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Incest Maharani Devrani 2

deeppreeti

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UPDATE 1

अपडेट 1

ये कहानी की शुरुआत होती है ऐसी सदी में जब भारत अनेक छोटे छोटे साम्राज्य में बता हुआ था। ऐसे ही एक छोटे सा राज्य था उत्तर भारत में जो चारो और से स्क पहाड़ों से घिरा था या अब तक के हर विदेशी आक्रमण से बची हुआ था . राज्य का नाम था घटकराष्ट्र था । घटकराष्ट्र में केवल 5000 लोगो की आबादी थी . यहां की हरी भरी जमीन या वातावरण से यहां के जीव जाति को रहने खाने की कोई भी कमी नहीं थी, प्रजा की खुशहाली की वजह थी की यहां के राजा राजपाल भी अपनी प्रजा को अपने हृदय से प्रेम करते थे ।



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घटकराष्ट्र का राजा
राजपाल सिंह आयु 40 वर्ष
लांबाई 5.7


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राजपाल सिंह की पत्नी
रानी सृष्टि 5.5



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राजपाल सिंह की माता जी
महारानी जीविका

राजा राजपाल सिंह के कोई संतान नहीं थी जिसका उन्हें अंदर ही दुख था या चिंता रहती थी कि उसके बाद ये राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा जो घटकराष्ट्र को संभलेगा, इसी सोच में डूबा राज पाल के कानो में कुछ आवाज आती है. वो नींद से जगते ही देखता है उसके सामने उसकी सेना पति एक हाथ में पत्र के कर खड़ा था वो राजा को वो पात्र दे कर कहता है "महाराज ये हमारे पड़ौस के राजा रतन सिंह ने भेजा है में उनके राज्य हो कर आ रहा हूं जहां में घटकराष्ट्र के लिए बीज का प्रबंध करने गया था”।

राजा राजपाल: अच्छा लाओ...इस पत्र को देखने लगा की क्या संदेश है राजा रतन का. और वो अपनी सेना पति को जाने का आदेश दे कर पत्र पड़ने में डूब जाता है।
 
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deeppreeti

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अपडेट 2

राजा राज पाल पत्र को पढ़ता है और फिर सोचता है कि वह करे तो आखिरी क्या करे तभी रानी सृष्टि आती है और राजा को चिन्तित देख उनकी चिंता का कारण जानने की कोशिश करती है।

रानी सृष्टि: महाराज क्या हुआ? आप चिंतित क्यों हैं?

महाराज: बात ये है कि राजा रतन ने हमें उनके युद्ध में उनका साथ देने के लिए अमनत्रित किया है!

रानी सृष्टि: तो आपने क्या सोचा है?



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महाराज: रानी।तुम तो इस बात को जानती हो के घटकराष्ट्र हमेशा से हिंसा का खिलाफ रहा है हिंसा के उसके साथ नहीं । पिता जी ने भी अपने जीवन में कभी दुसरो के राज्य को उजाड़ कर अपने राज्य को बढ़ाने का नहीं सोचा...

रानी सृष्टि: हमे ये सब ज्ञात है महाराज लेकिन आज कल भारत पर विदेशी ताकते हावी होती जा रही है । हम तो इस जंगल या प्रकृति से घिरे हैं ये ही हमारी रक्षा करते हैं जिसकी वजह से आज तक यहाँ किसी ने आक्रमण नहीं किया है

महाराज: महारानी! आप कहना क्या चाहती हो?


रानी सृष्टि: महाराज यदी भविष्य में कहीं कुछ अनर्थ हो जाए या हम पर आक्रमण हो तो हम हमारी छोटी-सी सेना से उनका मुकाबला नहीं कर सकते ऐसे में हमारे पड़ोस में राज्य ही हमारी मदद कर सकते हैं



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महाराज रानी की चतुराई से प्रसन्न हुआ या कहा "आपकी राय ठीक है रानी में इस युद्ध में राजा रतन का साथ जरूर दूंगा और आपके सुझाव के लिए आपको धन्यवाद करता हूँ।"

राजा राज पाल इस तरह अपने सम्बंध अच्छे बनाये रखने के लिए अपनी छोटी-सी सेना को ले कर पर्शिया की सीमा पर राजा रतन के साथ युद्ध करने चला गया। कुछ महिनो के युद्ध के बाद राजा रतन सिंह युद्ध जीत गया और युद्ध में अपनी कला का जौहर दिखा के राजा राज पाल सिंह ने अपने नाम का लोहा मनवाया। पर्सिया के लोगों में राजा राज पाल या राजा रतन का खौफ बैठा गया।

राजा रतन: राजा राज पाल हम तम्हारी सैन्य कला से अति प्रभावित हुए हैं इसका पुरस्कार हम आपको अवश्य देंगे!

राजा राज पाल: धन्यवाद राजा रतन जी ये तो आपका बड़पन्न है नहीं तो मेरे गुण आपके सामने कुछ भी नहीं हैं।




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राजा रतन: हमें तुम कुछ देना चाहते हैं वादा करो तम हमारे पुरूस्कार को स्वीकार करोगे!

राज पाल: जी हम वादा करते हैं

तब राजा रतन ताली बजाता है या एक बुद्ध व्यक्ति के साथ एक बालिका आती है और वह वृद्ध व्यक्ति राजा राज पाल के चरणों की जोड़ी पकड़ लेता है और धन्यवाद की झड़ी झरी लगा देता है। तब राजा रतन राजा राज पाल से कहता है।

राजा रतन: राजा राज पाल जी! ये वही लोग हैं जिनकी जान बचने के लिए हमें यहाँ आना पड़ा और आपको ये जान कर खुशी होगी ये बूढ़ा व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि पर्सिया के पूर्व राजा है और ये उनकी पुत्री है देवरानी और परसिआ के राजा अपनी जान बचाने की खुशी में अपनी बेटी देवरानी का हाथ तुम्हारे हाथ में देना चाहते हैं और हम भी पुरस्कार के रूप में आपको इसका हाथ आपको देते है।

राजा राज पाल: पर... (अपने मन में: ये कैसे हो सकता है ये घटकराष्ट्र के नियमो का उल्लंघन होगा। में दूसरा विवाह बिलकुल नहीं कर सकता और-और तो और ये देवरानी मेरे से आधे आयु की लग रही है बिलकुल किसी किशोरी बालिका जैसी है)




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राजा रतन: पर वर कुछ नहीं...महाराज आपने वादा किया था

राजा राज पाल ने सबके सामने वादा किया था अब मुकरना उसको शोभा नहीं देता और वह देवरानी से विवाह के लिए हाँ कर देता है । उसी दिन विवाह का कार्यकर्म रखा जाता है और विवाह का कार्यक्रम संपन्न होता है। फिर सुहाग रात के लिए राजा राज पाल अपने कक्ष में जाता है और बिस्तर पर अपनी जूती निकल कर बैठता है और फिर जैसे ही सर उठा कर देखता है तो सामने का दृश्य देख के उसकी आंखों फटी कि फटी रह जाती है

राजकुमारी देवरानी एक सफ़ेद रंग के लिबास में थी जैसा उसका वस्त्र था वैसा ही उसका बदन बिलकुल संगमर-सा था और तारे की तरह चमक रहा था । वह हाथ में दूध का गिलास लिए हुए राजा की और आ रही थी जैसे वह उसके पास पहुची तो राजा राज पल तुरंत ही खड़ा हो गया।

राजा राज पाल का कद 5.7 था फिर-फिर भी उसका इसका सर देवरानी के वक्ष तक ही आ रहा था, देवरानी की लम्बाई देख कर राजा अचंभित था कि इतनी कम उमर में इतने लम्बी राजकुमारी को देख राजा राज पाल चकित था । राजा उसके तीखे नाक, गहरी आँखों, फूल से लाल होठ, गोल सुडोल वक्ष, पतली कमर और सुंदरता देख कर जैसे होश खो गया था । तभी राजकुमारी उसे दूध का गिलास देते हुए बोली

देवरानी: लिजिये न!

राजपाल: धन्यवाद और उससे दूध ले कर पीता है।



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देवरानी जैसे वह ग्लास वापिस ले कर पलट कर रखती है तो राजा रानी के पतली कमर के नीचे शानदार गोल गुब्बारो के जैसे अलग-अलग दिशा में कुद रहे दोनों चूतड़ों को देख दंग रह जाता है। देवरानी ग्लास रख कर मुड़ी तभी राजा पीछे से जा कर उसे दबोच लेता है और राजा रानी देवरानी के पतले छरहरे लम्बे और दूध से गोरे बदन को अपने पास पाकर मदहोश-सा हो जाता है । उन्होंने अपने घटकरास्ट्र में आज से पहले कभी ऐसा दूध-सा गोरा बदन पहले नहीं देखा था । रानी देवरानी की जुल्फो की खुश्बू महाराज को पागल बना रही थी । वह धीरे से उसके वस्त्रो के नाडे को खोल कर अलग कर देता है और अब देवरानी उनके सामने केवल-केवल एक छोटे से वस्त्र में थी जो की रानी के उन्नत गोल स्तन और उसकी सुंदर योनि को मुश्किल से छुपा रहा था।

देवरानी की जवानी अभी-अभी शुरू हुई थी वह इस कामक्रीड़ा का अपनी आखो को बंद कर आनंद ले रही थी। तब राजा राजपाल ने अपने दोनों हाथो को आगे बढ़ा कर उसके कठोर वक्षो को दबोच लिया और उन्हें जोर से दबा दिया जिससे देवरानी की सिस्की निकल गयी। फिर राजा देवरानी का हाथ पकड़े उसे बिस्तर की ओर ले गया और फिर उसे लिटा देता है और उसके बदन से बचे खुचे वस्त्र निकल देता है । रानी देवरानी को निर्वस्त्र करने के बाद राजा ने खुद भी अपने वस्त्र निकाल दिए. फिर वह देवरानी के दोनों वक्षो को दबा-दबा के बारी-बारी से चूसने लगा ।

अब देवरानी सिसकने लगती है और वह उत्तेजित होने लगती है जिससे उसकी योनि पानी छोड़ने लगती है । राजा अपना लिंग देवरानी की योनि पर लगाता है और उसके एक दो बार योनि से रगड़ता है फिर योनि के द्वार से सटा कर धक्का लगता है जैसे ही लिंग अंदर जाता है रानी जोर से चिल्लाती है और उसका शील भंग हो जाता है और उससे खून बहने लगता है । राजा गिन कर 5 बार लिंग अंदर बाहर करता है और रुक जाता है।

रानी को अब दर्द नहीं बल्कि मजा आना शुरू हो जाता है । वह सोचती है कितना मजा आ रहा था और चाहती थी की राजा का लिंग और अंदर जाए इसलिए अपने हाथ से राजा के कमर के पकडकर धक्का देती है पर राजा के छोटे लंड ने जवाब दे दिया था।


रानी देवरानी जो की के उन्चे और लम्बे कद-कद की थी । उसकी लम्बाई कम से कम 5.10 की थी और उसकी योनि की पूरी गहरायी को राजा राजपाल का नन्हा-सा लिंग भेद नहीं पाता और उसका 4 इंच का लिंग चरम सीमा पर ही पहुच पाया था । राजा अपनी बढ़ती हुई उम्र के कारण इस नवयुवती रानी का ज्यादा देर तक साथ नहीं दे पाया और उसने रानी के योनी में अपना पानी छोड़ दिया जिसके कारण रानी देवरानी प्यासी रह गयी। फिर देवरानी अपने आखो में आंसू लिए सो गयी।
 
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deeppreeti

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महारानी देवरानी

अपडेट 3

उसके बाद राजा राजपाल अपनी आयी रानी देवरानी को ले कर अपने राज्य घाटकराष्ट्र आ जाता है जहाँ उसे समाज या घरवालों के ताने सहने पड़ते हैं क्योंकि उसने नियम का उल्लंघन कर दुसरा विवाह कर लिया था । उसकी पहली पत्नी सृष्टि उससे वचन लेती है कि वह पहले सृष्टि को प्रथमिकता देगा उसके बाद दूसरी पत्नी देवरानी को।

सृष्टि ने साफ कर दिया था और इसी शर्त पर उसकी दूसरी शादी स्वीकार की थी की उसके आज्ञा के बिना राजा देवरानी के पास ना जाए । मजबूरन वह उसकी बात मान लेता है । इधर देवरानी को इस विषय पर पूरी खबर उसकी दासी कमला देती है और देवरानी ओर जैसे पहाड़ टूट पड़ता है।



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उधर राजा रतन अपने राज्य को बढ़ाने में लग जाता है और युद्ध में न चाहते हुए भी राजा राज पाल को जाना पड़ता था । इसलिए राजा राज पाल का बहुत कम समय अपने राज्य में बीतेता था, दीन रात युद्ध करने के वजह से उनको शराब की लत लग गई और उन्हें कभी-कभी ही अपने महल में रहने का सौभाग्य मिलता और तब रानी सृष्टि राजा-राजा राज पाल को नहीं छोड़ती थी और उनके साथ राज विलास और भोग में लिप्त रहती थी । वह बहुत हम समय हु राज राजपाट को अकेला छोड़ती थी । इस कारण रानी देवरानी राजा से मिलन के लिए तड़पती हुई जीवन यापन करने लगी।

अपनी पहली पत्नी के भनक लगे बिना चोरी छिपे राजा राज पाल अपनी नयी कमसिन रानी देवरानी से 6 महिनों में मुश्किल से एक या दो बार छिप-छिप कर मिलाप कर लेते थे। इस विवाह के समय हुई सुहागरात के 9 महीने बाद पारस की राजकुमारी या घाटकराष्ट्र की रानी, रानी देवरानी ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया जिसका नाम रखा गया बलदेव सिंह।




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18 साल बाद महल में आज शुद्ध घी के दिए जलाये गए । हर तरफ खुशी का माहौल था। हो भी क्यू ना आज राजकुमार बलदेव सिंह का 18वा जन्मदिन जो था या आज वहअपने पिछले पांच वर्ष शिक्षा ग्रहण कर अपने गुरु के आश्रम से वापिस महल आया था।

अब राजा राज पाल की आयु लगभग 58 वर्ष हो गई थी ।राजा राज पाल की पहली पत्नी सृष्टि के आयु अब लगभग 48 वर्ष की थी पर लम्बाई कम होने के कारण वह कम आयु की लगती थी। अभी भी उनका बदन ढला नहीं था पर जहाँ सब बूढ़े हो रहे वही देवरानी दिन बा दिन जवान होते जा रही थी, देवरानी अब लगभाग 35 वर्ष की हो गयी थी और 5.10 ही लम्बाई वाली पतली छर्हरी राजकुमारी ने अब एक लम्बे कद की स्त्री का रूप प्राप्त कर लिया था, देविका के वक्ष संभाले नहीं संभालते थे जो 44 DD साइज के दो बड़े गुब्बारे की तरह चलने पर हिलते थे ।

पतली कमर उन पर दो बड़े-बड़े दृढ स्तन और दो मटके की तरह गोल नितम्बो के साथ लम्बे कद की रानी देवरानी और उसके ऊपर से दूध जैसा रंग जिसे देख सिपाही से ले कर पंडित तक आहे भरते थे । फिर आज देवरानी ने गहरे लाल रंग का ब्लाउज और साड़ी पहनी थी । उनका ब्लाउज इतना टाइट था कि जब भी देवीरानी चलती थी उनके स्तन दो पानी से भरे गुब्बारे किसी शराबी की तरह लड़खड़ाते हुए हिलने लगते थे ।

देवरानी पूजा की थाली तैयार कर रही थी तब उसकी दासी कमला आयी और उसे कहने लगी "महारानी युवराज आ गए!"

इतना सुनते ही देवरानी खुशी के मारे भर गयी और थाली ले कर दरवाज़े पर चली गयी और उनकी नज़र सीधे युवराज पर पड़ी जो अपने पिता राजा राजपाल से गले मिल रहा था।

देवरानी अपने युवा पुत्र को काई वर्षो बाद देख रही थी । उसे देख उनकी आँखे एक दम पत्थर कि तरह जम गयी है और मन में बोल रही थी " कितना बड़ा हो गया मेरा युवराज मेने इसका नाम बलदेव सही रखा था कितना ऊंचा लंबा और चौड़ा हो गया है। फिर भी कितना हसमुख है। अरे इसने तो मूंछे भी रख ली है, (तभी बलदेव अपनी मूंछो पर ताव देता है) देखो कैसे मूंछो को ताव दे रहा है जैसे कहीं का महाराजा हो। इसे देख कर कौन कहेगा के ये केवल 18 वर्ष का है, दिखने में 30 वर्ष का पूरा पुरुष राजा लग रहा है।




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"ऐसे अपने पुत्र को देखते देख उनकी आँखों में पानी आ जाता है । बलदेव भी अपनी माँ को देखता है और बलदेव का भी अपनी माँ की प्रति स्नेह छलक जाता है और अपने पास खड़े अपने पिता या बड़ी माँ की तुलना अपनी माँ से करता है" मेरी माँ तो इन दोनों के सामने दोनों की बेटी लग रही है, ऊपर उसके तीखे नयन नक्श, चमकटी हुई त्वचा, उसके आला लम्बा पतला गठीला बदन, लम्बी कद काठी, मेरी माँ को देख कर कोई ये नहीं कह सकता कि ये मेरी माँ है, कोई अनजान लोग देखें तो सभी सोचेंगे मेरी छोटी बहन है आज भी इनकी आयु 25 से ज़्यादा नहीं लगती।"

तभी राजा राज पाल दोनों को टोकते हुए कहते हैं-

राजा राज पाल: भाग्यवान दोनों माँ या पुत्र ने एक दूसरे को देख लिया हो तो आगे की कारवाई की जाए! बलदेव अपनी माँ के चरण छुओ।

बलदेव तूरंत अपने माँ के पास जा कर उनके सुंदर पैरो को स्पर्श कर देवरानी से आशीर्वाद प्राप्त करता है ।

पूजा कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा, पूजा खत्म होने के बाद सभी उठ कर जाने लगे । देवरानी और कमला आस पास मिठाई बटवाने लगी । जब बलदेव उठ कर अपने कक्ष की ओर चल देता है, तब उसे कुछ बातें करने की आवाज सुनती देती है और वह उस तरफ चल देता है और अंत में अपनी बड़ी माँ सृष्टि के कक्ष के पास रुक जाता है।

सृष्टि: आज तो ये बलदेव भी अपनी शिक्षा पुरी कर के लौट आया है ।

राधा: हाँ महारानी मेने देखा आज देवरानी बहुत खुश लग रही थी, कहीं वह आप से बदला लेने का कोई क्षडयंत्र तो नहीं बना रही!

रानी सृष्टि: राधा हो सकता है तम सही हो क्योंकि मेने उससे उसके पति का सुख छीना है और लगता है वह बुढ़िया इसका बदला लेने के लिए जरूर मेरे लिए खड़ा खोदेगी।

राधा: तो हमें क्या करना चाहिए महारानी।



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सृष्टि: सही समय का इंतजार, मैं बताउंगी के आपको क्या करना है राधा अभी तुम जाओ महाराज आते ही होंगे।

सब काम खत्म करने के बाद बलदेव को ले कर राजा राजपाल अपनी माँ यानी के महारानी जीविका जो अपनी जिंदगी के आखिरी दिन जी रही थी उनके कमरे में जाता है । बलदेव अपनी दादी जो कि बिस्तर पर लेटी थी और उनकी टांगो ने काम करना बंद कर दिया था इसलिए वह चल नहीं सकती थी परन्तु उनकी हाथ ठीक थे और थोड़ी मुश्किल से बोल भी लेती थी, बलदेव दादी को देख खुश होता है और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता है फिर उनकी बगल में बैठ जाता है।

दादी: बेटा बलदेव!

बलदेव: जी दादी!

दादी: मझे माफ़ कर दे में तेरा स्वागत करने द्वार पर ना आ सकी, अब में चल नहीं सकती

बलदेव: आप इस राज्य की महारानी हैऔर हम आपकी संतान हैं आपकी आज्ञा पर हम हिमालय भी चढ़ कर आपसे मिलने आ स्कते है।

दादी: बस बेटा, मझे तुमसे यही उम्मेद थी, तुम ही घटकराष्ट्र के भविष्य हो, भगवान तुम्हे एक अच्छा और महान राजा बनाएँ और तुम इतिहास बनाओ।

दादी जीविका राजमाता बलदेव के सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देती हैं। फिर बलदेव और राजा राज पल बाहर आते हैं।

राजपाल: पुत्र अब कल सुबह मिलते हैं अब आप अपने कक्ष में जा कर आराम करो।

बलदेव फिर एक बार राजपाल के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता है तो राजपाल अपने पुत्र को गले लगा लेता है और कहता है-

राजपाल: वाह पुत्र आप कितना लंबा हो गए हो देखते देखते!

बलदेव: कहा पिता जी, बस 6.3 फिट ही हू!

राजपाल: तेरे दादाजी की कद काठी भी तेरे जितनी नहीं थी तू अपने माँ पर गया है और फिर दोनों हसने लगते हैं ।

बलदेव अपनी प्रशंसा सुन कर प्रसन्न हो कर अपने एक उन्गली और अंगूठे से अपनी मूंछो पर ताव देता है।

राजपाल: बेटा अपनी माता को भोजन खिला कर सोना! तम्हे तो पता है वह तुम्हारे बिना नहीं खाती।

बलदेव: जी पिता जी!

फिर बलदेव अपनी माँ के कक्ष की ओर चल देता है



कहानी जारी रहेगी
 

deeppreeti

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महारानी देवरानी -2

कहानी महारानी देवरानी हिंगलिश रोमन लिपि में है . मैं भी आप सब की तरह इस कहानी का प्रशंसक हूँ और कहानी को आगे बढ़ाना चाहता हूँ लेकिन कहानी को वही से आगे कंटिन्यू करना इतना आसान नहीं होता. पुरे पात्रो के चरित्र और सिचुएशन स्तिथियो सब को समझ कर आगे क्या इंटरेस्टिंग लिख सकता हु उसको समझने का प्रयास कर रहा हूँ .

कहानी का एक एक अंश ठीक से पढ़ कर पिछले कथानक को पूरा पता करने के लिए मैंने इस कहानी का एक एक अपडेट पढ़ कर इसे अपडेट करने की कोशिश करूँगा तो आप लोगो को भी लगेगा एक स्टोरी है . इसलिए पाठको थोड़ा समय दीजिये .

पिछले कुछ अपडेट मैंने हिंदी लिपि में महारानी देवरानी में डाले हैं आप अपनी प्रतिक्रिया दे.
 

deeppreeti

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महारानी देवरानी

अपडेट 19

राजा रतन और राजा राजपाल ने मिलकर "कुबेरी" राज्य, जो की राजा रतन ने सोने और जवाहरात से भर के अपने राज्य को हिंदुस्तान का सबसे धनी राज्य बना दिया था। राजा रतन को आशा थी कि उन पर कोई हमला कर लूट पाट न मचा दे।

यही वजाह थी के राजा रतन हर एक प्रयास कर रहा था कि आपने सैनिक बढ़ा ले और कई दिनो तक सबने मिल कर हमले का कैसे उत्तर देना उसकी योजना बना ली।

पर सबसे ज्यादा अगर डर किसी का था तो वह राजा रतन को था,



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एक तो दिल्ली के तख्त पर बैठे बादशाह शाहजेब का डर।

दुसरा अरब और फारस या पारस पर अपना सिक्का जमाये हुए सुल्तान मीर वाहिद का, वह मीर वाहिद जो आधी दुनिया से ज्यादा पर अब तक फतेह कर चुका था।

राजा रतन ने सबसे निपटने के लिए अपने सहयोगी हर राज्य से मदद मांगी और सबने उसकी मदद भी की, इस प्रकार अपने राज्य को राजा रतन ने 50000 से ज़्यादा सैनिकों से घेर दिया था।

राजा राजपाल वैसे तो अपने मित्र राजा रतन की मदद करना चाहते थे पर दूसरी वजह ये भी थी कि कई वर्षो से रतन सिंह का साथ देने से विदेशो में लोगों ने राजपाल पर भी निशाना बनाना शुरू कर दिया था।

राजपाल इस बात से भभित था कि सिर्फ 5000 की आबादी वाले उसका राज्य जिसमे मुश्किल से 1000 सैनिक बल था उन बिहारी आक्रमण का सामना कैसे करेंगा, इसलिए ना चाहते हुए भी युद्ध में राजा रतन का साथ देना उनकी मजबूरी था।

राजपाल: रतन सिंह, आज सप्ताह बीत गया पर हमे किसी के हमला करने की कोई सूचना नहीं मिली।

रतन: राजपाल तुम जानते ही हो के वह कितने शातिर है वह तब कभी भी हमले नहीं करते जब उनके दुश्मन तैयार हो।

राजपाल: आप सही हो, वैसे यहाँ हमने अच्छी तयारी कर ली है उनके स्वागत के लिए।

रतन: वह आए तो याद रहे कोई जिंदा वापस ना जाए।

राजपाल: वह सब तो ठीक है पर आपको नहीं लगता है कि वह आपको कमजोर करने के लिए आपके सहयोगियों पर हमला कर सकते हैं।

रतन: तुम कहना क्या चाहते हो।


राजपाल: आप तो जानते है के मेरे राज्य घटकराष्ट्र में आपके राज्य कुबेरी से बहुत कम सैनिक है और कहीं वह हमला हम पर हुआ तो?

रतन: सोचते हुए तुम ठीक कहते हो।

राजपाल: हमें कुछ न कुछ वहा के लिए भी तैयारी कर लेनी चाहिए।

रतन: राजपाल घटराष्ट्र तक तो बस वही पहुँच सकता है अगर कोई घाटराष्ट्र का व्यक्ति मदद करे। नहीं तो मैंने सुना है वहा लोग जाने से पहले ही जंगल में रास्ता भूल जाते हैं।


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राजपाल: हाँ ये सत्य है ये हमारे पूर्वज की बुद्धिमानी है जो हमारे राज्य को ऐसे जगह बसाया है।

दोनो ऐसे वह बात चीत करते-करते मयखाने कि और चल देते है जहाँ बैठ के दोनों जी भर शराब का लुत्फ उठाते है।

एक घोड़ा घाटराष्ट्र की दिशा में बहुत तेजी से दौड़ता जा रहा था और उसपे बैठा व्यक्ति घोडे को लगाम दिए बिना घाटराष्ट्र के बाज़ार तक पहुँचा । वह अपना घोड़ा पास के खेत में बाँध कर, बाज़ार का सामान देखने लगता है।



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"अरे ये अमरूद कैसे दिये?"

दुकानदार: एक सोने का सिक्का में 4 अमरूद पाओ।

व्यक्ति: बाप रे "इतना महंगा!"

दुकानदार: ये तो सस्ते हैं श्रीमान पर आपको घाटराष्ट्र में पहले नहीं देखा।

व्यक्ति: मस्कुराते हुए "हो सकता है!"

दुकानदार: तुम बाहरी तो नहीं।

व्यक्ति: ऐसा ही समझ लो, तुम मुझे 4 अमरूद देदो बदले में तुम्हे सोने एक सिक्के देता हूँ।

दुकानदार: हाँ क्यों नहीं!

व्यक्ति और हाँ क्या ये सिक्के बाहरी हो सकते हैं।

दुकानदार: केवल स्वर्ण का सिक्का चलेगा।



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व्यक्ति अमरूद को उठाकर खाने लगता है और सिक्का अमरूद वाले को देता है।

दुकानदार: ये तो पारसी सिक्के है। तुम पारसी हो?

व्यक्ति: हाँ हु।


दुकानदार: तुमने घाटराष्ट्र कैसे ढूँढ लिया?

व्यक्ति: घाटराष्ट्र कोई ढूँढ नहीं सकता बच्चे मैं तो बस अपनी बुआ के बेटे की बेटी के घर आया हूँ।

दुकानदार कुछ समझ नहीं पता और उसे छोड़ देता है। वह व्यक्ति रात का इंतजार करने लगता है।

रात होते ही वह रस्सी की मदद से महल पर चढ़ जाता है।



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उसने घाटराष्ट्र के सैनिक का भेस धारण कर लिया था वह सीधा देवरानी के कक्ष में घुस जाता है।

व्यक्ति: आप ही पारसी रानी देवरानी हो?

देवरानी एक नए चेहरे को देख कर समझ नहीं पाती के ये क्या हो रहा है तुरंत वह पास रखी तलवार को उठा लेती है।

देवरानी: तुम कौन हो?

व्यक्ति: घबराए नहीं मेरे हाथ में कोई हथियार नहीं है। (वो अपना खाली दोनों हाथ दिखाता है।)

देवरानी चैन की सांस ले कर तलवार निचे करते हुए।




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देवरानी: कौन हो बहुरुपिये?

व्यक्ति: आपका कोई गुप्तचर था रामेश्वर?

देवरानी फिर से अपनी तलवार उठा लेती है।

देवरानी: हाँ बोलो क्या हुआ उसे?

व्यक्ति: वह बेचारा मारा गया।

देवरानी हल्का गुस्सा होते हुए।

व्यक्ति: अहा आप गुस्सा न होईये में उसका कातिल नहीं हूँ।

देवरानी: पहेलिया न बुझाओ बोलो क्या काम है।

व्यक्ति अपने चेहरे से नकाब हटाता है।



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व्यक्ति: में शमशेरा हूँ, मीर वाहिद का एकलौता वारिस चिराग और पारस के साथ उन तमाम मुल्को का युवराज जिसपे हम कबीज है।

देवरानी ये बात सुनते ही समझ जाती है कि वह पारस से आया है और वह मीर वाहिद का शहजादा है।

शमशेराः हाँ और तुम्हारा गुप्तचार रामेश्वर घोचू था मारा गया। जासूसी नहीं आती थी उसे।

देवरानी अब समझ गई थी के उसको इस से कोई खतरा नहीं है, उसे वह शमशेरा को एक तरफ कुर्सी पर बैठने का इशारा करती है और खुद भी पास ही रखी कुर्सी पर बैठ जाती है।

शमशेरा: वह मरते वक्त मुझसे वादा करवा गया कि मैं ये
सूचना तुम तक पहुँचा दू।


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देवरानी: पर उसको मारा किसने।

शमशेरा: अबे बात छोड़ो। तुम्हें तो पता ही होगा दूसरे के देश में जा कर जासूसी करने का अंजाम देवरानी: क्या सूचना दी थी उसे।

शमशेरा: देवरानी वह कह रहा था कि तुम्हारे पिता और अपने भाई जिन्हे तुम तलाश रही हो, तो तुम्हारे लिए एक दुख की बात है, तुम्हारे पिता जी अब नहीं रहे।

और तुम्हारा भाई देवराज अब हमारे पारस की देखभाल करता है और वह है भी अच्छा। इसलिए हमने उसे अभी भी पारस के एक राज्य का राजा कायम रखा हुआ है। पर वैसे वह अक्सर हमारे साथ जंगो में भी शामिल होता है।

देवरानी ये बात सुन कर खुश हो जाती है कि उसका भाई अभी तक जिंदा है।

देवरानी: तुम्हारे सैनिकों ने रामेश्वर को मार दिया जासूसी करते हुए और ये तुम यहa क्या कर रहे हो?

शमशेरा: तुम सही में एक पारसी की तरह ही सोचती हो, वैसे में भी जासूसी ही ह कर रहा हूँ और मुझे इसका बचपन से शौक है।

देवरानी: और में तुम्हे मारवा दू तो?

इतने में पूरे महल में हाहाकार मच जाता है और सेना के सभी सैनिक दौड़ने लगते हैं भागने लगते हैं।

देवरानी: उन्हें तुम्हारा पता चल गया है, निकलो यहाँ से और संदेश पहुचाने के लिए धन्यवाद।

शमशेरा एक मुस्कान के साथ अपना चेहरा ढकता है और उलटेपैरो जाने लगता है तभी उसके सामने से एक सैनिक आता है,




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सैनिक: यहा घुसपैठिया है छान मारो सारे महल को।

शमशेरा: उफ हो! में फिर से रस्सी गिराना भूल गया और पकड़ा गया।

और वह एक खिड़की से कूद कर एक कक्ष में घुस जाता है। शमशेरा बस वहाँ का दृश्य देखते ही रह जाता है।

जहाँ पर महारानी सृष्टि आईने के सामने अपने नंगे बदन को निहार रही थी,

सृष्टि: मेरे दिन अब काटे नहीं कटते महाराज अब वह सुख नहीं दे पाते मुझे। अब तो कितने दिन हो गए, पता नहीं कब आएंगे।

इतने में उसे किसी के खड़े रहने का आभास होता है और पीछे मुड़ती है, शमशेरा महल के बाहर की खिड़की की तरफ खड़ा था।

सृष्टि: कौन?

शमशेरा: "माफ़ किजियेगा मुझे ऐसे आना पडा और हाँ मैंने कुछ नहीं सुना" और मुस्कुरा कर खिड़की से बाहर छलंग मार कर घोड़े पर बैठ भाग जाता है।

सैनिक उसका पीछा करते हैं पर वह उसे पकड़ नहीं पाते । वहीँ देवरानी को इस बात की बहुत खुशी थी कि उसका भाई देवराज सही सलामत है।



q4
बलदेव जो वैध जी के साथ पास के जंगल में गया था उसे घुसपैठिये के आने की बात का पता बाद में चलता है। दोपहर को वह वैध को ले कर महल में आता है और फिर निर्णय करता है वह एक आखिरी पत्र शेरसिंह के रूप में लिखेगा और वह पत्र लिखता लेता है और कमला को बुला उसे दे देता है। फिर बलदेव थक हार कर सो जाता है।

दोपहर बलदेव सोया ही था कि उसके सर पर कोई हाथ फरता है और वह नींद से जागता है तो देखता है कि उसकी माँ देवरानी है।

बलदेव: क्या बात है माँ आज बहुत खुश हो?

देवरानी: हाँ बहुत ज्यादा!

बलदेव: पर ऐसा क्या हो गया?

देवरानी बलदेव कोअपने भाई के जिंदा होने की खबर सुनाती है।

बलदेव: क्या मामा जिंदा है?

देवरानी: हाँ और वह पारस में ही है। काश मैं उनसे मिल पाती।

बलदेव: मैं आप को जरूर उनसे मिलवाउंगा।

"मां क्यों ना इस बात पर हम कहीं घूमने चलें?"

देवरानी: कहा?

बलदेव: आज हम बाज़ार जाएंगे और मैंने सुना है वह मेला भी लगा है।

आप शाम को तैयार रहना माँ "ये कह कर वह उठ कर स्नान करने चला जाता है।"


कहानी जारी रहेगी
 
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Rekha15

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Best story exciting moments. Shrushti also should marry either senapati or Devraj. Write it in Hindinglish. Excellent
 

Siraj Patel

The name is enough
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



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