मैंने और कमल ने हनीमून किसी ठंडी जगह मनाने का मन बनाया।
कमल की जुबानी=
हमने डिसाइड किया मनाली जाने के लिए।
मैने टिकट करवा दिया। फिर हम दिल्ली से कालका stabdi ट्रेन से गए। फिर हम ने टॉय ट्रेन लेकर शिमला गए।
शिमला से हमने कार हायर किया। मनाली के लिए निकल गए।
ज़ाहिर है हनीमून की बात है तो सारी तैयारियां हम लोगो ने पहले से कर रखी थी। लवली ने दो बार चॉकलेट वैक्स भी करवा लिया था। हमने शान्ति और प्राइवेसी के लिए मनाली से थोड़ा बाहर एकांत में बंगलो लिया तीन दिन के लिए।
जब हम वह पहुंचे तो बहुत शानदार नज़ारा था। सामने बर्फ से ढके पहाड़; बंगलो के सामने हरी हरी घास; दूर दूर तक कोई शोर नहीं सिर्फ प्राकृतिक आवाज़ें। दो बंगलो के बीच काफी दूरी और ऊंची दीवारें थी, मतलब कोई तंग नहीं करने वाला। खाने के लिए सिर्फ एक कॉल करो और आधे घंटे में खाना डिलीवर!
लवली वहां पहुँच कर जैसे गुम सी गयी थी। वो ख़ुशी से मेरे गले लगी। हम लोग पहले नहाये और फिर खाना आर्डर कर दिया। लवली ने सेक्सी नाईटी पहन ली थी। अंदर जी-स्ट्रिंग पहन रखी थी। पारदर्शी होने के कारण सारे नज़ारे साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसके गोरे और गोल नितम्ब छोटी सी नाईटी से बाहर आ रहे थे।
मैने खाना आर्डर कर दिया साथ में रेड वाइन की दो बोतल भी बोल दिया।
हनीमून पर कुछ नया करेंगे ऐसा संकल्प लेकर आये थे। थोड़ी देर में खाना आ गया और मैंने को बोला- गेट खोलो और खाना ले लो।
लवली ने पहले तो थोड़ी ना नुकुर की क्योंकि उसने लगभग ना के बराबर कपड़े पहने थे।
पर कुछ नया और रोमांचक करने के लिए उसने खड़े हो कर दरवाज़ा खोला। डिलीवरी वाला लड़का पहले तो स्तब्ध रह गया फिर अंदर बंगलो के हॉल में आकर टेबल पर खाना और बर्तन रख दिए।
वो जान बूझ कर बोला- सर, खाना सर्व कर दूँ?
मैंने कहाँ- हाँ।
और वो चोर नज़रों से लवली को देखते हुए खाना सर्व करके चला गया। उसके जाते ही लवली की योनि में मैंने जी-स्ट्रिंग के ऊपर से ही उंगली फिरा दिया। उसकी पूरी योनि गीली हो गयी थी। पराये मर्द के सामने खुद को ऐसे पेश करने से वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी।
लवली ने नज़रें झुकाई और मैंने उसके चूची दबा दिए। वो बहुत ज्यादा उत्तेजित थी और मैं भी। हमने खाना खाने से पहले ही सेक्स का दौर शुरू कर दिया। एक तो ठण्ड, फिर अभी अभी जो हमने किया और हनीमून का अनूठा अहसास। आज की चुदाई का अहसास बिलकुल अलग था। वाइन की गिलास ली और एक घूंट मुंह में लेकर लवली को किस करने लगा। क्या मजा था दोस्तो रेड वाइन के साथ लवली के साल्विया का।
आज लवली की योनि रेड वाइन डालकर चाटते हुए एक अलग ही मजा था।
लवली ने भी पूरा मुँह खोल खोल कर मेरा लिंग मुँह में गले तक उतारा।
आधे घंटे की इस ताबड़ तोड़ चुदाई के बाद हमने खाना खाया और बाहर गार्डन में पसर गए।
ठण्ड से हमारे रोंगटे खड़े हो रखे थे पर फिर भी हमें मजा आ रहा था। शायद हम गरम प्रदेश वालों को सर्दी का अहसास बहुत सुखी लग रहा था।
हम लोग ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे कि तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी। मैंने किराये पर कार की बुकिंग कर ली थी उसी का फ़ोन था और वो बता रहा था कि 10 मिनट में गाड़ी पहुंच जायेगी। मैं और लवली तैयार होने चले गए।
गाड़ी वाला टाइम पर आ गया और चाबी देकर चला गया। हम अपनी प्राइवेसी में किसी भी प्रकार का दखल नहीं चाहते थे, ड्राइवर का भी नहीं। इसलिए गाड़ी किराये पर बुक करा ली थी।
मैंने लवली को आवाज़ दी और लवली एक ओवरकोट पहने जो घुटनों से थोड़ा ऊपर खत्म हो रहा था वो पहन कर बाहर आ गयी। मैं थोड़ा गुस्से में बोला की शोभा हमें इस ट्रिप को यादगार बनाना था और तुम ये पूरा ढक कर आ गयी। तभी लवली ने ओवरकोट की आधी चैन खोली और उसके बोबे मुझे दिख गए। मतलब वो ओवरकोट के नीचे पूरी नंगी थी। उसने झट्ट से चैन फिर से बंद कर ली और गाड़ी में बैठ गयी।
मैंने लवली से कहा- तुमने तो कमाल ही कर दिया; बहुत सेक्सी हो तुम!
और अपनी गाड़ी मॉल रोड की तरफ बढ़ा दी। दो-तीन जगह पूछते हुए हम मॉल रोड पहुँच गए, गाड़ी पार्क करके मैं और लवली पैदल घूमने लगे। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। लोगों की इतनी भीड़ में लवली अंदर से पूरी नंगी घूम रही थी; हम दोनों बहुत उत्तेजित थे।
अँधेरा होने वाला था तो हमने वापस बंगलो पर चलने का प्लान बनाया और गाड़ी में आ कर बैठ गए।
मैं गाड़ी चला रहा था और लवली मुझे चिढ़ाने के लिए बार बार चैन नीचे करके अपने चूची के दर्शन करवा रही थी। मेरा लिंग खड़ा हो गया और जीन्स में दर्द करने लगा। थोड़ी देर में हम शहर से थोड़ा बाहर आये तो मैंने अपने लिंग बाहर निकाल दिया। मेरा खड़ा लिंग देख कर लवली उसकी मुठ मारने लगी। लवली ने अपने ओवरकोट की चैन पूरी खोल दी और वो आगे से पूरी नंगी होकर मेरा लिंग चूसने लगी।
मुझसे गाड़ी नहीं चलायी जा रही थी। मैंने सोचा एक्सीडेंट ना हो जाए इसलिए रोड के साइड में गाड़ी रोक दी। पूरा अँधेरा, एक तरफ खायी और एक तरफ थोड़ा जंगल जैसा। मैंने गाड़ी की लाइट बंद करके लवली को धक्का दिया और उसकी सीट को पीछे की और धकेल दिया। मैं उसकी योनि के अंदर जीभ घुसाने लगा। वो मेरे सर को पकड़ कर और योनि में घुसने लगी। फिर मैंने उसे पलटाया और उसकी गांड चाटने लगा। चॉकलेट वैक्स से उसकी पूरी बॉडी मखमल से हो गयी थी। पीछे से मैंने अपना लिंग लवली की योनि में धकेल दिया।
तभी अचानक एक गाड़ी सामने से आयी और हमारी गाड़ी पर उसकी रोशनी पड़ी। गाड़ी थोड़ी दूर जा कर रुकी और वापस पीछे आयी। हम लोग कुछ समझते इस से पहले एक आदमी हमारी गाड़ी के शीशे पर नॉक करने लगा।
लवली जल्दी से पलटते हुए चैन बंद करने लगी और मैंने भी अपना लिंग अंदर खिसकाया और शीशा नीचे करके पूछा- क्या प्रॉब्लम है?
कोई 30 साल का आदमी रहा होगा, लवली की तरफ देखते हुए वो बोला- जंगल में मंगल मुझे भी करने दो।
मैंने उसे गुस्से में बोला- अपनी बकवास बंद करो!
और गाड़ी स्टार्ट करने लगा।
उसने मेरी गाड़ी की चाबी निकाल ली और बोला- भाई, मैं गलत आदमी नहीं हूँ। मुझ पर विश्वास कर सकते हो। मैं तो सिर्फ विनती कर रहा था, नहीं करना तो कोई बात नहीं और उसने गाड़ी की चाभी वापस से मुझे पकड़ा दी और अपना कार्ड देकर वो खुद अपनी गाड़ी की तरफ चल पड़ा।
मैं और लवली झट से वहां से निकल कर अपने बंगलो पर आ गए और चैन की सांस ली।
जब सब कुछ नार्मल हुआ तो हम फिर से एक दूसरे में खो गए। लवली ने दो-तीन बार उस आदमी का जिक्र किया कि वो चाहता तो कुछ भी कर लेता, कितना अच्छा आदमी था।
मैंने कहा- तो बुला लेते हैं उसे कल सुबह नाश्ते पर?
लवली की ख़ामोशी मैं समझ गया था। की ये सही नही है।
फिर लवली को मैने बांहों में भर कर चूमने चाटने लगा।
लवली की जुबानी=
मैं कमल के सामने बिलकुल नंगी हो चुकी थी।
मैंने वैक्स करवाई थी इसलिए मेरी टाँगें, चूत एक दम चिकनी हो रही थी।
कमल मुझे प्यार करते हुए मेरे सारे बदन को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे।
मैं मदहोश हो गई थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊऊ ऊह … आआआ आआह आअ अअअ मह औऔ औऔउ उउउउ उमम्म, आआ आआ!
कुछ देर बाद कमल मेरी चूत को पीने लगे।
मैं दो बार झड़ चुकी थी।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैंने कमल को नंगा कर दिया।
कमल का लण्ड मैं आज देखती रह गई। कमल का लण्ड गधे के लण्ड की तरह लम्बा ओर मोटा लग रहा था।
मेरी आंखें फटी की फटी रह गई।
कमल ने मुझे पूछा- लवली क्या हुआ?
मैंने कहा- कमल , तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा लग है यार!
मैंने कमल के लण्ड को मुँह भर लिया.
अब कमल भी सिसकारियाँ ले रहा था।
कमल ने मुझे नीचे गिराया और लण्ड को चूत के मुँह पर रख दिया.
उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में फंसा दिया और एक जोर का झटका दिया.
मेरी चीख़ निकल गई।
वो तो शुक्र था कि कमल ने मेरे मुँह में मुँह दे रखा था इसलिए मेरी चीख़ बाहर नहीं निकल पाई।
मैं दर्द के मारे तड़प रही थी।
मुझे ऐसा लगा जैसे आज ही मेरी सील टूटी है।
कमल मेरे 34″ के बूब्स को दबा दबा कर चूस रहा था।
कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द कम हो गया; मैं गान्ड उठा कर चुदने लगी।
करीब तीस मिनट बाद मैं अकड़ गई और कमल के झटके बहुत तेज हो गये।
मैंने कमल को जकड़ लिया था.
कमल ने एक जोर का झटका दिया और मेरी चूत में वीर्य की जोरदार पिचकारी छोड़ दी।
पिचकारी मुझे बच्चेदानी पर टकराती हुई महसूस हुई।
इस तरह उस रात कमल ने मेरी चूत में कई बार वीर्य की जोरदार पिचकारियाँ मारी।
सुबह चार बजे थे।
अब हम दोनो चिपक कर सो गए।