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देशी बालक हैं ब्रो, यहाॅ जिगरे चलते है,
नही चलती कोई बकवास
ओर अपनी अकड़ ले कर आ जाइयो,
ईलाज है हमारे पास।
नही चलती कोई बकवास
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ओर अपनी अकड़ ले कर आ जाइयो,
ईलाज है हमारे पास।
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Last edited:
Chanakya tumhe yahi to bolta tha xossip time meHaan bhai samajh gaya ki tumhe kisi ne meri Home state bata diya hai.. Do baar bolne ki jaroorat nahi hai..![]()
Kya matlab ab blackwa sathiya gaya hai?Kya fayda fir teri 25 saal ki Forum ki jindagi ka![]()
Aand photo jaange agar aisi baat karoge tohKya matlab ab blackwa sathiya gaya hai?
That suits on Takla only. We have few banters since XP.Chanakya tumhe yahi to bolta tha xossip time me![]()
He is in that state since eternity!Kya matlab ab blackwa sathiya gaya hai?
Love this manOriginally written by me 7-8 years back! My Contribution to this thread.Raj_sharma Add the original ones on first page man.
बेचैन हुई रूह का, एक मुझसे ये सवाल था।
वो चाह थी या प्यार था, या एक हसीं ख्वाब था।।
बेख़ौफ़ बढ़ रहा था मैं, जिसकी उंगलियां पकड़ के मैं।
हर रोज मर रहा था मैं, जिसकी सूलियों पर चढ़ के मैं।।
बेनाम सा हूँ अब खड़ा, जबसे हुई है वो बेवफा।
क्या बेवजह ही उसके साथ था, हर सख्शियत से लड़ के मैं।।
वो जान थी, वो सांस थी, जो बुझ सके ना प्यास थी, कुछ तो उसका नाम था।
बेचैन हुई रूह का, एक मुझसे ये सवाल था।
वो चाह थी या प्यार था, या एक हसीं ख्वाब था।।
जो छुप सके ना बादलों में, वो एक ऐसा एक चाँद था।
जो मिट सके ना रेत में, वो ऐसा एक निशान था।।
मैं ढूंढता हूँ बैठ कर, कभी कभी उन जवाबों को।
ना आँधियों में बुझ सके, वो ऐसा एक चिराग था।।
जब वक़्त के पड़ाव में, मैं मुश्किलों से था घिरा।
कुछ ऐसे बद हालातों में, मैं उससे इस तरह मिला।।
जब इस कायनात ने, कर दिया था बेघर मुझे।
फिर खुद के हौसलों से, उसने मुझको अपना कर लिया।।
क्या सबके जख्म भरना, बस उसका एक काम था ?
बेचैन हुई रूह का, एक मुझसे ये सवाल था।
वो चाह थी या प्यार था, या एक हसीं ख्वाब था।।
How to do that? How can i add this to page one? And by yhe way lots of original by me is there like page 70 % + originalOriginally written by me 7-8 years back! My Contribution to this thread.Raj_sharma Add the original ones on first page man.
बेचैन हुई रूह का, एक मुझसे ये सवाल था।
वो चाह थी या प्यार था, या एक हसीं ख्वाब था।।
बेख़ौफ़ बढ़ रहा था मैं, जिसकी उंगलियां पकड़ के मैं।
हर रोज मर रहा था मैं, जिसकी सूलियों पर चढ़ के मैं।।
बेनाम सा हूँ अब खड़ा, जबसे हुई है वो बेवफा।
क्या बेवजह ही उसके साथ था, हर सख्शियत से लड़ के मैं।।
वो जान थी, वो सांस थी, जो बुझ सके ना प्यास थी, कुछ तो उसका नाम था।
बेचैन हुई रूह का, एक मुझसे ये सवाल था।
वो चाह थी या प्यार था, या एक हसीं ख्वाब था।।
जो छुप सके ना बादलों में, वो एक ऐसा एक चाँद था।
जो मिट सके ना रेत में, वो ऐसा एक निशान था।।
मैं ढूंढता हूँ बैठ कर, कभी कभी उन जवाबों को।
ना आँधियों में बुझ सके, वो ऐसा एक चिराग था।।
जब वक़्त के पड़ाव में, मैं मुश्किलों से था घिरा।
कुछ ऐसे बद हालातों में, मैं उससे इस तरह मिला।।
जब इस कायनात ने, कर दिया था बेघर मुझे।
फिर खुद के हौसलों से, उसने मुझको अपना कर लिया।।
क्या सबके जख्म भरना, बस उसका एक काम था ?
बेचैन हुई रूह का, एक मुझसे ये सवाल था।
वो चाह थी या प्यार था, या एक हसीं ख्वाब था।।
Man u still remember him?That suits on Takla only. We have few banters since XP.![]()