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Romance In Love.. With You... (Completed)

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अतीत के पन्नो मे कुछ ऐसी यादें है जो राघव भुल ही नही पा रहा है । यह शेखर की सोच से जाहिर हो रहा है। शेखर को यह बात नेहा को अवश्य बतानी चाहिए। शायद नेहा इसे अच्छी तरह हैंडल कर सके !
शिवशंकर जी को लगता है कि उनका पोता और बहू दोनो ही इस शादी से खुश है और अगर थोड़े-बहुत प्रॉब्लम हो भी रहा हो तो वो स्वयं ही आपस मे मिलकर प्रॉब्लम को दूर कर लेंगे । लगता है उन्हे अपने पोते के अतीत के बारे मे कुछ भी पता नही है। वो जानते ही नही है कि उनका प्रिय पोता शादी-ब्याह को बेकार का बंधन समझता है । वो इसे आजादी मे खलल और एक बर्डन समझता है। अगर वो यह सब जानते तो उसकी शादी कभी भी नही कराते। और अगर फिर भी उसकी शादी कराते तो इसका मतलब उनका मकसद एक लड़की के जीवन का भविष्य चौपट करना होता।
गार्डियन वगैर सोचे समझे अपने बच्चों की शादी जबरन करा देते है । इनका तो कुछ होता नही है लेकिन दो लोगों का पुरा जीवन ये तबाह कर डालते है।
आज के जमाने मे शादी-ब्याह बच्चों की सहर्ष सहमति के वगैर करना ही नही चाहिए। जमाने के साथ लोगों की सोच और उनके रहन-सहन मे काफी बदलाव आ चुका है। आप 20वीं सदी के नियम इस जमाने मे किसी पर जबरदस्ती नही लाद सकते।

अपडेट हमेशा की तरह वाह वाह था Adirshi भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Affice romance :blush1: ye dono sahi ja Rahe the :haha: sab kharab kar ho gaya :verysad:

Sabhi ke apne kuch armaan hote hai or Kab tak khud ko samate rakh sakte hai aap bas Neha ke saath yahi hua :approve: siway aise insaan ke jo emotion less ho :D parwaah to hai wo to dikhta hai bas thoda express karne ki jarurat hai..

Shekhar jaanta hai atit me Raghav ke saath aisa kya hua jiski wajah se wah aisa ban gaya hai ye jaana dilchasp honga :approve: vishal ye konsa dost hai or ye achanak se kaha se tapak pada :?:
 

kas1709

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Update 16



श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

अब आगे...

अगले दिन

नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..

नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी

श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।

श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी

नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो

श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम

तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा

जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई

श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए

श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।

नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई

श्वेता- बेब....

बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला

आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..

इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा

शेखर- हैलो हनी..

लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया


श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है

जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली

शेखर- हा हा चलो

--x--x--

राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।

राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।

नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।

डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा

शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?

शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा

राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..

श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए

इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था

राघव - तुम अकेली आयी हो?

श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?

राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया

शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे

शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए

राघव- क्यू?

शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा

राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।

राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा

शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?

शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया

राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ

राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा

श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी

श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा

राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?

श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है

शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?

शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो

राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??

राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया

राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?

राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए

ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया

शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई

शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- अब लंच कर ले

वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली

श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?

श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।

राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था

श्वेता- भाभी!

नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?

नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली

शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l

शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो

नेहा- नहीं!

श्वेता- नहीं मतलब ?

नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....

नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी

नेहा- लंच कर ले?

नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।

श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।

नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर

शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से

राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है

राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।

यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी

श्वेता- भाभी क्या हुआ ?

श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी

शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?

लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी

श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।

इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई

शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...

लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।

शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...

राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे

राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...

अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..



क्रमश:
Nice update....
 

Naik

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Update 14



“गुड मॉर्निंग भाभी” विवेक ने नेहा को साइड से हग करते हुए कहा

“ओये परे हट मेरी भाभी है वो” रिद्धि ने विवेक को नेहा से दूर करते हुए कहा

"अरे चाहे कितना ही लड़ लो लेकिन भाभी का फेवरेट तो मैं हु, हैना भाभी” शेखर ने पीछे से आते हुए नेहा को पीछे से गले लगाते हुए कहा जैसे कोई बच्चा अपनी मा को लिपटता है वैसे

“ओ हैलो आप श्वेता को भाभी को लाने जाने वाले थे न चलो निकलो फिर शु शु...” विवेक ने शेखर को वहा से भागते हुए कहा जिसके बाद वो तीनों वही लड़ने लगे और उनको अपने लिए ऐसे लड़ते देख नेहा मुस्कुराने लगी

जानकी- ये सब ना तुम्हारे सामने एकदम बच्चे बन जाते है नेहा बताओ इन्हे देख के कौन कहेगा के ये बड़े हो गए है

मीनाक्षी- वही तो.. मुझे तो लगने लगा है नेहा के ऑलरेडी 3 बच्चे है जब खुद का होगा तो संभालने मे दिक्कत ही नहीं होगी

मीनाक्षी ने मुस्कुराकर कर कहा और नेहा बस उन्हे देखने लगी, बच्चों की बात आते ही नेहा के गाल लाल हो गए थे जिन्हे देख जानकी और मीनाक्षी मुस्कुरा रही थी

रिद्धि- क्या हुआ मा आप लोग क्या बाते कर रहे हो

रिद्धि ने उन दोनों को आपस मे मुसकुराते देखा तो पूछा जिससे बाकी दोनों का ध्यान भी उस ओर गया, जानकी ने एक बार नेहा को देखा और फिर मीनाक्षी को फिर बोली

जानकी- उनहू कुछ नहीं हमारी बात है तुम मत ध्यान दो।

जिसके बाद जानकी और भावना वहा से चली गई और नेहा वही खड़ी रही और उनके जाने के बाद शेखर ने नेहा से पूछा

शेखर- भाभी क्या हुआ?

नेहा- न.. नहीं कुछ नही तुम लोग बाहर चलो मैं अभी आयी

वो सब लोग किचन से चले गए और जब नेहा बाहर जाने के लिए मुड़ी तो वो वही जम गई किचन के दरवाजे पे राघव खड़ा था जो अब नेहा से आंखे नहीं मिला रहा था

ये यहा क्या कर रहे है? और इनके गाल क्यू लाल हो रखे है.. कही इन्होंने चाची की बच्चे वाली बात तो नहीं सुन ली? नहीं नेहा उन्होंने नहीं सुना होगा.. वो कैसे सुन सकते है’ नेहा ने मन ही मन सोचा और वहा से चली गई वही राघव भी धीमे से कुछ पुटपुटाया और डायनिंग टेबल पर आकार बैठ गया

नेहा ने पहले राघव को सर्व किया और फिर खुद की प्लेट मे नाश्ता लिया वही बाकी सब भी अपना नाश्ता शुरू कर चुके थे

धनंजय- तो शेखर कब जा रहे हो श्वेता को लाने

शेखर- बस डैड अभी नाश्ता करके जाने वाला हु उसके बाद ऑफिस आऊँगा

शेखर की बात पर धनंजय ने हा मे गर्दन हिला दी

शिवशंकर- और ऑफिस से आने के बाद शाम मे श्वेता को लेकर मेरे रूम मे आ जाना, उसका पहली रसोई का तोहफा बाकी है वो उसे मैं और गायत्री शाम मे ही देंगे

शेखर- जी दादू

जिसके बाद सबने आराम से बात चित करते हुए नाश्ता किया और नाश्ता खतम होने के बाद राघव अपनी जगह से उठा और अपना जरूरी सामान लेकर ऑफिस जाने के लिए निकलने लगा और उसे जाते देख नेहा भी अपनी जगह से उठी और जल्दी से किचन मे चली गई

नेहा किचन से आयी तो उसके हाथ मे लंच बॉक्स था और वो राघव को वो देने उसके पीछे पीछे चली गई

नेहा- रुकिए!

नेहा ने राघव को रोकते हुए कहा, वो दोनों राघव की कार तक पहुचे गए थे और नेहा की आवाज सुन राघव रुक तो गया था लेकिन पलटा नहीं।

नेहा- वो.. आपका लंच बॉक्स

राघव- नहीं चाहिए मुझे

राघव ने रुडली कहा और बस कार का दरवाजा खोलने ही वाला था के नेहा ने उसे वापिस रोका

नेहा- रोज रोज बाहर का खाना अच्छा नहीं होता।

राघव- मैंने क्या खाना है क्या नहीं ये तुम तय नही करोगी मैं देख लूँगा मुझे क्या करना है इसे वापिस अंदर ले जाओ या फेक दो मुझे फरक नहीं पड़ता

राघव ने नेहा की तरफ मुड़ते हुए हार्शली कहा

नेहा- प्लीज!

नेहा ने राघव को समझाने की कोशिश की लेकिन वो वापिस कार की ओर मूड गया मानो उसने नेहा की आवाज ही ना सुनी हो

नेहा- आप मुझसे नाराज है तो रहिए लेकिन ऐसे खाने पर गुस्सा तो मत निकालिए

नेहा का आवाज भारी होने लगा था

राघव- क्यू? क्यू मानू मैं तुम्हारी बात कल जब मैं कुछ कह रहा था तब तुमने सुना था

नेहा- हा लेकिन आप सोफ़े पर सही से नहीं सो पाते और...

राघव- और?? और क्या नेहा

राघव ने एकदम से नेहा के करीब आते हुए पूछा, राघव और नेहा एकदूसरे के एकदम करीब थे इतना के दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी और राघव इंटेंसली नेहा की आँखों मे देखते हुए बोला जिससे नेहा थोड़ा कसमसाई, वो राघव से आंखे नहीं मिला रही थी

मेरे पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था, और मेरा बेड पे सोकर बेड शेयर करना आपको पसंद नहीं आता’

नेहा ने नीचे मुंडी करके सोचा वही

मुझे नहीं पता था तुम मेरे साथ एक बेड भी शेयर नहीं कर सकती’

ये खयाल राघव के मन मे आया

वहा खड़े खड़े नेहा की आंखे पनिया ने लगी थी जिन्हे राघव ने देख लिया और वो मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाया और झटके के साथ नेहा के हाथ से टिफ़िन बॉक्स ले लिया और कार लेकर ऑफिस के लिए निकल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

नेहा ने अपनी आँख से गिरती उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और लंबी सास छोड़ी और अपने चेहरे पर एक झूठी मुस्कान लिए घर मे जाने के लिए मुड़ी ही थी के अपने सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौकी

नेहा- श.. शेखर.. तुम कब आए?

नेहा ने थोड़ा अचकते हुए पूछा, उसे डर था के शेखर ने उनकी बाते न सुन ली हो

शेखर- बस अभी अभी आया भाभी जब भाई की कार निकल रही थी क्यू? कुछ हुआ है क्या? मैंने जल्दी आना था?

शेखर ने अपनी हमेशा वाली टोन मे नेहा से पूछा

नेहा- नहीं कुछ नहीं वो तो बस ऐसे ही पुछ लिया तो जा रहे हो श्वेता को लेने?

जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- हा तो फिर जल्दी जाओ और मेरी देवरानी को लेकर आओ मैं मिस कर रही हु उसे

शेखर- बस अभी लाया, बाय भाभी आता हु जल्दी

जिसके बाद शेखर भी वहा से निकल गया और नेहा घर के अंदर आयी
--x--x--

श्वेता- क्या हुआ शेरी(शेखर) तुम जब से आए हो कही खोए से लग रहे हो कुछ हुआ है क्या?

श्वेता ने जब शेखर को किसी गहन सोच मे डूबा देखा तो कार मे उससे पुछ लिया, वो लोग घर आने के लिए निकल चुके थे

शेखर- तुम सही थी श्वेता।

श्वेता- क्या हुआ है शेरी, तुम मुझे अब डरा रहे हो एक काम करो पहले गाड़ी साइड मे रोको और मुझे पूरी बात बताओ

शेखर मे अपनी गाड़ी एक साइड रोकी और श्वेता को देखा

श्वेता- क्या हुआ है बेबी

श्वेता ने शेखर का चेहरा अपने दोनों हाथों से थामते हुए पूछा

शेखर - तुम सही थी कुछ तो गलत है!

श्वेता- क्या गलत है? पूरी बात बताओ।

श्वेता- भाई भाभी, श्वेता दोनों के बीच कुछ तो गलत है

श्वेता – और तुम्हें भला ऐसा क्यू लगता है, हा, तुम्ही ने तो कहा था मुझसे के सब नॉर्मल है फिर अब अचानक क्या हुआ?

शेखर- जब मैं तुम्हें लेने के लिए घर ने निकल रहा था तब मैंने भाई भाभी की बाते सुनी थी वो किसी नॉर्मल कपल की तरह नहीं है, भाभी कुछ तो सोफ़े पर सोने के बारे मे बात कर रही थी

शेखर ने कुछ उदासी भरे स्वर मे कहा और फिर उसने पूरी बात श्वेता को बताई

श्वेता- हम इतनी जल्दी किसी भी नतीजे पर नहीं पहुच सकते बेबी, हो सकता है उनकी लड़ाई हुई हो

शेखर- ना! उनकी बातचित से तो ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था के लड़ाई हुई होगी ये कुछ तो और है लेकिन मैं बता नहीं पा रहा हु

श्वेता- तो फिर अब हमे क्या करना है

शेखर- दादू से बात करके देखते है उन्हे जरूर कुछ पता होगा , उन्होंने ही भाई को भाभी से शादी के लिए मनाया था और अगर भाई इससे खुश नहीं थे तो दादू जरूर जानते होंगे एक काम करते है शाम मे मेरे ऑफिस से आने के बाद दादू से इस बारे मे बात करके देखते है

शेखर की बात सुन श्वेता ने भी हा मे गर्दन हिला दी और वो लोग घर आने के लिए निकल गए।

तो क्या लगता है दादू बताएंगे इन्हे पूरी बात?

क्या राघव और नेहा को पास लाने मे शेखर और श्वेता कोई रोल निभाएंगे?

देखते है....

क्रमश:
Itni akad yeh sab tow pehle sochna tha apna dimag lagane k bajaye dada ke kehne per apna rishta nibha rehe ho khud ka dimag kaha h
Shekher or Shweta ko nibhana hi chahiye rol in Longo paas Lene k liye
Badhiya shaandar update bhai
 
Last edited:

Naik

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Update 15



शाम मे...

शेखर ऑफिस से वापिस आ चुका था और इस वक्त शेखर और श्वेता दादू दादी के रूम के बाहर खड़े थे और शेखर ने दरवाजा खटखटाकर अंदर आने की पर्मिशन मांगी और जब दादू ने उन्हे अंदर आने कहा तो वो अंदर गए तो देखा के दादू दादी अपने बेड पर बैठे थे

शेखर- दादू आपने बुलाया था हमे

गायत्री- हा! आओ पहले बैठो

दादी के कहते ही शेखर और श्वेता उनके सामने की बेड पर जाकर बैठ गए।

गायत्री- श्वेता तुम्हारे पगफेरे के गिफ्ट के लिए मैं चाहती हु के तुम लोग कही घूमने के लिए कोई जगह चुन कर मुझे बताओ हम तुम्हारी आने जाने और रहने की टिकट्स करवा देंगे

श्वेता- थैंक यू दादीजी- दादाजी पर हम दोनों अभी कही नहीं जाना चाहते

श्वेता ने बहुत नम्रता से कहा ताकि दादू दादी को बुरा ना लगे

शिवशंकर- क्यू?

शेखर - दादू अभी कुछ दिन ही हुए है हमारी शादी को इसीलिए हम अभी कही नहीं जाना चाहते हा लेकिन जब भी कही घूमने जाने का होगा हम आपको बात देंगे

गायत्री- ठीक है जैसा तुम दोनों को ठीक लगे

जिसके बाद दादी बेड से उठी और अपनी अलमारी से कोई चीज निकाली

गायत्री- श्वेता यह लो, ये कंगन मेरी सासुमा के है उन्होंने मुझे दिए थे और अब ये तुम्हारे है

दादी ने श्वेता को कंगन पकड़ाते हुए कहा

श्वेता- पर दादीजी ये मैं कैसे ले लू ये तो मा या बड़ीमा को मिलने चाहिए ना

गायत्री – उन्हे जो मिलना चाहिए था वो मैंने उन्हे दे दिया है और ये कंगन मैंने मेरे पोते की बहु के लिए रखे थे

श्वेता- फिर तो इनपे नेहा भाभी का हक बनता है वो बड़ी है मुझसे

श्वेता की बात सुन गायत्री मुस्कुरा दी जिससे श्वेता थोड़ा शॉक हो गई क्युकी उसने अपनी दादी सास को मुसकुराते हुए देखा ही नहीं था

(राघव पे इन्ही का असर है वो भी हसना नहीं जानता 🤦🏻‍♂️)


गायत्री- ऐसे मत देखो, मैं कम स्माइल करती हु इसका ये मतलब नहीं के मैं मुस्कुरा नहीं सकती, मैंने नेहा के लिए कुछ और रखा है जो उसे सही समय आने पर दूँगी ये कंगन तुम्हारे है शेखर की पत्नी के इसीलिए इन्हें ले लो।

श्वेता ने शेखर क देखा तो उसने हा मे गर्दन हिला दी तो श्वेत ने वो कंगन ले लिए और दादू और दादी का आशीर्वाद भी

गायत्री- मैं मंदिर बंद करने जा रही हु बस अभी आती हु

दादी ने दादू को देखते हुए कहा और वहा से चली गई और दादी के वहा से जाते ही शेखर ने दादू की ओर रुख किया

शेखर- दादू.. वो हमे आपसे कुछ बात करनी थी

शेखर ने संकोच के साथ कहा, वो श्योर नहीं था के वो बात पूछे या नहीं

शिवशंकर- हा बेटा पूछो

शेखर- उम्म.. दादू वो जब आपने भाई की शादी तय की थी तब.. मतलब... भाई खुश..

शेखर की बात पूरी हुई भी नहीं थी के दादू ने उसे बीच मे रोक दिया

शिवशंकर- तो तुमने वो बात नोटिस कर ली

जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी

शिवशंकर- मुझे बाते घुमानी नहीं आती बच्चे और मुझे लगता है अब तुम इतने बड़े तो हो चुके हो के अपने आसपास क्या चल रहा है उसे समझ सको और वैसे भी ये तो किसी दिन होना ही था

श्वेता- मतलब, मैं समझी नहीं दादू

शिवशंकर- मैं ये कहना चाहता हु के हा तुम्हारा अंदाज सही है, उन दोनों के बीच सब सही नहीं है

दादू के इस तरह सीरीअस होकर बात बताने से शेखर और श्वेता भी शॉक हो गए

शेखर- फिर हमे इन सब महीनों मे इस बारे मे पता कैसे नहीं चला

शिवशंकर- तुमने ये बात नोटिस नहीं की शेखर के तुम्हारा भाई घर के दूर भाग रहा है, उन दोनों की अरेंज मेरिज हुई है, ये मेरा डिसीजन था और सच कहू तो मुझे अपने डिसीजन पर कोई पछतावा नहीं है, राघव शादी के खयाल से खुश नहीं था लेकिन मैंने उसे मनाया था इस शादी के लिए

शेखर- आप ऐसा कैसे कर सकते है दादू? आप जानते है वो दोनों खुश नहीं है फिर आपने उनकी खुशिया क्यू छीनी

शिवशंकर- कौन कहता है वो खुश नहीं है?

दादू के सवाल ने दोनों को चौका दिया

शिवशंकर- तुम्हें कभी ऐसा लगा के वो दोनों एकदूसरे के साथ खुश नहीं है? हम किसी के साथ खुश है या नहीं ये तो हम तब ही जान पाएंगे जब हम उस इंसान के साथ रहेंगे और यहा इन दोनों के बीच सबसे बड़ी समस्या ही ये है, वो दोनों एकदूसरे के लिए अनजान है और एकदूसरे को जानने की समझने की कोशिश भी नहीं कर रहे, राघव को लगता है इस शादी ने उसकी फ्रीडम छीन ली है, वो उस टाइम शादी नहीं करना चाहता था लेकिन अब तुम मुझे एक बात सोचकर बताओ शेखर के क्या तुम्हें नेहा से अच्छी भाभी मिल सकती थी? हमे उससे बेहतर बहु मिल सकती थी?

दादू के सवाल पर शेखर ने ना मे सिर हिला दिया

शेखर- लेकिन दादू भाई का क्या वो...

शिवशंकर- राघव माने या ना माने पर वो अनजाने मे ही नेहा पर डिपेन्डन्ट है, अगर वो दोनों कोशिश करे तो अपने रिश्ते को सवार सकते है लेकिन राघव के लिए परफेक्ट हज़बन्ड यानि बस अपनी जिम्मेदारी निभाना है लेकिन मैं जानता हु के नेहा कभी ये नहीं चाहेगी के वो किसी की जिम्मेदारी बनके रहे, राघव की लाइफ काफी उलझी हुई है शेखर वो किसी के कहता नहीं है लेकिन मुझे यकीन है के उसकी जिंदगी सिर्फ नेहा सवार सकती है, वो दोनों एकदूसरे के लिए एकदम परफेक्ट बस दोनों ही इस बात को समझ नहीं पा रहे है, मैंने दोनों को एकदूसरे की केयर करते देखा है, रमाकांत ने मुझे ऑफिस वाला वाकया बताया था जिसे राघव चाहता तो इग्नोर कर सकता था लेकिन वो वहा नेहा के लिए गया, उन्हे बस एकदूसरे के साथ टाइम बिताना है और देखना समय सब सही कर देगा

दादू की बाते शेखर और श्वेता गौर से सुन रहे थे तभी उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया देखा तो दादी वापिस आ रही थी

गायत्री- अरे तुम लोग अब भी यही हो?

शेखर- हा वो बस जा ही रहे थे, गुड नाइट दादू गुड नाइट दादी

जिसके बाद शेखर श्वेता के साथ वहा से निकल गया और दादी सवालिया नजरों से दादू को देखने लगी

गायत्री- क्या बता रहे थे आप इन दोनों को

शिवशंकर- कुछ नहीं बस सुखी जीवन जीने के तरीके बात रहा था

दादू ने मुस्कुरा कर कहा और दादी ने अपनी गर्दन झटक दी, वो अच्छे से जानती थी के दादू झूठ बोल रहे है लेकिन उन्होंने आगे नहीं पूछा क्युकी उन्हे ये भी पता था के दादू उन्हे कुछ नहीं बताएंगे

--x--x--

श्वेता- तुम अब भी भाई और भाभी के बारे मे सोच रहे हो ना शेरी?

शेखर- हम्म... तुमको क्या लगता है श्वेता, देखो भाई ना हमेशा से मेरा मेन्टर रहा है मेरा सबसे अच्छा दोस्त भी वही है जिससे मैं सब कुछ शेयर कर सकता हु इसीलिए भाई के लिए बुरा भी लग रहा है के उन्हे उनके पसंद की लड़की से शादी करने नहीं मिली लेकिन इन पाँच महीनों मे भाभी के साथ भी मेरा बॉन्ड भाई जितना ही मजबूत बन गया है, मैंने उनकी आँखों मे हमारे परिवार के लिए प्यार और रीस्पेक्ट देखा है, वो हमेशा भाई की गलतियों पर उनकी एब्सेंस पर पर्दा डालती रही है जैसे उन दोनों के बीच सब सही है कुछ हुआ ही ना हो, इसमे कोई दोराय नहीं है के भाभी ही भाई के लिए सही है लेकिन क्या भाई भाभी के लिए परफेक्ट है.. भाभी की भी तो कुछ इच्छाये होंगी, मुझे ना उन दोनों के लिए बुरा लग रहा है दोनों साथ मे खुश नहीं है

शेखर को सही मे इस सच से तकलीफ हो रही थी, उसके दो सबसे करीबी लोगों की जिंदगिया उलझी हुई थी

श्वेता- शेरी, बेबी लेकिन दादाजी भी तो सही कह रहे थे ना, ये मामला उन दोनों को ही संभालना होगा बगैर कोशिश किए सब सही कैसे होगा, जब तक वो दोनों ही कोशिश नहीं करेंगे तो हम भी क्या कर सकते है

शेखर- हम्म सही है, पता है श्वेता वो दोनों एकदूसरे के लिए परफेक्ट है बस इस बात को जान नहीं पा रहे और इसके लिए उन्हे साथ रहना होगा बात करनी होगी और ये है के एकदूसरे से दूर भागते रहते है

श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

शेखर- क्या है जल्दी बताओ?

तो क्या होगा अब श्वेता का आइडिया क्या ये दोनों उन दोनों को पास ला पाएंगे?

क्रमश:
Shekher or Shweta n baat kerli apne Dadi se yeh tow tey h dono ek doosre ko time Dena padega or khaas ker Raghav ko kyonki Neha tow time de hi Rahi h sabse achcha rehta dono Kahi ghoomne chale jaye woh bhi 1 2 maheeno ko liye h tab shayad baat ban jaye
Baherhal dekhte h Shweta kia plan banati h
Badhiya update bhai
 
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Naik

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Update 16



श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

अब आगे...

अगले दिन

नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..

नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी

श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।

श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी

नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो

श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम

तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा

जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई

श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए

श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।

नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई

श्वेता- बेब....

बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला

आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..

इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा

शेखर- हैलो हनी..

लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया


श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है

जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली

शेखर- हा हा चलो

--x--x--

राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।

राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।

नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।

डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा

शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?

शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा

राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..

श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए

इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था

राघव - तुम अकेली आयी हो?

श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?

राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया

शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे

शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए

राघव- क्यू?

शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा

राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।

राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा

शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?

शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया

राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ

राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा

श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी

श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा

राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?

श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है

शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?

शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो

राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??

राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया

राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?

राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए

ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया

शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई

शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- अब लंच कर ले

वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली

श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?

श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।

राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था

श्वेता- भाभी!

नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?

नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली

शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l

शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो

नेहा- नहीं!

श्वेता- नहीं मतलब ?

नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....

नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी

नेहा- लंच कर ले?

नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।

श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।

नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर

शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से

राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है

राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।

यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी

श्वेता- भाभी क्या हुआ ?

श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी

शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?

लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी

श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।

इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई

शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...

लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।

शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...

राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे

राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...

अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..



क्रमश:
Kerne chale bhalayi apne bhai ke liye lekin bhai sahab tow bhai sahab h itni jaldi kaha samajhne wale
Baherhal ab dekhte h yeh Vishal sahab kia apne dimag se koyi Vishal idea nikalker Raghav k dimag dalte h
Badhiya update bhai
 

Yasasvi1

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Affice romance :blush1: ye dono sahi ja Rahe the :haha: sab kharab kar ho gaya :verysad:

Sabhi ke apne kuch armaan hote hai or Kab tak khud ko samate rakh sakte hai aap bas Neha ke saath yahi hua :approve: siway aise insaan ke jo emotion less ho :D parwaah to hai wo to dikhta hai bas thoda express karne ki jarurat hai..


Shekhar jaanta hai atit me Raghav ke saath aisa kya hua jiski wajah se wah aisa ban gaya hai ye jaana dilchasp honga :approve: vishal ye konsa dost hai or ye achanak se kaha se tapak pada :?:
Waiting for the next update
 

dhparikh

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Update 16



श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

अब आगे...

अगले दिन

नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..

नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी

श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।

श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी

नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो

श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम

तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा

जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई

श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए

श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।

नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई

श्वेता- बेब....

बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला

आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..

इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा

शेखर- हैलो हनी..

लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया


श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है

जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली

शेखर- हा हा चलो

--x--x--

राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।

राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।

नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।

डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा

शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?

शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा

राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..

श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए

इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था

राघव - तुम अकेली आयी हो?

श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?

राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया

शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे

शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए

राघव- क्यू?

शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा

राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।

राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा

शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?

शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया

राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ

राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा

श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी

श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा

राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?

श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है

शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?

शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो

राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??

राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया

राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?

राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए

ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया

शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई

शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- अब लंच कर ले

वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली

श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?

श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।

राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था

श्वेता- भाभी!

नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?

नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली

शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l

शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो

नेहा- नहीं!

श्वेता- नहीं मतलब ?

नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....

नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी

नेहा- लंच कर ले?

नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।

श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।

नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर

शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से

राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है

राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।

यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी

श्वेता- भाभी क्या हुआ ?

श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी

शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?

लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी

श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।

इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई

शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...

लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।

शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...

राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे

राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...

अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..



क्रमश:
Nice update....
 
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