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Romance In Love.. With You... (Completed)

park

Well-Known Member
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Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
Nice and superb update....
 

chawla sahab

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Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
Superb update brother
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,014
22,359
159
Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......


यार, ये राघव की एंटाइटलमेंट वाली फ़ीलिंग बड़ी गज़ब की है!
नेहा से उसको प्यार की पहल और पूरा प्यार चाहिए; अब उसको ऋतु का भी अटेंशन चाहिए।
उसके बदले में उसको देना क्या है? कुछ नहीं! बहुत बढ़िया!
ऐसे लोगों का पिछवाड़ा बाद में टूटता है। आशा है कि उसको ऐसी ही कोई सीख मिलने वाली है।
बाकी, अपडेट बड़ा बढ़िया है भाई :)
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
ओह, अभी तो वो असली वाली एक्स तो आई ही नहीं, राघव बाबू की हालत अभी से खराब हो गई...
 

kas1709

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Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
Nice update.....
 
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यह क्या ! गायत्री देवी की बड़ी बहन के यहां कुछ और ही चल रहा है। वो न ही बीमार है और न ही किसी तरह का दुर्घटना हुआ है।
पुरे हालात बदल गए , पुरी कहानी बदल गई और तो और किरदारों के जज्बात भी बदल दिए गए।
जरूर ऐसा आपने इसलिए किया होगा क्योंकि मैने कहा था कि बीमारी और दुख के माहौल मे रोमांस नही होता। इसलिए आपने आनन फानन पुरे प्रकरण को शादी-ब्याह के सीजन मे बदल दिया। :hehe:

वैसे शादी-ब्याह के माहौल मे जवान लड़के - लड़कियां मनपसंद साथी के साथ अक्सर नैन से नैन लड़ाते हुए मिल जाएंगे। कहीं रोमांस का सीन्स देखने को मिल जाएगा तो कहीं तकरार का । कहीं बात बनती हुई दिख जाएगी तो कहीं बनी हुई जोड़ी टूटती भी नजर आएगी।
नेहा और राघव अबतक सिर्फ नाम के पति - पत्नी है । थोड़ी-बहुत नजदीकियां आई तो है लेकिन इनमे कोई उत्साह या आशिक मिजाजी दिखा नही है हमे।
देखते है इस माहौल मे वो और कितना नजदीक आते है !

रितु मैडम की एन्ट्री निस्संदेह नेहा और राघव को ध्यान मे रखकर किया गया है। मुझे नही पता कि ये मोहतरमा राघव से प्रेम करती थी या नही पर इनके हाव-भाव देखकर यह जरूर लगता है कि राघव इनका बेस्ट फ्रैंड है। यह राघव के विहेवियर से भी स्पष्ट झलक रहा है। और बेस्ट फ्रैंड जब बहुत दिनों बाद मिलते है तो इनकी बॉन्डिंग एक अलग तरह की हो जाती है। यही रितु और राघव के साथ हुआ लेकिन अफसोस नेहा इसे गलत रूप मे ले ली।

और अगर रितु वास्तव मे राघव से किसी वक्त कभी प्यार किया करती थी और राघव के शादी के बाद अब भी उससे प्रेम करती है तो यह बिल्कुल ही गलत है। इसका मतलब उनका किरदार ग्रे शेड लिए हुए है। वो वैम्प के रोल मे है।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट Adirshi भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 
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dhparikh

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Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
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Babybulbul

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नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
Nice update
 
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Update 16



श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

अब आगे...

अगले दिन

नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..

नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी

श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।

श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी

नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो

श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम

तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा

जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई

श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए

श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।

नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई

श्वेता- बेब....

बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला

आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..

इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा

शेखर- हैलो हनी..

लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया


श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है

जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली

शेखर- हा हा चलो

--x--x--

राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।

राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।

नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।

डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा

शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?

शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा

राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..

श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए

इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था

राघव - तुम अकेली आयी हो?

श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?

राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया

शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे

शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए

राघव- क्यू?

शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा

राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।

राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा

शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?

शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया

राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ

राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा

श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी

श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा

राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?

श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है

शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?

शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो

राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??

राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया

राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?

राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए

ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया

शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई

शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- अब लंच कर ले

वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली

श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?

श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।

राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था

श्वेता- भाभी!

नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?

नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली

शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l

शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो

नेहा- नहीं!

श्वेता- नहीं मतलब ?

नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....

नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी

नेहा- लंच कर ले?

नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।

श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।

नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर

शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से

राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है

राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।

यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी

श्वेता- भाभी क्या हुआ ?

श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी

शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?

लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी

श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।

इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई

शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...

लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।

शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...

राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे

राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...

अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..



क्रमश:
Very nyc stori dear
 
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