zaidsnow78
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Bhot accha likh rhe ho bhai Man krta h pdhte jao waiting
Abhi jinda hun bhaiAche aadmi the tum
Nice update broBhot hi saandar or jaberdust lajawab update per...meko halka sa ye feel hua ki updates thode chote hote ja rahe he?..ager ye daily update dene ki wajh se h to koi na...and ha waiting for the next
Yaabeautiful and wonderful update aur aap har update mai suspense bhi rakhate ho jo ki reader ka agle update ko read karne ke liye motivate karta hai
Nice and superb update...Update 18
(नोट - इस भाग में राघव और विशाल की बात चीत के कुछ अंश हो सकता है आपको समझ में ना आए क्युकी वो राघव के पास्ट से जुड़े हुए है जो कि आपको जल्द ही पता चलेगा)
दूसरी तरफ ऑफिस में शेखर के जाते ही विशाल राघव के केबिन में आया और उसने आते साथ ही राघव पर सवालों को बरसात कर दी।
विशाल - ये क्या था भाई कौन गई ये रोते हुए?
(असल में विशाल राघव की शादी में नही था तो वो नेहा को नही जानता था हा इतना जानता था के उसका दोस्त बैच्लर नहीं रहा अब लेकिन उसने नेहा को नहीं देखा था और जब बंदे का खुद का शादी मे कोई इंटेरेस्ट नहीं था तो उसमे विशाल को भी शादी कब हुई कैसे हुए बताया नहीं था जिससे विशाल उससे काफी नाराज भी हुआ था)
राघव - तू वो सब बाते छोड़ और बता आया कब तू?
विशाल - बस सुबह ही आया हु, अपना बिजनेस यहा भारत में मूव कर रहा हु तो उसी काम से आया था और बस सारे काम निपटा कर आ रहा हु रात को वापसी को फ्लाइट है लेकिन तेरी जिंदगी में क्या चल रहा ये क्या रायता फैला लिया भाई केबिन ? और बता शादी के बाद कैसी चल रही जिंदगी? भोसडीके शादी मे तो बुलाया नहीं तूने चल का भी बुलाया तारीख ही बात देता मैं बिन बुलाए ही आ जाता
राघव- फिर वही गाना...
विशाल- भाई जब तक तू दुनिया नहीं छोड़ जाता तब तक सुनना पड़ेगा तुझे ये, बाकी बात क्या चल रहा तेरे जिंदगी मे
राघव - बस ठीक है लेकिन तू बता अचानक इंडिया वापिस आना लंदन से मन भर गया क्या?
और इसके बाद राघव ने जो टॉपिक चेंज किया उसने विशाल को वापिस नेहा वाले मुद्दे पर आने ही नही दिया लेकिन अपने पहुंचते ही अपने दोस्त के केबिन से एक लड़की रोते हुए निकली उसके पीछे उसको रोकने दूसरी लड़की निकली उसके पीछे दोस्त का भाई निकला ये बात विशाल को हजम ही नही हो रही थी और आखिर में बातो बातो में रात हो चुकी थी, वो दोनो अब भी राघव के केबिन में बैठे थे और अब वहा व्हिस्की की बोतल खुल चुकी थी और बातो बातो में विशाल ने राघव से उसके और नेहा के बारे में सारी बाते जान ली थी और जैसे ही उसे पता चला के वो नेहा थी जो रोते हुए गई थी वो तो राघव पर भड़क गया।
विशाल - अबे तू आदमी है के ढक्कन है बे!! साले तेरी बीवी तेरे ऑफिस में तेरे केबिन से रोते हुए गई और तु तब से यहां मेरे साथ बैठा बकैती कर रहा, तू उठ अभी के अभी और पहले भाभी के पास जा
राघव - अरे छोड़ ना भाई ये बात तू इतने दिनो बाद आया है कहा मेरे झलेमे लेके बैठ गया और वैसे भी हम दोनो के बीच ऐसा कुछ नही है और रही बात नेहा की तो ठीक हो जाएगी।
राघव ने बिंदास होकर कहा जैसे कुछ हुआ ही ना हो लेकिन विशाल के बात थोड़ी थोड़ी समझ आ गई थी
विशाल - तू अब भी इस शादी से भाग रहा है ना?
राघव ने विशाल की बात का कोई जवाब नही दिया
विशाल - तू अब भी उसे वाकये नही भुला है, है ना?
राघव जो अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास लिए अब तक चुप था उसने चौक के विशाल को देखा और उसको उसका जवाब मिल गया
विशाल - ब्रो कम ऑन मैन, इतना सब होने के बाद भी अब भी तू उसी में उलझा हुआ है?
राघव अब भी कुछ नही बोला वो बस अपनी जगह से उठा और उसके केबिन में बनी विंडो के सामने जाकर खड़ा हो गया जहा से पूरा शहर दिखता था, उसके हाथ में उसने व्हिस्की का ग्लास पकड़ा हुआ था
विशाल - अब कुछ बोलेगा भी या यू ही चुप रहेगा और तूने सोचा है इसका तेरी लाइफ पे क्या असर पड़ेगा, भाई तेरी शादी हो चुकी है ये मत भूल तू और वैसे भी वो समय बीत चुका है वापिस नही आयेगा
राघव - जानता हु, जानता हु के वो समय वापिस नही आयेगा और मैं भी आगे बढ़ना चाहता हु भाई, तुझे क्या लगता है मैने कोशिश नही की लेकिन मुझसे नही हो रहा भाई, जब भी अपने और नेहा के बारे में, हमारे रिश्ते को सुधारने के बारे में सोचता हु दिमाग में वही पुरानी यादें उमड़ आती है और मेरे कदम रुक जाते है।
विशाल - तो फिर क्या तू कभी कोशिश ही नही करेगा? और भाभी का क्या उनका सोचा है? वो दोपहर में यहां से रोते हुए गई है और तु है के तुझे फर्क ही नहीं पड़ा, ऐसे संभालेगा ये नया रिश्ता
राघव - तू भी दादू की तरह बाते मत करने लग बे
विशाल - क्यू ना करू जब मुझे दिख रहा है मेरा दोस्त अपनी जिंदगी को गड्ढे में लेके जा रहा है और मैं उसे रोकू भी ना? राघव तू बिजनेस के मामले में अच्छा होगा लेकिन रिश्तों के मामले में तू बहुत कच्चा है
विशाल बोले जा रहा था और राघव सुन रहा था
राघव - मैं मिला हूं उससे।
राघव का हाथ उसके ग्लास पे कस गया और उसने एक घुट में उसे खाली कर दिया वही विशाल उसकी बात सुन के चुप हो गया
विशाल - कब?
राघव - लंदन में, जब मैं यहां वापिस आ रहा था, मैं चाहता था इस शादी को अपनाना, तुझे याद है हमारी इस बारे में बात भी हुई थी?
( अपनी शादी के दिन राघव दो महीनों के लिए लंदन के लिए निकल गया था तो वो वहा विशाल के पास ही था और ऐसे निकल आने के लिए तब भी विशाल ने उसे बहुत कुछ सुनाया था)
विशाल - वैसे तो तू सब बात बताता है मुझे और ये बता क्यू नही बताई
राघव - छोड़ ना क्या फर्क पड़ता है बस इतना जान के ले वो इंडिया में है अभी
बोलते बोलते राघव को हल्का गुस्सा आ रहा था उसने अपने दात भींच लिए और विशाल उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला
विशाल - राघव मैं जानता हु के तेरा गुस्सा जायज है और होना भी चाहिए, तू तो उससे मिल के शांत है मैं होता तो जान ले लेता उसकी लेकिन भाई ये भी तो सोच के इस सब में भाभी की कहा गलती है, अरे उन्हे तो कुछ पता भी नही है
राघव - जानता हु भाई लेकिन क्या करू, जब तक उससे सारे जवाब ना मांग लू मुझे चैन नहीं आयेगा।
विशाल - देख जिंदगी तेरी है और इसके सारे डिसीजन भी तेरे होने चाहिए लेकिन मैं फिर भी इतना ही कहूंगा के इन सब बातो को कुछ समय के लिए साइड कर दे कही ऐसा ना हो के पास्ट के चक्कर में तू प्रेजेंट गवा बैठे
राघव को भी कही न कही विशाल की बता समझ आ रही थी
विशाल - उससे निपटने के लिए बाद में भी समय मिल जायेगा भाई लेकिन अगर भाभी चली गई तो सोच दादू को, अपने परिवार को क्या कहेगा? और सबसे बड़ी बात अपने आप को क्या जवाब देगा, देख जितना मैं तुझे जानता हु उतना कोई नही जानता इसीलिए मुझे पता है भाभी को तकलीफ देके तुझे भी अच्छा नहीं लगेगा लेकिन जाने अनजाने तू उन्हे बहुत तकलीफ दे चुका है इसीलिए बेहतर यही होगा के तू अब घर जा और जो कुछ हुआ है दोपहर में उसके बारे में भाभी से बात कर और कोशिश कर अपने रिश्ते को संवारने की बाकी रही बात उसकी तो मैं आ रहा ही कुछ ही दिनों में मिल के देखेंगे उसे।
विशाल की बात सुन राघव मुस्कुराया एक यही तो दोस्त था उसका जो उसकी हर बात के उसके साथ था उसे जानने वाला उसे समझने वाला।
राघव - नेहा सबसे अलग है भाई, तुझे पता है जितना मैं दूर जाने की सोचता हु ना उतना हो वो आजकल मुझे अपने पास खींच रही है
विशाल - और तु फिर भी पुरानी बातो को मन में दबाए आने वाली नई खुशियों को रोक रहा है! अच्छा चल ठीक है पति पत्नी ना सही पहले दोस्त तो बनो एकदूसरे के दोस्ती से शुरुवात कर देख के दोस्ती कहा तक जाती है
विशाल की बात राघव को जम गई उसकी बात में प्वाइंट था
राघव - हा यार ये सही कहा तूने, किसी भी चीज की शुरुवात दोस्ती से करना सही है
विशाल - मैने बोला था ना तू बिजनेस में भले ही मास्टर है लेकिन रिश्तों के मामले में गधा है
राघव - तू एक और बार गधा बोल मुझे फिर देख मैं कैसे तेरे दात गायब करता हु
विशाल - जा बे बॉक्सिंग चैंपियन हु मै हाथ भी नही लगा पाएगा तू, अच्छा वो छोड़ मैं निकलता हु अब, मेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है तू बाकी सब कुछ भूल जा अभी और जितना मैने बोला है उतना सोच बाकी बाते मेरे आने के बाद देखेंगे अभी खाली भाभी पे फोकस कर तू चल बाय...
राघव - हम्म्
जिसके बाद विशाल तो वहा से चला गया और राघव वही बैठा विशाल से हुई बातचीत के बारे में सोचने लगा
क्या लगता है कुछ फर्क पड़ेगा इनके रिश्ते में?
क्रमश:
bhai romantic story padhne wale bhi bahut hai lekin iss base par iss forum ki bahut kam story hai jo new ho
bhai aapne ek baat sahi kahi iss forum par 99% reader adult story padhna pasand karte hai
Bahut hi badhiya update diya hai Adirshi bhai....Update 18
(नोट - इस भाग में राघव और विशाल की बात चीत के कुछ अंश हो सकता है आपको समझ में ना आए क्युकी वो राघव के पास्ट से जुड़े हुए है जो कि आपको जल्द ही पता चलेगा)
दूसरी तरफ ऑफिस में शेखर के जाते ही विशाल राघव के केबिन में आया और उसने आते साथ ही राघव पर सवालों को बरसात कर दी।
विशाल - ये क्या था भाई कौन गई ये रोते हुए?
(असल में विशाल राघव की शादी में नही था तो वो नेहा को नही जानता था हा इतना जानता था के उसका दोस्त बैच्लर नहीं रहा अब लेकिन उसने नेहा को नहीं देखा था और जब बंदे का खुद का शादी मे कोई इंटेरेस्ट नहीं था तो उसमे विशाल को भी शादी कब हुई कैसे हुए बताया नहीं था जिससे विशाल उससे काफी नाराज भी हुआ था)
राघव - तू वो सब बाते छोड़ और बता आया कब तू?
विशाल - बस सुबह ही आया हु, अपना बिजनेस यहा भारत में मूव कर रहा हु तो उसी काम से आया था और बस सारे काम निपटा कर आ रहा हु रात को वापसी को फ्लाइट है लेकिन तेरी जिंदगी में क्या चल रहा ये क्या रायता फैला लिया भाई केबिन ? और बता शादी के बाद कैसी चल रही जिंदगी? भोसडीके शादी मे तो बुलाया नहीं तूने चल का भी बुलाया तारीख ही बात देता मैं बिन बुलाए ही आ जाता
राघव- फिर वही गाना...
विशाल- भाई जब तक तू दुनिया नहीं छोड़ जाता तब तक सुनना पड़ेगा तुझे ये, बाकी बात क्या चल रहा तेरे जिंदगी मे
राघव - बस ठीक है लेकिन तू बता अचानक इंडिया वापिस आना लंदन से मन भर गया क्या?
और इसके बाद राघव ने जो टॉपिक चेंज किया उसने विशाल को वापिस नेहा वाले मुद्दे पर आने ही नही दिया लेकिन अपने पहुंचते ही अपने दोस्त के केबिन से एक लड़की रोते हुए निकली उसके पीछे उसको रोकने दूसरी लड़की निकली उसके पीछे दोस्त का भाई निकला ये बात विशाल को हजम ही नही हो रही थी और आखिर में बातो बातो में रात हो चुकी थी, वो दोनो अब भी राघव के केबिन में बैठे थे और अब वहा व्हिस्की की बोतल खुल चुकी थी और बातो बातो में विशाल ने राघव से उसके और नेहा के बारे में सारी बाते जान ली थी और जैसे ही उसे पता चला के वो नेहा थी जो रोते हुए गई थी वो तो राघव पर भड़क गया।
विशाल - अबे तू आदमी है के ढक्कन है बे!! साले तेरी बीवी तेरे ऑफिस में तेरे केबिन से रोते हुए गई और तु तब से यहां मेरे साथ बैठा बकैती कर रहा, तू उठ अभी के अभी और पहले भाभी के पास जा
राघव - अरे छोड़ ना भाई ये बात तू इतने दिनो बाद आया है कहा मेरे झलेमे लेके बैठ गया और वैसे भी हम दोनो के बीच ऐसा कुछ नही है और रही बात नेहा की तो ठीक हो जाएगी।
राघव ने बिंदास होकर कहा जैसे कुछ हुआ ही ना हो लेकिन विशाल के बात थोड़ी थोड़ी समझ आ गई थी
विशाल - तू अब भी इस शादी से भाग रहा है ना?
राघव ने विशाल की बात का कोई जवाब नही दिया
विशाल - तू अब भी उसे वाकये नही भुला है, है ना?
राघव जो अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास लिए अब तक चुप था उसने चौक के विशाल को देखा और उसको उसका जवाब मिल गया
विशाल - ब्रो कम ऑन मैन, इतना सब होने के बाद भी अब भी तू उसी में उलझा हुआ है?
राघव अब भी कुछ नही बोला वो बस अपनी जगह से उठा और उसके केबिन में बनी विंडो के सामने जाकर खड़ा हो गया जहा से पूरा शहर दिखता था, उसके हाथ में उसने व्हिस्की का ग्लास पकड़ा हुआ था
विशाल - अब कुछ बोलेगा भी या यू ही चुप रहेगा और तूने सोचा है इसका तेरी लाइफ पे क्या असर पड़ेगा, भाई तेरी शादी हो चुकी है ये मत भूल तू और वैसे भी वो समय बीत चुका है वापिस नही आयेगा
राघव - जानता हु, जानता हु के वो समय वापिस नही आयेगा और मैं भी आगे बढ़ना चाहता हु भाई, तुझे क्या लगता है मैने कोशिश नही की लेकिन मुझसे नही हो रहा भाई, जब भी अपने और नेहा के बारे में, हमारे रिश्ते को सुधारने के बारे में सोचता हु दिमाग में वही पुरानी यादें उमड़ आती है और मेरे कदम रुक जाते है।
विशाल - तो फिर क्या तू कभी कोशिश ही नही करेगा? और भाभी का क्या उनका सोचा है? वो दोपहर में यहां से रोते हुए गई है और तु है के तुझे फर्क ही नहीं पड़ा, ऐसे संभालेगा ये नया रिश्ता
राघव - तू भी दादू की तरह बाते मत करने लग बे
विशाल - क्यू ना करू जब मुझे दिख रहा है मेरा दोस्त अपनी जिंदगी को गड्ढे में लेके जा रहा है और मैं उसे रोकू भी ना? राघव तू बिजनेस के मामले में अच्छा होगा लेकिन रिश्तों के मामले में तू बहुत कच्चा है
विशाल बोले जा रहा था और राघव सुन रहा था
राघव - मैं मिला हूं उससे।
राघव का हाथ उसके ग्लास पे कस गया और उसने एक घुट में उसे खाली कर दिया वही विशाल उसकी बात सुन के चुप हो गया
विशाल - कब?
राघव - लंदन में, जब मैं यहां वापिस आ रहा था, मैं चाहता था इस शादी को अपनाना, तुझे याद है हमारी इस बारे में बात भी हुई थी?
( अपनी शादी के दिन राघव दो महीनों के लिए लंदन के लिए निकल गया था तो वो वहा विशाल के पास ही था और ऐसे निकल आने के लिए तब भी विशाल ने उसे बहुत कुछ सुनाया था)
विशाल - वैसे तो तू सब बात बताता है मुझे और ये बता क्यू नही बताई
राघव - छोड़ ना क्या फर्क पड़ता है बस इतना जान के ले वो इंडिया में है अभी
बोलते बोलते राघव को हल्का गुस्सा आ रहा था उसने अपने दात भींच लिए और विशाल उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला
विशाल - राघव मैं जानता हु के तेरा गुस्सा जायज है और होना भी चाहिए, तू तो उससे मिल के शांत है मैं होता तो जान ले लेता उसकी लेकिन भाई ये भी तो सोच के इस सब में भाभी की कहा गलती है, अरे उन्हे तो कुछ पता भी नही है
राघव - जानता हु भाई लेकिन क्या करू, जब तक उससे सारे जवाब ना मांग लू मुझे चैन नहीं आयेगा।
विशाल - देख जिंदगी तेरी है और इसके सारे डिसीजन भी तेरे होने चाहिए लेकिन मैं फिर भी इतना ही कहूंगा के इन सब बातो को कुछ समय के लिए साइड कर दे कही ऐसा ना हो के पास्ट के चक्कर में तू प्रेजेंट गवा बैठे
राघव को भी कही न कही विशाल की बता समझ आ रही थी
विशाल - उससे निपटने के लिए बाद में भी समय मिल जायेगा भाई लेकिन अगर भाभी चली गई तो सोच दादू को, अपने परिवार को क्या कहेगा? और सबसे बड़ी बात अपने आप को क्या जवाब देगा, देख जितना मैं तुझे जानता हु उतना कोई नही जानता इसीलिए मुझे पता है भाभी को तकलीफ देके तुझे भी अच्छा नहीं लगेगा लेकिन जाने अनजाने तू उन्हे बहुत तकलीफ दे चुका है इसीलिए बेहतर यही होगा के तू अब घर जा और जो कुछ हुआ है दोपहर में उसके बारे में भाभी से बात कर और कोशिश कर अपने रिश्ते को संवारने की बाकी रही बात उसकी तो मैं आ रहा ही कुछ ही दिनों में मिल के देखेंगे उसे।
विशाल की बात सुन राघव मुस्कुराया एक यही तो दोस्त था उसका जो उसकी हर बात के उसके साथ था उसे जानने वाला उसे समझने वाला।
राघव - नेहा सबसे अलग है भाई, तुझे पता है जितना मैं दूर जाने की सोचता हु ना उतना हो वो आजकल मुझे अपने पास खींच रही है
विशाल - और तु फिर भी पुरानी बातो को मन में दबाए आने वाली नई खुशियों को रोक रहा है! अच्छा चल ठीक है पति पत्नी ना सही पहले दोस्त तो बनो एकदूसरे के दोस्ती से शुरुवात कर देख के दोस्ती कहा तक जाती है
विशाल की बात राघव को जम गई उसकी बात में प्वाइंट था
राघव - हा यार ये सही कहा तूने, किसी भी चीज की शुरुवात दोस्ती से करना सही है
विशाल - मैने बोला था ना तू बिजनेस में भले ही मास्टर है लेकिन रिश्तों के मामले में गधा है
राघव - तू एक और बार गधा बोल मुझे फिर देख मैं कैसे तेरे दात गायब करता हु
विशाल - जा बे बॉक्सिंग चैंपियन हु मै हाथ भी नही लगा पाएगा तू, अच्छा वो छोड़ मैं निकलता हु अब, मेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है तू बाकी सब कुछ भूल जा अभी और जितना मैने बोला है उतना सोच बाकी बाते मेरे आने के बाद देखेंगे अभी खाली भाभी पे फोकस कर तू चल बाय...
राघव - हम्म्
जिसके बाद विशाल तो वहा से चला गया और राघव वही बैठा विशाल से हुई बातचीत के बारे में सोचने लगा
क्या लगता है कुछ फर्क पड़ेगा इनके रिश्ते में?
क्रमश:
Bhut he Shandar update or Neha sahi thi aakhir koi insan kitna apne sathi ke ignorenc ko bardast karega jabke wo aaya he aapke liye ho or aap he usko dekhna tak pasand karte ho bhale paisa ho but har time ye important nhi hota.Update 17
‘अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं है, यार क्या करने चले थे और क्या हो गया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’
शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था.
शेखर - विशाल भाई आप?
विशाल का नाम सुन के राघव अपने केबिन से बाहर आया और शेखर राघव के वहा आता देख बगैर कुछ बोले वहा से निकल गया।
कुछ समय बाद
शेखर- भाभी प्लीज एक बार दरवाजा खोल के बस एक बार हमारी बात तो सुन लिजीए
वो लोग पिछले 10 मिनट से दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन नेहा कोई जवाब नहीं दे रही थी, नेहा ने घर पहुच कर अपने आप को कमरे मे बंद कर लिया था और घर के बाकी लोगों को इसकी खबर भी नहीं थी क्युकी घर मे इस वक्त कोई था ही नहीं
श्वेता- भाभी प्लीज दरवाजा खोलो
शेखर- भाभी सॉरी हम आपको हर्ट नहीं करना चाहते थे हमे नहीं पता था ऐसा कुछ होगा प्लीज दरवाजा खोलो भाभी आगे से ऐसा नहीं होगा
लेकिन जब अंदर से कोई जवाब नहीं आया तब वो लोग थक के चुप हो गए, शेखर और श्वेता वहा से जा ही रहे थे के उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया लेकिन नेहा बाहर नहीं आई
शेखर और श्वेता ने एकदूसरे को देखा और रूम मे चले गए तो उन्होंने देखा के नेहा बेड पर बैठी थी, उसके चेहरे पर अब भी आँसुओ के निशान थे और वो खयालों मे खोई हुई थी
शेखर जाकर नेहा के बाजू मे उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया और श्वेता उसके बाजू मे बेड पर जा बैठी
शेखर- भाभी..
शेखर ने धीमे से कहा
नेहा- मैं क्या इतनी बुरी हु शेखर के तुम्हारे भाई मेरी ओर देखते भी नहीं ?
शेखर- नहीं! आप... आप बेस्ट हो भाभी
नेहा- मैं थक गई हु अब चीज़े छुपाते हुए, हमारे बारे मे सबसे झूठ कहते हुए तुम्हें कुछ नहीं पता है
श्वेता- हम जानते है भाभी दादू से सब बताया है हमे।
श्वेता की बात से नेहा थोड़ी शॉक हुई लेकिन कुछ बोली नही
शेखर- हा भाभी हम सब जानते है और भाई की तरफ से मैं आपसे माफी मांगना चाहता हु
नेहा- तुम लोग क्यू सॉरी कह रहे है तुम्हारी कहा गलती है गलती तो उनकी है, पता है मैं उनसे कुछ नहीं कह पाती हु कोई बात शेयर नहीं कर सकती हु जानते हो क्यू? क्युकी भले ही हम शादी शुदा है लेकिन है अजनबी ही, उन्हे ये समझना चाहिए के मैं पत्नी हु उनकी वो अब एक बैचलर नहीं है ऐसा नहीं है के मैं उनकी फ्रीडम छीनना चाहती हु मुझे बस वो चाहिए, मुझे मेरी जिंदगी मे वो मेरे पति बनकर चाहिए ना की कोई अजनबी, जानते हो उन्होंने दादू से हमारी शादी की रात क्या कहा था.. ‘आपके कहने पर मैंने शादी कर ली और इस घर को बहु दे दी लेकिन मुझे अभी पत्नी नहीं चाहिए इसीलिए मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा’ अरे वो तो पहली ही रात बाहर चले गए थे
नेहा की बात से शेखर और श्वेता दोनों शॉक थे
नेहा- मुझे भी बाकी कपल्स जैसा रहना है लेकिन मैं तो उनसे बात भी नहीं कर सकती क्युकी उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, मैं थक गई हु उन्हे क्या पसंद आएगा क्या नहीं सोचते सोचते, हमेशा मैं ही कोशिश करू इस रिश्ते को सुधारने की? अब थक चुकी हु मैं मुझसे और नही होता।
नेहा बोलते बोलते रोने लागि और श्वेता उसकी पीठ सहला कर उसे शांत करवा रही थी वही शेखर चिंता मे नेहा को देख रहा था उसने नेहा को कभी ऐसे नहीं देखा था वो नहीं जानता था के नेहा हमेशा झूठी मुस्कान लिए रहती थी।
नेहा- हमेशा ऐसा क्यू है के मुझे ही उन्हे समझना पड़ेगा वो कभी मुझे क्यू नहीं समझ सकते? वो तो ऐसे बिहेव करते है जैसे मैं हु ही ना कहने को तो हम लाइफ शेयर कर रहे है लेकिन हम एक बेड भी शेयर नहीं करते क्युकी उन्हे अच्छा नहीं लगेगा, हमेशा सब वैसा ही होता है जैसा उन्हे चाहिए लेकिन मेरा क्या? लेकिन अब बस बहुत हो गया
नेहा रोए जा रही थी, आज वो सारी बाते बाहर निकालना चाहती थी और नेहा की बाते सुन कर शेखर की आँखों से एक आँसू निकला जिसे पोंछ कर वो बोला
शेखर- भाभी आपको कुछ बताना है मुझे, वो जिसे आपको जानने का पूरा हक है, मैं नहीं जानता मैं ये सही कर रहा हु या नहीं लेकिन मैं ये जानता हु के जो मैं आपको बताने जा रहा हु वो भाई को आपको बताना चाहिए लेकिन अब बस हो गया क्युकी मुझे नहीं लगता भाई आपको कभी वो बात बताएगा
नेहा ने उतरे चेहरे के साथ शेखर को देखा, उसकी आँखों मे अब भी आसू थे
शेखर- श्वेता मुझे बस भाभी के बात करनी है
और शेखर ने इशारे से श्वेता को वहा से जाने के लिए कहा श्वेता भी उसका इशारा समझ के वहा से चली गई
नेहा- कहना क्या चाहते हो तुम शेखर
शेखर- भाई के पास्ट के बारे मे आपको जानना चाहिए भाभी आप सभी जिस राघव को जानते है वो इससे बिल्कुल अलग है, ये गुस्से वाला, बाते काम करने वाला किसी पे भरोसा ना करने वाला मेरा भाई हमेशा ऐसा नहीं था इन सब के पीछे कुछ रीज़न है की वो ऐसा क्यू है
नेहा- तो बताओ वो ऐसे क्यू है
शेखर- उसके साथ कुछ हुआ है भाभी जिसने उसे ऐसा बना दिया है........
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(अभी नहीं बताऊँगा )
राघव के पास्ट के बारे मे सुनकर नेहा शॉक थी वो ये सब बाते नहीं जानती थी और अब उसे अपने बर्ताव पर पछतावा हो रहा था
शेखर- मैं जानता हु मैं ये बात कह कर स्वार्थी बन रहा हु लेकिन मेरे भाई को आपकी जरूरत है भाभी, मैं ये नहीं कह रहा हु के आप अपने आप को बदल दो लेकिन बस एक और बार इस रिश्ते को एक मौका दे दो, मैं जानता हु आप मेरे भाई को बदल देंगी, मेरे भाई को छोड़ के मत जाना भाभी
शेखर ने नेहा के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा
नेहा- मुझे नहीं पता था उन्होंने इतना सब सहा है और मैं बस उनके स्वभाव की शिकायत करे जा रही थी
नेहा अब और ज्यादा रोने लागि
शेखर- मेरा भाई ऊपर से चाहे जितना टफ बन ले भाभी अंदर से वो बस एक बच्चा है जिसे हमने उस घटना मे खो दिया, भाभी बस आप ही वो हो जो उस पुराने राघव को वापिस ला सकती हो, वो कभी किसी से कुछ कहता नहीं है जो मिल जाए उसी मे खुश रहेगा वो, बगैर बात के नतीजे पर पहुच जाता है, उसे भले ही बिजनस की अच्छी समझ हो लेकिन रिश्ते निभाने के मामले मे बहुत कच्चा है वो, उसे आपकी जरूरत है भाभी और मैं जानता हु के आपने उसके पास जाने की कोशिश की तो वो रोकेगा नहीं आपको क्युकी उसे कोई ऐसा चाहिए जो उसकी केयर करे सिर्फ उसकी, जो उसे प्यार करे, कोई भी इंसान अपने पेरेंट्स से भाई बहनों से, दोस्तों से सब शेयर नहीं कर सकता उसे कोई ऐसा चाहिए जो इन सब को समझे
शेखर- वो बस आपसे इसीलिए दूर भाग रहा है क्युकी वो डरता है, वो ईमोशनली इसीलिए कनेक्ट नहीं कर पाता, उसे रिश्ते जोड़ने से डर लगता है, दादू ने कहा था उसमे थोड़ा समय मांगा है इस रिश्ते को आगे बढ़ाने लेकिन सच तो ये है के वो अपने आप को आपके लिए तयार कर रहा है, वो बताता नहीं है पर उसे चिंता है आपकी, बस उसे ये सब जताना नहीं आता बस आप उससे दूर मत जाइए।
नेहा- ऐसा सोचना भी मत के मैं उनसे दूर जाऊँगी, मुझे बस ये सब पता नहीं था लेकिन अब सब जानने के बात मैं पीछे नहीं हटने वाली, मुझे बस उनका भरोसा जितना है जो मै जीत के रहूँगी
नेहा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा जिसपर शेखर ने भी हा मे गर्दन हिला दी और कमरे से बाहर चल आया और नेहा सोचने लगी
‘मैंने इन्हे कैसे समझ नहीं पाई? वो पहले ही बहुत सह चुके है और उन्हे सपोर्ट करने के बजाय मैं उन्हे ही भला बुरा कह रही थी, वो बस उस बात को मन मे लिए बैठे है और मैंने भी इस बारे मे सही से कोशिश नहीं की, उन्होंने कभी बात करने की कोशिश नहीं की तो मैंने भी कभी कोई ज्यादा इंटेरेस्ट नहीं दिखाया और यही मेरी गलती थी।
मैं पत्नी हु उनकी और मुझे उनके ऐसे बर्ताव के पीछे का रीज़न जानना चाहिए था लेकिन मैं तो खुद ही बेचारी बनी बैठी रही
अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो हमारा रिश्ता कभी नहीं सुधर पाएगा, हमने कभी बात करने चीजे सुलझाने की कोशिश ही नहीं की लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, ये आदत किसी को तो बदलनी पड़ेगी और वो मैं करूंगी
अब इन्हे एक नई नेहा मिलेगी...'
क्रमश:
Again wonderful updateUpdate 18
(नोट - इस भाग में राघव और विशाल की बात चीत के कुछ अंश हो सकता है आपको समझ में ना आए क्युकी वो राघव के पास्ट से जुड़े हुए है जो कि आपको जल्द ही पता चलेगा)
दूसरी तरफ ऑफिस में शेखर के जाते ही विशाल राघव के केबिन में आया और उसने आते साथ ही राघव पर सवालों को बरसात कर दी।
विशाल - ये क्या था भाई कौन गई ये रोते हुए?
(असल में विशाल राघव की शादी में नही था तो वो नेहा को नही जानता था हा इतना जानता था के उसका दोस्त बैच्लर नहीं रहा अब लेकिन उसने नेहा को नहीं देखा था और जब बंदे का खुद का शादी मे कोई इंटेरेस्ट नहीं था तो उसमे विशाल को भी शादी कब हुई कैसे हुए बताया नहीं था जिससे विशाल उससे काफी नाराज भी हुआ था)
राघव - तू वो सब बाते छोड़ और बता आया कब तू?
विशाल - बस सुबह ही आया हु, अपना बिजनेस यहा भारत में मूव कर रहा हु तो उसी काम से आया था और बस सारे काम निपटा कर आ रहा हु रात को वापसी को फ्लाइट है लेकिन तेरी जिंदगी में क्या चल रहा ये क्या रायता फैला लिया भाई केबिन ? और बता शादी के बाद कैसी चल रही जिंदगी? भोसडीके शादी मे तो बुलाया नहीं तूने चल का भी बुलाया तारीख ही बात देता मैं बिन बुलाए ही आ जाता
राघव- फिर वही गाना...
विशाल- भाई जब तक तू दुनिया नहीं छोड़ जाता तब तक सुनना पड़ेगा तुझे ये, बाकी बात क्या चल रहा तेरे जिंदगी मे
राघव - बस ठीक है लेकिन तू बता अचानक इंडिया वापिस आना लंदन से मन भर गया क्या?
और इसके बाद राघव ने जो टॉपिक चेंज किया उसने विशाल को वापिस नेहा वाले मुद्दे पर आने ही नही दिया लेकिन अपने पहुंचते ही अपने दोस्त के केबिन से एक लड़की रोते हुए निकली उसके पीछे उसको रोकने दूसरी लड़की निकली उसके पीछे दोस्त का भाई निकला ये बात विशाल को हजम ही नही हो रही थी और आखिर में बातो बातो में रात हो चुकी थी, वो दोनो अब भी राघव के केबिन में बैठे थे और अब वहा व्हिस्की की बोतल खुल चुकी थी और बातो बातो में विशाल ने राघव से उसके और नेहा के बारे में सारी बाते जान ली थी और जैसे ही उसे पता चला के वो नेहा थी जो रोते हुए गई थी वो तो राघव पर भड़क गया।
विशाल - अबे तू आदमी है के ढक्कन है बे!! साले तेरी बीवी तेरे ऑफिस में तेरे केबिन से रोते हुए गई और तु तब से यहां मेरे साथ बैठा बकैती कर रहा, तू उठ अभी के अभी और पहले भाभी के पास जा
राघव - अरे छोड़ ना भाई ये बात तू इतने दिनो बाद आया है कहा मेरे झलेमे लेके बैठ गया और वैसे भी हम दोनो के बीच ऐसा कुछ नही है और रही बात नेहा की तो ठीक हो जाएगी।
राघव ने बिंदास होकर कहा जैसे कुछ हुआ ही ना हो लेकिन विशाल के बात थोड़ी थोड़ी समझ आ गई थी
विशाल - तू अब भी इस शादी से भाग रहा है ना?
राघव ने विशाल की बात का कोई जवाब नही दिया
विशाल - तू अब भी उसे वाकये नही भुला है, है ना?
राघव जो अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास लिए अब तक चुप था उसने चौक के विशाल को देखा और उसको उसका जवाब मिल गया
विशाल - ब्रो कम ऑन मैन, इतना सब होने के बाद भी अब भी तू उसी में उलझा हुआ है?
राघव अब भी कुछ नही बोला वो बस अपनी जगह से उठा और उसके केबिन में बनी विंडो के सामने जाकर खड़ा हो गया जहा से पूरा शहर दिखता था, उसके हाथ में उसने व्हिस्की का ग्लास पकड़ा हुआ था
विशाल - अब कुछ बोलेगा भी या यू ही चुप रहेगा और तूने सोचा है इसका तेरी लाइफ पे क्या असर पड़ेगा, भाई तेरी शादी हो चुकी है ये मत भूल तू और वैसे भी वो समय बीत चुका है वापिस नही आयेगा
राघव - जानता हु, जानता हु के वो समय वापिस नही आयेगा और मैं भी आगे बढ़ना चाहता हु भाई, तुझे क्या लगता है मैने कोशिश नही की लेकिन मुझसे नही हो रहा भाई, जब भी अपने और नेहा के बारे में, हमारे रिश्ते को सुधारने के बारे में सोचता हु दिमाग में वही पुरानी यादें उमड़ आती है और मेरे कदम रुक जाते है।
विशाल - तो फिर क्या तू कभी कोशिश ही नही करेगा? और भाभी का क्या उनका सोचा है? वो दोपहर में यहां से रोते हुए गई है और तु है के तुझे फर्क ही नहीं पड़ा, ऐसे संभालेगा ये नया रिश्ता
राघव - तू भी दादू की तरह बाते मत करने लग बे
विशाल - क्यू ना करू जब मुझे दिख रहा है मेरा दोस्त अपनी जिंदगी को गड्ढे में लेके जा रहा है और मैं उसे रोकू भी ना? राघव तू बिजनेस के मामले में अच्छा होगा लेकिन रिश्तों के मामले में तू बहुत कच्चा है
विशाल बोले जा रहा था और राघव सुन रहा था
राघव - मैं मिला हूं उससे।
राघव का हाथ उसके ग्लास पे कस गया और उसने एक घुट में उसे खाली कर दिया वही विशाल उसकी बात सुन के चुप हो गया
विशाल - कब?
राघव - लंदन में, जब मैं यहां वापिस आ रहा था, मैं चाहता था इस शादी को अपनाना, तुझे याद है हमारी इस बारे में बात भी हुई थी?
( अपनी शादी के दिन राघव दो महीनों के लिए लंदन के लिए निकल गया था तो वो वहा विशाल के पास ही था और ऐसे निकल आने के लिए तब भी विशाल ने उसे बहुत कुछ सुनाया था)
विशाल - वैसे तो तू सब बात बताता है मुझे और ये बता क्यू नही बताई
राघव - छोड़ ना क्या फर्क पड़ता है बस इतना जान के ले वो इंडिया में है अभी
बोलते बोलते राघव को हल्का गुस्सा आ रहा था उसने अपने दात भींच लिए और विशाल उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला
विशाल - राघव मैं जानता हु के तेरा गुस्सा जायज है और होना भी चाहिए, तू तो उससे मिल के शांत है मैं होता तो जान ले लेता उसकी लेकिन भाई ये भी तो सोच के इस सब में भाभी की कहा गलती है, अरे उन्हे तो कुछ पता भी नही है
राघव - जानता हु भाई लेकिन क्या करू, जब तक उससे सारे जवाब ना मांग लू मुझे चैन नहीं आयेगा।
विशाल - देख जिंदगी तेरी है और इसके सारे डिसीजन भी तेरे होने चाहिए लेकिन मैं फिर भी इतना ही कहूंगा के इन सब बातो को कुछ समय के लिए साइड कर दे कही ऐसा ना हो के पास्ट के चक्कर में तू प्रेजेंट गवा बैठे
राघव को भी कही न कही विशाल की बता समझ आ रही थी
विशाल - उससे निपटने के लिए बाद में भी समय मिल जायेगा भाई लेकिन अगर भाभी चली गई तो सोच दादू को, अपने परिवार को क्या कहेगा? और सबसे बड़ी बात अपने आप को क्या जवाब देगा, देख जितना मैं तुझे जानता हु उतना कोई नही जानता इसीलिए मुझे पता है भाभी को तकलीफ देके तुझे भी अच्छा नहीं लगेगा लेकिन जाने अनजाने तू उन्हे बहुत तकलीफ दे चुका है इसीलिए बेहतर यही होगा के तू अब घर जा और जो कुछ हुआ है दोपहर में उसके बारे में भाभी से बात कर और कोशिश कर अपने रिश्ते को संवारने की बाकी रही बात उसकी तो मैं आ रहा ही कुछ ही दिनों में मिल के देखेंगे उसे।
विशाल की बात सुन राघव मुस्कुराया एक यही तो दोस्त था उसका जो उसकी हर बात के उसके साथ था उसे जानने वाला उसे समझने वाला।
राघव - नेहा सबसे अलग है भाई, तुझे पता है जितना मैं दूर जाने की सोचता हु ना उतना हो वो आजकल मुझे अपने पास खींच रही है
विशाल - और तु फिर भी पुरानी बातो को मन में दबाए आने वाली नई खुशियों को रोक रहा है! अच्छा चल ठीक है पति पत्नी ना सही पहले दोस्त तो बनो एकदूसरे के दोस्ती से शुरुवात कर देख के दोस्ती कहा तक जाती है
विशाल की बात राघव को जम गई उसकी बात में प्वाइंट था
राघव - हा यार ये सही कहा तूने, किसी भी चीज की शुरुवात दोस्ती से करना सही है
विशाल - मैने बोला था ना तू बिजनेस में भले ही मास्टर है लेकिन रिश्तों के मामले में गधा है
राघव - तू एक और बार गधा बोल मुझे फिर देख मैं कैसे तेरे दात गायब करता हु
विशाल - जा बे बॉक्सिंग चैंपियन हु मै हाथ भी नही लगा पाएगा तू, अच्छा वो छोड़ मैं निकलता हु अब, मेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है तू बाकी सब कुछ भूल जा अभी और जितना मैने बोला है उतना सोच बाकी बाते मेरे आने के बाद देखेंगे अभी खाली भाभी पे फोकस कर तू चल बाय...
राघव - हम्म्
जिसके बाद विशाल तो वहा से चला गया और राघव वही बैठा विशाल से हुई बातचीत के बारे में सोचने लगा
क्या लगता है कुछ फर्क पड़ेगा इनके रिश्ते में?
क्रमश: