सुबह उठा तोह मौसी जी मुझे उठाने आयी।
मौसी: संजू उठ जा। कबसे तुझे उठा रही हूं और तू हैं की उठने का नाम ही नहीं ले रहा है। जल्द्दी उठ, जाना नहीं है क्या ??
मैं : मौजी जी सोने दो ना, नींद बहुत आ रहीं हैं अभी।
मौसी मेरा हाथ पकड कर मुुुझे बैठाते हुए कहने लगी: क्यू रात को क्या कर रहा था तू ??
मै मन में सोचते हुए ( अब क्या बताऊं मौसीजी, कल रात को क्या क्या मस्ती की है मैने।
मैं : वोह रात को नींद नहीं आ रही थी इसलिए..
अभी सोने दो।थोड़ी देर में आता हूं।
मौसी: जल्द्दी आना, मुझे नास्ता तैैयार करना है ।
यह कहकर मौसी बाहर चली गई और मैं रजाई में गुस गया। फिर थोड़ी देर बाद में उठा और फिर नहा धो कर बाहर आ गया। वहां मैने देखा कि सब नीचे नाश्ते की टेबल पर बैठे है।
DS Im
मौसा जी : संजू नाश्ता करलो फिर मैं तुम्हे तुम्हारे घर तक छोड़ दूंगा।
मैं: मैं चल जाऊंगा मौसा जी आप परेशाान मत हो
मौसा जी: अरे नहीं नहीं, परेशानी वाली बात नहीं हैं। मुझे भी तुम्हारे यहां जाना है। तुम्हारे पापा से कुछ काम है।
मैं: अच्छा ठीक है।
मौसी: अच्छा चले जाना अपने घर। पहले नाश्ता तोह कर लो ।वैसे भी कौनसा ज्यादा दूर है तुम्हारा गांव । २ घंटे का रास्ता ही तोह है।
मै नाश्ता करने लगा और फिर हम सब इधर उधर की बातें करने लगे। थोड़ी देर में अपना समान पैक करना चालू कर दिया। थोड़ी देर में पुष्पा भी मेरे कमरे में आगई।
पुष्पा: हो गई तैयारी जाने की..??
मेने पुष्पा को मुडकर देखा तो पुष्पा एकदम मस्त माल लग रही थी। उसके चेहरे पर बहुत ही प्यारी सी मुस्कराहट थी।कल रात को मैने जो उसके साथ किया था उसकी वजह से वो नाराज़ तोह नहीं लग रही थी।
मैं : हा, पुष्पा जी जा रहा हूं। घरवाले भी इंतजार कर रहे होंगे। वैसे भी २ दिन के लिए ही तोह आया था।
पुष्पा मेरे पास आयी और कहने लगी।
पुष्पा: संजू वो तुमसे कुछ पूछना था...
मैं: क्या बोलो… ??
पुष्पा: वो तुम सच बोल रहे थे ना कि कोई फोटो नहीं रखी हैं तुमने अपने पास...??
मुझे थोडी मस्ती सूची तो मैने पुष्पा को कस कर अपनी बाहों में भर लिया और जबरदस्ती एक किस कर ली।
मैं: सच्ची के रहा हूं दीदी, कोई फोटो नहीं है मेरे पास।
पुष्पा: तू बहुत कमिना है संजू, एक वादा कर मुझे।।।
मैं: बोलो… ??
पुष्पा: आज से मुजे दीदी मत बोलना प्लीज. मुझे अच्छा नहीं लगता ।
मैं: वो क्यों ??
मैं : अब दीदी को दीदी नहीं बोलूंगा तो क्या बोलूंगा ... ??
पुष्पा: दीदी समझता तो वो सब नहीं करता।
मैं पुष्पा की चुचियो को मसलते हुए कहा : अब आप हो ही इतनी सेक्सी..
पुष्पा: चोर मुझे , कोई आ जायेगा।
मैं : हा हा आने दो, मैं डरता हू क्या किसी से...
जैसे ही मैने यह कहा वैसे ही मौसी ने बाहर से आवाज़ लगाई तोह मैने पुष्पा को को छोड़ दिया और अलग हो गया। मुझे अलग होता देख पुष्पा हसने लगी।
पुष्प्पा हस्ते हुए : क्या हुआ, अभी तोह बड़ा डायलॉग मार रहे थे।
मैं: हा तो डरता थोड़े ही हूं वोह तो बस ऐसे।
चलो आप जाओ अभी मुझे समान पैक करना है।
पुष्पा बाहर जाते हुए मुझे डरपोक कहते हुए हस्ते हस्ते बाहर चली गई।
और मै भी समान पैक करके बाहर आगया। मौसा जी तैयार थे तोह हम दोनों बाहर आ गए । मौसी और पुष्पा दीदी भी बाहर आ गई हमें अलविदा कहने लिए। मौसा जी ने अपनी स्टार्ट की और फिर हम निकल पड़े। रास्ते भर हम इधर उधर की बातें करते रहे फिर तकरीबन २ घंटे में मेरा घर आ गया।
मैने अपना सारा सामान निकाला और मौसा जी के साथ घर की तरफ चल पडा।
मै अपने परिवार के बारे में कुछ बताना चाहूंगा। मेरा परिवार काफी बड़ा परिवार है।
सबसे बड़े हमारे ताऊजी है रविकांत श्रीवास्तव, जो हमारे परिवार के मुखिया भी है। और हमारे गांव के ग्राम प्रधान भी। गांव में सभी उनका सम्मान करते है।
उनकी पत्नी कमला देवी, मेरी ताइजी है और घर पर इनकी ही चलती है। घर पर सब इनका सम्मान करते है और थोड़ा बहुत डरते भी है।
उनकी एक बेटी है कविता जो उम्र(28) में मुझसे 8 साल बड़ी है।
कविता दिखने में थोड़ी सावली और मोटी है जिसकी वजह से उसके लिए अच्छे रिश्ते नहीं आते। ताऊजी अक्सर उसकी शादी के लिए परेशान रहते है।
ताऊजी और ताईजी का कोई बेटा नहीं है इसलिए वो मुझे बहुत प्यार करते है। मै ताऊजी से थोड़ा बहुत डरता हूं पर ताई जी से बिल्कुल भी नहीं।
उसके बाद मेरे पिताजी आते हैं। मेरे पिताजी का नाम सूर्यकांत श्रीवास्तव है और उनका गांव में एक छोटा सा कपड़ों का कारखाना है। बड़े ही सीधे साधे इंसान है। बस अपने घर से और अपने काम से ही मतबल रखते है।
फिर मेरी मम्मी आती है जिनका नाम रीना श्रीवास्तव, जो पिताजी की तरह ही बहुत सीधी साधी है। बस घर के कामों में ही लगी रहती है। मेरे मम्मी पापा के दो बच्चे है, एक मैं और दूसरी मेरी बहन। मुझे तो आप जानते ही है और मेरी छोटी बहन नाम पिंकी(18) है जो बारवी में पड़ती है। पिंकी घर में सबसे छोटी है और सबसे ज्यादा सरारती भी। पर सब उससे बहुत प्यार करते है।
फिर आते है हमारे चाचाजी, ओमकांत श्रीवास्तव जो शहर में एक बड़ी कंपनी में नौकरी करते है और अक्सर छुट्टियों में घर आते रहते है। फिर आती है मेरी चाची जी लता श्रीवास्तव (26) जो काफी हसमुख है और मुझसे तो बहुत हसी मज़ाक करती है। उनका एक बच्चा है जो अभी 2 साल का है।
तो यह है मेरा परिवार। बहरहाल मै और मौसा जी जी घर पहुंचे तो देखा चlची आंगन में साफ सफाई कर रही थी तो मैने गेट खोला तो चाची जी ने हमें देखा और देखते ही मौसा जी को नमस्ते किया और हमारा समान अंदर ले गई।
चाची : दीदी देखो संजू आ गया और साथ में भाईसाहब भी आए है।
यह सुनकर मेरी मम्मी तुरंत किचन से बाहर आ गई । चाची जी हमारे लिए पानी लेकर आ गई और मुझे और मौसा जी को दिया। थोड़ी देर में मम्मी भी वहां आ गई और मौसा जी से बात करने लगी।
मम्मी : अरे जीजा जी आप का आना केसे हुआ।
मौसा जी : क्यू में अपनी साली साहिबा से मिलने नहीं आ सकता क्या।
मम्मी : क्यों नहीं आ सकते। पर आते नहीं हो ना आप हमारे यहां। मैं कह कह कर थक जाती हूं पर आने का नाम नहीं लेते।
मौसा जी : अच्छा अभी तोह आ गया हूं ना। अच्छा भाईसाहब कहा है। उनसे कुछ काम था।
मम्मी : वो तो कारखाने में होंगे। बस थोड़ी देर में आते होंगे।
मम्मी और मौसा जी बातें कर रहे थे तो मैने अपना समान उठाया और अपने कमरे में जाने लगा।
चाची : रुक संजू, तेरी मदद कर देती हूं।
ये कह कर चाची मेरे साथ मेरा समान ले कर मेरे कमरे कमरे की तरफ चलने लगी।
चाची : और बता संजू कैसा है तू।
मै : बस जी रहा हूं चाची जान आपकी यादों में।
चाची : अच्छा बेटा, डायलॉग मार रहा है, वैसे तो एक फोन भी नहीं करता था और अभी डायलॉग मार रहा है।
मै : डायलॉग नहीं मार रहा हूं चाची, सच बोल रहा हूं। वैसे कमरा तो अच्छा चमका रखा है आपने।
मैने अपना समान अलमारी में रखा और फिर बेड में लेट गया और चाची का हाथ पकड़ा और अपने साथ लेटा लिया।
मैं : चाची जान क्या बताओ आपको कितना मिस किया मैने।
यह कह कर मैने चाची को अपने उपर लेटा लिया और किस करने लगा।
चाची : छोड़ मुझे पागल, दरवाजा खुला है। कोई आ जायेगा।
मैने चाची को होठों को किस करने लगा तो वो मुझसे दूर हो गई और बैठ गई।
मै : क्या हुआ ??
चाची : मै तो नीचे जा रही हूं। तू आराम कर। तेरे साथ रहूंगी तो पक्का तू मरवाएगा मुझे।
मै : अच्छा अच्छा, चले जाना। यह बताओ ताऊजी ताई जी कहा है और कमला दीदी कहा है।
चाची : वो भाभी के मायके में किसी के यहां शादी थी कल तो, वहां गए हैं। शाम को आ जाएंगे।
ये कह कर चाची जाने लगी तो मैने हाथ पकड़ा और कहा चली जाना पहले थोड़ी देर बैठो ना मेरे पास। अच्छा कुछ नहीं करूंगा पर बैठो तोह सही।
चाची : अच्छा ठीक है ।
मै : अच्छा कमला दीदी का कुछ हुआ। मेरा मतलब कहीं शादी की बात चल रही है या नहीं।
चाची : कहा बात चलेगी उस मोटी की। जो देखने आते है उस मोटी को मुंह पर मना कर के चले जाते है।
मै : ऐसा क्यों बोल रही हो यार। वैसे भी कमला दीदी खुद परेशान रहती है अपने शरीर से, और तुम उसे ऐसा बोल रही हो।
चाची : मै क्या पूरा गांव यही बोलता है यार उसे। एक तोह रंग सावला है उपर से इतनी मोटी । कोई लड़का क्यू पसंद करेगा। और अगर पसंद करेगा तो भी मोटा दहेज देगा पड़ेगा।
चाची बोल ही रही थी। कि मैने उनकी एक चूची पकड़ कर जोर से मसल दी।
चाची : आह.....।।।
चाची : कामिना कहीं का।।।
जा रही हूं मै नीचे।
यह कह कर चाची नीचे चली गई और मै अपना समान ठीक। से रखने लगा।