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Thnks sir...haa...shayad yahi se inke dwar khulege..journey hi ek aham part rahne wal hai...कविता मैडम ने एक तरफ राजवीर साहब के अरमानों पर ब्रेक लगाया तो दूसरी तरफ स्वाति मैडम ने राजवीर साहब के अरमानों पर पंख लगाने का काम किया ।
पहाड़ की जर्नी , खुशगवार मौसम , बेईमान मौसम , अनप्रेक्टिवल बरसात , नम और सर्द रात किस इंसान को न बेईमान बना दे !
स्वाति और राजवीर की इस जर्नी ने इन्सेस्टियस रिलेशनशिप के द्वार खोल दिए । अब तो स्थिति कुछ ऐसी बन गई है कि आग दोनो तरफ जलने लगे हैं और इस आग की तपिश रीडर्स तक भी पहुंचने लगी है ।
इधर आलोक ने अपने कायापलट से , अपने विहेवियर से आरोही पर ऐसा प्रभाव डाल दिया है कि कुछ दिनो बाद कहीं ऐसा न हो कि आरोही ' पत्थर से न मारो मेरे दिवाने को... मेरे आलोक भाई को ' गीत गुनगुनाने लग जाए ।
वैसे इन दोनो का एक दूसरे के पीठ पर ऊंगलियों से कुछ शब्द लिखना और उन्हे समझना - अपने दिल की बात बताने का एक शानदार तरीका है । लेकिन क्या यह सिर्फ रोमांटिक शब्द ही होंगे या फिर कुछ अश्लील शब्द भी !
एक और बेहतरीन अपडेट रेखा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड टू हाॅट अपडेट ।
And alok and arohi ka to alag hi chlega