज के अंदर हाथ डाला और चूचियाँ मलते हुए बोला- कुतिया कल सुबह दुबारा आएगी और देखना तुम्हारे सामने नंगी होकर मेरे लोड़े पर पर बैठेगी।

अगले दिन मोहन के जाते ही मुन्नी अंदर आ गई और बोली- दीदी, मेरी इज्ज़त तुम्हरे हाथ में है। राकेश भैया से तो मैं चुद लूँगी लेकिन मुकुंद सेठ को मत बीच में लाओ, नहीं तो तुम्हारी तरह ही मुझे भी वो चाल से निकलने को कहेगा और मेरी फोटो मत खींचना, किसी के हाथ पड़ गईं तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी। मैं आपके पैर पकड़ती हूँ।

मुन्नी आगे बढ़कर भाभी के पैर छूने लगी। भाभी के चेहरे पर जीतने की मुस्कराहट थी, मेरी तरफ देखती हुई बोली- औरत औरत का सम्मान नहीं करेगी तो कौन करेगा।

उन्होंने मुन्नी को हटाते हुए कहा- चल तेरी बात मानी ! अब न तो मैं मुकुंद सेठ को बुलाऊँगी, न ही तेरी फोटो खिंचवाऊँगी लेकिन बदले में मुन्नी के साथ साथ तुझे अपनी चुन्नी भी चुदवानी पड़ेगी।

मुन्नी बोली- चुन्नी का मतलब?

भाभी बोली- तू घोड़ी बन, फिर बताती हूँ।

मुन्नी घोड़ी बन गई, भाभी ने उसकी साड़ी और पेटीकोट पीछे से पूरी कमर तक उठा दी, उसकी जवान नंगी गांड और झलक दिखलाती चूत मेरे लण्ड को गर्म करने लगी।

गीता ने उसकी चूत में पूरी अंदर तक अपनी बड़ी उंगली घुसाई और बोली- मेरी प्यारी कुतिया रानी, यह है तेरी मुन्नी, उसके बाद उंगली निकाल कर उसकी कसी गांड में उंगली अंदर तक डाली और बोली- यह है तेरी प्यारी चुन्नी। बड़ा मज़ा आएगा जब तेरी मुन्नी और चुन्नी में राकेश का लण्ड घुसेगा।

मुन्नी रोती सी बोली- दीदी, इसमें राकेश जी का मोटा लण्ड घुस गया तो मैं तो मर ही जाऊँगी।

भाभी हँसते हुए बोली- तेरे खसम ने कभी इसमें डाला नहीं, इसका मतलब यह तो नहीं है कि चुन्नी चुदती नहीं हैं। मेरी तो मोहन ने सुहागरात के दिन ही चुन्नी और मुन्नी दोनों चोद दीं थी, पूरे चार दिन तक दुखती रही थी। पहले की तू भूल गई जब कुसुम ने मेरी गांड मोमबत्ती से चुदवाई थी? तब तुम दोनों ताली बजा बजा कर मज़े जो ले रही थीं। राकेश जी पढ़े लिखे हैं प्यार से मारेंगे, चुदने में तो औरतों को भी मज़ा ही आता है। एक बार खुल गई तो बार बार चुन्नी चुदवाएगी। अब जल्दी से हाँ कर या न हम कोई गंदे लोग थोड़े ही हैं जो जबरदस्ती तेरी चोदेंगे।

मुन्नी मरी सी आवाज़ में बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ लेकिन मुझे बदनाम मत करना !

भाभी बोली- परेशान क्यों होती है, चाय पीते हैं, फिर बात करते हैं।

चाय बनाने के बाद भाभी मुन्नी से बोलीं- तेरा मर्द परसों आ रहा है ना? कल तेरी चुन्नी और मुन्नी की चुदाई करवा देते हैं।

भाभी ने अपनी जेब से निकाल कर पाँच हजार रुपए दे दिए और बोली- बाकी के चुदने के बाद दूंगी, इन्हें संभाल कर घर में रखना और कल दो बजे आ जाना। शाम को 3 से 5 बजे तेरी जवानी का मुजरा जो देखना है।

भाभी की आँखों में विजेता वाली चमक थी, कल तीन बजे मुन्नी नंगी होकर मेरे लोड़े पर उनके सामने जो बैठने वाली थी।

दो बजे मुन्नी अंदर कमरे में आ गई, साड़ी और ब्लाउज पहने थी। भाभी थोड़ी दूर पर एक फ्लैट में काम करती थीं, उसके मालिक आजकल नहीं थे, वो हम सबको फ्लैट में ले गईं।

भाभी ने उधर जमीन पर बिस्तर लगा रखे थे। थोड़ी देर के बाद गीता भाभी ने मुन्नी की साड़ी उतरवा दी।

गीता हँसते हुए बोली- राकेश जी, अब देर क्यों कर रहे हैं?

मैंने आगे बढ़कर मुन्नी के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाते हुए कहा- आज तो तुम्हारी माल गाड़ी दौड़ाने में मज़ा आ जाएगा। मुन्नी का ब्लाउज उतार कर मैंने दोनों चूचियाँ अपने कब्ज़े में ले लीं।

क्या सुन्दर सामने को तने हुए स्तन थे एक दूसरे से मिला कर रगड़ते हुए मुन्नी की दोनों चूचियाँ दबा दीं और उसके स्तन मुँह में चूसने लगा।
लोड़ा पूरा टनटना रहा था और चूत की खुदाई के लिए तैयार था।

भाभी कुटिल हंसी के साथ बोली- कुतिया, अब जल्दी से अपनी चड्डी उतार और अपनी चूत को राकेश जी के लण्ड पर लगा ! मेरा तो कब से मन कर रहा है गैर मर्द से तेरी चुदाई देखने का।

मुन्नी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, उसका हसीन जवान नंगा बदन देखकर मेरे मुँह और लण्ड से लार टपकने लगी।

उसकी नंगी जवानी देखकर भाभी से भी रहा नहीं गया, उन्होंने आगे बढ़कर उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया और बोली- वाह, क्या फूली हुई माल पाव रोटी है तेरी। भैयाजी, अब देर न करो, इस कुतिया को रगड़ दो।

मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और नीचे दीवार के सहारे लेटता हुआ बैठ गया, मेरा आठ इंची मोटा लण्ड मुन्नी एकटक देख रही थी।

भाभी कुटिल मुस्कान से बोलीं- मुन्नी रंडी, देख क्या रही है, अपनी चूत जरा इस लोड़े के ऊपर टिका !

मैंने मुन्नी को अपनी तरफ खींच लिया और उसकी चूत को पीछे से अपने टनकते हुए लण्ड के ऊपर छुला दिया और हॉर्न दबाते हुए बोला- अब थोड़ी देर को शर्म छोड़ दो।

मैंने मुन्नी की चूत में लण्ड अंदर तक घुसाते हुए उसे अपनी जाँघों पर बैठा लिया। उसका मुँह सामने भाभी की तरफ था।

गीता भाभी को आँख मारते हुए मैंने कहा- भाभी देखो, कुतिया तुम्हारे सामने नंगी होकर चुदवा रही है।

भाभी बोली- वाकई मान गए तुम्हें ! इस रंडी को कस कर बजाओ, आज मेरा बदला पूरा हो रहा है।

अब मुझे मुन्नी को चोद कर उसकी जवानी का मज़ा लेना था। मैंने बैठे बैठे मुन्नी के चुचे दबाते हुए उसकी चूत में नीचे से हल्के धक्के मार कर मुन्नी को चोदना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद भाभी ने चूचों से मेरा हाथ हटा दिया और बोलीं- जरा इसके गुब्बारों का डांस तो देख लेने दे !

मैंने हाथ हटाकर मुन्नी की चुदाई तेज कर दी मुन्नी के चुचे ऊपर नीचे जोरों से हिल रहे थे मुन्नी भी उह… उह… आह… आह… करते हुए चुदने का मज़ा ले रही थी।

भाभी ये सब देखकर खुश हो रहीं थी। यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं !

इसके बाद मैंने मुन्नी को नीचे लेटा दिया, मुन्नी कामवासना से उबल रही थी, अपनी टांगें फ़ैलाती हुई चिल्लाई- ऊई… ऊई… और चोदो… जल्दी करो… बड़ी आग लगी हुई है।

मैं उसकी जाँघों के बीच में बैठ गया और उसकी टांगें उठाकर लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया, 3-4 शॉट मारने के बाद उसके ऊपर लेट कर उसके स्तन चूसने लगा।

स्तन चूसते हुए हाथों से उसकी दोनों निप्पल कड़ी कर दीं। मुन्नी पूरी गर्म हो रही थी मेरी पीठ पर पैरों के पंजे आपस में जोड़कर कस कर चिपक गई और लण्ड पूरा अंदर तक ले लिया, टट्टे चूत के दरवाज़े को छूने लगे, आहें भरती हुई कुम्हलाती हुई सी बोली- आह… बड़ा मज़ा आ रहा है… ऊ… ऊ… आह… उह… उह… उह… और पेलो… चोदो… और चोदो… फाड़ दो इस निगोड़ी चूत को… आह… आह।

हल्के हल्के दो तीन धक्के मारने के बाद मैंने मुन्नी के होंटों में होंट डाल दिए और धक्के मारना रोक कर उसके होंट चूसने लगा, इस समय मुन्नी की चूत की आग इतनी बढ़ गई थी कि वो खुद चूतड़ हिला हिला कर लण्ड अपनी चूत में आगे पीछे होकर चुद रही थी।

मुझे अहसास हो गया था कि चुदाई अपनी चरम सीमा पर है, मैं भी हल्की आहें भर रहा था, हम दोनों की आहों से कमरा गूंज रहा था।
इस बीच भाभी भी अपना पेटीकोट और ब्लाउज उतार के पूरी नंगी हो गईं थीं और बगल में बैठकर अपनी चूत में उंगली करते हुए लाइव ब्लू फ़िल्म का आनन्द ले रही थीं।

इसके बाद कुछ झटकों में ही मुन्नी ने अपना रस छोड़ दिया और मुझसे चिपक गई। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, लण्ड मेरा अभी भी तना हुआ था।

भाभी ने मुन्नी को हटा दिया, मेरे लोड़े को अपने हाथों से सहलाया और बोलीं- इस बहन की लोड़ी को तो सजा बाद में देते रहना, पहले इस गर्म हथोड़े को मेरी फ़ुद्दी में डाल दो, उंगली करते करते थक गई !

मैंने भाभी को पेट के बल लेटा दिया और इस तरह से उनके चूतड़ उठाए की पीछे से उनकी चूत का उभार साफ़ दिखने लगा।

अब मैंने लण्ड उनकी चूत के मुँह पर छुला दिया और अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए पीछे से चूत में लण्ड पेल दिया। गीता की पनीली चूत टाइट हो रही थी, दम लगाते हुए मैंने लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।

गीता भाभी आहें भरने लगीं, उनकी चुदाई शुरू हो गई थी, स्तनों को दबाते हुए चूत धक्के पर धक्के खा रही थी, गीता चुदाई का मज़ा ले रही थी।

थोड़ी देर बाद उसकी चूत और मेरे लण्ड ने साथ साथ पानी छोड़ दिया।

भाभी को सीधा कर मैंने अपनी बाँहों में चिपका लिया, मेरे से लिपटते हुए बोलीं- आह बड़ा मज़ा आया।

इसके बाद गीता और मुन्नी उठ कर चाय बनाने लगी। चाय पीते पीते गीता बोली- मुन्नी को चुदने में मज़ा आ गया, इसे तो सजा के बदले मज़ा मिल गया।
 

bantoo

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मैंने कहा- भाभी, अभी तो एक पारी हुई है, सजा तो इसे दूसरी पारी में मिलेगी जब इसकी चुन्नी चुदेगी।

मुन्नी भाभी से चिपक कर बोली- गीता तुमने मुझे बदनामी से बचा लिया है, मैं किसी भी सजा के लिए तैयार हूँ।

कुछ देर बातें करने के बाद मैंने अपने पप्पू की तरफ इशारा करते हुए मुन्नी से कहा- इसे मुँह में चूसना है।

मुन्नी इतराते हुए बोली- मैं नहीं चूसती !

मैंने कहा- चूसोगी तो तुम आज ही ! और अपनी मर्ज़ी से ! आओ पहले तुम्हें गर्म करता हूँ !

मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत की फलकों पर अपना मुँह लगा दिया और दाने को होंटों में दबा कर चूसने लगा। औरतों को कैसे गर्म किया जाता है, मुझे यह कला आती है, थोड़ी देर में ही उसका बुर-रस बहने लगा।

अब मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसा कर चूत को चाटने लगा उसने मुझे अपने से कस कर चिपका लिया और भींचते हुए बोली- आह… बड़ा मज़ा आ रहा है… अब चोद दो… देर न करो…मेरा लण्ड हथोड़ा हो रहा था, मैंने निप्पल चूसते हुए कहा- पहले मेरा लोड़ा चूसो !

और मैंने उसके मुँह पर अपना लोड़ा रख दिया। काम की गर्मी से पागल मुन्नी ने लोड़ा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी।

इस बीच मैं उसकी गांड में उंगली घुमाने लगा। गांड पूरी टाइट हो रही थी।
मैं अपने साथ जेली ट्यूब लाया था पास पड़ी पैंट से मैंने ट्यूब निकाली और उसकी गांड में पिचका दी, पूरी गांड क्रीम से भर गई।

मुन्नी प्यार से मेरा लण्ड चूसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मुन्नी को उठा कर तकियों के ऊपर मैंने घोड़ी बना दिया और उसकी गांड पर ढेर सारा थूक डाल कर उसकी टांगें चोड़ी करते हुए सामने पड़े तकियों के ढेर के ऊपर उसे लेटा दिया उसकी गांड का छेद मेरे लण्ड के सामने था।

इसके बाद मुन्नी की गांड पर लोड़ा छुला कर मैंने सुपाड़े से गांड के मुँह पर ठक ठक करी और सुपारा गांड में घुसा दिया।
मुन्नी जब तक कुछ समझती, लोड़ा उसकी गांड में प्रवेश कर चुका था, बिना देर किये पूरी दम लगा कर सेकंड्स में लोड़ा आधा अंदर तक उसकी गांड में पेल दिया और उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ ली।

अब मुन्नी की गांड मेरे कब्ज़े में थी, मुन्नी जोर से चीख पड़ी और लोड़ा बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।

लेकिन अब कोई फायदा नहीं था उसकी कुंवारी गांड खुल गई थी और मेरा लण्ड उसमें घुसा हुआ था। मैंने उसकी चोटी खींचते हुए उसकी गांड चोदनी शुरू कर दी और कहा- तूने मेरी भाभी को झूठा रंडी साबित किया, ऊपर से दो हजार रुपए भी लिए, यह उसकी सजा है, अब गांड में अंदर लोड़ा लेने की कोशिश कर, नहीं तो और दर्द होगा।

यह सुन कर भाभी का सर गर्व से तन गया था।

मुन्नी की गांड बहुत तंग थी, आधे लोड़े के बाद लोड़ा अंदर घुस ही नहीं पा रहा था, दर्द के मारे मारे मुन्नी चीख रही थी, उसकी आँखों से पानी आ रहा था।

मैं गांड चोदने के साथ साथ मुन्नी की गांड खोद भी रहा था मुझे पूरा लोड़ा उसकी गांड में जो डालना था।

मेरी जीत तभी थी जब मुन्नी की गांड पर मेरे टट्टे तबला बजाते, मुझे सफलता मिल रही थी और मेरा लोड़ा मुन्नी की गांड में धीरे धीरे और अंदर घुसने लगा था मुन्नी अब एक बकरी बनी हुई थी और दर्द से चीख रही थी और लोड़ा बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रही थी।

उसकी गांड की आज सुहागरात मन रही थी, एक चोदु की तरह थोड़ी देर में मैंने लगभग पूरा लोड़ा उसकी गांड में पेल दिया था।

वो गद्दों और तकियों पर फिसल गई थी। मैं उसकी गांड मारने का पूरा मज़ा ले रहा था।

थोड़ी देर बाद लोड़ा बाहर निकाल कर मैंने उसे कुछ राहत दी, इसके बाद मैंने झुककर उसकी चूचियाँ दबाते हुए दुबारा उसकी गांड में नंगा लण्ड पेल दिया।

मेरी पकड़ के आगे वो बेबस थी, अब गांड चुदवाने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था, आँखों से आंसू टपकाते और दर्द से चीखती हुई मुन्नी ने अपनी गांड चुदवाने की सहमति दे दी और मेरे कहे अनुसार लोड़ा गांड में अंदर लेने लगी।

गांड चोदने में मुझे बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी। कुछ देर बाद लोड़ा पूरा अंदर घुस गया और मेरे टट्टे उसके चूतड़ों से टकराने लगे, अब मुझे गांड चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था।

मुन्नी को भी गीता के अपमान की सजा मिल रही थी।

5 मिनट करीब तक उसकी गांड चोदने के बाद मेरा लण्ड-रस उसकी गांड में बह गया।

मुन्नी निढाल होकर नीचे गिर गई।

गरीबी और मज़बूरी आदमी के वाकयी दो सबसे बड़े रोग होते हैं।
मुन्नी की गांड भी इस रोग का शिकार हो गई थी।

भाभी ने आकर मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे ऊपर पप्पियों की बारिश कर दी और बोली- सच, तुमने मेरी बेइज्ज़ती का बदला ले लिया। वाह, मज़ा आ गया ! क्या गांड मारी है ! कुतिया के आंसुओं से पूरा बिस्तर गीला हो गया, आह… आज मेरा बदला पूरा हो गया।

मुन्नी दर्द से कराह रही थी, भाभी ने उसको थोड़ा चलवाया और पेशाब करवाया, इसके बाद वो मेरे पास आकर लेट गई।

मैंने भाभी से कहा- आप इसकी गांड की सिकाई के लिए गर्म पानी करके आधे घंटे बाद आना। मुझे मुन्नी को अब थोड़ा प्यार करना है।
भाभी दूसरे कमरे में चली गईं।

मैंने लेट कर मुन्नी को अपने बदन से चिपका लिया, उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे देखते हुए बोला- मुन्नी, गांड बहुत दुःख रही है ना?

मुन्नी रुआंसी सी होती हुई बोली- बड़ा दर्द हो रहा है।

मैंने उसे अपने से चिपकाते हुए उसके बाल सहलाए और बोला- गांड का दर्द 2-3 दिन में ठीक हो जाएगा। अब तुम बदनामी से भी बच जाओगी और दुबारा जब गांड में लण्ड लोगी तो दर्द भी नहीं होगा और मज़ा चूत से भी ज्यादा आएगा।

मुन्नी कस कर चिपकती हुई बोली- मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मैं रंडी न बन जाऊँ।

मैंने उसके होंटों पर पप्पी लेते हुए कहा- क्या बात करती हो ! तुम तो रंडी बनने से बच गई हो।

मुन्नी बोली- मैंने पैसे वापस करने को हाँ तो कर दी है लेकिन मैं पैसे कैसे वापस करुँगी? और पैसे वापस नहीं हुए तो आपके साथ साथ आपके दोस्त भी मुझे चोदेंगे ! रंडी तो मुझे बनना ही पड़ जाएगा।

मुन्नी को सीधा करते हुए मैंने उसकी चूत की फलकों को सहलाया और बोला- तुम्हारी चूत तो अब मेरे लोड़े की दोस्त है, इसको अपने दोस्तों से क्यों चुदवाऊंगा ! वो तो भाभी को खुश करने के लिए मैंने कहा था।

मुन्नी मुझसे चिपकते हुए बोली- सच?

मैंने उसे चिपकाते हुए कहा- सौ फीसदी सच।

उसके कान में मैंने धीरे से कहा- मुझसे तो प्यार से चुदोगी न?

मुन्नी ने दुबारा अंगड़ाई ले रहे मेरे लोडे को पकड़ते हुए कहा- आपसे चुदने में तो मुझे बड़ा आनन्द आता है, आज भी बड़ा आनन्द आ रहा था लेकिन आपने मेरी गांड मारकर मेरा सारा मज़ा ख़त्म कर दिया, गांड बहुत दुःख रही है और आज तो आपने मेरी चूत में अपना रस भी नहीं डाला। अगर आप मुझसे थोड़ा भी प्यार करते हैं तो एक बार मेरी चूत में अपना रस डालिए न ! आपका घोड़ा भी खड़ा हो गया है।

मैंने मुन्नी को बाँहों में भरते हुए उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया और उसके निप्पल उमेठते हुए कहा- तुम्हें एक इनाम देना है। इनाम में नौकरी करना पसंद है?

मुन्नी बोली- मुझ पाँचवीं पास को नौकरी कौन देगा?

मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- नौकरी मैं दिलवाऊँगा।

मैंने मुन्नी से कहा- एक नौकरी है।

मुन्नी बोली- क्या करना होगा?

मैंने कहा- एक लेडी डॉक्टर की दुकान पर सुबह 10 से शाम 3 बजे तक क्लीनिक पर मरीजों को संभालना है, चार हजार रुपए देगी।
मुन्नी खुश होते हुए बोली- सच? मैं तो तैयार हूँ।

इसके बाद मुन्नी और मैं दोनों आपस में चिपक गए और मैं उसकी चूत चोदने लगा। हम दोनों एक साथ झड़े और मैंने पूरा रस उसकी चूत की टंकी में भर दिया।

इसके बाद भाभी आ गईं उन्होंने मुन्नी की गांड की सिकाई गर्म पानी से कर दी और उसको बचे हुए दस हजार रुपए दे दिए।

इसके बाद हम सब लोग तैयार होकर वापस चाल में आ गए।

अगले दिन मुन्नी के पति वापस आ गए और 5-6 दिन बिना किसी हंगामे के निकल गए।

भाभी मुझसे बहुत खुश थीं और उन्होंने मुझे अपनी चूत का फ्री लाइसेंस दे दिया था। हर 2-3 दिन में एक बार उनकी चूत मार लेता था।

मुन्नी-भाभी की दोस्ती हो गई थी, जब मैं घर वापस आता था तो राखी, भाभी और मुन्नी अक्सर बातें करती दिख जाती थीं।

मुन्नी मुझे देख कर एक मीठी मुस्कान देती थी।
 

tpk

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