UPDATE -11
चाचाजी गिलास मे भरे मीठे गाढ़े दुध को एक ही घूंट मे पी जाते है, शालिनी प्यार से उसके बालों मे उंगलिया घुमा रही थी ,जब दुध पी लेते है तब शालिनी बेड के पास पडी साड़ी का पल्लू लेके चाचाजी का मुँह साफ़ करती है और उसको पीने का पानी देती है चाचाजी थोड़ा सा पानी पी के उसको गिलास वापिस दे देते है।
शालिनी : मेरे अच्छे बच्चे, चलो अब चैन से सो जाओ
दोनों सो जाते है ,रात में शालिनी हर रोज की तरह बाथरूम मे जाके स्तनों से दुध निकलने जाती है ,गर्मियों की वज़ह से बाथरूम मे गर्मी से पसीना निकलता है जिस से शालिनी किचन मे ही खड़े खड़े अपने स्तनों से दुध निकलने लगती है
जब दोनों स्तनों से दुध खाली हो जाता है तो बर्तन को फ्रिज मे रख देती है, फिर वापिस आके सो जाती है।
सुबह को चाचाजी की नींद पहले खुलती है तो शालिनी को अपनी ओर करवट लेके सोयी हुई देखते है ब्लाउज मे से छलक रहे उसके स्तनों की जोड़ी की आपस मे हो रही लड़ाई भी देखते है ,कैसे दोनों स्तन एक दूसरे को बाहर धकेल रहे है,
चाचाजी : (मन मे..)क्या स्तनों की जोड़ी है ,मेरा तो दिन सुधर गया ,कितना भाग्यशाली हू जो कल इस सुन्दर स्तनों का दुध पीने मिला, नीरव और मुन्ने की तरह मे भी इस स्तनों का दुध पिया हू, क्या अभी इनको छू के देखू एकबार?,नहीं..नहीं...अगर छोटी माँ जग गई तो क्या जवाब दूँगा?
एसे ही विचारो की लड़ाई में उसका हाथ की उंगलिया कब शालिनी के स्तनों को छूने लगी उसको पता नहीं रहा ,मानो चाचाजी की उंगलिया शालिनी के स्तन रूपी खरगोश को सहला रही हो।
शालिनी को जब चाचाजी के उँगलियों का स्पर्श हुआ तभी उसकी नींद टूट जाती है पर वो आंखे बंध रखती है वो चाचाजी को टोक कर उसकी जिज्ञासा और ईच्छा को रोकना नहीं चाहती थी, थोड़ी देर बाद चाचाजी ने हाथ हटा लिया बाद मे तुरंत खड़े हो गए और बाथरूम जाने लगे, उसके जाने के बाद शालिनी बेड पर लेटी लेटी मुस्करा रही थी फिर वो भी बेड पर अंगड़ाई लेके खड़ी हो जाती है
और नील को देखती है, वो सो रहा था, चाचाजी भी बाथरूम से वापिस आते है।
चाचाजी : आप कब जगी?
शालिनी : बस अभी ,मे जगी तब तुम कहा थे? थोड़ी देर के लिए तो मे डर गई थी,फिर लगा तुम बाथरूम गए होंगे, लगता है तबीयत ठीक हो रही है।
चाचाजी : हाँ अब इतना दर्द नहीं है।
शालिनी : हाँ वो दुध जो पीते हो रोज।
चाचाजी : चलो आज कसरत करते है,
शालिनी : हाँ लेकिन आप बस प्राणायाम ही करेंगे, दूसरी कसरत आप पूरी तरीके से ठीक होने के बाद।
चाचाजी : ठीक है जैसे आप कहो।
चाचाजी बाहर हॉल मे आके दोनों के लिए आसान बिछाते है इधर शालिनी अपने योग वाले कपड़े पहनकर और हाथ मे योग वाली चट्टाई लेके आती है स्तनों के उभार से पहना हुआ टॉप काफी तंग हो रहा था ,जिस से स्तनों ऊपर उठे हुए थे, फिर दोनों योग करने लगते है ,
बाद मे शालिनी पसीने से अपना चेहरा पोछते हुए आती है और सोफा मे चाचाजी के बाजू मे आके बैठ जाती है ,चाचाजी देखते है उसके गले और स्तनों के ऊपर पसीने की बूंदे चमक रही थी,
शालिनी : चलो नहला देती हू,
वो चाचाजी को लेके बाथरूम मे आती है ,चाचाजी सिर्फ एक कच्छे मे थे ,जिस में उसके लिंग का उभार दिख रहा था ,शालिनी उसे नजरअंदाज कर के चाचाजी को नहलाने लगती है जैसे एक माँ अपने बच्चे को नहलाती है ,आज वो इसके बाल धो देती है ,चाचाजी आज भी उसके ऊपर पानी की बूंदे उड़ते है तब शालिनी उसे मना करती है पर वो नहीं मानते ,वो शालिनी को गिला कर देते है जिस से शालिनी को ठंडक मिलती है, वो चाचाजी के शरीर को पोंछ देती है, चाचाजी तौलिया पहनकर बाहर आते है ,शालिनी उसे लेकर कमरे मे आती है उसे हल्के कपड़े पहनाती है फिर खुद तौलिया और कपड़े लेके नहाने जाती है।
नहाकर आने के बाद वो पीली साड़ी पहनकर खाना बनाने जाती है
तभी नील जग जाता है ,तो वो नील को चाचाजी के पास रखकर नास्ता लेकर आती है,
शालिनी : चलो नास्ता कर लेते हैं।
चाचाजी : हाँ पर आज हम नीचे बैठकर खाना खाएंगे टेबल पर नहीं
शालिनी : क्यु?
चाचाजी : गाव में नहीं होगा ना, और नीचे बैठकर खाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है,
शालिनी : ठीक है जैसे तुम कहो मेरे बच्चे ,बस नास्ता कर लो।
दोनों जमीन पर बैठकर खाना खाते है, नील शालिनी के गोदी मे था ,तो शालिनी पल्लू से ढक कर उसको स्तनपान करवा रही थी ,
शालिनी : नीचे बैठकर खाने का एक फायदा तो है,
चाचाजी : क्या?
शालिनी : नील को भी हमरे साथ ही खाना मिल जाता है, जिस से समय भी बचेगा।
चाचाजी का ध्यान कई बार स्तनपान कराती शालिनी पर जा रहा था, दोनों खाना खा कर शालिनी ब्लाउज के हूक बंध कर के नील को सोफ़े पर सुला देती है, चाचाजी उसके साथ खेल रहे थे ,तब शालिनी हॉल मे झाड़ू पौंछा करने आती है ,वो जान बूझकर स्तन दिखे उस तरह से काम करती है
,चाचाजी का ध्यान उधर जाते ही एकटक दिखते रहते है, शालीन ये देखकर हल्का मुस्करा देती है, चाचाजी का ध्यान मुन्ने पर कम मुन्ने की माँ पर ज्यादा था, शालिनी सब काम खत्म करके पल्लू से हवा खाती हुई चाचाजी के बगल मे आके बैठ जाती है, और नील को दुलारती है,
शालिनी : आज कितनी गर्मी है,
चाचाजी : हाँ सही बात है, ।
शालिनी : हाँ वो काम किया ना अभी इस वज़ह से ज्यादा गर्मी लग रही है।
चाचाजी : कितना पसीना हो रहा है आप को
एसा बोल के वो शालिनी के कमर पर उंगली से पसीना लेके दिखाते है ,
शालिनी : चलो अब नृत्य करते है,
चाचाजी : वैसे भी बहुत गर्मी है,ऊपर से आप नृत्य करेगी तो और ज्यादा गर्मी होगी,इस से अच्छा है आप आज आराम करो
शालिनी : नहीं नहीं ,नृत्य तो मे करूंगी, रहा सवाल गर्मी का तो उसका इलाज है, आप बस गाना तैयार रखे मे कपड़े बदल के आती हू,
शालिनी कमरे मे आकर अपनी साड़ी निकाल कर अलमारी मे से पीली साड़ी और उसके ब्लाउज घाघरा निकालती है, जब वो अपना ब्लाउज निकालती है तब हल्के से अपने स्तनों को दबती है तो हल्का दुध निकलता है, और उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती है
शालिनी : आह..आह..इसमे तो फिर से दुध उतर आया ,अभी तो दुध पिलाया था नील को,लगता है दुध ज्यादा बनने लगा है ,अच्छा है चाचाजी को पर्याप्त दुध मिलेगा, पर दुध निकलने मे मेरे स्तनों की हालत खराब हो जाती है ,कितनी जलन होती है, मुझे कोई एसा तरीका ढूंढना पड़ेगा कि दुध बाहर निकल जाए और जलन भी ना हो,
चाचाजी : (बाहर से...)कितनी देर लगेगी माँ सब तैयार है ,बस आपका इंतजार है।
शालिनी : बस दो मिनट मे आयी।
शालिनी तैयार होके बाहर आती है तो चाचाजी देखते रह जाते है, उसने एक गाना पसंद किया था उसकी अभिनेत्री की तरह ही शालिनी लग रही थी,
पीली साड़ी, पिला ब्लाउज ,पीला घाघरा ,खुल्ले बाल ,माथे पर बिंदी, मांग मे सिंदूर, कान मे झुमके ,गुलाबी होठों पर हल्की लिपस्टिक, गले मे कंठमणि ,स्तनों के बीच मे जुलता मंगलसूत्र, नंगी पीठ जिस पे बस दो डोरी थी जिसपे ब्लाउज टीका हुआ था, कटीली कमर जिस मे साड़ी बंदी हुई थी पैरों मे झाझंर जो उसके चलने से झनकार करती है, मानो कोई अप्सरा या सोनपरी चली आ रही हो।
चाचाजी : आप ...आप...
शालिनी : क्या आप आप...?
चाचाजी : आप है न,आप बहुत सुन्दर लग रही है।
शालिनी : (शर्मा कर ..)क्या तुम भी, चलो गाना लगाओ
शालिनी चाचाजी ने जो गाना पसंद किया था उसपे नृत्य किया
,दो गाने के बाद पसीने से तरबतर शालिनी चाचाजी के पास आके बैठ जाती है।
चाचाजी : आप थक गई क्या?कितना पसीना आ रहा है, आप आराम कीजिए।
शालिनी : नहीं नहीं ,मेने कुछ अलग सोचा है आप मोबाइल दीजिए
शालिनी मोबाइल लेके कुछ गाने पसंद करके चलती है और चाचाजी हाथ पकड़ के अपने साथ लेके चलने लगती है।
चाचाजी : अब इस हालत में मेरे से नृत्य नहीं होगा
शालिनी : आप को नाचना नहीं है ,आप को बस बैठ के देखना है।
चाचाजी : हाँ लेकिन उधर हॉल मे क्या दिक्कत थी जो इधर जा रहे है?
शालिनी : बस अब कोई सवाल नहीं बस देखे और मे जब कहु तब गाना चला देना।
शालिनी चाचाजी को खड़ा करके एक कुर्सी लाती है और उसे बिठा देती है, उसने चाचाजी को बाथरूम के दरवाजे के पास बिठाया था।
चाचाजी : इतनी दूर से आपका नृत्य नहीं देखना ,मुझे पास से देखना है।
शालिनी : तो किसने कहा आप दूर से देखेंगे?
चाचाजी : इधर किधर नृत्य करेंगे आप?
शालिनी : यही तो मजेदार बात है, आज मेने अपने नृत्य से हो रही गर्मी का इलाज ढूंढ लिया है ,जिस से मेरे दो फायदे होंगे
चाचाजी : क्या?
शालिनी : पहला फायदा ये कि मेरा नृत्य भी होगा और दूसरा फायदा ये कि उस नृत्य से गर्मी भी नहीं होगी।
चाचाजी : भला वो कैसे ?
शालिनी : मे आज बाथरूम के फव्वारे के नीचे नृत्य करूंगी और आप को इधर बैठ के देखना है।
चाचाजी : क्या? कहां से आते है ये खुराफाती विचार?कहीं फिसल गए तो ?
शालिनी : कुछ नहीं होगा, सकारात्मक सोचो, पहले मे नृत्य करू बाद मे नहाने जाऊँ ,इस से अच्छा है नहाते हुए ही नृत्य करू, समय भी बचेगा ,जिस से मे अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताने को मिलेगा,
चाचाजी : ठीक है जैसा आप कहे ,
उधर चाचाजी गाना बजाते हैं और इधर शालिनी फव्वारा चालू कर के बरसातों वाले गाने पर नृत्य करती है,
पूरी तरह से भीगी हुई शालिनी को नृत्य करते हुए देखना चाचाजी के जीवन का अबतक का सबसे सुंदर और रोमांचक पल था ,
क्या लग रही थी ?मानो सावन के महीने में ताज महल पर हो रही पहली बारिस मे जैसे उसका असली रंग निखर आता है वैसे शालिनी के गोरे बदन पर फव्वारे से पानी गिर रहा था ,फव्वारे से गिर रहा पानी शालिनी के बदन को ठंडा कर रहा था पर वातावरण गर्म कर रहा था, गिरती हुई हर एक बूंद शालिनी के बदन को और भी आकर्षक और मादक बना रही थी, भीग जाने की वज़ह से पूरी साड़ी शालिनी के शरीर से चिपक गई थी ,जिस से उसके खूबसूरत शरीर के हर एक कटाव को बखूबी और सही से देखा जा सकता था,
चाचाजी की नजर हर समय यही भीगी हुई एक खूबसूरत स्त्री के शरीर के हर हिस्से को ध्यान से देख रहे थे, पहली नजर उसके गिले बालों पर पडी फिर गिले बालों से फिसल कर उसकी मोरनी जैसी गर्दन पर रुकती है, उसकी चिकनाई से फिसल कर उसके कंधे पर ठहर जाती है वहा पर सिर्फ एक ब्लाउज की पट्टी थी ,फिर वो पट्टी के ऊपर गिरते हुए उसके स्तन प्रदेश पर आती है जो नृत्य के कारण थिरक रहे थे जिस से चाचाजी की नजर कभी दाएं स्तन पर तो कभी वहा से उछलकर बाये स्तन पर आ जाती, थोड़ी देर बाद नजर स्तनों के बीच मे से फिसल कर गोल गहरी नाभि मे डूब जाती है ,नाभि रूपी कुए मे सौंदर्य स्नान करके उसकी कटीले कमर पर गोते खाती हुई साड़ी के सहारे फिसलकर पैरों पर आती है जो पायल पहने हुए थे ,जो एक जगह पर स्थिर नहीं रहते थे,फिर भी चाचाजी की नजर उसके साथ ही फिरती थी,
काफी देर नृत्य करके शालिनी थक जाती है ,फिर वो फव्वारा बंध करके चाचाजी की और आती है, जब वो नजदीक आती है तब चाचाजी को लगता है उसकी आंखे शालिनी को zoom करके देख रही है परंतु जब शालिनी पास आके उसे कंधे पर हाथ रख के बुलाती है तब उसे होश आता है, शालिनी जब बाहर आ रही थी तभी एक बार फिसलने वाले थी पर चाचाजी उसके हाथ को पकड़ कर उसे सम्भाल लेते है।
चाचाजी : देखो मे इसी लिए मना कर रहा था।
शालिनी : अरे... पर...नाचने के समय थोड़ी हुआ वो तो इधर आते समय पैर फिसला, पर आप थे ना सम्भालने वाले, फिर क्या चिंता?
चाचाजी : अभी मे खुद तुम्हारे सहारे जिंदा हू ,मे क्या आपको सम्भाल लूँगा?
शालिनी : मेरे सहारे कैसे ? अब तो आप बिल्कुल तंदुरुस्त है,
चाचाजी : वो तो बाहर से ,भीतर मन मे जो पीड़ा थी उसे तो आप ने ही दूर की, वर्ना मेरा जीवन जीने का कोई उदेश्य ही नहीं रहा था
शालिनी : बस कीजिए फिरसे पुरानी बाते लेके बैठ गए ,वर्तमान मे जीने का नाम जिंदगी है,
फिर शालिनी चाचाजी को अपना तौलिया लाने को कहती है ,चाचाजी उसको तौलिया देते है,
शालिनी : शुक्रिया, आप हॉल मे बैठे मे कपड़े बदल कर आती हू,
चाचाजी : ठीक है पर ध्यान रखियेगा,
शालिनी दरवाजा बंध कर के अपने नाइट्स ड्रेस को पहन लेती है ,गर्मी की वज़ह से उसे वहीं सही लगा, उसमे एक दिक्कत थी कि शालिनी ने ब्रा नहीं पहनी थी और नाइट्स ड्रेस का टी-शर्ट पतला कपड़े का था जिस वज़ह से उसके स्तन के निप्पल तना हुआ दिख रहा था,
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शालिनी : अरे..इसमे तो ये दिख रहा है, क्या करूँ? (मन मे...) एक काम करती हू,जल्दी से कमरे में जाके ब्रा पहन लुंगी,लेकिन अभी नील को खाना खिलाना है फिर वापिस ब्रा बीच मे आएगी, इस से अच्छा पहनूँ ही नहीं, ज्यादा से ज्यादा क्या होगा,चाचाजी को दिख जाएगा ,पर वो तो मेरे बच्चे है, अगर ज्यादा कुछ लगेगा तो पहन लुंगी।
शालिनी बाहर आती है नहाने की वज़ह से उसके निप्पल तने हुए थे जो टॉप से साफ दिख रहा था, वो कमरे मे जाके नील को जगाती है और बाहर आके चाचाजी को देती है तब चाचाजी का ध्यान तने हुए निप्पल की और जाता है, तब उसे पता लगता है कि शालिनी ने टॉप के नीचे कुछ नहीं पहना,
शालिनी : तुम दोनों भाई खेलों, मे खाना बनाने जाती हू।
शालिनी खाना बनाकर आती है और आज भी सब नीचे फर्श पर खाना खाने बैठे थे ,शालिनी एक दुपट्टा ले लेती है जिस से स्तनपान करवाते समय नील का चेहरा ढक सके, शालिनी नील के गोद मे सुलाकर,दुपट्टा ढक कर नील को स्तनपान करवाने लगती है और अपना खाना भी खा रही थी ,कई बार वो चाचाजी को भी प्यार से निवाला खिलाती, तभी नील अपने हाथ मारता है जिस से दुपट्टा हट जाता है जिस से शालिनी का स्तन और उसे चुसता हुआ नील दोनों चाचाजी को दिखने लगते है,
बिचारा छोटा बच्चा क्या जाने के उसने क्या हटा दिया है और इस से क्या दिख रहा है। उसे तो बस अपने माँ के स्तनों से बहता हुआ दूध पीने मे आनंद आ रहा था ,दुपट्टा गिर के दाल मे गिरता है ,जिस से उसे दोबारा लगा भी नहीं सकती थी, चाचाजी का निवाला हाथ मे रह जाता है ये सब देख के ,
हो भी क्यु ना ?एक जवान एक पांच महीने के बच्चे की दुधारू माँ का सुडोल और गोल स्तन जिस पे गुलाबी निप्पल हो ,
जो चाचाजी ने कल्पनाओं मे भी नहीं सोचा था एसी बला की खूबसूरत स्त्री उसके बगल मे बैठ के अपने बच्चे को स्तनपान करवा रही थी, चाचाजी अपनी आँखों की पलके भी नहीं झपका रहे थे क्युकी वो ये मनोहर दृश्य जितना हो सके उतनी ज्यादा देर देखना चाहते थे,
फिर अचानक से चाचाजी को क्या होता हैं कि वो खड़े होते है और कमरे मे से दूसरा दुपट्टा लाते हैं, और शालिनी के स्तन को ढक देते है, ये देख के शालिनी भावुक हो जाती है।
शालिनी : (मन मे..)चाचाजी कितने अच्छे है ,मेरा ख्याल रखते है,
थोड़ी देर मे नील स्तन चूसना छोड़ देता है तो शालिनी धीरे से अपना टॉप नीचे करके दुपट्टा हटा देती है ,निप्पल चूसने की वजह से वो तने हुए थे, और स्तनों से थोड़ा दूध भी रिसता है जो टॉप को गिला कर दिया था ,
फिर वो नील को चाचाजी को देके बर्तन धोने जाती है और साथ ही दूसरे काम करके रुमाल से अपने चेहरे पर के पसीने को पोछते हुए आती है,
शालिनी : अभी तक नहीं सोया मेरा बेटा?
चाचाजी : लगता है जल्द ही सो जाएगा ,अब वो शरारती होने लगा है,
शालिनी : मेरा बेटा शरारती नहीं है, वो मेरा अच्छा राजा बेटा है, और उसने कब शरारत की?
चाचाजी : अभी खाना खाते समय....
(दोनों के बीच शांति प्रसर जाती है,चाचाजी को भी लगता है कि उसने ज्यादा कह दिया परंतु शालिनी बात को घुमा लेती है)
शालिनी : अगर बच्चे शरारत नहीं करेंगे तो कोन करेंगा?आप?
चाचाजी : मे भी तो आपका बच्चा ही हू, तो मे भी शरारत कर सकता हू।
शालिनी : थोड़ी शरारत अच्छी है अगर ज्यादा शरारत की तो कान पकड़ के सबक सिखाना भी आता है,
दोनों बात कर रहे थे इतने मे नील सो गया शालिनी नील के कमरे मे ले जाने को कहती है
चाचाजी : आप कहा जा रही है?
शालिनी : नील ने अब दाल खाना चालू किया है इस लिए दुध कम पिता है ,इस लिए काफी दुध बच गया है, उसे निकालने जा रही हू, वर्ना दर्द शुरू हो जाएगा,
शालिनी बाथरूम मे जाती है और अपना टॉप पूरी तरह से निकल देती है वो सिर्फ नाइट्स ड्रेस की पेंट पहने हुई थी,वो शीशे मे अपने स्तनों को निहारती है और निप्पल पर उंगली घूमती है जिस से उसके निप्पल फिर से तन जाते है तभी एक बूंद दुध उसके निप्पल से टपकती है और दूसरी बूंद बाहर आती है जो उसके निप्पल पे मोती की तरह दिखाई देती है ,
शालिनी के मुँह से सिसकारी निकल जाती है
शालिनी : श...आह...अब तो और ज्यादा दुध बनने लगा और नील ने पीना कम कर दिया है, इसे निकालते निकालते थक जाती हू, कितनी बार इसको निकलना पड़ता है, दर्द भी होता है? नीरव तुम वापिस आ जाओ, और मुझे आराम दिला दो, ये बहुत पीड़ादायक है।
जब वो अपने स्तनों को दबा कर दुध बर्तन मे गिरा रही थी तब उस दर्द मे उसे एक बात ध्यान आती है दुध का निकालना पीड़ा नहीं देता परंतु दूध निकलने का तरीका उसे पीड़ा दे रहा है,
शालिनी : (मन में...)जब नील इन स्तनों से दुध चूस कर निकालता है तब तो दर्द नहीं होता ब्लकि आनंद मिलता है, मतलब मुझे दुध निकालने का तरीका बदलना पड़ेगा
तब तो उसे कुछ नहीं सूझता तो वो स्तनों को दबाते हुए और सिसकारी निकालते हुए गुस्से मे सारा दुध निचोड़ दिया, पर गुस्से मे जोर से दबाने की वज़ह से उनके स्तनों मे जलन हो रही थी ,फिर वापिस से अपने टॉप को पहनकर वो कमरे मे आती है ,अभी भी उसके स्तनों के निप्पल तने हुए थे जो टॉप से दिख रहे थे।
शालिनी कमरे मे आती है तो देखती है चाचाजी नील को पालने मे सुला के पालना झुला रहे थे जिस से नील को गहरी नींद आ गई थी ,शालिनी ये देख के भावुक हो जाती है,
शालिनी : आप कितना ध्यान रखते है नील का,
चाचाजी : क्यु ना रखूं?छोटा भाई है मेरा, ये तो फर्ज है मेरा,
शालिनी : नील सो गया हो तो अभी उसे सोने दे और आप भी सो जाओ,
चाचाजी : वो तो सो गया है चलिए हम भी सो जाते है,
शालिनी : (ममता भरी आवाज मे..)पहले इधर आओ।
जब चाचाजी करीब आते है तो वो उसके सिर को झुका के अपने कंधे पर रख रख के चाचाजी को कस के गले लगा देती है और चाचाजी को "मेरे प्यारे बच्चे " बोलती है।
शालिनी और चाचाजी दोनों बेड पर लेट जाते है तभी शालिनी चाचाजी की ओर करवट लेती है।
शालिनी : एक सवाल पूछना था ,पर कैसे बताऊ समज नहीं आ रहा,
चाचाजी : उसमे क्या सीधा सीधा पूछो ,अगर मेरे पास उत्तर होगा तो बता दूँगा, मुझे खुशी होगी कि मे किसी तरह आप के काम तो आया, और एक बात तो ये कि एक माँ अपने बच्चे से सवाल पूछने कि अनुमती नहीं मांगती सीधा पूछ लेती है
शालिनी : वो तो सही है पर सवाल ही कुछ एसा है
चाचाजी : अब पूछ भी लो ,
शालिनी : (गहरी साँस लेके ...)ठीक है ,मुझे ये पूछना था कि आपने मुझे बताया था कि आपकी पत्नी को भी स्तन मे जब ज्यादा दूध बन रहा था तब वो उस दर्द से कैसे राहत पाती थी?
चाचाजी : क्या हुआ ?अचानक से एसा सवाल क्यु पूछा ?
शालिनी : माफ करना मुझे पता है ये निजी मामाला है पर क्या करूँ मेरे स्तनों मे भी दुध ज्यादा बनने लगा है, जिस वज़ह से मुझे दर्द होता है
चाचाजी : (करवट लेके...)ओह माफ़ करना मुझे पता नहीं था ,जब मेरी पत्नी को स्तन से दुध ज्यादा बनने लगा तब पहले अपने हाथों से निकलने लगी थी ,पर उसने बताया कि उसको जलन और दर्द होता है, तब मेरी दादी ने उसे सलाह दी थी कि स्तनों को अपने पति यानी मेरे से चूसवा ले, तब उसने रात को पहली बार मुझे सीधा अपने स्तनों से दुध पिलाया था ,और बाद मे उसने बताया था कि उसको वाकई राहत मिली थी।
शालिनी : और कुछ ?
चाचाजी : उस दिन के बाद मेरी पत्नी सिर्फ ब्लाउज पहनती थी ,कभी कभी तो सिर्फ एक कपड़ा ही लपेट लेती अपने स्तनों पर,क्युकी उसके काफी सारे ब्लाउज तंग हो गए थे,
शालिनी : आपका धन्यवाद अब आप सो जाए,
चाचाजी शालिनी के ऊपर पैर रख के सो जाते है,और शालिनी चाचाजी के बालों मे उंगलिया घूमा के दुलार रही थी जिस से चाचाजी को तुरंत नींद आ जाती है ,पर शालिनी को नींद नहीं आती वो अपने दर्द से छुटकारा पाने के बारे मे सोच रही थी, वो चाचाजी ने बतायी बातों पर भी विचार करती है।
शालिनी : (मन में...)क्या करूँ? कोई उपाय नहीं सुझ रहा ,जब तक कुछ नहीं सूझता तब तक चाचीजी की तरह सिर्फ एक कपड़ा बांध लुंगी, वैसे भी चाचाजी को मेरी इस हालत के बारे मे पता है इस लिए वो समझेंगे।
शालिनी को नींद आ जाती है ,रात मे एक बार वो स्तनों से दुध भी निकलने जाती है,सुबह चाचाजी और शालिनी की एक साथ नींद खुलती है, दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते हैं, शालिनी अंगड़ाई लेती हुई बैठ जाती है जिसे चाचाजी उसकी चिकनी और कटाव दार कमर दिखती है।
शालिनी : good morning
चाचाजी : शुभ प्रभात
शालिनी : चलिए उठ जाइए, पहले आप जा रहे हो या मे जाऊ नहाने ?
चाचाजी : कोई नहीं।
शालिनी : मतलब ? नहाना नहीं है ?गंदे बच्चे।
चाचाजी : अभी तो बच्चा ही हू आपका ,नहाने तो जाना है पर मेरी एक गुजारिश है।
शालिनी : और क्या है मेरे बच्चे की गुजारिश?
चाचाजी : कुछ नहीं बस थोड़ी देर आपकी गोदी मे सिर रख के सोना है।
शालिनी : बस इतनी सी बात, ये भी कोई पूछने की बात है ?आ जाओ मेरे बच्चे अपनी छोटी माँ की गोदी मे आ जाओ।
शालिनी थोड़ी देर उसको अपनी गोदी मे सुला के दुलारती है, और प्यार से चाचाजी के बालों में हाथ फेरती है,
शालिनी : चलो अब अच्छे बच्चे की तरह नहाने जाओ
चाचाजी : ठीक है।
चाचाजी का हाथ पकड़ के शालिनी उसे बाथरूम मे भेजती है ,चाचाजी टॉयलेट जाने को कहते है इस लिए शालिनी उनको अकेला छोड़ के हॉल मे आके योग करने लगती है,थोड़ी देर बाद चाचाजी बाथरूम का दरवाजा खोल के बाहर आते है और तौलिया मांगते है जिस से वो नहाने जाँ सके,
शालिनी : आप नहाने की तैयारी कीजिए मे आती हू तौलिया लेके
शालिनी जब आती है तो देखती है कि चाचाजी एक निकर पहने हुए थे और बाल्टी भरने की राह देख रहे थे ,शालिनी की धड़कन बढ़ने लगती है, पर वो खुद को काबु करती है
शालिनी : (मन मे ...)शालिनी ये बड़े बेटे जैसे है ,तो तू इनको वैसे ही बर्ताव करो जैसे अपने बेटे से करती।
शालिनी आती है और धीरे धीरे चाचाजी के ऊपर पानी डालती है और उसको नहलाने लगती है,आज तो साबुन लगा के घिस घिस के नहलाती है, और साथ मे उसके बालों को भी शैंपू से अच्छे से धों देती है चाचाजी भी अपने सिर को दाएं बाएं घूमते हुए बालों मे लगे पानी के छींटे उड़ाने लगते है जिस से शालिनी के ऊपर पानी उड़ता है,
शालिनी : ये क्या शरारत है, देखो मे भीग गई
चाचाजी : वैसे भी आप नहाने वालीं है तो क्या फर्क़ पड़ता है।
नहलाने के समय भी शालिनी थोड़ी भीगी थी जिस से उसके टॉप मे से तने हुए निप्पल साफ़ दिख रहे थे चाचाजी भी ये देखते है ,शालिनी जल्दी से चाचाजी के शरीर को पौंछ देती है और उसे कपड़े पहन के बाहर आने को कहती है,चाचाजी कपड़े पहनकर बाहर आते है।
शालिनी : यहा आओ,बाल बना देती हू जिस से आप मेरे राजा बेटे लगेगें
चाचाजी सोफ़े पर बैठ जाते है शालिनी तेल लाके चम्पी कर देती है और अच्छे से बाल बना देती है और एक काला टीका लगाती है
शालिनी : अब लगता है मेरा राजा बेटा
चाचाजी भावुक होके शालिनी की कमर से लिपट जाते है
चाचाजी : (भावुक होके..) बचपन मे मेरी माँ भी ठीक एसे ही चम्पी करती और सिर पर काला टीका लगाती
शालिनी : चलो अब मुझे नहाने जाने दो।
शालिनी नहाकर आती है उसने सोचा था कि स्तनों पे सिर्फ कपड़ा लपेटा लूँगी पर आखिरी समय पर उसका निर्णय बदल जाता है और वो बिना ब्रा के ब्लाउज पहनकर और उसपे पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी ,शालिनी सीधे नास्ता बनाने चली जाती है तभी चाचाजी धीमे धीमे चलके आते है शालिनी को पीछे से कमर पर हाथ बंधकर एकदम सट के खड़े हो जाते है।
चाचाजी के हाथ शालिनी के खुले पेट पर लपेटे हुए थे क्युकी आज सुबह ही शालिनी ने उसको छूट दी थी चाचाजी जब भी दिल करे तब उससे लिपट सकते है।
चाचाजी : माँ ! माँ! मुझे भूख लगी है मुझे खाना दो।
शालिनी : उसके गालों को सहलाते हुए..) ,अभी थोड़ी देर लगेगी,आप अकेले चल के क्यु आए ?कुछ चाहिए था तो बुला लेते।
चाचाजी : इतने दिनों से आप हाथ पकड़ के मुझे चलना सीखा रही थी तो अब मे चलना सीख गया।
शालिनी : साथ मे बाते बनाना भी सीख गये।
चाचाजी : (हसते हुए..)नहीं नहीं एसा कुछ नहीं है ,और पता नहीं आज सुबह से अपने बचपन को फिर से जीने का मन कर रहा है, ना कोई चिंता ,ना कोई दुःख, बस भोलापन और खुशियां, और बस दिनभर अपनी माँ के पीछे पिछे घूमना..हाय...क्या दिन थे!
शालिनी : सच कहा, जब बच्चे थे तब बड़ा होने की जल्दी थी और जब बड़े हो गए तब फिरसे बचपन जीने की ईच्छा होती है।
चाचाजी : इसी लिए तो मेने आपको एसे पकडा हुआ है,बचपन मे मेरी माँ से मे एसे ही लिपट जाता जब वो रसोई बनाती
शालिनी : चलो अब मुझे नास्ता बनाने दो, और अपने भाई को लेकर आओ।
चाचाजी : थोड़ी देर सोने दो मुन्ने को
शालिनी : मे सब समझती हू आपकी चाल, मुन्ने के बहाने आप मेरे पास रहना चाहते हैं,अभी रहने दो ,बाद मे आपको दुलार करूंगी मे ,अभी जाओ।
चाचाजी : सच मे ? वादा?
शालिनी : हाँ बाबा हा, माँ अपने बेटे को प्यार दुलार करने के लिए झूठ थोड़ी ही बोलेंगी,
चाचाजी नील को लेके हॉल मे आते है और हल्की धूप मे खिड़की के पास रखते है और उसके साथ खेलने लगते है थोड़ी देर मे शालिनी नाश्ते के लिए बुलाती है,चाचाजी नील को लेके किचन मे आते है आज शालिनी ने नास्ता जमीन पर रखा था,शालिनी नील को सम्भाल के रखती है और चाचाजी को बैठाने मे मदद करती है, खुद नील को गोद मे रख के बैठ जाती है ,चाचाजी को नास्ता परोस के खुद भी लेती है
और नील को पल्लू से ढक कर उसको ब्लाउज के नीचे के दो हूक खोल के स्तन को बाहर निकाल के गुलाबी निप्पल मुँह मे देती है,जिसे नील बड़े प्यार से चूसने लगता है कई बार पच-पच की आवाज आती, दोनों के लिए ये अब रोज की बात थी इस लिए दोनों नास्ता करने मे ध्यान देते है।
नास्ता करने के बाद नील को स्तनों से छुड़ाकर ब्लाउज और पल्लू सही करके नील को चाचाजी को देके वो घर के काम निपटाने लगती है ,चाचाजी और नील हॉल मे आ चुके थे जब शालिनी हॉल मे जब जाङू-पौंछा करने आती है तब गहरे गले की वज़ह से उसके ब्लाउज मे कैद स्तनों की जोड़ी और दोनों के बीच की खाई थोड़ी ज्यादा प्रदर्शित हो रही थी ,चाचाजी की नजर ना चाहते हुए भी उधर चली जाती ,एक दो बार तो शालिनी ने भी ये बात नोटिस की, शालिनी ने ये नजरंदाज करते हुए सब काम निपटाकर सोफ़े पर आके बैठ जाती है। तभी उसको देखके नील अपने दो हाथ उठा के अपनी माँ को बुला रहा हो ,जिसे देख शालिनी तुरत ही नील को उठा के दुलार करने लगती है।
शालिनी : क्या बात है आज तो दोनों भाई को कुछ ज्यादा ही अपनी माँ की याद आ रही है, बड़े भाई को देख के छोटा भाई भी सीख गया।
चाचाजी : याद ?हम भूलते ही कब है आपको?हमारी माँ है ही इतनी प्यारी के उनके बगैर दिल नहीं लगता।
शालिनी नील को गोदी ले के बैठ जाती है ,उसके स्तनों मे दुध बढ़ गया था जिस से उसे दर्द होना शुरू हो गया था, वो नील को पल्लू से ढक के उसको स्तनपान करवाने लगती है ,नील भी पच.. पच ..करके पीने लगता है ,शालिनी और चाचाजी बीच बीच मे बातें करते,नील को अभी भूख कम थी इस लिए उसने एक स्तन को भी पूरा खाली नहीं किया ,जिस से शालिनी परेशान हो जाती है।
शालिनी नील को चाचाजी को दे के किचन मे आके बर्तन लेके जल्दी जल्दी बाथरूम मे चली जाती है, बाथरूम मे आते ही तुरत अपना ब्लाउज खोल देती है और आईने के सामने आके स्तनों को अपने हाथो से दबा दबा के दुध बर्तन मे भरने लगती है दर्द की वज़ह से उसकी सिसकियाँ निकल जाती
शालिनी : (धीमी आवाज मे..) आह..आह..कितना दर्द हो रहा है ,कोई दूसरा तरीका भी नहीं है इस दर्द से छुटकारा पाने का, पता नहीं कितने समय तक ये दर्द सहन करना पड़ेगा, कब तक एसा चलेगा ,इसका कोई ना कोई हल निकालना पडेगा।
शालिनी बड़ी मुश्किल से सारा दूध अपने स्तनों से निचोड़ लेती है
पर अब उसके स्तनों को जरा सा भी छू लिया जाए तो शालिनी जलन के मारे दर्द से चिल्ला देगी एसी हालत हो गई थी, तभी उसके मोबाइल मे नीरव का कॉल आता है जिसे चाचाजी उठाते है।
चाचाजी : हैलो!
नीरव : चाचाजी प्रणाम ! पाय लागू, शालिनी कहा है?और आप सब कैसे है?
चाचाजी : हम सब बढ़िया है ,मुन्ना भी इधर ही है। बहु बाथरूम मे गई है,
शालिनी : (बाथरूम मे से ..)किसका कॉल है मेरे बच्चे?
चाचाजी : नीरव का है
शालिनी : मुझे मोबाइल देना मुझे बात करनी है।
चाचाजी मोबाइल लेके बाथरूम के दरवाजे पर आके आवाज देते है तब शालिनी बिना ब्लाउज के और कमर पर साड़ी लपेटे हुए थी इस लिए वो सिर्फ अपना हाथ बाहर निकल के मोबाइल ले लेती है।
शालिनी : बेटा तुम जरा नील को संभालो मे अभी आ रही हू।
चाचाजी : ठीक है।
शालिनी : हैलो नीरव कैसे हो ? आज तो दोपहर मे कॉल किया
नीरव : पर यहा रात है, आज नींद नहीं आ रही थी और आप सब की याद आ रही थी इस लिए अभी कॉल किया ,तुम ठीक तो हो?चाचाजी ने कहा तुम बाथरूम मे हो
शालिनी : अभी भी वहीं पे हू, क्या आप विडियो कॉल कर सकते है?
नीरव : ठीक है अभी कर्ता हू।
नीरव शालिनी को वीडियो कॉल करते है। जैसे ही शालिनी कॉल उठाती है टी नीरव की आंखे फटी की फटी रह जाती है क्युकी उसने सोचा नहीं था कि शालिनी उसे अधनंगी हालत मे दिखेगी।
नीरव : क्या हुआ एसे क्यु हो ?
शालिनी : तुम्हें तो पता है ना ,ये दूध जो ज्यादा मात्रा मे बन रहा है तो उसे निकालने आयी हू।
(शालिनी स्तन को दबा के दुध निकलने लगती है जिसे देख के नीरव को कामुक भावना जग जाती है)
नीरव : वाह क्या मस्त है तुम्हारे स्तन ,अभी भी पहले जैसे एक दम तने हुए और गोरे गुलाबी,
शालिनी : हो भी क्यु ना ! तुम्हें पता है कितनी मेहनत करती हू इसकी देखभाल मे, योग ,कसरत, और नृत्य,और ये भी देखो पेट भी अब सीधा होने लगा है जैसे पहले था ,ये सब आपके लिए कर रही हू ताकि जब आप आए तो आपको पहले वाली शालिनी मिले
नीरव : ओह..मेरी प्यारी पत्नी, मे तुम्हें हर रूप मे प्यार कर्ता हू ,वो तो तुम्हें छेड़ने के लिए बोला होगा।
शालिनी : वो तो पता है मुझे पर मेरी भी ईच्छा है कि जब भी हम साथ जाए तो लोग हमे "आदर्श दंपति "से जाने हर पहलू से,दिखने मे ,बोलने मे, चलने मे, सब बात मे हमारी बात पहले आए ,
नीरव : I Love You मेरी जान,काफी दिन हो गए तुम्हारे ये गोरे सुडोल स्तनों की जोड़ी देखे ,आज आँखों को और दिल को ठंडक मिली
शालिनी : तुम्हें ठंडक मिली पर मुझे जलन मिली उसका क्या?
नीरव : कैसी जलन?
शालिनी : मेने बताया था न कि दुध ज्यादा बनने लगा है जिस से स्तनों मे दर्द होता है और उसको निकलने की वज़ह से जलन होती है ,अब तो बार बार आना पड़ता है दुध खाली करवाने
नीरव : ओह मेरी प्यारी पत्नी ,सच मे इतनी पीड़ा होती है? काश कि मे वहा होता ,अगर होता तो निचोड़ लेता तुम्हारे प्यारे दुलारे स्तनों को एक बूंद भी नहीं छोड़ता।
(दर्द की वज़ह से हो रही पीड़ा और इतने दिनों से अपने दबे हुए गुस्से के कारण शालिनी कर्कश भारी बातें करती है)
शालिनी : यही तो दिक्कत है कि तुम यहा नहीं हो, तुम्हारी वज़ह से मुझे ये पीड़ा हो रही है, तुम विदेश न जाते या हमे साथ ले जाते तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता, नील भी अब कम दूध पिता है और बनता ज्यादा है तुम होते तो तुम मुझे इस दर्द से राहत दिलाते।
नीरव : मुझे माफ़ कर दो शालिनी ,मे अभी उधर नहीं आ सकता ,हमारे भविष्य का सवाल है ,मे तुम्हें इस दर्द से छुटकारा दिलवाने के लिए जो कर सकता वो करता ,पर मे क्या कर सकता हू, तुम ही बताओ।
अपने और बच्चे की भविष्य की बात सुनकर गुस्सा थोड़ा कम होता है और सोचती है ,नीरव भी क्या कर सकता है इतनी दूर से ,मुझे एसे बात नहीं करनी चाहिए थी।
शालिनी : माफ़ कर दो ,गुस्से मे कुछ भी बोल दिया तुमको।
नीरव : (हस्ते हुए ..)अरे मेरी जान पता है मुझे ,वैसे तुमने कहा कि नील अब कम दुध पिता है पर तुम्हारा दूसरा बेटा है न
शालिनी (हस्ते हुए ..)क्या तुम भी कुछ भी बोलते हो। (मन में..)उसे तो रात को अपना बचा हुआ दूध तो देती ही हू
नीरव : जान सुनो ना तुम मुझे एसे ही एक वीडियो बनाने भेजो ना ,तुम्हारी वीडियो देख के ही दिल बहला लूँगा
शालिनी : तुम भी ना बड़े वो हो गए हों ,अमेरिका जाके वहा की हवा लगा गई लगती है,
नीरव : एसा नहीं है पर आज तुम्हें इस हालत में देख के मन बिगड़ गया ,मे तुम्हारी तकलीफ दूर करने के लिए काश कुछ कर सकता।
शालिनी : (मन मे..)क्या मे नीरव को बता दु की मे चाचाजी को अपना दुध निकल के पिलाती हू, नहीं नहीं अभी नहीं सही समय पर बताऊंगी।
तभी चाचाजी शालिनी को आवाज देते है इस लिए शालिनी कॉल रख देती है और एक छोटा सा वीडियो बनाकर नीरव को भेज देती है
,वीडियो देखकर नीरव भी हस्त मैथुन कर के सो जाता है इधर शालिनी कपड़े पहनकर बाहर आती है इतनी देर बाथरूम मे होने से पसीना पसीना हो गई थी, शालिनी पहले जाके दुध का बर्तन फ्रिज मे रख देती है फिर हॉल मे आते है।
चाचाजी : आज तो बहुत बात की अपने पति देव से ,मे समज सकता हू पत्नी से दूर रहने की हालत ,
शालिनी : वो सब छोड़िए चलिए गाना पसंद कीजिए मे आती हू
शालिनी कमरे मे जाके लहंगा चोली पहनती है जिस मे चोली का गला काफी नीचे था ऊपर से चोली भी तंग हो रही थी ,
इधर जब चाचाजी गाना पसंद करते समय गलती से गैलरी खुल जाती है जहा शालिनी का बाथरूम मे बनाया वीडियो ऊपर ही था तो चाचाजी अनजाने मे वो वीडियो ओपन कर दिया जिस मे देखते है शालिनी कमर के ऊपर से पूरी नंगी थी और साड़ी कमर पर बंधी हुई थी और वो सुडोल स्तनों को प्रदर्शित करते हुए हाथ के इशारों से पास बुला रही थी चाचाजी ये वीडियो देखके अचंभित हो जाते है तब उसको पता चलता है कि इस लिए बाथरूम मे देरी हुई।
वो तुरत वो वीडियो बंध करके नए गाने ढूंढने मे लग जाते है पर दिमाग मे से वो वीडियो ही चल रहा था ,
चाचाजी : (विचारों मे...)क्या स्तन थे यार..मानो कोई अप्सरा हो नीरव भाग्यशाली है जो एसी खूबसूरत पत्नी मिली है, भरे हुए सुडोल स्तन आह..मे भी तो भाग्यशाली हू जो उस सुडोल स्तनों का दुध मुझे पीने को मिलता है, और क्या हुआ दिन मे एक बार मिलता है शालिनी खुद अपने हाथो से दुध पिलाती है, क्या मीठा और गाढ़ा दूध होता है मेरा बस चले तो पूरी जिंदगी यही दुध पी कर काट दू,
तभी शालिनी चाचाजी को बुलाती है कमरे मे और चाचाजी कमरे मे आते है।
शालिनी : ये थोड़ा पिछे वाला डोरी बांध दो।
चाचाजी : (हडबडाते हुए..)क्या ?
शालिनी : अरे ये चोली की डोरी मुझसे नहीं बंध रही तो आप बांध दीजिए।
चाचाजी डोरी तो बांध देते है पर उसके हाथ थोड़े काँप रहे थे उसके दिमाग में अभी वो वीडियो के दृश्य घूम रहे थे,
clavier visuel en ligne
कांपते हुए हाथो से उसकी उंगलिया शालिनी की नंगी पीठ को छु रही थी क्युकी पूरी पीठ पे सिर्फ ये डोरी ही एक कपड़ा था बाकी सारी पीठ नंगी थी इतनी गोरी और बेदाग पीठ काफी दिनों बाद देखी वो भी बिल्कुल सही कटाव वाली, स्तनों के पास से चौड़ी फिर कमर तक आते आते मानो मुट्ठी मे आ जाये उतनी पतली और फिर नितम्ब के पास वापिस चौड़ी
शालिनी आईने मे देखती है कि चाचाजी उसको पिछे से ऊपर से लेके नीचे तक निहार रहे है जैसे ही चाचाजी की नजर नीचे से ऊपर आ रही थी तब जब कमर से ऊपर नजर पहुंचती है तभी शालिनी घूम जाती है जिस से चाचाजी के नजर के सामने शालिनी के गोरे गोरे भरे हुए मांसल स्तन की जोड़ी जो चोली मे कैद थे वो आ जाते है ,गहरा गला होने से और बड़े हो जाने की वज़ह से उसके स्तन काफी दिख रहे थे ,
चाचाजी की नजर मानो एक्सरे हो गई थी वो उस वीडियो मे देखे स्तनों को इस जगह लगा के ख़यालों मे खो गए थे मानो उसको चोली दिख ही नहीं रही और वो शालिनी के स्तनों को नंगे देख रहे हों
तभी शालिनी अपने हाथो से चाचाजी की दाढ़ी से सिर ऊपर उठाती है और चाचाजी की नजर अपने चेहरे पर ले आती है जिस से चाचाजी ख़यालों से बाहर आते है।
शालिनी : क्या हुआ ?(मज़ाक मे ..)मे इतनी बुरी दिख रही हू जो आपकी आंखे इतनी चौड़ी हो गई और हाथ कांप रहे है।
(जब कि शालिनी जानती थी कि चाचाजी क्या देख रहे है )
चाचाजी : (घबराते हुए ..)नहीं नहीं आप बहुत सुन्दर लग रही है
शालिनी : तो ठीक से डोरी लगा दीजिए न ,कहीं नृत्य करते हुए खुल ना जाए वर्ना...
चाचाजी : तो क्या होगा? हम आपके बच्चे ही तो है।
शालिनी : वो तो सही है पर ...(इतना बोल के वो शर्मा जाती है)
दोनों हॉल मे आते हैं और चाचा गाना लगा देते है ,शालिनी काफी जोश के साथ नृत्य करती कभी कमर की लचक, कभी स्तनों के उभार को ऊपर नीचे करना ,कभी कलाई का घुमाना, एक बार तो जब शालिनी नीचे झुकती है तब उसके स्तन मानो बाहर ही आ गए हों एसा लगा, चाचाजी मानो उसी नृत्य मे खो गए थे तभी उसको वीडियो याद आता है तब वो उसका दिमाग शालिनी को टॉपलेस इमेजिन करने लगा था
शालिनी दिखती एसी
चाचाजी का दिमाग एसा इमेजिन कर्ता है
जब थक कर शालिनी सोफ़े पर आके बैठती है तो चाचाजी उसे नैपकिन देते है वो देखते है कि पसीने की बूंद मोती की जैसी उसके गले चेहरे और स्तनों के उभार पे चमक रही थी, तभी एक पसीने की बूंद शालिनी के कोमल गालों से फिसलते हुए शालिनी के स्तनों के ऊपर गिरती है।
थोड़ी देर आराम कर के शालिनी अपने कमरे में जाती हैं और एक काफी खुला हुआ ब्लाउज जो किसी ब्रा जैसा ही था और नीचे सिर्फ घाघरा पहना हुआ था ,
फिर वो चाचाजी के पास आके बैठ के खाने को पूछती है,
चाचाजी : क्या जल्दी है इतनी, थोड़ा आराम करो बाद मे बना लेना,
शालिनी : ठीक है ,पर एक बात पूछूं?
चाचाजी : ये क्या बात हुई अब एक माँ अपने बेटे से बात करने के लिए पहले अनुमती मांगेगी? आप को सीधा बताना चाहिए ,बोलिए क्या बात है?
शालिनी : वो बात ये है कि मेरे एसे कपड़े पहनने से आप को कोई परेसानी तो नहीं?
चाचाजी : ये कैसी बात कर दी आपने ,आप जो चाहे पहन सकती है बेटे के सामने माँ को भला क्या शर्माना?ऊपर से आपको दूध की भी परेसानी है, मुझे कोई दिक्कत नहीं आप जो चाहे पहनो।
शालिनी : ठीक है मेरे प्यारे बच्चे..
एसा बोल के शालिनी चाचाजी को अपने गोदी मे सिर रख के सुलाती है उस समय जब चाचाजी नजरे उठा के देखते है तो ब्रा मे कैद शालिनी के विशाल स्तन दिख रहे थे जो चारो और से ब्रा के बाहर निकलने की नाकामयाब कोशिश कर रहे थे। थोड़ी देर एसे दुलारे जाने के बाद शालिनी चाचाजी को सही से सुला देती है और वह बाथरूम मे जाने लगती है वो बर्तन लेके जाती है दबा के अपना दूध निकालती है।
इसी तरह से दो दिन निकल जाते है,अब शालिनी के सब्र का बांध टूटने लगा था ,वो स्तन मे हो रहे दर्द से बहुत परेसान हो रही थी ,वो नीरव से भी बात करती है ,पर उससे भी कुछ फायदा नहीं होता ,पर नीरव उसे ये जरूर कहता है कि उसको आराम मिले उस लिए किए जाने वाले हर प्रयास मे उसकी सहमती होगी ,जिस से शालिनी के मन मे बार बार कोई दुविधा ना हो और वो खुशी से रह सके, इस बात से उसे हिम्मत मिलती है और उसे बस एक ही उपाय दिख रहा था।
तो क्या है वो विचार और क्या शालिनी उस विचार का अमलीकरण कर सकेगी, उससे उसकी जिन्दगी मे कोन कोन से मोड़ आयेंगे और वो किस तरह आने वाली परिस्थिति का सामना करेगी वो जानेंगे
Chamatkar aur lajawab update