Babulaskar
Active Member
- 753
- 4,585
- 139
आज का अपडेट ला जवाब था। इस कहानी को जितना पड़ता हुँ मनमुग्ध हो जाता हूँ। कितनी बेहतरीन रचना और कथ मालाओं से उसको अपस्थित किया गया है। एक तरफ गथराष्ट्र जहाँ हिन्दू परम्परा के अनुसार कहानी के शब्दों को ढाला गया है। और दुसरी तरफ पारस। जहाँ के मुस्लिम रीति रेवाजों के हिसाब से अलफाज का इस्तेमाल किया गया है। मैं पहले भी कह चुका हूँ इस कहानी के असल नायक ना तो बलदेव है और ना ही शमशेरा। ब्लकि खुद लेखक हैं। जिन्हों ने अपनी लगन और अपने कार्य से हमें अपना भक्त बना लिया है।
अगर यह कहानी (उपन्यास कहना ज्यादा श्रेय है) कुछ और अपडेट के बाद समाप्त होती है तो मेरा अनुरोध है कि आप फिर हमारे लिये कोई दुसरी पठ कथा जरुर हाजिर हों।
बहुत बहुत शुक्रिया और आभार प्रनाम।
अगर यह कहानी (उपन्यास कहना ज्यादा श्रेय है) कुछ और अपडेट के बाद समाप्त होती है तो मेरा अनुरोध है कि आप फिर हमारे लिये कोई दुसरी पठ कथा जरुर हाजिर हों।
बहुत बहुत शुक्रिया और आभार प्रनाम।