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Sadhna di:- Wo...wo mujhe ek baar tumhare hotho ko choomna hai. Please...itna to kar lene do mujhe.
Apun to ye sun ke gaand tak shock ho gaya lauda. Pahli baar apun ko realise hua ki ye laudi to sach me apun se love karti hai, tabhi to itni feelings ke sath aisi maang kar reli hai. Par apun ab confusion me aa gayla tha ki uski ye khwaish pure kare ki nahi? Ab aage...
अपुन भारी असमंजस में था।
साधना दी उम्मीद भरी नजरों से अपुन को देखे जा रेली थीं। वैसे मन तो अपुन का भी कर रेला था कि उनके गुलाबी होठों को मुंह में भर के चूसे मगर अपुन ये सोच के डर रेला था कि कहीं वो लौड़ी अपुन को और चीज़ों के लिए मजबूर न करने लगें। मतलब कि─प्यार व्यार और शादी वादी लौड़ा।
साधना दी─ इतना क्या सोच रहे हो? एक बार चूम लेने दो न अपने होठों को। उसके बाद कभी तुमसे कुछ नहीं मांगूंगी। क्या तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते?
अपुन─ ठीक है, लेकिन अपुन को कभी किसी प्यार व्यार वाले रिश्ते में नहीं फांसना।
साधना दी─ जब तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते ही नहीं तो मैं भी तुम्हें इसके लिए कभी मजबूर नहीं करूंगी..लेकिन..।
अपुन─ लेकिन??
साधना दी─ मुझे कभी इग्नोर मत करना और ना ही मुझसे बात करना बंद करना।
अपुन─ ठीक है।
साधना दी─ अब चूम लूं न तुम्हारे होठों को?
अपुन तो खुद ही यही चाहता था लौड़ा। बस थोड़ा संतुष्ट हो जाना चाहता था कि बाद में कोई लफड़े वाली बात न हो। साधना दी अपुन को ही देख रेली थीं। अपुन ने पलकें झपका कर उन्हें होठ चूमने की इजाज़त दे दी।
इजाज़त मिलते ही उनके चेहरे पर खुशी के भाव उभर आए और फिर वो एकदम से जैसे अपुन पर झपट ही पड़ी लौड़ी। बोले तो अपुन को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी बेसब्री दिखाएंगी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ा और फिर पूरी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमने लगीं।
पहले तो अपुन को लगा था कि वो बस अपुन के होठ चूम के हट जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ लौड़ा। बोले तो पहले उन्होंने पुच्च पुच्च कर के दो तीन बार जल्दी जल्दी चूमा और फिर एकदम से अपुन के होठों को अपने मुंह में ही भर लिया।
अपुन को तो बड़े ज़ोर का झटका लगा लौड़ा। पूरे शरीर में करेंट दौड़ गया बेटीचोद। यहां तक कि अपुन का 12 इंच का लौड़ा एक झटके में सिर उठा लिया।
वो लौड़ी मजे से अपुन के होठ चूसे जा रेली थी। अपुन एकदम बुत बन गया था लेकिन जल्दी ही अपुन होश में आया। दिमाग़ में एक ही खयाल आया कि बेटीचोद जब वो खुद ही ऐसा कर रेली है तो अपुन क्यों गधा बन के चुप खड़ा रहे?
बस, फिर अपुन सब कुछ भूल गया और साधना दी को पकड़ कर अपुन भी उनके होठों को मुंह में भर के चूसना शुरू कर दिया। अपुन की इस हरकत से पहले तो वो चौंकीं लेकिन फिर दोगुने जोश के साथ अपुन को चूमने चाटने लगी।
बेटीचोद क्या होठ थे लौड़ी के। बोले तो एकदम सॉफ्ट और मीठे। अपुन कभी उसके निचले होठ को मुंह में भर लेता तो कभी ऊपर वाले को। लौड़ा, दो मिनट के अंदर ही अपुन की हालत खराब हो गई। अपुन का लौड़ा बहिनचोद पूरे आकार में खड़ा हो गएला था और साधना दी की नाभी के पास कुर्ते के ऊपर से चुभने लगा था। उधर वो तो लौड़ी मस्ती में चूसे ही जा रेली थी अपुन के होठों को।
कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें फूलने लगीं मगर वो लौड़ी अपुन से अलग ही नहीं हो रेली थी। अपुन समझ गया कि साधना दी जोश जोश में अब गरम भी हो गईली है। तभी तो लौड़ी का जोश बढ़ता ही जा रेला है। अपुन ने सोचा जब इतना हो ही रेला है तो थोड़ा और आगे बढ़ जाते हैं लौड़ा।
अपुन ने अपना एक हाथ उसके चेहरे से हटाया और नीचे खिसका कर कुर्ते के ऊपर से ही उनकी राइट चूची पर रख दिया और सिर्फ रखा ही नहीं बल्कि जोश में उसे दबा भी दिया लौड़ा। अपुन के ऐसा करते ही साधना दी को एकदम से झटका लगा और उनको होश आया। उन्होंने फ़ौरन ही अपना एक हाथ अपुन के उस हाथ के ऊपर रखा और फिर झट से अपुन के हाथ को हटा के अपुन से थोड़ा दूर हो खड़ी गई।
अपुन को भी एकदम से होश आया और अपुन उनकी तरफ देखने लगा। साधना दी का पूरा चेहरा गुलाबी गुलाबी हो गयला था। आंखों में मदहोशी का नशा साफ दिख रेला था। उन्होंने गहरी गहरी सांस लेते हुए अपुन को कुछ पलों तक देखा और फिर एकदम से शर्मा कर चेहरा झुका लिया।
साधना दी─ ये...ये तुम क्या करने लगे थे विराट?
अपुन─ सॉरी दी, अपुन को पताइच नहीं चला कब अपुन का हाथ आपके बू...अपुन का मतलब है कि आपके सीने पर चला गया...सॉरी।
साधना दी कुछ न बोली। उनके चेहरे पर अभी भी शर्म की लाली थी और वो अभी भी गहरी गहरी सांसें ले रेली थी। बार बार सिर उठा कर अपुन को देखती पर अपुन से नज़रें नहीं मिला पा रेली थीं।
अपुन ये देख कर थोड़ा खुश हुआ कि अपुन के द्वारा दूध दबाए जाने पर वो अपुन पर गुस्सा नहीं हुई है।
अपुन─ वैसे आपने अपुन के साथ नाइंसाफी की है दी।
साधना दी─ न..ना इंसाफी?? वो कैसे?
अपुन─ आपने बोला था कि आप सिर्फ एक बार अपुन के होठ चूमना चाहती हैं जबकि आपने तो बार बार चूमा और फिर मुंह में भर के चूसना ही शुरू कर दिया। अपुन तो एकदम से शॉक ही रह गयला था। फिर जब अंजाने में अपुन ने आपके बू...मतलब कि आपके ब्रेस्ट पर हाथ रख के थोड़ा दबा दिया तो आपने झट से अपुन का हाथ उसमें से हटा दिया और अपुन से दूर भी खड़ी हो गई। अब आप ही बताओ, आपने ऐसा कर के अपुन के साथ इंसाफ किया या नाइंसाफी की? मतलब कि आपने तो अपने मन का जो किया वो जी भर के किया और अपुन ने गलती से आपका वो दबा दिया तो अपुन का हाथ ही हटा दिया?
साधना दी अपुन की ये बात सुन के पहले तो शॉक हुईं फिर एकदम से शर्माने लगीं। अपुन समझ गया कि लौड़ी अपुन से नाराज़ नहीं है और कहीं न कहीं उसे भी अच्छा लगा होगा तभी तो ऐसे शर्मा रेली है।
अपुन─ समझ गया अपुन। दुनिया में सब लोग सिर्फ अपना ही फायदा देखते हैं। आपने भी ऐसा ही किया। कोई बात नहीं, जा रेला है अपुन।
साधना दी─ वि..विराट ऐसा मत कहो प्लीज। मैंने कोई फायदा नहीं देखा है अपना। वो तो....वो तो जब मैं तुम्हारे होठ चूमने लगी तो पता नहीं कैसे मैं अपने होश ही गंवाती चली गई थी। फिर मुझे पता ही नहीं चला कि मैं क्या करती चली गई। पता तो तब चला जब तुमने मेरे बू...मतलब मेरे उसको द..दबाया।
अपुन─ वो तो अंजाने में अपुन का हाथ आपके ब्रेस्ट पर चला गया था दी। अपुन ने जान बूझ के नहीं किया था पर अब अगर अपुन आपसे ये कहे कि अपुन की भी इच्छा आपके ब्रेस्ट दबाने की है तो क्या आप मना करेंगी?
साधना दी अपुन को आश्चर्य से देखने लगीं। अपुन भी लौड़ा घबराने लगा कि कहीं अपुन की इस बात से वो लौड़ी नाराज़ न हो जाए।
साधना दी─ य..ये तुम क्या कह रहे हो विराट? ये...ये तो ग़लत है न? क्या सच में तुम ये चाहते हो?
अपुन─ गलत तो आपका अपुन के होठ चूमना चाटना भी था दी लेकिन फिर भी आपने ऐसा किया कि नहीं? और अब जब अपुन अपनी इच्छा से एक बार आपके बू...मतलब कि ब्रेस्ट दबाने को बोल रेला है तो आपको ये गलत लग रेला है?
साधना दी भारी असमंजस में फंस गईली थी। इतना तो उनको भी समझ आ गया था कि जो उन्होंने किया वो भी तो गलत ही था। यानि उसको प्यार का नाम दे कर सही नहीं ठहराया जा सकता था। वहीं अब जब अपुन भी उनके जैसे कुछ करने की इच्छा जता रेला था तो वो उसे गलत बोल रेली थीं।
साधना दी─ स...समझने की कोशिश करो विराट। होठों पर किस करने की बात अलग होती है लेकिन वहां पर हाथ लगाना अलग होता है।
अपुन─ ठीक है। अगर आपको सच में ऐसा लगता है तो यही सही। अच्छा अब जा रेला है अपुन।
सच तो ये था कि अपुन को उनकी ये बात सुन के गुस्सा ही आ गयला था बेटीचोद। खुद तो लौड़ी ने अपुन के होठों को दबा दबा के चूस लिया था और अब जब अपुन उसके दूध दबाने की इच्छा कर रेला था तो लौड़ी सही गलत का ज्ञान चोद रेली थी।
अपुन ने एक झटके से कुंडी सरकाई और दरवाजा खोल के बाहर निकल गया। पीछे से साधना ने अपुन को रुक जाने के लिए आवाज़ भी दी लेकिन अपुन न रुका। बोले तो भेजा खिसक गयला था अपुन का।
थोड़ी ही देर में अपुन बाइक में बैठ के निकल लिया वहां से। मन में गुस्सा तो बहुत था लेकिन क्या कर सकता था अपुन। जल्दी ही अपुन घर पहुंच गया।
डोर बेल बजाने पर सीमा ने दरवाजा खोला। अपुन ने एक नज़र उसे देखा और सीधा अंदर चला गया। बेटीचोद, अभी भी मूड खराब था अपुन का। सीढ़ियों के पास पहुंचा ही था कि सीमा की आवाज कानों में पड़ी।
सीमा─ खाना लगा दूं बाबू?
अपुन का भेजा खिसका हुआ तो था लेकिन फिर सोचा कि इसमें इस लौड़ी का भला क्या दोष? वैसे भी लंच तो करना ही था क्योंकि अब भूख समझ में आ रेली थी। इस लिए अपुन ने सीमा को खाना लगाने के लिए हां कहा और ऊपर चला गया।
कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ तो देखा विधी बेड पर बैठी मोबाइल से सेल्फी ले रही थी थी।
उसे अपने रूम में देख अपुन तो चौंक ही गया लौड़ा। सोचा, ये लौड़ी तो रात में सोने को बोली थी फिर अभी से क्यों अपुन के कमरे में है? उधर अपुन को आया देख उसके होठों पर गहरी मुस्कान उभर आई। मोबाइल को झट से एक तरफ रख वो उठ के बैठ गई।
विधी (खुशी से)─ वो क्या है ना, मैंने सोचा रात होने का वेट क्यों करूं इस लिए अभी से तेरे रूम में आ जाती हूं...हां नहीं तो।
अपुन (उसे घूर कर)─ तूने लंच किया कि नहीं?
विधी─ कहां किया, तेरा इंतज़ार कर रही थी। तुझे मैसेज भी किया था पर तूने कोई रिप्लाई ही नहीं दिया। वैसे तो बड़ा कहता है कि मैं तेरी जान हूं लेकिन मेरे मैसेज का रिप्लाई तक नहीं दिया। भुलक्कड़ कहीं का...हां नहीं तो।
अपुन अब उसे कैसे बताता कि अपुन को मोबाइल देखने का समय ही कहां मिला था लौड़ा? अपुन तो आज अलग ही खेल खेल रेला था। ये अलग बात है कि लास्ट टाइम में अपुन का मूड फ्राई हो गयला था।
अपुन─ सॉरी यार, अपुन ने मोबाइल देखा ही नहीं वरना क्या अपुन अपनी जान को रिप्लाई न देता? (अब मस्का तो लगाना ही था अपुन को, मजबूरी थी लौड़ा)
विधी─ चल अब बातें न बना। मुझे बड़े जोर की भूख लगी है। जल्दी चल और अपने हाथ से खिला मुझे वरना नाराज़ हो जाऊंगी तुझसे, हां नहीं तो।
एक तो वैसे ही अपुन का भेजा थोड़ा खिसका हुआ था ऊपर से ये लौड़ी इस तरह का नाटक कर रेली थी। मन तो किया कि कान के नीचे एक कंटाप लगा दे अपुन लेकिन फिर सोचा अगर ऐसा किया तो लौड़ा एक नई मुसीबत हो जाएगी।
ये सोच के अपुन ने जबरदस्ती अपुन के होठों पर मुस्कान फैलाई और उसे देखा ताकि लौड़ी को यही लगे कि अपुन उसे खिलाने के लिए रेडी है।
अपुन की मुस्कान काम कर गई लौड़ा, क्योंकि वो खुश हो गई, होती भी कैसे नहीं? लौड़ी यहीच सोच रेली होगी कि कैसे वो अपुन से हर बात मनवा लेती है।
ख़ैर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और लोअर के ऊपर एक टी शर्ट डाल ली। शीशे के सामने खड़े हो कर थोड़ा बालों को ठीक किया।
विधी─ अरे! हैंडसम लग रहा है तू, और कितना बाल बनाएगा?
अपुन─ हां हैंडसम तो है अपुन, बोले तो एकदम झक्कास लगता है अपुन।
विधी (हंसते हुए)─ देखो तो, अपनी तारीफ खुद ही कर रहा है।
अपुन ने पलट कर उसे घूरा तो उसकी हंसी बंद हो गई।
अपुन─ अब भूख नहीं लगी तुझे?
विधी─ अरे! बहुत तेज लगी है भाई, चल ना जल्दी वरना चूहे मेरी अंतड़ियां ही खा जाएंगे, हां नहीं तो।
अपन दोनों नीचे डायनिंग हॉल में आए और अगल बगल से कुर्सी में बैठ गए। सीमा ने हम दोनों के सामने थाली सजा के रख दी। अपुन ने आव देखा न ताव झट खाना शुरू कर दिया जबकि विधी चुप बैठी रही। जब उसने देखा कि अपुन तो खाने पर टूट ही पड़ा है और उसे खिला नहीं रहा तो वो एकदम से चीख पड़ी।
उसकी चीख सुन अपुन उछल ही पड़ा लौड़ा। उसकी तरफ देखा तो वो गुस्से से अपुन को देखे जा रेली थी। पहले तो अपुन को समझ में ही न आया कि लौड़ी चीखी क्यों लेकिन फिर दिमाग की बत्ती जल उठी कि लौड़ा इसने तो अपुन को खुद खिलाने को बोला था। अपुन ने झट से अपने कान पकड़ लिए और उसे सॉरी का रिएक्शन दिया।
वो लौड़ी तब भी गुस्से से देखे जा रेली थी। अपुन ने झट से उसकी थाली से रोटी का एक टुकड़ा तोड़ा और दाल में डुबा कर उसके मुंह की तरफ बढ़ा दिया। उसने अपुन को घूरते हुए मुंह खोला तो अपुन ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया।
अपुन─ तुझे नहीं लगता कि तू कुछ ज़्यादा ही फायदा उठा रेली है?
विधी─ क..क्या मतलब??
अपुन─ मतलब ये कि अपुन की नरमी का तू कुछ ज़्यादा ही फायदा नहीं उठा रही? कुछ ज़्यादा ही नखरे नहीं कर रही तू?
विधी─ हां तो? अब गलती करेगा तो गुस्सा तो करूंगी न? और तेरी जान हूं तो नखरा भी दिखाऊंगी न, हां नहीं तो।
अपुन─ फिर तो बड़ी मतलबी है तू।
विधी─ कैसे?
अपुन─ खुद तो तू ये चाहती है कि अपुन तेरे नखरे सहे पर तू ये नहीं सोचती कि अपुन भी तो तुझसे कुछ उम्मीद करता होगा?
विधी निवाला चबाना बंद कर के अपुन को ध्यान से देखने लगी। शायद समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के ऐसा कहने का आखिर क्या मतलब है?
विधी─ तू क्या कह रहा है मुझे कुछ समझ नहीं आया।
अपुन─ आदमी को समझ में तब आता है जब वो अपने अलावा भी किसी और के बारे में सोचे। खैर जाने दे, चल अब जल्दी जल्दी खा।
विधी बड़ी उलझन में दिख रेली थी लेकिन बोली कुछ नहीं। ख़ैर थोड़ी देर में अपन लोग खा चुके तो दोनों हाथ धो कर रूम में आ गए। विधी अपने रूम में न गई बल्कि वो अपुन के पीछे पीछे अपुन के ही रूम में आ गई।
अपुन─ अरे! तू अपुन के पीछे यहां क्यों आ गईली है? अपने रूम में जा, अपुन को आराम करने का है अब।
विधी─ हां तो तू आराम कर न। मैंने कब आराम करने से रोका तुझे, हां नहीं तो।
अपुन─ अरे! अपुन अकेले बेड पर लेट कर आराम करेगा। तू साथ रहेगी तो अपुन के आराम में खलल पड़ेगा।
विधी─ अरे! ऐसे कैसे खलल पड़ेगा भला? मैं क्या तुझे आराम करने से रोकूंगी?
अपुन─ रोकेगी नहीं लेकिन जब अपुन अपने बेड पर किसी लड़की को लेटा देखेगा तो अपुन को ठीक से नींद ही नहीं आएगी। दूसरी बात, अपुन जब बेड में अकेला सोता है तो बहुत अजीब तरह से सोता है। मतलब कि अपुन पूरे बेड में इधर से उधर घूमता रहता है। ऐसे में अगर तू यहां लेटेगी तो तुझे बहुत प्रॉब्लम होगी, समझ बात को।
विधी हैरानी से देखने लगी अपुन को।
विधी─ इसका मतलब तू रात में भी मुझको अपने साथ यहां सोने नहीं देगा?
अपुन─ रात में सोने देगा क्योंकि ऐसा अपुन ने पहले ही तुझसे प्रॉमिस कर दिएला है।
विधी─ हां तो क्या रात में तू अजीब तरह से नहीं सोएगा? तब क्या तेरे ऐसे सोने से मुझे प्रॉब्लम नहीं होगी?
अपुन─ प्रॉब्लम तो होगी लेकिन तब अपुन को टेंशन नहीं रहेगा क्योंकि तब अपुन यही सोचेगा कि अपुन के साथ सोने के लिए तो तू ही ज़िद कर रेली थी। इस लिए अब जो भी प्रॉब्लम आएगी तुझे झेलना ही पड़ेगा।
विधी─ कितना गंदा है तू। वैसे तो कहता है कि मैं तेरी जान हूं और अब मेरी कोई फिक्र ही नहीं है तुझे। जा रही हूं मैं, नहीं सोना मुझे तेरे साथ। आज के बाद बात भी नहीं करूंगी तुझसे, हां नहीं तो।
अपुन ने ऊपर ऊपर से उसे रुकने को कहा लेकिन वो न रुकी और चली गई। शायद सच में गुस्सा हो गईली थी। अपुन भी ये सोच के उसे मनाने नहीं उठा कि बाद में तो मना ही लेगा उसे।
असल में अपुन सच में इस वक्त अकेला रहना चाहता था और साधना दी के साथ आज जो हुआ उसके बारे में ठीक से सोचना चाहता था। विधी के रहते अपुन कुछ सोच ही न पाता, उल्टा उसकी बक बक से ही परेशान हो जाता लौड़ा।
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बेड पर लेटा अपुन काफी देर से साधना दी के बारे में सोच रेला था। अपुन सोच रेला था कि साधना दी सच में शायद अपुन से सच्चा वाला प्यार कर रेली हैं। तभी तो इतना जल्दी अपनी मां को बता देने का बोल रेली थीं और तो और शादी करने की बात भी बोल रेली थीं लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि अच्छा हुआ अपुन समय रहते उनको साफ मना कर दिया था वरना आगे चल कर वो अपुन के गले भी पड़ सकती थी लौड़ी।
फिर उसके बाद जो उसने किया और जो अपुन से भी हुआ वो तो लौड़ा सोचा ही नहीं था अपुन ने। अपुन को याद आया कि कैसे वो अपुन के होठ चूसे जा रेली थी और अपुन भी उसके रसीले होठ चूस रेला था। फिर अपुन को याद आया कि अपुन ने उसका एक दूध दबाया था पर लौड़ी ने जल्दी ही अपुन के हाथ को अपने दूध से हटा दिया था और अपुन से दूर भी हो गईली थी।
ये बात सोचते ही अपुन का दिमाग फिर से खराब होने लगा लौड़ा। अपुन ने सोचा, खुद तो मजे से अपुन के होठ चूस रेली थी लौड़ी और जब अपुन ने उसके दूध को दबाया तो अपुन का हाथ ही हटा दिया। हट लौड़ी, अब तो बात ही नहीं करेगा अपुन इससे।
अपुन ने अपने दिमाग से ये सारी बातें झटक दी और अब सोने की कोशिश करने लगा। तभी अपुन ने महसूस किया कि लौड़ा कुछ भिनभिना रेला है। अपुन ने दिमाग पर ज़ोर दिया तो समझ आया कि लौड़ा ये तो अपुन का मोबाइल है जो भिनभिना रेला है।
अपुन झट से उठा और पेंट की जेब से मोबाइल निकाला। स्क्रीन पर नज़र पड़ी तो देखा साधना दी का कॉल आ रेला था। ये देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी क्यों अपुन को कॉल कर रेली है? ज़रूर सॉरी बोलने के लिए अपुन को कॉल कर रेली है पर अपुन लौड़ा माफ नहीं करेगा, हां नहीं तो। (अबे, ये तो विधी का तकिया कलाम है। अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? लगता है एक ही दिन के साथ में अपुन पर उसका असर हो गएला है लौड़ा।)
ख़ैर अपुन ने साधना दी का कॉल नहीं उठाया और मोबाइल ले कर बेड पर आ गया। अपुन सोचने लगा कि अगर वो अपुन से सॉरी बोलेगी तो अपुन को उससे क्या बोलना चाहिए? मतलब कि सॉरी के बदले कोई न कोई डिमांड तो अपुन को उससे करना ही चाहिए। क्या पता वो मान लें और अपुन की निकल पड़े?
अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी फिर से साधना दी का कॉल आने लगा और अपुन का मोबाइल भिनभिनाने लगा। कॉल दुबारा आया देख अपुन का दिल धक धक करने लगा था लौड़ा। कुछ इस लिए भी क्योंकि अपुन के मन में अलग ही लौड़ा लहसुन चल रेला था। पर इस बार अपुन ने कॉल उठा लेना ही ठीक समझा वरना क्या पता तीसरी बार वो कॉल ही न करे।
ये सोच कर अपुन ने कॉल रिसीव कर लिया और मोबाइल कान से लगा लिया। फिर एकदम से अपुन को खयाल आया कि अपुन को थोड़ा गुस्सा दिखाना होगा तभी तो वो लौड़ी मिन्नतें भी करेगी अपुन से बात करने के वास्ते।
अपुन─ अब क्या है? किस लिए फोन कर रही हो आप?
साधना दी─ ओह! शुक्र है कि तुमने फ़ोन उठा लिया। क्यों मेरी हालत खराब करने पर तुले हो? कब से कॉल कर रही थी तुम्हें पर तुम मेरा कॉल ही नहीं उठा रहे थे। क्या बहुत गुस्सा हो गए हो मुझसे?
अपुन समझ गया कि मामला अपुन के फेवर में ही है लौड़ा। मतलब कि अगर अपुन जवाब में ये बोले कि हां अपुन बहुत गुस्सा है तो शायद वो अपुन को मनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए लौड़ी।
अपुन─ आपको अपुन के गुस्से से क्या? आपको तो सिर्फ अपना देखना था और अपने फायदे से मतलब था।
साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मुझे समझ आ गया है कि मेरी गलती थी। मैंने जो इच्छा की वो तुमने मुझे दी पर तुमने जो इच्छा की वो मैं नहीं कर सकी। हां विराट, तुम्हारे इस तरह जाने के बाद जब मैंने इस बारे में सोचा तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी तेरी इच्छा पूरी करनी चाहिए थी।
बेटीचोद, ये तो सच में कमाल हो गया लौड़ा। मतलब कि अपुन का गुस्सा होना काम कर गया। तभी तो वो अपुन को मनाने के लिए ऐसा बोल रेली है और मान भी चुकी है कि उसे अपुन की इच्छा पूरी करनी चाहिए थी।
अपुन─ अब एहसास होने का क्या फ़ायदा? आपको तो अब भी अपुन की इच्छा से कोई मतलब नहीं है।
साधना दी─ नहीं नहीं विराट, ऐसा नहीं है कसम से। अगर तुम्हारी इच्छा मेरे उनको दबाने की ही है तो मैं अब तुम्हें नहीं रोकूंगी। बस तुम गुस्सा मत होना मुझसे।
अपुन खुश तो हुआ पर इतना जल्दी मानना नहीं था अपुन को वरना वो यही समझती कि अपुन मान जाने के लिए तैयार ही बैठा था लौड़ा। इस लिए अपुन ने थोड़ा और सताने का सोचा।
अपुन─ अपुन की नाराजगी इतना जल्दी खत्म नहीं होगी। आपने तो सिर्फ एक बार अपुन के होठों पर किस करने को बोला था पर आपने एक बार नहीं बल्कि बार बार किस किया और फिर जी भर के अपुन के होठों को चूस भी लिया पर जब अपुन ने थोड़ा सा आपके ब्रेस्ट को दबा दिया तो आपने झट से अपुन का हाथ हटा दिया वहां से। मतलब आपने जो किया वो सही था और अपुन ने जो किया वो आपकी नजर में गलत हो गया?
साधना दी─ माफ़ कर दो न मुझे। मानती हूं कि मैंने तुम्हें रोक कर गलत किया था लेकिन अब नहीं रोकूंगी तुम्हें। प्लीज मान जाओ न। क्यों अपनी दी को इतना सता रहे हो? तुम्हें पता है, जब से तुम गुस्सा हो के गए हो तब से टेंशन में बैठी हूं। रोई भी हूं और खाना भी नहीं खाई।
ये क्या बोल रेली है लौड़ी। अपुन तो शॉक ही हो गया लौड़ा। लड़कियों का भी बेटीचोद अलग ही हिसाब किताब रहता है। इनका भेद शायद ही कोई जान पाए। ख़ैर अब क्योंकि वो अपुन की वजह से टेंशन में थी और अभी तक खाना भी नहीं खाई थी इस लिए अपुन को थोड़ा नर्म तो होना ही चाहिए वरना मामला बनने की जगह बिगड़ भी जाएगा।
अपुन─ अरे! ये क्या बोल रेली हो आप? खाना क्यों नहीं खाया आपने?
साधना दी─ तुम मेरी वजह से गुस्सा हो के चले गए तो मेरी हालत ही खराब हो गई थी। ऊपर से तुम मेरा फोन भी नहीं उठा रहे थे। मैं इतना हताश हो गई थी कि बस जोर जोर से रोने का मन कर रहा था। ऐसे में खाना खाने का कैसे होश रहता मुझे?
बात तो सही थी लौड़ा। अपुन को सच में एहसास हुआ कि अपुन नाहक ही गुस्सा हो के आया था वहां से। बेटीचोद, सोचना चाहिए था अपुन को कि अभी नहीं तो कल वो अपुन को कुछ करने से नहीं रोकेगी। खैर, अपुन ने सोचा कि अब गुस्सा थूक कर उसे रिलैक्स कर देना चाहिए।
अपुन─ ओके फाईन, अब आप रिलैक्स हो जाओ और खाना खा लो।
साधना दी─ कैसे रिलैक्स हो जाऊं? तुम जो गुस्से में चले गए हो।
अपुन─ कोई बात नहीं। अब अपुन गुस्सा नहीं है। चलो जाओ, खाना खा लो आप।
साधना दी─ मैं कैसे मान लूं कि तुम अब गुस्सा नहीं हो?
अपुन─ तो फिर कैसे मानोगी आप?
साधना दी─ अगर तुम मेरे कहने पर अभी मेरे घर आ जाओगे तो मान लूंगी। प्लीज, आ जाओ न।
अपुन तो लौड़ा फिर से शॉक हो गया। अपुन सोचने लगा कि आज इस लौड़ी को हो क्या गयला है? कहीं अपुन को इस टाइम दुबारा घर बुला कर कोई लफड़ा तो न कर देगी? अगर ऐसा हुआ तो लौड़ा अपुन के तो लौड़े ही लग जाएंगे।
साधना दी─ प्लीज मान जाओ न। मेरे खातिर एक बार घर आ जाओ। मुझे इस वक्त कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा।
अपुन ने सोचा एक बार जा के देख ही लेना चाहिए लौड़ा। क्या पता सच में उसकी हालत खराब ही हो और अपुन बेकार ही किसी लफड़े का सोच रेला है।
अपुन─ अच्छा ठीक है आ रेला है अपुन।
साधना दी (खुश हो कर)─ थैंक यू...थैंक यू सो मच माई डियर..माई लव। प्लीज जल्दी से आ जाओ।
जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
To be continued....
Ab se har update hindi/devnagari me hi aayega. Hinglish/roman me apan ko maza nahi aa rela hai.