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भी खुला दिखाई दिया। क्या माजरा था, इतना लापरवाह तो नहीं था चौहान! छोटे से हाल से गुजरकर मैं बेडरूम तक पहुंचा और दरवाजे पर पहुंचते ही थमक कर खड़ा हो गया। वो डबल बेड पर फुल वर्दी में चित्त पड़ा हुआ था। कपड़ों पर लगा खून और फटी हुई नेम प्लेट की खाली जगह, अपनी कहानी आप बयान कर रही थी। बेड के बगल में फर्श पर ब्लैक लेबल की एक खाली बोतल लुढ़की पड़ी थी। बोतल के पास ही कांच के दो गिलास पड़े थे जिनमें से एक टूटा हुआ था। मैं सावधानी बरतता हुआ उसके करीब पहुंचा। उसे आवाजें दीं, हिलाया-डुलाया, मगर वो टस से मस नहीं हुआ। वह गहरे नशे में था। मैंने उसे जगाने की बहुतेरी कोशिशें कीं मगर कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि उसे नशे की तरंग से बाहर लाने के और भी रास्ते थे, मगर मेरे पास वक्त नहीं था। किसी भी वक्त पुलिस वहां पहुंच सकती थी और अगर ऐसा हो जाता, तो उसका तो जाने कुछ बिगड़ता या नहीं मैं जरूर बुरी तरह से फंस जाता। यह होम करते हाथ जलाने वाली बात होती जो कि सरासर नासमझी की श्रेणी में आती है। मैं नासमझ नहीं था। बेडरूम से निकलकर मैं बाहरी दरवाजे की ओर बढ़ा तो यहां भी दरवाजे के पास फर्श पर एक अधजला सिगरेट