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Romance In Love.. With You... (Completed)

Adirshi

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Update 57




राघव अपने बेड पर बैठ हुआ था और नेहा उसके बाजू मे बैठी थी..

कुछ समय बाद राघव ने बोलना शुरू किया...

राघव- शेखर को पूरी बात नहीं पता है उसे बस सुनी सुनाई बाते पता है और जो कुछ उसने विशाल से सुना है लोगो से सुना है, लेकिन आज तुम्हें पूरी बात बताता हु

नेहा- बोलिए राघव...

राघव- मैं हमेशा से ऐसा नहीं था नेहा, मतलब मैं हमेशा से ही मितभाषी रहा हु, मुझसे लोगों से मिला नहीं जाता , मैं नये दोस्त नहीं बना पाता हु , मुझे सोशल एलिमेंट नहीं कहा जा सकता था, और पहले तो मैं ऐसा दिखता भी नहीं था और शायद इसीलिए मेरे ज्यादा दोस्त नहीं है लेकिन किस्मत से नज़ाने कैसे विशाल मेरा दोस्त बना और उसका मेरे साथ होना किसी वरदान से कम नहीं है क्युकी उनसे मेरा वो फेज देखा है जो किसी को नहीं पता लेकिन विशाल अकेला नहीं है उसके जैसे दो और लोग थे या यू कहू के सिर्फ एक ही थी, वो दूसरा था उसका नाम निखिल था, उसे तुम मेरा लंदन पहला दोस्त कह सकती थी या सिर्फ वो दोस्ती बस एक तरफा हि थी क्युकी निखिल के इरादे ही कुछ और थे..

मैंने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन लंदन से किया है नेहा। राघव देशपांडे भारत मे एक बूसिनेस फॅमिली का चिराग था लेकिन वहा एकदम अकेला था, लोग मेरा मजाक बनाते थे मुझे बुली करते थे मुझे मेरे लुक्स पर कभी कभी अनकंफर्टेबल फ़ील होता था,,

मुझे लोगों से कनेक्ट करने मे बात करने मे इनसिक्योर फ़ील होता था, अपने लुक्स पर अपने कपड़ों पर मैं बुरा फ़ील करता था, ऐसा नहीं था के मैं कुछ अफोर्ड नहीं कर सकता था लेकिन मैं क्या पहन रहा हु कैसा दिख रहा हु इसपर मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था, जो मुझे सही लगता मैं पहन लेता था, उस टाइम मेरा और विशाल का कॉलेज अलग हुआ करता था वो इंजीनियरिंग कर रहा था और मैं बीजनेस स्टडीस

सब कुछ एकदम सही चल रहा था मैं अपने फर्स्ट ईयर मे था मैं अपनी क्लास मे जा रहा था रास्ते मे लोगों के मुझपर पास होते कमेंट्स सुन रहा था जिसकी वैसे तो मुझे आदत थी लेकिन वो दिन कुछ अलग था, मैं उस दिन कुछ अलग महसूस कर रहा था अब अच्छा या बुरा पता नहीं बड़ी मिक्स फीलिंग थी, मैं अपनी क्लास मे पहुचा जहा वो थी, मेरी सबसे अच्छी दोस्त, निशा, वो अकेली थी जिसे उस वक्त मैं अपना बेस्ट फ्रेंड कह सकता था, वो अकेली थी जो मेरे साथ हर वक्त रहती थी जब भी कोई मुझे बुली करता वो अकेली होती जो उनसे मेरे लिए लड़ती थी पर उसके बाद मुझे भी डाट देती थी के मैं वो सब बाते क्यू सुनता हु कुछ कहता क्यू नहीं हु निखिल हमेशा हम दोनों को चिढ़ाया करता था कहता था वो निशा को मेरी मा कहता था लेकिन मैंने उसकी बातों पर कभी ध्यान ही नहीं दिया वो मेरा दोस्त था पर बाद मे मुझे समझ आया के निखिल ने तो मुझे कभी अपना दोस्त माना ही नहीं

राघव आज अपने मन मे दबी बाते नेहा को बता रहा था

राघव- निशा एक अनाथ थी जब वो छोटी थी तब ही उसके माता पिता चल बसे थे वो सब कुछ खुद से मैनेज करती थी और इतनी मुश्किलें होने के बाद भी एकदम बेफिक्र थी हमेशा मुसकुराते रहती थी सच का साथ देना जानती थी, उसे लोगों का दूसरों को नीचा दिखाना बिल्कुल पसंद नहीं था इससे उसे सख्त चिढ़ थी और उसके सामने वैसा होता देख वो लड़ पड़ती थी

हमारा बॉन्ड समय के साथ साथ बहुत मजबूत हो गया था फ्रेंड से बेस्टफ्रेंड का सफर हमने बहूत जल्दी पार किया था और ये कहना तो बिल्कुल ही गलत होगा के मैं उसे पसंद नहीं करता था लेकिन वो प्यार नहीं था कभी नहीं

जब भी वो आसपास होती ना तो मैं मैं नही रहता था मितभाषी राघव बातूनी हो जाता था, उसके साथ ऐसा लगता मानो बाते कभी खत्म ही ना हो, उसके साथ से मैने अपने अंदर बहुत से बदलाव महसूस किए थे जो कि ऑफकोर्स अच्छे थे, सब कुछ एकदम अच्छा जा रहा था लाइफ जैसे एक परफेक्ट ट्रैक पर चल रही थी तब तक जब तक उसे प्यार नही हुआ, वो हमारी यूनिवर्सिटी के एक लड़के मैथ्यू से प्यार करने लगी थी जोकि हमारा सीनियर था, मैथ्यू दिखने में काफी अच्छा था और वो निशा की केयर भी बहुत करता था और निशा उसे पागलों की तरह चाहती थी, निशा और मैथ्यू की बढ़ती नजदीकियों की वजह से मेरे और निशा के बहुत झगड़े हुए, मुझे कभी भी मैथ्यू से अच्छी वाइब नही आई मैंने उसके बारे में बहुत कुछ सुन रखा था जो कि बहुत ज्यादा अच्छा नही था लेकिन मैंने किसी बात का यकीन नही किया था क्युकी मुझे निशा पर भरोसा था के वो अपने लिए गलत इंसान तो नही चुनेगी लेकिन फिर मैंने उसे किसी से यूनिवर्सिटी के गेट पर बाते करते सुना, उसकी बात सुन मेरी रूह तक कांप गई थी वो निशा की बॉडी की डील कर रहा था..

मैने उसे अपने एक दोस्त से कहते सुना था के वो पहले निशा का अच्छी तरह से इस्तमाल कर लेगा उसे भोग लेता और फिर उसे इंजेक्ट करके बेच देगा, मैथ्यू फीमेल ट्रैफिकिंग में था, लड़कियों को फसा कर उनका इस्तमाल कर उन्हे बेच देना धंधा था उसका..

मेरा मन किया के उसे अभी के अभी खत्म कर दू लेकिन मेरा उस वक्त मैथ्यू से भिड़ना निशा को खतरे में डाल देता, मैं वहा से निकला और सीधा निशा के पास पहुंचा

निशा इस वक्त यूनिवर्सिटी के गार्डन में अपने कुछ दोस्तो से बात कर रही थी मैंने उसे वो सब कुछ बता डाला जो भी मैने मैथ्यू से सुना था

पहले तो वो मेरी बात सुन थोड़ा चौकी लेकिन उसे मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ, उसे मेरी बात का यकीन दिलाने मैं जो कुछ भी कर सकता था मैंने किया यहा तक ने मैने उसके सामने हाथ तक जोड़ लिए अपने घुटनों पर आ गया लेकिन उसने मेरी एक बात भी नही सुनी उसे मुझसे ज्यादा मैथ्यू पर भरोसा था

तुम सोच रही होगी के ये कैसी दोस्त है जिसने अपने सबसे अच्छे दोस्त की बात सुनी तक नहीं लेकिन बात इतनी ही नही है, निशा का मेरे साथ रहना कई लोगो को खटकता था, निशा हमारे बैच की हार्टथ्रोब थी उसके चाहने वाले कई थे और वो सबसे बात करती थी उसके कई दोस्त थे लेकिन मेरे लिए बस एक वही थी और एक खूबसूरत लड़की को एक चंपू के साथ घूमता देखना कई लोगो को खटकता है, कई बार हमारे ही बैच के कुछ लोग निशा के मेरे बारे में कान भरते थे, उसका मैथ्यू के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद हमारे बीच सबकुछ सही नही था और कई लोग आपको एक ही बात बार बार रिपीट करके बोले तो आप कही ना कही उसपर यकीन करने लगते हो भले फिर वो बात झूठ ही क्यों न हो सच को दबा ही देती है आप किसी बात को एक बार इग्नोर करोगे दो बार करोगे के लेकिन कोई एक ही बात आपको 100 बार बोले तो आप एक बार के लिए तो उसपर यकीन कर ही लेते हो

निशा को लगा मैं उसे पसंद करता हु इसीलिए मैं उसके और मैथ्यू के बीच प्रॉब्लम क्रिएट करना चाहता हु, हा मैं पसंद करता था उसे लेकिन मैं कभी उसको खुशी के आड़े नही आता लेकिन जब मुझे दिख रहा था के मेरी दोस्त खुद को कुएं में धकेल रही है तो मैं चुप कैसे रहता, उस बात पर हम दोनो का बहुत बड़ा झगड़ा हुआ जिसने वहा मौजूद सभी स्टूडेंट्स का ध्यान खींचा, बढ़ते बढ़ते बात इतनी बढ़ गई के हमने हमारी दोस्ती तक खतम कर दी,

मैं तो वैसे ही टारगेट था तो इस झगड़े के लिए वहा इकट्ठा भीड़ ने मुझे ही दोष दिया के मैं जान बूझ के निशा की लाइफ में खलल डाल रहा हु लेकिन उसकी परवाह किसे थी, मेरी दोस्त खतरे में थी और मुझे उसे बचाना था, चुकी हमारा झगड़ा बहुत बड़ा था तो मैथ्यू भी वहा पहुंच गया और उसे समझ आ गया के उसे अपने खेल को जल्दी अंजाम देना होगा

हमारे झगड़े के बाद वो अपने घर की ओर निकल गई और मैं अपने क्युकी मैंने सोचा के वो खुद के घर पर तो सेफ ही होगी लेकिन मेरा मन बेचैन था, मैंने घर पहुच कर उसे कई बार फोन ट्राइ किया व्हाट्सप्प कर कई सॉरी नोट्स भेजे लेकिन उसने किसी का रिप्लाइ नहीं किया बस देख कर छोड़ दिया, मैं उस पूरी रात सो नही पाया और बार बार उसे कॉल लगाता रहा और वो हर बार मेरा फोन काट ते रही मुझे लगा वो मुझसे बहुत ज्यादा गुस्सा है और जब आखिर मे मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उसके रूम पर जा पहुचा लेकिन उसने दरवाजा तक नहीं खोला और अंदर से ही चिल्लाकर मुझे वहा से जाने कहा लेकिन मैं वही रहा जब तक....

जब तक के मुझे मेरे लैंडलॉर्ड का कॉल नहीं आया, उसका बेटा सीढ़ियों से गिर गया था और वो काफी बूढ़ा आदमी था तो उसने मुझे कार ड्राइव करने बुलाया था ताकि अस्पताल जा सके और मैं जानता था के निशा कितनी जिद्दी है वो दरवाजा नही खोलती और मैंने सोचा के वो अपने घर मे है तो थोड़ी सेफ होगी इसीलिए मैं वहा से चला गया

अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुचा वो वहा सब लोग मुझे घृणा भरी नजरों से दख रहे थे मेरे बारे मे बात कर रहे थे के कैसे निशा ने मुझे दोस्त माना और मैंने उसी को बिट्रै किया, निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने दख उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था.......

क्रमश:
 
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