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Romance In Love.. With You... (Completed)

Babybulbul

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Update 17



‘अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं है, यार क्या करने चले थे और क्या हो गया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था.

शेखर - विशाल भाई आप?

विशाल का नाम सुन के राघव अपने केबिन से बाहर आया और शेखर राघव के वहा आता देख बगैर कुछ बोले वहा से निकल गया।

कुछ समय बाद

शेखर- भाभी प्लीज एक बार दरवाजा खोल के बस एक बार हमारी बात तो सुन लिजीए

वो लोग पिछले 10 मिनट से दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन नेहा कोई जवाब नहीं दे रही थी, नेहा ने घर पहुच कर अपने आप को कमरे मे बंद कर लिया था और घर के बाकी लोगों को इसकी खबर भी नहीं थी क्युकी घर मे इस वक्त कोई था ही नहीं

श्वेता- भाभी प्लीज दरवाजा खोलो

शेखर- भाभी सॉरी हम आपको हर्ट नहीं करना चाहते थे हमे नहीं पता था ऐसा कुछ होगा प्लीज दरवाजा खोलो भाभी आगे से ऐसा नहीं होगा

लेकिन जब अंदर से कोई जवाब नहीं आया तब वो लोग थक के चुप हो गए, शेखर और श्वेता वहा से जा ही रहे थे के उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया लेकिन नेहा बाहर नहीं आई

शेखर और श्वेता ने एकदूसरे को देखा और रूम मे चले गए तो उन्होंने देखा के नेहा बेड पर बैठी थी, उसके चेहरे पर अब भी आँसुओ के निशान थे और वो खयालों मे खोई हुई थी

शेखर जाकर नेहा के बाजू मे उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया और श्वेता उसके बाजू मे बेड पर जा बैठी

शेखर- भाभी..

शेखर ने धीमे से कहा

नेहा- मैं क्या इतनी बुरी हु शेखर के तुम्हारे भाई मेरी ओर देखते भी नहीं ?

शेखर- नहीं! आप... आप बेस्ट हो भाभी

नेहा- मैं थक गई हु अब चीज़े छुपाते हुए, हमारे बारे मे सबसे झूठ कहते हुए तुम्हें कुछ नहीं पता है

श्वेता- हम जानते है भाभी दादू से सब बताया है हमे।

श्वेता की बात से नेहा थोड़ी शॉक हुई लेकिन कुछ बोली नही

शेखर- हा भाभी हम सब जानते है और भाई की तरफ से मैं आपसे माफी मांगना चाहता हु

नेहा- तुम लोग क्यू सॉरी कह रहे है तुम्हारी कहा गलती है गलती तो उनकी है, पता है मैं उनसे कुछ नहीं कह पाती हु कोई बात शेयर नहीं कर सकती हु जानते हो क्यू? क्युकी भले ही हम शादी शुदा है लेकिन है अजनबी ही, उन्हे ये समझना चाहिए के मैं पत्नी हु उनकी वो अब एक बैचलर नहीं है ऐसा नहीं है के मैं उनकी फ्रीडम छीनना चाहती हु मुझे बस वो चाहिए, मुझे मेरी जिंदगी मे वो मेरे पति बनकर चाहिए ना की कोई अजनबी, जानते हो उन्होंने दादू से हमारी शादी की रात क्या कहा था.. ‘आपके कहने पर मैंने शादी कर ली और इस घर को बहु दे दी लेकिन मुझे अभी पत्नी नहीं चाहिए इसीलिए मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा’ अरे वो तो पहली ही रात बाहर चले गए थे

नेहा की बात से शेखर और श्वेता दोनों शॉक थे

नेहा- मुझे भी बाकी कपल्स जैसा रहना है लेकिन मैं तो उनसे बात भी नहीं कर सकती क्युकी उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, मैं थक गई हु उन्हे क्या पसंद आएगा क्या नहीं सोचते सोचते, हमेशा मैं ही कोशिश करू इस रिश्ते को सुधारने की? अब थक चुकी हु मैं मुझसे और नही होता।

नेहा बोलते बोलते रोने लागि और श्वेता उसकी पीठ सहला कर उसे शांत करवा रही थी वही शेखर चिंता मे नेहा को देख रहा था उसने नेहा को कभी ऐसे नहीं देखा था वो नहीं जानता था के नेहा हमेशा झूठी मुस्कान लिए रहती थी।

नेहा- हमेशा ऐसा क्यू है के मुझे ही उन्हे समझना पड़ेगा वो कभी मुझे क्यू नहीं समझ सकते? वो तो ऐसे बिहेव करते है जैसे मैं हु ही ना कहने को तो हम लाइफ शेयर कर रहे है लेकिन हम एक बेड भी शेयर नहीं करते क्युकी उन्हे अच्छा नहीं लगेगा, हमेशा सब वैसा ही होता है जैसा उन्हे चाहिए लेकिन मेरा क्या? लेकिन अब बस बहुत हो गया

नेहा रोए जा रही थी, आज वो सारी बाते बाहर निकालना चाहती थी और नेहा की बाते सुन कर शेखर की आँखों से एक आँसू निकला जिसे पोंछ कर वो बोला

शेखर- भाभी आपको कुछ बताना है मुझे, वो जिसे आपको जानने का पूरा हक है, मैं नहीं जानता मैं ये सही कर रहा हु या नहीं लेकिन मैं ये जानता हु के जो मैं आपको बताने जा रहा हु वो भाई को आपको बताना चाहिए लेकिन अब बस हो गया क्युकी मुझे नहीं लगता भाई आपको कभी वो बात बताएगा

नेहा ने उतरे चेहरे के साथ शेखर को देखा, उसकी आँखों मे अब भी आसू थे

शेखर- श्वेता मुझे बस भाभी के बात करनी है

और शेखर ने इशारे से श्वेता को वहा से जाने के लिए कहा श्वेता भी उसका इशारा समझ के वहा से चली गई

नेहा- कहना क्या चाहते हो तुम शेखर

शेखर- भाई के पास्ट के बारे मे आपको जानना चाहिए भाभी आप सभी जिस राघव को जानते है वो इससे बिल्कुल अलग है, ये गुस्से वाला, बाते काम करने वाला किसी पे भरोसा ना करने वाला मेरा भाई हमेशा ऐसा नहीं था इन सब के पीछे कुछ रीज़न है की वो ऐसा क्यू है

नेहा- तो बताओ वो ऐसे क्यू है

शेखर- उसके साथ कुछ हुआ है भाभी जिसने उसे ऐसा बना दिया है........
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(अभी नहीं बताऊँगा :D )


राघव के पास्ट के बारे मे सुनकर नेहा शॉक थी वो ये सब बाते नहीं जानती थी और अब उसे अपने बर्ताव पर पछतावा हो रहा था

शेखर- मैं जानता हु मैं ये बात कह कर स्वार्थी बन रहा हु लेकिन मेरे भाई को आपकी जरूरत है भाभी, मैं ये नहीं कह रहा हु के आप अपने आप को बदल दो लेकिन बस एक और बार इस रिश्ते को एक मौका दे दो, मैं जानता हु आप मेरे भाई को बदल देंगी, मेरे भाई को छोड़ के मत जाना भाभी

शेखर ने नेहा के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा

नेहा- मुझे नहीं पता था उन्होंने इतना सब सहा है और मैं बस उनके स्वभाव की शिकायत करे जा रही थी

नेहा अब और ज्यादा रोने लागि

शेखर- मेरा भाई ऊपर से चाहे जितना टफ बन ले भाभी अंदर से वो बस एक बच्चा है जिसे हमने उस घटना मे खो दिया, भाभी बस आप ही वो हो जो उस पुराने राघव को वापिस ला सकती हो, वो कभी किसी से कुछ कहता नहीं है जो मिल जाए उसी मे खुश रहेगा वो, बगैर बात के नतीजे पर पहुच जाता है, उसे भले ही बिजनस की अच्छी समझ हो लेकिन रिश्ते निभाने के मामले मे बहुत कच्चा है वो, उसे आपकी जरूरत है भाभी और मैं जानता हु के आपने उसके पास जाने की कोशिश की तो वो रोकेगा नहीं आपको क्युकी उसे कोई ऐसा चाहिए जो उसकी केयर करे सिर्फ उसकी, जो उसे प्यार करे, कोई भी इंसान अपने पेरेंट्स से भाई बहनों से, दोस्तों से सब शेयर नहीं कर सकता उसे कोई ऐसा चाहिए जो इन सब को समझे

शेखर- वो बस आपसे इसीलिए दूर भाग रहा है क्युकी वो डरता है, वो ईमोशनली इसीलिए कनेक्ट नहीं कर पाता, उसे रिश्ते जोड़ने से डर लगता है, दादू ने कहा था उसमे थोड़ा समय मांगा है इस रिश्ते को आगे बढ़ाने लेकिन सच तो ये है के वो अपने आप को आपके लिए तयार कर रहा है, वो बताता नहीं है पर उसे चिंता है आपकी, बस उसे ये सब जताना नहीं आता बस आप उससे दूर मत जाइए।

नेहा- ऐसा सोचना भी मत के मैं उनसे दूर जाऊँगी, मुझे बस ये सब पता नहीं था लेकिन अब सब जानने के बात मैं पीछे नहीं हटने वाली, मुझे बस उनका भरोसा जितना है जो मै जीत के रहूँगी

नेहा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा जिसपर शेखर ने भी हा मे गर्दन हिला दी और कमरे से बाहर चल आया और नेहा सोचने लगी

‘मैंने इन्हे कैसे समझ नहीं पाई? वो पहले ही बहुत सह चुके है और उन्हे सपोर्ट करने के बजाय मैं उन्हे ही भला बुरा कह रही थी, वो बस उस बात को मन मे लिए बैठे है और मैंने भी इस बारे मे सही से कोशिश नहीं की, उन्होंने कभी बात करने की कोशिश नहीं की तो मैंने भी कभी कोई ज्यादा इंटेरेस्ट नहीं दिखाया और यही मेरी गलती थी।

मैं पत्नी हु उनकी और मुझे उनके ऐसे बर्ताव के पीछे का रीज़न जानना चाहिए था लेकिन मैं तो खुद ही बेचारी बनी बैठी रही
अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो हमारा रिश्ता कभी नहीं सुधर पाएगा, हमने कभी बात करने चीजे सुलझाने की कोशिश ही नहीं की लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, ये आदत किसी को तो बदलनी पड़ेगी और वो मैं करूंगी

अब इन्हे एक नई नेहा मिलेगी...'



क्रमश:
Nice
 
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Babybulbul

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Update 18




(नोट - इस भाग में राघव और विशाल की बात चीत के कुछ अंश हो सकता है आपको समझ में ना आए क्युकी वो राघव के पास्ट से जुड़े हुए है जो कि आपको जल्द ही पता चलेगा)

दूसरी तरफ ऑफिस में शेखर के जाते ही विशाल राघव के केबिन में आया और उसने आते साथ ही राघव पर सवालों को बरसात कर दी।

विशाल - ये क्या था भाई कौन गई ये रोते हुए?

(असल में विशाल राघव की शादी में नही था तो वो नेहा को नही जानता था हा इतना जानता था के उसका दोस्त बैच्लर नहीं रहा अब लेकिन उसने नेहा को नहीं देखा था और जब बंदे का खुद का शादी मे कोई इंटेरेस्ट नहीं था तो उसमे विशाल को भी शादी कब हुई कैसे हुए बताया नहीं था जिससे विशाल उससे काफी नाराज भी हुआ था)

राघव - तू वो सब बाते छोड़ और बता आया कब तू?

विशाल - बस सुबह ही आया हु, अपना बिजनेस यहा भारत में मूव कर रहा हु तो उसी काम से आया था और बस सारे काम निपटा कर आ रहा हु रात को वापसी को फ्लाइट है लेकिन तेरी जिंदगी में क्या चल रहा ये क्या रायता फैला लिया भाई केबिन ? और बता शादी के बाद कैसी चल रही जिंदगी? भोसडीके शादी मे तो बुलाया नहीं तूने चल का भी बुलाया तारीख ही बात देता मैं बिन बुलाए ही आ जाता

राघव- फिर वही गाना...

विशाल- भाई जब तक तू दुनिया नहीं छोड़ जाता तब तक सुनना पड़ेगा तुझे ये, बाकी बात क्या चल रहा तेरे जिंदगी मे

राघव - बस ठीक है लेकिन तू बता अचानक इंडिया वापिस आना लंदन से मन भर गया क्या?

और इसके बाद राघव ने जो टॉपिक चेंज किया उसने विशाल को वापिस नेहा वाले मुद्दे पर आने ही नही दिया लेकिन अपने पहुंचते ही अपने दोस्त के केबिन से एक लड़की रोते हुए निकली उसके पीछे उसको रोकने दूसरी लड़की निकली उसके पीछे दोस्त का भाई निकला ये बात विशाल को हजम ही नही हो रही थी और आखिर में बातो बातो में रात हो चुकी थी, वो दोनो अब भी राघव के केबिन में बैठे थे और अब वहा व्हिस्की की बोतल खुल चुकी थी और बातो बातो में विशाल ने राघव से उसके और नेहा के बारे में सारी बाते जान ली थी और जैसे ही उसे पता चला के वो नेहा थी जो रोते हुए गई थी वो तो राघव पर भड़क गया।

विशाल - अबे तू आदमी है के ढक्कन है बे!! साले तेरी बीवी तेरे ऑफिस में तेरे केबिन से रोते हुए गई और तु तब से यहां मेरे साथ बैठा बकैती कर रहा, तू उठ अभी के अभी और पहले भाभी के पास जा

राघव - अरे छोड़ ना भाई ये बात तू इतने दिनो बाद आया है कहा मेरे झलेमे लेके बैठ गया और वैसे भी हम दोनो के बीच ऐसा कुछ नही है और रही बात नेहा की तो ठीक हो जाएगी।

राघव ने बिंदास होकर कहा जैसे कुछ हुआ ही ना हो लेकिन विशाल के बात थोड़ी थोड़ी समझ आ गई थी

विशाल - तू अब भी इस शादी से भाग रहा है ना?

राघव ने विशाल की बात का कोई जवाब नही दिया

विशाल - तू अब भी उसे वाकये नही भुला है, है ना?

राघव जो अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास लिए अब तक चुप था उसने चौक के विशाल को देखा और उसको उसका जवाब मिल गया

विशाल - ब्रो कम ऑन मैन, इतना सब होने के बाद भी अब भी तू उसी में उलझा हुआ है?

राघव अब भी कुछ नही बोला वो बस अपनी जगह से उठा और उसके केबिन में बनी विंडो के सामने जाकर खड़ा हो गया जहा से पूरा शहर दिखता था, उसके हाथ में उसने व्हिस्की का ग्लास पकड़ा हुआ था

विशाल - अब कुछ बोलेगा भी या यू ही चुप रहेगा और तूने सोचा है इसका तेरी लाइफ पे क्या असर पड़ेगा, भाई तेरी शादी हो चुकी है ये मत भूल तू और वैसे भी वो समय बीत चुका है वापिस नही आयेगा

राघव - जानता हु, जानता हु के वो समय वापिस नही आयेगा और मैं भी आगे बढ़ना चाहता हु भाई, तुझे क्या लगता है मैने कोशिश नही की लेकिन मुझसे नही हो रहा भाई, जब भी अपने और नेहा के बारे में, हमारे रिश्ते को सुधारने के बारे में सोचता हु दिमाग में वही पुरानी यादें उमड़ आती है और मेरे कदम रुक जाते है।

विशाल - तो फिर क्या तू कभी कोशिश ही नही करेगा? और भाभी का क्या उनका सोचा है? वो दोपहर में यहां से रोते हुए गई है और तु है के तुझे फर्क ही नहीं पड़ा, ऐसे संभालेगा ये नया रिश्ता

राघव - तू भी दादू की तरह बाते मत करने लग बे

विशाल - क्यू ना करू जब मुझे दिख रहा है मेरा दोस्त अपनी जिंदगी को गड्ढे में लेके जा रहा है और मैं उसे रोकू भी ना? राघव तू बिजनेस के मामले में अच्छा होगा लेकिन रिश्तों के मामले में तू बहुत कच्चा है

विशाल बोले जा रहा था और राघव सुन रहा था

राघव - मैं मिला हूं उससे।

राघव का हाथ उसके ग्लास पे कस गया और उसने एक घुट में उसे खाली कर दिया वही विशाल उसकी बात सुन के चुप हो गया

विशाल - कब?

राघव - लंदन में, जब मैं यहां वापिस आ रहा था, मैं चाहता था इस शादी को अपनाना, तुझे याद है हमारी इस बारे में बात भी हुई थी?

( अपनी शादी के दिन राघव दो महीनों के लिए लंदन के लिए निकल गया था तो वो वहा विशाल के पास ही था और ऐसे निकल आने के लिए तब भी विशाल ने उसे बहुत कुछ सुनाया था)

विशाल - वैसे तो तू सब बात बताता है मुझे और ये बता क्यू नही बताई

राघव - छोड़ ना क्या फर्क पड़ता है बस इतना जान के ले वो इंडिया में है अभी

बोलते बोलते राघव को हल्का गुस्सा आ रहा था उसने अपने दात भींच लिए और विशाल उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला

विशाल - राघव मैं जानता हु के तेरा गुस्सा जायज है और होना भी चाहिए, तू तो उससे मिल के शांत है मैं होता तो जान ले लेता उसकी लेकिन भाई ये भी तो सोच के इस सब में भाभी की कहा गलती है, अरे उन्हे तो कुछ पता भी नही है

राघव - जानता हु भाई लेकिन क्या करू, जब तक उससे सारे जवाब ना मांग लू मुझे चैन नहीं आयेगा।

विशाल - देख जिंदगी तेरी है और इसके सारे डिसीजन भी तेरे होने चाहिए लेकिन मैं फिर भी इतना ही कहूंगा के इन सब बातो को कुछ समय के लिए साइड कर दे कही ऐसा ना हो के पास्ट के चक्कर में तू प्रेजेंट गवा बैठे

राघव को भी कही न कही विशाल की बता समझ आ रही थी

विशाल - उससे निपटने के लिए बाद में भी समय मिल जायेगा भाई लेकिन अगर भाभी चली गई तो सोच दादू को, अपने परिवार को क्या कहेगा? और सबसे बड़ी बात अपने आप को क्या जवाब देगा, देख जितना मैं तुझे जानता हु उतना कोई नही जानता इसीलिए मुझे पता है भाभी को तकलीफ देके तुझे भी अच्छा नहीं लगेगा लेकिन जाने अनजाने तू उन्हे बहुत तकलीफ दे चुका है इसीलिए बेहतर यही होगा के तू अब घर जा और जो कुछ हुआ है दोपहर में उसके बारे में भाभी से बात कर और कोशिश कर अपने रिश्ते को संवारने की बाकी रही बात उसकी तो मैं आ रहा ही कुछ ही दिनों में मिल के देखेंगे उसे।

विशाल की बात सुन राघव मुस्कुराया एक यही तो दोस्त था उसका जो उसकी हर बात के उसके साथ था उसे जानने वाला उसे समझने वाला।

राघव - नेहा सबसे अलग है भाई, तुझे पता है जितना मैं दूर जाने की सोचता हु ना उतना हो वो आजकल मुझे अपने पास खींच रही है

विशाल - और तु फिर भी पुरानी बातो को मन में दबाए आने वाली नई खुशियों को रोक रहा है! अच्छा चल ठीक है पति पत्नी ना सही पहले दोस्त तो बनो एकदूसरे के दोस्ती से शुरुवात कर देख के दोस्ती कहा तक जाती है

विशाल की बात राघव को जम गई उसकी बात में प्वाइंट था

राघव - हा यार ये सही कहा तूने, किसी भी चीज की शुरुवात दोस्ती से करना सही है

विशाल - मैने बोला था ना तू बिजनेस में भले ही मास्टर है लेकिन रिश्तों के मामले में गधा है

राघव - तू एक और बार गधा बोल मुझे फिर देख मैं कैसे तेरे दात गायब करता हु

विशाल - जा बे बॉक्सिंग चैंपियन हु मै हाथ भी नही लगा पाएगा तू, अच्छा वो छोड़ मैं निकलता हु अब, मेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है तू बाकी सब कुछ भूल जा अभी और जितना मैने बोला है उतना सोच बाकी बाते मेरे आने के बाद देखेंगे अभी खाली भाभी पे फोकस कर तू चल बाय...

राघव - हम्म्

जिसके बाद विशाल तो वहा से चला गया और राघव वही बैठा विशाल से हुई बातचीत के बारे में सोचने लगा

क्या लगता है कुछ फर्क पड़ेगा इनके रिश्ते में?

क्रमश:
Nice update
 

Babybulbul

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Update 19




इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे, राघव अब भी अपने ऑफिस मे बैठा था और अपने और नेहा के बारे मे सोच रहा था, विशाल से हुई बातचित उसके दिमाग मे घूम रही थी और अब वो भी इस रिश्ते के भागते हुए थक गया था, दादू ने उसे कहा था 8 बजे घर आने लेकिन वो अब भी ऑफिस मे ही था क्युकी जिसके लिए उसे घर जल्दी जाना था वो ही उससे नाराज थी।

राघव ने एक लंबी सास छोड़ी और घर जाने के लिए निकला,

कुछ समय बाद जब राघव घर पहुचा और अंदर आया तो पूरे घर मे शांति छाई हुई थी, राघव ने इधर उधर नजरे घुमाई मानो किसी को ढूंढ रहा हो लेकिन वहा था ही कौन..

राघव अपने कमरे मे जाने के लिए सीढ़िया चढ़ने ही वाला था के उसे चूड़ियों का आवाज सुनाई दि जिससे राघव रुक गया और उसने मूड कर देखा तो वहा नेहा खड़ी थी जो उसकी तरफ मुस्कुराकर देख रही थी और नेहा को अपनी तरफ ऐसा मुसकुराता देख राघव थोड़ा चौका, वो कन्फ्यूज़ था के इसको अचानक क्या हुआ

राघव को समझ नहीं आ रहा था के ये तो घर रोते हुए आयी थी और वो इतना गधा भी नहीं था के नेहा के रोने का रीज़न ना जानता हो फिर अब ऐसे एकदम क्या हो गया जो उसका मूड चेंज हो गया? राघव को नेहा का बर्ताव समझ नहीं आ रहा था, एक पल को उसे लगा के कही उसे नशा तो नहीं हो गया लेकिन वो अच्छे खासे होश मे था और तभी नेहा बोली

नेहा- जाइए जाकर कपड़े बदल लीजिए मैं खाना गरम करती हु

राघव- मुझे भूख नहीं है

(कुछ नहीं हो सकता इसका bc 🤦🏻‍♂️ अभी अभी ऑफिस मे सब सही करने का सोच रहा था और चार आते ही सारी बाते हवा कर दी :sigh: )

नेहा ने बड़े प्यार से कहा था लेकिन राघव ने मना कर दिया लेकिन भूख तो उसे भी लगि थी बस वो नेहा से दोपहर की हरकत के बाद नजरे नहीं मिलाना चाहता था वही नेहा मुस्कुराई और फिर प्यार से बोली

नेहा- जाइए न, कभी तो मेरी सुन लिया कीजिए

नेहा ऐसे बात कर रही थी जैसे वो दोनों कोई नॉर्मल कपल हो लेकिन वो वैसे नहीं थे और यही बात राघव को कन्फ्यूज़ करे हुए थी उसके नेहा के ऐसे बदले बदने मिजाज समझ नहीं आ रहे थे लेकिन राघव कुछ नहीं बोला और नेहा की बात मान कर वो फ्रेश होकर वापिस आया तो उसने देखा के नेहा उन दोनों की खाने की प्लेट्स लगा रही थी

राघव जाकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया बगैर कुछ बोले एकदम चुप चाप जिसके बाद नेहा ने उसे खाना परोसा और फिर खुद की प्लेट मे खाना लिया जिसे देख राघव ने पूछा

राघव- तुमने खाना नहीं खाया अभी तक?

नेहा- मैं आपकी राह देख रही थी

नेहा ने राघव से कहा और खाना शुरू कीया

राघव- दोपहर मे तो तुम बड़ी नाराज थी फिर अब क्या हुआ?

नेहा- कुछ नहीं बस मेरा मूड ठीक हो गया अब आप खाना खाइए खाना ठंडा हो रहा है वो बाते बाद मे हो जाएंगी

जिसके बाद दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोला दोनों ने चुप चाप खाना खाया

खाना होने के बाद नेहा दोनों की प्लेट्स लेकर किचन मे चली गई और जब वो वापिस आयी तो उसने कुछ ऐसा देखा जो नॉर्मल नहीं था, राघव वहा उसकी राह देखते खड़ा था और ये नेहा को कैसे पता चल के वो उसकी राह देख रहा है? तो भाईसहब ने अपना फोन उल्टा पकड़ा हुआ था और बता रहा था के उसका ध्यान फोन मे है, नेहा उसे देख मुस्कुराई और उसके पास गई

नेहा- चले..!

राघव- हह.. हा वो मैं तुम्हारी राह नहीं देख रहा था वो तो मैं फोन मे थोड़ा काम देख रहा था

राघव ने बहाना बनाने की कोशिश की जिसपर नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने राघव का फोन सीधा करके उसके हाथ मे पकड़ाया जिससे राघव थोड़ा शर्मिंदा हुआ, वो पकड़ा जा चुका था और उसके बाद नेहा ने कुछ ऐसा किया जिससे राघव और भी सप्राइज़ हुआ

उसने राघव का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अपने रूम की ओर बढ़ गई और राघव बस आंखे फाड़े उसे देखता रहा

(भाईसहब एकदम से इतने चेंजेस :shocking: )

रूम मे आने के बाद राघव ने झट से अपना हाथ नेहा के हाथ से छुड़ाया और बेड की ओर बढ़ गया और बेड पर जाकर सो गया

राघव सोने की कोशिश कर ही रहा था के उसे अपने बाजू मे कुछ हलचल सी होती महसूस हुई, उसने मूड कर देखा तो पाया के नेहा उसके बाजू मे लेट रही है और वो भी सेम रजाई मे

राघव- ये सब क्या है अब?

नेहा- क्या मतलब? रात है और नॉर्मल लोग सोते है रात मे

राघव- तुम तो मेरे साथ बेड शेयर करने मे कंफर्टेबल नहीं थी ना फिर अब क्या हुआ?

नेहा- मैंने ऐसा कब कहा था मुझे तो लगा था के आपको ये पसंद नहीं आएगा पर अब मैं सोफ़े पे नहीं सोने वाली मैं यही सोऊँगी जहा एक पत्नी को होना चाहिए।

नेहा ने बोलते बोलते राघव को आँख मार दी नतिजन राघव की आंखे बड़ी हो गई और उसने नजरे घुमा ली और दोनों के बीच सेफ डिस्टन्स बनाया और मूड गया

कुछ सेकंद बाद उसे उसकी कमर पर एक हाथ फ़ील हुआ और उस टच से राघव सिहर उठा वो नेहा की छाती को अपनी पीठ पर महसूस कर सकता था

राघव- क.... क्या क...कर र... रही हो त... तुम ?

राघव नर्वस नेस मे हकलाया, ये सब नया था उसके लिए

नेहा- मैं तो बस अपने पति को गले लगा रही हु, क्या मैं ऐसा नहीं कर सकती? अब आप इसकी आदत डाल लीजिए क्युकी मुझे हक है अब सो जाइए अब मुझे नींद आ रही है

जिसके साथ ही नेहा ने अपनी पकड़ कस ली वही राघव का हाथ तकिये पर कस गया और उसकी धड़कने बढ़ने लगी पर वो कुछ बोला नही एक तो वो नेहा के साथ बहस नहीं करना चाहता था ऊपर से उसे भी ये सब अच्छा लग रहा था

नेहा- शादी के बाद अपनी ही पति से दोस्ती करने वाले कन्सेप्ट पर मुझे भरोसा नहीं है, मैं पत्नी हु आपकी और हमे वैसे ही रहना चाहिए हमे एकदूसरे पर पूरा हक है,

नेहा ने जो उसके मन मे था कह दिया, धड़कने इस वक्त दोनों की बढ़ी हुई थी और नेहा भी जानती थी जैसे वो राघव की बढ़ी धड़कनों को महसूस कर रही थी वैसे ही राघव को भी महसूस हो रहा होगा पर अब उसे उसकी परवाह नहीं थी लेकिन नेहा की इस लाइन ने राघव के दिमाग के तार हिला दिए थे वो समझ नहीं पा रहा था के ये दोस्ती वाली बात इसको कैसे पता चली वो तो यही प्लान किया था के पहले दोस्ती से शुरुवात करेंगे और यहा उसके बगैर बोले ही नेहा के उसका प्लान फ्लॉप कर दिया था

राघव- तो तुम्हारा मतलब है के दोस्त बनने का कोई मतलब नहीं?

नेहा- नहीं ऐसा नहीं है मतलब हम एकदूसरे के साथ रहकर खुले दिल से बाते कर सकते है एकदूसरे के साथ कंफर्टेबल हो सकते है लेकिन ये सब हम पति पत्नी बनकर भी तो कर सकते है न फिर दोस्त बनके क्या हो जाएगा

राघव कुछ नहीं बोला, उसे तो अब भी समझ नहीं आ रहा था के ये सब क्या चल रहा है और ये नेहा अचानक बाकी कपल जैसे बनने का क्यू ट्राइ कर रही है

‘डिअर पतिदेव धीरे धीरे आपको इस नेहा की आदत न डला दी तो नाम बदल लूँगी मैं अपना, मैं आपके साथ रहने के लिए कुछ भी करने को तयार हु और मैं किसी भी हालत मे आपका साथ नहीं छोड़ने वाली, शेखर सही था उन्होंने रोका नहीं मुझे और मैं बेवकूफ बगैर कोशिश किए ही हार मान रही थी, हमने बगैर बात किए की एकदूसरे को ब्लैम किया लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मुझे माफ कर दीजिए मै समझ नहीं पाई आपको लेकिन अब मैं आपका साथ नहीं छोड़ने वाली’

नेहा ने मन ही मन सोचा और नींद के आग़ोश मे समा गई वही

इसको अचानक क्या हुआ और ये इसको दोस्ती वाली बात कैसे पता चली? काही ये मेरा मन तो नहीं ना पढ़ने लगी? लेकिन जो भी हो अच्छा लग रहा है, मैं भी इस रिश्ते को निभाने की पूरी कोशिश करूंगा नेहा’

राघव ने मन मे सोच और वो भी सो गया अगली सुबह के इंतजार मे नई शुरुवात की राह मे....

क्रमश:
Nice update
 

Babybulbul

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Update 20



अगली सुबह

नेहा- मा मैं उनकी लेमन टी लेकर जा रही हु उनका जिम का टाइम हो गया है

नेहा मे एक स्माइल के साथ कहा, वो तो अब राघव के साथ एक पल नहीं छोड़ना चाहती थी

जानकी- क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो

नेहा- नह.. नहीं मा बस ऐसे ही मैं आती हु उन्हे चाय देके

इतना बोल के नेहा जल्दी वहा से निकल गई और उसे जाता देख मीनाक्षी बोली

मीनाक्षी- जीजी लगता है सब जल्द ही सही हो जाएगा

जानकी- हम्म मुझे भी ऐसा ही लगता है।

इधर नेहा जैसे ही रूम मे पहुची तो राघव बाथरूम से बाहर आ रहा था, उसने राघव को देख एक स्माइल पास की जिसे देख राघव जहा था वही जम गया और बड़ी आँखों से उसे देखने लगा

नेहा- आप न जब ऐसे आंखे बड़ी करके देखते है न बड़े क्यूट लगते है

नेहा के राघव के पास आकार उसे चाय देते हुए कहा बदले मे राघव ने उसके माथे को अपने हाथ से छुआ और कुछ पुटपुटाया

नेहा- क्या हुआ?

राघव- तुमको क्या हुआ है तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?

नेहा- मुझे तो कुछ नहीं हुआ है

राघव- तो क्या तुम कही गजीनी तो नहीं बन गई मेमोरी लॉस प्रॉब्लेम?

नेहा- मैं एकदम फिट और फाइन हु

नेहा ने गजीनी वाली बात पर तुनक कर कहा

राघव- तो फिर ऐसे क्यू बिहेव कर रही हो?

राघव ने उसके हाथ मे से चाय का कप लेकर साइड मे टेबल पर रखते हुए पूछा, उसे कुछ बाते क्लियर करनी थी

नेहा – मैं एकदम नॉर्मल हु

राघव- नहीं तुम नॉर्मल नहीं हो, समझ आ रहा है न? तुम कभी मुझसे ऐसे बात नहीं करती हो

नेहा- तो? अब क्या मैं अपने पति से बात भी नहीं कर सकती

राघव- और तुम कबसे मुझे अपना पति मानने लगि?

राघव ने नेहा की ओर एक कदम बढ़ाते हुए पूछा

नेहा- उस दिन से जिस दिन से आपने मेरी मांग मे सिंदूर भरा था

नेहा ने भी एक कदम राघव की ओर बढ़ाया

राघव- पर तुमने तो मुझे ये कभी कहा नहीं

राघव ने उसकी ओर एक और कदम बढ़ाया और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला

नेहा- आपने कभी पूछा ही नहीं

नजरों का नजरों का कॉन्टैक्ट बनाए रखते हुए नेहा ने भी एक और कदम राघव की ओर बढ़ाया

राघव- तो तुम्हें बगैर पूछे बताना चाहिए था

राघव और करीब आया

नेहा- तो आपको भी बगैर कुछ कहे अपना हक मुझपर जताना चाहिए था

नेहा भी राघव के करीब आयी, दोनों एकदूसरे की सासों को महसूस कर सकते थे बस एक इंच की दूरी थी दोनों के बीच अगर कोई उन्हे धक्का दे देता तो शायद किस हो जाता, वो दोनों बगैर पलक झपकाए एकदूसरे की आँखों मे देखे जा रहे थे, वो एकदूसरे की आँखों मे खो चुके थे के तभी

नेहा- सुनिए!

नेहा ने धीमे से कहा

राघव- हम्म?

नेहा- चाय पी लीजिए, वो ठंडी हो जाएगी और आप लेट

नेहा ने अपनी हसी दबाते हुए कहा और राघव की तंद्री टूटी

राघव- हूह?

नेहा की बात से राघव सपनों की दुनिया से बाहर आया और नेहा पीछे सरकी

नेहा- आपकी लेमन टी पी लिजीए पतिदेव

नेहा ने अपनी हसी रोकते हुए कहा और वहा से बाहर आ गई क्युकी वो जानती थी के अगर एक और पल वो वहा रुकी तो उसकी हसी छूट जाएगी, राघव का चेहरा लाल हो गया था, राघव ने अपने बालों मे हाथ घुमाया और एक छोटी सी बस छोटी सी मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आयी

इसको अचानक क्या हो गया है यार कल तक तो रोंदू बनी हुई थी और आज देखो, खैर जो भी हो अच्छा लग रहा है चलने देते है’

राघव ने मन मे सोचा और चाय पीने लगा

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के लिए जमे हुए थे

रमाकांत- आज क्या कुछ स्पेशल है?

रमाकांत जी ने डायनिंग टेबल पर खाने को देखते हुए कहा

धनंजय- हा आज क्या है जो इतना सब बना है ?

शेखर- डैड गौर से देखिए सब भाई के पसंद का बना है

शेखर ने नेहा को देखते हुए कहा वही राघव बस चुपचाप बैठा था और नेहा उसकी प्लेट मे नाश्ता परोस रही थी

मीनाक्षी- हा आज सब नेहा ने बनाया है

ये सब बात चित चल ही रही थी के गायत्री जी ने सबको चुप कराया और बोलना शुरू किया

गायत्री- सब लोग ध्यान से सुनो कल हमने घर मे सत्यनारायण की पूजा रखी है और मुझे किसी को अलग से बताने की जरूरत नहीं है के मुझे कल सब वहा लगेंगे क्युकी सब लोग वहा मौजूद होंगे लेकिन राघव मैं खास तौर पर तुम्हें कह रही हु के तुम कल मुझे पूजा मे दिखने चाहिए इसीलिए अच्छा होगा के तुम कल छुट्टी लेलों मैं कोई बहाना नहीं सुनूँगी समझ आया?

राघव कुछ नहीं बोला बस चुप चाप उसने हा मे गर्दन हिला दी, राघव अपनी दादी से घर मे थोड़ा डरता था उनके सामने उसकी आवाज नहीं निकलती थी, दादी की जगह अगर दादू या और कोई ये बात बोलता तो जरूर वो कोई बहाना बना देता लेकिन दादी के सामने वो बिल्कुल गाय था।

नेहा अपने पति का ये भीगी बिल्ली वाला रूप देख शॉक मे थी ‘ये मेरे ही पति है ना’ ये ख्याल भी एक पल को उसके मन मे आया और उसका ये कन्फ्यूज़ चेहरा उसके ससुर जी ने देख लिया

रमाकांत- अरे नेहा बेटा ऐसे मत चौकों वो तुम्हारी दादी से बहुत डरता है..

रमाकांत जी ने हसते हुए कहा

राघव- मैं डरता वरता नहीं हु डैड मैं बस रीस्पेक्ट करता हु दादी की

राघव ने एकदम से कहा, अब वो अपने आप को नेहा के सामने डरपोक कैसे बताता ना

धनंजय- तो मतलब तुम हमलोगों की रीस्पेक्ट नहीं करते है ना? क्युकी हमारी तो कोई बात नहीं मानते हो

राघव- अरे यार चाचू वो क्या है...

गायत्री- क्या?

राघव- कुछ नहीं मैं निकलता हु अब अभी जल्दी जाऊंगा तो शाम मे जल्दी आऊँगा फिर कल घर रहूँगा बाय एव्रीवन

राघव कुछ बोलने की वाला था के दादी ने उसे रोक दिया और अब फिर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई तो बंदा वहा से निकल लिया

नेहा तो उसे ऐसे देख रही थी ऐसे वो कोई ऐलीअन हो, श्वेता जो उसके बगल मे बैठी थी उसने नेहा को इशारे से होश मे लाया और वो उठी और राघव के पीछे जाने लागि वरना वो वापिस लंच लिए बगैर चला जाएगा

नेहा लंच बॉक्स लेकर राघव के पीछे गई और उसे आवाज दी, वो भी नेहा की आवाज सुन पलटा और वापिस लंच बॉक्स देख उसने नजरे घूम ली

यार इसको ये डब्बा क्यू पकड़ाना होता है खुद नहीं आ सकती क्या ऑफिस मे’

(आयी तो थी तूने ही रुलाके भागा दिया था चूतिये 🥲)

राघव ने मन मे सोचा और मानो नेहा उसके मन की बात सुन ली हो

नेहा- वो मुझे मार्केट जाना है कल की पूजा की शॉपिंग के लिए

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव थोड़ा शॉक हुआ

‘ये सही मे मेरे मन की बात नहीं न पढ़ने लगी? नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए, बेटा राघव दिमाग को कंट्रोल कर

राघव ने अपने खयाल झटके और नेहा को देखा तो नेहा उसकी ओर ही देख रही थी, राघव ने उसके हाथ से बॉक्स लिया और मुड़ने ही वाला था के नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- ऐसे ही जा रहे है?

राघव को कुछ समझ नहीं आया

नेहा- मतलब मैंने आपसे कुछ कहा था न ?

राघव- क्या?

नेहा- मैंने कहा था न मुझे उस पहले दोस्ती वाले कन्सेप्ट पर भरोसा नहीं है हम बेहतर तरीके से हमारा रिश्ता सुधार सकते है

नेहा ने इस उम्मीद मे कहा के राघव उसकी बात समझ जाए लेकिन उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ा

राघव- तो?

नेहा- तो हम पति पत्नी है!

नेहा अपनी साड़ी के पल्लू के साथ खेलते हुए बोली

राघव- अच्छा हुआ बता दिया मुझे तो पता ही नहीं था वो क्या है न पहली बार शादी हई है तो कोई आइडिया नहीं

राघव अब इरिटैट हो रहा था

नेहा- आपको नहीं पता नॉर्मल कपल कैसे बिहेव करते है?

और अब नेहा भी इरिटैट हो रही थी

राघव- तुमने कभी बताया ही नहीं

राघव की बात सुन नेहा थोड़ी मुस्कुराई

नेहा- अब बता रही हु ना, देखिए कुछ चीजे होती है, पति पत्नी के बीच जिससे मैरीड लाइफ बैलेन्स रहे

नेहा राघव को हिंट देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसके दिमाग मे कुछ नहीं घुस रहा था

राघव- और वो क्या है?

राघव की बात सुन नेहा की सारी स्माइल हवा हो गई

नेहा- कुछ नहीं! बाय लेट हो रहा होगा आपको

अजीब लड़की है’ राघव ने सोचा और जाने के लिए बढ़ा वही नेहा भी अंदर जाने के लिए मुड़ी ही थी के राघव ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी ओर खिचा, देरी से ही सही राघव के दिमाग की बत्ती जली थी

राघव ने नेहा को कलाई से पकड़ के अपनी ओर खींचा जिससे नेहा उसके सीने के जा टकराई, नेहा के दोनों हाथ राघव के कंधों पर थे और वो आंखे चौड़ी किए उसे देख रही थी वही राघव के अपना दूसरा हाथ नेहा की कमर पर रखा जिससे नेहा सिहर उठी

ये पहली बार था सब जानते बुझते वो एकदूसरे के इतने करीब थे..

आसपास का महोल मानो एकदम रुक गया था बस उनकी धड़कनों का शोर सुनाई दे रहा था राघव उसकी आँखों में देख रहा था वो उसके और करीब आया, राघव को अपने इतने करीब पाकर नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली, उसके हाथ राघव की शर्ट पर कस गए और उसने अपने होंठ भींच लिए

इससे पहले के वो कुछ कर पाती उसे राघव के होंठों का स्पर्श उसे अपने माथे पर महसूस हुआ और वो वही जम गई उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया था आंखे और ज्यादा कस के उसने बंद कर ली थी, वो उसके और करीब आया और उसके दाएं कान मे बोला

राघव- बाय..

बस खतम, राघव नेहा को ऐसे बुत बना देख मुस्कुराया और अपनी कार की ओर जाने लगा, दरवाजा खोल कर वो रुका लेकिन उसे नेहा की ओर नहीं देखा और उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई

जिसके बाद राघव अपनी कार लेकर वहा से निकल गया और नेहा वही खड़ी रही और गाड़ी के हॉर्न ने उसे होश लाया, उसने अपने माथे हो हाथ लगाया जहा राघव ने उसे चूमा था

वो उस सीन को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था

‘मैं तो पूजा की शॉपिंग मे इन्हे साथ चलने कह रही थी और ये क्या ही समझे उसको, वैसे मुझे नहीं पता था राघव देखपाण्डे का ये साइड भी है’ नेहा मुस्कुराई और घर के अंदर चली आई....

क्रमश:
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Babybulbul

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Hello guys Raghav this side ये थोड़ा आपलोगों को अनयूशूअल लग रहा होगा बट इस राइटर ने मुझे ही विलन बना दिया है, अब वो पूरा गलत भी नहीं है ना ही आप लोग गलत हो और ना ही ये सब मेरी इमेज सुधारने के लिए है बस मुझे अपना पॉइंट ऑफ व्यू आप के सामने रखना था इसीलिए तो थर्ड पर्सन की नजरों से निकल कर सीधा यहा बैठा हु और हा हु मैं थोड़ा चूतिया नहीं समझता मुझे कुछ भी, नहीं संभाले जाते रिश्ते है अब ऐसा हु तो हु...

मेरी लाइफ एकदम से बदल गई थी, सबकुछ सही जा रहा था इस शादी के पहले सब एकदम लाइन पर था लेकिन फिर दादू ने इस रिश्ते की बात कर दी तब से सब बदल गया, मेरा शेड्यूल, मेरा बिहेवियर, मेरा मेरी फॅमिली से बॉन्ड और सबसे ज्यादा मैं...

हालांकि ये सब पहली बार था ऐसा नही है मुझे पहले भी अपने आप को बदलना पड़ा था लेकिन अब मुझे वैसे जीने की आदत हो चुकी थी और फिर दादू ने शादी की बात कर दी

ऐसा नहीं है के मैं उससे नफरत करता हु बस ये था के मुझे शादी ही नहीं करनी थी ना तो नेहा से न किसी और से क्युकी मैं जानता था के मैं उसे वो प्यार वो केयर नहीं दे पाऊँगा जो वो डिजर्व करती है। नहीं होगा मुझसे चाहे कितनी ही कोशिश कर लू, नजाने मुझसे इस शादी के लिए ना क्यू नहीं कहा गया शायद मैँ अपने घरवालों को नाराज नहीं करना चाहता था लेकिन इस सब मे मुझसे सबसे बड़ी गलती ये हुई के मैंने नेहा का इसमे दिल दुखया है, शायद मैं उससे बात कर लेता तो हम दोनों ही इस सबसे बच सकते थे लेकिन अब मामला काफी आगे बढ़ चुका है इसीलिए मैंने बस अपनी जिम्मेदारिया निभाने का सोचा लेकिन मैं उसमे भी फेल हो गया

मेरे अतीत का असर मेरे वर्तमान पर बहुत बुरी तरफ छाया हुआ है, कुछ ऐसी बाते है जिन्हे मैं किसी को नहीं बता सकता बस उस घटना के बाद मुझे लोगों पर भरोसा करने मे तालमेल बिठाने मे थोड़ा वक्त लगता है I’m not able to get along with people, और इसीलिए अब मेरे ज्यादा दोस्त भी नहीं है जो थे उनसे मैंने ही कान्टैक्ट काम कर दिया बस एक विशाल ही है जो सब जानता है

हा मैं इस शादी से भाग रहा था मैं दूर चले जान चाहता था सबसे इसीलिए तो मैंने शादी की रस्मे होते ही बिजनस ट्रिप का बहाना बना दिया था, मैंने जान बुझ कर अपने pa से कह कर ट्रिप फिक्स कारवाई थी और विशाल के पास चला गया था

मैंने नेहा से ज्यादा बात करने की कोशिश भी नहीं की और न ही उसने, मैं वापिस से बैच्लर जैसा महसूस करने लगा था क्युकी मैंने उसके साथ एक पूरा दिन कभी बिताया ही नहीं था मैं तो उन दो महीनों मे भूल भी गया था के मेरी शादी हो चुकी है जब तक मॉम और डैड का मुझे कॉल नहीं आया

उन्होंने मुझसे मेरा हाल चाल तो पूछा ही साथ ही मुझसे ये भी पूछा के मैं नेहा से रोज बात कर रहा हु या नहीं और तब जो मुझे पता चल उसने मुझे चौका दिया मैं कुछ कहता इससे पहले ही मा ने मुझे बताया के नेहा से उन्हे कहा था के हमारी रोज बात होती है

ये मोमेंट मेरे लिए ट्रिगरींग पॉइंट की तरह था, उस समय विशाल मेरे साथ था और वो मुझे समझाने की पूरी कोशिश मे लगा रहता था लेकिन मैं उसकी एक नहीं सुनता था लेकिन मा से बात होने के बाद और विशाल से इस बारे मे बात करने के बाद मैंने बहुत सोचा तो घर लौटा लेकिन मैं नेहा से बातचित कर ही नहीं पाता था, मैं चाहता था के वो पहले आकार मुझसे बात करे औरे ये मेरे ऐरगन्ट नेचर की वजह से नही है बल्कि मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी के मैं खुद उससे नजरे मिला कर बात करू अब इस बात पर मुझे वापिस चूतिया, या जो भी कहना हो कह लो बट जो है सो ये है

मैंने नेहा की कोशिशे देखि है उसने इस रिश्ते को सुधारने का बहुत ट्राय किया है और जब मुझे लगता के अब मामला थोड़ा सही हो सकता है वो पीछे हट जाती और सारी कहानी वापिस वही आ जाती जहा से शुरू हुई थी


उसका मेरे लिए देर रात तक इंतजार कर मुझे पसंद नही था इसीलिए जब मैंने उसे पहली बार मेरे इंतजार मे जागता देखा मैंने उससे कहा था के मुझे उसकी मदद की कोई जरूरत नहीं है वो ये सब ना करे अब इसमे मैं रूड नही बनना चाहता था लेकिन मेरी आवाज ने धोका दे दिया और मैंने वो बात थोड़ी कडक आवाज मे कह दी बस उसके बाद से नेहा रुक गई और अपने काम से काम रखने लगी

अपनी बिजनस ट्रिप से लौट कर उन 3 महीनों मे मैंने बस काम किया है और ऑफिस में बैठ कर उससे बात कर पाने की हिम्मत जुटाई है, मैं हमेशा उसके बारे मे सबसे सुनता था जब भी दादू शेखर डैड विवेक रिद्धि मा चाची चाचा उसके बारे मे बात करते मैंने वो सब बड़े ध्यान से सुना है लेकिन कभी नोटिस नहीं होने दिया

मुझे ये भी पता है के दादी उसे मेरी वजह से बहुत कुछ कहती है और सच कहू तो इसका मुझे बहुत बुरा लगा था लेकिन दादी गलत नहीं है उन्हे बस मेरी ज्यादा चिंता है

दादी को दादू का मुझे इस तरह शादी के लिए मनाना पसंद नहीं आया था लेकिन दादू अपनी बात पर अडिग थे के नेहा ही मेरे लिए परफेक्ट है तब दादी ने भी माना के अगर दादू इतना कह रहे है तो इसके पीछे जरूर कोई रीज़न होगा

और फिर शेखर की शादी हुई जिसमे मैं मौजूद नहीं था, अपने ही भाई की वो भाई को मेरे सबसे चहेता था उसी की शादी मे मैं नहीं था जिसका मुझे काफी ज्यादा रिग्रेट है बट मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता, नेहा ने सोचा के मैं उसकी वजह से शेखर की शादी मे नहीं था मैं उसे अवॉइड कर रहा था लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है यहां वो गलत है, शेखर ने अपना मास्टर्स वही से पूरा किया है जहा से मैंने किया था जब मैं फाइनल इयर मे था वो फर्स्ट ईयर मे और अपने स्वभाव की वजह से वो अपने बैच मे तो था ही बल्कि सीनियर्स मे भी पोपुलर था और मैं जानता था वो अपने दोस्तों को जरूर बुलाएगा जिसमे मेरे अतीत से जुड़े कुछ लोग भी थे और मैं उनका सामना नहीं करना चाहता था इसीलिए मैं शेखर की शादी से दूर था

उसकी शादी के बाद जब दादू और मेरी बात चीत हुई जिसमे बस वो बोल रहे थे तब मुझे ये सब समझ आया

उस दिन दादू ने मुझे बहुत कुछ बताया और मैं अपनी गलती मानता हु मेरी वजह से नेहा ने बहुत कुछ सहा है बहुत कुछ सुना है मेरी ही वजह से वो ऐसे रह रही थी उसकी तो इस सब मे कोई गलती नहीं है मेरे अतीत से उसका कोई लेना देना नहीं है जबकि उसकी सजा वो भुगत रही थी और फिर आया उसका बर्थडे

भाई यार इस लड़की को अपना बर्थडे मनाना तक पसंद नहीं और जब उससे पूछा तो उसने मुझे ही और गिल्ट मे डाल दिया पहले से क्या कम गिल्ट है मेरी जिंदगी मे, वो कुछ तो छुपा रही थी और मैं वो जानना चाहता था लेकिन मुझसे ज्यादा फोर्स नहीं किया गया

दादू की बात सुन मैं हमारे रिश्ते को एक मौका देना चाहता था वरना अपनी इनसिक्योरिटीज के चलते मैंने इस रिश्ते से उम्मीद छोड़ दी थी और तब नेहा ने कह दिया के उसे मेरी रिस्पांसिबिलिटी बनके नहीं रहना है

वो अपनी जगह बिल्कुल सही थी उसकी जगह मैं होता तो मुझे भी यही लगता किसी पर बर्डन बनना कीसे पसंद होगा फिर भी उसमे कमाल की सहनशक्ति है मेरा सब्र का बांध अब तक टूट चुका होता

मैं हम दोनों को चांस देना चाहता हु बस मैं इनसिक्योर हु और रीज़न मैं बता नहीं सकता

आजकल पता नहीं क्या हो रहा है मुझे जब भी उसे इग्नोर करना चाहता हु मैं उसकी ओर और भी खिचा जा रहा हु, मैं उससे बात करना चाहता हु उसकी बात सुनना चाहता हु उसके बारे मे सब जानना चाहता हु

मैं चाहता हु वो मेरे करीब आए मैं उसे नहीं रोकूँगा, मैं चाहता हु वो हमेशा मेरे साथ रहे बस मैं उससे ये कह नहीं पाता हु

क्या हो अगर वो मुझे छोड़ के चली जाए?? मैं किसी को ये बात महसूस नहीं होने देता हु मैं वैसे तो बाद गुस्से वाला हु लेकिन दूसरों के लिए हा कई बार वो गुस्सा अपनों पर निकल जाता है लेकिन मैं बहुत ज्यादा डरपोक इंसान हु

मुझसे हिम्मत नहीं है इसीलिए तो मैं चाहता हु नेहा मुझसे उम्मीद ना छोड़े कोशिश करती रहे ताकि मैं उसके करीब जा पाउ धीरे धीरे अपने डर को पीछे छोड़ के अब इस बात और आप मुझे स्वार्थी कह सकते है

वो मेरे अतीत के बारे मे कुछ नहीं जानती है मैंने उससे कभी बात ही नहीं की है फिर भी मैं उससे उम्मीदें लगाये हु

अब ये कहना बिल्कुल ही झूठ होगा के मैं उसे पसंद नहीं करता हु, मैं उसे पसंद करने लगा हु

मैंने उसे जब भी देखा है मुसकुराते हुए देखा है लेकिन मैं ये भी जानता हु के वो मुस्कान झूठी है, मुझे भी चिंता है उसकी बस मुझे जताना नहीं आता, जब वो ऑफिस से रोते हुए घर गई थी मुझे कैसा फ़ील हो रहा था मैं नहीं बता सकता, मैं उसे तकलीफ नहीं देना चाहता था वो अनजाने मे हुआ था और उसके बाद शेखर मुझपर भड़क गया और फिर विशाल तो था ही, और सच कहूं तो मैं शेखर और विशाल का गुस्सा डिजर्व करता था मेरी गलती थी मुझे नेहा को रोकना चाहिए था लेकिन मैं विशाल के साथ बैठ रहा

मैं बात भले विशाल के साथ कर रहा था लेकिन मेरे ज़ेहन मे बस नेहा थी उसका रोता हुआ चेहरा था

मुझे लगा था के अब सब वापिस पहले जैसा हो जाएगा वही लाइफ मेरा उससे बात करने की हिम्मत ना होना उसे इग्नोर करना और उसका अपनी कोशिश से पीछे हटना,

विशाल की कही बाते भी मेरे दिमाग मे चल रही थी दोस्ती करने वाले आइडिया मे दम था लेकिन जब मैं घर पहुचा मैं नेहा के बिहेवियर से शॉक था वो ऐसे बता रही थी जैसे हम दोनों कोई परफेक्ट कपल हो और ऑफिस मे कुछ हुआ ही ना हो और फिर वो मोमेंट जब उसने मुझे उसकी राह देखते पकड़ा मेरा उलट फोन सीधा करके मुझे पकड़ाया

उसके बाद रूम मे हमारा एक ही बेड पर सोना उससे भी ज्यादा उसका मुझे पीछे से चिपकना मेरे पास उस फीलिंग को बताने के लिए शब्द ही नहीं है मैंने उसे रोका नहीं क्युकी कही न कही मैं भी यही चाहता था, उसका साथ...

फिर अगली सुबह उसका यू करीब आना और उसकी वो मुस्कान मेरे साथ होते हुए मैंने उसे पहली बार मुसकुराते हुए देखा था वो मुस्कान किसी का भी दिन बनाने के लिए काफी थी

उसके बाद उसका मुझे लंच बॉक्स देना, मुझे नही पता के वो किस बारे मे बात कर रही थी बट जितना मैंने समझा मैंने उसके माथे को चूम लिया उसका रिएक्शन देख मैं इतना तो समझ गया हु के मेरा उसपर असर तो होता है, उस समय वो इतनी क्यूट लग रही थी मन किया उसके गाल खिच लू लेकिन मेरे जैसे इंसान से ऐसा एक्शन उसे शायद डरा देता

अब मैं हम दोनों को एक मौका देना चाहता हु पूरे दिल से, मैं नहीं जानता के मैं इस रिश्ते को निभा पाऊँगा भी या नहीं लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा के नेहा को कोई तकलीफ ना हो, वो पहले ही मेरी वजह से बहुत सह चुकी है

बस मैं इतना चाहता हु के वो मुझपर थोड़ा भरोसा करे मैं चाहता हु वो मेरी जिंदगी मे रहे मैं उसके साथ रहने की पूरी पूरी कोशिश करूंगा मुझे बस उसका सपोर्ट और थोड़ा पैशन्स चाहिए मुझे बस अपने आप को उसके लिए तयार करने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए,

मैं कोई दूध का धुला इंसान नहीं हु मैंने बहुत गलतिया की है और सबसे बड़ी गलती तो ये है के मैंने पिछले 5 महीनों मे अपनी नई नवेली पत्नी को पूरी तरह इग्नोर किया है और इसे मैं बदल नहीं सकता, मैं तो इसकी माफी भी नहीं मांग सकता क्युकी इसकी माफी ही नहीं है लेकिन मैं अब इतनी कोशिश तो कर ही सकता हु के अब आगे से ऐसा ना हो और ये मैं करूंगा... अब कोई चाहे मुझे गधा कहे डरपोक कहे चूतिया कहे लेकिन जो है वो है और अब मैं नेहा को तो मुझसे दूर नही जाने देने वाला.....


क्रमश:
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Update 22



इस वक्त शाम के 5 बज रहे थे और राघव अपने ऑफिस मे बैठा विशाल से फोन पर बात कर रहा था वही विशाल उसकी बातों से परेशान हो गया था, एक तो वो कुछ घंटों पहले ही लंदन पहुचा था और काफी ज्यादा थका हुआ था ऊपर से जेटलैग, उसे काफी ज्यादा नींद आ रही थी और राघव उसे फोन पर अपने और नेहा के बीच हुई कल वाली पूरी बात सुना रहा था

विशाल- चलो अच्छा है तुम दोनों मे से किसी को तो अक्ल आई कोई तो पहल कर रहा

राघव- अबे वो तो ठीक है पर मुझे क्या लगता है भाई वो ना मेरे मन की बात सुन लेती है, उसने तो मेरे बगैर बोले ही वो दोस्ती वाला प्लान फेल कर दिया

विशाल- जब आदमी प्यार मे होता है तो ऐसा होता है दूसरे के मन की बात सुनाई देती है तू मुन्ना भाई एमबीबीएस नहीं देखा क्या ज्यादा मत सोच जो हो रहा है होने दो

राघव- मैं भी तो यही चाहता हु लेकिन साला जब भी उसके करीब जाने की कोशिश करता हु मेरा पास्ट मुझे रोक देता है डरता हु कही वो.... मैं दोबारा उस सब से नहीं गुजरना चाहता भाई.... तेरे को पता है मैं शेखर की शादी मे भी नहीं था ऐसा नहीं था के मैं उससे भाग रहा था लेकिन वहा भी मेरा पास्ट बीच मे आया था, पर अब बस बहुत हो गई भागा दौड़ी अब मुझे उसके साथ रहना है, पसंद करने लगा हु मैं उसे और चाहे कुछ हो जाए मैं उसका साथ नहीं छोड़ने वाला और मैं जानता हु के वो भी अब पीछे नहीं हटेगी।

विशाल- शाबाश! अब मजनू साहब आपका ये इजहार ए इश्क अपनी बीवी के सामने जाकर करिए और मुझे सोने दीजिए

राघव- हा हा पता है थका हुआ है तू जा सोजा मुझे भी घर जल्दी जाना

--x--x--

अगले दिन पूरे देशपांडे वाडे में हलचल थी सुबह से ही पूजा की धूम सारे घर मे देखि जा सकती थी और गायत्री जी खुद सारे काम को देख रही थी।

गायत्री- अरे वो फूल यहा नहीं वहा लगाने है

दादी ने एक वर्कर से कहा जो गलत जगह फूल लगा रहा था

गायत्री- ये धनंजय कहा है? रमाकांत तुम जाओ और जाकर पंडित जी को ले आओ सिर्फ ड्राइवर को भेजना सही नहीं लगेगा

इतने मे धनंजय जी वहा आ गए

गायत्री- धनंजय तुमने प्रसाद के लिए मिठाई मँगवा ली थी न?

धनंजय- हा मा मैं बस वही कॉल करके पूछ रहा हु

गायत्री- हे भगवान अब तक क्या कर रहे थे फिर तुम, जाओ जल्दी देखो मेहमान आते होंगे

घर मे अगर कोई फंक्शन हो तो गायत्री जी को वो हमेशा परफेक्ट चाहिए होता है बस इसीलिए वो सारे कामों को खुद देख रही थी

गायत्री- जानकी श्वेता भगवान के भोग का प्रसाद बन गया?

दादी ने किचन मे आते हुए पूछा

जानकी- हा माजी बस हो ही गया है

इतने मे दादी ने देखा के दादू धीमे से किचन मे घुस रहे है और वो बस प्रसाद को छूने की वाले है के

गायत्री- आप यहा क्या कर रहे है? अरे भगवान को भोग तो लगने दीजिए अब बच्चे थोड़ी हो आप बुढ़ापे मे ऐसी हरकते शोब देती है क्या

दादी वही अपनी बहुओ के सामने दादू की क्लास लेने लगी और फिर उन्होंने पीछे पलट के देखा तो विवेक और रिद्धि वहा खड़े हस रहे थे तो उनकी भी क्लास लग गई

गायत्री – तुम दोनों वहा क्या हस रहे हो तुमको कुछ काम बताए थे न मैंने वो हो गए ?

“बस वही कर रहे है दादी बाय” दोनों ने एकसाथ कहा और सटक गए वहा से क्युकी रुक कर दादी की डांट थोड़ी खानी थी उन्हे

गायत्री- नेहा...!!!

नेहा- जी दादी

गायत्री- बेटा तुम्हारा बस एक काम है, तुम अभी ऊपर जाओ और तुम्हारे पती को नीचे लेकर आओ, बस यही सबसे मुश्किल काम तुम्हारे जिम्मे है

नेहा- जी दादी जी मैं बस उन्हे बुलाने जा ही रही थी

गायत्री- मीनाक्षी तुम मेरे साथ आओ मंदिर के पास कुछ काम बचा है

इतना बोल कर वो वहा से चली गई
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नेहा मुस्कुराते हुए सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे तक आई और उसने बगैर नॉक किए दरवाजा खोल दीया और जैसे ही दरवाजा खुला और उसकी नजर राघव पर पड़ी वो हल्की सी बस हल्की की आवाज मे चीखी

नेहा- आपके नीचे का कहा है..!!!!

नेहा अपने आंखे बड़ी करके चीखी और झट से मूड गई क्यू? क्युकी राघव वह बस अपना कुर्ता पहने खड़ा था और बस कुर्ता ही उसने पहन रखा तथा और पजामा उसके हाथ मे था

‘क्या करू मैं इनका कभी ऊपर का नहीं कभी नीचे का नहीं’ नेहा ने मन ही मन सोचा

वही नेहा को देख के राघव को भी अपनी सिचूऐशन का अंदाजा हो गया

राघव- तुम... तुम दरवाजा नॉक नहीं कर सकती क्या?

राघव ने चिल्ला के पूछा बदले मे नेहा ने भी सेम टोन मे जवाब दिया

नेहा- आप दरवाजा लॉक नहीं कर सकते क्या?

और नेहा के चिल्लाते ही राघव का सारा रौब हवा हो गया

नेहा- मुझे.. मुझे नहीं पता था आप ऐसे नंग... ऐसे होंगे.. जाती हु मैं

और नेहा वहा से जाने ही वाली थी के इतने मे ही

राघव- रुको!

राघव ने नेहा को रोका और वो रुक गई जिसके बाद राघव आगे बोला

राघव- देखो मैं जानता हु के ये तुम्हारे लिए नया है लेकिन मैं भी सेम फ़ील कर रहा हु

राघव जो कुछ कह रहा था नेहा सुन रही थी लेकिन वो पलटी नहीं

राघव- मैंने ये कभी किया नहीं है इसीलिए कोशिश करके देख रहा था पर अकेले नहीं हो पा रहा मुझसे...

अब राघव को जो कहना था वो तो उसने कह दिया लेकिन नेहा के दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे और उसके दिमाग मे अलग अलग चित्र विचित्र खयाल आने लगे

नेहा- ये.. ये क्या कह रहे है आप..

राघव- मेरी मदद कर दो यार मैं किसी से नहीं कहूँगा प्रामिस

नेहा- मैं... मैं कैसे आपकी मदद कर सकती हु?

नेहा अब नर्वस होने लगी थी

राघव- अरे यार परेशान हो गया हु मैं और बस एक तुम ही हो जो मेरी मदद कर सकती हो आखिर तुम मेरी पत्नी हो

बस राघव का इतना कहना था के नेहा की आंखे चौड़ी हो गई

नेहा- ये... ये कैसी.. बाते कर रहे है आप

राघव- कैसी मतलब? अरे यार देखो मैं जानता हु ये थोड़ा ऑक्वर्ड है पर आदत हो जाएगी और तुम मुझे सीखा देना कैसे करना है

अब राघव कुछ और कह रहा था लेकिन नेहा के दिमाग मे उसके शब्द कोई और ही फिल्म बना रहे थे

नेहा- देखिए... ये सही नहीं है

राघव- अरे सब सही है कुछ गलत नहीं है अच्छा एक काम करो दरवाजा लॉक कर दो ताकि कोइ देख ना सके

नेहा- बस! बहुत हुआ! आप ऐसे डायरेक्ट कैसे कह सकते है आपको शर्म नहीं आई ये कहते !

राघव- हह? अबे नाड़ा डलवाने मे कैसी शर्म??

अब नेहा के दिमाग की बत्ती जली

नेहा- नाड़ा? ओह आप नाड़े की बात कर रहे थे ?

नेहा ने एक नर्वस स्माइल के साथ पूछा

राघव- हा और नहीं तो क्या..

और नेहा के बिहेवियर पर राघव अब भी कन्फ्यूज़ था और जैसे ही उसके दिमाग की बत्ती जाली और उसको पूरा सीन ध्यान मे आया वैसे ही उसकी आंखे बड़ी हो गई

राघव- अबे पागल औरत तुम्हारा दिमाग कहा तक पहुच गया यार!!!

वही नेहा भी काफी ज्यादा शर्मिंदा थी, उसने दरवाजा बंद किया और उसके पास आई और उसके हाथ से नाड़ा लेकर पजामे मे डालने लगी

वही राघव उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था, नेहा ने जल्दी से पजामा राघव को दिया और बोली

नेहा- सब लोग आपका नीचे इंतजार कर रहे है जल्दी आइए

और इतना बोल के नेहा जल्दी से वहा से निकल गई वही राघव बस उसे जाते हुए देखता रहा

इसने अपने दिमाग के घोड़े कहा तक दौड़ा लिए थे यार’ राघव ने सोचा और अपना सर झटक दिया
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गायत्री- जानकी जाओ और वो फलों की टोकरी ले आओ जो मैंने कहा था तुमसे, आज राघव और नेहा बैठेंगे पूजा मे..

गायत्री जी की बात सुन जानकी जी ने अपना सर हा मे हिलाया इतने मे राघव वहा आ गया

गायत्री- राघव जल्दी जाओ और वहा जाकर बैठो, इतना समय लगाता है क्या कोई? नेहा तुम भी जाओ उसके साथ

दादी की बात सुन राघव झट से जाकर दादी की बताई जगह पर बैठ गया, राघव और नेहा दोनों ने एकदूसरे को देखा लेकिन फिर शर्म से अपनी नजरे घूम ली, नेहा के गाल गाल होने लगे थे और उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे जमी हुई थी

विवेक- भाभी क्या हुआ? तबीयत ठीक है आपकी?

विवेक को नेहा के बाजू मे बैठा था उसने पूछा बदले मे नेहा ने बस मुंडी हिला कर सब सही है कहा

विवेक- तो फिर आपको इतना पसीना क्यू आ रहा है?

नेहा- वो... वो गर्मी.. हा गर्मी बहुत हो रही ना यहा इसीलिए

नेहा ने जैसे तैसे जवाब दिया और अपने हाथ से हवा करने लगी वही विवेक उसे घूर के देखने लगा और फिर उसने राघव को देखा और इशारे को क्या हुआ पूछा, वही विवेक के सवाल बंद हो गए है देख नेहा ने एक राहत की सास ली और तभी उसे ऐसा लगा किसी ने उसके हाथ को झटके के खिचा हो, उसने देखा के किसने खिचा है तो वो राघव था फिर नेहा ने इशारे से राघव ने क्या हुआ पूछा तब राघव उसके करीब आया और उसके कान मे बोला

राघव- मिसेस देशपांडे यहां एसी और पंखे दोनों चल रहे है और उससे भी बड़ी बात हवा से आपके बाल उड़ रहे है तो थोड़ा ढंग का बहाना बनाओ..

और बोलते बोलते राघव ने उसके बालों की एक लट उसके कान के पीछे कर दी

राघव की इस हरकत से नेहा वही जम गई उसका वो टच और उसके मुह से अपने लिए मिसेस देशपांडे सुनना उसे अच्छा लगा था...

क्रमश:
Nice update
 

Adirshi

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Ek baar Dhokha milne par dobara kisi or par wishwaash karna mushkil hota hai lekin har insaan ek jaisa to nahi hota hai
:approve:
Itne dino se yahi samjh Me aaya abhi tak iske :sigh2:
tubelight hai bechara :laugh:
Ye buddhu ye bhi nahi kar paayega pakka :lol:
:yikes:
:roflol:

Badiya update tha najdikiya bad rahi hai baat chit bhi normal way me hone lagi hai :approve: laddu phut rahe hai dono ke man me kaise Sharma rahe hai :haha:

Kya ho agar raghav ki ex wapas aa jaaye :lollypop:
shukriya bhai :thanx:
 
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