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Incest Kaamagni ki jwala

Pahle prem kiski chudai kare

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samlambe

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रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.


उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत



शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना

प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है

सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा

प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा

फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये

बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी
दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था,

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इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा

टीवी पर चलती ब्लूफिल्म देख कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था करीब घंटे भर वो फिल्म चलती रही और प्रेम अपनी आँखो से उस नज़ारे का भरपूर अवलोकन करता रहा , बार बार उसे ख़याल आ रहा था कि काश उस आदमी की जगह वो उस लड़की को चोद रहा होता उसे लगा कि जैसे चूत मारने की उसकी इच्छा अचानक से बहुत ही ज़्यादा बढ़ गयी थी पर उसे ये भी पता था की चूत ऐसे नही मिला करती है

अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था

Super-hottest-big-tits-Fariha-indian-porne-show-nude-mms-HD
तो प्रेम को उसकी सलवार का पीछे का हिस्सा दिखने लगा क्या भारी भारी से चूतड़ थे उषा के , उषा उमर के 22वे बसंत मे चल रही थी 5 फुट के साँचे मे ढली गोरी सी एक भरे हुवे हुस्न की मालकिन थी उसके पतले होठ, लंबी गर्दन मोटी मोटी चूचिया किसी को भी अपना दीवाना एक पल मे ही बना सकती थी और ऐसा ही हाल उसके भाई का भी उस समय हो रहा था तभी उसकी नज़र प्रेम पर पड़ी तो वो चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुवे बोली उठ गये भाई
प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे ,

तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था

दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया

लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था

इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था

इधर प्रेम के लंड को देख कर विनीता बहुत ही हैरान थी उसे जैसे विश्वाश ही नही हो रहा था कि किसी का लंड इतना लंबा भी हो सकता है, तभी उसने गोर किया कि उसकी जाँघो के बीच कुछ गीला-गीला सा लग रहा है उसकी चूत उस लंड को देख कर गीली हो गयी थी ना जाने क्यो विनीता के होटो पर एक मुस्कान सी आ गयी और ठीक उसी पल प्रेम ने अपना पानी गिरा दिया 8-10 गढ़े सफेद रस की धार निकल कर धरती पर गिर पड़ी

आज से पहले इतना पानी कभी नही गिराया था प्रेम ने क्या ये उसकी उषा के प्रति बदली सोच के असर से था , प्रेम ने अपनी पॅंट की ज़िप बंद ही की थी कि तभी दीवार की साइड से विनीता निकल आई उसे देख कर प्रेम सकपका सा गया और थूक गटाकते हुए बोला चाची आप कब आई तो विनीता मन ही मन हँसते हुए बोली अरे बेटा बस आई ही हूँ विनीता कुँए से पानी भरने लगी और प्रेम वहाँ से भाग लिया
रात का टाइम था विनीता अपने पति के साथ बिस्तर पर जिस्मो का खेल खेल रही थी उसकी मस्त आहों से कमरा गूँज रहा था और जैसे ही वो अपने सुख को पाई उसकी आँखे मस्ती से बंद हो गयी और उसके सामने प्रेम के लंड की तस्वीर आ गयी तो रस बहाती उसकी चूत से एक धार और बह निकली उसका पति भी अपना काम पूरा करके साइड मे लुढ़क गया था प्रेम के लंड को याद करके विनीता के चेहरे पर एक मंद मुस्कान आ गयी उसका हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया

वो लगातार प्रेम के बारे मे सोचे जा रही थी तो उसकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी अनायास ही वो अपने ख़यालो मे गुम अपनी चूत के दाने से छेड़खानी करने लगी थी तो उसके जिस्म के तार फिर से उस मीठी सी धुन पर झन झनाने लगे थे उसने अपनी आँखे बंद कर ली और सोचने लगी कि कोई खुशनसीब ही होगी जो उस मस्त लंबे लंड से चुदेगि एक पल के लिए विनीता शरमा गयी

उसने अपने बदन पर एक चादर सी लपेटी और बाथरूम मे घुस गयी चूत से रिस्ता पानी उसकी टाँगो तक आ रहा था वो खुद भी जानती थी कि आज से पहले इतनी जल्दी वो कभी भी दुबारा उत्तेजित नही हुई थी विनीता के ख़यालो मे बार बार प्रेम का वो मूसल जैसा लंड ही आ रहा था बाथरूम मे जाकर उसने अपनी चादर को साइड मे रखा और अपनी टाँगो को चौड़ा करते हुए खड़ी हो गयी

अब वो अपनी बीच वाली उंगली चूत की लंबी सी दरार पर रगड़ने लगी उसकी चूचियो के निप्पल्स अब डेढ़ इंच तक बाहर को निकल आए थे विनीता थी भी तो बहुत ही खूबसूरत मादकता से भरा हुआ प्याला धीरे धीरे वो अपनी उंगलिया चूत पर रगड़ने लगी तो उसके जिस्म मे वासना की चिंगारी शोलो मे बदलने लगी उसकी टाँगे काँपने लगी थी उसके मोटेमोटे चूतड़ बुरी तरह से हिल रहे थे

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उसके होटो से हल्की हल्की सिसकिया सी फूटने लगी थी, करीब 8-10 मिनिट तक वो चूत मे उंगली करती रही वो जैसे पागल ही होगयि थी उत्तेजना से और फिर आख़िर चूत से पानी की धार निकल पड़ी और उसी वक़्त विनीता के मूह से निकल आया :प्रेम, बेटे चोद दे अपनी चाची की मार ले मेरी निगोडी चूत को ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई


विनीता आज बहुत ही बुरी तरह से झड़ी थी लगा जैसे उसकी टाँगो मे कोई जान ही ना बाकी रही हो कुछ देर बाद उसने अपने आप को संभाला शरीर को सॉफ किया और फिर आकर सो गयी, उधर, दूसरी तरफ प्रेम की आँखो मे भी नींद नही आ रही थी आज सुबह उसने अपनी दीदी उषा को सोच कर लंड हिलाया था तो उसे बहुत ही मज़ा आया था बिस्तर पर करवट बदलते हुए प्रेम सोच रहा था कि क्या उषा दीदी उस से चुदने को राज़ी हो जाएँगी

प्यास के मारे उसका गला सुख रहा था तो वो पानी पीने के लिए रसोई की तरफ जाने लगा तो उसने देखा की आँगन का बल्ब जल रहा है उसने सोचा कि घरवाले बंद करना भूल गये होंगे तो वो उसको बंद करने के लिए जैसे ही आगे को चलता है तभी उसे उषा दिखती है पेशाब करते हुए उसका मूह दूसरी साइड मे था, और लाइट मे उसकी गान्ड की बस एक झलक ही काफ़ी थी प्रेम के लंड को खड़ा करने को

उषा की चूत से गिरते पेशाब की सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर उसरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ से प्रेम रोमांचित होने लगा था , उषा के गोल गोल चूतड़ प्रेम की नसों मे गर्मी भर रहे थे उसका दिल किया कि अभी दीदी को पटक कर चोद देता हूँ पर किसी तरह अपनी भावनाओ को काबू कर लिया उसने , फिर उषा खड़ी हुई और अपनी सलवार बाँधने लगी तो वो उधर से खिसक लिया
अगली सुबह सुधा को पता चला कि प्रेम अभी तक सोया हुआ है तो वो उसको जगाने के लिए उसके कमरे मे गयी, गहरी नींद मे सोया प्रेम बड़ा ही मासूम लग रहा था पर सुधा उसको झींझोड़ कर जगाने लगी तो प्रेम की चादर हट गयी प्रेम रात को बस कच्चा-बनियान मे ही सोता था तो जैसे ही सुधा की निगाह उसके कच्चे पर पड़ी उसने देखा कि प्रेम का लंड पूरी तरह से तना हुआ था

और आधा लंड को कच्छे से बाहर उपर की ओर को निकला हुआ था सुधा ये देख कर सन्न रह गयी बिल्कुल विनीता की तरह उसकी तो सांस ही गले मे अटक सी गयी थी अफ कितना बड़ा लंड था जैसे की किसी घोड़े या गधे का लंड हो सुधा जैसे जम ही हो गयी थी पर तभी उसने देखा कि प्रेम जाग रहा है तो वो फॉरन ही दरवाजे की तरफ हो ली और वहाँ से आवाज़ दी कि बेटा जल्दी उठ जा आज कई काम करने है

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प्रेम ने उठकर फटाफट अपने कपड़े पहने और हाथ मूह धोने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिया ,जबकि रसोई मे आकर चाइ बनाते हुवे सुधा एक सोच मे डूबी थी वो सोच रही थी कि उसके पति का लंड तो करीब आधा ही था उसके बेटे के से और वो ही उसे बुरी तरह से निचोड़ दिया करता था तो प्रेम जब किसी को चोदेगा तो वो तो मर ही जाएगी फिर सुधा ने अपने सर को झटका और खुद से कहने लगी कि वो भी क्या सोचने लगी अपने बेटे के बारे मे

प्रेम के बाथरूम के दरवाजे मे कुण्डी नही थी कई बार खाती को बोला था कि लगा दे पर वो आता ही नही था और यही एक बात आज उसके जीवन मे एक तूफान लाने वाली थी प्रेम ने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो अंदर की ओर हो गया और फिर जो नज़ारा उसने देखा , अंदर उषा थी बिल्कुल नंगी पूरे बदन जैसे किसी ने फ़ुर्सत मे तराश दिया हो उसका , अचानक से वो भी चोंक गयी और कुछ रिएक्ट ही नही कर पाई जब तक वो कुछ समझती प्रेम ने उसकी छोटी सी चूत के दर्शन कर लिए थे

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बेहद तंग सी चूत बस एक लाइन भर की उषा का वो छिपा अनमोल खजाना उसने कभी सोचा भी नही था कि उसका सगा भाई ही यू उसको देखेगा फिर प्रेम को कुछ होश आया तो वो वहाँ से मूड़ लिया माफी माँगते हुए पर उसकी बहन का वो हुश्न पानी को बूँदो मे भीगा हुआ उसके लिए और मुश्किले खड़ी करने वाला था
 
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hellboy

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रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.


उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत



शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना

प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है

सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा

प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा

फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये

बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी
दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था,

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इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा

टीवी पर चलती ब्लूफिल्म देख कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था करीब घंटे भर वो फिल्म चलती रही और प्रेम अपनी आँखो से उस नज़ारे का भरपूर अवलोकन करता रहा , बार बार उसे ख़याल आ रहा था कि काश उस आदमी की जगह वो उस लड़की को चोद रहा होता उसे लगा कि जैसे चूत मारने की उसकी इच्छा अचानक से बहुत ही ज़्यादा बढ़ गयी थी पर उसे ये भी पता था की चूत ऐसे नही मिला करती है

अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था

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तो प्रेम को उसकी सलवार का पीछे का हिस्सा दिखने लगा क्या भारी भारी से चूतड़ थे उषा के , उषा उमर के 22वे बसंत मे चल रही थी 5 फुट के साँचे मे ढली गोरी सी एक भरे हुवे हुस्न की मालकिन थी उसके पतले होठ, लंबी गर्दन मोटी मोटी चूचिया किसी को भी अपना दीवाना एक पल मे ही बना सकती थी और ऐसा ही हाल उसके भाई का भी उस समय हो रहा था तभी उसकी नज़र प्रेम पर पड़ी तो वो चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुवे बोली उठ गये भाई
प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे ,

तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था

दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया

लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था

इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था

इधर प्रेम के लंड को देख कर विनीता बहुत ही हैरान थी उसे जैसे विश्वाश ही नही हो रहा था कि किसी का लंड इतना लंबा भी हो सकता है, तभी उसने गोर किया कि उसकी जाँघो के बीच कुछ गीला-गीला सा लग रहा है उसकी चूत उस लंड को देख कर गीली हो गयी थी ना जाने क्यो विनीता के होटो पर एक मुस्कान सी आ गयी और ठीक उसी पल प्रेम ने अपना पानी गिरा दिया 8-10 गढ़े सफेद रस की धार निकल कर धरती पर गिर पड़ी

आज से पहले इतना पानी कभी नही गिराया था प्रेम ने क्या ये उसकी उषा के प्रति बदली सोच के असर से था , प्रेम ने अपनी पॅंट की ज़िप बंद ही की थी कि तभी दीवार की साइड से विनीता निकल आई उसे देख कर प्रेम सकपका सा गया और थूक गटाकते हुए बोला चाची आप कब आई तो विनीता मन ही मन हँसते हुए बोली अरे बेटा बस आई ही हूँ विनीता कुँए से पानी भरने लगी और प्रेम वहाँ से भाग लिया
रात का टाइम था विनीता अपने पति के साथ बिस्तर पर जिस्मो का खेल खेल रही थी उसकी मस्त आहों से कमरा गूँज रहा था और जैसे ही वो अपने सुख को पाई उसकी आँखे मस्ती से बंद हो गयी और उसके सामने प्रेम के लंड की तस्वीर आ गयी तो रस बहाती उसकी चूत से एक धार और बह निकली उसका पति भी अपना काम पूरा करके साइड मे लुढ़क गया था प्रेम के लंड को याद करके विनीता के चेहरे पर एक मंद मुस्कान आ गयी उसका हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया

वो लगातार प्रेम के बारे मे सोचे जा रही थी तो उसकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी अनायास ही वो अपने ख़यालो मे गुम अपनी चूत के दाने से छेड़खानी करने लगी थी तो उसके जिस्म के तार फिर से उस मीठी सी धुन पर झन झनाने लगे थे उसने अपनी आँखे बंद कर ली और सोचने लगी कि कोई खुशनसीब ही होगी जो उस मस्त लंबे लंड से चुदेगि एक पल के लिए विनीता शरमा गयी

उसने अपने बदन पर एक चादर सी लपेटी और बाथरूम मे घुस गयी चूत से रिस्ता पानी उसकी टाँगो तक आ रहा था वो खुद भी जानती थी कि आज से पहले इतनी जल्दी वो कभी भी दुबारा उत्तेजित नही हुई थी विनीता के ख़यालो मे बार बार प्रेम का वो मूसल जैसा लंड ही आ रहा था बाथरूम मे जाकर उसने अपनी चादर को साइड मे रखा और अपनी टाँगो को चौड़ा करते हुए खड़ी हो गयी

अब वो अपनी बीच वाली उंगली चूत की लंबी सी दरार पर रगड़ने लगी उसकी चूचियो के निप्पल्स अब डेढ़ इंच तक बाहर को निकल आए थे विनीता थी भी तो बहुत ही खूबसूरत मादकता से भरा हुआ प्याला धीरे धीरे वो अपनी उंगलिया चूत पर रगड़ने लगी तो उसके जिस्म मे वासना की चिंगारी शोलो मे बदलने लगी उसकी टाँगे काँपने लगी थी उसके मोटेमोटे चूतड़ बुरी तरह से हिल रहे थे

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उसके होटो से हल्की हल्की सिसकिया सी फूटने लगी थी, करीब 8-10 मिनिट तक वो चूत मे उंगली करती रही वो जैसे पागल ही होगयि थी उत्तेजना से और फिर आख़िर चूत से पानी की धार निकल पड़ी और उसी वक़्त विनीता के मूह से निकल आया :प्रेम, बेटे चोद दे अपनी चाची की मार ले मेरी निगोडी चूत को ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई


विनीता आज बहुत ही बुरी तरह से झड़ी थी लगा जैसे उसकी टाँगो मे कोई जान ही ना बाकी रही हो कुछ देर बाद उसने अपने आप को संभाला शरीर को सॉफ किया और फिर आकर सो गयी, उधर, दूसरी तरफ प्रेम की आँखो मे भी नींद नही आ रही थी आज सुबह उसने अपनी दीदी उषा को सोच कर लंड हिलाया था तो उसे बहुत ही मज़ा आया था बिस्तर पर करवट बदलते हुए प्रेम सोच रहा था कि क्या उषा दीदी उस से चुदने को राज़ी हो जाएँगी

प्यास के मारे उसका गला सुख रहा था तो वो पानी पीने के लिए रसोई की तरफ जाने लगा तो उसने देखा की आँगन का बल्ब जल रहा है उसने सोचा कि घरवाले बंद करना भूल गये होंगे तो वो उसको बंद करने के लिए जैसे ही आगे को चलता है तभी उसे उषा दिखती है पेशाब करते हुए उसका मूह दूसरी साइड मे था, और लाइट मे उसकी गान्ड की बस एक झलक ही काफ़ी थी प्रेम के लंड को खड़ा करने को

उषा की चूत से गिरते पेशाब की सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर उसरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ से प्रेम रोमांचित होने लगा था , उषा के गोल गोल चूतड़ प्रेम की नसों मे गर्मी भर रहे थे उसका दिल किया कि अभी दीदी को पटक कर चोद देता हूँ पर किसी तरह अपनी भावनाओ को काबू कर लिया उसने , फिर उषा खड़ी हुई और अपनी सलवार बाँधने लगी तो वो उधर से खिसक लिया
अगली सुबह सुधा को पता चला कि प्रेम अभी तक सोया हुआ है तो वो उसको जगाने के लिए उसके कमरे मे गयी, गहरी नींद मे सोया प्रेम बड़ा ही मासूम लग रहा था पर सुधा उसको झींझोड़ कर जगाने लगी तो प्रेम की चादर हट गयी प्रेम रात को बस कच्चा-बनियान मे ही सोता था तो जैसे ही सुधा की निगाह उसके कच्चे पर पड़ी उसने देखा कि प्रेम का लंड पूरी तरह से तना हुआ था

और आधा लंड को कच्छे से बाहर उपर की ओर को निकला हुआ था सुधा ये देख कर सन्न रह गयी बिल्कुल विनीता की तरह उसकी तो सांस ही गले मे अटक सी गयी थी अफ कितना बड़ा लंड था जैसे की किसी घोड़े या गधे का लंड हो सुधा जैसे जम ही हो गयी थी पर तभी उसने देखा कि प्रेम जाग रहा है तो वो फॉरन ही दरवाजे की तरफ हो ली और वहाँ से आवाज़ दी कि बेटा जल्दी उठ जा आज कई काम करने है

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प्रेम ने उठकर फटाफट अपने कपड़े पहने और हाथ मूह धोने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिया ,जबकि रसोई मे आकर चाइ बनाते हुवे सुधा एक सोच मे डूबी थी वो सोच रही थी कि उसके पति का लंड तो करीब आधा ही था उसके बेटे के से और वो ही उसे बुरी तरह से निचोड़ दिया करता था तो प्रेम जब किसी को चोदेगा तो वो तो मर ही जाएगी फिर सुधा ने अपने सर को झटका और खुद से कहने लगी कि वो भी क्या सोचने लगी अपने बेटे के बारे मे

प्रेम के बाथरूम के दरवाजे मे कुण्डी नही थी कई बार खाती को बोला था कि लगा दे पर वो आता ही नही था और यही एक बात आज उसके जीवन मे एक तूफान लाने वाली थी प्रेम ने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो अंदर की ओर हो गया और फिर जो नज़ारा उसने देखा , अंदर उषा थी बिल्कुल नंगी पूरे बदन जैसे किसी ने फ़ुर्सत मे तराश दिया हो उसका , अचानक से वो भी चोंक गयी और कुछ रिएक्ट ही नही कर पाई जब तक वो कुछ समझती प्रेम ने उसकी छोटी सी चूत के दर्शन कर लिए थे

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बेहद तंग सी चूत बस एक लाइन भर की उषा का वो छिपा अनमोल खजाना उसने कभी सोचा भी नही था कि उसका सगा भाई ही यू उसको देखेगा फिर प्रेम को कुछ होश आया तो वो वहाँ से मूड़ लिया माफी माँगते हुए पर उसकी बहन का वो हुश्न पानी को बूँदो मे भीगा हुआ उसके लिए और मुश्किले खड़ी करने वाला था
awesome start bro.plz aage ki updates me bhi gifs daliega aisehi badhia badhia
 

mitzerotics

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रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.


उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत



शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना

प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है

सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा

प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा

फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये

बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी
दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था,

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इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा

टीवी पर चलती ब्लूफिल्म देख कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था करीब घंटे भर वो फिल्म चलती रही और प्रेम अपनी आँखो से उस नज़ारे का भरपूर अवलोकन करता रहा , बार बार उसे ख़याल आ रहा था कि काश उस आदमी की जगह वो उस लड़की को चोद रहा होता उसे लगा कि जैसे चूत मारने की उसकी इच्छा अचानक से बहुत ही ज़्यादा बढ़ गयी थी पर उसे ये भी पता था की चूत ऐसे नही मिला करती है

अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था

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तो प्रेम को उसकी सलवार का पीछे का हिस्सा दिखने लगा क्या भारी भारी से चूतड़ थे उषा के , उषा उमर के 22वे बसंत मे चल रही थी 5 फुट के साँचे मे ढली गोरी सी एक भरे हुवे हुस्न की मालकिन थी उसके पतले होठ, लंबी गर्दन मोटी मोटी चूचिया किसी को भी अपना दीवाना एक पल मे ही बना सकती थी और ऐसा ही हाल उसके भाई का भी उस समय हो रहा था तभी उसकी नज़र प्रेम पर पड़ी तो वो चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुवे बोली उठ गये भाई
प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे ,

तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था

दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया

लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था

इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था

इधर प्रेम के लंड को देख कर विनीता बहुत ही हैरान थी उसे जैसे विश्वाश ही नही हो रहा था कि किसी का लंड इतना लंबा भी हो सकता है, तभी उसने गोर किया कि उसकी जाँघो के बीच कुछ गीला-गीला सा लग रहा है उसकी चूत उस लंड को देख कर गीली हो गयी थी ना जाने क्यो विनीता के होटो पर एक मुस्कान सी आ गयी और ठीक उसी पल प्रेम ने अपना पानी गिरा दिया 8-10 गढ़े सफेद रस की धार निकल कर धरती पर गिर पड़ी

आज से पहले इतना पानी कभी नही गिराया था प्रेम ने क्या ये उसकी उषा के प्रति बदली सोच के असर से था , प्रेम ने अपनी पॅंट की ज़िप बंद ही की थी कि तभी दीवार की साइड से विनीता निकल आई उसे देख कर प्रेम सकपका सा गया और थूक गटाकते हुए बोला चाची आप कब आई तो विनीता मन ही मन हँसते हुए बोली अरे बेटा बस आई ही हूँ विनीता कुँए से पानी भरने लगी और प्रेम वहाँ से भाग लिया
रात का टाइम था विनीता अपने पति के साथ बिस्तर पर जिस्मो का खेल खेल रही थी उसकी मस्त आहों से कमरा गूँज रहा था और जैसे ही वो अपने सुख को पाई उसकी आँखे मस्ती से बंद हो गयी और उसके सामने प्रेम के लंड की तस्वीर आ गयी तो रस बहाती उसकी चूत से एक धार और बह निकली उसका पति भी अपना काम पूरा करके साइड मे लुढ़क गया था प्रेम के लंड को याद करके विनीता के चेहरे पर एक मंद मुस्कान आ गयी उसका हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया

वो लगातार प्रेम के बारे मे सोचे जा रही थी तो उसकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी अनायास ही वो अपने ख़यालो मे गुम अपनी चूत के दाने से छेड़खानी करने लगी थी तो उसके जिस्म के तार फिर से उस मीठी सी धुन पर झन झनाने लगे थे उसने अपनी आँखे बंद कर ली और सोचने लगी कि कोई खुशनसीब ही होगी जो उस मस्त लंबे लंड से चुदेगि एक पल के लिए विनीता शरमा गयी

उसने अपने बदन पर एक चादर सी लपेटी और बाथरूम मे घुस गयी चूत से रिस्ता पानी उसकी टाँगो तक आ रहा था वो खुद भी जानती थी कि आज से पहले इतनी जल्दी वो कभी भी दुबारा उत्तेजित नही हुई थी विनीता के ख़यालो मे बार बार प्रेम का वो मूसल जैसा लंड ही आ रहा था बाथरूम मे जाकर उसने अपनी चादर को साइड मे रखा और अपनी टाँगो को चौड़ा करते हुए खड़ी हो गयी

अब वो अपनी बीच वाली उंगली चूत की लंबी सी दरार पर रगड़ने लगी उसकी चूचियो के निप्पल्स अब डेढ़ इंच तक बाहर को निकल आए थे विनीता थी भी तो बहुत ही खूबसूरत मादकता से भरा हुआ प्याला धीरे धीरे वो अपनी उंगलिया चूत पर रगड़ने लगी तो उसके जिस्म मे वासना की चिंगारी शोलो मे बदलने लगी उसकी टाँगे काँपने लगी थी उसके मोटेमोटे चूतड़ बुरी तरह से हिल रहे थे

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उसके होटो से हल्की हल्की सिसकिया सी फूटने लगी थी, करीब 8-10 मिनिट तक वो चूत मे उंगली करती रही वो जैसे पागल ही होगयि थी उत्तेजना से और फिर आख़िर चूत से पानी की धार निकल पड़ी और उसी वक़्त विनीता के मूह से निकल आया :प्रेम, बेटे चोद दे अपनी चाची की मार ले मेरी निगोडी चूत को ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई


विनीता आज बहुत ही बुरी तरह से झड़ी थी लगा जैसे उसकी टाँगो मे कोई जान ही ना बाकी रही हो कुछ देर बाद उसने अपने आप को संभाला शरीर को सॉफ किया और फिर आकर सो गयी, उधर, दूसरी तरफ प्रेम की आँखो मे भी नींद नही आ रही थी आज सुबह उसने अपनी दीदी उषा को सोच कर लंड हिलाया था तो उसे बहुत ही मज़ा आया था बिस्तर पर करवट बदलते हुए प्रेम सोच रहा था कि क्या उषा दीदी उस से चुदने को राज़ी हो जाएँगी

प्यास के मारे उसका गला सुख रहा था तो वो पानी पीने के लिए रसोई की तरफ जाने लगा तो उसने देखा की आँगन का बल्ब जल रहा है उसने सोचा कि घरवाले बंद करना भूल गये होंगे तो वो उसको बंद करने के लिए जैसे ही आगे को चलता है तभी उसे उषा दिखती है पेशाब करते हुए उसका मूह दूसरी साइड मे था, और लाइट मे उसकी गान्ड की बस एक झलक ही काफ़ी थी प्रेम के लंड को खड़ा करने को

उषा की चूत से गिरते पेशाब की सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर उसरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ से प्रेम रोमांचित होने लगा था , उषा के गोल गोल चूतड़ प्रेम की नसों मे गर्मी भर रहे थे उसका दिल किया कि अभी दीदी को पटक कर चोद देता हूँ पर किसी तरह अपनी भावनाओ को काबू कर लिया उसने , फिर उषा खड़ी हुई और अपनी सलवार बाँधने लगी तो वो उधर से खिसक लिया
अगली सुबह सुधा को पता चला कि प्रेम अभी तक सोया हुआ है तो वो उसको जगाने के लिए उसके कमरे मे गयी, गहरी नींद मे सोया प्रेम बड़ा ही मासूम लग रहा था पर सुधा उसको झींझोड़ कर जगाने लगी तो प्रेम की चादर हट गयी प्रेम रात को बस कच्चा-बनियान मे ही सोता था तो जैसे ही सुधा की निगाह उसके कच्चे पर पड़ी उसने देखा कि प्रेम का लंड पूरी तरह से तना हुआ था

और आधा लंड को कच्छे से बाहर उपर की ओर को निकला हुआ था सुधा ये देख कर सन्न रह गयी बिल्कुल विनीता की तरह उसकी तो सांस ही गले मे अटक सी गयी थी अफ कितना बड़ा लंड था जैसे की किसी घोड़े या गधे का लंड हो सुधा जैसे जम ही हो गयी थी पर तभी उसने देखा कि प्रेम जाग रहा है तो वो फॉरन ही दरवाजे की तरफ हो ली और वहाँ से आवाज़ दी कि बेटा जल्दी उठ जा आज कई काम करने है

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प्रेम के बाथरूम के दरवाजे मे कुण्डी नही थी कई बार खाती को बोला था कि लगा दे पर वो आता ही नही था और यही एक बात आज उसके जीवन मे एक तूफान लाने वाली थी प्रेम ने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो अंदर की ओर हो गया और फिर जो नज़ारा उसने देखा , अंदर उषा थी बिल्कुल नंगी पूरे बदन जैसे किसी ने फ़ुर्सत मे तराश दिया हो उसका , अचानक से वो भी चोंक गयी और कुछ रिएक्ट ही नही कर पाई जब तक वो कुछ समझती प्रेम ने उसकी छोटी सी चूत के दर्शन कर लिए थे

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बेहद तंग सी चूत बस एक लाइन भर की उषा का वो छिपा अनमोल खजाना उसने कभी सोचा भी नही था कि उसका सगा भाई ही यू उसको देखेगा फिर प्रेम को कुछ होश आया तो वो वहाँ से मूड़ लिया माफी माँगते हुए पर उसकी बहन का वो हुश्न पानी को बूँदो मे भीगा हुआ उसके लिए और मुश्किले खड़ी करने वाला था
धमाकेदार शुरुवात। ऐसे ही लिखते रहिए।
 

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रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.


उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत



शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना

प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है

सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा

प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा

फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये

बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी
दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था,

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इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा

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अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था

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प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे ,

तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था

दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया

लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था

इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था

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रात का टाइम था विनीता अपने पति के साथ बिस्तर पर जिस्मो का खेल खेल रही थी उसकी मस्त आहों से कमरा गूँज रहा था और जैसे ही वो अपने सुख को पाई उसकी आँखे मस्ती से बंद हो गयी और उसके सामने प्रेम के लंड की तस्वीर आ गयी तो रस बहाती उसकी चूत से एक धार और बह निकली उसका पति भी अपना काम पूरा करके साइड मे लुढ़क गया था प्रेम के लंड को याद करके विनीता के चेहरे पर एक मंद मुस्कान आ गयी उसका हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया

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अब वो अपनी बीच वाली उंगली चूत की लंबी सी दरार पर रगड़ने लगी उसकी चूचियो के निप्पल्स अब डेढ़ इंच तक बाहर को निकल आए थे विनीता थी भी तो बहुत ही खूबसूरत मादकता से भरा हुआ प्याला धीरे धीरे वो अपनी उंगलिया चूत पर रगड़ने लगी तो उसके जिस्म मे वासना की चिंगारी शोलो मे बदलने लगी उसकी टाँगे काँपने लगी थी उसके मोटेमोटे चूतड़ बुरी तरह से हिल रहे थे

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उसके होटो से हल्की हल्की सिसकिया सी फूटने लगी थी, करीब 8-10 मिनिट तक वो चूत मे उंगली करती रही वो जैसे पागल ही होगयि थी उत्तेजना से और फिर आख़िर चूत से पानी की धार निकल पड़ी और उसी वक़्त विनीता के मूह से निकल आया :प्रेम, बेटे चोद दे अपनी चाची की मार ले मेरी निगोडी चूत को ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई


विनीता आज बहुत ही बुरी तरह से झड़ी थी लगा जैसे उसकी टाँगो मे कोई जान ही ना बाकी रही हो कुछ देर बाद उसने अपने आप को संभाला शरीर को सॉफ किया और फिर आकर सो गयी, उधर, दूसरी तरफ प्रेम की आँखो मे भी नींद नही आ रही थी आज सुबह उसने अपनी दीदी उषा को सोच कर लंड हिलाया था तो उसे बहुत ही मज़ा आया था बिस्तर पर करवट बदलते हुए प्रेम सोच रहा था कि क्या उषा दीदी उस से चुदने को राज़ी हो जाएँगी

प्यास के मारे उसका गला सुख रहा था तो वो पानी पीने के लिए रसोई की तरफ जाने लगा तो उसने देखा की आँगन का बल्ब जल रहा है उसने सोचा कि घरवाले बंद करना भूल गये होंगे तो वो उसको बंद करने के लिए जैसे ही आगे को चलता है तभी उसे उषा दिखती है पेशाब करते हुए उसका मूह दूसरी साइड मे था, और लाइट मे उसकी गान्ड की बस एक झलक ही काफ़ी थी प्रेम के लंड को खड़ा करने को

उषा की चूत से गिरते पेशाब की सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर उसरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ से प्रेम रोमांचित होने लगा था , उषा के गोल गोल चूतड़ प्रेम की नसों मे गर्मी भर रहे थे उसका दिल किया कि अभी दीदी को पटक कर चोद देता हूँ पर किसी तरह अपनी भावनाओ को काबू कर लिया उसने , फिर उषा खड़ी हुई और अपनी सलवार बाँधने लगी तो वो उधर से खिसक लिया
अगली सुबह सुधा को पता चला कि प्रेम अभी तक सोया हुआ है तो वो उसको जगाने के लिए उसके कमरे मे गयी, गहरी नींद मे सोया प्रेम बड़ा ही मासूम लग रहा था पर सुधा उसको झींझोड़ कर जगाने लगी तो प्रेम की चादर हट गयी प्रेम रात को बस कच्चा-बनियान मे ही सोता था तो जैसे ही सुधा की निगाह उसके कच्चे पर पड़ी उसने देखा कि प्रेम का लंड पूरी तरह से तना हुआ था

और आधा लंड को कच्छे से बाहर उपर की ओर को निकला हुआ था सुधा ये देख कर सन्न रह गयी बिल्कुल विनीता की तरह उसकी तो सांस ही गले मे अटक सी गयी थी अफ कितना बड़ा लंड था जैसे की किसी घोड़े या गधे का लंड हो सुधा जैसे जम ही हो गयी थी पर तभी उसने देखा कि प्रेम जाग रहा है तो वो फॉरन ही दरवाजे की तरफ हो ली और वहाँ से आवाज़ दी कि बेटा जल्दी उठ जा आज कई काम करने है

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प्रेम ने उठकर फटाफट अपने कपड़े पहने और हाथ मूह धोने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिया ,जबकि रसोई मे आकर चाइ बनाते हुवे सुधा एक सोच मे डूबी थी वो सोच रही थी कि उसके पति का लंड तो करीब आधा ही था उसके बेटे के से और वो ही उसे बुरी तरह से निचोड़ दिया करता था तो प्रेम जब किसी को चोदेगा तो वो तो मर ही जाएगी फिर सुधा ने अपने सर को झटका और खुद से कहने लगी कि वो भी क्या सोचने लगी अपने बेटे के बारे मे

प्रेम के बाथरूम के दरवाजे मे कुण्डी नही थी कई बार खाती को बोला था कि लगा दे पर वो आता ही नही था और यही एक बात आज उसके जीवन मे एक तूफान लाने वाली थी प्रेम ने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो अंदर की ओर हो गया और फिर जो नज़ारा उसने देखा , अंदर उषा थी बिल्कुल नंगी पूरे बदन जैसे किसी ने फ़ुर्सत मे तराश दिया हो उसका , अचानक से वो भी चोंक गयी और कुछ रिएक्ट ही नही कर पाई जब तक वो कुछ समझती प्रेम ने उसकी छोटी सी चूत के दर्शन कर लिए थे

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बेहद तंग सी चूत बस एक लाइन भर की उषा का वो छिपा अनमोल खजाना उसने कभी सोचा भी नही था कि उसका सगा भाई ही यू उसको देखेगा फिर प्रेम को कुछ होश आया तो वो वहाँ से मूड़ लिया माफी माँगते हुए पर उसकी बहन का वो हुश्न पानी को बूँदो मे भीगा हुआ उसके लिए और मुश्किले खड़ी करने वाला था
कहानी का प्रारंभ बहुत ही धमाकेदार हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Vedvixit

Take Off Your CLOTHES, We Need To Talk.. 🔥
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रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.


उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत



शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना

प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है

सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा

प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा

फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये

बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी
दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था,

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इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा

टीवी पर चलती ब्लूफिल्म देख कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था करीब घंटे भर वो फिल्म चलती रही और प्रेम अपनी आँखो से उस नज़ारे का भरपूर अवलोकन करता रहा , बार बार उसे ख़याल आ रहा था कि काश उस आदमी की जगह वो उस लड़की को चोद रहा होता उसे लगा कि जैसे चूत मारने की उसकी इच्छा अचानक से बहुत ही ज़्यादा बढ़ गयी थी पर उसे ये भी पता था की चूत ऐसे नही मिला करती है

अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था

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तो प्रेम को उसकी सलवार का पीछे का हिस्सा दिखने लगा क्या भारी भारी से चूतड़ थे उषा के , उषा उमर के 22वे बसंत मे चल रही थी 5 फुट के साँचे मे ढली गोरी सी एक भरे हुवे हुस्न की मालकिन थी उसके पतले होठ, लंबी गर्दन मोटी मोटी चूचिया किसी को भी अपना दीवाना एक पल मे ही बना सकती थी और ऐसा ही हाल उसके भाई का भी उस समय हो रहा था तभी उसकी नज़र प्रेम पर पड़ी तो वो चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुवे बोली उठ गये भाई
प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे ,

तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था

दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया

लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था

इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था

इधर प्रेम के लंड को देख कर विनीता बहुत ही हैरान थी उसे जैसे विश्वाश ही नही हो रहा था कि किसी का लंड इतना लंबा भी हो सकता है, तभी उसने गोर किया कि उसकी जाँघो के बीच कुछ गीला-गीला सा लग रहा है उसकी चूत उस लंड को देख कर गीली हो गयी थी ना जाने क्यो विनीता के होटो पर एक मुस्कान सी आ गयी और ठीक उसी पल प्रेम ने अपना पानी गिरा दिया 8-10 गढ़े सफेद रस की धार निकल कर धरती पर गिर पड़ी

आज से पहले इतना पानी कभी नही गिराया था प्रेम ने क्या ये उसकी उषा के प्रति बदली सोच के असर से था , प्रेम ने अपनी पॅंट की ज़िप बंद ही की थी कि तभी दीवार की साइड से विनीता निकल आई उसे देख कर प्रेम सकपका सा गया और थूक गटाकते हुए बोला चाची आप कब आई तो विनीता मन ही मन हँसते हुए बोली अरे बेटा बस आई ही हूँ विनीता कुँए से पानी भरने लगी और प्रेम वहाँ से भाग लिया
रात का टाइम था विनीता अपने पति के साथ बिस्तर पर जिस्मो का खेल खेल रही थी उसकी मस्त आहों से कमरा गूँज रहा था और जैसे ही वो अपने सुख को पाई उसकी आँखे मस्ती से बंद हो गयी और उसके सामने प्रेम के लंड की तस्वीर आ गयी तो रस बहाती उसकी चूत से एक धार और बह निकली उसका पति भी अपना काम पूरा करके साइड मे लुढ़क गया था प्रेम के लंड को याद करके विनीता के चेहरे पर एक मंद मुस्कान आ गयी उसका हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया

वो लगातार प्रेम के बारे मे सोचे जा रही थी तो उसकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी अनायास ही वो अपने ख़यालो मे गुम अपनी चूत के दाने से छेड़खानी करने लगी थी तो उसके जिस्म के तार फिर से उस मीठी सी धुन पर झन झनाने लगे थे उसने अपनी आँखे बंद कर ली और सोचने लगी कि कोई खुशनसीब ही होगी जो उस मस्त लंबे लंड से चुदेगि एक पल के लिए विनीता शरमा गयी

उसने अपने बदन पर एक चादर सी लपेटी और बाथरूम मे घुस गयी चूत से रिस्ता पानी उसकी टाँगो तक आ रहा था वो खुद भी जानती थी कि आज से पहले इतनी जल्दी वो कभी भी दुबारा उत्तेजित नही हुई थी विनीता के ख़यालो मे बार बार प्रेम का वो मूसल जैसा लंड ही आ रहा था बाथरूम मे जाकर उसने अपनी चादर को साइड मे रखा और अपनी टाँगो को चौड़ा करते हुए खड़ी हो गयी

अब वो अपनी बीच वाली उंगली चूत की लंबी सी दरार पर रगड़ने लगी उसकी चूचियो के निप्पल्स अब डेढ़ इंच तक बाहर को निकल आए थे विनीता थी भी तो बहुत ही खूबसूरत मादकता से भरा हुआ प्याला धीरे धीरे वो अपनी उंगलिया चूत पर रगड़ने लगी तो उसके जिस्म मे वासना की चिंगारी शोलो मे बदलने लगी उसकी टाँगे काँपने लगी थी उसके मोटेमोटे चूतड़ बुरी तरह से हिल रहे थे

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उसके होटो से हल्की हल्की सिसकिया सी फूटने लगी थी, करीब 8-10 मिनिट तक वो चूत मे उंगली करती रही वो जैसे पागल ही होगयि थी उत्तेजना से और फिर आख़िर चूत से पानी की धार निकल पड़ी और उसी वक़्त विनीता के मूह से निकल आया :प्रेम, बेटे चोद दे अपनी चाची की मार ले मेरी निगोडी चूत को ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई


विनीता आज बहुत ही बुरी तरह से झड़ी थी लगा जैसे उसकी टाँगो मे कोई जान ही ना बाकी रही हो कुछ देर बाद उसने अपने आप को संभाला शरीर को सॉफ किया और फिर आकर सो गयी, उधर, दूसरी तरफ प्रेम की आँखो मे भी नींद नही आ रही थी आज सुबह उसने अपनी दीदी उषा को सोच कर लंड हिलाया था तो उसे बहुत ही मज़ा आया था बिस्तर पर करवट बदलते हुए प्रेम सोच रहा था कि क्या उषा दीदी उस से चुदने को राज़ी हो जाएँगी

प्यास के मारे उसका गला सुख रहा था तो वो पानी पीने के लिए रसोई की तरफ जाने लगा तो उसने देखा की आँगन का बल्ब जल रहा है उसने सोचा कि घरवाले बंद करना भूल गये होंगे तो वो उसको बंद करने के लिए जैसे ही आगे को चलता है तभी उसे उषा दिखती है पेशाब करते हुए उसका मूह दूसरी साइड मे था, और लाइट मे उसकी गान्ड की बस एक झलक ही काफ़ी थी प्रेम के लंड को खड़ा करने को

उषा की चूत से गिरते पेशाब की सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर उसरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ से प्रेम रोमांचित होने लगा था , उषा के गोल गोल चूतड़ प्रेम की नसों मे गर्मी भर रहे थे उसका दिल किया कि अभी दीदी को पटक कर चोद देता हूँ पर किसी तरह अपनी भावनाओ को काबू कर लिया उसने , फिर उषा खड़ी हुई और अपनी सलवार बाँधने लगी तो वो उधर से खिसक लिया
अगली सुबह सुधा को पता चला कि प्रेम अभी तक सोया हुआ है तो वो उसको जगाने के लिए उसके कमरे मे गयी, गहरी नींद मे सोया प्रेम बड़ा ही मासूम लग रहा था पर सुधा उसको झींझोड़ कर जगाने लगी तो प्रेम की चादर हट गयी प्रेम रात को बस कच्चा-बनियान मे ही सोता था तो जैसे ही सुधा की निगाह उसके कच्चे पर पड़ी उसने देखा कि प्रेम का लंड पूरी तरह से तना हुआ था

और आधा लंड को कच्छे से बाहर उपर की ओर को निकला हुआ था सुधा ये देख कर सन्न रह गयी बिल्कुल विनीता की तरह उसकी तो सांस ही गले मे अटक सी गयी थी अफ कितना बड़ा लंड था जैसे की किसी घोड़े या गधे का लंड हो सुधा जैसे जम ही हो गयी थी पर तभी उसने देखा कि प्रेम जाग रहा है तो वो फॉरन ही दरवाजे की तरफ हो ली और वहाँ से आवाज़ दी कि बेटा जल्दी उठ जा आज कई काम करने है

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प्रेम ने उठकर फटाफट अपने कपड़े पहने और हाथ मूह धोने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिया ,जबकि रसोई मे आकर चाइ बनाते हुवे सुधा एक सोच मे डूबी थी वो सोच रही थी कि उसके पति का लंड तो करीब आधा ही था उसके बेटे के से और वो ही उसे बुरी तरह से निचोड़ दिया करता था तो प्रेम जब किसी को चोदेगा तो वो तो मर ही जाएगी फिर सुधा ने अपने सर को झटका और खुद से कहने लगी कि वो भी क्या सोचने लगी अपने बेटे के बारे मे

प्रेम के बाथरूम के दरवाजे मे कुण्डी नही थी कई बार खाती को बोला था कि लगा दे पर वो आता ही नही था और यही एक बात आज उसके जीवन मे एक तूफान लाने वाली थी प्रेम ने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो अंदर की ओर हो गया और फिर जो नज़ारा उसने देखा , अंदर उषा थी बिल्कुल नंगी पूरे बदन जैसे किसी ने फ़ुर्सत मे तराश दिया हो उसका , अचानक से वो भी चोंक गयी और कुछ रिएक्ट ही नही कर पाई जब तक वो कुछ समझती प्रेम ने उसकी छोटी सी चूत के दर्शन कर लिए थे

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बेहद तंग सी चूत बस एक लाइन भर की उषा का वो छिपा अनमोल खजाना उसने कभी सोचा भी नही था कि उसका सगा भाई ही यू उसको देखेगा फिर प्रेम को कुछ होश आया तो वो वहाँ से मूड़ लिया माफी माँगते हुए पर उसकी बहन का वो हुश्न पानी को बूँदो मे भीगा हुआ उसके लिए और मुश्किले खड़ी करने वाला था
Bhai land khada kar diya yaar... Imagine kar k sab feel ho gaya
 

samlambe

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प्रेम वहाँ से सीधा अपने खेतो पर गया जो नज़ारा उसने देखा था वो उसके मन मे जैसे बस ही गया था अपनी बहन का मस्त भीगा बदन बार बार उसकी ख़यालो मे आ रहा था आख़िर उस से जब रहा नही किया तो वो अपने लंड को हिलाने ही जा रहा था कि तभी कुछ आवाज़ हुई और वो बाहर को आ गया उसने देखा कि विनीता उसकी तरफ ही चली आ रही है , तो उसने उसको नमस्ते किया इधर प्रेम को देख कर विनीता भी खुश हो गयी

विनीता ने तो ठान ही लिया था कि कैसे भी करके प्रेम के लंड को अपनी भोसड़ी मे लेकर ही रहेगी तो उसने उस पर डोरे डालने का सोचा और बोली प्रेम तू क्या कर रहा है तो प्रेम बोला चाची घास काटने आया हूँ काफ़ी बढ़ गयी है तो विनीता बोली- मैं भी घास काटने ही आई हूँ आजा साथ मे ही काट ते है जबकि विनीता उसको अपनी ओर रिझाना चाहती थी थोड़ी देर घास काटने के बाद

विनीता एक अंगड़ाई लेते हुए बोली –बेटे आजकल कमर मे कुछ ज़्यादा ही दर्द रहने लगा है जब विनीता अंगड़ाई ले रही थी तो उसकी मदमस्त चूचिया जैसे दो पल के लिए तन सी गयी थी तो प्रेम की निगाह भी पड़ गयी उन पर फिर विनीता ने उसे थोड़ा और दिखाने का सोचा और अपने पल्लू को सीने से हटा कर उस से अपने चेहरे को पोंछने का बहाना करने लगी

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ब्लाउज से बाहर आने को बेताब उसकी चूचिया अब प्रेम की नज़रो के सामने थी और वो भी खुद को रोक ना पाया उनकी तरफ घूर्ने से विनीता की शातिर नज़रो ने भाँप लिया कि प्रेम भी उत्सुक है बस इसे लाइन पर लाना है जबकि वो ना समझी कि वो तो खुद चूत मारने को मारा जा रहा है विनीता फिर से घास काटने को बैठ गयी पर इस बार उसने अपने पल्लू से सीना को नही ढका बल्कि पल्लू को कमर पर लगा लिया

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जब वो बैठ कर घास काट रही थी तो प्रेम की निगाहें बार बार उसके गोरे गोरे उभारों पर जा रही थी , तो उसका हाल बुरा होना शुरू हुआ उसका लंड पॅंट के अंदर ही अकड़ने लगा उसके लंड का उभार विनीता की नज़रो से ना छुपा रहा, घास की कटाइ के बाद वो वापिस हो रहे थे तो विनीता आगे को चल रही थी अपनी भारी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही मटकाते हुए .

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जिस से प्रेम का हाल बुरा हो रहा था उसने सोचा कि विनीता चाची भी मस्त औरत है और उनकी गान्ड तो किसी मोटे तरबूज जैसी है तभी अचानक से विनीता ज़मीन पर बैठ गयी और कराहने लगी तो प्रेम ने पूछा क्या हुवा चाची-

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विनीता- चेहरे पर दर्द के भाव लाते हुए बेटा लगता है मोच सी आ गयी है ज़रा मदद कर मुझे खड़ा होने मे तो प्रेम ने उसको उठाया तो विनीता जान बुझ कर उसके सीने से लग गयी

और अपनी चूचियो से उसके सीने को दबा दिया प्रेम को बहुत ही अच्छा लगा पर फिर अगले ही पल वो उस से दूर हो गयी और अपना हाथ उसके कंधे पर रखते हुए बोली –बेटा बहुत दर्द हो रहा है , मुझसे तो चला ना जाएगा एक काम कर तू मुझे उठा ले और मेरे खेत तक छोड़ दे , तो प्रेम ने उसे अपनी गोदी मे उठा लिया और विनीता के खेत मे बने कमरे की तरफ चल दिया

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वहाँ ले जाकर उसने उसको चारपाई पर लिटा दिया, और जाने लगा तो विनीता बोली- बेटा मुझे इस हालत मे छोड़ कर कहाँ जा रहा है ज़रा पैर को दबा दे थोड़ा आराम हो जाए तो मैं भी घर को पहुचु तो प्रेम भी खाट पर बैठ गया और उसकी टाँग को दबाने लगा विनीता ने साड़ी को थोड़ा सा उपर की ओर कर लिया ये प्रेम का पहला अवसर था जब वो यूँ किसी औरत को छू रहा था विनीता के बदन के स्पर्श से उसका बदन गरम होने लगा था

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उसकी पिंडलियो को दबाते दबाते उसका हाथ अब घुटनो तक पहुच रहा था विनीता उसकी तारीफ करते हुवे बोली-बेटा तू तो बहुत ही अच्छी मालिश करता है बड़ा आराम मिला है एक काम कर थोड़ा सा दर्द मेरी कमर मे भी हो रहा है तो ज़रा उसे भी दबा दे और फिर वो घूम गयी अब उसकी पीठ उपर को हो गयी थी उसकी मोटी गान्ड प्रेम की आँखो के सामने थी प्रेम उसकी कमर को अपने हाथो से दबाने लगा तो विनीता ने एक आह सी भरी

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इधर नीचे कच्छी के अंदर विनीता की चूत का बुरा हाल हुआ था उसकी कच्छी चूत के पानी से पूरी तरह भीग गयी थी उसकी टाँगे अब चिपचिप कर रही थी पर वो सीधे सीधे तो नही बोल सकती थी प्रेम को कि उसे चोद दे, पर अब उसके लिए भी मुश्किल हो राहा था तो उसने कहा बेटा ऐसे दर्द कम ना होगा तू मेरी कमर पर बैठ कर मालिश कर

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इधर प्रेम भी थोड़ा सा मूड मे था तो वो फॉरन उसके उपर चढ़ गया उसके मोटे चुतड़ों पर अब प्रेम के लंड का अहसास विनीता को पागल करने लगा था मालिश तो बहाना था , जब की प्रेम का लंड भी विनीता की गान्ड मे घुसने को बेताब हो रहा था जब जब प्रेम आगे को झुकता उसके लंड की रगड़ से विनीता के चुतड़ों मे सुर सुराहट ही फैल जाती

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करीब आधे घंटे तक वो दोनो ऐसे ही करते रहे और फिर विनीता ने कस कर अपनी आँखो को बंद कर लिया उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया था,

दूसरी ओर उषा आज अपनी एक सहेली से मिलने आई थी जो कि शादी के बाद पहली बार मायके आई थी ये उसकी पक्की सहेली थी तो दोनो कई बाते शेयर करती थी जब उसकी सहेली ने अपनी सुहागरात का किस्सा उषा को बताया तो उषा भी गरम हो गयी कि कैसे उसके पति ने उसको मज़े दिए

उषा का दिल भी चुदाई के लिए मचलने लगा पर वो ऐसे तो नही चुद सकती थी किसी के साथ भी और उसकी सहेली ने जो बाते उसे उसे बताई थी कि चुदाई मे कितना मज़ा आता है तो उसकी चूत तो बहने से रुक ही नही रही थी और फिर उसे ख़याल आया कि सुबह जब उसके भाई ने उसे नंगा देखा तो उसका लंड भी तो तन गया था तो क्या प्रेम उसे चोद सकता है नही नही ये मैं क्या सोचने लगी वो मेरा भाई है उसके साथ मैं कैसे

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पर उसने भी तो उसे नंगी देखा देखा था , और अगर वो अपनी चूत अपने भाई से चुदवा लेगी तो बदनामी भी ना होगी और मज़े का मज़ा भी मिलेगा पर सीधा कैसे कह दूं भाई चोद दे अपनी बहन को और उसकी खुजली को मिटा दे, आख़िर उषा ने सोचा कि वो पहले प्रेम को लाइन देगी अगर वो भी तैयार हुआ तो देखा जाएगा सब लोग अपना अपना जुगाड़ करने मे लगे थे
 
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