" जातस्य ही ध्रुवो मृत्यु , ध्रुवम जन्म मृतस्यच ,
तस्माद अपरिहार्यथे , न त्वम शोचितुमहर्षि । "
गीता मे प्रभु कृष्ण ने अर्जुन से कहा , जो जन्म लेता है , उसकी मृत्यु अवश्य होती है । और मृत्यु के बाद जन्म अवश्य होता है । जिससे कोई परिवर्तन न हो सके ऐसी यह कुदरती व्यवस्था है। इसलिए शोक करना तुम्हारे लिए उचित नही है ।
आत्मा और शरीर का सम्बन्ध खत्म हो जाए , तब शरीर की मृत्यु होती है । आत्मा अमर है , इसकी मृत्यु हो ही नही सकती । शरीर की मृत्यु होती है लेकिन वह तो नाशवंत है ही । उसका नाश निश्चित और अटल है ।
निशा की मृत्यु पर राघव को बुरा फीलिंग्स करना स्वभाविक है लेकिन उसकी मृत्यु पर खुद को दोषी मानना सरासर गलत है । राघव ने अपनी तरफ से पुरी कोशिश की लेकिन वो किसी के जीवन का भाग्य विधाता तो नही बन सकता ना ! निशा ने गलती की और उस गलती का बहुत बड़ा खामियाजा भुगता ।
इस पुरे प्रकरण मे राघव का कहीं भी दोष नही है । उसका दोष यह था कि वो डार्विन के सिद्धांत पर अमल न कर पाया । वह सिद्धांत , सर्वाइवल आफ फिटेस्ट था । परिवेश के अनुसार खुद को एडस्ट न कर सका । हालात से ठीक तरह लड़ नही सका ।
खैर , अगर राघव को निशा को सही तरीके से श्रद्धांजली देनी है तो उसे खुद पर काबू पाना चाहिए और उसके दोषियों को कानून के शिकंजे मे लाना चाहिए ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट
Adirshi भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।