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Romance In Love.. With You... (Completed)

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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यार ये देशपाण्डे परिवार के फर्नीचर बड़े कमज़ोर हैं! कभी बेड टूट जाता है, तो कभी कुर्सी! 😂
और लोग भी ज़मीनी स्तर पर बड़े जुड़े हुए हैं - खुद ही टूटा फर्नीचर ठीक करने लगते हैं, या टूट गया है - इस बात को छुपाने लगते हैं।

ख़ैर, मोहब्बत के खेल तो कहीं भी खेले जा सकते हैं। नेहा - राघव का इंटिमेट संग होने ही वाला है।
वैसे कुछ लोगों की मान्यता है कि उन नौ दिनों में (नाम नहीं लूँगा - नहीं तो मॉडरेटर्स के पिछवाड़े में खुजली होने लगेगी) सेक्स नहीं करना है।
देशपाण्डे लोगों का धार्मिक स्तर देख कर लगता है कि नौ दस दिनों की और फ़ुर्सत हो गई!

मतलब उधर रावण जलेगा, तो इधर क़िला फ़तह होगा! ;)
आई लव यू - अपने हीरो हीरोइन 'काम' कर के ही बोलेंगे।
 

Tiger 786

Well-Known Member
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Update 65




हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Fantastic update
 
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Update 65




हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Veri nyc stori dear
 

chawla sahab

Member
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Update 65




हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Vadhiya update brother
 

kas1709

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Update 65




हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Nice update....
 

Naik

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Update 64




अगले दिन

श्वेता- भाभी मैं ऑफिस आजाऊंगी दोपहर मे और फिर आपके लेक्चर के बाद शॉपिंग चलेंगे

श्वेता ने नेहा से कहा जो किचन मे थी

नेहा- ठीक है डन

नेहा ने श्वेता को बाय करते हुए कहा जिसके बाद वो बाहर कार मे आकार बैठी जहा राघव उसका इंतजार कर रहा था, राघव इस वक्त कार मे बैठा अपना फोन चला रहा था और नेहा को उसका साइड प्रोफाइल इतना हॉट लग रहा था के नेहा की नजरे उसपर से हट ही नहीं रही थी और राघव को अब्ज़र्व करते हुए उसके चेहरे पर एक मुस्कान बनी हुई थी, राघव फिजिकलि तो दिखने मे अच्छा था ही साथ मे दिल से भी हीरा था।

राघव- कुछ कहना है क्या चिक्की?

राघव ने अपने फोन में नजरे गड़ाए ही नेहा से पूछा

नेहा- नहीं!

नेहा ने ना ने गर्दन हिलाई और खिड़की से बाहर देखने लगी और ड्राइवर ने गाड़ी शुरू की और जैसे ही गाड़ी शुरू हुई राघव ने एक बटन दबाया जिससे फ्रन्ट सीट और बैक सीट के बीच एक पार्टिशन बन गया और वो आवाज सुन नेहा ने मूड कर राघव को देखा और राघव ने उसे अपने करीब खिचा, राघव का एक साथ नेहा की कमर पर था वही दूसरे हाथ से उसने नेहा का हाथ पकडा हुआ था

राघव- बोलो!

नेहा- क्या? मुझे कुछ नहीं कहना है!

राघव- मुझे पता है तुम्हें कुछ कहना है हा अब अगर अभी नहीं बताना तो कोई बात नहीं बाद मे कह देना मैं इंतजार करूंगा

राघव ने नेहा के माथे को चूमते हुए कहा

जब वो लोग ऑफिस मे पहुचे तो नेहा को शुभम दिखाई दिया जिससे वो ऑफिस मे मिली थी और उसे देख नेहा रुक गई और अब चुकी नेहा रुकी थी तो राघव को भी रुकना पड़ा जिससे वो जरा सा भी खुश नहीं था

नेहा- हे शुभम

नेहा ने ब्राइट स्माइल के साथ कहा जो राघव को पसंद नहीं आया

‘इतना हसके मुझसे तो कभी बात नहीं करती’ राघव ने सोचा

शुभम – गुड मॉर्निंग मैडम , सर

शुभम ने उन्हे विश किया लेकिन बदले मे राघव ने बस अपनी गर्दन हिला दी

नेहा- कितनी बार बताऊं मुझे मैडम मत कहो तुम मुझे नेहा बुला सकते हो

नेहा ने शुभम से कहा लेकिन इसके जवाब मे शुभम कुछ कहता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

राघव- वो ऐसे कैसे कर सकता है बेबी! मैं यहा का बॉस हु और तुम भी हैना मिस्टर शर्मा

राघव ने आँखों ही आँखों मे शुभम को धमकाते हुए पूछा जिसपर उसने भी हा मे गर्दन हिला दी और इससे पहले नेहा कुछ बोलती राघव उसे वहा से अपने केबिन मे ले आया

नेहा- मैं बात कर रही थी ना

जैसे ही वो केबिन में पहुंचे नेहा ने हल्के से चिल्लाते हुए कहा

राघव- वो यहा काम करने आता है दोस्त बनाने नहीं उसे उसका काम करने दो

नेहा- कम ऑन ही इज अ नाइस मॅन

राघव- बट योर हसबैंड इस अन ऑसम मॅन, अब बाते बहुत हो गई कल जहा छोड़ा था वही से काम शुरू करना है

राघव ने कहा और नेहा को कल वाला सीन याद आ गया जब वो राघव की गोद मे बैठी थी और वो सब कुछ उसके कान मे कह रहा था लेकिन राघव का इस ओर ध्यान ही नहीं था वो कोई फाइल पढ़ रहा था

‘नेहा वो काम की बात कर रहे है तुम जो सोच रही हो वो नहीं’ नेहा ने अपने आप को समझाया

नेहा ने अपना ध्यान लैपटॉप पर लगाया और फिर उसकी नजरे उस खुर्ची की ओर गई जिसपर राघव बैठा था

राघव- चिक्की, तुम चाहती हो मैं कल की तरह आज भी तुम्हें गोद मे बीठा कर पढ़ाऊ??

राघव ने फाइल मे देखते हुए ही एक स्माइल के साथ कहा जिसने नेहा को अपने खयालों से बाहर लाया

नेहा- ह? न.. नहीं! मैं तो वो.. लेट्स कन्टिन्यू

नेहा ने अपनी खुर्ची की ओर बढ़ते हुए कहा

राघव- क्या? पढ़ाई या...

नेहा- पढ़ाई!!!

नेहा ने एकदम से कहा, विसर्जन के बाद से नेहा को एक अलग ही राघव दिख रहा था, नेहा को ये बदलब अच्छा लग रहा था, मौसम गुलाबी हो रहा था

इतने पूरे समय मे राघव के चेहरे पे मुस्कान बनी हुई थी, राघव नेहा को मार्केटिंग पढ़ा रहा था वही बीच बीच मे डबल मीनिंग बातों से उसे छेड भी रहा था, जैसे वो नेहा को इन्वेस्टमेंट के बारे मे बता रहा था जिसमे उसने कहा के स्टॉक का प्राइस ऊपर नीचे होता है और जब आप नीचे फोकस करो तो और बढ़िया होता है और जब तो आप नीचे छु लेते तो तब तो....

नेहा- आप ये क्या कह रहे है???

राघव- मैं तो स्टॉक ऑप्शन को छूने की बात कर रहा हु खरीदने के लिए आजकल तो और भी ईजी है आप मोबाईल से स्टॉक्स खरीद सकते है और लो प्राइस मे खरीदना बहुत satisfying है

राघव ने कहा लेकिन नेहा को समझ आ रहा था के वो क्या कह रहा था और जब तक वो एक्चुअल काम शुरू करते 12 बज चुके थे और नेहा का फोन बजने लगा उसने देखा तो श्वेता का कॉल था

नेहा- आज के लिए इतना काफी है अब बाकी कल

नेहा ने एक्सईट होकर अपनी जगह से उठते हुए कहा

राघव- इतनी एक्साइटमेंट?

राघव ने अपनी एक भौ उठाते हुए पूछा

नेहा – मैं श्वेता के साथ शॉपिंग करने जा रही हु

राघव- तो मानोगी नहीं हैना

नेहा- उमहू

नेहा ने ना मे गर्दन हिलाते हुए कहा वही राघव उसके करीब आया और उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खिचा

राघव- किस चीज की शॉपिंग करने वाली हो

नेहा- कुछ नहीं मैं बस श्वेता की मदद करने जा रही हु

राघव- जब कुछ लेना ही नहीं है तो जाने का क्या फायदा

नेहा- क्युकी मुझे मेरी शॉपिंग आपके साथ करनी है

नेहा ने राघव की शर्ट की बटन से खेलते हुए कहा

राघव- तो तुम्हें मुझसे कुछ चाहिए?

नेहा- मैंने ऐसा थोड़ी कहा, मुझे बस आप मेरे साथ चाहिए

राघव – ठीक है फिर ऐसा करते है मैं तुम्हारे साथ चलता हु और शेखर श्वेता के साथ चला जाएगा

राघव की बात सुन नेहा की आँखों मे चमक आ गई

नेहा- पर आपकी तो मीटिंग है ना भूल गए?

राघव- है तो पर मेरी बीवी की इच्छा से ज्यादा जरूरी नहीं है, मैं मीटिंग बाद मे अरेंज करा लूँगा

राघव ने नेहा के गालों को चूमते हुए कहा और नेहा के गालों पर लाली छ गई

नेहा- परफेक्ट श्वेता आ गई होगी मैं अभी उसे जाकर ये बात बताती हु

जिसके बाद नेहा वहा से चली गई और राघव उसे जाते देख मुस्कुराने लगा

‘तुम्हे सबसे बेस्ट गिफ्ट मिलने वाला है चिक्की’ नेहा के केबिन से बाहर जाते ही राघव ने अपने आप से कहा

--x--

श्वेता- भाभी ये देखो कितना सुंदर है ना

श्वेता ने नेहा को लाल रंग का एक लहंगा दिखते हुए पूछा

नेहा- हा ये बहुत सुंदर है, इसे ले लो ये अच्छा लगेगा तुमपर

नेहा ने उस लहंगे को देखते हुए कहा

श्वेता- हैना! शेरी कैसा है ये? मैं ले रही हु इसे

श्वेता ने वो ड्रेस शेखर को दिखाया जिसने उदासीनता से उबासी लेते हुए हा मे गर्दन हिला दी

श्वेता- क्या यार शेरी तुम कितने बोरिंग हो भईया को देखो वो कैसे भाभी की मदद कर रहे है कितना इंटेरेस्ट है उनको और तुम देखो

श्वेता ने शेखर को घूरते हुए उसके कंधे पे हल्के से मारते हुए कहा और शेखर ने वापिस हा मे गर्दन हिला दी, वो पहले ही मन ही मन अपने भाई को गालियां दे चुका था क्युकी उसे ये शॉपिंग वह सीन बिल्कुल पसंद नहीं था फिर भी वो यहा था

वही दूसरी तरफ नेहा कन्फ्यूज़ थी के वो क्या ले जैसा उसे चाहिए था वैसा उसे कुछ मिल ही नहीं रहा था और उसकी तरफ से उसके लिए राघव कपड़े सिलेक्ट कर रहा था

नेहा- मुझे कुछ पसंद ही नहीं आ रहा

नेहा ने निराश होते हुए कहा

“मैडम हमारे पास और भी ड्रेसेस है आप देख लीजिए पसंद आए तो वो ट्राइ करके देखिए” वहा के सैल्ज़्मन ने कहा

नेहा- ठीक है!

जिसके बाद नेहा ने दो ड्रेस पसंद किए और एक ड्रेस लेकर चेंजिंग रूम मे चली गई और दूसरा ड्रेस राघव को पकड़ा गई वो बहुत ज्यादा पैशन्स के साथ जो उसके पास नहीं था चेंजिंग रूम के बाहर नेहा की राह देखते खड़ा था

कुछ ही पलों मे नेहा चेंजिंग रूम के बाहर वो ड्रेस पहने आई

नेहा- कैसा है?

नेहा ने गोल घूमते हुए राघव ने पूछा और उसने ना मे गर्दन हिला दी

नेहा- कुछ नहीं चाहिए मुझे, ये सब कितना कन्फ्यूज़िंग है

नेहा अब चिढ़ रही थी तभी राघव की नजर एक ड्रेस पर पड़ी जिसने उसका ध्यान खिचा

राघव- रुको!!

जिसके बाद राघव ने एक सेल्समैन से कहकर वो ड्रेस निकलवाया और नेहा के पास आया

राघव- इसको ट्राय करो

उसने वो नेहा को पकड़वाया और नेहा बस उस ड्रेस को ही देख रही थी ये बिल्कुल वैसा था जैसा उसे चाहिए था

नेहा- ये.. ये परफेक्ट है ऐसा ही चाहिए था मुझे

नेहा ने खुश होते हुए कहा और झटके के साथ राघव के हाथ से वो ड्रेस लिया और वापिस चेंजिंग रूम के अंदर चली गई

कुछ समय बाद श्वेता भी वहा आ पहुची

श्वेता- भईया भाभी कहा है

जन श्वेता ने नेहा को नहीं देखा तो पूछा

राघव – वो अंदर....

और राघव की बात पूरी होती इससे पहले ही चेंजिंग रूम का दरवाजा खुला और नेहा उस ड्रेस को पहने बाहर आई

श्वेता- भाभी ये बहुत सुंदर है

श्वेता ने नेहा के ड्रेस को देखते हुए कहा

राघव- परफेक्ट!!

राघव ने नेहा को देखते हुए कहा और नेहा मुस्कुरा दी

नेहा- मुझे यही चाहिए

राघव- ठीक है, अब हो गया तो तुम लोग शेखर के साथ घर जाओ फिर

नेहा- क्यू? आप नहीं आ रहे?

राघव- न, मुझे कुछ काम है थोड़ी देर से आऊँगा!

श्वेता- ठीक है फिर भाभी आप चेंज कर लो मैं और शेरी कार के पास वेट करते है

इतना बोल ले श्वेता वहा से चली गई

नेहा ड्रेस चेंज करके जब बाहर आई तो उसका चेहरा थोड़ा उतरा हुआ था और आकार नेहा ने अपनी सारी शॉपिंग बैग्स उठाई और जाने ही वाली थी के राघव ने उसे रोका और उसके हाथ से सारी बैग्स ली

राघव- मैं जल्दी आ जाऊंगा बहुत जरूरी काम है

राघव ने नेहा के गाल को चूमते हुए कहा जिससे नेहा के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आई

नेहा- क्या काम है?

नेहा के पूछा और अब राघव के चेहरे का रंग उड गया

राघव- वो.. उम्म... कुछ बिजनस वाला स्टफ है जल्दी आता हु मैं

राघव ने नर्वसली कहा और नेहा के साथ कार तक आया कहा शेखर और श्वेता उनकी राह देख रहे थे और नेहा राघव के जवाब पर अभी भी कन्फ्यूज़ थी

‘सॉरी चिक्की बेबी अभी नहीं बता सकता’ राघव ने नेहा को देखते हुए मन ही मन कहा

क्रमश:
Bahot hi khoobsurat bada pyara update bhai
Neha ko bhi sochna chahiye husband saath m or woh Shubham se has has ker baat ker Rahi h tow jalane tow hogi hi
Baherhal dekhte h Raghav Babu Neha ko kia surprise dene wale h
Shaandar update bhai
 

Naik

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Update 65




हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Khoob Maza lia sabne Raghav ka chhote se leker bade tak kisi n nahi chhoda or bechara Raghav Babu pareshaan ho gaya Neha ko samne na paker
Baherhal kamre m full romance ho raha h dekhte h Inka romance kaha tak aage badhta h
Or Raghav Babu kon sa gift dene ki tayyari ker chuke h
Behtareen shaandar lajawab update bhai
 
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भई हद है , अब तो दादा जी से लेकर पिता जी , माता जी , चाचा जी , चाची जी , भवह जी , भाई , बहन सभी के सभी राघव सर की टांग खिंचाई करने मे लग गए है ।
इन लोगों ने यह सही नही किया । राघव सर की टांग खिंचाई पर सिर्फ और सिर्फ मेरा पेटेंट था । :D

लेकिन जो भी हो , बहुत बहुत मस्त और हंसी-मजाक का सीन्स था । मै यह सोच रहा था कि जब राघव को इस मजाक के बारे मे पता चला तब वह कैसा फील कर रहा होगा । शायद वो जरूर सोच रहा होगा कि परिवार के सदस्य उसे " जोरू का गुलाम " समझ रहे होंगे । या फिर एक और तुलसीदास ने जन्म ले लिया है । :D

खैर फिलहाल के लिए इनके बीच कोई भी अंतरंग संबंध बनना बहुत मुश्किल है । इन्हे दशहरा पर्व तक इन्तजार करना होगा ।

बहुत ही खूबसूरत और मनोरंजन से भरपूर अपडेट Adirshi भाई।
आउटस्टैंडिंग अपडेट।
 

dhparikh

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हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Nice update....
 

Sweetkaran

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Update 65




हर बीतते दिन के साथ सब कुछ और भी बेहतर हो रहा था और जबसे बड़ी दादी ने उन दोनों को उनके बचपन के बारे मे बताया था तब से तो वो किसी बिछड़े प्रेमी की तरह हो गए थे, आजकल राघव के दिन की शुरुवात नेहा के किस के साथ होती और और उसका दिन खत्म भी किस के साथ ही होता था और अगर नेहा उसे किस करना भूल जाए तो वो खुद नेहा के पास पहुच जाता अब तो ये जैसे उनका नॉर्मल रूटीन बन गया था किसिंग फ्लर्टिंग पर असल बेस पर दोनों अब भी नहीं पहुचे थे

इतना सब होने के बाद भी ना ही राघव और ना ही नेहा दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था अब बातों बातों मे दोनों ने अपने की दिल की बाते बात दी थी लेकिन डायरेक्टली वो 3 शब्द नहीं बोले थे, राघव परफेक्ट वक्त के इंतजार मे था वही नेहा राघव के साथ जितनी बड़बड़ कर ले उसमे उन 3 शब्दों को बोलने की हिम्मत नहीं थी।

शाम का वक्त था कल से नवरात्रि शुरू होने वाली थी अगली सुबह देशपांडे वाडे मे घटस्थापना होनी थी, ज्यादा बड़ा आयोजन नहीं था, शाम से ही कल की तयारिया चल रही थी महिलाये अपने अपने हाथों मे मेहंदी लगवा रही थी, सब लोग घर मे थे सिवाय राघव के जो आज भी रोज जैसा लेट आया था, राघव जब घर पहुचा तो नेहा रूम मे नहीं थी उसने सोचा के कुछ काम में होगी, लेकिन जब खाने का वक्त हो गया और राघव डायनिंग टेबल पर आया जहा सब थे तब वहा भी उसे नेहा कही नहीं दिखी,

राघव ने देखा के शेखर श्वेता को खाना खिला रहा था क्युकी श्वेता के हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और अब उसे भी नेहा को ऐसे ही खाना खिलाना था वो अपनी खुर्ची पर जाकर बैठ गया तो उसकी नजर उसकी मा और चाची पर पड़ी

राघव- मा, चाची आप लोग खाना नहीं खाओगे?

जानकी- हमने तो खा लिया है, वो मेहंदी लगानी थी तो, बस तुम लोग बचे हो

जानकी जी ने बताया जिसपर राघव ने हा मे गर्दन हिला दी और फिर नेहा को वहा ना पाते हुए बोला

राघव- यहा कुछ तो मिसिंग है, हैना?

राघव ने एकदम नॉर्मल साउन्ड करते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे हा

मीनाक्षी जी की बात सुन के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई के चलो अब ये नेहा को बुलाएगी

मीनाक्षी- सलाद! सलाद मिसिंग है, अभी किसी से कहती हु लाने रुको!

और ये बात सुन के राघव बाबू की मुस्कान गायब

राघव- अरे मतलब जीतने हम लोग है उस हिसाब से खुर्चीया कम नहीं लग रही?

गायत्री- हा वो इसीलिए क्युकी विवेक ने फुटबॉल खेलते हुए एक खुर्ची तोड़ दी है

दादी ने कहा

राघव- नहीं मतलब कोई तो यहा मिसिंग है

राघव ने वापिस हिंट डाली

शिवशंकर- हा विवेक नहीं है, वो अपने रूम मे उस टूटी हुई खुर्ची को जोड़ने की कोशिश कर रहा है

दादू ने कहा, हालांकि सब बराबर समझ रहे थे राघव किसकी बात कर रहा है और अब इन सब के ऐसे जवाबों से राघव बाबू परेशान हो गए और सीधा पूछ डाला फिर

राघव- नेहा कहा है??

“अच्छा....... नेहा..... कहा.... है....?” डायनिंग टेबल पर बैठे सभी ने कोरस मे कहा ताकि इस परेशान आत्मा को और परेशान कर सके वैसे भी ऐसे मौके घरवालों को कम ही मिलते थे और इसीलिए राघव डायरेक्टली ये बात नहीं पूछ रहा था

रमाकांत- क्यू बेटे? नेहा यहा नहीं होगी तो तुम्हें खाना हजम नहीं होगा क्या?

राघव- ऐसा नहीं है डैड, वो तो मैंने उसे देखा नहीं तो पुछ लिया बस

शेखर- पर भाई भाभी तो गई।

शेखर ने मासूम बनते हुए कहा और राघव के झटके से उसे देखा

राघव- गई? कहा?

अब इसको हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था के नेहा ने उसे बताया भी नहीं

धनंजय- तुम्हें नहीं पता? हमे लगा नेहा ने तुम्हें बताया होगा, मैं ही उसे उसके चाचा के यहा छोड़ के आया हु

और इसी के साथ राघव के चाचा के उसे हल्का स हार्ट अटैक दे डाला

राघव- क्या?? कब??

राघव एकदम से अपनी जगह पर से उठ गया वही बाकी लोग उसको ऐसा देख उसके चेहरे को देख अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे लेकिन राघव को अभी इसकी कहा परवाह थी उसके दिमाग मे अभी बस एक बात घूम रही थी के नेहा उसके चाचा के यहा गई थी वो भी उसे बगैर बताए, बताके जाती तो भाई थोड़ा रिलॅक्स रहता

उसने कल के लिए बहुत कुछ प्लान करके रखा था बहुत कुछ सोच के रखा था और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात ये थी के ऑफिस से आने के बाद न तो बेचारे को किस मिला था न ही वो अपनी बीवी के प्यार भारी बाते कर पाया था ऑफिस मे बिजी होने की वजह से सुबह से उससे ढंग से बात भी नहीं हुई थी

राघव- मैं आता हु थोड़ी देर मे

इतना बोल के राघव वहा से जाने ही वाला था के सबने उसे रोक लिया

जानकी- अरे पर जा कहा रहे हो खाना तो खा लो पहले

लेकिन राघव ने ना मे मुंडी हिला दी

राघव- कुछ जरूरी काम याद आ गया है मा पहले वो खतम करता हु फिर आता हु

जानकी- लेकिन खाना?

राघव- आके खा लूँगा और वैसे भी अभी इतनी भूख नहीं है

रमाकांत- नहीं नहीं नहीं ऐसे नहीं चलेगा, राघव पहले खाना खा लो तबीयत वगैरा खराब हो जाएगी, काम इंतजार कर लेगा

राघव- लेकिन डैड मुझे सच मे भूख नहीं है

रिद्धि- भाई इतना अर्जन्ट काम है क्या जो खाना भी नहीं खा सकते?

राघव – हा बहुत अर्जन्ट है

तभी

शेखर- अरे भाभी आ गई आप

शेखर ने राघव के पीछे देखते हुए कहा जिसपर राघव ने भी मूड कर देखा तो नेहा वहा आ रही थी और उसके हाथों पर मेहंदी लगी हुई थी

राघव ने पहले नेहा को देखा फिर अपने पूरे परिवार को देखा, उन्होंने इसे छेड़ा और ये छिड़ गए

धनंजय- राघव, तुम जा रहे थे ना कही? तो जाओ फिर

अब इसका राघव के पास कोई जवाब नहीं था

राघव- वो... चाचू...

ऐसे टाइम इसका दिमाग काम करना बंद कर देता था फिर बहाना कैसे मिलता

राघव- हो गया मेरा काम

इतना बोल के राघव वापिस आकार अपनी खुर्ची पर बैठ गया और बाकी सब हसने लगे वही नेहा ये क्या हो रहा है देख के कन्फ्यूज़ थी

गायत्री- अगली बार से उसके बारे मे पूछना हो तो डायरेक्ट पूछना घुमा के नहीं

घरवालों ने राघव को ऐसे जॉली मूड मे बहुत समय बाद देखा था वो बदल रहा था और इस बदलाव से सभी खुश थे

जानकी- नेहा तुम भी बैठो खाना खा लो तुमने भी नहीं खाया है

जिसके बाद नेहा जाके राघव के बाजू मे बैठ गई

मीनाक्षी- हा वरना किसी को वापिस यहा कुछ मिसिंग लगने लगेगा

जिसपर सब वापिस हस दिए बस नेहा को छोड़ के

पहले तो नेहा ने राघव की थाली मे खाना परोसने का सोचा क्युकी ये तो राजाजी है लेकिन आज उसके हाथ मे मेहंदी होने की वजह से वो ये नहीं कर सकती थी वो उसने राघव को देखा

राघव- मैं भी ले सकता हु

राघव ने नेहा से कहा और अपनी प्लेट मे खाना परोसने लगा और तभी पीछे से विवेक आया

विवेक- ओ हो हो राजाजी, आज क्या सूरज पश्चिम से निकला है क्या जो आप स्वयं अपने हाथों से खुद की प्लेट मे खाना ले रहे हो

विवेक ने अपने दोनों हाथ राघव ने दोनों कंधों पर जोर के रखते हुए कहा जिससे राघव थोड़ा आगे सरका

राघव- बस इसी की कमी थी

राघव धीमे से पुटपुटाया

श्वेता- अरे विवेक भईया को परेशान मत करो वो अर्जन्ट काम पर फोकस कर रहे है

विवेक- अर्जन्ट काम?

रिद्धि- विवेक!!!

रिद्धि ने विवेक को आखों से इशारा किया और इस मंदबुद्धि की ट्यूबलाइट जली

विवेक- ओ अच्छा! हटाओ यार खाना दो भूख लगी है

जिसके बाद विवेक जाके अपनी जगह पर बैठ गया

इधर नेहा ने राघव को कोहनी मारी और जब राघव ने उसकी ओर देखा तो इशारे से पूछा के क्या चल रहा है तो राघव ने इशारों मे ही ध्यान मत दो बोल दिया जिसके बाद राघव नेहा को अपने हाथ से खाना खिलाने लगा

शिवशंकर- विवेक खुर्ची ठीक हो गई?

विवेक- कम ऑन दादू मैं कोई कारपेंटर थोड़ी हु और वैसे भी उस खुर्ची का अंतिम वक्त आ गया था, वो अब हमारे बीच नहीं है, खुरचियों के देवता उसकी आत्मा को शांति दे

विवेक ने नौटंकी करते हुए अपने नकली आँसू पोंछते हुए कहा

धनंजय- तो इतनी देर से क्या रिपेयर करने की कोशिश कर रहे थे

विवेक- वो डैड, क्या हुआ ना उसे रिपेर करने के चक्कर मे मैं उसके और ज्यादा टुकड़े कर बैठा

विवेक ने नर्वसली कहा वही बकियों को तो इसकी ही उम्मीद थी

गायत्री- अच्छा अच्छा अब जल्दी से खाना खतम करो कल सुबह वापिस जल्दी उठना है पूजा की तयारिया करनी है

दादी ने कहा और जल्दी उठने के नाम पे राघव के नेहा को देखा क्युकी ये उसकी नींद के साथ खिलवाड़ था

खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए

जानकी- नेहा!

नेहा बस अपने कमरे मे जा ही रही थी के जानकी जी ने उसे बुलाया

नेहा- हा मा

जानकी- देखो वैसे तो जरूरी नहीं है पर कल तुम और राघव मंदिर हो आना

नेहा- ठीक है मा हम चले जाएंगे

जानकी- बढ़िया और थैंक यू

नेहा- क्यू?

जानकी- मेरे बेटे को बदलने के लिए, आज मैंने वो पुराना वाला राघव देखा है इसीलिए थैंक यू, अब जाओ जाकर आराम करो कल सुबह बहुत काम है

जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे आई

रूम मे आते ही नेहा ने देखा के राघव अपना लैपटॉप लिए बैठा था

नेहा- आप न अपने इस लपटॉप को ऑफिस मे ही छोड़ कर आया कीजिए, वहा तो काम करते ही है और घर आने पर भी

नेहा ने बेड पर बैठते हुए राघव को डाटना शुरू किया और राघव ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और नेहा के पास पहुचा

राघव- जो हुकूम सरकार,

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ और उसकी मेहंदी को गौर से देखने लगा

नेहा- आप क्या ढूंढ रहे है?

राघव- मेरा नाम? कहा है इसमे

नेहा- आप से किसने कह दिया के मैंने इसमे आपका नाम लिखा है

राघव- तो क्या तुमने नहीं लिखा??

नेहा के जवाब से राघव थोड़ा disappoint हुया लेकिन फिर नेहा ने उसे अपनी मेहंदी मे उसका नाम दिखाया

नेहा- मैंने तो लिखा है लेकिन आपने मेरे लिए क्या किया? कुछ नहीं।

राघव- ऐसे कैसे कुछ नहीं और ये किसने बोल दिया

फिर राघव ने नेहा को अपना हाथ दिखाया जिसमे एक साइड मे बहुत छोटे अक्षरों मे चिक्की लिखा हुआ था, अब राघव देशपांडे ये करेगा ये नेहा ने सोचा भी नहीं था उसने राघव को कस के गले लगा लिया

राघव- वैसे एक बात पता है?

नेहा- क्या?

राघव- तुम्हारा ये मेहंदी लगाना मेरे लिए फायदेमंद है

नेहा- कैसे?

नेहा ने उससे थोड़ा अलग होते हुए पूछा और फिर उसके ध्यान मे आया

नेहा- नहीं!

राघव- हा

नेहा – नहीं!!

राघव- हा!

राघव नेहा के करीब जा रहा था और अब नेहा नीचे थी और राघव उसके ऊपर और वो उसे हटा भी नहीं सकती थी क्युकी उसके हाथों मे मेहंदी लगी हुई थी और राघव ने नेहा को किस करना शुरू किया और नेहा ने भी अपनी हार मानते हुए उस किस का रीस्पान्स देने लगी, राघव ने फिर नाइट स्टैन्ड लैम्प को बंद कर दिया और वापिस नेहा पर फोकस करने लगा...

क्रमश:
Awesome update bro
 
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