thi...subah ke 5 baj rahe the par yahan abhi sona baki tha baki log bhi sone ki tayyari mein hi the or phir main bua ki chuchhiyo ko pakadkar or unke upar pair chadhakar Aankhein band karke let gaya or kab so gaya mujhe khud pata na chala.....
अपडेट 51
सोने के बाद जब मेरी आंख खुली तो काफ़ी समय तो में बस ये ही सोचता रह गया कि मैं कौन सी दुनिया में हूं कहां हूं क्या कर रहा हूं शायद ज़्यादा ही गहरी नींद सोया था, पर जब सब समझ आया तो फिर सब कुछ याद आ गया।
कमरे में नजर घुमाकर देखा तो सिर्फ मैं ही अकेला था बाकी सब लोग उठ कर जा चुके थे। घड़ी पर नज़र घुमाई तो 11 बज रहे थे, मै उठा और फिर फ्रेश होने चला गया, बाहर जाकर देखा तो सब जागे हुए थे और किसी ना किसी काम में लगे हुए थे उनके चेहरों को देखकर कोई ये नहीं का सकता था कि ये वो ही परिवार है जो चन्द घंटो पहले हवस के ऐसे खेल में डूबा हुआ था जो समाज की नज़रों में किसी पाप से कम नहीं, पर यहां किसी को समाज की कोई चिंता नहीं थी।
मुझे बुआ ने देखा तो तुरन्त बोलीं - उठ गया मेरा बेटा चल बैठ जा तुझे चाय देती हूं।और आलू के परांठे बनाए हैं वो भी खाले बहुत पसन्द हैं ना तुझे।
मैं- हां बुआ बहुत ही ज़्यादा आपकी तरह, जितनी तुम्हारी ये गांड पसन्द है उतने ही।
ये कहते हुए मैंने बुआ के चूतड़ों पर हाथ रख लिया और दबाने लगा, पर बुआ ने तुरन्त मेरा हाथ हटा दिया और आंगन के दूसरी तरफ खाट पर बैठी जिया की ओर इशारा किया साथ ही सीढ़ियों पर रिमझिम भी बैठी थी तो मैंने हाथ हटा लिया,
और फिर बुआ ने नाश्ता दिया और मैंने बैठ कर गरमा गरम परांठे खाए, तो बुआ बोल पड़ी कि बेटा भाई साहब तुझे बुला गए हैं दुकान पर चला जा कुछ समान लेना है विनीत तो भैंस का चारा लेने गया है,
मैं- ठीक है बुआ मैं अभी जाता हूं और फिर खाना ख़त्म करके मैं दुकान की ओर निकल गया, दुकान पर पहुंच कर मैंने बड़े फूफाजी को बताया कि बुआ ने बोला है आने को तो वो मुझे सामान बताने लगे जो मैं उतारने लगा, दुकान में से पर समान निकालते हुए मुझे ये अहसास हुआ कि बड़े फूफाजी मुझसे नज़रें नहीं मिला रहे हैं, और सिर्फ़ काम की बात कर रहे हैं, मैं समझ गया शायद बड़े फूफाजी रात की वजह से थोड़ा शरमा रहे हैं उनकी झिझक अभी तक पूरी तरह नहीं खुली है।
मैं- तो फूफाजी कैसा लगा आपको रात को सब को चोदकर सबके साथ।
मेरा सवाल सुनकर बड़े फूफाजी थोड़ा चौंक गए मैंने भी जानकर ऐसी बात की थी फूफाजी से ताकि उनकी थोड़ी झिझक कम हो पर मेरी बात का काफ़ी देर तक कोई जवाब नही दिया उन्होंने तो मैंने दोबारा पूछा,
मैं - कहां खो गए फूफाजी कोई परेशानी है क्या,
फूफाजी- ना ना नहीं बेटा, कोई परेशानी नहीं है सब सब ठीक है,
मैं- अरे फूफाजी आप भी ना, मैं समझ सकता हूं कि आप झिझक रहे हैं पर अब इस बात का कोई मतलब नही है, अब तो समय है जो भी हो रहा है उसका लुत्फ़ उठाने का, और क्या आप नहीं चाहते थे ये सब।
फूफाजी- चाहता तो मैं भी था कर्मा पर सब कुछ इतनी जल्दी हुआ के अब सोचने पर थोड़ा अजीब लग रहा है, पर तू सही कह रहा है अब इन सबसे कोई फायदा नहीं है, अब मैं भी कोशिश करूंगा कि च्चू चुदाई का भरपूर मज़ा लूं बिना किसी झिझक के।
मैं- मज़ा तो आपने भरपूर लिया था फूफाजी बस यहीं शर्मा रहे हो, रात तो खूब हुचक हूचक कर चोद रहे थे सबको,
फूफाजी मेरी बात सुनकर हंसने लगे और मुझे डांटते हुए बोले बहुत बदमाश है रे तू,
मैं- सब आपसे सीखा है फूफाजी,
बड़े फूफाजी- तूने सीखा है या तुझसे हम सबने सीखा है,
मैं- अच्छा फूफाजी एक बात थी जो शायद आपको अभी तक नहीं पता होगी या शायद किसी ने बताई होगी
बड़े फूफाजी- कौन सी बात बेटा?
मैं- वो बात आपके परिवार के बारे में ही है और जब आप सब कुछ जान गए हैं तो ये बात भी जानने का आपका पूरा हक है।
बड़े फूफाजी- ऐसी कौन सी बात है?
मैं- वो फूफाजी ......... और फिर मैंने उन्हें अपने ओर रिमझिम दीदी के बारे में शुरू से लेकर अंत तक सब कुछ बता दिया, शुरू होने से लेकर अंत होने तक फूफाजी के चेहरे के भाव बदलते रहे और अंत में वो एक गंभीर मुद्रा में थे, जब मेरी बात ख़त्म हो गई तो मैं चुप हो गया, थोड़ी देर खामोशी छाई रही और फिर कुछ पल बाद फूफाजी बोले- जा बेटा समान ले जा घर पर तेरी राह देख रहे होंगे,
मैं- ठीक है मैं जाता हूं इससे ज़्यादा कुछ कहना मुझे भी ठीक नहीं लगा और मैंने समान उठाया और घर आ गया, घर आकर सारा समान बुआ को दिया डब्बों में भरवाया फिर नज़र घुमाकर देखा तो मेरी नजर रिमझिम दीदी पर गई जो मुझे बड़ी अजीब नज़रों से देख रही थी, और मेरे देखते ही अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया,
मुझे समझ नहीं आया कि इन्हें क्या हुआ, फिर मैं अपने काम में लग गया और पूरी मदद करने के बाद मैंने सोचा अब क्या किया जाए तो मुझे एक ख़्याल आया और मैं घर में सब तरफ नज़रें घुमाने लगा पर जो मैं देखना चाह रहा था वो कहीं नहीं दिखा तो मैंने बुआ से पूछा- जिया कहां है बुआ?
बुआ - छत पर है शायद, व्यायाम कर रही होगी
मैं भी तुरंत छत पर आ गया तो मुझे जिया कहीं नहीं दिखी, फिर रिमझिम का कमरा देखा तो उसमे भी नहीं दिखी फिर दूसरा कमरा देखा तो गेट खुलते ही मैं ख़ुश हो गया, और क्यों ना हूं, सामने का नज़ारा ही कुछ ऐसा था, सामने कमरे के अंदर जिया एक्सरसाइज कर रही थी उसने इस समय एक टीशर्ट और एक बेहद टाईट पजामी पहन रखी थी जो उसके चूतड़ों से चिपकी हुई थी, जिससे उसकी गांड का उभार साफ़ दिखाई पड़ रहा था, ये नज़ारा देखते ही मेरा लन्ड खड़ा होने लगा, मेरे पजामे के अन्दर तम्बू बनाने लगा, इस वक्त वो उठक बैठक कर रही थी जिससे उसके चूतड और उभरकर बाहर आ रहे थे,
उसके चूतड बाकी घर की और औरतों की तुलना में छोटे थे पर उसकी उम्र के हिसाब से बिल्कुल सही और उभरे हुए थे, खैर मैं बस उसको देखने लगा उसके शरीर की बनावट, उतार चढ़ाव, पतली कमर, उसके नीचे दो पतीले जैसे चूतड़....
मैं उसको देखने में इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला वो कब पलट कर मुझे देखने लगी,
वो मेरे चेहरे की ओर देख रही थी और में उसके बदन को, फिर जब मेरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो फिर उसने अपने दोनो रसीले होंठों को खोला और बोली- भइया आप यहां?
मैं- अरे वो तो मैं तुम्हे देख रहा था,
ये सुनकर वो थोड़ा शर्मा गई,
मैं- मेरा मतलब है कि तुम्हें एक्सरसाइज करते हुए देख रहा था कि ठीक कर रही हो या नहीं...
जिया- क्या आपको आती है एक्सरसाइज करनी?
मैं- हां सब आता है, एक्सरसाइज, खिंचाव कैसे करें, और भी कई सारी चीज़े सब कुछ कॉलेज में सिखाया गया है,
जिया- तो भैया मेरी मदद करो ना आप देखते रहना और मुझे रोक देना अगर मैं कुछ गलत करूं तो,
मैं- ये भी कोई कहने की बात है, तुम करो मैं देखता हूं
और फिर मैं कमरे के अंदर बेड पर आ कर बैठ गया वहीं मेरे सामने जिया एक्सरसाइज कर रही थी,
अब तो मुझे खुली छूट मिल गई थी उस ताड़ने की और मैं उसके बदन के हर अंग को अपनी आंखों में बसा रहा था वो बहुत ही मन लगाकर एक्सरसाइज कर रही थी पर मुझे अपना खड़ा लंड छुपाकर रखने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी मैंने अपने हाथ से उसे ढक रखा था पर लंड बड़ा था हाथो से भी नहीं छुपरहा था, ख़ैर ऐसे ही काफी देर तक ख़ामोशी में हम दोनों अपना काम करते रहे फिर वो बोली कि भैया ज़रा मेरी पीठ पर दबा दोगे मुझे पूरा खिंचाव करना है, मैं कहां मना करने वाला था
मैं तुरन्त उसके पीछे चला गया वो आगे की तरफ झुकी हुई थी, मैं उसके चूतड़ों के पीछे खड़ा हो गया और उसकी पीठ के निचले हिस्से पर दवाब देने लगा, उसकी गांड का मेरे करीब होने के अहसास से ही मेरा पहले से ही खड़ा लंड ठुमके मारने लगा मुझे भी शरीर में गरमी चढ़ने लगी, मन तो कर रहा था अभी लंड निकाल कर यहीं चोद दूं जिया को पर अपने आप पर काबू रख कर मैं उसकी मदद कर रहा था, फिर जिया बोली भैया थोड़ा ऊपर की तरफ से भी लगाओ तो मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर ऊपर की तरफ किए पर उससे मुझे जिया के और करीब जाना पड़ा जिससे मैं उसकी गांड से सट गया ओर मेरा लन्ड उसके चूतड़ों से छूने लगा और ये बात भी तय थी कि इसका अहसास उसको भी ज़रूर हुआ होगा, पर उसकी तरफ़ से कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दी तो मैंने भी अपनी कमर को ढीला छोड़ दिया और उसकी मदद करने लगा और बदले में उसके चूतड़ मेरे लंड की मदद करने लगे।
मैं जिया के कंधो के पास से उसकी पीठ को नीचे की तरफ दबा रहा था और पीछे से पूरी तरह से उसकी गान्ड से चिपका हुआ था, मेरा लंड अब उसके चूतड़ों के बीच दस्तक दे रहा था और वो भी ये महसूस कर रही थी पर कुछ बोल नहीं रही थी, मैंने उसकी खामोशी को उसकी मर्ज़ी समझ लिया और फिर अपने हाथों को उसकी पीठ पर चलाने लगा, कन्धे से हाथ को फिरात हुए नीचे उसके चूतड़ों के किनारे तक लाता और फिर वापस ऊपर ले जाता उसके चिकने जवान शरीर पर हाथ फिराने और उसकी जवानी को महसूस करने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, जब उसने कोई भी जवाब नहीं दिया तो मेरा हौसला और बढ़ गया, मैंने अब हाथ ऊपर ले जाते हुए उसकी टीशर्ट को ऊपर खिसकाना शुरू कर दिया, धीरे धीरे उसकी टीशर्ट ऊपर होने लगी और उसका गोरा चिकना बदन दिखने लगा इतनी गोरी और चिकनी पीठ दिखते ही मेरा लंड बेकाबू होने लगा... मेरे हाथ के हर फेरे के साथ थोड़ी टीशर्ट ऊपर उठ रही थी और वो संगमरमर जैसा बदन मेरे सामने आ रहा था, धीरे धीरे उसकी टीशर्ट पीछे उसकी ब्रा जहां शुरू हो रही थी वहां तक पहुंच गई, मतलब अब उसकी पूरी कमर नंगी थी मैंने उसकी नंगी पीठ पर हाथ चलाने शुरू किए, इतनी चिकनी पीठ जिसपर हाथ ख़ुद ब ख़ुद फिसल रहा था जैसे मखमल का कोई कपड़ा हो, पीठ पर हाथ चलते हुए मेरा हौसला भी थोड़ा बढ़ गया और मैंने अब अपने हाथों को आगे की तरफ ले जाना शुरू कर दिया, उसकी चिकनी कमर को सहलाते हुए मैं अपना हाथ आगे उसके पेट पर गया तो उसका बदन कश्मकसाने लगा, मै उसके पूरे पेट और कमर को अपने हाथों से सहलाने लगा और कभी कभी मसल भी रहा था मेरे मसलने पर जिया के मुंह से एक हल्की सी आह निकल रही थी, इधर मेरे लंड का बुरा हाल था, ये फटने को हो रहा था और नीचे की तरफ दबे होने से दर्द भी हो रहा था मेरा लंड उसके चूतड़ों और मेरे बीच दबा हुआ था और उसकी गांड पर घिस रहा था, मैं अब उसके कोमल पेट और कमर को आटे की तरह गूंथ रहा था, उसका पूरा बदन अब थोड़े थोड़े झटके खा रहा था वो आंखे बंद किए सिर को झुकाए हुए मुझे अपने बदन से खेलने दे रही थी फिर मैंने अपने हाथ को थोड़ा ऊपर ले जाते हुए उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी जवान चूचियों पर रख दिया मेरा हाथ चूचों पर पड़ते ही वो झटके खाने लगी और उसके मुंह से बस भैया निकला उसके बाद अचानक से उसने अपने घुटनों को मोड़ा और वो अब नीचे होकर घुटनों और हाथों के बल चौपायबं गई उसके साथ साथ मैं भी अपने घुटनों पर आ गया उसके पीछे, अब ऐसा नज़ारा था जैसे मैं उसकी चुदाई कर रहा हूं कुतिया की तरह हम दोनों उसी पोजिशन में थे, पर मेरे लंड में अब हद से ज़्यादा दर्द बढ़ने लगा तो मैंने उसके पेट को मसलते हुए अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और पजामे के अंदर ही अबतक लंड का मुंह नीचे की ओर था वो मैंने उठाकर सामने जिया की गांड की तरफ कर दिया और फिर उसकी कमर को पकड़ कर अपने लन्ड के झटके उसके चूतड़ों पर मारने लगा,
मेरे हर झटके के साथ जिया के मुंह से एक आह की सिसकारी निकल रही थी मेरा लंड तो जैसे कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूत में घुसा जा रहा था, मैं कमर आगे पीछे कर कर के अपने लंड को उसकी चूत पर दबा रहा था जिससे वो भी गरम हो रही थी मैंने लंड को घिसते हुए अपने हाथों को दोबारा उसकी चूचियों तक पहुंचाया और ब्रा के ऊपर से ही हल्के हल्के सहलाने लगा, मैंने एक बार थोड़ा दबाया तो जिया बोली- आह भैया नहीं,
मैने फिर अपने हाथ का दबाव कम कर लिया, उसकी टीशर्ट उसके गले में फंसी हुई थी नंगे पेट और कमर पर मेरे हाथ घूम रहे थे वहीं चूत पर मेरा लंड ठोकर मारकर अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था,
मैं - जिया तुमसे कुछ पूछूं?
जिया- अम्म हां भैया,
मैं- तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
वो मेरे सवाल से थोड़ा चौंक गई,
जिया- क्या मतलब भैया,?
मैने लंड की ठोकर को चूत पर मारते हुए दोबारा पूछा
मैं- ब्वॉयफ्रेंड जिया, इसका मतलब तो तुझे पता ही होगा,
जिया- आह हम्म मम्मी, ना नहीं भैया मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है,
मैं- सच में तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है?
जिया-हां भैया कोई आह्ह्हह्ह कोई नहीजेईईईईई है,
मुझसे भी अब ज़्यादा सहन नहीं हुआ और अब मैं उससे खुल कर बात करना चाहता था इसलिए
मैंने उसकी कमर पकड़ कर घुमा दिया और अब सीधा लिटा दिया और ख़ुद उसके ऊपर आ गया, मेरा चेहरा उसके चेहरे के ऊपर था मेरा वजन मैंने अपनी कोहनियों पर के रखा था मैं नहीं चाहता था कि वो फूल सी लड़की मेरे वजन से दब जाए, मेरा कमर से नीचे का हिस्सा उसके ऊपर था मेरा लंड उसकी चूत पर अब सामने से ठोकर मार रहा था, वो मेरी आंखों में देख रही थी, उसकी आंखों में थोड़ा नशा सा था तो थोड़ी घबराहट थी, हम दोनो का चेहरा करीब दो इंच दूर था एक दूसरे से, फिर मैंने उससे एक और सवाल पूछा,
मैं- क्या कभी किसी ने तुझे किस किया है?
वो मेरा सवाल सुनकर थोड़ा चौंकी ओर फिर शर्मा गई और फिर अपने सिर को ना में हिलाकर जवाब दिया, उसकी सांसे लंड के चूत पर घिसने की वजह से और साथ ही मेरे इतने पास होने की वजह से बहुत तेज़ और गरम हो गईं थीं,
मैं- तू झूठ बोल रही है इतनी सुन्दर लड़की का भी कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं होगा, ऐसा कैसे हो सकता है,
जिया- नहीं भैया सच में नहीं है कोई स्कूल में कुछ लड़कों ने कोशिश की पर मैंने उन्हें मम्म्मन्न
उसकी बात पूरी होती उससे पहले ही मैंने अपने होंठो को उसके होंठों पर रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा,
पहले तो उसने बस अपने होंठो को ऐसे ही खोल कर रखा और कुछ नहीं किया पर फिर कुछ पल बाद ही उसके हाथ मेरी पीठ पर आ गए और वो भी मेरा साथ देने लगी,
उसके नरम कोमल रसभरे होंठों को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था, उसके हाथ मेरी पीठ पर कसे हुए थे, वो भी बिना किसी झिझक के मेरा साथ दे रही थी, मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिया जैसी खूबसूरत और कोमल लड़की के होंठों को पहली बार चूमने वाला मैं हूं, हम दोनों एक दूसरे के होंठों में खो चुके थे वो कभी मेरे निचले होंठ को चूसती तो मैं उसके ऊपर वाले होंठ का रस पी रहा होता फिर ऐसे ही इसका उल्टा, उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी तो वो अपनी जीभ को मेरी जीभ से रगड़ने लगी, और फिर मैंने उसकी जीभ को अपने मुंह में खीच लिया और चूसने लगा, नीचे से उसकी कमर अब अपने आप झटके ले रही थी और वो अपनी चूत को लंड पर घिस रही थी, एक दूसरे की जीभ को हम काफी देर तक चूसते रहे और फिर मैंने अपने होठों को उसके होठों से अलग किया और उसके गले में फंसी टीशर्ट को उतार दिया अब वो मेरे सामने ब्रा में थी मैंने उसके होठों पर दोबारा होंठ टीका दिए और फिर चूसने लगा साथ ही उसके ब्रा के कप को नीचे कर दिया तो उसके दोनों छोटे छोटे पर नए और कोमल चूचे मेरी आंखों के सामने आ गए और मैंने अपना होंठो को उसके होंठो से हटाया और कुछ देर उसकी जवान और कामुक चूचियों को निहारता रहा फिर अपना एक हाथ उसकी एक चूची पर रखा और दूसरी पर अपना मुंह रखकर चूसने लगा, मेरा मुंह और हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही वो झटपटाने लगी, पहली बार उसके अलावा किसी ने उसकी चूचियों को छुआ था तो इस अहसास से वो अब तक बिल्कुल अनजान थी और वासना में डूबती का रही थी मैं एक रसीले पके फल की तरह उसकी चूचियों को चूस रहा था
और फिर कभी उसके खुले होठों को चूसने लगता अब जिया के मन में कोई झिझक नहीं रह गई थी वो पूरी तरह से मेरा साथ से रही थी, मैं भी कभी एक चूची को चूसता तो कभी दूसरी जिया के मुंह से आह भैया अहह ऐसी सिसकियां निकल रहीं थीं, उसके हाथ मेरे सिर को अपनी चूची पर दबा रहे थे, मैंने फिर अपनी जीभ से उसके निप्पल को कुरेदना चालू किया तो वो और उत्तेजित हो गई और कसके मेरे बाल पकड़कर दबाने लगी वहीं नीचे से उसकी कमर ऊपर उठ कर बिल्कुल मेरे लंड से चिपक गई और फिर कुछ पलों बाद उसका बदन झटके खाने लगा, मैं समझ गया कि जिया अपनी चुचियों के चुस्वाने से झड़ गई है, उसने मेरा सिर बाल पकड़कर अपनी चूची से हटाया और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठं रख दिए और ज़बरदस्त तरीके से चूसने लगी, और चूसते हुए ही अचानक पूरे बदन के कुछ झटकों के बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया और उसकी पकड़ भी मेरे सिर पर कुछ ढीली हो गई वहीं उसके होंठो ने भी अब धीरे धीरे होना शुरू कर दिया, और फिर वो पूरी तरह शान्त होकर लेट गई, उसकी सांसे बहुत तेज़ चल रही थी फिर थोड़ी देर बाद वो हांफते हुए ही बोली - ये क्या किया भैया इससे पहले मुझे कभी ऐसा फील नहीं हुआ, ऐसा लग रहा था कि मेरे शरीर से सारी ताकत ख़त्म होती जा रही है पर कभी ऐसा मज़ा भी नहीं आया,
मैं- अभी असली मज़ा तूने देखा कहां है, ये तो बस शुरुआत है,
जिया- फिर बाकी क्या होता है भैया,
मैं- इतनी भोली मत बन तुझे नहीं पता क्या होता है,?
जिया- भैया पता है पर कभी किया नहीं तो कैसा लगता है ये सब नहीं पता,
मैं- अच्छा पता है तो बता क्या होता है?
जिया- अरे वो ही भैया सेक्स। यही होता है बस.
मैं - सेक्स में क्या होता है?
जिया- लड़का लड़की की योनि में अपना लिंग डालकर करता है बस,
मैं- ये तो सब किताबी बाते हैं, ऐसे बात करेगी तो करते हुए बिल्कुल मज़ा नहीं आएगा।
जिया- तो कैसी बातें करते हैं भैया
ये कहते हुए उसने मुझे पलट लिया और मैं सीधा लेट गया और जिया मेरे कन्धे पर सिर रखकर मेरे ऊपर लेट गई,
मैं- सेक्स के दौरान तू जितनी गंदी बातें या अश्लील बातें करेगी उतना ज़्यादा मज़ा आएगा।
जिया - पर भैया मुझे गंदी बातें नहीं आती, मैं तो गाली भी नहीं देती।
मैं- सीख जाएगी उसकी चिंता मत कर बस तूने अब तक जो भी गंदे शब्द सुने हो वो सब याद कर और जो मैं तुझसे पूछूं वो बता
जिया- ठीक है भैया, पूछो।
मैं- सेक्स को और क्या क्या बोलते हैं,
जिया - संभोग, फॅकिंग,
मैं- और?
जिया - और वो.... भैया
मैं- देख शर्माएगी तो कुछ नहीं कर पाएगी, बिना झिझक के बोल,
जिया- भैया शर्म आती है तुम्हारे सामने।
मैं- इसमें शर्माना क्या और मैं खुद बोल रहा हूं तुझसे कहने को, फिर कैसी शर्म। अच्छा एक काम करते हैं एक चीज़ में बोलूंगा और एक तू अब ठीक है?
जिया - ठीक है भैया ऐसे शायद बोल पाऊं।
मैं- तो सेक्स को कहते हैं चुदाई.. क्या कहते हैं?
वो धीरे से झिझकते हुए बोली - चू चुदाई....
मैं - बिल्कुल सही.... अब इसे क्या कहते हैं बता?
मैंने उसकी चूची पर हाथ रखकर पूछा तो वो थोड़ा शरमाई फिर बड़े धीरे से बोली, स्तन, छाती, बूब्स।
मैं- और?
जिया - वो चूची।
और ये कहकर उसने अपना मुंह मेरे सीने में छुपा लिया।
फिर मैंने उसके पीछे गांड पर हाथ रखकर बोला - इसे कहते हैं गांड। तू बोल कर बता?
जिया - गांड हैं ना भैया?
मैं - हां बिलकुल सही, अब तेरी बारी बता इसे क्या कहते हैं?
मैंने अपना हाथ उसके पाजामके ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया तो पता चला पजामे का आगे का हिस्सा पूरा गीला था और मेरा हाथ पड़ते ही उसके मुंह से एक हल्की सी आह निकल गई। मैं भी कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
जिया - योनि आसाग्धघघ...... चपूपूपूट चूत। कहते हैं भैया आह।
मैं - अब तू पूछ तुझे किसका नाम जानना है?
तो उसने अपनी उंगली से मेरे पजामे में बने तम्बू की ओर इशारा किया तो मैं समझ गया ये लंड कि बात कर रही है पर फिर भी अनजान बनते हुए बोला - बता भी ऐसे समझ नहीं आ रहा.
तो उसने फिर से इशारा किया और बोली- भैया इसकी।
मैं- जैसे मैं तुझे हाथ रखकर पूछ रहा हूं वैसे पूछ ना.. सही से।
जिया - भैया आप बहुत बुरे हो
और फिर शर्मा कर अपना हाथ।मेरे पजामे में बने तम्बू पर रख दिया और फिर अचानक से बापिस हटा लिया जैसे छूने पर उसे कोई झटका लगा हो पर फिर हिम्मत करके उसने दोबारा हाथ रखा तो मेरा लंड भी झटके खाने लगा। मुझे भी उसके हाथ का मेरे लन्ड पर होने से बड़ा अच्छा लगा, पर अब भी लंड और हाथ के बीच कपड़े की दीवार थी।
मैं - इसे लिंग कहते हैं पर चुदाई की भाषा में इसे लंड या लौड़ा कहते हैं? कैसा लगा?
जिया- क्या भैया?
मैं- लंड, मतलब नाम इसका?
जिया - लंड हां लंड, अच्छा है बहुत ( वो पाजमे के ऊपर से ही सहलाते हुए बोली) और नाम भी बहुत अच्छा है।
मैं- नाम भी मतलब और कुछ भी पसंद आया क्या?
जिया - अरे वो नहीं भैया मेरा मतलब कि अच्छा नाम है।
मैं - चल ज़्यादा बन मत और ये बता चुदाई कैसे होती है बिल्कुल गंदे तरीके से बता...
जिया - वो लिंग को.....
मैं - क्या लिंग लिंग कर रही है जैसे पूछा वैसे बता ना
और ये कहते हुए मैंने उसकी चूत को दबा दिया और मसलने लगा तो वो थोड़ा कश्मकशाई और उसके हाथ की पकड़ मेरे लंड पर कपड़े के ऊपर ही थोड़ी टाईट हुई ।
जिया - वो वो भैया लंड को वो चूत में डाल कर चुदाई करते हैं।
मैं - देखा तुझे पता सब कुछ है बस बेकार में शर्माती है।
जिया - वो शर्म आती है भैया।
वो मुझे बहुत प्यारी लग रही थी मेरी बाहों में ऊपर नंगी लेटी हुई मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसके होठों को फिर से अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी, मैं उसके होंठों को चूसते हुए अपना एक हाथ नीचे ले गया और अपने लंड से उसका हाथ हटाया और फिर अपना पजामा नीचे करके लंड को बाहर निकाल लिया और मैं उसका हाथ दोबारा पकड़ कर रखता लंड पर उससे पहले ही उसने खुद अपना हाथ लंड पर रखा पर इस बार उसके हाथ में नंगा लंड आया जिसका एहसास होते ही उसकी आंखे जो होंठों को चूसने की वजह से बंद थीं वो खुल गईं और वहीं उसके होंठो की पकड़ भी मेरे होंठो पर बढ़ गई वो अब पागलों कि तरह मेरे होंठों को चूस रही थी साथ में ही लंड पर भी उसका हाथ ऊपर नीचे होने लगा, वहीं मैंने भी अपने हाथ से उसकी चूत को और दबाना चालू कर दिया जिससे वो और गरम होने लगी, कुछ पल बाद मैंने अपने हाथ को उसके पेट पर लाया और पेट को सहलाते हुए उसके पजामे की लस्टिक में फंसा कर नीचे की ओर खिसका दिया और धीरे धीरे चूतड़ों ओर जांघो से नीचे घटनों तक कर दिया साथ ही में लगातार उसके होंठों को चूस भी रहा था, फिर ऊपर हाथ लाया तो उसकी गीली पैन्टी पर हाथ पड़ा मैंने उसे भी झट से नीचे खिसका दिया और बापिस हाथ लाया तो मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर पड़ा जिसपर कोई बाल का नामोनिशान तक नहीं था एक दम चिकनी और रसीली चूत , उसके होंठो को महसूस किया तो आपस में जुड़े हुए थे मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपने होंठो को उससे हटाया और उठकर तुरन्त उसकी टांगो के बीच आ गया और मुझे उसकी अन चुदी चूत मेरी आंखों के सामने आ गई,
इतनी चिकनी और रसीली चूत आज तक मैंने किसी की नहीं देखी थी, पूरी चूत गीली थी एक दम गोरी बेदाग। मेरा हाथ ख़ुद दोबारा उसकी चूत पर चला गया और मैं चूत के इर्दगिर्द हाथ घुमाने लगा जिससे वो थोड़ी और गरम होने लगी
जिया - भैया आह आआआआआा ह्म्म बहुत अजीब सा लग रहा है
मैं- कुछ नहीं होगा अभी देख कितना अच्छा लगेगा, और ये कहके मैं उसकी चूत की खूबसूरती को हाथों से महसूस करने लगा
जिया - हां भैया आह हम्म्म ऐसे ही अच्छा लग रहा है आह भैया।
जिया अपनी चूत रगड़वाने से गरम होती जा रही थी और मेरी उंगली का पूरा आनंद ले रही थी अपनी चूत पर।
फिर मैंने सहलाते हुए धीरे से एक उंगली उसके चूत के संकरे छेद में घुसाने के लिए उसके मुंह पर रखदी जिसके अहसास होते ही जिया की कमर झटके खाने लगी, मैंने फिर भी उंगली को थोड़ा अन्दर धकेल दिया उंगली भी बहुत फंस कर अंदर जा रही थी में सोचने लगा कि जब उंगली इतनी मुश्किल से जा रही है तो लंड वो भी मेरा कैसे जा पायेगा इतनी सी चूत में मैंने थोड़ी सी ही उंगली घुसेड़ कर अंदर बाहर करने लगा और उधर जिया के मुंह से सिसकियां निकलने लगी
जिया- आह भाईय मैं मर जाऊंगी मत करो ऐसा, मुझे ऐसा कभी मह आह मम्मी बहुत अच्छा लग रहा है माआ।
मैं उसके चेहरे और उसकी चूत को देखते हुए अपने काम में लगा हुआ था वहीं दूसरे हाथ से अपना लंड भी सहला रहा था। क्यूंकि लंड को भी अब ध्यान की ज़रूरत थी, मन तो कर रहा था अभी पूरा लंड जिया की चूत में डाल दूं और खूब चोदूं उसे पर मैं उसकी पहली च्चुदाई में ही उसे तकलीफ नहीं देना चाहता था। कुछ देर बाद मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से निकली और अपना मुंह उसकी चूत के मुंह पर टिका दिया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत पर ऊपर से नीचे की ओर फिराने लगा। मेरी जीभ के चूत पर पड़ते ही जिया तो जैसे बिना पानी के मछली की तरह तड़पने लगी और अपना सिर इधर उधर पटकने लगी, मेरे चेहरे को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मैं भी मज़े से उसकी अनछुई चूत को चाट रहा था, फिर मैंने अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी चूत के छेद के अंदर की ओर घुसेड़ दिया और मेरी जीभ के अंदर जाते ही जिया का बांध टूट गया और वो भरभराके झड़ने लगी उसकी चूत से काम रस बहने लगा जिसे मैं अमृत समझ के पीने लगा, बिना एक भी बूंद को ज़ाया किए मैं सारा रस पी गया जिया बिना जान के शरीर की तरह कुछ देर लेटी रही पर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर चलानी जारी रखी और कुछ देर बाद वो फिर से गरम हो गई, और आह भैया मार डाला कहके सिसकारियां भरने लगी।अब मुझसे भी सहा नहीं जा रहा था तो मैंने अपना मुंह हटाया और उसकी टांगों के बीच बैठ गया, मेरा लंड अब बस चूत मांग रहा था पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूं, मैं उसे चोदना भी चाहता था पर उस तकलीफ़ भी नहीं देना चाहता था, इतनी कम उम्र की कुंवारी लड़की को मैं पहली बार चोदने जा रहा था तो मन में एक अजीब सी घबराहट भी थी, ख़ैर मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया, लंड के चूत पर छूते ही जिया की नज़रें मेरी नज़र से मिली वो आंखों ही आंखो में मुझसे सवाल करने लगी कि क्या सच में आज मैं उसकी कुंवारी चूत को चोदने वाला हूं और उसे एक लड़की से औरत बनाने वाला हूं, और घबराहट और डर भी था जिसकी वजह से उसका सिर ना मैं हिलने लगा कि मैं जो करने जा रहा हूं वो ना करूं, पर मैं जानता था कि अगर अभी नहीं तो कभी नहीं, मैं अपने लन्ड को उसकी चूत के ऊपर ही घिसने लगा
जिया मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाने भी लगी साथ में मेरा लंड उसकी चूत पर भी घिस रहा था,
कुछ देर ऐसे ही घिसने के बाद मैंने आगे बढ़ने के बारे में सोचा और लंड को चूत के द्वार पर ला कर रोक दिया, जिया ने तुरन्त आने वाले दर्द के इंतजार में आंखें बंद करली, पर मैंने लंड पर जब थोड़ा जोर डाला तो बो अंदर नहीं जा रहा था, उसकी चूत का छेद बहुत छोटा था वहीं मेरे लंड का टोपा काफ़ी मोटा था, मैंने फिर भी दोबारा झटका मारा तो लंड ऊपर की तरफ फिसल गया ऐसे ही कई बार कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ मेरे चेहरे पर भी अब गुस्सा और बैचेनी थी वहीं जिया अब और ज़्यादा घबराई हुई लग रही थी, मैंने एक बार फिर से लंड को चूत के द्वार पर रखा और जैसे ही धक्का लगाने को हुए पीछे से एक आवाज़ आई और हम दोनों ही चौंक गए -रुको तुम दोनों अभी।
मैंने तुरंत पीछे मुड़ कर देखा तो एक पल के लिए में दर गया पीछे चारु मामी थीं और हाथ में एक कटोरी पकड़े हुए खड़ी थी, मुझे तो पता था कुछ परेशानी नहीं उनसे पर मुझे जिया का दर था कि ना जाने वो कैसे प्रतइक्रिया देगी।
और हुआ भी कुछ ऐसा ही वो अपनी मम्मी की आवाज़ सुनकर वो डर गई और साथ में चौंक भी गई कैसे समझा पाएगी वो अपनी मम्मी को कि वो कर्मा के साथ इस तरह नंगी होकर क्या कर रही है, लेकिन तब तक चारु मामी हमारे करीब आ गईं थीं और उनको देखते ही जिया ने अपने हा थों से अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी । और कुछ बोलने की भी कोशिश करने लगी तो चारु मामी ने उसे शहह करके चुप करा दिया और हमारे बगल में आकर बैठ गई और कटोरी नीचे रख दी तो मैंने देखा उसमें तेल था जिसे देखकर मुझे बड़ी हैरानी हुई कि एक मां अपनी कुंवारी बेटी को चुदवाने के लिए ख़ुद से तेल लेकर आई है इससे कामुक दृश्य क्या हो सकता है, मैं इन्हीं खयालों में खोया था कि मुझे मेरे लंड पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने देखा कि चारु मामी मेरे लंड पर तेल लगा रही थी तो मैंने भी तेल की कटोरी में उंगलियों को डुबो के घुमाया और जब वो तेल में नहा गई तो हटाकर जिया की चूत पर लगा दी और उसकी चूत में तेल लगाकर उसे चिकना करने लगा और अपने लन्ड के लिए जगह बनाने लगा फिर मामी ने अपना हाथ मेरे लंड से हटाया और मेरे लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी, पर मैं बहुत हैरान हो गया कि मामी ने अपनी बेटी के सामने ही ऐसे कैसे पर जैसा हाल मेरा था उसका तो मुझसे भी बुरा हाल था वो समझने की कोशिश कर रही थी कि आख़िर ये हो क्या रहा है, उसकी मम्मी उसके सामने लंड चूस रही है और जब तक हम इन सवालों का जवाब ढूंढ पाते कि तब मामी ने कुछ ऐसा किया जिससे हम दोनों ही बिल्कुल चौंक गए l, मामी ने मेरा लंड मुंह से निकला और अपना मुंह अपनी बेटी की चूत के ऊपर टिका दिया और उसकी चूत चाटने लगी, मैं तो उत्तेजना से पागल ही हो ने लगा था वहीं जिया का हाल तो मुझसे कहीं अधिक अजीब था उसकी मम्मी ही उसकी चूत चार रही थी ये सोच कर वो और गरम होती जा रही रही थी, जिस मा ने बचपन से आज तक उसे पाला आज वो उसके शरीर के सबसे छुपा हुए अंग को अपनी जीभ से चाट रही है
जिया- आह मम्मी क्या कर रही हो आह ऐसे ही चाटो अपनी बेटी की चूत.... और अच्छे से आह
बस इन्हीं खयालों के चलते वो एक बार फिर से झड़ने लगी पर इस बार वो किसी और के नहीं अपनी मम्मी के मुंह पर झड़ रही थी जैसे ही उसका झड़ना शान्त हुआ चारु मामी ने तुरन्त अपना मुंह हटा लिया और एक बार तेल लेकर हाथों में जिया की चूत पर लगाया
और उधर उसकी चूत को अच्छे से गीला करने के बाद उन्होंने मेरे लंड के टोपे पर थोड़ा तेल लगाया और फिर लंड को पकड़कर अपनी बेटी की चूत पर रखा, एक मां ख़ुद अपने हाथों से मेरे लंड को अपनी बेटी की कुंवारी चूत पर रख रही थी और उसे चोदने के लिए बढ़ावा दे रही थी, चारु मामी ने मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया पर आगे बढ़ने से पहले मैंने उनको करीब खींचा और उनके होंठों को चूसने लगा जिया आंखों को बड़ा करके हमारी ओर देख रही थी और फिर होंठ अलग हुए तो मैंने टोपे को बिल्कुल छेद पर लगाकर अंदर की ओर धक्का दिया और ज़ोर लगाया तो टोपे का अगला हिस्सा बड़ी मुश्किल से अंदर जाने लगा मामी ने जिया की चूत की फांकों को उंगलियों से फैला दिया जिससे थोड़ी और जगह मिल गई,
जिया - मम्मी बहुत दर्द हो रहा है आह्व भैया मत करो मैं मर जाऊंगी,
चारु मामी- कुछ नहीं होगा मेरी बच्ची बस थोड़ा सा दर्द होगा और फिर बहुत सारा मज़ा और ये कहकर मामी आगे झुक गई और जिया के होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगी, जिया भी अपनी मम्मी का साथ से रही थी और खूब अच्छे से चूस रही थी अपनी मम्मी के होंठों को मैंने भी ये समय ठीक समझा और एक ज़ोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लंड टोपे के साथ जिया की चूत में फंस गया, जिया इस झटके से तड़पने लगी उसका शरीर इधर उधर होने लगा मैंने उसकी कमर को दबाए रखा नहीं तो लंड वापस निकल जाता उसकी चीख चारु मामी यानी उसकी मम्मी के मुंह में घुट कर रह गई, मैं उसको शान्त करने के लिए उसकी चूचियों को सहलाने लगा वहीं चारु मामी भी किस के साथ साथ उसके बदन पर हाथ फेरने लगी उसकी चूची को मेरे साथ दबाने सहलाने लगी फिर थोड़ी देर बाद जिया शान्त हुई तो मामी ने उसके होंठों को छोड़ा और फिर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी वहीं मेरा लंड एक दो इंच जिया की चूत में था और वो लम्बी लम्बी सासें ले रही थी,
उधर चारु मामी ने अपनी साडी और ब्लाउज उतार दिया था और अब अपनी ब्रा उतार रही थी ब्रा के उतरते ही वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई वहीं मैं ओर जिया उनकी तरफ ही देख रहे थे तो वो थोड़ा शरमा गई और फिर उन्होंने अपना पेटीकोट भी नाड़ा खोलकर नीचे सरका दिया और अब वो पूरी तरह से नंगी हो गई, जिया भी आंखें फाड़ कर अपनी मा के नंगे बदन को घूर रही थी, इधर मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने हल्का सा धक्का लगा दिया जिससे लंड थोड़ा और अंदर सरका और किसी चीज़ से का कर टकरा गया मैं समझ गया कि ये उसकी चूत की झिल्ली है एक कुंवारी लड़की के कोमार्य का सबूत और शायद लड़की के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़, जिया का ध्यान वापिस मेरे लंड और अपनी चूत पर आ गया, उधर मामी पूरी नंगी होकर वापिस नीचे बैठ गईं और जिया के सिर को अपनी गोद में रख लिया और मुझे इशारा किया कि आगे बढूं, वो अपने हाथों से जिया की चुचियों को सहला रही थी तो मैंने भी देर ना करते हुए कमर का एक तेज़ झटका लगाया और मेरा लंड उसकी चूत कि झिल्ली को चीरता हुआ अंदर चला गया मामी ने अपने हाथ से उसके मुंह को ढक लिया ताकि उसकी चीख ज़्यादा तेज़ ना निकले और हुआ भी ऐसा ही जिया काफ़ी तेज़ चीखी पर हाथ की वजह से उसकी चीख यहीं दब कर रह गई। अगले कुछ मिनट तक सब कुछ शान्त और स्थिर रहा किसी ने कुछ नहीं किया बस जिया की सांसों की आवाज़ आ रही थी, फिर चारु मामी ने अपना सिर झुकाया और जिया की चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगी और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने लगी, मैंने भी उसकी कमर पर हाथ फेरना चालू कर दिया, मामी के झुके होने से उनकी बड़ी बड़ी चूचियां जिया के चेहरे पर थीं जिन्हें जिया ने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी, जब जिया का ध्यान थोड़ा बंट गया तो इसका फायदा उठाते हुए मैंने एक झटका और मारा और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, उसकी चूत इतनी टाईट थी कि मुझे लग रहा था मानो मेरा लंड भी कई जगह से छिल गया है, मेरे झटके की वजह से जिया का शरीर अकड़ा ज़रूर पर मामी की चूची उसके मुंह में होने की वजह से कोई चीख नहीं निकली, और कुछ देर बाद जिया ठीक हुई तो मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू किया और लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा, इतनी टाईट चूत मैंने इससे पहले नहीं चोदी थी और मुझे दर्द के साथ साथ मज़ा भी आ रहा था, लंड पूरा घिस के अंदर बाहर हो रहा था मैं हल्के धक्कों से जिया को चोदने लगा चारु मामी अपनी चूची को बेटी से चुसाते हुए अपना हाथ नीचे लाकर उसकी चूत को उपर से सहलाने लगी वहीं मैं हल्के धक्कों से उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मा के सामने।
चारु मामी - हां कर्मा चोद मेरी बेटी को आज तूने इसे लड़की से औरत बना दिया, जैसे तूने मुझे अपने इस मूसल से चोद चोद कर खुश किया है अब मेरी बेटी को भी करदे,
मैं- क्या टाइट चूत है मामी तुम्हारी बेटी की ऐसी चूत तो आजतक नहीं चोदी आह, बहुत मज़ा आ रहा है,
चारु मामी - हां बेटे चोद इसे, मैंने अपनी बेटी को सारे सुख दिए हैं, अब तक बस लंड का सुख रह गया था वो भी तुझसे दिलवा दिया, तू बता वेटी कैसा लग रहा है,
जिया ने अपना मुंह मामी की चूची से हटाया
जिया - हां मम्मी बहुत मज़ा आ रहा है ऐसा मज़ा कभी नहीं आया अगर मुझे पता होता इतना मज़ा आता है तो कब का चुदवा लेती, आह भैया बहुत बड़ा है और फिर अपनी मम्मी के हथों के सहलाने और मेरे द्वारा पहली चुदाई के प्रहार से जिया झड़ने लगी, तो मामी ने एक बार फिर से उसके होंठो को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगी, मा बेटी का ऐसा प्यार देखना सच में बहुत ही कामुक दृश्य था, मामी ने उसके होंठों को छोड़ा तो मेरे होंठों को चूसने लगी, मैं भी धक्के लगाते हुए उनके मुंह में जीभ डालकर चूसने लगा, फिर अपना मुंह हटाकर मामी ने मुझसे कहा चलो बेड पर चलते हैं तो मैंने जिया की चूत से लंड निकाला तो चूत में से रस और खून बहकर बाहर आने लगा वहीं थोड़ा मेरे लंड पर भी लगा हुआ था जिसे मामी ने एक कपड़े से साफ किया और जिया की चूत को भी मैं दोबारा जिया की टांगो के बीच आया तो जिया बोली भैया मुझे मम्मी को आपसे चुदाते हुए देखना है तो मामी और मैं थोड़ा मुस्कुराए फिर मामी ने मुझे नीचे लेटने को बोला और मैं लेट गया वहीं मामी मेरे ऊपर आकर अपनी दोनों टांगो को फैलाकर मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर लगाया और नीचे बैठ गई और मेरा लंड उनकी चूत में समा गया,और मामी मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी, उनकी चूत में मेरे लंड का दर्द थोड़ा कम हो गया था जो जिया की चूत मारने से हो रहा था, मैं मामी की कमर पकड़ कर उन्हें अपने लंड पर उछालने लगा, जिया अपनी चूत सहलाते हुए हम दोनों को देख रही थी तो मैंने उसे अपने पास बुलाया और मेरे मुंह पर बैठ जाने को कहा, उसके एक मिनट सोचा फिर अपनी मम्मी की ओर मुंह करके मेरे मुंह पर अपनी चूत रखकर बैठ गई, मैं अपनी जीभ निकालकर उसकी ताज़ा ताज़ा खुली चूत को चाटने लगा।
मैं दोनों मां बेटी को एक साथ मज़ा से रहा था दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए चुदाई का मज़ा ले रही थी जिया की चूत को मैं जीभ से चोद रहा था और मामी की चूत में मेरा लंड अंदर बाहर हो रहा था, जिया ने थोड़ा आगे बढ़कर फिर से अपनी मम्मी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया साथ में ही उनकी बड़ी बड़ी चूचयों को भी दबाने लगी, मामी अपनी बेटी से कहां पीछे रहने वाली थी वो भी जिया की छोटी छोटी चूची को मसलने लगी, फिर होंठो से होंठों को हटाकर जिया मामी की चूची चूसने लगी दोनों चुचियों को लगातार बदल बदल कर चूस रही थी जिससे मामी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वो और तेज़ तेज़ मेरे लन्ड पर उछलने लगी वहीं जिया का भी मेरी जीभ से बुरा हाल था वो भी मेरे मुंह पर अपनी चूत को आगे पीछे करके घिस रही थी और फिर वो मेरे मुंह में झड़ने लगी उसकी चूत से रस बहकर बाहर आने लगा और वो अपनी मम्मी को पकड़ कर झड़ने लगी और फिर झंडने के बाद मेरे मुंह से हटकर साइड में लेट गई। वहीं मामी का भी लग था था की वो भी अब झड़ने वाली है और वैसा ही हुए कुछ पल बाद मामी भी झडने लगी और उनकी चूत मेरे लंड पर बहुत टाइट हुई और ऐसा लगा वो मेरे लंड को चूत से निचोड़ रही हैं जो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ और में भी अपने शिखर पर पहुंच गया तो मैंने गुर्राते हुए बोला आह मामी मैं भी झड़ने वाला हूं तो तुरन्त जिया बोल पड़ी भैया मुझे भी देखना है आपको झड़ते हुए तो मामी तुरन्त मेरे ऊपर से हट गई और मैं जिया को लिटाकर उसके पेट के दोनों तरफ पैर करके उसके उपर आ गया और अपने लंड को हिलाने लगा और कुछ पल बाद ही मेरे लन्ड ने पिचकारी मारी हो सीधे उसके मुंह पर जा कर गिरी तो उसने अपनी जीभ निकाल कर उसे चाट लिया होंठ के पास से फिर दूसरी भी वहीं उसके बाद कभी चुचियों पर तो कभी गर्दन पर ऐसे ही मैं काफी देर तक उसके जवान बदन को अपने रस से नहलाता रहा और उसके बाद उसके उपर से हटकर साइड में लेट गया तो मामी जिया के ऊपर गई और उसके चेहरे से मेरा रस चाठ्ने लगी और फिर चाटने के बाद जिया के मुंह से मुंह लगाकर उसकी उसके स्वाद का अहसास कराने लगी ऐसे ही मामी ने अपनी बेटी के पूरे बदन को चाट चाट कर साफ कर दिया और सारा रस दोनों ने बांट बांट कर पी लिया।
इसके बाद क्या हुआ अगली अपडेट में, इसमें पहली बार मैं ने कुछ नया करने की कोशिश की आप लोग ज़रूर बताएं कैसा लगा। आपके कॉमेंट्स का इंतज़ार रहेगा, शुक्रिया।