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Aap Is story ko kaisa dekhna chahenge?


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pashwin87

Member
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63
thi...subah ke 5 baj rahe the par yahan abhi sona baki tha baki log bhi sone ki tayyari mein hi the or phir main bua ki chuchhiyo ko pakadkar or unke upar pair chadhakar Aankhein band karke let gaya or kab so gaya mujhe khud pata na chala.....
अपडेट 51

सोने के बाद जब मेरी आंख खुली तो काफ़ी समय तो में बस ये ही सोचता रह गया कि मैं कौन सी दुनिया में हूं कहां हूं क्या कर रहा हूं शायद ज़्यादा ही गहरी नींद सोया था, पर जब सब समझ आया तो फिर सब कुछ याद आ गया।
कमरे में नजर घुमाकर देखा तो सिर्फ मैं ही अकेला था बाकी सब लोग उठ कर जा चुके थे। घड़ी पर नज़र घुमाई तो 11 बज रहे थे, मै उठा और फिर फ्रेश होने चला गया, बाहर जाकर देखा तो सब जागे हुए थे और किसी ना किसी काम में लगे हुए थे उनके चेहरों को देखकर कोई ये नहीं का सकता था कि ये वो ही परिवार है जो चन्द घंटो पहले हवस के ऐसे खेल में डूबा हुआ था जो समाज की नज़रों में किसी पाप से कम नहीं, पर यहां किसी को समाज की कोई चिंता नहीं थी।
मुझे बुआ ने देखा तो तुरन्त बोलीं - उठ गया मेरा बेटा चल बैठ जा तुझे चाय देती हूं।और आलू के परांठे बनाए हैं वो भी खाले बहुत पसन्द हैं ना तुझे।
मैं- हां बुआ बहुत ही ज़्यादा आपकी तरह, जितनी तुम्हारी ये गांड पसन्द है उतने ही।
ये कहते हुए मैंने बुआ के चूतड़ों पर हाथ रख लिया और दबाने लगा, पर बुआ ने तुरन्त मेरा हाथ हटा दिया और आंगन के दूसरी तरफ खाट पर बैठी जिया की ओर इशारा किया साथ ही सीढ़ियों पर रिमझिम भी बैठी थी तो मैंने हाथ हटा लिया,
और फिर बुआ ने नाश्ता दिया और मैंने बैठ कर गरमा गरम परांठे खाए, तो बुआ बोल पड़ी कि बेटा भाई साहब तुझे बुला गए हैं दुकान पर चला जा कुछ समान लेना है विनीत तो भैंस का चारा लेने गया है,
मैं- ठीक है बुआ मैं अभी जाता हूं और फिर खाना ख़त्म करके मैं दुकान की ओर निकल गया, दुकान पर पहुंच कर मैंने बड़े फूफाजी को बताया कि बुआ ने बोला है आने को तो वो मुझे सामान बताने लगे जो मैं उतारने लगा, दुकान में से पर समान निकालते हुए मुझे ये अहसास हुआ कि बड़े फूफाजी मुझसे नज़रें नहीं मिला रहे हैं, और सिर्फ़ काम की बात कर रहे हैं, मैं समझ गया शायद बड़े फूफाजी रात की वजह से थोड़ा शरमा रहे हैं उनकी झिझक अभी तक पूरी तरह नहीं खुली है।
मैं- तो फूफाजी कैसा लगा आपको रात को सब को चोदकर सबके साथ।
मेरा सवाल सुनकर बड़े फूफाजी थोड़ा चौंक गए मैंने भी जानकर ऐसी बात की थी फूफाजी से ताकि उनकी थोड़ी झिझक कम हो पर मेरी बात का काफ़ी देर तक कोई जवाब नही दिया उन्होंने तो मैंने दोबारा पूछा,
मैं - कहां खो गए फूफाजी कोई परेशानी है क्या,
फूफाजी- ना ना नहीं बेटा, कोई परेशानी नहीं है सब सब ठीक है,
मैं- अरे फूफाजी आप भी ना, मैं समझ सकता हूं कि आप झिझक रहे हैं पर अब इस बात का कोई मतलब नही है, अब तो समय है जो भी हो रहा है उसका लुत्फ़ उठाने का, और क्या आप नहीं चाहते थे ये सब।
फूफाजी- चाहता तो मैं भी था कर्मा पर सब कुछ इतनी जल्दी हुआ के अब सोचने पर थोड़ा अजीब लग रहा है, पर तू सही कह रहा है अब इन सबसे कोई फायदा नहीं है, अब मैं भी कोशिश करूंगा कि च्चू चुदाई का भरपूर मज़ा लूं बिना किसी झिझक के।
मैं- मज़ा तो आपने भरपूर लिया था फूफाजी बस यहीं शर्मा रहे हो, रात तो खूब हुचक हूचक कर चोद रहे थे सबको,
फूफाजी मेरी बात सुनकर हंसने लगे और मुझे डांटते हुए बोले बहुत बदमाश है रे तू,
मैं- सब आपसे सीखा है फूफाजी,
बड़े फूफाजी- तूने सीखा है या तुझसे हम सबने सीखा है,
मैं- अच्छा फूफाजी एक बात थी जो शायद आपको अभी तक नहीं पता होगी या शायद किसी ने बताई होगी
बड़े फूफाजी- कौन सी बात बेटा?
मैं- वो बात आपके परिवार के बारे में ही है और जब आप सब कुछ जान गए हैं तो ये बात भी जानने का आपका पूरा हक है।
बड़े फूफाजी- ऐसी कौन सी बात है?
मैं- वो फूफाजी ......... और फिर मैंने उन्हें अपने ओर रिमझिम दीदी के बारे में शुरू से लेकर अंत तक सब कुछ बता दिया, शुरू होने से लेकर अंत होने तक फूफाजी के चेहरे के भाव बदलते रहे और अंत में वो एक गंभीर मुद्रा में थे, जब मेरी बात ख़त्म हो गई तो मैं चुप हो गया, थोड़ी देर खामोशी छाई रही और फिर कुछ पल बाद फूफाजी बोले- जा बेटा समान ले जा घर पर तेरी राह देख रहे होंगे,
मैं- ठीक है मैं जाता हूं इससे ज़्यादा कुछ कहना मुझे भी ठीक नहीं लगा और मैंने समान उठाया और घर आ गया, घर आकर सारा समान बुआ को दिया डब्बों में भरवाया फिर नज़र घुमाकर देखा तो मेरी नजर रिमझिम दीदी पर गई जो मुझे बड़ी अजीब नज़रों से देख रही थी, और मेरे देखते ही अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया,
मुझे समझ नहीं आया कि इन्हें क्या हुआ, फिर मैं अपने काम में लग गया और पूरी मदद करने के बाद मैंने सोचा अब क्या किया जाए तो मुझे एक ख़्याल आया और मैं घर में सब तरफ नज़रें घुमाने लगा पर जो मैं देखना चाह रहा था वो कहीं नहीं दिखा तो मैंने बुआ से पूछा- जिया कहां है बुआ?
बुआ - छत पर है शायद, व्यायाम कर रही होगी
मैं भी तुरंत छत पर आ गया तो मुझे जिया कहीं नहीं दिखी, फिर रिमझिम का कमरा देखा तो उसमे भी नहीं दिखी फिर दूसरा कमरा देखा तो गेट खुलते ही मैं ख़ुश हो गया, और क्यों ना हूं, सामने का नज़ारा ही कुछ ऐसा था, सामने कमरे के अंदर जिया एक्सरसाइज कर रही थी उसने इस समय एक टीशर्ट और एक बेहद टाईट पजामी पहन रखी थी जो उसके चूतड़ों से चिपकी हुई थी, जिससे उसकी गांड का उभार साफ़ दिखाई पड़ रहा था, ये नज़ारा देखते ही मेरा लन्ड खड़ा होने लगा, मेरे पजामे के अन्दर तम्बू बनाने लगा, इस वक्त वो उठक बैठक कर रही थी जिससे उसके चूतड और उभरकर बाहर आ रहे थे,


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उसके चूतड बाकी घर की और औरतों की तुलना में छोटे थे पर उसकी उम्र के हिसाब से बिल्कुल सही और उभरे हुए थे, खैर मैं बस उसको देखने लगा उसके शरीर की बनावट, उतार चढ़ाव, पतली कमर, उसके नीचे दो पतीले जैसे चूतड़....
मैं उसको देखने में इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला वो कब पलट कर मुझे देखने लगी,
वो मेरे चेहरे की ओर देख रही थी और में उसके बदन को, फिर जब मेरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो फिर उसने अपने दोनो रसीले होंठों को खोला और बोली- भइया आप यहां?
मैं- अरे वो तो मैं तुम्हे देख रहा था,
ये सुनकर वो थोड़ा शर्मा गई,
मैं- मेरा मतलब है कि तुम्हें एक्सरसाइज करते हुए देख रहा था कि ठीक कर रही हो या नहीं...
जिया- क्या आपको आती है एक्सरसाइज करनी?
मैं- हां सब आता है, एक्सरसाइज, खिंचाव कैसे करें, और भी कई सारी चीज़े सब कुछ कॉलेज में सिखाया गया है,
जिया- तो भैया मेरी मदद करो ना आप देखते रहना और मुझे रोक देना अगर मैं कुछ गलत करूं तो,
मैं- ये भी कोई कहने की बात है, तुम करो मैं देखता हूं
और फिर मैं कमरे के अंदर बेड पर आ कर बैठ गया वहीं मेरे सामने जिया एक्सरसाइज कर रही थी,
अब तो मुझे खुली छूट मिल गई थी उस ताड़ने की और मैं उसके बदन के हर अंग को अपनी आंखों में बसा रहा था वो बहुत ही मन लगाकर एक्सरसाइज कर रही थी पर मुझे अपना खड़ा लंड छुपाकर रखने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी मैंने अपने हाथ से उसे ढक रखा था पर लंड बड़ा था हाथो से भी नहीं छुपरहा था, ख़ैर ऐसे ही काफी देर तक ख़ामोशी में हम दोनों अपना काम करते रहे फिर वो बोली कि भैया ज़रा मेरी पीठ पर दबा दोगे मुझे पूरा खिंचाव करना है, मैं कहां मना करने वाला था
मैं तुरन्त उसके पीछे चला गया वो आगे की तरफ झुकी हुई थी, मैं उसके चूतड़ों के पीछे खड़ा हो गया और उसकी पीठ के निचले हिस्से पर दवाब देने लगा, उसकी गांड का मेरे करीब होने के अहसास से ही मेरा पहले से ही खड़ा लंड ठुमके मारने लगा मुझे भी शरीर में गरमी चढ़ने लगी, मन तो कर रहा था अभी लंड निकाल कर यहीं चोद दूं जिया को पर अपने आप पर काबू रख कर मैं उसकी मदद कर रहा था, फिर जिया बोली भैया थोड़ा ऊपर की तरफ से भी लगाओ तो मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर ऊपर की तरफ किए पर उससे मुझे जिया के और करीब जाना पड़ा जिससे मैं उसकी गांड से सट गया ओर मेरा लन्ड उसके चूतड़ों से छूने लगा और ये बात भी तय थी कि इसका अहसास उसको भी ज़रूर हुआ होगा, पर उसकी तरफ़ से कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दी तो मैंने भी अपनी कमर को ढीला छोड़ दिया और उसकी मदद करने लगा और बदले में उसके चूतड़ मेरे लंड की मदद करने लगे।
मैं जिया के कंधो के पास से उसकी पीठ को नीचे की तरफ दबा रहा था और पीछे से पूरी तरह से उसकी गान्ड से चिपका हुआ था, मेरा लंड अब उसके चूतड़ों के बीच दस्तक दे रहा था और वो भी ये महसूस कर रही थी पर कुछ बोल नहीं रही थी, मैंने उसकी खामोशी को उसकी मर्ज़ी समझ लिया और फिर अपने हाथों को उसकी पीठ पर चलाने लगा, कन्धे से हाथ को फिरात हुए नीचे उसके चूतड़ों के किनारे तक लाता और फिर वापस ऊपर ले जाता उसके चिकने जवान शरीर पर हाथ फिराने और उसकी जवानी को महसूस करने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, जब उसने कोई भी जवाब नहीं दिया तो मेरा हौसला और बढ़ गया, मैंने अब हाथ ऊपर ले जाते हुए उसकी टीशर्ट को ऊपर खिसकाना शुरू कर दिया, धीरे धीरे उसकी टीशर्ट ऊपर होने लगी और उसका गोरा चिकना बदन दिखने लगा इतनी गोरी और चिकनी पीठ दिखते ही मेरा लंड बेकाबू होने लगा... मेरे हाथ के हर फेरे के साथ थोड़ी टीशर्ट ऊपर उठ रही थी और वो संगमरमर जैसा बदन मेरे सामने आ रहा था, धीरे धीरे उसकी टीशर्ट पीछे उसकी ब्रा जहां शुरू हो रही थी वहां तक पहुंच गई, मतलब अब उसकी पूरी कमर नंगी थी मैंने उसकी नंगी पीठ पर हाथ चलाने शुरू किए, इतनी चिकनी पीठ जिसपर हाथ ख़ुद ब ख़ुद फिसल रहा था जैसे मखमल का कोई कपड़ा हो, पीठ पर हाथ चलते हुए मेरा हौसला भी थोड़ा बढ़ गया और मैंने अब अपने हाथों को आगे की तरफ ले जाना शुरू कर दिया, उसकी चिकनी कमर को सहलाते हुए मैं अपना हाथ आगे उसके पेट पर गया तो उसका बदन कश्मकसाने लगा, मै उसके पूरे पेट और कमर को अपने हाथों से सहलाने लगा और कभी कभी मसल भी रहा था मेरे मसलने पर जिया के मुंह से एक हल्की सी आह निकल रही थी, इधर मेरे लंड का बुरा हाल था, ये फटने को हो रहा था और नीचे की तरफ दबे होने से दर्द भी हो रहा था मेरा लंड उसके चूतड़ों और मेरे बीच दबा हुआ था और उसकी गांड पर घिस रहा था, मैं अब उसके कोमल पेट और कमर को आटे की तरह गूंथ रहा था, उसका पूरा बदन अब थोड़े थोड़े झटके खा रहा था वो आंखे बंद किए सिर को झुकाए हुए मुझे अपने बदन से खेलने दे रही थी फिर मैंने अपने हाथ को थोड़ा ऊपर ले जाते हुए उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी जवान चूचियों पर रख दिया मेरा हाथ चूचों पर पड़ते ही वो झटके खाने लगी और उसके मुंह से बस भैया निकला उसके बाद अचानक से उसने अपने घुटनों को मोड़ा और वो अब नीचे होकर घुटनों और हाथों के बल चौपायबं गई उसके साथ साथ मैं भी अपने घुटनों पर आ गया उसके पीछे, अब ऐसा नज़ारा था जैसे मैं उसकी चुदाई कर रहा हूं कुतिया की तरह हम दोनों उसी पोजिशन में थे, पर मेरे लंड में अब हद से ज़्यादा दर्द बढ़ने लगा तो मैंने उसके पेट को मसलते हुए अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और पजामे के अंदर ही अबतक लंड का मुंह नीचे की ओर था वो मैंने उठाकर सामने जिया की गांड की तरफ कर दिया और फिर उसकी कमर को पकड़ कर अपने लन्ड के झटके उसके चूतड़ों पर मारने लगा,
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मेरे हर झटके के साथ जिया के मुंह से एक आह की सिसकारी निकल रही थी मेरा लंड तो जैसे कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूत में घुसा जा रहा था, मैं कमर आगे पीछे कर कर के अपने लंड को उसकी चूत पर दबा रहा था जिससे वो भी गरम हो रही थी मैंने लंड को घिसते हुए अपने हाथों को दोबारा उसकी चूचियों तक पहुंचाया और ब्रा के ऊपर से ही हल्के हल्के सहलाने लगा, मैंने एक बार थोड़ा दबाया तो जिया बोली- आह भैया नहीं,
मैने फिर अपने हाथ का दबाव कम कर लिया, उसकी टीशर्ट उसके गले में फंसी हुई थी नंगे पेट और कमर पर मेरे हाथ घूम रहे थे वहीं चूत पर मेरा लंड ठोकर मारकर अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था,
मैं - जिया तुमसे कुछ पूछूं?
जिया- अम्म हां भैया,
मैं- तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
वो मेरे सवाल से थोड़ा चौंक गई,
जिया- क्या मतलब भैया,?
मैने लंड की ठोकर को चूत पर मारते हुए दोबारा पूछा
मैं- ब्वॉयफ्रेंड जिया, इसका मतलब तो तुझे पता ही होगा,
जिया- आह हम्म मम्मी, ना नहीं भैया मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है,
मैं- सच में तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है?
जिया-हां भैया कोई आह्ह्हह्ह कोई नहीजेईईईईई है,
मुझसे भी अब ज़्यादा सहन नहीं हुआ और अब मैं उससे खुल कर बात करना चाहता था इसलिए
मैंने उसकी कमर पकड़ कर घुमा दिया और अब सीधा लिटा दिया और ख़ुद उसके ऊपर आ गया, मेरा चेहरा उसके चेहरे के ऊपर था मेरा वजन मैंने अपनी कोहनियों पर के रखा था मैं नहीं चाहता था कि वो फूल सी लड़की मेरे वजन से दब जाए, मेरा कमर से नीचे का हिस्सा उसके ऊपर था मेरा लंड उसकी चूत पर अब सामने से ठोकर मार रहा था, वो मेरी आंखों में देख रही थी, उसकी आंखों में थोड़ा नशा सा था तो थोड़ी घबराहट थी, हम दोनो का चेहरा करीब दो इंच दूर था एक दूसरे से, फिर मैंने उससे एक और सवाल पूछा,
मैं- क्या कभी किसी ने तुझे किस किया है?
वो मेरा सवाल सुनकर थोड़ा चौंकी ओर फिर शर्मा गई और फिर अपने सिर को ना में हिलाकर जवाब दिया, उसकी सांसे लंड के चूत पर घिसने की वजह से और साथ ही मेरे इतने पास होने की वजह से बहुत तेज़ और गरम हो गईं थीं,
मैं- तू झूठ बोल रही है इतनी सुन्दर लड़की का भी कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं होगा, ऐसा कैसे हो सकता है,
जिया- नहीं भैया सच में नहीं है कोई स्कूल में कुछ लड़कों ने कोशिश की पर मैंने उन्हें मम्म्मन्न
उसकी बात पूरी होती उससे पहले ही मैंने अपने होंठो को उसके होंठों पर रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा,
पहले तो उसने बस अपने होंठो को ऐसे ही खोल कर रखा और कुछ नहीं किया पर फिर कुछ पल बाद ही उसके हाथ मेरी पीठ पर आ गए और वो भी मेरा साथ देने लगी,
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उसके नरम कोमल रसभरे होंठों को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था, उसके हाथ मेरी पीठ पर कसे हुए थे, वो भी बिना किसी झिझक के मेरा साथ दे रही थी, मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिया जैसी खूबसूरत और कोमल लड़की के होंठों को पहली बार चूमने वाला मैं हूं, हम दोनों एक दूसरे के होंठों में खो चुके थे वो कभी मेरे निचले होंठ को चूसती तो मैं उसके ऊपर वाले होंठ का रस पी रहा होता फिर ऐसे ही इसका उल्टा, उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी तो वो अपनी जीभ को मेरी जीभ से रगड़ने लगी, और फिर मैंने उसकी जीभ को अपने मुंह में खीच लिया और चूसने लगा, नीचे से उसकी कमर अब अपने आप झटके ले रही थी और वो अपनी चूत को लंड पर घिस रही थी, एक दूसरे की जीभ को हम काफी देर तक चूसते रहे और फिर मैंने अपने होठों को उसके होठों से अलग किया और उसके गले में फंसी टीशर्ट को उतार दिया अब वो मेरे सामने ब्रा में थी मैंने उसके होठों पर दोबारा होंठ टीका दिए और फिर चूसने लगा साथ ही उसके ब्रा के कप को नीचे कर दिया तो उसके दोनों छोटे छोटे पर नए और कोमल चूचे मेरी आंखों के सामने आ गए और मैंने अपना होंठो को उसके होंठो से हटाया और कुछ देर उसकी जवान और कामुक चूचियों को निहारता रहा फिर अपना एक हाथ उसकी एक चूची पर रखा और दूसरी पर अपना मुंह रखकर चूसने लगा, मेरा मुंह और हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही वो झटपटाने लगी, पहली बार उसके अलावा किसी ने उसकी चूचियों को छुआ था तो इस अहसास से वो अब तक बिल्कुल अनजान थी और वासना में डूबती का रही थी मैं एक रसीले पके फल की तरह उसकी चूचियों को चूस रहा था
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और फिर कभी उसके खुले होठों को चूसने लगता अब जिया के मन में कोई झिझक नहीं रह गई थी वो पूरी तरह से मेरा साथ से रही थी, मैं भी कभी एक चूची को चूसता तो कभी दूसरी जिया के मुंह से आह भैया अहह ऐसी सिसकियां निकल रहीं थीं, उसके हाथ मेरे सिर को अपनी चूची पर दबा रहे थे, मैंने फिर अपनी जीभ से उसके निप्पल को कुरेदना चालू किया तो वो और उत्तेजित हो गई और कसके मेरे बाल पकड़कर दबाने लगी वहीं नीचे से उसकी कमर ऊपर उठ कर बिल्कुल मेरे लंड से चिपक गई और फिर कुछ पलों बाद उसका बदन झटके खाने लगा, मैं समझ गया कि जिया अपनी चुचियों के चुस्वाने से झड़ गई है, उसने मेरा सिर बाल पकड़कर अपनी चूची से हटाया और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठं रख दिए और ज़बरदस्त तरीके से चूसने लगी, और चूसते हुए ही अचानक पूरे बदन के कुछ झटकों के बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया और उसकी पकड़ भी मेरे सिर पर कुछ ढीली हो गई वहीं उसके होंठो ने भी अब धीरे धीरे होना शुरू कर दिया, और फिर वो पूरी तरह शान्त होकर लेट गई, उसकी सांसे बहुत तेज़ चल रही थी फिर थोड़ी देर बाद वो हांफते हुए ही बोली - ये क्या किया भैया इससे पहले मुझे कभी ऐसा फील नहीं हुआ, ऐसा लग रहा था कि मेरे शरीर से सारी ताकत ख़त्म होती जा रही है पर कभी ऐसा मज़ा भी नहीं आया,
मैं- अभी असली मज़ा तूने देखा कहां है, ये तो बस शुरुआत है,
जिया- फिर बाकी क्या होता है भैया,
मैं- इतनी भोली मत बन तुझे नहीं पता क्या होता है,?
जिया- भैया पता है पर कभी किया नहीं तो कैसा लगता है ये सब नहीं पता,
मैं- अच्छा पता है तो बता क्या होता है?
जिया- अरे वो ही भैया सेक्स। यही होता है बस.
मैं - सेक्स में क्या होता है?
जिया- लड़का लड़की की योनि में अपना लिंग डालकर करता है बस,
मैं- ये तो सब किताबी बाते हैं, ऐसे बात करेगी तो करते हुए बिल्कुल मज़ा नहीं आएगा।
जिया- तो कैसी बातें करते हैं भैया
ये कहते हुए उसने मुझे पलट लिया और मैं सीधा लेट गया और जिया मेरे कन्धे पर सिर रखकर मेरे ऊपर लेट गई,
मैं- सेक्स के दौरान तू जितनी गंदी बातें या अश्लील बातें करेगी उतना ज़्यादा मज़ा आएगा।
जिया - पर भैया मुझे गंदी बातें नहीं आती, मैं तो गाली भी नहीं देती।
मैं- सीख जाएगी उसकी चिंता मत कर बस तूने अब तक जो भी गंदे शब्द सुने हो वो सब याद कर और जो मैं तुझसे पूछूं वो बता
जिया- ठीक है भैया, पूछो।
मैं- सेक्स को और क्या क्या बोलते हैं,
जिया - संभोग, फॅकिंग,
मैं- और?
जिया - और वो.... भैया
मैं- देख शर्माएगी तो कुछ नहीं कर पाएगी, बिना झिझक के बोल,
जिया- भैया शर्म आती है तुम्हारे सामने।
मैं- इसमें शर्माना क्या और मैं खुद बोल रहा हूं तुझसे कहने को, फिर कैसी शर्म। अच्छा एक काम करते हैं एक चीज़ में बोलूंगा और एक तू अब ठीक है?
जिया - ठीक है भैया ऐसे शायद बोल पाऊं।
मैं- तो सेक्स को कहते हैं चुदाई.. क्या कहते हैं?
वो धीरे से झिझकते हुए बोली - चू चुदाई....
मैं - बिल्कुल सही.... अब इसे क्या कहते हैं बता?
मैंने उसकी चूची पर हाथ रखकर पूछा तो वो थोड़ा शरमाई फिर बड़े धीरे से बोली, स्तन, छाती, बूब्स।
मैं- और?
जिया - वो चूची।
और ये कहकर उसने अपना मुंह मेरे सीने में छुपा लिया।
फिर मैंने उसके पीछे गांड पर हाथ रखकर बोला - इसे कहते हैं गांड। तू बोल कर बता?
जिया - गांड हैं ना भैया?
मैं - हां बिलकुल सही, अब तेरी बारी बता इसे क्या कहते हैं?
मैंने अपना हाथ उसके पाजामके ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया तो पता चला पजामे का आगे का हिस्सा पूरा गीला था और मेरा हाथ पड़ते ही उसके मुंह से एक हल्की सी आह निकल गई। मैं भी कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
जिया - योनि आसाग्धघघ...... चपूपूपूट चूत। कहते हैं भैया आह।
मैं - अब तू पूछ तुझे किसका नाम जानना है?
तो उसने अपनी उंगली से मेरे पजामे में बने तम्बू की ओर इशारा किया तो मैं समझ गया ये लंड कि बात कर रही है पर फिर भी अनजान बनते हुए बोला - बता भी ऐसे समझ नहीं आ रहा.
तो उसने फिर से इशारा किया और बोली- भैया इसकी।
मैं- जैसे मैं तुझे हाथ रखकर पूछ रहा हूं वैसे पूछ ना.. सही से।
जिया - भैया आप बहुत बुरे हो
और फिर शर्मा कर अपना हाथ।मेरे पजामे में बने तम्बू पर रख दिया और फिर अचानक से बापिस हटा लिया जैसे छूने पर उसे कोई झटका लगा हो पर फिर हिम्मत करके उसने दोबारा हाथ रखा तो मेरा लंड भी झटके खाने लगा। मुझे भी उसके हाथ का मेरे लन्ड पर होने से बड़ा अच्छा लगा, पर अब भी लंड और हाथ के बीच कपड़े की दीवार थी।
मैं - इसे लिंग कहते हैं पर चुदाई की भाषा में इसे लंड या लौड़ा कहते हैं? कैसा लगा?
जिया- क्या भैया?
मैं- लंड, मतलब नाम इसका?
जिया - लंड हां लंड, अच्छा है बहुत ( वो पाजमे के ऊपर से ही सहलाते हुए बोली) और नाम भी बहुत अच्छा है।
मैं- नाम भी मतलब और कुछ भी पसंद आया क्या?
जिया - अरे वो नहीं भैया मेरा मतलब कि अच्छा नाम है।
मैं - चल ज़्यादा बन मत और ये बता चुदाई कैसे होती है बिल्कुल गंदे तरीके से बता...
जिया - वो लिंग को.....
मैं - क्या लिंग लिंग कर रही है जैसे पूछा वैसे बता ना
और ये कहते हुए मैंने उसकी चूत को दबा दिया और मसलने लगा तो वो थोड़ा कश्मकशाई और उसके हाथ की पकड़ मेरे लंड पर कपड़े के ऊपर ही थोड़ी टाईट हुई ।
जिया - वो वो भैया लंड को वो चूत में डाल कर चुदाई करते हैं।
मैं - देखा तुझे पता सब कुछ है बस बेकार में शर्माती है।
जिया - वो शर्म आती है भैया।
वो मुझे बहुत प्यारी लग रही थी मेरी बाहों में ऊपर नंगी लेटी हुई मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसके होठों को फिर से अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी, मैं उसके होंठों को चूसते हुए अपना एक हाथ नीचे ले गया और अपने लंड से उसका हाथ हटाया और फिर अपना पजामा नीचे करके लंड को बाहर निकाल लिया और मैं उसका हाथ दोबारा पकड़ कर रखता लंड पर उससे पहले ही उसने खुद अपना हाथ लंड पर रखा पर इस बार उसके हाथ में नंगा लंड आया जिसका एहसास होते ही उसकी आंखे जो होंठों को चूसने की वजह से बंद थीं वो खुल गईं और वहीं उसके होंठो की पकड़ भी मेरे होंठो पर बढ़ गई वो अब पागलों कि तरह मेरे होंठों को चूस रही थी साथ में ही लंड पर भी उसका हाथ ऊपर नीचे होने लगा, वहीं मैंने भी अपने हाथ से उसकी चूत को और दबाना चालू कर दिया जिससे वो और गरम होने लगी, कुछ पल बाद मैंने अपने हाथ को उसके पेट पर लाया और पेट को सहलाते हुए उसके पजामे की लस्टिक में फंसा कर नीचे की ओर खिसका दिया और धीरे धीरे चूतड़ों ओर जांघो से नीचे घटनों तक कर दिया साथ ही में लगातार उसके होंठों को चूस भी रहा था, फिर ऊपर हाथ लाया तो उसकी गीली पैन्टी पर हाथ पड़ा मैंने उसे भी झट से नीचे खिसका दिया और बापिस हाथ लाया तो मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर पड़ा जिसपर कोई बाल का नामोनिशान तक नहीं था एक दम चिकनी और रसीली चूत , उसके होंठो को महसूस किया तो आपस में जुड़े हुए थे मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपने होंठो को उससे हटाया और उठकर तुरन्त उसकी टांगो के बीच आ गया और मुझे उसकी अन चुदी चूत मेरी आंखों के सामने आ गई,
इतनी चिकनी और रसीली चूत आज तक मैंने किसी की नहीं देखी थी, पूरी चूत गीली थी एक दम गोरी बेदाग। मेरा हाथ ख़ुद दोबारा उसकी चूत पर चला गया और मैं चूत के इर्दगिर्द हाथ घुमाने लगा जिससे वो थोड़ी और गरम होने लगी
जिया - भैया आह आआआआआा ह्म्म बहुत अजीब सा लग रहा है
मैं- कुछ नहीं होगा अभी देख कितना अच्छा लगेगा, और ये कहके मैं उसकी चूत की खूबसूरती को हाथों से महसूस करने लगा
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जिया - हां भैया आह हम्म्म ऐसे ही अच्छा लग रहा है आह भैया।
जिया अपनी चूत रगड़वाने से गरम होती जा रही थी और मेरी उंगली का पूरा आनंद ले रही थी अपनी चूत पर।
फिर मैंने सहलाते हुए धीरे से एक उंगली उसके चूत के संकरे छेद में घुसाने के लिए उसके मुंह पर रखदी जिसके अहसास होते ही जिया की कमर झटके खाने लगी, मैंने फिर भी उंगली को थोड़ा अन्दर धकेल दिया उंगली भी बहुत फंस कर अंदर जा रही थी में सोचने लगा कि जब उंगली इतनी मुश्किल से जा रही है तो लंड वो भी मेरा कैसे जा पायेगा इतनी सी चूत में मैंने थोड़ी सी ही उंगली घुसेड़ कर अंदर बाहर करने लगा और उधर जिया के मुंह से सिसकियां निकलने लगी
जिया- आह भाईय मैं मर जाऊंगी मत करो ऐसा, मुझे ऐसा कभी मह आह मम्मी बहुत अच्छा लग रहा है माआ।
मैं उसके चेहरे और उसकी चूत को देखते हुए अपने काम में लगा हुआ था वहीं दूसरे हाथ से अपना लंड भी सहला रहा था। क्यूंकि लंड को भी अब ध्यान की ज़रूरत थी, मन तो कर रहा था अभी पूरा लंड जिया की चूत में डाल दूं और खूब चोदूं उसे पर मैं उसकी पहली च्चुदाई में ही उसे तकलीफ नहीं देना चाहता था। कुछ देर बाद मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से निकली और अपना मुंह उसकी चूत के मुंह पर टिका दिया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत पर ऊपर से नीचे की ओर फिराने लगा। मेरी जीभ के चूत पर पड़ते ही जिया तो जैसे बिना पानी के मछली की तरह तड़पने लगी और अपना सिर इधर उधर पटकने लगी, मेरे चेहरे को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मैं भी मज़े से उसकी अनछुई चूत को चाट रहा था, फिर मैंने अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी चूत के छेद के अंदर की ओर घुसेड़ दिया और मेरी जीभ के अंदर जाते ही जिया का बांध टूट गया और वो भरभराके झड़ने लगी उसकी चूत से काम रस बहने लगा जिसे मैं अमृत समझ के पीने लगा, बिना एक भी बूंद को ज़ाया किए मैं सारा रस पी गया जिया बिना जान के शरीर की तरह कुछ देर लेटी रही पर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर चलानी जारी रखी और कुछ देर बाद वो फिर से गरम हो गई, और आह भैया मार डाला कहके सिसकारियां भरने लगी।अब मुझसे भी सहा नहीं जा रहा था तो मैंने अपना मुंह हटाया और उसकी टांगों के बीच बैठ गया, मेरा लंड अब बस चूत मांग रहा था पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूं, मैं उसे चोदना भी चाहता था पर उस तकलीफ़ भी नहीं देना चाहता था, इतनी कम उम्र की कुंवारी लड़की को मैं पहली बार चोदने जा रहा था तो मन में एक अजीब सी घबराहट भी थी, ख़ैर मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया, लंड के चूत पर छूते ही जिया की नज़रें मेरी नज़र से मिली वो आंखों ही आंखो में मुझसे सवाल करने लगी कि क्या सच में आज मैं उसकी कुंवारी चूत को चोदने वाला हूं और उसे एक लड़की से औरत बनाने वाला हूं, और घबराहट और डर भी था जिसकी वजह से उसका सिर ना मैं हिलने लगा कि मैं जो करने जा रहा हूं वो ना करूं, पर मैं जानता था कि अगर अभी नहीं तो कभी नहीं, मैं अपने लन्ड को उसकी चूत के ऊपर ही घिसने लगा
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जिया मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाने भी लगी साथ में मेरा लंड उसकी चूत पर भी घिस रहा था,
कुछ देर ऐसे ही घिसने के बाद मैंने आगे बढ़ने के बारे में सोचा और लंड को चूत के द्वार पर ला कर रोक दिया, जिया ने तुरन्त आने वाले दर्द के इंतजार में आंखें बंद करली, पर मैंने लंड पर जब थोड़ा जोर डाला तो बो अंदर नहीं जा रहा था, उसकी चूत का छेद बहुत छोटा था वहीं मेरे लंड का टोपा काफ़ी मोटा था, मैंने फिर भी दोबारा झटका मारा तो लंड ऊपर की तरफ फिसल गया ऐसे ही कई बार कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ मेरे चेहरे पर भी अब गुस्सा और बैचेनी थी वहीं जिया अब और ज़्यादा घबराई हुई लग रही थी, मैंने एक बार फिर से लंड को चूत के द्वार पर रखा और जैसे ही धक्का लगाने को हुए पीछे से एक आवाज़ आई और हम दोनों ही चौंक गए -रुको तुम दोनों अभी।
मैंने तुरंत पीछे मुड़ कर देखा तो एक पल के लिए में दर गया पीछे चारु मामी थीं और हाथ में एक कटोरी पकड़े हुए खड़ी थी, मुझे तो पता था कुछ परेशानी नहीं उनसे पर मुझे जिया का दर था कि ना जाने वो कैसे प्रतइक्रिया देगी।
और हुआ भी कुछ ऐसा ही वो अपनी मम्मी की आवाज़ सुनकर वो डर गई और साथ में चौंक भी गई कैसे समझा पाएगी वो अपनी मम्मी को कि वो कर्मा के साथ इस तरह नंगी होकर क्या कर रही है, लेकिन तब तक चारु मामी हमारे करीब आ गईं थीं और उनको देखते ही जिया ने अपने हा थों से अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी । और कुछ बोलने की भी कोशिश करने लगी तो चारु मामी ने उसे शहह करके चुप करा दिया और हमारे बगल में आकर बैठ गई और कटोरी नीचे रख दी तो मैंने देखा उसमें तेल था जिसे देखकर मुझे बड़ी हैरानी हुई कि एक मां अपनी कुंवारी बेटी को चुदवाने के लिए ख़ुद से तेल लेकर आई है इससे कामुक दृश्य क्या हो सकता है, मैं इन्हीं खयालों में खोया था कि मुझे मेरे लंड पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने देखा कि चारु मामी मेरे लंड पर तेल लगा रही थी तो मैंने भी तेल की कटोरी में उंगलियों को डुबो के घुमाया और जब वो तेल में नहा गई तो हटाकर जिया की चूत पर लगा दी और उसकी चूत में तेल लगाकर उसे चिकना करने लगा और अपने लन्ड के लिए जगह बनाने लगा फिर मामी ने अपना हाथ मेरे लंड से हटाया और मेरे लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी, पर मैं बहुत हैरान हो गया कि मामी ने अपनी बेटी के सामने ही ऐसे कैसे पर जैसा हाल मेरा था उसका तो मुझसे भी बुरा हाल था वो समझने की कोशिश कर रही थी कि आख़िर ये हो क्या रहा है, उसकी मम्मी उसके सामने लंड चूस रही है और जब तक हम इन सवालों का जवाब ढूंढ पाते कि तब मामी ने कुछ ऐसा किया जिससे हम दोनों ही बिल्कुल चौंक गए l, मामी ने मेरा लंड मुंह से निकला और अपना मुंह अपनी बेटी की चूत के ऊपर टिका दिया और उसकी चूत चाटने लगी, मैं तो उत्तेजना से पागल ही हो ने लगा था वहीं जिया का हाल तो मुझसे कहीं अधिक अजीब था उसकी मम्मी ही उसकी चूत चार रही थी ये सोच कर वो और गरम होती जा रही रही थी, जिस मा ने बचपन से आज तक उसे पाला आज वो उसके शरीर के सबसे छुपा हुए अंग को अपनी जीभ से चाट रही है
जिया- आह मम्मी क्या कर रही हो आह ऐसे ही चाटो अपनी बेटी की चूत.... और अच्छे से आह
बस इन्हीं खयालों के चलते वो एक बार फिर से झड़ने लगी पर इस बार वो किसी और के नहीं अपनी मम्मी के मुंह पर झड़ रही थी जैसे ही उसका झड़ना शान्त हुआ चारु मामी ने तुरन्त अपना मुंह हटा लिया और एक बार तेल लेकर हाथों में जिया की चूत पर लगाया
और उधर उसकी चूत को अच्छे से गीला करने के बाद उन्होंने मेरे लंड के टोपे पर थोड़ा तेल लगाया और फिर लंड को पकड़कर अपनी बेटी की चूत पर रखा, एक मां ख़ुद अपने हाथों से मेरे लंड को अपनी बेटी की कुंवारी चूत पर रख रही थी और उसे चोदने के लिए बढ़ावा दे रही थी, चारु मामी ने मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया पर आगे बढ़ने से पहले मैंने उनको करीब खींचा और उनके होंठों को चूसने लगा जिया आंखों को बड़ा करके हमारी ओर देख रही थी और फिर होंठ अलग हुए तो मैंने टोपे को बिल्कुल छेद पर लगाकर अंदर की ओर धक्का दिया और ज़ोर लगाया तो टोपे का अगला हिस्सा बड़ी मुश्किल से अंदर जाने लगा मामी ने जिया की चूत की फांकों को उंगलियों से फैला दिया जिससे थोड़ी और जगह मिल गई,
जिया - मम्मी बहुत दर्द हो रहा है आह्व भैया मत करो मैं मर जाऊंगी,
चारु मामी- कुछ नहीं होगा मेरी बच्ची बस थोड़ा सा दर्द होगा और फिर बहुत सारा मज़ा और ये कहकर मामी आगे झुक गई और जिया के होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगी, जिया भी अपनी मम्मी का साथ से रही थी और खूब अच्छे से चूस रही थी अपनी मम्मी के होंठों को मैंने भी ये समय ठीक समझा और एक ज़ोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लंड टोपे के साथ जिया की चूत में फंस गया, जिया इस झटके से तड़पने लगी उसका शरीर इधर उधर होने लगा मैंने उसकी कमर को दबाए रखा नहीं तो लंड वापस निकल जाता उसकी चीख चारु मामी यानी उसकी मम्मी के मुंह में घुट कर रह गई, मैं उसको शान्त करने के लिए उसकी चूचियों को सहलाने लगा वहीं चारु मामी भी किस के साथ साथ उसके बदन पर हाथ फेरने लगी उसकी चूची को मेरे साथ दबाने सहलाने लगी फिर थोड़ी देर बाद जिया शान्त हुई तो मामी ने उसके होंठों को छोड़ा और फिर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी वहीं मेरा लंड एक दो इंच जिया की चूत में था और वो लम्बी लम्बी सासें ले रही थी,
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उधर चारु मामी ने अपनी साडी और ब्लाउज उतार दिया था और अब अपनी ब्रा उतार रही थी ब्रा के उतरते ही वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई वहीं मैं ओर जिया उनकी तरफ ही देख रहे थे तो वो थोड़ा शरमा गई और फिर उन्होंने अपना पेटीकोट भी नाड़ा खोलकर नीचे सरका दिया और अब वो पूरी तरह से नंगी हो गई, जिया भी आंखें फाड़ कर अपनी मा के नंगे बदन को घूर रही थी, इधर मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने हल्का सा धक्का लगा दिया जिससे लंड थोड़ा और अंदर सरका और किसी चीज़ से का कर टकरा गया मैं समझ गया कि ये उसकी चूत की झिल्ली है एक कुंवारी लड़की के कोमार्य का सबूत और शायद लड़की के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़, जिया का ध्यान वापिस मेरे लंड और अपनी चूत पर आ गया, उधर मामी पूरी नंगी होकर वापिस नीचे बैठ गईं और जिया के सिर को अपनी गोद में रख लिया और मुझे इशारा किया कि आगे बढूं, वो अपने हाथों से जिया की चुचियों को सहला रही थी तो मैंने भी देर ना करते हुए कमर का एक तेज़ झटका लगाया और मेरा लंड उसकी चूत कि झिल्ली को चीरता हुआ अंदर चला गया मामी ने अपने हाथ से उसके मुंह को ढक लिया ताकि उसकी चीख ज़्यादा तेज़ ना निकले और हुआ भी ऐसा ही जिया काफ़ी तेज़ चीखी पर हाथ की वजह से उसकी चीख यहीं दब कर रह गई। अगले कुछ मिनट तक सब कुछ शान्त और स्थिर रहा किसी ने कुछ नहीं किया बस जिया की सांसों की आवाज़ आ रही थी, फिर चारु मामी ने अपना सिर झुकाया और जिया की चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगी और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने लगी, मैंने भी उसकी कमर पर हाथ फेरना चालू कर दिया, मामी के झुके होने से उनकी बड़ी बड़ी चूचियां जिया के चेहरे पर थीं जिन्हें जिया ने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी, जब जिया का ध्यान थोड़ा बंट गया तो इसका फायदा उठाते हुए मैंने एक झटका और मारा और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, उसकी चूत इतनी टाईट थी कि मुझे लग रहा था मानो मेरा लंड भी कई जगह से छिल गया है, मेरे झटके की वजह से जिया का शरीर अकड़ा ज़रूर पर मामी की चूची उसके मुंह में होने की वजह से कोई चीख नहीं निकली, और कुछ देर बाद जिया ठीक हुई तो मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू किया और लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा, इतनी टाईट चूत मैंने इससे पहले नहीं चोदी थी और मुझे दर्द के साथ साथ मज़ा भी आ रहा था, लंड पूरा घिस के अंदर बाहर हो रहा था मैं हल्के धक्कों से जिया को चोदने लगा चारु मामी अपनी चूची को बेटी से चुसाते हुए अपना हाथ नीचे लाकर उसकी चूत को उपर से सहलाने लगी वहीं मैं हल्के धक्कों से उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मा के सामने।
Hump-One-Lick-Two
चारु मामी - हां कर्मा चोद मेरी बेटी को आज तूने इसे लड़की से औरत बना दिया, जैसे तूने मुझे अपने इस मूसल से चोद चोद कर खुश किया है अब मेरी बेटी को भी करदे,
मैं- क्या टाइट चूत है मामी तुम्हारी बेटी की ऐसी चूत तो आजतक नहीं चोदी आह, बहुत मज़ा आ रहा है,
चारु मामी - हां बेटे चोद इसे, मैंने अपनी बेटी को सारे सुख दिए हैं, अब तक बस लंड का सुख रह गया था वो भी तुझसे दिलवा दिया, तू बता वेटी कैसा लग रहा है,
जिया ने अपना मुंह मामी की चूची से हटाया
जिया - हां मम्मी बहुत मज़ा आ रहा है ऐसा मज़ा कभी नहीं आया अगर मुझे पता होता इतना मज़ा आता है तो कब का चुदवा लेती, आह भैया बहुत बड़ा है और फिर अपनी मम्मी के हथों के सहलाने और मेरे द्वारा पहली चुदाई के प्रहार से जिया झड़ने लगी, तो मामी ने एक बार फिर से उसके होंठो को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगी, मा बेटी का ऐसा प्यार देखना सच में बहुत ही कामुक दृश्य था, मामी ने उसके होंठों को छोड़ा तो मेरे होंठों को चूसने लगी, मैं भी धक्के लगाते हुए उनके मुंह में जीभ डालकर चूसने लगा, फिर अपना मुंह हटाकर मामी ने मुझसे कहा चलो बेड पर चलते हैं तो मैंने जिया की चूत से लंड निकाला तो चूत में से रस और खून बहकर बाहर आने लगा वहीं थोड़ा मेरे लंड पर भी लगा हुआ था जिसे मामी ने एक कपड़े से साफ किया और जिया की चूत को भी मैं दोबारा जिया की टांगो के बीच आया तो जिया बोली भैया मुझे मम्मी को आपसे चुदाते हुए देखना है तो मामी और मैं थोड़ा मुस्कुराए फिर मामी ने मुझे नीचे लेटने को बोला और मैं लेट गया वहीं मामी मेरे ऊपर आकर अपनी दोनों टांगो को फैलाकर मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर लगाया और नीचे बैठ गई और मेरा लंड उनकी चूत में समा गया,और मामी मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी, उनकी चूत में मेरे लंड का दर्द थोड़ा कम हो गया था जो जिया की चूत मारने से हो रहा था, मैं मामी की कमर पकड़ कर उन्हें अपने लंड पर उछालने लगा, जिया अपनी चूत सहलाते हुए हम दोनों को देख रही थी तो मैंने उसे अपने पास बुलाया और मेरे मुंह पर बैठ जाने को कहा, उसके एक मिनट सोचा फिर अपनी मम्मी की ओर मुंह करके मेरे मुंह पर अपनी चूत रखकर बैठ गई, मैं अपनी जीभ निकालकर उसकी ताज़ा ताज़ा खुली चूत को चाटने लगा।
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मैं दोनों मां बेटी को एक साथ मज़ा से रहा था दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए चुदाई का मज़ा ले रही थी जिया की चूत को मैं जीभ से चोद रहा था और मामी की चूत में मेरा लंड अंदर बाहर हो रहा था, जिया ने थोड़ा आगे बढ़कर फिर से अपनी मम्मी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया साथ में ही उनकी बड़ी बड़ी चूचयों को भी दबाने लगी, मामी अपनी बेटी से कहां पीछे रहने वाली थी वो भी जिया की छोटी छोटी चूची को मसलने लगी, फिर होंठो से होंठों को हटाकर जिया मामी की चूची चूसने लगी दोनों चुचियों को लगातार बदल बदल कर चूस रही थी जिससे मामी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वो और तेज़ तेज़ मेरे लन्ड पर उछलने लगी वहीं जिया का भी मेरी जीभ से बुरा हाल था वो भी मेरे मुंह पर अपनी चूत को आगे पीछे करके घिस रही थी और फिर वो मेरे मुंह में झड़ने लगी उसकी चूत से रस बहकर बाहर आने लगा और वो अपनी मम्मी को पकड़ कर झड़ने लगी और फिर झंडने के बाद मेरे मुंह से हटकर साइड में लेट गई। वहीं मामी का भी लग था था की वो भी अब झड़ने वाली है और वैसा ही हुए कुछ पल बाद मामी भी झडने लगी और उनकी चूत मेरे लंड पर बहुत टाइट हुई और ऐसा लगा वो मेरे लंड को चूत से निचोड़ रही हैं जो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ और में भी अपने शिखर पर पहुंच गया तो मैंने गुर्राते हुए बोला आह मामी मैं भी झड़ने वाला हूं तो तुरन्त जिया बोल पड़ी भैया मुझे भी देखना है आपको झड़ते हुए तो मामी तुरन्त मेरे ऊपर से हट गई और मैं जिया को लिटाकर उसके पेट के दोनों तरफ पैर करके उसके उपर आ गया और अपने लंड को हिलाने लगा और कुछ पल बाद ही मेरे लन्ड ने पिचकारी मारी हो सीधे उसके मुंह पर जा कर गिरी तो उसने अपनी जीभ निकाल कर उसे चाट लिया होंठ के पास से फिर दूसरी भी वहीं उसके बाद कभी चुचियों पर तो कभी गर्दन पर ऐसे ही मैं काफी देर तक उसके जवान बदन को अपने रस से नहलाता रहा और उसके बाद उसके उपर से हटकर साइड में लेट गया तो मामी जिया के ऊपर गई और उसके चेहरे से मेरा रस चाठ्ने लगी और फिर चाटने के बाद जिया के मुंह से मुंह लगाकर उसकी उसके स्वाद का अहसास कराने लगी ऐसे ही मामी ने अपनी बेटी के पूरे बदन को चाट चाट कर साफ कर दिया और सारा रस दोनों ने बांट बांट कर पी लिया।

इसके बाद क्या हुआ अगली अपडेट में, इसमें पहली बार मैं ने कुछ नया करने की कोशिश की आप लोग ज़रूर बताएं कैसा लगा। आपके कॉमेंट्स का इंतज़ार रहेगा, शुक्रिया।
Super hot 🔥🔥🔥🔥🔥
 
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TharkiPo

I'M BACK
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Super hot 🔥🔥🔥🔥🔥
Nice intro bro

Awesome update

Jaggu ne sabhya randi ki isi tar chut ki chusai kiIMG-20211226-134231

Bro karma ki papa or mamta chachi ek shandar chudai ki update chahiye bro

Waiting for next update

Nice update

Shandaar update
Aapki pratikriya ke liye bahut dhanyawad... Sneh barsate rahein
 
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Bhai maza aa gaya
Waiting for ur next dhansu update
Please update ki speed badao
Thodi si agar ho sake to
 
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prkin

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Abhi tak 75 chapters padhe hain.
76 mein maa bete ka khel hai to lalach mein ruk gaya ki smay nikaalkar padhunga.
fir vahin ruka raha hun kuch dinon se.
aaj uske age padhta hoon.
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Khair maa gusse se mere paas aai aur boli- tujhe bola tha na galti nahi karni koi.. ja kapde pan kar aaa..



Main daant sunkar jaldi se kapade uthakar ya kahun dhoti uthakar bhaga lakdi ki deewar ki taraf…


UPDATE 125



Jaldi se apane kapde utare aur wo dhoti lapet li sala poore badan par bas ek kapda tha wo bhi dhoti na andar kachha na kuch aur rahna tha in nangi auraton ke beech kya musibat thi…

Khair jab Bapis pahuncha to dekha maa bed par leti hui thi aur wo nangi aurat maa ke pair daba rahi thi…

Main bhi jakar bed par baith gaya aur maa se bola- waah poori seva karwai ja rahi hai…

Maa- kya bataun karma kitna araam mil raha hai… aur maine isko nahi kaha ye khud hi dabane lagi.. ek to kuch bolti bhi nahi hai ajeeb hain yahan ke niyam..

Me- kahan ajeeb hain itane mast to hain..

Maa- haan tujhe to ache lagenge hi nangi nangi auratein jo dekhne ko mil rahi hain..

Me- sirf dekhne ko nahi maa

Ye kahkar maine hath badhaya aur nangi aurat ke chutado ko sahlane laga… par maa ne dekh lia

Maa-karma hath hata maar khayega abhi.

Me- offo maa meri haalat kharab ho rahi hai itani sari nangi auraton ko dekhkar raha nahi ja raha…

Maa- bola na nahi to nahi.



Udhar jahan Karma aur Maa ki bahas chal rahi thi ek doosre kaksh mein Haal thoda sa Khushnuma tha…

Mausi ne kapde badal liye the aur saree blouse mein baithi thi par Anuj pichle 10 minute se deewar ke peeche hi tha..

Mausi- are Anuj kya hua beta kitni der lagayega .

Anuj- kya karun Mausi ye dhoti bandh hi nahi rahi…

Mausi hanste huye are idhar aa main bandh deti hun…

Anuj-nahi Mausi..

Mausi-kyun kya hua…

Anuj- iske alawa kuch nahi hai andar se nanga hun main..

Mausi ko ye sunkar thodi sharm bhi ai aur kuch hua bhi.

Mausi- are to kya hua aaja bachha hai tu.

Anuj- nahi mujhe sharam aa rahi hai…

Mausi ko achanak se kuch soojha

Mausi- acha ek kaam karte hain tujhe mujhse sharam aa rahi hai na..

Anuj-haan

Mausi- to main ise bhejti hun ye madad kar degi Teri aur isse kya sharmana ye to pahle se poori nangi hai..

Anuj ne kuch sochte huye haan kahan.

Mausi ne sevika ko kaha.. usne haan mein sir hilaya aur dewar ke peeche chali gayi Mausi uske matakte chutadon ko dekh rahi thi.



Kuch der baad hi Mausi ko anuj ki ek halki si aah sunai di… mausi dar gayi ki ye aawaz kaisi kahin usne anuj ko kuch kar to nahi diya…

Mausi uth kar deewar ki or lapki aur jaisi hi deewar ke doosri or jhanka to chaunk gayi… samne ka nazara hi kuch aisa tha samne Anuj poora nanga khada hua tha aur sevika jo ki pahle se hi poori nangi thi apane ghutno par baithkar Anuj ka lund choos rahi thi…

Mausi ki to ye dekhkar aankhein badi ho gayi… unki nazar Anuj ke lund par tik gayi jo us nangi sevika ke muh mein andar bahar ho raha tha…

Kuch pal to Mausi usi sthiti mein jadwat dekhti rahi unke sharir mein bhi kuch kuch hone laga, unki choot bhi thoda sa kulbulai aur geeli hone lagi… lund ko dekhte guye muh mein pani sa aane laga par tabhi jaise Mausi hosh mein aai aur kadak awaaz mein boli- Anuj ye sab kya ho raha hai?



Anuj achanak se chaunk gaya aur jaldi se sevika se door ho gaya.

Mausi- acha ab ye karte huye sharam nahi aa rahi tujhe.?

Anuj bechara kya hi bolta nazar jhukaye khada raha… mausi ki nazarein kabhi anuj ke chehre par to kabhi uske lund par ghoom rahi thi.

Aur mausi ne aage badhakar tangi hui dhoti uthai Anuj ka hath pakada aur bahar le aai… aur bed ke samane laa kar khada kar diya…

Mausi- ab khada rah yun hi main pahanati hun dhoti

Aur Mausi use dhoti pahanane lagi… Anuj ka khada lund dhoti pahanane mein dikkat karne laga… Mausi bechari ke liye to aur mushkil tha na jane kitni mushkil se wo apane dhyan ko dhoti bandhne par laga rahi thi jo ki baar baar Anuj ke lund par ja raha tha khair kisi tarah se mausi ne dhoti bandh di aur anuj ko boli chal ab so chal kar.

Anuj muh banaye huye bed par jakar let gaya.



Jahan yahan Anuj ka muh bana hua tha… wohin bagal ke kaksha mein thoda chintit vatavaran tha.

Tai kapde badal kar bistar par tek lagakar leti hui thi.. wohin Jaggu deewar ke peeche khade khade kuch soch raha tha… usne dhoti to pahan li thi par wo bahar jane mein katra raha tha wajah thi uska khada lund jo dhoti mein saaf dikh raha tha…

Apani maa ke hote huye wo aisi sthiti mein pahli baar aaya tha, Karma aur Anuj tab bhi khule huye the par Jaggu to ab bhi jhijhak raha tha..

Itne mein use ek awaaz sunai di..

Manju Tai- are bachua ka hua, kitni der laga raha hai,

Jaggu-aaya mummy,

Bechara Jaggu ne kisi tarah lund ko neeche ki taraf kia aur bahar aaa gaya par jaise hi wo chala lund bapis seedha khada ho gaya…

Bahar aate hi Tai ne use dekha aur boli- ka hua re itani der laga raha thaa.

Baat khatm karte hi Tai ki nazar Jaggu ki ubhari hui dhoti par padi aur jaise hi unhe samajh aaya ki ye kyun uthi hui hai wo thoda sa chaunki sath hi sharma gayi.. aur nazar doosri taraf kar li.. unhe man hi man ajeeb lagne laga ki unke bete ka lund khada kyun hai .. par phir unki nazar nangi sevika par padi jo unke bistar ke kinare baith kar unke pair dabane lagi aur Tai ko samajh aa gaya ki bechare ki kya galti hai.. jab samne nangi aurat ghoomegi to lund to khada hoga hi.

Ye sab sochne ke baad bhi apane hi bete ka lund khada dekhkar kuch ajeeb si halchal man mein mach rahi thi. Baar baar unka man karne laga dhoti ke ubhar ko dekhne ka..

Jaggu bistar par aakar baith gaya.. nazarein jhukakar..

Uski halat dekhkar tai ne socha mahaul ko halka rakhna padega nahi to na jane bachua man hi man sharmata rahega… sadharan hi rahna hoga jaise kuchh hua hi na ho…



Manju Tai- are bachha let ja araam se tu bhi thak gaya hoga.

Jaggu- haan haan mummy let raha hun…

Manju Tai- aa ja

Jaggu leta to na chahkar bhi uski nazar nangi sevika par jane lagi jo ki uski maa ke pair daba rahi thi aur uska poora shareer aage peeche ho raha tha… chuchhiyan upar neeche ho kar use mohit kar rahi thi upar se lund fatne ko ho raha tha.

Kisi tarah se apane jazbaat ko dabaye Jaggu let gaya..

Wohin Manju Tai apane pairon ko dabaye jane par ahhhhh ahhh ki aram bhari awaazein nikal rahi thi. Jise sunkar jaggu ke man mein ajeeb se khayal aa rahe the, jaise ki uski mummy chudte huye bhi kya aisi hi awaaz nikalti hongi.. na chahte huye bhi wo ye sari Baatein dimag se hata nahi pa raha tha…



Wohin uski mummy thi jo uski mushkilen aur badha rahi thi wo pair dabbane mein itna khoti ja rahi thi ki apani saree ko ghutno tak sarka diya.. aur sevika se ache se pairon ki malish karne ko boli..

Apane mummy ke mansal ghutno ko dekhkar Jaggu ke man mein aur khayal aane lage ki uski mummy ki jaanghein kaisi hongi, wo bina kapdo ke kaisi lagengi.. unke doodh kaise honge… kya sevika jaisi lagengi ya Usse zyada kamuk…

Par usne khud ko samjhaya nahi uski mummy zyada kamuk hain unka shareer zyada bhara hua hai Unke chutad isse zyada bade hain..

Achanak se usne apane sir ko jhatka ki kya soch raha hai wo.. par phir se wo hi khayal uske man mein aane lage…



Idhar Tai ne kuch der apani tango ko dab baya phir Sevika ko hata diya aur neeche khisak kar let gayi .. saath hi Jaggu ko boli- bachha tu bhi pair dab wale… thak gaya hoga..

Jaggu- uhhhh nahi mummy theek hai aise hi.

Manju Tai- are nakhre mat kar… are bahan ji thoda baalak ka bhi daba deejiye na thak gaya hoga.

Jaggu- rahne do na mummy..

Manju Tai- chup chap let ja aur maalish karwale kam se kam . Kal pata nahi kya karna pade…

Jaggu ko akhirkar baat manni padi aur nangi sevika aakar uske pairon ke paas baith gayi aur.. uske pairon ki malish karne lagi..

Sevika ke nange hath pairon par padte hi Jaggu ke shareer mein current daud gaya wohin sevika ke hilne ki wajah se uski chuchhiyan jo aage peeche ho rahi thi unhe dekhkar Jaggu ka lund fudakne laga..

Manju Tai bhi usi waqt karwat lekar apane bete ki taraf muh karke let gayi aur letate hi unki nazar sabse pahle apane bete ki dhoti mein bane tambu par padi aur unke badan mein ek siharan fail gayi.. unki nazar wohin thahar gayi usi beech Jaggu ke lund ne ek thumka mara to tai jaise hosh mein aain aur phir unhone Jaggu kr chehre ki or dekha to paya uski nazarein nangi sevika ki chuchhiyo par tiki hui thi..

Manju tai ko man hi man apane faisle par pachhtava hone laga..Ki bechare ko maine aur musibat mein daal diya.. jawan khoon is umar mein kahan shant rah pata hai upar se ye mahaul kya karun ab wohin unki khud ki choot ye sab dekhkar geeli ho rahi thii.. jo unhe aur pareshaan kar rahi thi. Ye mujhe na jane kya ho raha hai meri choot apane bete ke bare mein soch kar kyun geeli ho rahi hai.

Tai jahan man ki udhedbun mein vyast thi unki aankhein tab bhi lagatar bete ki dhoti mein bane tambu par hi thi.. tabhi maalish karte huye sevika jab hath upar ki or lai to Jaggu ki dhoti ka ek sira uske hath mein ulajh gaya aue jaise hi hath neeche le gayi dhoti sath mein khinchati chali gayi aur achanak se Jaggu Ke lund par se hat gayi… bete ka nanga lund dekhkar to jaise tai ki saanse atak gayi.

Apane sage bete ka khada lamba lund mota topa tope ke beechon beech ek lund ras ki boond ubhar aai thi Tai ka man hua ek pal ko ki aage badh kar use chaat le phir khud ko daanta ki apane hi bete ke bare mein ye kya soch rahi hun main aur na chahte huye bhi nazarein hata li.. aur chehra doosri or ghuma lia..

Wohin Jaggu ko jaise hi ehsaas hua ki uska lund nanga hai usne use jaldi se dhak lia aur phir jaldi se apani mummy ko dekha to paya wo doosri taraf dekh rahi thi Jaggu ne chain ki saans li ki acha hua mummy ne nahi dekha.. tabhi dekhte huye uski nazar thoda neeche padi jahan blouse mein kasi hui uski mummy ki badi badi chuchhiyan upar neeche ho rahi thi aaj bina bra ke use aur ache se Mummy ki chuchhiyo ka ehsaas ho Raha tha.

Uske neeche nangi kamar aur pet usme padi silwatein jinhe dekhkar Jaggu ka lund pahle se bhi zyada kadak hogaya.

Use ehsaas hua ki nangi sevika se kahin zyada uttezit to wo apani maa ke bhare huye mansal kamuk badan ko dekhkar ho raha tha.

Inhi khayalo Mein dooba hua tha ki Tai ne apana chehra ghuma kar phir se Jaggu ki or dekha aur sabsr pahle nazar dhoti par hi gayi par Tai ko niraaha mili kyunki unke bete ka lund dhak chuka tha phir unhone uske chehre ki or dekha to use apani taraf dekhta paya jab dhyan se dekha aur nazar ka peecha kia to paya uski nazar unki chuchhiyon par hai.. ye ehsaas hote hi Tai ki choot andar hi andar kul bulai ki mera saga betaa mujhe kisi or nazar se dekh raha hai.

Kya uske man mein mere liye wo hi khayal aa rahe hain jo is nangi sevika ke liye honge kya uska lund mujhe dekhkar khada ho raha hai? Kya wo mujhe apani sagi maa ke sath wo sab itana sochte hi Tai ke shareer mein sansani hone lagi.. aur choot geeli hone lagi…

Phir bhi tai ne kisi tarah khud ko sambhala aur boli- Jaggu beta so ja ab…

Jaggu hadbadta hua hosh Mein aate huye bola- haan mummy sote hain

Aur ye kahkar usne sevika ko bhi mana kar diya aur let gaya… ajeeb si man mein udhedbun ke sath aur khade lund ke sath… Sevika bhi uthi aur ghoom kar bed ke doosri taraf aakar bed se neeche padi chhatai par jakar let gayi… Tai ne use neeche lete dekha to turant rok diya aur use bed par letne ko bola..

Yahi to hoti hai gaon ke bhole bhale logo ki baat kisi ko chhota nahi samajhte aur jo bhi hai mil baant kar khate hain usi ka praman Manju Tai ne diya..

Aao bahan upar leto tum.

Sevika ne baat suni aur muskura kar khadi ho gayi…

Manju Tai- jaggu bachua idhar khisak bahan ke liye jagah bana .

Tai ne Jaggu ko apani or khisakne ka ishara karte huye kaha Jaggu ne bhi turant khisak kar sevika ke liye jagah banai… sevika bhi Jaggu ke bagal mein aakar let gayi.. ab ek taraf se to jaggu ke maze ho gaye ki do do mast gadrai auraton ke beech leta tha aur mushkil ye ki khud ko kabu mein kaise kare ..

Wohin Jaggu ke khiskane se Wo Tai ke kareeb aa gaya tha jisse Tai ki saansein badh gayi …

Jaggu se khade lund ki tadpan bardasht karna ab mushkil ho gaya to usne karwat lene ki sochi aur sevika ki or karwat lekar let gaya aur Jaggu ki aankhon ke samne uski badi badi nangi chuchhiyan aa gayi… jinhe dekhkar Jaggu ke muh mein pani aa gaya…

Wohin sevika to shayad isi intezar mein thi jaise usne turant hi chhati aage kar ke apani chuchhiyo ko Jaggu ke muh de sata diya Jaggu ka muh khud ba khud khul gaya aur uske muh mein chuchhii chali gayi bas phir kya tha Jaggu ne kuch nahi socha aur uski chuchi ko choosne laga sath hi Sevika ka ek hath neeche pahunch gaya aur usne Jaggu ke lund ko dhoti se nikal lia aur hath se muthiyane lagi…

Jisse Jaggu ke muh mein chuchhii hone ke baad bhi ek dabi hui siski nikal gayi, jise tai ne suna jo doosri taraf karwat lekar so rahi thi.. aur unhe kuch gadbad lagi chupke se sir ko ghumakar aur dekhne ki koshish ki to nazar aaya ki Jaggu ka sir sevika ke seene par haule haule hil raha hai aur. Sevika ki aankhein band hain…

Tai ko samajhte der na lagi aur ek sath kai bhaw Tai ke dimag mein ghoomne lage, wo uttezit bhi hone lagi sath hi ek jalan ka bhaw aaya ki unka beta uski chuchhi ko chhod sevika ke doodh kyun pi raha hai, ye sochkar uttezit bhi hui ki unka beta unke hote huye himmat karke doosri stree ke sath wo sab kar raha hai jo aksar chhup ke kia jata hai… maa ke samne to bilkul nahi…

Tai ka dimag ghoomne laga wo kuch karna bhi Chahti thi par kya ye unhe samajh nahi aa raha tha…

Jab unhe kuch nahi soojha to unhone ek akhiri jo unhe samajh aaya daanv khela aur bapis sir aage ghuma kar boli- jagggu beta bahan ko dikkat ho rahi hogi tu aur idhar aa ja, meri taraf karwat le kar so ja…

Tai ki awaaz sunkar Jaggu ne hadbada kar apane muh ko sevika ki chuchhiyo se hataya aur ghoom gaya tai ne hath peeche lejakar use khudke paas khisakne ka ishara kia sath hi uska hath lekar apane mansal pet par rakh lia aur pyar se boli so ja ab.

Tai man hi man muskura rahi thi ye sochkar ki unhone apane bete ko apane paas kar lia usse door.

Par kya jise wo apani jeet samaj rahi thi wo sach mein jeet thi …Jaggu ki haalat aur buri ho gayi apani maa ke nange pet ka ehsaas hote hi Jaggu ke badan mein jhurjhuri hone lagi….

Uska lund fatne ko hone laga usne nazar thodi neeche ki to dekha uski maa ki balkhai peeth ke neeche badi si gand dono chutad ek doosre ke upar aise rakhe the jaise kisi ne do tarbooj ek ke upar ek rakh diye hon…. Jaggu ne apani kamar ko thoda peeche kar rakha tha jisse uska lund uski mummy ko na chhuye.. par samay ke sath Jaggu par mummy ke badan ka nasha chadhta ja raha tha uska hath tai ke chikne masal pet par khud ba khud phisalne laga ye tai ne bhi mahsoos kia par kuch nahi boli… jaggu har pal badhte josh ke sath apani mummy ke pet ko sahla kar maze le raha tha sahi galat ka bodh ab wo bhoolta ja raha tha aur aisa hi kuchh MANJU tai ke sath ho raha tha



Apane pet par apane bete ke hath ko chalta pakar Tai ki uttezna badhati ja rahi thi aur ab to Jaggu sirf sahla nahi raha tha balki unke masal pet ko masal bhi raha tha jisse tai ka muh to khulta par usse awaaz nahi nikal rahi thi aur phir na jane kaise jaggu ne himmat ki aur apani mummy se peeche se bilkul chipak gaya… jiska nateeja bada hi rochak hua Jaggu ka khada lund tai ke bade bade dono chutado ke beech saree ke upar se hi fans gaya Jaggu ki dhoti to khul kar uske neeche padi hui thi.

Apane bete ke lund ki chubhan ko apane chutado par mahsoos karte hi Tai ki saans atak gayi ek pal ko unka man hua palat kar us ke lund ko hath mein pamad lein aur use sahalayein par wohin unka dimag kah raha tha ki ye galat hai, mujhe Jaggu ko rokna chahiye… Wo bachha hai par main bahak nahi sakti..



Tai isi duvidha mein jadwat leti hui thi, wohin Jaggu jab chipak gaya to use thodi si ghabrahat hui thi apani mummy ki pratikriya ko lekar par jab koi pratikriya nahi aai to use laga shayad mummy so gayi hai.

Aur isi se Jaggu ki himmat ko par mil gaye aur wo haule haule se apani kamar ko aage peeche karke apane lund ko apani mummy ke dono chutado ki darar mein ghisne laga.

Tai ko apane bete ka lund apani gand ki darar mein ghista hua bahut achhe se mahsus ho raha tha kyunki beech mein sirf saree thi na hi peticoat aur na hi kachhii….

To tai ko aisa lag raha tha jaise unke bete ka lund seedha unki nangi gand par hi thokar maar raha hai bina peticoat ke to ye doori aur kam ho gayi thi…

Jaggu to ab hawas ke nashe mein sab bhool chuka tha aur apani mummy ke pet ko masalte huye peeche se apani kamar ko hila hilakar apane lund ko apani Mummy ke chutado mein ghis raha tha use bahut alag sa anubhav mahsoos ho raha tha aisa anubhav to apani Bhabhi palli ya mamta Chachi ko chod kar bhi mahsus nahi hua jo apani mummy ke chutado mein lund ke ghisne matra se ho raha tha.

Wohi Manju Tai ka bura haal tha unki choot rah rah kar pani baha rahi thi unka dimag unhe dhikkar Raha tha ki wo ye sab hone de rahi hai par unke man mein himmat nahi thi ki wo apne bete ko rok sakein… aur chupchap se sone ka naatak kar rahi thi.

Udhar Jaggu hawas ki aisi raah par nikal chuka tha jahan se Bapis lautna ab uske liye asambhav tha, aisa ahsas use kabhi nahi hua jaisa apani mummy ke chutado mein apane nange lund ko ghisne mein ho raha tha aur isi josh ke chalte uske hath jo uski mummy ke mansal pet par the sarakte huye upar unki chuchhiyon par pahunch gaye aur wo blouse ke upar se hi apani mummy ki papeete se badi chuchiyon ko masalne laga aur jaise hi Jaggu ko ye ehsaas hua ki uske hath mein uski mummy ki chuchhiyan hain uske shareer mein ek current daud gaya aur wo khud ko sambhal na saka, uska shareer peeche se poori tarah se uski mummy se chipak gaya… uski aankhein band ho gayi. Aur uska lund ne ras ugalna shuru kar diya jo ki uski mummy ke chutado ke upar ki saree ko bhigane laga…

Tai ko bhi pahla jhatka tab laga jab Jaggu ke hath unki chuchhiyon par aa gaye, unki to jaise jaan hi atak gayi jab wo unki chuchhiyon ko masalne laga aur phir wo dar gayi jab wo peeche se poori tarah se unse chipak gaya uska lund unki gand ki darar mein aise ghus gaya jaise saree mein chhed karke andar ghus jayega… aur phir unhe apani saree par kuchh garam Garam aur geela geela ehsaas hua, Aur phir jab unhe samajh Aaya ye kya hai to wo to tharthara uthi ki apane bete ka lund ras wo apani gand par mahsus kar rahi hain…



Jaggu peeche se tab tak apani mummy se chipka raha jab tak Ki uske lund ne apane ras ki ek ek boond na udhel di .. uske baad jab uski saanse thodi shant hui to wo alag hua aur use ye ehsaas hua ki usne ye kya kar diya hai, apani hi mummy ke sath ye sab ye sochkar wo pchhtane laga, use dar tha ki kahin uski mummy jaag to nahi gayi par jaagne par kuch pratikriya zaroor karti aur aisi harkat ke liye use dantati marti.. par unhone aisa kuch nahi kia matlab mummy so rahi hai. Ye sochkar Jaggu ne chain ki saans li, par Jaggu ek aur cheez se hairan tha ki jhadne ke baad bhi Jaggu ka lund jyun katyun waisa hi khada tha

To is baar Jaggu ne thoda socha ki har baar risk lena sahi nahi hai ek nazar usne apani mummy ki gand par dali.. saree geeli hokar chutadon se chipak gayi thi Jaggu sochne laga na jane subah Mummy ko pata chalega ya nahi. Iske baad Jaggu doosri taraf palta to hairan rah gaya, Sevika ki aankhein khuli hui thi aur wo use hi dekhkar kuch alag dhang se muskura rahi thi, jaggu ko laga tha ki wo so gayi thi par use jagta dekh jaggu kuch sakpaka gaya par phir sadharan hote huye Jaggu ne sevika ko kuch ishara kia…





Wohin Bagal wale kaksh mein anuj jab muh bana kar let gaya to Mausi bhi uske bagal mein bistar par aakar let gayi, aur sevika ek baar phir se aakar Mausi ke pairon ke paas baithkar unki saree ko ghutno tak uthakar unke pairon ko dabane lagi…

Mausi ne ek nazar Anuj ko dekha Jo ki doosri taraf muh karke leta hua tha, mausi ne socha ki bechare ko maine galat hi daant diya, hai to bachha hi jawan khoon hai itane sare nange badan ko dekhkar kaise kabu karega, jab mujhe hi jabse yahan aai hun ajeeb sa ehsaas ho raha hai wo to phir bhi bachha hai… kaise shant karega khud ko… maine bekar mein hi daant diya phir kuch socha aur boli:- Anuj beta Anuj?

Anuj ne pahle koi jawab nahi diya..

Mausi- Anuj so gaya kya?

Anuj Mausi ko bahut pyar karta tha aur Bahut manta tha to usne unhe zyada bhaw dikhana theek nahi samjha aur palat kar bola..

Anuj- haan Mausi.

Mausi- gussa ho gaya Mausi se?

Anuj- nahi to tumhari dant se bhi koi gussa hounga tum itna pyar karti ho to daant bhi sakti ho waise bhi meri galti thi.

Mausi- nahi beta galti teri nahi hai jis jagah aur halaat mein hum hain.. usme tu kya koi bhi bahak sakta hai.

Anuj- sach mein tum nujhse gussa nahi ho mausi?

Mausi- hattt main apane bachhe se gussa rah sakti hun kya?

Anuj khush ho gaya..

Mausi( kuch sochte huye):- aaj doodh nahi piyega?

Anuj ne aankhein badi karke sevika ki taraf ishara kia aur mausi ko chup rahne ko kaha..

Mausi ne kuch nahi kaha bas apane blouse ke button ko kholne lagi.. Anuj unhe hairani bhari nigahon se dekh raha tha aur kuch hi pal mein unka blouse poora khul chuka tha anuj ki aankhein fati hui thi

Mausi- ab dekhta hi rahega ya aayega bhi.

Anuj ko to bas sevika ka dar tha aur jab Mausi ki taraf se haan ho gayi to Anuj ko phir kiska dar aur wo mausi ke kareeb khisak kar chipak gaya.. Mausi ne bhi dono pato ko alag kar diya aur unki badi badi chuchhiyan nangi hokar bahar aa gayi jo ki roshni mein chamak rahi thi Anuj ne ek pal bhi na danwate huye apane muh ko mausi ki chuchhi par laga diya aur choosne laga…

Mausi ki nazar sevika par padi jo unke pair dabate huye Anuj ko unka doodh chooste huye dekh rahi tAur phir dono ki nazarein mili to mausi ne muskura kar apani safai mein bola- kya karun bahan isko bina doodh piye neend nahi aati bachpan ki aadat hai aur ab to meri bhi ho gayi hai isko pilate pilate.

Sevika bas muskurai aur phir se Anuj ko doodh chooste huye dekhne lagi.



Idhar Anuj ko Mausi ka doodh peene mein bahut maza aa raha tha par ek cheez use pareshan kar rahi thi… wo tha uska lund jo rah rah kar kulbula raha tha aur phoolta ja raha tha… tope mein rah rah kar khujli ho rahi thi jiskaran Anuj apani kamar ko baar baar hila raha tha aur Uska lund baar baar Mausi ki jangh mein takkar maar raha tha..

Halanki Anuj use shant karna chahta tha par mausi ki wajah se dar raha tha..

Jab baar baar jangh mein chubhan hone par mausi ne dhyan diya to unhe bhi Anuj ki pareshani ka ehsaas hua, Mausi kuch sochne lagi ki kaise Anuj ko is takleef se chutkara dilaya jaye…

Udhar Anuj unki chuchhiyon ki choos choos kar unhe garam kar raha tha, jiska seedha asar unki choot par ho raha tha jo ki nam ho rahi thi… Aur isi se uttezit hokar Mausi ne kuch socha jo ki shayad wo samanya paristhitiyon mein kabhi nahi sochti..

Mausi- suno bahan ek madad karogi?

Mausi ne Sevika se kaha, jis par Sevika ne unki taraf dekhkar sir hilaya…

Mausi ne Anuj ke lund ki taraf ishara karke kaha ki isko thoda shant kardo bechara bachha takleef mein hai.

Ye baat jab Anuj ke kano mein padi to wo chaunk gaya use to yakeen hi nahi hua ki sach mein Mausi aisa bol rahi hai..

Par ab tak apane pichle anubhavo khaskar chudai ke anubhavon se itana to wo seekh chuka tha ki hawas aur uttejana mein bahe huye insaan ke liye kuch bhi galat sahi nahi hota… aur usne ye dekhne ke liye ki Mausi ke dimag mein kya hai bina ruke unki chuchhi ko choosta raha…

Mausi ki baat sunkar sevika uthkar Anuj ke pairon ke paas baith gayi aur Anuj ka pair pakad kar use seedha lita diya jisse Anuj ka lund chhat ki or ho gaya.. par Anuj ne mausi ki chuchhi ko muh se nahi nikal diya…

Sevika ne anuj ke lund se dhoti hatai aur anuj ka khada damakta kathor lund nanga ho gaya jise dekhkar sevika ke sath sath Mausi ki aankhein bhi badi ho gayi… Sevika thodi aage hui aur bina kisi hichkichahat ke usne Anuj ke lund ke tope ko muh mein bhar lia… jise dekhkar Mausi ke muh se aaahhhhh nikal gayi wohin lund par garam muh ka ehsaas pakar Anuj ne bhi ek pal ko Mausi ki chuchi se muh hata lia aur uske muh se aahhh nikal gayi.

Wohin Mausi hairan thi kyunki unhe laga tha ki Sevika apane hath ka istemal karke Anuj ke lund ko shant karegi par ye to unse ek kadam aage nikali… udhar Anuj ne bapis apana muh Mausi ki chuchi mein laga lia.. aur man hi man khush hone laga ki sala kya kismat hai ek mast aurat jise pahli baar mila wo lund choos rahi hai aur main mausi ki chuchhiyo ko choos raha hun…

Sevika bhi poori shiddat se lund ko choos chaat rahi thi jise dekhkar Mausi ko jalan uttezna jaise kai bhaw aa rahe the.. lamba aur kadak lund dekhkar mausi uttezit ho rahi thi sath hi ek nangi aurat unke bhateeje ka lund choos rahi thi ye dekhkar aur garam ho rahi thi sath hi jalan ye ki uski jagah main kyun nahi hun.. kash Anuj ka kadak lumba garam lund abhi mere muh mein hota .par unka antarman unhe rok bhi raha tha ki ye galat hai…

Par bechaari Mausi ki aankhein usi par jami hui thi… sath hi Anuj ek chuchhii ko chooste huye doosri ko masal raha tha jisse unki pyas aur badh rahi thi.



Wohin unke bagal wale kamre mein main udaas hokar leta hua tha bagal mein maa letkar apane pair dabawa rahi thi Sevika se… mera lund tan kar chhat ki or muh karke khada hua tha jo ki dhoti ke bahar se saaf dikh Raha tha…

Kuch der baad maa ne Sevika ko roka aur boli- bahan ab tum bhi araam karo aur so jao.

To Sevika utar kar bed ke bagal mein padi chadar par letne lagi to maa ne roka aur kaha wahan nahi idhar bed par so jao… aur maa ne aur khisakkar Sevika ke liye jagah banai aur meri taraf ho gayi..

Ab maa beech mein thi main ek taraf aur Sevika doosri taraf..

Jab sone ke liye let gaye to maine kuch socha aur peeche se maa se chipak gaya… Mera lund saree ke upar se hi maa ke gadraye chutado ki darar mein fans gaya maine apana hath maa ke pet par rakh lia aur masalne laga…

Maa mujhe peeche dhakelne lagi aur phir chehra ghuma kar fusfusate huye boli- kya kar Raha hai karma ye ghar nahi hai ye dekhlegi to gadbad ho jayegi..

Me- par meri haalat bhi to dekho maa. Lund kitna akad gaya hai dard kar raha hai.

Maa- to hath se shant kar le na ..

Me- mera hath se shant nahi hota maa ya to muh se ya choot ya gand se… ye to tumhe bhi pata hai.

Maa-par yahan kuch nahi ho sakta,

Me-maa aise to nind bhi nahi Ayegi. Kaise so paunga main. Na to khud kuch karne de rahi ho aur na hi uske sath..

Maa- acha ruk ek kaam kar main so rahi hun tu meri jagah aaja aur agar ye manti hai to jo chahe kar le..

Me- par mera man to tumhare sath tha maa.

Maa-Karma.

Maa ne gusse se bola aur main jhat se utha aur maa bhi uthi aur hum dono ne apani apani jagah badal li ab main beech mein tha aur maa aur sevika mere ek ek taraf.. maa ne doosri taraf muh kar lia aur sone ki koshish karne lagi…

Ek baar maine maa par nazar dali saree mein unki badi si gand dekhkar mere lund ne ek baar thumka mara par mujhe pata tha maa kuch karne nahi degi to phir apana dhyan Sevika par lagaya. Waise badan to uska bhi behad mast tha gand bhi badi aur kasi hui maine apani dhoti ko utar fenka bed ke neeche aur nangi sevika se bilkul nanga hokar peeche se chipak gaya.

Mera lund uske chutado ke beech mere hath uski chuchi par mera sir uske kandhe par… is achanak hamle se bhi wo zara bhi nahi hichkichai balki apana ek hath upar lakar mere chehre par bade pyar se phiraya aur wohin doosra neeche le gayi aur apane chutado se peeche lejakar mere lund ko pakad liya aur do teen baar hath se sahlaya mujhe bada araam mila uska hath lund par pakar.



Phir usne achanak se mere lund ka topa apani choot ke muh par lagaya aur apani gand peeche ko dhakeli jisse merd lund ka topa Uski choot mein sama gaya..

Aahhh mujhe jo sukoon mila use shabdon mein bayan karna mushkil tha… maine use bahon mein kas lia aur phir do teen karare dhakke markar apana poora lund uski choot mein ghusa diya.

Mujhe aur sukoon mila wohin sevika ka muh bhi khula par koi awaaz nahi nikali… Lund choot mein jate hi main to apane hosh kho baitha aur phir Sevika ki kasi hui garam choot ke maze lene laga… wohin bed ki doosri taraf maa so rahi thi ya sone ki koshish kar rahi thi… nahi pata tha..



Main to bas dhakke par dhakke lagakar Sevika ki choot ki deewaro ko hila raha tha. Maine Sevika ko chodte huye hi jakda aur jakad ke apane upar kar lia aur apane upar bitha kar neeche se dhakke lagakar use chodne laga…


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chodte huye main uski dono tango ko pakad kar neeche se jhatke mar raha tha aur marte huye hi meri nazar side mein padi to dekha ki maa jo pahle humse doosri taraf muh karke leti hui thi unka muh ab humari taraf tha sath hi unki saree jangho tak uthi hui thi sath hi unka ek hath unki saree ke beech mein chal raha tha jabki unki aankhein kabhi band hoti to kabhi humari chudai par hoti…



Tabhi meri aur Maa ki nazar mili to maine ishare se poocha kya hua… ye sab sevika nahi dekh sakti thi kyunki uska chehra mere pairon ki taraf tha ..

Maa ne jawab mein naa mein sir hila diya… maine lagatar sevika ko chodna jari rakha maa ne mujhe ishare se sevika par dhyan dene ko kaha jo ki maine waise hi kia… kuch der yun hi chudne ke baad sevika mere lund se uthi aur uthne ke baad ghoom kar mera lund choosne lagi.. ye Sevika bolti zaroor na ho par chudai ke guno mein mahir thi.

Aur usi hunar ko wo mere Lund par dikha kar mujhe maza de rahi thi. Aaahhh kya jeebh chala rahi thi wo mere Lund ke tope par. Maza aa raha tha ki tabhi usne mere lund ko ek baar gale tak bhara aur phir bahar nikal diya aur ghodi ban gayi par is baar uska muh maa ki taraf tha..

Maa ne usko ghoomta dekh jaldi se aankhein band ki aur waise hi sone ka natak karne lagi seedhi peeth ke bal saree janghon ke upar saanse tez tez chalti hui, udhar sevika bhi thoda aage jakar ghodi bani thi jisse uska chehra maa ki janghon tak pahunch raha tha maine bhi jaldi se uske peeche jagah li aur ek baar aur apane lund ko uski choot mein daag diya aur machine ek baar phir se chalne lagi

Main aur Sevika chudai ke maze le rahe the to bechari maa fansi hui thi ab to sevika theek samne thi to ab to ungali karna to door aankhein kholna bhi mushkil tha. Sevika ne maa ki mushkil ko aur badha diya aur apana chehara jhukakar maa ki nangi jangh par tika diya aur maa ki jangh ka takiya bana lia..

Maa pairon par uska chehra mahsus karke aur tadapne lagi sath hi chudai ki thap thap thap ki awaaz aur meri aahhh ki jo Sevika ki garam choot marne par mere muh se nikal rahi thi maa ko aur garam kar rahi thi.. maa choot ko shant karna chahti thi par yahan ho kuch aur hi raha tha..

Sevika bhi ek ke baad ek aisi harkatein karke maa ko aur garam kar rahi thi jahan usne chehara rakha tha maa ki jangh par waha usne maa ki jangh ko choomna shuru kar diya jisse maa ka shant rahna aur mushkil ho gaya mere dwara mare gaye har dhakke par wo maa ki jangh par thoda aur aage badhkar choom leti.. maa ka muh ab rah rah kar khulkar band ho raha tha aankhein band ho chuki thi… muthhi kasi hui thi poora badan tadap raha tha…

Isi tarah kuch hi palon baad Sevika ka chehra jangh ke upar ke hisse tak pahunch gaya maa ki tadap bhi apani charam par thi sevika ka chehra maa ki choot ke bilkul kareeb pahuch gaya tha… main is sab se Anjan sevika ki choot ka anand utha raha tha.

Tabhi achanak se mere kaano mein maa ki ek tez aaahhhhh ki siski ki awaaz aai aur maine hairani se dekha maa ki taraf to meri aankhein badi ho gayi.. Maa ki saree kamar par thi dono tangein phaili hui thi aur dono tango ke beech Sevika ka sir tha aur uska muh maa ki choot se chipka hua tha maa ke hath Sevika ke sir par the aur uske sir ko apani choot par daba rahe the

Aisa nazara to maine kabhi sapne mein bhi nahi socha tha, ki meri maa ki choot par kisi aur aurat ka muh hoga thoda dhyan dene par paya ki wo apani jeebh maa ki choot par chala rahi thi aur maa aahhhhh ahhhh kar rahi thi… ye sab dekhkar mera bhi josh badh gaya aur main tabadtod dhakke lagane laga… Sevika ki choot mein.





Udhar Jahan Ek Sevika ek kamre mein maa aur bete ke beech mein ek kadi bani hui thi wohin ek doosre kaksha mein ek aur Sevika thi jo bed ke side mein khadi hokar bed par hath rakhkar jhuki hui thi aur Jaggu uske peeche se uski choot mein lund pel raha tha…


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tai bed ke doosre kone par leti hui sone ka natak kar rahi thi par andar hi andar unki choot mein cheentiyan raing rahi thi… wohin unka beta unko soya hua samajhkar sevika ki choot se apane lund ko shant kar taha tha… ek baar apani mummy ki gand par jhadne ke baad Jaggu dobara risk nahi lena chahta tha…

Isliye usne Sevika ko uthaya aur phir bistar se neeche laakar chodne laga jisse uski mummy ki neend bhi na toote aur wo chudai bhi kar sake kafi der chudai ke baad ab Jaggu ek baar phir se jhadne ki kagaar par tha aur ek do baar tagde jhatko ke baad Jaggu ne lund nikala aur na jane use kya sooja ki wo jaldi se bed par chadha aur jaise hi jhadne wala tha usne lund ka nishana ek baar phir se mummy ki gaand par kar diya aur dhar ke dhar mummy ki gand par marne laga… Manju tai ki pahle se bheegi saree aur geeli ho gayi jiska ehsaas Tai ko bhi hua pae bechari kuch kar bhi nahin sakti thi isliye chup chap jaise thi waise hi leti rahi wohin Jaggu jhadne ke baad chain ki saans lekar let gaya aur sone laga… Sevika bhi jagah par aakar let gayi par Tai ji ki neend ab bhi gayab thj aur unke dimag mein bhi kuch chal raha tha.



To KyA hoNa hAi Aur Kya Chal raha hai TaI Ke Dimag MEiN JaANeIn Agali Update Mein.
Doston kaisi lagi Update please comments karke zaroor bataayein.. dhanyawad bahut bahut.

Apke comments ka intezar hai.
ऐसे कैसे चलेगा भैया !!

खुली हो चुची और चिकनी चुत हो
खड़ा लण्ड रहे लेकिन चोदने पर रोक हो ।
ऐसे कैसे चलेगा भैया !!

गरदाई नंगी माल सामने हो और छूने पर रोक हो
पेलने का मन रहे लेकिन हिलाने पर भी रोक हो ।
ऐसे कैसे चलेगा भैया !!!

:lol:

मतलब घुमा फिरा कर सारे जोड़ो मे चुदाई का रोमांच घोल दिये हो और किरदार मजे भी ले रहे है ।

लाजवाब , झडन्तू और रोमांचक अपडेट कि पढते हुए मुठान्जली देनी पड जाये :shag:
 

TharkiPo

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Abhi tak 75 chapters padhe hain.
76 mein maa bete ka khel hai to lalach mein ruk gaya ki smay nikaalkar padhunga.
fir vahin ruka raha hun kuch dinon se.
aaj uske age padhta hoon.
Bhai please aage badho... Thodi raftaar badhao samay nikal kar aapki keemti pratikriya har update par aani chahiye
 
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TharkiPo

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ऐसे कैसे चलेगा भैया !!

खुली हो चुची और चिकनी चुत हो
खड़ा लण्ड रहे लेकिन चोदने पर रोक हो ।
ऐसे कैसे चलेगा भैया !!

गरदाई नंगी माल सामने हो और छूने पर रोक हो
पेलने का मन रहे लेकिन हिलाने पर भी रोक हो ।
ऐसे कैसे चलेगा भैया !!!

:lol:

मतलब घुमा फिरा कर सारे जोड़ो मे चुदाई का रोमांच घोल दिये हो और किरदार मजे भी ले रहे है ।

लाजवाब , झडन्तू और रोमांचक अपडेट कि पढते हुए मुठान्जली देनी पड जाये :shag:
तो दे दीजिए 21 बार मुथंजली,
वैसे आपकी इस तुकबंदी भारी प्रतिक्रिया का हमेशा ही इंतजार रहता है और रहेगा भी।
इतना प्यार दर्शाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
 

Gokb

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