• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery Innocent... (wife)

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Tri2010

Well-Known Member
2,044
1,959
143
Nice update
Update : 17
दरवाजे के सूराख से एक नजर शालिनी को साड़ी पहने देख रही थी ,फिर जैसे शालिनी बाल बांधते हुए कमरे से बाहर आती है और जैसे दरवाजा खोलती है तो देखती है कि बाबुजी नील को लेके हॉल मे चल रहे थे।
शालिनी : अरे बाबुजी! आप कब जागे?
बाबुजी : बस अभी अभी , बलवंत कैसा है?
शालिनी : वो तो सो रहे है ,रात को बड़ी मुश्किल से सम्भाला, वो काफी दुखी थे, और अपने परिवार को याद कर के रो रहे थे।
बाबुजी : अच्छा हुआ ,तुमने सम्भाल लिया ,और रात को छत्त पर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
शालिनी : मे अभी योग करने अपने घर जा रही हूं,आप चाचाजी को जगा के आ जाना।
शालिनी के जाने के बाद बाबुजी चाचाजी के कमरे मे आते है और देखते है चाचाजी गहरी नींद मे थे ,तब उसे अपने ऊपर गुस्सा आते है कि उसने शालिनी और चाचाजी पे शक किया।
बाबुजी : (मन मे ..पर ग्लानि से) ये बात तो सामन्य है कि कोई भी स्त्री जग के पहले अपने कपड़े ठीक करती है बाद मे सब करती है ,बहु ने भी एसा ही किया ,और वो कमरे से बाहर आके थोड़ी न साड़ी पहनती, पर अगर बलवंत पहले जग जाता तो? नहीं नहीं ...मुझे इस बारे मे कुछ करना होगा अगर गाव मे किसी को पता चला तो सब क्या सोचेंगे?
बाबुजी फिर एक फैसला करते है वो नील को लेकिन अपने घर आते है तो देखते है शालिनी योग कर रही थी।

RDT-20250503-2226577516466045807359387 RDT-20250503-2247033913190934105238997
शालिनी : आइए बाबुजी ,आप भी कसरत कीजिए ,क्या चाचाजी नहीं आए ?
बाबुजी : नहीं वो सो रहा है ,तो मेने उसे जगाना ठीक नहीं समजा, वो जितना आराम करेगा उसके लिए अच्छा है।
शालिनी : हाँ ये बात भी ठीक है ,आप नील को सुला दे और आप भी कसरत करने आ जाइए।
बाबुजी और शालिनी कसरत करते है फिर जब दोनों आके खटिया पर बैठते है तब बाबुजी को लगता है ये सही समय है बात करने का।
बाबुजी : बहु मे क्या कहता हूं ,कल रात तुमने जैसे बलवंत को सम्भाला वो एक अच्छा काम किया पर ...
शालिनी : पर...क्या ?
बाबुजी : वो बात ये है कि ये गाव है ,और अगर किसी को पता लगा कि तुम और बलवंत रात को एक कमरे मे सोये थे तो वो गलत सोचेंगे ,इस लिए मे चाहता हूं तुम आज से इधर सो जाना ,अगर जरूरत पड़ी तो मे उसके साथ सो जाऊँगा।
शालिनी : पर हमारे बीच एसा कुछ नहीं है।
बाबुजी : मुझे आप दोनों पर यकीन है ,पर गाव वालों इस बारे मे क्या सोचेंगे वो हम नहीं तय कर सकते ,तो सावधानी रखते हुए हमे ये करना होगा और मे बलवंत से भी बात करूंगा।
शालिनी ये सुन के थोड़ी मायूस होती है पर वो कुछ नहीं कर सकती थी ,वो बस चुपचाप गर्दन हिलाते हा कहती है और नहाने चली जाती है तभी चाचाजी आते है।
चाचाजी : अरे बिरजू! मुझे अकेला छोड़ के आ गए ,मेने सोचा सब कहा चले गए?
बाबुजी : वो बहु और में पहले जग गए थे और बहू ने बोला तुम रात को थोड़ा देर से सोये इस लिए मेने सोचा तुम्हें सोने दु,अब कैसी तबीयत है ?
चाचाजी : ठीक हुँ ! कल बहु ने मुझे परिवार की तरह सहारा दिया जैसा शहर मे किया था ,मे उसे धन्यवाद भी नहीं कह पाया ,हमारे बीच एक अनोखा रिश्ता भी बन गया है ,कहा है बहु ? मे उसे नमन करके धन्यवाद देना चाहता हूं।
बाबुजी : वो नहाने गई है ,और मेने देखा कि वो कल रात तुम्हारे कमरे मे ही सोयी थी ,बुरा मत लगाना ,अगर किसी को ये बात पता चली तो क्या सोचेंगे आप दोनों के बारे मे।
चाचाजी : ये बात सही है ,पर हमारा रिश्ता पवित्र है ,यहा तक जब हम शहर मे एक घर मे थे तब उसने मेरा ख्याल एक बड़े बेटे की तरह रखा ,और एक माँ की तरह मुझे सम्भाला और सहारा दिया।
बाबुजी : मे यकीन करता हूं पर अगर किसी को पता चला तो ?
चाचाजी : ठीक है मे कोई एसा जोखिम नहीं ले सकता जिसमें बहु की इज़्ज़त पे सवाल उठे
बाबुजी : एसा है तो मे तुम्हारे साथ रात को सोने आऊंगा
चाचाजी : नहीं उसकी जरूरत नहीं है ,मे अकेले ही सो जाऊँगा ,बहु को अकेले नहीं छोड़ सकते ,
बाबुजी : ठीक है पर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना।
चाचाजी और बाबुजी फिर दातुन करते है तब तक शालिनी नहाकर आ जाती है वो तैयार होती है और सुबह का नास्ता बनाने लगती है तब नील भी जग जाता है ,शालिनी उसे स्तनपान करवाती है फिर तीनों नास्ता करते है ,फिर शालिनी सब काम करने मे लग जाती है तब कल आयी थी वो दादी आती है और उसके साथ एक अधेड़ उम्र की महिला भी आती है ,शालिनी दोनों का स्वागत करती है और उसे बातचीत करती है।
दादी : वो आज लल्ला का अन्न प्रासन है,याद है कि भूल गई?
शालिनी : याद है ,पर उसमे क्या करना होता है वो मुझे नहीं पता।
दादी : इस लिए तो हम आए है ,हम जैसे कहेंगे वैसा तुम्हें करना है ,
धीरे धीरे सारी महिला आने लगती है, सब एक कमरे मे इकठ्ठा होती है और चाचाजी और बाबुजी बाहर खटिया पर बैठे थे ,
(अभी जो शालिनी करती है ,उसे सब दादी कहती है ,)
दादी शालिनी को नहाने को कहती है ,शालिनी नहाकर आती है और कमरे मे आती है और सभी औरतों के बीच आके खड़ी होती है ,दादी उसे एक बढ़िया सी साड़ी देती है जिसे वो पहनती है ,फिर वो बीच मे रखे एक कुर्सी पर बैठ जाती है ,फिर सब औरते उसे गहने पहनती है ,माथे पर टिका ,कानो मे झूमखे,नाक मे नथुनी,होठों पर लिपस्टिक, गले मे हार ,माला,और एक फूलों का हार,हाथो मे रंगबिरंगी चूडिय़ां कमर पे कमरबंद, पांव मे पायल, और पैरों के उंगली मे एक सोने का गहना जिसे पायल के साथ जोड़ गया था।
विविध गहनों और फूलों से सजी हुई शालिनी किसी अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ,तब दूसरी औरते शालिनी से छेड़खानी करती है और थोड़ी द्विअर्थी बाते भी करती है ,तब शालिनी शर्मा के नीचे देखने लगती ,तब दादी औरतों को डांट देती ,फिर दादी शालिनी को एक पकवान बनाने को कहती है जो बच्चे के लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है ,फिर शालिनी दादी के बताये गये निर्देशों से वो पकवान बनती है फिर सब कमरे मे आते है और शालिनी बीच मे आके एक आसन पर बैठती है ,और नील को भी एक राजकुमार सा तैयार करके लाते है और शालिनी के गोदी मे रख देते है।
दादी : अब पहले तुम्हें बच्चे को थोड़ा स्तनपान करवाना है फिर ये पकवान खिलाना है ,इससे बच्चा धीरे धीरे दूसरा खाना सीखेगा
शालिनी स्तनपान करवाने के लिए जैसे ब्लाउज के हूक खोलती है तब उसके स्तन सब स्त्रियों के सामने उजागर होते है ,जिसे देख सारी महिला उसके स्तन की तारीफ करती है

1000030044
महिला 1 : देख तो अरी कैसे सुन्दर स्तन है ,काश मेरे एसे स्तन होते
महिला 2 : हाँ बात तो सही कहीं ,बच्चा भाग्यशाली है कि इससे दूध पी रहा है ,
महिला 1 : और इसके पति के बारे मे क्या कहना चाहोगी?
महिला 2 : इसका पति बड़ा ही भाग्यशाली भी है और बड़ा दुर्भाग्यशाली भी है।
महिला 1 : वो कैसे ?
महिला 2 : इस लिए क्युकी इतनी सुन्दर अप्सरा जैसी पत्नी से शादी हुई और एसी सुन्दर स्त्री को छोड़ के जाना पड़ा
महिला 1 : अगर मे इसकी जैसी होती तो मेरा पति कहीं जाता ही नहीं और अन्न प्रासन के बाद वो स्तनपान कर्ता रहता जब तक दूध आना बंध नहीं हो जाता
महिला 2 : सही कहा ! मेरा भी हाल तुम्हारे जैसा ही होता ,सब मर्द एक जैसे ही होते है।
ये सुनने के बाद सब महिला हसने लगती है और एक दूसरे से मज़ाक करती ,तभी शालिनी को भी याद आता है कि चाचाजी भी स्तनपान करने को तैयार रहते है ,वो भी हल्का सा मुस्कुरा देती है ,फिर जब नील ने अन्न प्रासन कर लेता है तब सब महिला उसे बारी बारी अपने पास लेके उसे आशिर्वाद देती है फिर आखिर मे दादी आके नील को आशीर्वाद देती है और उसकी नजर उतारती है ,फिर एक महिला को उसे सुलाने को कहती है।
शालिनी : (दादी से..) "क्या सब खत्म हो गया कि कुछ बाकी है ?
दादी : अभी एक और रस्म बाकी है
महिला : दादी क्या ये जरूरी है ,ये शहर से आयी है इसे अजीब लगेगा और सायद ये ना भी बोल दे
शालिनी : जो भी रिवाज हो, मे सब रिवाजों को निभाएंगी
महिला : पहले सुन लो ,ये कठिन है
शालिनी : (आत्मविश्वास से ..)मे तैयार हूं।
दादी : ठीक है ,जब पहले के ज़माने में जब किसी भी बच्चे का अन्न प्रासन होता तब बच्चा धीरे धीरे दूसरे खाने की ओर बढ़ता जाता पर माँ के स्तन मे दूध थोडी ना एकदम से बंध हो जाता है,तब पति के अलावा परिवार के सब से छोटे सदस्य को स्तनपान करवाती ताकि फिर भविष्य मे भी जब स्तन दूध से भरे हो और बच्चा भूखा ना हो तब उस लड़के को स्तनपान करवाने की छुट होती
शालिनी : मन मे..)मे चाचाजी को अबतक इसी कारण से तो स्तनपान करवाती थी ,मतलब मे अनजाने मे ही इस रिवाजों को निभा रही थी ,
दादी : अभी आपके परिवार का सब से छोटा सदस्य जो भी है उसे बुला लेते है
शालिनी : पर हमारे परिवार मे अब हम तीन लोग है ,मे बाबुजी और चाचाजी
दादी : कोई दूसरा नहीं है ?कोई उम्र मे छोटा हो ?
शालिनी : गाव मे आए अभी कुछ दिन हुए और ये आयोजन भी हमने जल्दी से कर दिया तो हमने किसी को नहीं बुलाया और हम बुला भी नहीं सकते वर्ना हमारी सुरक्षा खतरे मे पड जाती, और मुझे मालूम भी नहीं था एसा कुछ होगा
दादी : बात तो सही है पर अभी क्या करे ?
महिला : दादी आपको पता है जब मेरे पड़ोस मे जब एसा कुछ हुआ था तब उसके जेठ ने ये रिवाजो को निभाया था ,मतलब हाजिर सदस्यों मे जो छोटा हो उसे बुला लेते है।
दादी : हाँ ये हुआ तो था ,पर इसके लिए दोनों राजी होगे?
शालिनी : अगर रिवाज को निभाने के ये जरूरी है तो मे जरूर निभाएंगी
दादी : ठीक है मे बात करके आती हूं तब तक आप बहु को तैयार करो।
दादी बाहर आँगन मे आती है और चाचाजी और बाबुजी बैठे थे वहां आती है।
चाचाजी : आओ चाची ,बैठो
दादी : मे आप दोनों से बात करने आयी हूं
बाबुजी : क्या हुआ ?सब ठीक तो है ?सब रिवाज सही से चल रहे हैं ना?
दादी : सब कुछ सही चल रहा था और बहू ने भी सब अच्छे से निभाया है पर अब आखिरी रिवाज को लेके अटका हुआ है
बाबुजी : जरा साफ साफ बताये
दादी : अन्न प्रासन तो सही से हो गया ,अभी वो दुग्ध पान मे दुविधा हो गई है ,रिवाजों के मुताबिक सबसे छोटा सदस्य दुग्ध पान करेगा, पर बहु ने बताया परिवार मे सिर्फ आप तीन है।
चाचाजी खुश होते है क्युकी शालिनी ने उनको अपने परिवार मे गिना
बाबुजी : हाँ सही बात है, जल्दी मे किसी को बुला नहीं सका और बुलाने मे भी भय था ,अब क्या कर सकते है ?
दादी : तो फिर आप दोनों मे से जो छोटा है उसे दुग्ध पान करना होगा
बाबुजी : क्या ?
दादी : हाँ बेटा अब यही आखरी उपाय है
चाचाजी : और कोई रास्ता नहीं ?
दादी : नहीं
बाबुजी : गहरी साँस लेकर ..)ठीक है जो करना है वो करो
दादी : ये मत समझना की ये कोई अभद्र और अश्लील कार्य है ,इसमे एक पवित्र रिश्ता बनता है ,आप बस एक माँ की सहायता कर रहे हों और उसके सन्तान की जगह लेते हो।
बाबुजी : बलवंत तू मुझसे छोटा है ,तो ये रस्म तुमको निभानी होगी।
हालाकि चाचाजी ने शालिनी के स्तनों से दूध कई बार पिया है पर वो एकांत मे जब कोई ना हो पर ये तो सब के सब के सामने था तो इस लिए वो असमंजस मे थे।
चाचाजी: नहीं मे नही कर सकता और मे तुम्हारे परिवार से नहीं हूं
बाबुजी : बस तूने कर दिया पराया हमको ?हम ने तुम्हें अपना माना ,यहा तक कि बहु ने भी तुम्हें अपने परिवार के सदस्यों मे गिना ,તું उसकी बात को काट रहा है ,तुमने तो कहा था ना कि बहु ने एक माँ की तरह सम्भाला था ,तो आज जब उस माँ को अपने बेटे की जरूरत पड़ी तुम अपनी जवाबदारी से भाग रहे हो।
चाचाजी : पर हमारी उम्र मे कितना फर्क़ है
बाबुजी : उम्र से कुछ नहीं होता अगर एसा होता तो शहर मे उसके बड़े बेटे बन के कैसे रह रहे थे ?
दादी : क्या बड़ा बेटा ?कैसे ?
बाबुजी : वो लंबी कहानी है पर बहु ने छोटी माँ बनके इस बलवंत को सम्भाला था।
दादी : तो फिर कोई चिंता ही नहीं ,एक बेटे के तौर पर तुम इसके लिए योग्य हो।
काफी दलीलों के बाद दोनों चाचाजी को मना लेते है ,दादी चाचाजी को लेके कमरे की और बढ़ रहे थे फिर दादी चाचाजी को थोड़ा दूर खड़ा कर के दरवाजे पे जाके सब तैयारी के बारे मे पूछते है तब उसे थोड़ी देर ठहर ने को बोलते है।
जब दादी बाहर आयी तब कमरे मे महिला ने शालिनी को समझाया कि कैसे कैसे सब करना है पहले तो उसने शालिनी को टॉपलेस करके उसके स्तनों पर लेप लगाया और एक खास प्राकृतिक शाही जो सुनहरी थी उससे शालिनी के स्तनों पर मेहंदी के जैसी डिज़ाइन बनाई जिससे उसके स्तन और सुंदर और मनमोहक बन गए

RDT-20250511-050621793026166036303022 RDT-20250512-1205416341634710264585076
,ये डिज़ाइन बनाते समय भी कई बार महिला शालिनी के स्तन को दबा देती जिससे एक बार तो एक दूध की बूंद बाहर आ जाती है।
महिला : अगर मेरा बस चले तो मे ही यह रस्म निभा दु देखो तो सही कितने सुन्दर स्तन की जोड़ी है ,एसे तो कल्पना मे या अप्सरा के होते होगे।
शालिनी ये बातें सुन के खुश होती है और शर्मा जाती है ,जिसे देख के सभी महिला हसने लगती है ,तभी दादी आती है और चाचाजी को मुस्किल से राजी किया वो सब बताती है ये सुनकर शालिनी को एक अंदरूनी खुशी मिलती है ,फिर दादी शालिनी को पल्लू से स्तन ढकने को कहते है और सभी स्त्री को बाहर जाने को कहती है और उसके साथ आयी एक महिला को रुकने को कहती है और सभी महिला कमरे से बाहर जाती है और चाचाजी को देख के हसने लगती है और उसमे से एक महिला जाते जाते कहती है कि चाचाजी भाग्यशाली है जो उसको मौका मिला है।
दादी : इस रस्म मे दो स्त्री हमेसा हाजिर रहती है ताकि कोई पुरुष अश्लीलता ना करे और कुछ करे तो उसे सजा मिल सके।
शालिनी : पर चाचाजी एसे नहीं है।
दादी : पता है, इतने सालों से गाव मे है कभी किसी को परेसान नहीं किया उल्टा परेसान लोगों की मदद करते है ,बेटा तुम तैयार हो तो हम उसे अंदर बुला ले
शालिनी गर्दन हिला के हा कहती है और महिला शालिनी को खटिया पर बैठाते है और दादी चाचाजी को बुलाने जाती है ,और चाचाजी कमरे मे आते है और नीचे नजरों से खड़े थे ,
दादी : बेटा जाओ और बहू के गोदी मे सिर रख के लेट जाओ ,और बहू तुम तैयार हो जाओ।
दादी और महिला कमरे मे रखी कुर्सी पर बैठते है और चाचाजी खटिया पर आके बैठ जाते है और शालिनी शर्मा कर थोड़ी पीछे खिसक जाती है
दादी : बहु अब शर्माना बंध करो ,और रस्म निभा लो ,
चाचाजी सोचते है कि वैसे तो कितनी ही बार इस स्तनों से दूध पिया है पर हर बार एक नया एहसास होता है मानो पहली बार है, और शालिनी भी सोचती है पहले भी तो स्तनपान करवाया ही है तो अब क्यु शर्माना ?पर वो अकेले होता था और इस बार किसी के सामने और अगर आसानी से पिलाने लगेंगी तो हो सकता है इनको शक हो जाए और क्या सोचेंगे?
शालिनी शर्मा कर अपने पल्लू को धीरे से हटाती है और चाचाजी धीरे से गोदी मे सिर रखते है

a2a46b1177dd09d5676285a1041b505c
वैसे तो चाचाजी ने इस सुन्दर स्तनों से दूध पिया था पर इस बार तो इस सुन्दर स्तन शृंगार के वज़ह से और सुंदर और सुगंधित हो गए थे जिससे चाचाजी खुस होते है और शालिनी के निप्पल को अपने मुँह मे आने का इंतजार करते है।

ash3
शालिनी थोड़ा झुकती है और एक स्तन चाचाजी के चेहरे पर ले आती है जिससे चाचाजी से सब्र नहीं होता और अपना सिर उठा के निप्पल मुँह मे लेने का प्रयास करते है,और शालिनी भी सहयोग करती है

Rotate-Conv-Gif-3
और पहलीबार किसी की हाज़री मे चाचाजी ने स्तनपान किया, दोनों के दिल की धड़कन थोड़ी बढ़ गई थी,शालिनी चाचाजी का सिर ढक देती है और कभी कभी दादी की ओर देखती तब दादी मुस्करा देती ,चाचाजी आराम से स्तनपान कर रहे थे और शालिनी को भी राहत मिलती है।
दादी : आप दोनों अच्छा कर रहे हों ,लगता ही नहीं कि बहु तुम पहली बार स्तनपान करवा रही हो ,
शालिनी : नहीं नहीं ,पहली बार ही है
दादी हसने लगती है फिर कुछ देर बाद चाचाजी स्तनपान कर लेते है और खड़े हो जाते है और शालिनी अपने स्तनों को ठीक से ढक देती है और वो भी कोने मे जाके ब्लाउज पहनने लगती है।

VID-20241127-095420-866-1
दादी : आप दोनों से सच मे इस रस्म की मर्यादा रखी ,वर्ना मेने देखा है कि छोटी बड़ी छेड़खानी कर ही देते है।
शालिनी : अब कुछ बाकी है कि कुछ और रस्म बाकी है।
दादी : नहीं नहीं ! अब कुछ नहीं है अब आप दोनों आजाद है ,और हा एक बात बता दूँ।
शालिनी : क्या ?
दादी : (मज़ाक मे ..)अब से तुम्हें लगे कि तुम्हारे स्तनों मे दूध उतर आए तो तुम बलवंत को स्तनपान करवा सकती हो ,ये तुम्हारा अधिकार है ,क्युकी इस परम्परा मे स्त्री जिस पुरुष को स्तनपान करवाती है उसे वो जब तक दूध आता है तब तक उसे पीला सकती है।
जब दादी और महिला कमरे से बाहर जाने लगती है और उसके पिछे चाचाजी जाने लगते है ,जब चाचाजी जा रहे थे तब वो एकबार शालिनी की ओर देखते है तब शालिनी उसे गर्दन से बाहर जाने को कहती है और मुस्करा देती है

20250606-213806
,फिर सब बाहर आते है और सब बाबुजी और चाचाजी से घर जाने की रजामंदी लेते है,तब शालिनी दादी को एक तरफ बुलाती है और उसे कुछ बताती है और दादी उसे आश्वासन देती है।
दादी : बिरजू! अभी बहु ने मुझे कहा कि वो गर्मी की वज़ह से गाव की हर स्त्रियों की तरह कपड़े पहनने की इजाजत मांग रही है ,
बाबुजी : अरे बहु! इसमे इजाजत क्या मांगने की जरूरत थी ? तुम अपनी सहूलियत के हिसाब से कपड़े पहनने को स्वतंत्र हो,
दादी : चलो ! मे चलती हूं।
शालिनी : दादी आज आप हमारे यहां खाना खाकर जाइये, मे अभी बना देती हूं।
बाबुजी और चाचाजी भी जोर देते है जिस वज़ह से दादी मान जाति है ,शालिनी खाना बनाने जाती है फिर सब खाना खाते है और चाचाजी दादी को घर छोड़ आते है,शालिनी सब काम निपटा देती है और नील को स्तनपान करवाती है और चाचाजी और बाबुजी दूसरे कमरे मे सो जाते है ,फिर शाम को शालिनी चाचाजी और बाबुजी आँगन मे खटिया डाल के बैठे थे।
शालिनी : बाबुजी वो क़िला किस राजा ने बनाया था ?कितना पुराना है ?और आप कह रहे थे कि उसका इस गाव बनने के पिछे वो ही कारण था ?क्या कब और कैसे सब मुझे बताये।
बाबुजी : मे तुमको बड़ी बड़ी बातो से सब बताता हूं और फिर भी तुम्हें सब जानना हो तो एक किताब दूँगा वो पढ़ लेना।
शालिनी : ठीक है
बाबुजी : करीब आज से 300 साल पहले एक बहुत बहादुर और पराक्रमी राजा हुआ था जिसका नाम बादल सिंह था उसका मुख्य नगर आज जो तुम रेल्वे से जहा उतरे वही था ,पर एक बार जब बाहरी देशों से आए दुश्मनों ने रेगिस्तान के रास्ते भारत मे आने का प्रयास किया क्युकी दूसरे रास्तो से उसे हार का सामना करना पड़ रहा था ,इस लिए धोखे से इस रास्ते हमला करने आए ,पर गुप्तचरों की सूचना से राजा पहले से दूसरे मित्र राजा के साथ तैयार था और सभी ने मिलके दुश्मनों को हराया और उनको वापिस भेजा।
चाचाजी : उन युद्ध से राजा बादल सिंह सचेत हो गया और इस रास्ते पर भी निगरानी और सुरक्षा के लिए क़िला बनाने का निर्णय लिया और अपने सबसे उतम कारीगरों की मदद से एक अभेद,भव्य और सुरक्षित क़िला कम महल बनवाया,और साथ मे अपने बेह्तरीन सिपाही और सेनापति को यहा रक्षा के लिए नियुक्त किया,साथ मे सिपाही के लिए ये गाव बसाया।
शालिनी : अच्छा ! एसा है ,इस लिए गाव बनने के पीछे ये महल कारण है।
बाबुजी : हाँ ,पर राजा के दो सेनापति थे इसलिए छह मास तक एक सेनापति आता और दूसरे छह मास दूसरा सेनापति आता,
फिर जब आजादी मिली तब राजा के जो वंशज थे वो बड़े शहर वाले महल मे रहने लगे और इस महल को पुरातात्विक विभाग द्वारा सम्भाला जाता है ,और उसकी एक चाबी हमारे पास है
शालिनी : क्या ? हमारे पास भी चाबी है ?
चाचाजी : हाँ ! क्युकी उस महल के जो सेनापति थे हम उनके वंशज है।
शालिनी : (आश्चर्य से ..)क्या? सच मे ?मुझे मालूम ही नहीं है।
चाचाजी : उसमे से एक सेनापति थे उसके वंशज मे हूं और दूसरे सेनापति के वंशज तुम्हारे ससुर।
शालिनी : मुझे तो ये मालूम ही नहीं था कि हमारा खानदान का इतिहास इतना गौरवशाली है,अब पता चला की इस लिए आप उस बदमाश गुंडे को धूल चटा सके,क्युकी आप के रगों मे बहादुर पूर्वजो का खून है।
थोड़ी देर बाद शालिनी खाना बनाने जाती है ,फिर बाद मे सब एक साथ खाना खाते है और सोने की तैयारी करते है ,चाचाजी आज भी अपने घर सोने की ईच्छा करते है ,पर इस बार बाबुजी उसके साथ जाते है और इधर शालिनी और नील अकेले सोते है ,शालिनी रात मे एक बार नील को स्तनपान करवाती है पर 3 बजे जब उसके स्तन फिर से दूध से भर जाते है ,तब उसे दर्द होता है ,पर आज रात उसके पास इसका इलाज नहीं था ,इस लिए मजबूरी मे उसे स्तनों को दबाकर दूध निकालना पड़ा, जिससे उसे अपने पहले के दिन याद आ गए ,शालिनी से बहुत मुस्किल से स्तन खाली होते है ,उसे गुस्सा और दुख हो रहा था, अब शालिनी से ये दर्द सहन नहीं होता पर वो बेचारी करती भी क्या ?,वो सुबह इसके बारे मे चाचाजी से बात करने का मन बनाती है



जब शालिनी अपने स्तन दबा कर दूध निकालती है तब अकेले होने से उसके मन मे इतने दिनों से दबी काम वासना भी जग जाती है जिस वज़ह से एक हाथ से धीरे से स्तन दबती और दूसरे हाथो को अपने योनि पर ले जाकर उसको सहलाने लगती है ,जब सहलाते सहलाते उससे खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था इस लिए वो एक सोफा था उस पर लेट जाती है और योनि को सहलाने लगती है

RDT-20241023-134618-2
और जब वो स्तन दबाते तब दूध उसके स्तनों रूपी पहाड़ों से फिसलता हुआ नीचे गिर जाता ,एसे करते-करते जब शालिनी चरम सीमा पर पहुच जाती है तब उसके पैर थरथरा जाते है और अपनी कमर को ऊपर कर देती है ,इस हस्त मैथुन से उसकी सांसे तेज चल रही थी और उसके स्तन और निप्पल तन जाते है और उसकी योनि भी थोड़ी फूल जाती है ,जब शालिनी को चरम सुख मिलता है तब उससे हिला भी नहीं जा रहा था ,वो एसी ही लेटी रहती है।
फिर कुछ मिनट बाद जब वो कुछ होश मे आती है तब वो देखती है उसका ब्लाउज दूर पड़ा था और उसका घाघरा उसके जांघों तक उठा हुआ था और बाल भी अस्तव्यस्त थे ,वो बैठती है और पहले अपने घाघरा को नीचे करती है और बाल को सही से बाँध देती है ,फिर धीरे धीरे चलते हुए ब्लाउज को लेने जाती है ,काफी दिनों के बाद हस्त मैथुन करने से उसे थोड़ा दर्द हो रहा था ,शालिनी फिर एक गिलास पानी पीती है और अपने चेहरे को अच्छे से धों कर सोने आती है ,वो नील को सोता देख वो खुश होती है और वो भी बेड पर आके लेट जाती है और थकान की वज़ह से उसे तुरत नींद आ जाती है और सुबह अलार्म की घंटी से उसकी नींद खुलती है ,पर उसे सोने का मन कर रहा था, इस लिए वो आधे घंटे तक सो जाती है।
आधे घंटे बाद जब शालिनी की नींद खुलती है तब वो फटाफट से पल्लू लगाकर नहाने के लिए आती है क्युकी उसके योग करने का समय नहीं था ,वो जब नहाने के लिए आँगन मे आती है तब देखती है बाबुजी और चाचाजी दातुन का रहे थे।
शालिनी : प्रणाम बाबुजी ! माफ़ करना आज देरी हो गई,
बाबुजी : अरे कोई बात नहीं तुम आराम से रहो ,कोई जल्दी नहीं है।
शालिनी नहाने जाती है और जब नहा कर आती है तब एक ब्लाउज और घाघरा पहन कर उस पर तौलिया ओढ़ के बाहर आती है और सीधा कमरे मे चली जाती है ,फिर जब शालिनी तैयार होकर नास्ता बनाने जाती हैं हालाकि आज शालिनी ने गर्मी से राहत पाने के लिए एक थोड़ा गहरा गला और बैकलैस ब्लाउज पहना था जिसे बस दो डोरी से बंधा था, उस पर एक हल्की चुन्नी ओढ़ रखी थी,जिसमें से उसकी नंगी पीठ दिख रही थी ,

RDT-20241210-2120537047966759907312398
क्युकी गाव मे भी औरते एसे कपड़े पहनते थे,वैसे शालिनी के कपड़े थोड़े मार्डन थे, पर काफ़ी हद्द तक गाव के पारम्परिक वस्त्रों से मेल खा रहे थे।
तब तक बाबुजी और चाचाजी भी नहाकर तैयार हो जाते है,बाबुजी को भी शालिनी के एसे कपड़े मे मे पहली बार देख के आंखे फटी रह जाती है ,उसे आज पहली बार एहसास हुआ कि उनकी बहु है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत है

Screenshot-20250519-232959-Instagram
,चाचाजी भी शालिनी को बस देखे जाँ रहे थे ,शालिनी के कपड़े गाव के औरतों के कपड़े से मेल खाँ रहे थे इस लिए बाबुजी को कुछ परेसानी नहीं थी।
शालिनी : चलिए नास्ता तैयार है।
बाबुजी : हाँ हाँ आते है ,देखा कोई देर नहीं हुई सब समय पर ही है ,तुम जल्दबाजी ना करना और आराम से काम करो।
शालिनी : जी बाबुजी !
फिर तीनों नास्ता करते है और साथ मे बाते भी करती है।
शालिनी : बाबुजी ! मे क्या कहती हूँ ,मे गाव देखना चाहती हूं और गाव के आसपास भी कुछ देखने लायक कुछ हो तो मे देखना चाहती हूं ,इस बहाने थोड़ा घूमना हो जाएगा और मन प्रफुल्लित हो जाएगा ,क्या है ना इतने दिनों से घर मे रह रह कर बोर हो गए है।
बाबुजी : हाँ हाँ ! क्यु नहीं ?वैसे ज्यादा शहर जितना घूमने की जगह नहीं है पर है वो सब देखने लायक है।
शालिनी : क्या क्या है ?
बाबुजी : एक तो ये गाव हो गया ,और गाव के गेट के पास ही सप्ताह मे एक दिन मार्केट लगती है,लेकिन बहुत छोटी होती है ,फिर गाव का तालाब बहुत सुन्दर है ,फिर यहा से थोड़ी दूर भारत की सरहद है।
चाचाजी : वो क़िला तो भूल ही गए।
बाबुजी : अरे ! हाँ वो भी है।
शालिनी : मार्केट कब लगती है ?
चाचाजी : गुरुवार को
शालिनी : आज तो मंगलवार है ,यानी परसों।
चाचाजी : हाँ
शालिनी : पर मेने कुछ देखा नहीं है तो क्या आप मे से कोई मुझे ये सब दिखा सकते है।
बाबुजी : हाँ एक काम करो तुम और बलवंत घूम आओ
चाचाजी : मे? नहीं तुम जाओ ना!
बाबुजी : तुम भी घर मे रह कर बोर हो गए होंगे तो इसी बहाने तुम्हारी भी सेर हो जाएगी ,मे तो यही था ,इसी बहाने तुम गाव मे किसी दोस्त से मिल लेना तुम्हें अच्छा लगेगा।
चाचाजी : ठीक है ,आज हम इधर गाव मे सब देख लेते है और कल थोड़ा जल्दी धूप से पहले निकलकर क़िला देख आयेंगे और वहा से सरहद चले जाएंगे।
शालिनी : बढ़िया! मे अभी सब काम निपटा लेती हूं फिर चलते है।
शालिनी सब काम निपटाने लगती है उस वज़ह से उसे पसीना आता है जो उसके शरीर पर मोती की तरह चिपक गया था ,और शालिनी का चेहरा पूरा लाल हो गया था ,उसके पसीने की बूंदे कमर से फिसल कर उसके घाघरा पर आके उसमे समा जाती जब शालिनी कपड़े धोने बैठती है तब बाबुजी और चाचाजी वहीं सामने खटिया पर बैठे थे जब शालिनी कपड़े धोने बैठी थी तब उसके स्तन मानो ब्लाउज से लड़ाई कर रहे हों बाहर आने के लिए और जब वो कपड़े को साबुन लगाती तब झुकने की वज़ह से उसके स्तन के उभार काफी बाहर आ जाते जो स्तनों को और ज्यादा मादक और कामुक बना देते

Pehredaar-S5-E6-12
,वैसे चाचाजी को ज्यादा फर्क़ नहीं पड़ता पर बाबुजी के लिए ये पहली बार थे ,कभी जब बाल शालिनी के चेहरे पर आ जाते तब वो साबुन के झाग वालों हाथो से ही हटाने का प्रयास करती ,तब झाग उसके बालों मे लग जाता तो कभी गालों से फिसल कर गले से होते हुए ब्लाउज को भिगा देता ,जब तक शालिनी के कपड़े धों लिए तब तक उसका ब्लाउज काफी भीग गया था जिससे उसके स्तनों के ताने हुए निप्पल दिख रहे थे।
शालिनी : अरे! ये कपड़े भीग गये ,आप रुको मे अभी ,दूसरे कपड़े पहनकर आती हूं।
चाचाजी : कोई जल्दी नहीं है ,तुम अपना समय लो ,
शालिनी कमरे मे जाती है और नील को स्तनपान करवाती है और फिर से एक गहरा गला और बेकलैस ब्लाउज पहन लेती है और उसके जैसी एक हल्की-फुल्की साड़ी पहनी थी ,

a7fb87c05dc90b98792fb19823703f3f
शालिनी को अब पता चला कि चाचाजी ने उसे एसे कपड़े क्यु डलवाने को कहा था, तब तो उसने उसका मान रखते हुए डाले थे पर आज उसे पता चला वो सही थे,शालिनी तैयार होकर आती है।
शालिनी : चलो चाचाजी ,मे तैयार हूं और हा बाबुजी मेने नील को दूध पीला दिया है आप बस उसे बाद मे थोड़ी पीसी हुई दाल पीला देना।
बाबुजी : जी बहु ,ठीक है ,आप लोग आराम से जाना और मुन्ने की चिंता ना करना, और बलवंत वो मेरी मोटर साइकिल ले जाना।
चाचाजी और शालिनी दोनों मोटरसाइकिल मे बैठ के गाव मे आते है पहले चाचा शालिनी को तालाब दिखाने ले आते है ,तालाब को देखते ही शालिनी के मुँह से "WOW" निकलता है।
शालिनी : वाह!क्या सुन्दर तालाब है ,
चाचाजी : हो भी क्यों ना!हम गाव वालों ने इसे कभी बिगड़ने नहीं दिया,यहा पे कपड़े धोने पर सख्त पाबंदी है और कुछ और भी धोना हो तो उसकी भी पाबंदी है ,
शालिनी : देखो तो कैसी सीडियां बनाई है ,मानो कोई स्विमिंग पुल हो
चाचाजी : यहा सिर्फ नहाने की छुट है वो भी सप्ताह मे 2 बार,उसमे भी एक दिन महिला के लिए और 1 दिन पुरुष के लिए वो भी उस जगह जहा पे घाट जैसा बना है ,क्युकी तालाब गहरा है
शालिनी : पीने मे भी यही पानी आता है ना?
चाचाजी : हाँ पर यहा से वो पाइप लैन के जरिए वो बड़ी पानी टंकी दिख रही है वहां जाता है और उधर से फिल्टर होके आता है ,वैसे तो गाव मे हर घर पानी आता है पर अगर ज्यादा पानी चाहिए तो टंकी के पास एक नल रखा है उधर से भी भर सकते है।
शालिनी : बहुत सुंदर व्यवस्था है। मुझे भी इस तालाब में नहाना है ,कब नहा सकती हूं मे ?
चाचाजी : शनिवार को महिला नहाती है ,और सोमवार को पुरुष
शालिनी : आज तो मंगलवार है ,अभी काफी दिन है ,क्या हम वो टंकी पर जा सकते है ?वहां से गाव देखना है।
चाचाजी : वैसे तो ऊपर जाने की मनाई है पर आप पहलीबार आए हों तो आपकी इच्छा जरूर पूरी करूंगा ,मे साथ हूँ इस लिए जाने देंगे।
शालिनी : लगता है आप गाव के बाहुबली लगते है।
चाचाजी : नहीं बाहुबलि नहीं पर हमारा सम्मान करते है लोग
शालिनी तालाब पे अपनी कुछ फोटो खींचती है

23ebb07114818f39df1494d4b54ab6dd
और चाचाजी के साथ सेल्फी लेती है ,फिर दोनों टंकी के ऊपर जाते है और उधर से गाव देखती है फिर उधर भी फोटो खींचती है ,फोटो खींचते समय एक जोरों से पवन निकलता है जिससे शालिनी का पल्लू खिसकता है और बाल भी बिगड़ जाते हैं तब चाचाजी शालिनी का पल्लू पकड के उसका पल्लू कंधे पर रखते है फिर शालिनी दोनों हाथ पीछे ले जाकर अपने बाल बाँध देती है और अपने आप को सही करते हुए चाचाजी से सब ठीक है ऐसा पूछती है

465754185905512-1716385736890
और नीचे आ जाते है।
चाचाजी : चलो अब मेरे कुछ दोस्तों से मिल आते है।
दोनों मोटरसाइकिल से गाव के एक घर पर आते है और दरवाजा खटखटाते है
चाचाजी : है कोई घर पे ?
महिला : कौन है ?
चाचाजी : अरे मे बलवंत, मनोहर बाबु है ?
महिला : (दरवाजा खोलकर..) अरे, बलवंत भैया आप?आइए आइए ,आपने हमारा घर पावन कर दिया।
चाचाजी : एसा मत कहिये भाभी ,ये मेरे दोस्त का घर है ,कहा है मनोहर?
महिला : वो तो शहर गए है ,मजदूरी करने।
चाचाजी : अच्छा तो फिर वो शाम के आएगा। फिर हम चलते है ,बाद मे आयेंगे
महिला : क्या ये बिरजू भैया की बहू है ?
चाचाजी : हाँ वहीं है ,उसे गाव घुमाने ले गया था
शालिनी खड़ी होके उस महिला के पैरों को छू कर प्रणाम करती है तब वो महिला कुछ रुपये को शालिनी के ब्लाउज मे रख देती है

images
,शालिनी को ये अजीब लगा पर वो कुछ बोली नहीं तब उस महिला ने आशिर्वाद देते हुए कहा " दूध पिलाओ और फ़ूलों फलो"
शालिनी और चाचाजी वहा से चले जाते है
शालिनी : आपने देखा उस महिला ने मुझे पैसे कैसे दिए ? मुझे अजीब लगा जब वो "दूध नहाओ फ़ूलों फलों "की जगह "दूध पिलाओ और फ़ूलों फलों " बोला
चाचाजी : तुम्हें ये अजीब लगा होगा ये स्वाभाविक है पर इस गाव की यही रीत है कि जो स्त्री गर्भवती हो या स्तनपान करवाती हो उसे यही आशिर्वाद देते है और ब्लाउज मे पैसे रख कर आशिर्वाद देना शुभ मानते है। क्युकी यह स्तन से दूध पीकर बच्चा बड़ा होगा।
शालिनी : अजीब तरीका है ,पर कोई नहीं गाव मे रहना है तो तौर तरीकों को अपनाना होगा।
चाचाजी : अभी आगे भी कोई एसे आशिर्वाद दे तो हस्ते हुए स्वीकार कर लेना
शालिनी ठीक है।
शालिनी और चाचाजी 4.5 घरों मे गए वहा भी शालिनी को एसे ही आशिर्वाद मिले

20231211-041700
अब शालिनी को अजीब नहीं लग रहा था उल्टा वो ये सोच के खुश थी कि सब उसे और नील को प्यार कर रहे थे
शालिनी : चलो अब घर जाना है कि कहीं जाना बाकी है।
चाचाजी : एक घर बाकी है ,मेरा सबसे गहरा दोस्त शेरा, उसका पूरा नाम शमशेर है पर सब उसको शेरा बुलाते है।
शालिनी : चलो फिर
दोनों शमशेर के घर आते है शेरा आँगन मे खटिया डाल के बैठा था तब चाचाजी ने आवाज लगा कर अंदर चले आते है और उसके पीछे शालिनी ,
शेरा : अरे बलवंत! काफी दिनों बाद आया ,कहा था यार?वो बिरजू बोला था कि तुम्हें चोट लगी थी। आज तो गंगू तैली के घर राजा भोज पधारे है। मे भी कितना भूलकर हूं ,बैठने को भी नहीं पूछा
वो कुर्सी साफ़ करने लगता है और दोनों को बैठने को कहता है तभी चाचाजी उसे गले से लगा देते है जिससे दोनों के आँखों मे आंसू आ जाते है उसे देख शालिनी की आंखे नम हो जाती है
शेरा : बहु! जरा पानी लाना, बलवंत चाचा आए है
चाचाजी : माफ़ करना दोस्त तुम्हारे बेटे की शादी मे नही आ सका। तुम्हारा बेटा कहा है?
शेरा : वो शहर मे कारखाने मे नौकरी करता है, पिछले महीने शादी थी ,तुम्हें बहुत याद किया, पर बिरजू ने कोई दिक्कत नहीं होने दी ,
तभी बहु पानी लेके आती है

c903a0350a027da03e015747e7b95bf2
और चाचाजी के पैर छूती है फिर वो शालिनी के पास आके बैठ जाती है।
शालिनी : क्या नाम है तुम्हारा?
बहू : जी सरला
शालिनी : अच्छा नाम है ,सुन्दर भी हो ,कहा तक पढ़ाई की है ?
सरला : जी 10 तक, फिर आगे के पढ़ाई के लिए पिताजी के पास पैसे नहीं थे और पढाई मे भी हम खास नहीं थे ,इसलिए सिलाई-कटाई सीख लिए थोड़ा जिससे घर मे कुछ मदद हो जाती
शालिनी : वाह! समझदार हो ,अगर तुम्हें सिलाई-कटाई पूरा सीखना हो तो मुझे बताना मे सीखा दूंगी
सरला : ठीक है दीदी ,आपका नाम क्या है ?
शालिनी : मेरा नाम शालिनी है।
शेरा : बलवंत सुना है कि तू किसी बदमाश से लड़ा था जिस वज़ह से चोट आयी थी
चाचाजी : हाँ सही सुना
चाचाजी उसे बदमाश वाला किस्सा सुनाते है
शेरा : लगता है तू बुढ़ा हो गया है यहा गाव मे कुस्ती की दंगल मे दो तीन को हरा देता था और शहर एक आदमी से हार गया
शालिनी : वो गुंडा था, और वो मेरे बेटे को मारने जा रहा था वो तो चाचाजी ने बहादुरी से सामना किया इस वज़ह से हम सुरक्षित है
चाचाजी : शांत हो जाओ, शेरा मज़ाक कर रहा है।
शेरा : मे मज़ाक कर रहा हूं ,इतने दिनों बाद हम मिले तो इसकी टांग खींचे बिना नहीं रह सकता,अगर तुम्हें दुख हुआ हो तो माफ़ कर देना ,
शालिनी : नहीं नहीं ! एसी बात नहीं है
चाचाजी और शेरा दोनों आपस मे काफी खींचातानी और मज़ाक करते है ये देख के शालिनी समझ जाती है कि दोनों के बीच काफी गहरी दोस्ती है ,कोई बात पर वो भी हँस देती जिससे माहौल काफी खुशनुमा हो गया था ,तभी सरला सब के लिए चाय बनाकर आती है ,सब चाय पीते है।
शेरा : इतने दिनों बाद तू आया है तो आज खाना खाए बिना नहीं जाने दूँगा ,आज यही खाना खा ले
चाचाजी : नहीं यार, फिर कभी।
शेरा : फिर कब तुम आओगे, तुम फिर भी आओगे पर बहुरानी कब आएगी, मे कुछ नहीं जानता तू बिरजू को फोन कर के बोल दे।
शेरा बहुत जोर देता है इस लिए चाचाजी मान जाते है फिर भी वो एक बार शालिनी की ओर देखते है तब शालिनी भी हामी भर्ती है फिर चाचाजी बाबुजी को फोन कर देते है।
शेरा : वैसे बहु बहुत अच्छा खाना बनाती है।
शालिनी : अच्छा है ,मे भी कुछ अच्छी रेसिपी सीख लूँगी
चाचाजी : वैसे तुम्हारे हाथ का खाना लाजवाब होता है।
शेरा : ठीक है फिर दोनों मिलके कुछ बनाओ
शालिनी और सरला दोनों मिल के खाना बनाते है ,वैसे घर काफी छोटा था इस लिए जो समान था उसी से कुछ खाना बनाते है और सब साथ मे खाना खाते है।
शेरा : वाकई रसोई बहुत बढ़िया बनी थी ,वैसे मानना पड़ेगा ,बिरजू की बहू के हाथो मे जादू है ,उसकी बनाई सब्जी स्वादिष्ट थी।
चाचाजी : नहीं तुम्हारे बहु के हाथो की सब्जी बढ़िया थी।
दोनों बहस करने लगते है ,एसे ही थोड़ी देर हँसी मज़ाक करते है फिर चाचाजी घर जाने को कहते है तब चाचाजी कुछ पैसे निकाल के सरला बहु के हाथो मे रख देते है।
शेरा : इसकी क्या जरूरत थी ?
चाचाजी : आज पहली बार बहु के हाथ का खाना खाया तो कुछ तो देना पड़ता है।
शेरा : फिर तो मेने भी बहुरानी के हाथ का खाना खाया है ,मे तुम्हारे जितने तो नहीं दे सकता ,पर जो है वो दे रहा हूं
शालिनी : कीमत पैसों की नहीं पर देने वाले की नीयत की होती है ,आपका आशीर्वाद ही काफी है मेरे लिए।
शेरा : नहीं नहीं ,सिर्फ आशीर्वाद देके काम नहीं चलाएंगे, वर्ना कल को बलवंत मेरे को कंजूस बोलेगा
सब हसने लगते है शालिनी को भी शेरा का स्वभाव अच्छा लगता है,फिर शेरा कुछ पैसे लेके शालिनी के हाथो मे देता है फिर जब दोनों जाने वाले थे कि शेरा दोनों को फिर से बैठा देता है।
शेरा : एक मिनट रुको ,अभी आया।
शेरा घर मे जाकर कुछ पैसे लाता है
शेरा : ये मुन्ने के लिए है ,और घर पे मे सब से बड़ा हूं तो मुझे ही आशीर्वाद देना पड़ेगा।
शालिनी : इसकी जरूरत नहीं है ,आपने दिए वो बहुत है
शेरा : ये आशीर्वाद है और मुन्ने के लिए है ,और आशीर्वाद को मना नहीं करते।
चाचाजी भी शालिनी को स्वीकार करने को कहते है फिर शेरा शालिनी के पास आके बैठता है और वो पैसे शालिनी के ब्लाउज मे रख देता है

Asha-Saini-from-Lakshmi-360-P-1
अब शालिनी को ये अजीब नहीं लगता था फिर वो "Thenk you " कहती है ,फिर दोनों बाहर आते है ,शेरा दोनों को गली तक छोड़ ने आता है,फिर चाचाजी मोटरसाईकिल चालू करके घर की ओर जाने लगते है।
शालिनी : चाचाजी ! वो स्तन मे दर्द हो रहा है,क्या आप घर जाने से पहले कहीं पे स्तनपान कर सकते है ?
चाचाजी : क्या अभी ?
शालिनी : हाँ अगर घर पहुच गए तो फिर मौका नहीं मिलेगा और मुझे दर्द सहना पड़ेगा, कल रात भी मेरी इस दर्द मे गुजरी थी ,पर कल आप तो मस्त चैन की नींद सो रहे थे अपने घर।
चाचाजी : मुझे परिवार की याद आ रही होती है इस लिए में वहां सोने जाता हूँ।
शालिनी : मे आपका परिवार नहीं हूं?
चाचाजी : तुम भी मेरा परिवार हो ,एसा है तो आज से नहीं जाऊँगा सोने ,पर बिरजू तो मेरे साथ सोता है उसका क्या ?
शालिनी : मे आपके और आपके परिवार के बीच नहीं आना चाहती, आप अपने घर पर सोये ,पर मेरे इस दर्द का हल भी ढूंढे।
चाचाजी : इस समय अभी का सोचते है ,बाकी का बाद मे कुछ करेंगे, पक्का!
शालिनी : अभी क्या करेंगे?
चाचाजी : एक काम करते है तालाब की ओर जाते है ,अभी कोई नहीं होगा उधर, अभी सब सोये होंगे।
दोनों मोटरसाईकिल मे बैठ के वापिस तालाब की ओर आते है ,वहा पे महिलाओ के लिए कपड़े बदलने की एक कमरा था ,वो वहां पे जाकर स्तनपान करने का निर्णय करते है ,क्युकी अभी कोई था नहीं ,दोनों वो कमरे मे आते है और दरवाजा बंध कर देते है ,शालिनी तुरत ही अपना ब्लाउज निकाल कर रख देती है ,चाचाजी भी स्तनों को देखकर बावरा हो जाते है ,वो खड़े खड़े हो स्तन चूसने लगते है।

60526-1
शालिनी : अरे! बैठने तो दीजिए ,मेरे से ज्यादा तो आपको स्तन खाली करने की जल्दी है।
चाचाजी बस चूसने मे लगे थे ,फिर शालिनी धीरे से अपने निप्पल को चाचाजी के मुँह से छुड़ाया और बैठ गई ,चाचाजी गोदी मे सिर रख के चूसने लगे ,

RDT-20250507-230611-1
शालिनी भी आंखे बंध कर के मिल रही राहत को महसूस कर रही थी ,कल रात उसे जो दर्द हुआ था इस वजह से आज मिल रही राहत उसे काफी सुख दे रही थी ,थोड़े समय के बाद चाचाजी ने दोनों स्तनों से दुध चूस कर खाली कर दिए ,शालिनी फिर से अपने ब्लाउज को पहन रही थी कि चाचाजी फिर से निप्पल मुँह मे ले लेते है।

24351-4
शालिनी : अरे! छोड़िए, देर हो गई है और कोई आ जाएगा , मे फिर पीला दूंगी
चाचाजी : कहा पिलाती हो ,मुझे रात को ठीक से नींद भी नहीं आती, अब दूध पीए बिना नींद ठीक से नहीं आती।
शालीन : पर आप दूसरे घर मे ,और मे दूसरे घर पर है तो कैसे पिलाए, और बाबुजी भी है।
चाचाजी : आज बिरजू को उसके घर सोने को कह दूँगा ,फिर तुम रात को उसके सो जाने के बाद आ जाना फिर दूध पिलाकर चली जाना।
शालिनी : कैसे आऊं?
चाहती : छत्त से आ जाना मे कमरे मे ही होऊँगा, और दरवाजा खुला रखूँगा।
शालिनी हँसती हैं और हाँ कहती है दोनों बाहर आते है और घर वापिस आते है।
शालिनी : नील सो गया ?
बाबुजी : हाँ ,आप भी सो जाओ
सब 1 घंटे बाद उठते है ,शालिनी सब के लिए नास्ता और चाय बनाती है ,और कल कैसे जाना है उसके बारे मे बात करते है।
चाचाजी : कल सुबह को पहले सरहद देखने जाएंगे फिर धूप होते होते क़िला देखने जाएंगे ताकि धूप ना लगे।
शालिनी : पर नील ?
बाबुजी : उसे मे सम्भाल लूँगा ,कहीं उसे लू लग गई तो बीमार पड़ जाएगा ,आप दोनों चले जाना।
शालिनी : पर उसके खाने की दिक्कत होगी
बाबुजी : कल मे गौशाला से दूध ले आऊंगा
शालिनी : ठीक है।
फिर सब रात को खाना खा कर सोने चले जाते है आज चाचाजी बाबुजी को अपने घर ही सोने को कहते है ,अभी उसे ठीक महसूस हो रहा है ,और शालिनी घर मे अकेली होगी, इस लिए बाबुजी भी मान जाते है और शालिनी अपने कमरे मे और बाबुजी आँगन मे खटिया डाल के सो जाते है।
फिर आधी रात मे .........
Nice update
 
  • Like
Reactions: niteshp

Manju143

Member
125
55
28
Update : 17
दरवाजे के सूराख से एक नजर शालिनी को साड़ी पहने देख रही थी ,फिर जैसे शालिनी बाल बांधते हुए कमरे से बाहर आती है और जैसे दरवाजा खोलती है तो देखती है कि बाबुजी नील को लेके हॉल मे चल रहे थे।
शालिनी : अरे बाबुजी! आप कब जागे?
बाबुजी : बस अभी अभी , बलवंत कैसा है?
शालिनी : वो तो सो रहे है ,रात को बड़ी मुश्किल से सम्भाला, वो काफी दुखी थे, और अपने परिवार को याद कर के रो रहे थे।
बाबुजी : अच्छा हुआ ,तुमने सम्भाल लिया ,और रात को छत्त पर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
शालिनी : मे अभी योग करने अपने घर जा रही हूं,आप चाचाजी को जगा के आ जाना।
शालिनी के जाने के बाद बाबुजी चाचाजी के कमरे मे आते है और देखते है चाचाजी गहरी नींद मे थे ,तब उसे अपने ऊपर गुस्सा आते है कि उसने शालिनी और चाचाजी पे शक किया।
बाबुजी : (मन मे ..पर ग्लानि से) ये बात तो सामन्य है कि कोई भी स्त्री जग के पहले अपने कपड़े ठीक करती है बाद मे सब करती है ,बहु ने भी एसा ही किया ,और वो कमरे से बाहर आके थोड़ी न साड़ी पहनती, पर अगर बलवंत पहले जग जाता तो? नहीं नहीं ...मुझे इस बारे मे कुछ करना होगा अगर गाव मे किसी को पता चला तो सब क्या सोचेंगे?
बाबुजी फिर एक फैसला करते है वो नील को लेकिन अपने घर आते है तो देखते है शालिनी योग कर रही थी।

RDT-20250503-2226577516466045807359387 RDT-20250503-2247033913190934105238997
शालिनी : आइए बाबुजी ,आप भी कसरत कीजिए ,क्या चाचाजी नहीं आए ?
बाबुजी : नहीं वो सो रहा है ,तो मेने उसे जगाना ठीक नहीं समजा, वो जितना आराम करेगा उसके लिए अच्छा है।
शालिनी : हाँ ये बात भी ठीक है ,आप नील को सुला दे और आप भी कसरत करने आ जाइए।
बाबुजी और शालिनी कसरत करते है फिर जब दोनों आके खटिया पर बैठते है तब बाबुजी को लगता है ये सही समय है बात करने का।
बाबुजी : बहु मे क्या कहता हूं ,कल रात तुमने जैसे बलवंत को सम्भाला वो एक अच्छा काम किया पर ...
शालिनी : पर...क्या ?
बाबुजी : वो बात ये है कि ये गाव है ,और अगर किसी को पता लगा कि तुम और बलवंत रात को एक कमरे मे सोये थे तो वो गलत सोचेंगे ,इस लिए मे चाहता हूं तुम आज से इधर सो जाना ,अगर जरूरत पड़ी तो मे उसके साथ सो जाऊँगा।
शालिनी : पर हमारे बीच एसा कुछ नहीं है।
बाबुजी : मुझे आप दोनों पर यकीन है ,पर गाव वालों इस बारे मे क्या सोचेंगे वो हम नहीं तय कर सकते ,तो सावधानी रखते हुए हमे ये करना होगा और मे बलवंत से भी बात करूंगा।
शालिनी ये सुन के थोड़ी मायूस होती है पर वो कुछ नहीं कर सकती थी ,वो बस चुपचाप गर्दन हिलाते हा कहती है और नहाने चली जाती है तभी चाचाजी आते है।
चाचाजी : अरे बिरजू! मुझे अकेला छोड़ के आ गए ,मेने सोचा सब कहा चले गए?
बाबुजी : वो बहु और में पहले जग गए थे और बहू ने बोला तुम रात को थोड़ा देर से सोये इस लिए मेने सोचा तुम्हें सोने दु,अब कैसी तबीयत है ?
चाचाजी : ठीक हुँ ! कल बहु ने मुझे परिवार की तरह सहारा दिया जैसा शहर मे किया था ,मे उसे धन्यवाद भी नहीं कह पाया ,हमारे बीच एक अनोखा रिश्ता भी बन गया है ,कहा है बहु ? मे उसे नमन करके धन्यवाद देना चाहता हूं।
बाबुजी : वो नहाने गई है ,और मेने देखा कि वो कल रात तुम्हारे कमरे मे ही सोयी थी ,बुरा मत लगाना ,अगर किसी को ये बात पता चली तो क्या सोचेंगे आप दोनों के बारे मे।
चाचाजी : ये बात सही है ,पर हमारा रिश्ता पवित्र है ,यहा तक जब हम शहर मे एक घर मे थे तब उसने मेरा ख्याल एक बड़े बेटे की तरह रखा ,और एक माँ की तरह मुझे सम्भाला और सहारा दिया।
बाबुजी : मे यकीन करता हूं पर अगर किसी को पता चला तो ?
चाचाजी : ठीक है मे कोई एसा जोखिम नहीं ले सकता जिसमें बहु की इज़्ज़त पे सवाल उठे
बाबुजी : एसा है तो मे तुम्हारे साथ रात को सोने आऊंगा
चाचाजी : नहीं उसकी जरूरत नहीं है ,मे अकेले ही सो जाऊँगा ,बहु को अकेले नहीं छोड़ सकते ,
बाबुजी : ठीक है पर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना।
चाचाजी और बाबुजी फिर दातुन करते है तब तक शालिनी नहाकर आ जाती है वो तैयार होती है और सुबह का नास्ता बनाने लगती है तब नील भी जग जाता है ,शालिनी उसे स्तनपान करवाती है फिर तीनों नास्ता करते है ,फिर शालिनी सब काम करने मे लग जाती है तब कल आयी थी वो दादी आती है और उसके साथ एक अधेड़ उम्र की महिला भी आती है ,शालिनी दोनों का स्वागत करती है और उसे बातचीत करती है।
दादी : वो आज लल्ला का अन्न प्रासन है,याद है कि भूल गई?
शालिनी : याद है ,पर उसमे क्या करना होता है वो मुझे नहीं पता।
दादी : इस लिए तो हम आए है ,हम जैसे कहेंगे वैसा तुम्हें करना है ,
धीरे धीरे सारी महिला आने लगती है, सब एक कमरे मे इकठ्ठा होती है और चाचाजी और बाबुजी बाहर खटिया पर बैठे थे ,
(अभी जो शालिनी करती है ,उसे सब दादी कहती है ,)
दादी शालिनी को नहाने को कहती है ,शालिनी नहाकर आती है और कमरे मे आती है और सभी औरतों के बीच आके खड़ी होती है ,दादी उसे एक बढ़िया सी साड़ी देती है जिसे वो पहनती है ,फिर वो बीच मे रखे एक कुर्सी पर बैठ जाती है ,फिर सब औरते उसे गहने पहनती है ,माथे पर टिका ,कानो मे झूमखे,नाक मे नथुनी,होठों पर लिपस्टिक, गले मे हार ,माला,और एक फूलों का हार,हाथो मे रंगबिरंगी चूडिय़ां कमर पे कमरबंद, पांव मे पायल, और पैरों के उंगली मे एक सोने का गहना जिसे पायल के साथ जोड़ गया था।
विविध गहनों और फूलों से सजी हुई शालिनी किसी अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ,तब दूसरी औरते शालिनी से छेड़खानी करती है और थोड़ी द्विअर्थी बाते भी करती है ,तब शालिनी शर्मा के नीचे देखने लगती ,तब दादी औरतों को डांट देती ,फिर दादी शालिनी को एक पकवान बनाने को कहती है जो बच्चे के लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है ,फिर शालिनी दादी के बताये गये निर्देशों से वो पकवान बनती है फिर सब कमरे मे आते है और शालिनी बीच मे आके एक आसन पर बैठती है ,और नील को भी एक राजकुमार सा तैयार करके लाते है और शालिनी के गोदी मे रख देते है।
दादी : अब पहले तुम्हें बच्चे को थोड़ा स्तनपान करवाना है फिर ये पकवान खिलाना है ,इससे बच्चा धीरे धीरे दूसरा खाना सीखेगा
शालिनी स्तनपान करवाने के लिए जैसे ब्लाउज के हूक खोलती है तब उसके स्तन सब स्त्रियों के सामने उजागर होते है ,जिसे देख सारी महिला उसके स्तन की तारीफ करती है

1000030044
महिला 1 : देख तो अरी कैसे सुन्दर स्तन है ,काश मेरे एसे स्तन होते
महिला 2 : हाँ बात तो सही कहीं ,बच्चा भाग्यशाली है कि इससे दूध पी रहा है ,
महिला 1 : और इसके पति के बारे मे क्या कहना चाहोगी?
महिला 2 : इसका पति बड़ा ही भाग्यशाली भी है और बड़ा दुर्भाग्यशाली भी है।
महिला 1 : वो कैसे ?
महिला 2 : इस लिए क्युकी इतनी सुन्दर अप्सरा जैसी पत्नी से शादी हुई और एसी सुन्दर स्त्री को छोड़ के जाना पड़ा
महिला 1 : अगर मे इसकी जैसी होती तो मेरा पति कहीं जाता ही नहीं और अन्न प्रासन के बाद वो स्तनपान कर्ता रहता जब तक दूध आना बंध नहीं हो जाता
महिला 2 : सही कहा ! मेरा भी हाल तुम्हारे जैसा ही होता ,सब मर्द एक जैसे ही होते है।
ये सुनने के बाद सब महिला हसने लगती है और एक दूसरे से मज़ाक करती ,तभी शालिनी को भी याद आता है कि चाचाजी भी स्तनपान करने को तैयार रहते है ,वो भी हल्का सा मुस्कुरा देती है ,फिर जब नील ने अन्न प्रासन कर लेता है तब सब महिला उसे बारी बारी अपने पास लेके उसे आशिर्वाद देती है फिर आखिर मे दादी आके नील को आशीर्वाद देती है और उसकी नजर उतारती है ,फिर एक महिला को उसे सुलाने को कहती है।
शालिनी : (दादी से..) "क्या सब खत्म हो गया कि कुछ बाकी है ?
दादी : अभी एक और रस्म बाकी है
महिला : दादी क्या ये जरूरी है ,ये शहर से आयी है इसे अजीब लगेगा और सायद ये ना भी बोल दे
शालिनी : जो भी रिवाज हो, मे सब रिवाजों को निभाएंगी
महिला : पहले सुन लो ,ये कठिन है
शालिनी : (आत्मविश्वास से ..)मे तैयार हूं।
दादी : ठीक है ,जब पहले के ज़माने में जब किसी भी बच्चे का अन्न प्रासन होता तब बच्चा धीरे धीरे दूसरे खाने की ओर बढ़ता जाता पर माँ के स्तन मे दूध थोडी ना एकदम से बंध हो जाता है,तब पति के अलावा परिवार के सब से छोटे सदस्य को स्तनपान करवाती ताकि फिर भविष्य मे भी जब स्तन दूध से भरे हो और बच्चा भूखा ना हो तब उस लड़के को स्तनपान करवाने की छुट होती
शालिनी : मन मे..)मे चाचाजी को अबतक इसी कारण से तो स्तनपान करवाती थी ,मतलब मे अनजाने मे ही इस रिवाजों को निभा रही थी ,
दादी : अभी आपके परिवार का सब से छोटा सदस्य जो भी है उसे बुला लेते है
शालिनी : पर हमारे परिवार मे अब हम तीन लोग है ,मे बाबुजी और चाचाजी
दादी : कोई दूसरा नहीं है ?कोई उम्र मे छोटा हो ?
शालिनी : गाव मे आए अभी कुछ दिन हुए और ये आयोजन भी हमने जल्दी से कर दिया तो हमने किसी को नहीं बुलाया और हम बुला भी नहीं सकते वर्ना हमारी सुरक्षा खतरे मे पड जाती, और मुझे मालूम भी नहीं था एसा कुछ होगा
दादी : बात तो सही है पर अभी क्या करे ?
महिला : दादी आपको पता है जब मेरे पड़ोस मे जब एसा कुछ हुआ था तब उसके जेठ ने ये रिवाजो को निभाया था ,मतलब हाजिर सदस्यों मे जो छोटा हो उसे बुला लेते है।
दादी : हाँ ये हुआ तो था ,पर इसके लिए दोनों राजी होगे?
शालिनी : अगर रिवाज को निभाने के ये जरूरी है तो मे जरूर निभाएंगी
दादी : ठीक है मे बात करके आती हूं तब तक आप बहु को तैयार करो।
दादी बाहर आँगन मे आती है और चाचाजी और बाबुजी बैठे थे वहां आती है।
चाचाजी : आओ चाची ,बैठो
दादी : मे आप दोनों से बात करने आयी हूं
बाबुजी : क्या हुआ ?सब ठीक तो है ?सब रिवाज सही से चल रहे हैं ना?
दादी : सब कुछ सही चल रहा था और बहू ने भी सब अच्छे से निभाया है पर अब आखिरी रिवाज को लेके अटका हुआ है
बाबुजी : जरा साफ साफ बताये
दादी : अन्न प्रासन तो सही से हो गया ,अभी वो दुग्ध पान मे दुविधा हो गई है ,रिवाजों के मुताबिक सबसे छोटा सदस्य दुग्ध पान करेगा, पर बहु ने बताया परिवार मे सिर्फ आप तीन है।
चाचाजी खुश होते है क्युकी शालिनी ने उनको अपने परिवार मे गिना
बाबुजी : हाँ सही बात है, जल्दी मे किसी को बुला नहीं सका और बुलाने मे भी भय था ,अब क्या कर सकते है ?
दादी : तो फिर आप दोनों मे से जो छोटा है उसे दुग्ध पान करना होगा
बाबुजी : क्या ?
दादी : हाँ बेटा अब यही आखरी उपाय है
चाचाजी : और कोई रास्ता नहीं ?
दादी : नहीं
बाबुजी : गहरी साँस लेकर ..)ठीक है जो करना है वो करो
दादी : ये मत समझना की ये कोई अभद्र और अश्लील कार्य है ,इसमे एक पवित्र रिश्ता बनता है ,आप बस एक माँ की सहायता कर रहे हों और उसके सन्तान की जगह लेते हो।
बाबुजी : बलवंत तू मुझसे छोटा है ,तो ये रस्म तुमको निभानी होगी।
हालाकि चाचाजी ने शालिनी के स्तनों से दूध कई बार पिया है पर वो एकांत मे जब कोई ना हो पर ये तो सब के सब के सामने था तो इस लिए वो असमंजस मे थे।
चाचाजी: नहीं मे नही कर सकता और मे तुम्हारे परिवार से नहीं हूं
बाबुजी : बस तूने कर दिया पराया हमको ?हम ने तुम्हें अपना माना ,यहा तक कि बहु ने भी तुम्हें अपने परिवार के सदस्यों मे गिना ,તું उसकी बात को काट रहा है ,तुमने तो कहा था ना कि बहु ने एक माँ की तरह सम्भाला था ,तो आज जब उस माँ को अपने बेटे की जरूरत पड़ी तुम अपनी जवाबदारी से भाग रहे हो।
चाचाजी : पर हमारी उम्र मे कितना फर्क़ है
बाबुजी : उम्र से कुछ नहीं होता अगर एसा होता तो शहर मे उसके बड़े बेटे बन के कैसे रह रहे थे ?
दादी : क्या बड़ा बेटा ?कैसे ?
बाबुजी : वो लंबी कहानी है पर बहु ने छोटी माँ बनके इस बलवंत को सम्भाला था।
दादी : तो फिर कोई चिंता ही नहीं ,एक बेटे के तौर पर तुम इसके लिए योग्य हो।
काफी दलीलों के बाद दोनों चाचाजी को मना लेते है ,दादी चाचाजी को लेके कमरे की और बढ़ रहे थे फिर दादी चाचाजी को थोड़ा दूर खड़ा कर के दरवाजे पे जाके सब तैयारी के बारे मे पूछते है तब उसे थोड़ी देर ठहर ने को बोलते है।
जब दादी बाहर आयी तब कमरे मे महिला ने शालिनी को समझाया कि कैसे कैसे सब करना है पहले तो उसने शालिनी को टॉपलेस करके उसके स्तनों पर लेप लगाया और एक खास प्राकृतिक शाही जो सुनहरी थी उससे शालिनी के स्तनों पर मेहंदी के जैसी डिज़ाइन बनाई जिससे उसके स्तन और सुंदर और मनमोहक बन गए

RDT-20250511-050621793026166036303022 RDT-20250512-1205416341634710264585076
,ये डिज़ाइन बनाते समय भी कई बार महिला शालिनी के स्तन को दबा देती जिससे एक बार तो एक दूध की बूंद बाहर आ जाती है।
महिला : अगर मेरा बस चले तो मे ही यह रस्म निभा दु देखो तो सही कितने सुन्दर स्तन की जोड़ी है ,एसे तो कल्पना मे या अप्सरा के होते होगे।
शालिनी ये बातें सुन के खुश होती है और शर्मा जाती है ,जिसे देख के सभी महिला हसने लगती है ,तभी दादी आती है और चाचाजी को मुस्किल से राजी किया वो सब बताती है ये सुनकर शालिनी को एक अंदरूनी खुशी मिलती है ,फिर दादी शालिनी को पल्लू से स्तन ढकने को कहते है और सभी स्त्री को बाहर जाने को कहती है और उसके साथ आयी एक महिला को रुकने को कहती है और सभी महिला कमरे से बाहर जाती है और चाचाजी को देख के हसने लगती है और उसमे से एक महिला जाते जाते कहती है कि चाचाजी भाग्यशाली है जो उसको मौका मिला है।
दादी : इस रस्म मे दो स्त्री हमेसा हाजिर रहती है ताकि कोई पुरुष अश्लीलता ना करे और कुछ करे तो उसे सजा मिल सके।
शालिनी : पर चाचाजी एसे नहीं है।
दादी : पता है, इतने सालों से गाव मे है कभी किसी को परेसान नहीं किया उल्टा परेसान लोगों की मदद करते है ,बेटा तुम तैयार हो तो हम उसे अंदर बुला ले
शालिनी गर्दन हिला के हा कहती है और महिला शालिनी को खटिया पर बैठाते है और दादी चाचाजी को बुलाने जाती है ,और चाचाजी कमरे मे आते है और नीचे नजरों से खड़े थे ,
दादी : बेटा जाओ और बहू के गोदी मे सिर रख के लेट जाओ ,और बहू तुम तैयार हो जाओ।
दादी और महिला कमरे मे रखी कुर्सी पर बैठते है और चाचाजी खटिया पर आके बैठ जाते है और शालिनी शर्मा कर थोड़ी पीछे खिसक जाती है
दादी : बहु अब शर्माना बंध करो ,और रस्म निभा लो ,
चाचाजी सोचते है कि वैसे तो कितनी ही बार इस स्तनों से दूध पिया है पर हर बार एक नया एहसास होता है मानो पहली बार है, और शालिनी भी सोचती है पहले भी तो स्तनपान करवाया ही है तो अब क्यु शर्माना ?पर वो अकेले होता था और इस बार किसी के सामने और अगर आसानी से पिलाने लगेंगी तो हो सकता है इनको शक हो जाए और क्या सोचेंगे?
शालिनी शर्मा कर अपने पल्लू को धीरे से हटाती है और चाचाजी धीरे से गोदी मे सिर रखते है

a2a46b1177dd09d5676285a1041b505c
वैसे तो चाचाजी ने इस सुन्दर स्तनों से दूध पिया था पर इस बार तो इस सुन्दर स्तन शृंगार के वज़ह से और सुंदर और सुगंधित हो गए थे जिससे चाचाजी खुस होते है और शालिनी के निप्पल को अपने मुँह मे आने का इंतजार करते है।

ash3
शालिनी थोड़ा झुकती है और एक स्तन चाचाजी के चेहरे पर ले आती है जिससे चाचाजी से सब्र नहीं होता और अपना सिर उठा के निप्पल मुँह मे लेने का प्रयास करते है,और शालिनी भी सहयोग करती है

Rotate-Conv-Gif-3
और पहलीबार किसी की हाज़री मे चाचाजी ने स्तनपान किया, दोनों के दिल की धड़कन थोड़ी बढ़ गई थी,शालिनी चाचाजी का सिर ढक देती है और कभी कभी दादी की ओर देखती तब दादी मुस्करा देती ,चाचाजी आराम से स्तनपान कर रहे थे और शालिनी को भी राहत मिलती है।
दादी : आप दोनों अच्छा कर रहे हों ,लगता ही नहीं कि बहु तुम पहली बार स्तनपान करवा रही हो ,
शालिनी : नहीं नहीं ,पहली बार ही है
दादी हसने लगती है फिर कुछ देर बाद चाचाजी स्तनपान कर लेते है और खड़े हो जाते है और शालिनी अपने स्तनों को ठीक से ढक देती है और वो भी कोने मे जाके ब्लाउज पहनने लगती है।

VID-20241127-095420-866-1
दादी : आप दोनों से सच मे इस रस्म की मर्यादा रखी ,वर्ना मेने देखा है कि छोटी बड़ी छेड़खानी कर ही देते है।
शालिनी : अब कुछ बाकी है कि कुछ और रस्म बाकी है।
दादी : नहीं नहीं ! अब कुछ नहीं है अब आप दोनों आजाद है ,और हा एक बात बता दूँ।
शालिनी : क्या ?
दादी : (मज़ाक मे ..)अब से तुम्हें लगे कि तुम्हारे स्तनों मे दूध उतर आए तो तुम बलवंत को स्तनपान करवा सकती हो ,ये तुम्हारा अधिकार है ,क्युकी इस परम्परा मे स्त्री जिस पुरुष को स्तनपान करवाती है उसे वो जब तक दूध आता है तब तक उसे पीला सकती है।
जब दादी और महिला कमरे से बाहर जाने लगती है और उसके पिछे चाचाजी जाने लगते है ,जब चाचाजी जा रहे थे तब वो एकबार शालिनी की ओर देखते है तब शालिनी उसे गर्दन से बाहर जाने को कहती है और मुस्करा देती है

20250606-213806
,फिर सब बाहर आते है और सब बाबुजी और चाचाजी से घर जाने की रजामंदी लेते है,तब शालिनी दादी को एक तरफ बुलाती है और उसे कुछ बताती है और दादी उसे आश्वासन देती है।
दादी : बिरजू! अभी बहु ने मुझे कहा कि वो गर्मी की वज़ह से गाव की हर स्त्रियों की तरह कपड़े पहनने की इजाजत मांग रही है ,
बाबुजी : अरे बहु! इसमे इजाजत क्या मांगने की जरूरत थी ? तुम अपनी सहूलियत के हिसाब से कपड़े पहनने को स्वतंत्र हो,
दादी : चलो ! मे चलती हूं।
शालिनी : दादी आज आप हमारे यहां खाना खाकर जाइये, मे अभी बना देती हूं।
बाबुजी और चाचाजी भी जोर देते है जिस वज़ह से दादी मान जाति है ,शालिनी खाना बनाने जाती है फिर सब खाना खाते है और चाचाजी दादी को घर छोड़ आते है,शालिनी सब काम निपटा देती है और नील को स्तनपान करवाती है और चाचाजी और बाबुजी दूसरे कमरे मे सो जाते है ,फिर शाम को शालिनी चाचाजी और बाबुजी आँगन मे खटिया डाल के बैठे थे।
शालिनी : बाबुजी वो क़िला किस राजा ने बनाया था ?कितना पुराना है ?और आप कह रहे थे कि उसका इस गाव बनने के पिछे वो ही कारण था ?क्या कब और कैसे सब मुझे बताये।
बाबुजी : मे तुमको बड़ी बड़ी बातो से सब बताता हूं और फिर भी तुम्हें सब जानना हो तो एक किताब दूँगा वो पढ़ लेना।
शालिनी : ठीक है
बाबुजी : करीब आज से 300 साल पहले एक बहुत बहादुर और पराक्रमी राजा हुआ था जिसका नाम बादल सिंह था उसका मुख्य नगर आज जो तुम रेल्वे से जहा उतरे वही था ,पर एक बार जब बाहरी देशों से आए दुश्मनों ने रेगिस्तान के रास्ते भारत मे आने का प्रयास किया क्युकी दूसरे रास्तो से उसे हार का सामना करना पड़ रहा था ,इस लिए धोखे से इस रास्ते हमला करने आए ,पर गुप्तचरों की सूचना से राजा पहले से दूसरे मित्र राजा के साथ तैयार था और सभी ने मिलके दुश्मनों को हराया और उनको वापिस भेजा।
चाचाजी : उन युद्ध से राजा बादल सिंह सचेत हो गया और इस रास्ते पर भी निगरानी और सुरक्षा के लिए क़िला बनाने का निर्णय लिया और अपने सबसे उतम कारीगरों की मदद से एक अभेद,भव्य और सुरक्षित क़िला कम महल बनवाया,और साथ मे अपने बेह्तरीन सिपाही और सेनापति को यहा रक्षा के लिए नियुक्त किया,साथ मे सिपाही के लिए ये गाव बसाया।
शालिनी : अच्छा ! एसा है ,इस लिए गाव बनने के पीछे ये महल कारण है।
बाबुजी : हाँ ,पर राजा के दो सेनापति थे इसलिए छह मास तक एक सेनापति आता और दूसरे छह मास दूसरा सेनापति आता,
फिर जब आजादी मिली तब राजा के जो वंशज थे वो बड़े शहर वाले महल मे रहने लगे और इस महल को पुरातात्विक विभाग द्वारा सम्भाला जाता है ,और उसकी एक चाबी हमारे पास है
शालिनी : क्या ? हमारे पास भी चाबी है ?
चाचाजी : हाँ ! क्युकी उस महल के जो सेनापति थे हम उनके वंशज है।
शालिनी : (आश्चर्य से ..)क्या? सच मे ?मुझे मालूम ही नहीं है।
चाचाजी : उसमे से एक सेनापति थे उसके वंशज मे हूं और दूसरे सेनापति के वंशज तुम्हारे ससुर।
शालिनी : मुझे तो ये मालूम ही नहीं था कि हमारा खानदान का इतिहास इतना गौरवशाली है,अब पता चला की इस लिए आप उस बदमाश गुंडे को धूल चटा सके,क्युकी आप के रगों मे बहादुर पूर्वजो का खून है।
थोड़ी देर बाद शालिनी खाना बनाने जाती है ,फिर बाद मे सब एक साथ खाना खाते है और सोने की तैयारी करते है ,चाचाजी आज भी अपने घर सोने की ईच्छा करते है ,पर इस बार बाबुजी उसके साथ जाते है और इधर शालिनी और नील अकेले सोते है ,शालिनी रात मे एक बार नील को स्तनपान करवाती है पर 3 बजे जब उसके स्तन फिर से दूध से भर जाते है ,तब उसे दर्द होता है ,पर आज रात उसके पास इसका इलाज नहीं था ,इस लिए मजबूरी मे उसे स्तनों को दबाकर दूध निकालना पड़ा, जिससे उसे अपने पहले के दिन याद आ गए ,शालिनी से बहुत मुस्किल से स्तन खाली होते है ,उसे गुस्सा और दुख हो रहा था, अब शालिनी से ये दर्द सहन नहीं होता पर वो बेचारी करती भी क्या ?,वो सुबह इसके बारे मे चाचाजी से बात करने का मन बनाती है



जब शालिनी अपने स्तन दबा कर दूध निकालती है तब अकेले होने से उसके मन मे इतने दिनों से दबी काम वासना भी जग जाती है जिस वज़ह से एक हाथ से धीरे से स्तन दबती और दूसरे हाथो को अपने योनि पर ले जाकर उसको सहलाने लगती है ,जब सहलाते सहलाते उससे खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था इस लिए वो एक सोफा था उस पर लेट जाती है और योनि को सहलाने लगती है

RDT-20241023-134618-2
और जब वो स्तन दबाते तब दूध उसके स्तनों रूपी पहाड़ों से फिसलता हुआ नीचे गिर जाता ,एसे करते-करते जब शालिनी चरम सीमा पर पहुच जाती है तब उसके पैर थरथरा जाते है और अपनी कमर को ऊपर कर देती है ,इस हस्त मैथुन से उसकी सांसे तेज चल रही थी और उसके स्तन और निप्पल तन जाते है और उसकी योनि भी थोड़ी फूल जाती है ,जब शालिनी को चरम सुख मिलता है तब उससे हिला भी नहीं जा रहा था ,वो एसी ही लेटी रहती है।
फिर कुछ मिनट बाद जब वो कुछ होश मे आती है तब वो देखती है उसका ब्लाउज दूर पड़ा था और उसका घाघरा उसके जांघों तक उठा हुआ था और बाल भी अस्तव्यस्त थे ,वो बैठती है और पहले अपने घाघरा को नीचे करती है और बाल को सही से बाँध देती है ,फिर धीरे धीरे चलते हुए ब्लाउज को लेने जाती है ,काफी दिनों के बाद हस्त मैथुन करने से उसे थोड़ा दर्द हो रहा था ,शालिनी फिर एक गिलास पानी पीती है और अपने चेहरे को अच्छे से धों कर सोने आती है ,वो नील को सोता देख वो खुश होती है और वो भी बेड पर आके लेट जाती है और थकान की वज़ह से उसे तुरत नींद आ जाती है और सुबह अलार्म की घंटी से उसकी नींद खुलती है ,पर उसे सोने का मन कर रहा था, इस लिए वो आधे घंटे तक सो जाती है।
आधे घंटे बाद जब शालिनी की नींद खुलती है तब वो फटाफट से पल्लू लगाकर नहाने के लिए आती है क्युकी उसके योग करने का समय नहीं था ,वो जब नहाने के लिए आँगन मे आती है तब देखती है बाबुजी और चाचाजी दातुन का रहे थे।
शालिनी : प्रणाम बाबुजी ! माफ़ करना आज देरी हो गई,
बाबुजी : अरे कोई बात नहीं तुम आराम से रहो ,कोई जल्दी नहीं है।
शालिनी नहाने जाती है और जब नहा कर आती है तब एक ब्लाउज और घाघरा पहन कर उस पर तौलिया ओढ़ के बाहर आती है और सीधा कमरे मे चली जाती है ,फिर जब शालिनी तैयार होकर नास्ता बनाने जाती हैं हालाकि आज शालिनी ने गर्मी से राहत पाने के लिए एक थोड़ा गहरा गला और बैकलैस ब्लाउज पहना था जिसे बस दो डोरी से बंधा था, उस पर एक हल्की चुन्नी ओढ़ रखी थी,जिसमें से उसकी नंगी पीठ दिख रही थी ,

RDT-20241210-2120537047966759907312398
क्युकी गाव मे भी औरते एसे कपड़े पहनते थे,वैसे शालिनी के कपड़े थोड़े मार्डन थे, पर काफ़ी हद्द तक गाव के पारम्परिक वस्त्रों से मेल खा रहे थे।
तब तक बाबुजी और चाचाजी भी नहाकर तैयार हो जाते है,बाबुजी को भी शालिनी के एसे कपड़े मे मे पहली बार देख के आंखे फटी रह जाती है ,उसे आज पहली बार एहसास हुआ कि उनकी बहु है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत है

Screenshot-20250519-232959-Instagram
,चाचाजी भी शालिनी को बस देखे जाँ रहे थे ,शालिनी के कपड़े गाव के औरतों के कपड़े से मेल खाँ रहे थे इस लिए बाबुजी को कुछ परेसानी नहीं थी।
शालिनी : चलिए नास्ता तैयार है।
बाबुजी : हाँ हाँ आते है ,देखा कोई देर नहीं हुई सब समय पर ही है ,तुम जल्दबाजी ना करना और आराम से काम करो।
शालिनी : जी बाबुजी !
फिर तीनों नास्ता करते है और साथ मे बाते भी करती है।
शालिनी : बाबुजी ! मे क्या कहती हूँ ,मे गाव देखना चाहती हूं और गाव के आसपास भी कुछ देखने लायक कुछ हो तो मे देखना चाहती हूं ,इस बहाने थोड़ा घूमना हो जाएगा और मन प्रफुल्लित हो जाएगा ,क्या है ना इतने दिनों से घर मे रह रह कर बोर हो गए है।
बाबुजी : हाँ हाँ ! क्यु नहीं ?वैसे ज्यादा शहर जितना घूमने की जगह नहीं है पर है वो सब देखने लायक है।
शालिनी : क्या क्या है ?
बाबुजी : एक तो ये गाव हो गया ,और गाव के गेट के पास ही सप्ताह मे एक दिन मार्केट लगती है,लेकिन बहुत छोटी होती है ,फिर गाव का तालाब बहुत सुन्दर है ,फिर यहा से थोड़ी दूर भारत की सरहद है।
चाचाजी : वो क़िला तो भूल ही गए।
बाबुजी : अरे ! हाँ वो भी है।
शालिनी : मार्केट कब लगती है ?
चाचाजी : गुरुवार को
शालिनी : आज तो मंगलवार है ,यानी परसों।
चाचाजी : हाँ
शालिनी : पर मेने कुछ देखा नहीं है तो क्या आप मे से कोई मुझे ये सब दिखा सकते है।
बाबुजी : हाँ एक काम करो तुम और बलवंत घूम आओ
चाचाजी : मे? नहीं तुम जाओ ना!
बाबुजी : तुम भी घर मे रह कर बोर हो गए होंगे तो इसी बहाने तुम्हारी भी सेर हो जाएगी ,मे तो यही था ,इसी बहाने तुम गाव मे किसी दोस्त से मिल लेना तुम्हें अच्छा लगेगा।
चाचाजी : ठीक है ,आज हम इधर गाव मे सब देख लेते है और कल थोड़ा जल्दी धूप से पहले निकलकर क़िला देख आयेंगे और वहा से सरहद चले जाएंगे।
शालिनी : बढ़िया! मे अभी सब काम निपटा लेती हूं फिर चलते है।
शालिनी सब काम निपटाने लगती है उस वज़ह से उसे पसीना आता है जो उसके शरीर पर मोती की तरह चिपक गया था ,और शालिनी का चेहरा पूरा लाल हो गया था ,उसके पसीने की बूंदे कमर से फिसल कर उसके घाघरा पर आके उसमे समा जाती जब शालिनी कपड़े धोने बैठती है तब बाबुजी और चाचाजी वहीं सामने खटिया पर बैठे थे जब शालिनी कपड़े धोने बैठी थी तब उसके स्तन मानो ब्लाउज से लड़ाई कर रहे हों बाहर आने के लिए और जब वो कपड़े को साबुन लगाती तब झुकने की वज़ह से उसके स्तन के उभार काफी बाहर आ जाते जो स्तनों को और ज्यादा मादक और कामुक बना देते

Pehredaar-S5-E6-12
,वैसे चाचाजी को ज्यादा फर्क़ नहीं पड़ता पर बाबुजी के लिए ये पहली बार थे ,कभी जब बाल शालिनी के चेहरे पर आ जाते तब वो साबुन के झाग वालों हाथो से ही हटाने का प्रयास करती ,तब झाग उसके बालों मे लग जाता तो कभी गालों से फिसल कर गले से होते हुए ब्लाउज को भिगा देता ,जब तक शालिनी के कपड़े धों लिए तब तक उसका ब्लाउज काफी भीग गया था जिससे उसके स्तनों के ताने हुए निप्पल दिख रहे थे।
शालिनी : अरे! ये कपड़े भीग गये ,आप रुको मे अभी ,दूसरे कपड़े पहनकर आती हूं।
चाचाजी : कोई जल्दी नहीं है ,तुम अपना समय लो ,
शालिनी कमरे मे जाती है और नील को स्तनपान करवाती है और फिर से एक गहरा गला और बेकलैस ब्लाउज पहन लेती है और उसके जैसी एक हल्की-फुल्की साड़ी पहनी थी ,

a7fb87c05dc90b98792fb19823703f3f
शालिनी को अब पता चला कि चाचाजी ने उसे एसे कपड़े क्यु डलवाने को कहा था, तब तो उसने उसका मान रखते हुए डाले थे पर आज उसे पता चला वो सही थे,शालिनी तैयार होकर आती है।
शालिनी : चलो चाचाजी ,मे तैयार हूं और हा बाबुजी मेने नील को दूध पीला दिया है आप बस उसे बाद मे थोड़ी पीसी हुई दाल पीला देना।
बाबुजी : जी बहु ,ठीक है ,आप लोग आराम से जाना और मुन्ने की चिंता ना करना, और बलवंत वो मेरी मोटर साइकिल ले जाना।
चाचाजी और शालिनी दोनों मोटरसाइकिल मे बैठ के गाव मे आते है पहले चाचा शालिनी को तालाब दिखाने ले आते है ,तालाब को देखते ही शालिनी के मुँह से "WOW" निकलता है।
शालिनी : वाह!क्या सुन्दर तालाब है ,
चाचाजी : हो भी क्यों ना!हम गाव वालों ने इसे कभी बिगड़ने नहीं दिया,यहा पे कपड़े धोने पर सख्त पाबंदी है और कुछ और भी धोना हो तो उसकी भी पाबंदी है ,
शालिनी : देखो तो कैसी सीडियां बनाई है ,मानो कोई स्विमिंग पुल हो
चाचाजी : यहा सिर्फ नहाने की छुट है वो भी सप्ताह मे 2 बार,उसमे भी एक दिन महिला के लिए और 1 दिन पुरुष के लिए वो भी उस जगह जहा पे घाट जैसा बना है ,क्युकी तालाब गहरा है
शालिनी : पीने मे भी यही पानी आता है ना?
चाचाजी : हाँ पर यहा से वो पाइप लैन के जरिए वो बड़ी पानी टंकी दिख रही है वहां जाता है और उधर से फिल्टर होके आता है ,वैसे तो गाव मे हर घर पानी आता है पर अगर ज्यादा पानी चाहिए तो टंकी के पास एक नल रखा है उधर से भी भर सकते है।
शालिनी : बहुत सुंदर व्यवस्था है। मुझे भी इस तालाब में नहाना है ,कब नहा सकती हूं मे ?
चाचाजी : शनिवार को महिला नहाती है ,और सोमवार को पुरुष
शालिनी : आज तो मंगलवार है ,अभी काफी दिन है ,क्या हम वो टंकी पर जा सकते है ?वहां से गाव देखना है।
चाचाजी : वैसे तो ऊपर जाने की मनाई है पर आप पहलीबार आए हों तो आपकी इच्छा जरूर पूरी करूंगा ,मे साथ हूँ इस लिए जाने देंगे।
शालिनी : लगता है आप गाव के बाहुबली लगते है।
चाचाजी : नहीं बाहुबलि नहीं पर हमारा सम्मान करते है लोग
शालिनी तालाब पे अपनी कुछ फोटो खींचती है

23ebb07114818f39df1494d4b54ab6dd
और चाचाजी के साथ सेल्फी लेती है ,फिर दोनों टंकी के ऊपर जाते है और उधर से गाव देखती है फिर उधर भी फोटो खींचती है ,फोटो खींचते समय एक जोरों से पवन निकलता है जिससे शालिनी का पल्लू खिसकता है और बाल भी बिगड़ जाते हैं तब चाचाजी शालिनी का पल्लू पकड के उसका पल्लू कंधे पर रखते है फिर शालिनी दोनों हाथ पीछे ले जाकर अपने बाल बाँध देती है और अपने आप को सही करते हुए चाचाजी से सब ठीक है ऐसा पूछती है

465754185905512-1716385736890
और नीचे आ जाते है।
चाचाजी : चलो अब मेरे कुछ दोस्तों से मिल आते है।
दोनों मोटरसाइकिल से गाव के एक घर पर आते है और दरवाजा खटखटाते है
चाचाजी : है कोई घर पे ?
महिला : कौन है ?
चाचाजी : अरे मे बलवंत, मनोहर बाबु है ?
महिला : (दरवाजा खोलकर..) अरे, बलवंत भैया आप?आइए आइए ,आपने हमारा घर पावन कर दिया।
चाचाजी : एसा मत कहिये भाभी ,ये मेरे दोस्त का घर है ,कहा है मनोहर?
महिला : वो तो शहर गए है ,मजदूरी करने।
चाचाजी : अच्छा तो फिर वो शाम के आएगा। फिर हम चलते है ,बाद मे आयेंगे
महिला : क्या ये बिरजू भैया की बहू है ?
चाचाजी : हाँ वहीं है ,उसे गाव घुमाने ले गया था
शालिनी खड़ी होके उस महिला के पैरों को छू कर प्रणाम करती है तब वो महिला कुछ रुपये को शालिनी के ब्लाउज मे रख देती है

images
,शालिनी को ये अजीब लगा पर वो कुछ बोली नहीं तब उस महिला ने आशिर्वाद देते हुए कहा " दूध पिलाओ और फ़ूलों फलो"
शालिनी और चाचाजी वहा से चले जाते है
शालिनी : आपने देखा उस महिला ने मुझे पैसे कैसे दिए ? मुझे अजीब लगा जब वो "दूध नहाओ फ़ूलों फलों "की जगह "दूध पिलाओ और फ़ूलों फलों " बोला
चाचाजी : तुम्हें ये अजीब लगा होगा ये स्वाभाविक है पर इस गाव की यही रीत है कि जो स्त्री गर्भवती हो या स्तनपान करवाती हो उसे यही आशिर्वाद देते है और ब्लाउज मे पैसे रख कर आशिर्वाद देना शुभ मानते है। क्युकी यह स्तन से दूध पीकर बच्चा बड़ा होगा।
शालिनी : अजीब तरीका है ,पर कोई नहीं गाव मे रहना है तो तौर तरीकों को अपनाना होगा।
चाचाजी : अभी आगे भी कोई एसे आशिर्वाद दे तो हस्ते हुए स्वीकार कर लेना
शालिनी ठीक है।
शालिनी और चाचाजी 4.5 घरों मे गए वहा भी शालिनी को एसे ही आशिर्वाद मिले

20231211-041700
अब शालिनी को अजीब नहीं लग रहा था उल्टा वो ये सोच के खुश थी कि सब उसे और नील को प्यार कर रहे थे
शालिनी : चलो अब घर जाना है कि कहीं जाना बाकी है।
चाचाजी : एक घर बाकी है ,मेरा सबसे गहरा दोस्त शेरा, उसका पूरा नाम शमशेर है पर सब उसको शेरा बुलाते है।
शालिनी : चलो फिर
दोनों शमशेर के घर आते है शेरा आँगन मे खटिया डाल के बैठा था तब चाचाजी ने आवाज लगा कर अंदर चले आते है और उसके पीछे शालिनी ,
शेरा : अरे बलवंत! काफी दिनों बाद आया ,कहा था यार?वो बिरजू बोला था कि तुम्हें चोट लगी थी। आज तो गंगू तैली के घर राजा भोज पधारे है। मे भी कितना भूलकर हूं ,बैठने को भी नहीं पूछा
वो कुर्सी साफ़ करने लगता है और दोनों को बैठने को कहता है तभी चाचाजी उसे गले से लगा देते है जिससे दोनों के आँखों मे आंसू आ जाते है उसे देख शालिनी की आंखे नम हो जाती है
शेरा : बहु! जरा पानी लाना, बलवंत चाचा आए है
चाचाजी : माफ़ करना दोस्त तुम्हारे बेटे की शादी मे नही आ सका। तुम्हारा बेटा कहा है?
शेरा : वो शहर मे कारखाने मे नौकरी करता है, पिछले महीने शादी थी ,तुम्हें बहुत याद किया, पर बिरजू ने कोई दिक्कत नहीं होने दी ,
तभी बहु पानी लेके आती है

c903a0350a027da03e015747e7b95bf2
और चाचाजी के पैर छूती है फिर वो शालिनी के पास आके बैठ जाती है।
शालिनी : क्या नाम है तुम्हारा?
बहू : जी सरला
शालिनी : अच्छा नाम है ,सुन्दर भी हो ,कहा तक पढ़ाई की है ?
सरला : जी 10 तक, फिर आगे के पढ़ाई के लिए पिताजी के पास पैसे नहीं थे और पढाई मे भी हम खास नहीं थे ,इसलिए सिलाई-कटाई सीख लिए थोड़ा जिससे घर मे कुछ मदद हो जाती
शालिनी : वाह! समझदार हो ,अगर तुम्हें सिलाई-कटाई पूरा सीखना हो तो मुझे बताना मे सीखा दूंगी
सरला : ठीक है दीदी ,आपका नाम क्या है ?
शालिनी : मेरा नाम शालिनी है।
शेरा : बलवंत सुना है कि तू किसी बदमाश से लड़ा था जिस वज़ह से चोट आयी थी
चाचाजी : हाँ सही सुना
चाचाजी उसे बदमाश वाला किस्सा सुनाते है
शेरा : लगता है तू बुढ़ा हो गया है यहा गाव मे कुस्ती की दंगल मे दो तीन को हरा देता था और शहर एक आदमी से हार गया
शालिनी : वो गुंडा था, और वो मेरे बेटे को मारने जा रहा था वो तो चाचाजी ने बहादुरी से सामना किया इस वज़ह से हम सुरक्षित है
चाचाजी : शांत हो जाओ, शेरा मज़ाक कर रहा है।
शेरा : मे मज़ाक कर रहा हूं ,इतने दिनों बाद हम मिले तो इसकी टांग खींचे बिना नहीं रह सकता,अगर तुम्हें दुख हुआ हो तो माफ़ कर देना ,
शालिनी : नहीं नहीं ! एसी बात नहीं है
चाचाजी और शेरा दोनों आपस मे काफी खींचातानी और मज़ाक करते है ये देख के शालिनी समझ जाती है कि दोनों के बीच काफी गहरी दोस्ती है ,कोई बात पर वो भी हँस देती जिससे माहौल काफी खुशनुमा हो गया था ,तभी सरला सब के लिए चाय बनाकर आती है ,सब चाय पीते है।
शेरा : इतने दिनों बाद तू आया है तो आज खाना खाए बिना नहीं जाने दूँगा ,आज यही खाना खा ले
चाचाजी : नहीं यार, फिर कभी।
शेरा : फिर कब तुम आओगे, तुम फिर भी आओगे पर बहुरानी कब आएगी, मे कुछ नहीं जानता तू बिरजू को फोन कर के बोल दे।
शेरा बहुत जोर देता है इस लिए चाचाजी मान जाते है फिर भी वो एक बार शालिनी की ओर देखते है तब शालिनी भी हामी भर्ती है फिर चाचाजी बाबुजी को फोन कर देते है।
शेरा : वैसे बहु बहुत अच्छा खाना बनाती है।
शालिनी : अच्छा है ,मे भी कुछ अच्छी रेसिपी सीख लूँगी
चाचाजी : वैसे तुम्हारे हाथ का खाना लाजवाब होता है।
शेरा : ठीक है फिर दोनों मिलके कुछ बनाओ
शालिनी और सरला दोनों मिल के खाना बनाते है ,वैसे घर काफी छोटा था इस लिए जो समान था उसी से कुछ खाना बनाते है और सब साथ मे खाना खाते है।
शेरा : वाकई रसोई बहुत बढ़िया बनी थी ,वैसे मानना पड़ेगा ,बिरजू की बहू के हाथो मे जादू है ,उसकी बनाई सब्जी स्वादिष्ट थी।
चाचाजी : नहीं तुम्हारे बहु के हाथो की सब्जी बढ़िया थी।
दोनों बहस करने लगते है ,एसे ही थोड़ी देर हँसी मज़ाक करते है फिर चाचाजी घर जाने को कहते है तब चाचाजी कुछ पैसे निकाल के सरला बहु के हाथो मे रख देते है।
शेरा : इसकी क्या जरूरत थी ?
चाचाजी : आज पहली बार बहु के हाथ का खाना खाया तो कुछ तो देना पड़ता है।
शेरा : फिर तो मेने भी बहुरानी के हाथ का खाना खाया है ,मे तुम्हारे जितने तो नहीं दे सकता ,पर जो है वो दे रहा हूं
शालिनी : कीमत पैसों की नहीं पर देने वाले की नीयत की होती है ,आपका आशीर्वाद ही काफी है मेरे लिए।
शेरा : नहीं नहीं ,सिर्फ आशीर्वाद देके काम नहीं चलाएंगे, वर्ना कल को बलवंत मेरे को कंजूस बोलेगा
सब हसने लगते है शालिनी को भी शेरा का स्वभाव अच्छा लगता है,फिर शेरा कुछ पैसे लेके शालिनी के हाथो मे देता है फिर जब दोनों जाने वाले थे कि शेरा दोनों को फिर से बैठा देता है।
शेरा : एक मिनट रुको ,अभी आया।
शेरा घर मे जाकर कुछ पैसे लाता है
शेरा : ये मुन्ने के लिए है ,और घर पे मे सब से बड़ा हूं तो मुझे ही आशीर्वाद देना पड़ेगा।
शालिनी : इसकी जरूरत नहीं है ,आपने दिए वो बहुत है
शेरा : ये आशीर्वाद है और मुन्ने के लिए है ,और आशीर्वाद को मना नहीं करते।
चाचाजी भी शालिनी को स्वीकार करने को कहते है फिर शेरा शालिनी के पास आके बैठता है और वो पैसे शालिनी के ब्लाउज मे रख देता है

Asha-Saini-from-Lakshmi-360-P-1
अब शालिनी को ये अजीब नहीं लगता था फिर वो "Thenk you " कहती है ,फिर दोनों बाहर आते है ,शेरा दोनों को गली तक छोड़ ने आता है,फिर चाचाजी मोटरसाईकिल चालू करके घर की ओर जाने लगते है।
शालिनी : चाचाजी ! वो स्तन मे दर्द हो रहा है,क्या आप घर जाने से पहले कहीं पे स्तनपान कर सकते है ?
चाचाजी : क्या अभी ?
शालिनी : हाँ अगर घर पहुच गए तो फिर मौका नहीं मिलेगा और मुझे दर्द सहना पड़ेगा, कल रात भी मेरी इस दर्द मे गुजरी थी ,पर कल आप तो मस्त चैन की नींद सो रहे थे अपने घर।
चाचाजी : मुझे परिवार की याद आ रही होती है इस लिए में वहां सोने जाता हूँ।
शालिनी : मे आपका परिवार नहीं हूं?
चाचाजी : तुम भी मेरा परिवार हो ,एसा है तो आज से नहीं जाऊँगा सोने ,पर बिरजू तो मेरे साथ सोता है उसका क्या ?
शालिनी : मे आपके और आपके परिवार के बीच नहीं आना चाहती, आप अपने घर पर सोये ,पर मेरे इस दर्द का हल भी ढूंढे।
चाचाजी : इस समय अभी का सोचते है ,बाकी का बाद मे कुछ करेंगे, पक्का!
शालिनी : अभी क्या करेंगे?
चाचाजी : एक काम करते है तालाब की ओर जाते है ,अभी कोई नहीं होगा उधर, अभी सब सोये होंगे।
दोनों मोटरसाईकिल मे बैठ के वापिस तालाब की ओर आते है ,वहा पे महिलाओ के लिए कपड़े बदलने की एक कमरा था ,वो वहां पे जाकर स्तनपान करने का निर्णय करते है ,क्युकी अभी कोई था नहीं ,दोनों वो कमरे मे आते है और दरवाजा बंध कर देते है ,शालिनी तुरत ही अपना ब्लाउज निकाल कर रख देती है ,चाचाजी भी स्तनों को देखकर बावरा हो जाते है ,वो खड़े खड़े हो स्तन चूसने लगते है।

60526-1
शालिनी : अरे! बैठने तो दीजिए ,मेरे से ज्यादा तो आपको स्तन खाली करने की जल्दी है।
चाचाजी बस चूसने मे लगे थे ,फिर शालिनी धीरे से अपने निप्पल को चाचाजी के मुँह से छुड़ाया और बैठ गई ,चाचाजी गोदी मे सिर रख के चूसने लगे ,

RDT-20250507-230611-1
शालिनी भी आंखे बंध कर के मिल रही राहत को महसूस कर रही थी ,कल रात उसे जो दर्द हुआ था इस वजह से आज मिल रही राहत उसे काफी सुख दे रही थी ,थोड़े समय के बाद चाचाजी ने दोनों स्तनों से दुध चूस कर खाली कर दिए ,शालिनी फिर से अपने ब्लाउज को पहन रही थी कि चाचाजी फिर से निप्पल मुँह मे ले लेते है।

24351-4
शालिनी : अरे! छोड़िए, देर हो गई है और कोई आ जाएगा , मे फिर पीला दूंगी
चाचाजी : कहा पिलाती हो ,मुझे रात को ठीक से नींद भी नहीं आती, अब दूध पीए बिना नींद ठीक से नहीं आती।
शालीन : पर आप दूसरे घर मे ,और मे दूसरे घर पर है तो कैसे पिलाए, और बाबुजी भी है।
चाचाजी : आज बिरजू को उसके घर सोने को कह दूँगा ,फिर तुम रात को उसके सो जाने के बाद आ जाना फिर दूध पिलाकर चली जाना।
शालिनी : कैसे आऊं?
चाहती : छत्त से आ जाना मे कमरे मे ही होऊँगा, और दरवाजा खुला रखूँगा।
शालिनी हँसती हैं और हाँ कहती है दोनों बाहर आते है और घर वापिस आते है।
शालिनी : नील सो गया ?
बाबुजी : हाँ ,आप भी सो जाओ
सब 1 घंटे बाद उठते है ,शालिनी सब के लिए नास्ता और चाय बनाती है ,और कल कैसे जाना है उसके बारे मे बात करते है।
चाचाजी : कल सुबह को पहले सरहद देखने जाएंगे फिर धूप होते होते क़िला देखने जाएंगे ताकि धूप ना लगे।
शालिनी : पर नील ?
बाबुजी : उसे मे सम्भाल लूँगा ,कहीं उसे लू लग गई तो बीमार पड़ जाएगा ,आप दोनों चले जाना।
शालिनी : पर उसके खाने की दिक्कत होगी
बाबुजी : कल मे गौशाला से दूध ले आऊंगा
शालिनी : ठीक है।
फिर सब रात को खाना खा कर सोने चले जाते है आज चाचाजी बाबुजी को अपने घर ही सोने को कहते है ,अभी उसे ठीक महसूस हो रहा है ,और शालिनी घर मे अकेली होगी, इस लिए बाबुजी भी मान जाते है और शालिनी अपने कमरे मे और बाबुजी आँगन मे खटिया डाल के सो जाते है।
फिर आधी रात मे .........
Will Shalini breastfeed her father-in-law the same way she breastfeeds her uncle?
Show sex between Shalini and Chachaji and show Shalini breastfeeding her father-in-law.
Next Update Please
 
  • Like
Reactions: macssm and niteshp
Top