- 6,597
- 29,860
- 204
Jabardast shurwat hai bhai maza aya padh karस्वागत है आपका एक छोटी सी कहानी में जो 2 से 3 अपडेट में समाप्त हो जाएगी कहानी पढ़ के जरूर बताइएगा कैसी लगी आपको ज्यादा देर ना करते हुए शुरू करता हूँ कहानी का पहले अपडेट से
UPDATE 1
ये कहानी शुरू होती है दिवाली के अगले दिन 8 नवंबर दिन शनिवार सन 1980 की जहा मुंबई शहर के एक रेलवे ब्रिज के पास सड़क में एक आदमी काले कपड़े , सिर पे एक काली टोपी पहने एक जगह बैठा अपने हाथ में एक गोल्ड लॉकेट को देख रहा था जिसपर ॐ बना हुआ था अंधेरी रात सिर पर काली टोपी के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था लॉकेट को देखते हुए जाने उसे क्यों गुस्सा आने लगा उसकी आंखे लाल होने लगी गुस्से में अपनी मुट्ठी बंद कर खड़ा होके लॉकेट जेब में रख हाथों में काले दस्ताने पहन के निकल पड़ा चलते चलते एक घर की तरफ गाय घर के बाहर खिड़की से उसने देखा अन्दर कमरे में एक लड़का और लड़की बिना कपड़ो के बेड में अपनी रास लीला में लगे हुए थे कुछ देर बाद जाने लड़की को क्या होता है वो बेड से उठ जाती है जिसे देख के....
लड़का – (लड़की से) क्या हुआ कल्पना....
कल्पना – नहीं साहिल रह रह के मुझे कल रात की बात याद आ रही है....
साहिल खन्ना – (गुस्से में) दिमाग खराब है तुम्हारा साला सारा मूड खराब कर दिया तुमने...
बोल के साहिल खन्ना बेड से उठ तैयार होके घर से निकल जाता है साहिल खन्ना के जाते ही कल्पना दरवाजा बंद कर कपड़े पहन ले सिगरेट पीने लगती है तभी वो आदमी घर की बिजली काट देता है जिस कारण कल्पना घबरा जाती है लाइट जाने से तभी उसे बाहर से कुछ गिरने की आवाज आती है बाहर देख....
कल्पना – कौन है कौन है वहां...
बोल के घर के अन्दर आती है तभी उसे पर्दे के पीछे से एक साया दिखता है....
कल्पना – कौन है वहां कौन है....
पास जाके पर्दा हटा के देखती है कोई नहीं है वह पर तभी पीछे से एक हाथ आता है और कल्पना की गर्दन दबाने लगता है किसी तरह हाथ छुड़ा के इधर उधर भागने लगती है कल्पना चली जाती है बाथरूम की तरफ जहां वो आदमी आके इसे बात तब में गिरा देता है उसका गला दबाने लगता है कुछ देर की छठ पट्ठाहट के बाद कल्पना दम तोड़ देती है अगले दिन सुबह पुलिस उस घर में होती है जहां एक आदमी काले सूट बूट में आता है कल्पना की लाश के पास जहां पुलिस और फोरेंसिक लैब का आदमी होता है काले सूट में आदमी को देख..
फोरेंसिक – (काले सूट वाले आदमी से) हैलो विक्रम सर किसी ने गला दबा के इसकी हत्या की है...
एक हवलदार – (एक कागज दिखा के) सर ये कागज मिला है....
विक्रम –(कागज पढ़ते हुए) बंसी , साहिल खन्ना , कौशल , कल्पना बुकिंग इन होटल होराइजन गोवा कल की तारीख में बुकिंग है इनकी इसका मतलब ये चारो को गोवा निकालना था आज होटल होराइजन के लिए...
हवलदार – सर इसी लड़की का नाम कल्पना है....
विक्रम – इसके बाकी साथी शायद अब गोवा में मिलेगे (हवलदार से) इसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दो मै पुलिस हेडक्वार्टर जा रहा हूँ बोल के विक्रम निकल के इन चारों के बारे में पता लगाता है और सीधे पुलिस हेडक्वार्टर जा के अपने सीनियर को सारी हालात बताता है साथी ये भी बताता है कि कोई 25 से 26 साल का लड़का ट्रैवल एजेंसी में इन चारों के बारे में जानकारी ले रहा था जब उसे गोवा का पता चला तो उसने भी तुरंत ही गोवा की टिकट करा के निकल गया गोवा...
जिसे सुन CBI OFFICCER विक्रम से उस लड़के का नाम पूछता है...
विक्रम – कुमार नाम है उसका....
जिसे सुन CBI OFFICCER विक्रम को गोवा जाके इन सब के बारे में पता लगाने के लिए बोलता है जिसके बाद विक्रम बस से गोवा के लिए निकल जाता है रस्ते में एक होटल में बस रुकती है जहां एक लड़की 4 गुंडों के साथ विक्रम पर हमला कराती है जिसे विक्रम अच्छे से हैंडल कर लड़की को पकड़ के पूछता है....
विक्रम – क्या नाम है तुम्हारा और क्यों मारना चाहती हो मुझे....
लड़की – मेरा नाम सुनीता है आपको मारने के लिए मुझे एक लड़के ने पैसे दिए थे....
तब विक्रम अपने साथ सुनीता को गोवा ले जाता है होटल होराइजन में जहा सुनीता को कमरे में भेज होटल के मालिक से मिलने जाता है जहां होटल मालिक अपने कमरे मे चश्मा पहन के बैठा था....
होटल मालिक – बताईए मै आपके लिए क्या कर सकता हूँ....
विक्रम – मेरा नाम विक्रम है CBI पुलिस....
होटल मालिक – मेरा नाम ठाकुर वीर सिंह है , तो बताएं विक्रम साहब मै क्या कर सकता हो आपके लिए....
विक्रम – आप किसी कल्पना , बंसी , कौशल और साहिल खन्ना को जानते है...
ठाकुर वीर सिंह – नहीं वैसे बात क्या है....
विक्रम – कल रात किसी ने कल्पना का मर्डर कर दिया है वहां मुझे आपके होटल की बुकिंग का कागज मिला जिसमें इन चारों के नाम थे उसी सिलसिले में यहां आया हूँ....
ठाकुर वीर सिंह – हम्ममम मै नहीं जानता इन चारों को...
विक्रम – ओके ठाकुर साहब अगर कोई जानकारी मिले तो प्लीज कमरा नंबर 307 में मै रुका हूँ मुझे इनफॉर्म कर दीजिएगा....
ठाकुर वीर – ओके इन्स्पेक्टर साहब वैसे आज रात होटल में पार्टी है मेरे जनम दिन की प्लीज आइए गा जरूर आज की रात सभी होटल के गेस्ट के लिए मेरे तरफ से पार्टी और डिनर है....
विक्रम – (मुस्कुरा के) मुबारक हो आपको जन्मदिन की मै जरूर आऊंगा...
बोल के विक्रम निकल जाता है कमरे की तरफ रस्ते में एक आदमी (इसका नाम UNKNOWN है इसके बारे में आगे पता चलेगा) टकराता है विक्रम से जो विक्रम को गोर से देखता है जिसे देख विक्रम अपने कमरे में निकला जाता है जहां सुनीता खिड़की के बाहर देख रही होती है तभी....
सुनीता – विक्रम जल्दी से ये देखो...विक्रम खिड़की के नीचे देख....
सुनीता – ये वही आदमी है जिसने मुझे पैसे दिए थे तुम्हे मारने के लिए....
विक्रम बात सुन तुरंत सुनीता को लेके नीचे जाता है लड़के के पास रस्ते में कुछ समझाते हुए सुनीता को....
सुनीता – (लड़के के पास जाके) हैलो कुमार साहब....
कुमार – तुम यहां तुम्हे मेरा नाम कैसे पता....
सुनीता – होटल में पता चला मुझे वैसे मेरे पति ने आपका काम कर दिया है....
कुमार – VERY GOOD...
विक्रम – वैसे कुमार साहब आपको उस पुलिस वाले से क्या दुश्मनी थी....
कुमार – (हस्ते हुए) दुश्मनी तो दूर मैने उसे देखा तक नहीं हा वो मेरे प्राइवेट मिशन के रस्ते में आ सकता था इसीलिए मैने ये करवाया...
विक्रम – कौन सा प्राइवेट मिशन...
कुमार – ये मेरा जाती मामला है वैसे शुक्रिया आपका आज रात की पार्टी में मिलते है...
बोल के कुमार निकल गया शाम से रात होने को आई विक्रम होटल में घूम रहा था तभी एक कमरे से किसी के बात करने की आवाज सुन विक्रम दरवाजे की की होल से देखने लगा जहा ठाकुर वीर सिंह , साहील खन्ना से कुछ बात कर रहा था जिसके बाद ठाकुर ने कौशल खन्ना को एक चाटा मारा तभी कौशल गुस्से में निकल गया कमरे से और विक्रम ये देख पहले ही हट गया दरवाजे से जबकि साहील खन्ना होटल के बाहर अपने कार से कही निकल गया रस्ते में सुनसान रोड में कार चलाते वक्त अचानक से साहील खन्ना की कार का आगे का कांच टूट गया साहील खन्ना ने तुरंत कार रोक देखने लगा तभी कही से एक पत्थर आया और कार के पीछे का कांच टूट गया जिससे साहील खन्ना घबरा के इधर उधर देखने लगा...
साहील खन्ना –(घबराहट से) कौन है कौन है...
तभी एक एक कर कार के आगे की दोनो हेड लाइट पत्थर लगने से टूट गए जिससे घबरा के साहील कार स्टार्ट करने लगा तभी कार के ऊपर 2 से 3 बड़े पत्थर गिरे जिस कारण साहील डर कर कार से बाहर निकल रोड में तेजी से आगे भागने लगा थक के बगल की झाड़ी में छुप गया और तभी किसी ने पीछे से साहील खन्ना के गले में रस्सी डाल उसका गला दबाने लगा कुछ देर छत पताहट के साथ साहील खन्ना ने अपना दम तोड़ दिया तब वही काले कपड़ों वाला आदमी बाहर आया साहिल खन्ना की लाश की खींचते हुए कही ले जाने लगा कुछ देर बाद वो आदमी साहील खन्ना की लाश को किसी कमरे में एक बड़े ट्रैंक के अन्दर डाल के बंद कर देता है जबकि इस तरफ होटल में पार्टी चल रही थी वहां विक्रम आता है सुनीता के साथ तभी मौका देख सुनीता के कान में कुछ बोलता है...
विक्रम – ध्यान देना तुम यहां पर मै अभी आता हूं...
बोल के विक्रम चुपके से पार्टी से निकल कुमार के कमरे मे जाके तलाशी लेता है जहां उसे एक कागज मिलता है...
विक्रम – (कागज को खोल के पढ़ते हुए) एक आदमी के हाथ में अंग्रेजी में बंसी लिखा हुआ है , दूसरे के आधे बाल सफेद है तीसरे की थूडी पर निशान है और चौथे की एक आंख खराब है...
जिसे पढ़ के विक्रम जेब में कागज रख तुरंत कमरे से बाहर निकल जाता है कुमार के कमरे से और बिना किसी की नजर में आए पार्टी में सबके साथ शामिल हो जाता है सुनीता के साथ पार्टी खत्म होते ही विक्रम और सुनीता कमरे में आते है...
सुनीता – कुछ पता चला तुम्हे...
विक्रम – कुछ खास नहीं बस एक कागज मिला है जिसमें 4 लोगों की पहचान लिखी है एक के हाथ में अंग्रेजी में बंसी लिखा हुआ है दूसरे के सिर के आधे बाल सफेद है तीसरे की एक आंख खराब है और चौथे के थूडी पर निशान है और वही निशान कल्पना की थूडी पर था...
सुनीता – ये वही कल्पना तो नहीं जिसका मर्डर हो गया है....
विक्रम – हम्ममम सही समझी तुम ये वही कल्पना है और बाकी के तीन लोगों की भी जान खतरे में है मुझे लगता है हो ना हो इन चारों का कोई कनेक्शन जरूर कुमार के साथ होगा और शायद कुमार इनलोगों के लिए ही आया होगा गोवा इस होटल में....
सुनीता – कही कुमार ने तो नहीं मारा कल्पना को तुम कुमार को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेते सबूत है ना तुम्हारे पास वो कागज...
विक्रम – (ना में सिर हिलाते हुए) वो कोई सबूत नहीं है सुनीता और अगर मैं ऐसा करू भी तो कुमार कह सकता है कि कमरे में उसकी गैर मौजूदगी में किसी ने वो कागज वहां रख दिया होगा....
सुनीता –अब क्या करोगे तुम....
विक्रम – मै इस होटल में उन तीनों की तलाश करूंगा....
सुनीता – वैसे जब कल्पना का खून हुआ तब कुमार भी बॉम्बे में था....
विक्रम – नहीं सुनीता कल्पना का मर्डर रात में हुआ था जबकि कुमार शाम को ही निकल गया था गोवा के लिए बस से....
सुनीता – ओह्ह मै भूल गई रस्ते में ही कुमार ने मुझे पैसे दिए थे तुम्हे मारने के लिए , तो कौन मार सकता है कल्पना को....
विक्रम – यही तो पता लगाने आया हूँ मैं यहां पर साथ में ये भी पता लगाना है कि ये बाकी के तीनों कौन है समझ नहीं आ रहा कैसे तलाश करू इनको , खेर एक काम करते है कल सुबह मै जल्दी उठ के होटल में घूम के पता करने की कोशिश करता हूँ और तुम भी अपनी नजर बनाए रखना क्या पता कागज में मिली पहचान के जरिए कुछ पता चले , एक काम करो तुम बेड में सो जाओ मैं यहां सोफे पे सोता हूँ....
सुनीता – मेरे साथ सो जाओ ना प्लीज अकेले में डर लगता है मुझे सोने पर...
विक्रम – अच्छा है कुछ रात डर के बिताओ जब तक तुम , अब चलो जाके सो जाओ बहुत रात हो गई है...
ये दोनों इस बात से अंजान की इनके कमरे के बाहर खड़ा इनकी बाते सुन रहा है जिसके बाद वो UNKNOWN वहां से निकल गया
.
.
जारी रहेगा![]()
![]()
Iam fine. Thanks. How are you.Good wali morning RAJ_K_RAVI Bhai kaise ho aap
Special Mention for Special Friends![]()
Time mile to jaroor read karna aap bhi BHAI log Siraj Patel Ristrcted Mak Mr. Magnificent Itachi_Uchiha Damha Yug Purush cheekku SANJU ( V. R. ) SIR kamdev99008
Rabiya..Congratulation for new thread.![]()
CongratulationsINDEX
UPDATE 1 UPDATE 2 UPDATE 3
Thank you sooo much parkas bhaiFor starting new story thread..
Thank you sooo much ARTICUNOCongrats bhai for your new thread![]()