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Romance In Love.. With You... (Completed)

Adirshi

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Bhai bilkul sahi kaha isliya maine pahle maine kuch story likh kar naam banaya ab Romantic waali shuru krunga.... wo bhi tadke ke sath... verna public bhaag jati hai bina read kiya:verysad:
Mast likhne ka apun review karega :goteam:
Bas tag kar dena meko :shy:
 

Adirshi

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आदि भाई , आपने इन दो अपडेट के माध्यम से हमे भ्रमित करने का प्रयास किया और राघव को एक दयनीय मानुष , हालात का मारा हुआ , बेचारा , प्रेम मे धोखा खाया और भी न जाने क्या क्या दिखाने का प्रयास कर दिया।
Aise plan sabko bata do ge bhai to kaise chalega :runaway:
राघव कोई अनपढ़ या गंवार इंसान नही था । यह आप उसके सक्सेसफुल इंडस्ट्रियलिस्ट से समझ सकते है। उसके बात विचार से समझ सकते है।
स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि किसी लड़की के बेवफाई का शिकार हुआ था वो। लेकिन उस लड़की की बेवफाई और गलती का खामियाज़ा कोई अन्य लड़की क्यों भुगते !
और राघव के जो विचार थे कि शादी-ब्याह मर्दों के लिए एक वर्डन और फ्रीडम की बाधा है , उसका क्या ?
Sab clear karunga bhai bas samay aane do
मुझे नही पता कि नेहा ने उसके बारे मे ऐसा क्या सुन लिया कि वो अपने हसबैंड से सहानुभूति रखने लगी है पर राघव के इस कृत्य का मै कभी सपोर्ट नही कर सकता।
Wo to uske bare me sun ke decide karna bhai abhi to ho ho raha uske majo lo :D
मुझे बेसब्री से इंतजार है उसके उन पांच महीनों का हिसाब-किताब और उसके एक लड़की के हुस्न के गिरफ्त मे पड़ अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ सौतेलिया व्यहवार करने का कारण।
Sare jawab milenge bas sahi samay par
आप का पीछा इस बार तो अपन नही छोड़ने वाला ! :hehe: :D
Aah yeah tab to maja ayega :yes2:
अपडेट आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग
एंड जगमग जगमग Adirshi भाई।
Bahut bahut shukriya bhai :thanx:
 

Adirshi

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Update 19




इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे, राघव अब भी अपने ऑफिस मे बैठा था और अपने और नेहा के बारे मे सोच रहा था, विशाल से हुई बातचित उसके दिमाग मे घूम रही थी और अब वो भी इस रिश्ते के भागते हुए थक गया था, दादू ने उसे कहा था 8 बजे घर आने लेकिन वो अब भी ऑफिस मे ही था क्युकी जिसके लिए उसे घर जल्दी जाना था वो ही उससे नाराज थी।

राघव ने एक लंबी सास छोड़ी और घर जाने के लिए निकला,

कुछ समय बाद जब राघव घर पहुचा और अंदर आया तो पूरे घर मे शांति छाई हुई थी, राघव ने इधर उधर नजरे घुमाई मानो किसी को ढूंढ रहा हो लेकिन वहा था ही कौन..

राघव अपने कमरे मे जाने के लिए सीढ़िया चढ़ने ही वाला था के उसे चूड़ियों का आवाज सुनाई दि जिससे राघव रुक गया और उसने मूड कर देखा तो वहा नेहा खड़ी थी जो उसकी तरफ मुस्कुराकर देख रही थी और नेहा को अपनी तरफ ऐसा मुसकुराता देख राघव थोड़ा चौका, वो कन्फ्यूज़ था के इसको अचानक क्या हुआ

राघव को समझ नहीं आ रहा था के ये तो घर रोते हुए आयी थी और वो इतना गधा भी नहीं था के नेहा के रोने का रीज़न ना जानता हो फिर अब ऐसे एकदम क्या हो गया जो उसका मूड चेंज हो गया? राघव को नेहा का बर्ताव समझ नहीं आ रहा था, एक पल को उसे लगा के कही उसे नशा तो नहीं हो गया लेकिन वो अच्छे खासे होश मे था और तभी नेहा बोली

नेहा- जाइए जाकर कपड़े बदल लीजिए मैं खाना गरम करती हु

राघव- मुझे भूख नहीं है

(कुछ नहीं हो सकता इसका bc 🤦🏻‍♂️ अभी अभी ऑफिस मे सब सही करने का सोच रहा था और चार आते ही सारी बाते हवा कर दी :sigh: )

नेहा ने बड़े प्यार से कहा था लेकिन राघव ने मना कर दिया लेकिन भूख तो उसे भी लगि थी बस वो नेहा से दोपहर की हरकत के बाद नजरे नहीं मिलाना चाहता था वही नेहा मुस्कुराई और फिर प्यार से बोली

नेहा- जाइए न, कभी तो मेरी सुन लिया कीजिए

नेहा ऐसे बात कर रही थी जैसे वो दोनों कोई नॉर्मल कपल हो लेकिन वो वैसे नहीं थे और यही बात राघव को कन्फ्यूज़ करे हुए थी उसके नेहा के ऐसे बदले बदने मिजाज समझ नहीं आ रहे थे लेकिन राघव कुछ नहीं बोला और नेहा की बात मान कर वो फ्रेश होकर वापिस आया तो उसने देखा के नेहा उन दोनों की खाने की प्लेट्स लगा रही थी

राघव जाकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया बगैर कुछ बोले एकदम चुप चाप जिसके बाद नेहा ने उसे खाना परोसा और फिर खुद की प्लेट मे खाना लिया जिसे देख राघव ने पूछा

राघव- तुमने खाना नहीं खाया अभी तक?

नेहा- मैं आपकी राह देख रही थी

नेहा ने राघव से कहा और खाना शुरू कीया

राघव- दोपहर मे तो तुम बड़ी नाराज थी फिर अब क्या हुआ?

नेहा- कुछ नहीं बस मेरा मूड ठीक हो गया अब आप खाना खाइए खाना ठंडा हो रहा है वो बाते बाद मे हो जाएंगी

जिसके बाद दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोला दोनों ने चुप चाप खाना खाया

खाना होने के बाद नेहा दोनों की प्लेट्स लेकर किचन मे चली गई और जब वो वापिस आयी तो उसने कुछ ऐसा देखा जो नॉर्मल नहीं था, राघव वहा उसकी राह देखते खड़ा था और ये नेहा को कैसे पता चल के वो उसकी राह देख रहा है? तो भाईसहब ने अपना फोन उल्टा पकड़ा हुआ था और बता रहा था के उसका ध्यान फोन मे है, नेहा उसे देख मुस्कुराई और उसके पास गई

नेहा- चले..!

राघव- हह.. हा वो मैं तुम्हारी राह नहीं देख रहा था वो तो मैं फोन मे थोड़ा काम देख रहा था

राघव ने बहाना बनाने की कोशिश की जिसपर नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने राघव का फोन सीधा करके उसके हाथ मे पकड़ाया जिससे राघव थोड़ा शर्मिंदा हुआ, वो पकड़ा जा चुका था और उसके बाद नेहा ने कुछ ऐसा किया जिससे राघव और भी सप्राइज़ हुआ

उसने राघव का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अपने रूम की ओर बढ़ गई और राघव बस आंखे फाड़े उसे देखता रहा

(भाईसहब एकदम से इतने चेंजेस :shocking: )

रूम मे आने के बाद राघव ने झट से अपना हाथ नेहा के हाथ से छुड़ाया और बेड की ओर बढ़ गया और बेड पर जाकर सो गया

राघव सोने की कोशिश कर ही रहा था के उसे अपने बाजू मे कुछ हलचल सी होती महसूस हुई, उसने मूड कर देखा तो पाया के नेहा उसके बाजू मे लेट रही है और वो भी सेम रजाई मे

राघव- ये सब क्या है अब?

नेहा- क्या मतलब? रात है और नॉर्मल लोग सोते है रात मे

राघव- तुम तो मेरे साथ बेड शेयर करने मे कंफर्टेबल नहीं थी ना फिर अब क्या हुआ?

नेहा- मैंने ऐसा कब कहा था मुझे तो लगा था के आपको ये पसंद नहीं आएगा पर अब मैं सोफ़े पे नहीं सोने वाली मैं यही सोऊँगी जहा एक पत्नी को होना चाहिए।

नेहा ने बोलते बोलते राघव को आँख मार दी नतिजन राघव की आंखे बड़ी हो गई और उसने नजरे घुमा ली और दोनों के बीच सेफ डिस्टन्स बनाया और मूड गया

कुछ सेकंद बाद उसे उसकी कमर पर एक हाथ फ़ील हुआ और उस टच से राघव सिहर उठा वो नेहा की छाती को अपनी पीठ पर महसूस कर सकता था

राघव- क.... क्या क...कर र... रही हो त... तुम ?

राघव नर्वस नेस मे हकलाया, ये सब नया था उसके लिए

नेहा- मैं तो बस अपने पति को गले लगा रही हु, क्या मैं ऐसा नहीं कर सकती? अब आप इसकी आदत डाल लीजिए क्युकी मुझे हक है अब सो जाइए अब मुझे नींद आ रही है

जिसके साथ ही नेहा ने अपनी पकड़ कस ली वही राघव का हाथ तकिये पर कस गया और उसकी धड़कने बढ़ने लगी पर वो कुछ बोला नही एक तो वो नेहा के साथ बहस नहीं करना चाहता था ऊपर से उसे भी ये सब अच्छा लग रहा था

नेहा- शादी के बाद अपनी ही पति से दोस्ती करने वाले कन्सेप्ट पर मुझे भरोसा नहीं है, मैं पत्नी हु आपकी और हमे वैसे ही रहना चाहिए हमे एकदूसरे पर पूरा हक है,

नेहा ने जो उसके मन मे था कह दिया, धड़कने इस वक्त दोनों की बढ़ी हुई थी और नेहा भी जानती थी जैसे वो राघव की बढ़ी धड़कनों को महसूस कर रही थी वैसे ही राघव को भी महसूस हो रहा होगा पर अब उसे उसकी परवाह नहीं थी लेकिन नेहा की इस लाइन ने राघव के दिमाग के तार हिला दिए थे वो समझ नहीं पा रहा था के ये दोस्ती वाली बात इसको कैसे पता चली वो तो यही प्लान किया था के पहले दोस्ती से शुरुवात करेंगे और यहा उसके बगैर बोले ही नेहा के उसका प्लान फ्लॉप कर दिया था

राघव- तो तुम्हारा मतलब है के दोस्त बनने का कोई मतलब नहीं?

नेहा- नहीं ऐसा नहीं है मतलब हम एकदूसरे के साथ रहकर खुले दिल से बाते कर सकते है एकदूसरे के साथ कंफर्टेबल हो सकते है लेकिन ये सब हम पति पत्नी बनकर भी तो कर सकते है न फिर दोस्त बनके क्या हो जाएगा

राघव कुछ नहीं बोला, उसे तो अब भी समझ नहीं आ रहा था के ये सब क्या चल रहा है और ये नेहा अचानक बाकी कपल जैसे बनने का क्यू ट्राइ कर रही है

‘डिअर पतिदेव धीरे धीरे आपको इस नेहा की आदत न डला दी तो नाम बदल लूँगी मैं अपना, मैं आपके साथ रहने के लिए कुछ भी करने को तयार हु और मैं किसी भी हालत मे आपका साथ नहीं छोड़ने वाली, शेखर सही था उन्होंने रोका नहीं मुझे और मैं बेवकूफ बगैर कोशिश किए ही हार मान रही थी, हमने बगैर बात किए की एकदूसरे को ब्लैम किया लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मुझे माफ कर दीजिए मै समझ नहीं पाई आपको लेकिन अब मैं आपका साथ नहीं छोड़ने वाली’

नेहा ने मन ही मन सोचा और नींद के आग़ोश मे समा गई वही

इसको अचानक क्या हुआ और ये इसको दोस्ती वाली बात कैसे पता चली? काही ये मेरा मन तो नहीं ना पढ़ने लगी? लेकिन जो भी हो अच्छा लग रहा है, मैं भी इस रिश्ते को निभाने की पूरी कोशिश करूंगा नेहा’

राघव ने मन मे सोच और वो भी सो गया अगली सुबह के इंतजार मे नई शुरुवात की राह मे....

क्रमश:
 
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