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Jarur bhaiabe bhai nayi paheli leke aa
CondomRandi ko dekh kar uski yad aati hai
Ghar wale dekhe to hmari gand fat jati hai
Par agar wo khud hi kbhi fat jaye to
Fatne wale ke yha khuskhabri aati hai
मेहमानों का स्वागत मुझसे
करती मैं खातिरदारी
ना मीठी ना खट्टी हूं मैं
नमकीन ना मैं तरकारी
तरल रूप है पतली काया
दूध और पानी भी है समाया
वो खुश जिसने मुझको पाया|
खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा
है बैठा और कहे हैं लोटा
खुसरो कहे समझ का टोटा|
तीन अक्षर का मेरा नाम
बहना टपकना मेरा काम
मेहनत जब ज्यादा हो जाए
या फिर होए थकान
तब मैं दिखलाई देता हूं
तंग होवे इंसान पोंछ कर
सिर, मुंह, नाक और कान|
दो सुंदर लड़के
दोनो एक रंग के
इक बिचड़ जाए तो
दूसरा काम न आए |
लाल रंग है घर मेरा अंग है
सबमें ही मैं पया जाऊं
लेकिन तब हो बड़ी मुसीबत
जब मैं कहीं बह जाऊं
हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई
हरेक के अंदर मैं मिलता भाई |
पत्थर पर पत्थर
पत्थर पर पैसा
बिन पानी घर बनाए
वह कारीगर कैसा?
आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
Lal mirchiहरी डंडी लाल कमान
तोबा तोबा करे इन्सान
बताओ क्या?