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में अपने कमरे जा के ड्रेस अप किया फॉर्मल शर्ट और फॉर्मल पैंट शर्ट इन कर के पहन लिया । बालों को कंघी किया चेहरे पे क्रीम लगाया और हल्का सा परफ्यूम ।
और कुछ नोट्स तैयार किए थे वो लिया और बाहर गेट पे इंतजार करने लगा । थोरी देर बाद मां बाहर आई वोही सारी में जो मैने बेड पे रखा था ।
में " आज तो इंद्र देव भी आपका पीछा नही छोड़ने वाला है "
मां " चुप नालायक जो पहनती नही वोही निकल के रख देता हे । ये सारी बोहोत ज्यादा सिल्की होने कारण स्लिप्री है गांठ ढीली पड़ जाती हे "
में " कोई बात नही । आज का दिन गुजर ले । "
मां बाइक पे बैठ गई । और बाइक चलाने लगा । मां की हांथ मेरे कंधे पे थी । लोग घूर घूर के देख रहे थे । देखे भी क्यू ना मां की हुस्न के आगे ताजमहल भी शरमा जाए ।
गदराया हुआ भरा जिस्म छोड़ी फुला हुआ चीना धेनुकृति कमर और उसके नीचे लोटे जैसे आकार में चौड़ी चुटर । गोल चेहरा गोल बड़ी बड़ी आंखे पंखुरी जैसी गुलाबी होंठ गोरी त्वचा छूटे ही निसान पड़ जाए गुलाबी गाल । बस हाइट से मार खा गई मां की हाइट लगभग 5 फीट 2 इंच थी फिर भी परफेक्ट थी 36—32—38 जान लेने वाली कातिलाना फिगर ।
मैंने स्टेशन में बाइक पार्क की और स्टेशन के अंदर गया हमारी वाली ट्रेन सामने रुकी हुई थी और हम चढ़ गए टिकट ले के । ट्रेन चलने लगी हमेशा की तरह भीड़ थी । जब भी में मां के साथ ट्रेन में चढ़ता तो लोग मां को देख आनंदित हो जाते थे और मुझे देख के जलन की इतनी खूबसूरत औरत उनके साथ क्यों नही हे ।
जैसा की लोकल ट्रेन में दो पैसे के लिए भागम भागी करने वाले लोग सफर करते है ज्यादातर आज भी वैसे ही लोग थे । ट्रेन में और भी लड़किया औरतें थी । लेकिन मां को देख के कोन बोल सकता है की ये भी मिडिल क्लास की 25000 कमाने वाली औरत है जिसकी उम्र 48 साल की है देखने पे 35 की ऊपर नही लगती । लोगो को लगता होगा की किसी मजबूरी में अपनी मर्चेडिज छोड़ के ट्रेन में आ गई ।
ये सफर मेरे लिए किसी जन्नत की सैर करने जैसा होता था । हमेशा की तरह मेरी नजर आसपास की लोगों के नजरे पकड़ने में लगे । में मां की पीछे लेफ्ट साइड में खड़ा हो गया । मां के आगे एक लड़की और एक औरत थी और पीछे तीन मर्द । एक मेरे उम्र का लड़का दो अधेड़ उम्र के बूजुर भी कहा जा सकता है।
सबकी नजरे अपने कला से भाप लिया की कोन कोन मां ताड़ रहा है और कोन नही । एक नजर ऐसी मिली जो पीछे वाला लड़का था उसकी नजर मां की कमर में थी ।
मां की लेफ्ट कंधे पे हैण्ड बेग थी । और उसने राइट हैंड से ऊपर हैंड ग्रीब पकड़ रखी थी । मां जिस जगह खड़ी थी उस जगह पे पंखे कि हवा नही आ रही थी । और भीड़ की वजह से दरवाजे और खिड़की से आती हुई हवा भी मां के पास नही पड़ रही थी । मां की ब्लाउस के बाहर उसकी व्हाइट ब्रा लाइन दिखाई दे रही थी इतना को लोग बिना ब्लाउस के अंदर झांक बता सकता था की मां ने व्हाइट ब्रा पहनी हे । मां की ब्लाउस दीप नेक और दीप बैक्लस थी जिससे मां की गोरी चिकनी पीठ देखने वालो कि मुंह में पानी ला रहा होगा । मां की कमर दाई तरफ से खुली प्रदर्शन करवा रही थी । उनके कमर में एक तील था जो उसकी हुस्न को और चार चांद लगा देती थी ।
वो लड़का मां चूतर मां की पीठ से हवास की नजरें हटा ही नही रहा था एक पल के लिए भी ।बाकी लोग तो फिर भी एक नजर मार के देख लेते है । गर्मी के कारण मां की पीठ पे पसीने के बूंदे आने लगी । उनकी बगल पसीने से गोली हो गए माथे से पसीने बहने लगे जो बार बार रुमाल से पोंछ रही थी । और मेरा अंदर का जानवर ये सब देख कर उपभोग कर रहा था ।
में अपने कमरे जा के ड्रेस अप किया फॉर्मल शर्ट और फॉर्मल पैंट शर्ट इन कर के पहन लिया । बालों को कंघी किया चेहरे पे क्रीम लगाया और हल्का सा परफ्यूम ।
और कुछ नोट्स तैयार किए थे वो लिया और बाहर गेट पे इंतजार करने लगा । थोरी देर बाद मां बाहर आई वोही सारी में जो मैने बेड पे रखा था ।
में " आज तो इंद्र देव भी आपका पीछा नही छोड़ने वाला है "
मां " चुप नालायक जो पहनती नही वोही निकल के रख देता हे । ये सारी बोहोत ज्यादा सिल्की होने कारण स्लिप्री है गांठ ढीली पड़ जाती हे "
में " कोई बात नही । आज का दिन गुजर ले । "
मां बाइक पे बैठ गई । और बाइक चलाने लगा । मां की हांथ मेरे कंधे पे थी । लोग घूर घूर के देख रहे थे । देखे भी क्यू ना मां की हुस्न के आगे ताजमहल भी शरमा जाए ।
गदराया हुआ भरा जिस्म छोड़ी फुला हुआ चीना धेनुकृति कमर और उसके नीचे लोटे जैसे आकार में चौड़ी चुटर । गोल चेहरा गोल बड़ी बड़ी आंखे पंखुरी जैसी गुलाबी होंठ गोरी त्वचा छूटे ही निसान पड़ जाए गुलाबी गाल । बस हाइट से मार खा गई मां की हाइट लगभग 5 फीट 2 इंच थी फिर भी परफेक्ट थी 36—32—38 जान लेने वाली कातिलाना फिगर ।
मैंने स्टेशन में बाइक पार्क की और स्टेशन के अंदर गया हमारी वाली ट्रेन सामने रुकी हुई थी और हम चढ़ गए टिकट ले के । ट्रेन चलने लगी हमेशा की तरह भीड़ थी । जब भी में मां के साथ ट्रेन में चढ़ता तो लोग मां को देख आनंदित हो जाते थे और मुझे देख के जलन की इतनी खूबसूरत औरत उनके साथ क्यों नही हे ।
जैसा की लोकल ट्रेन में दो पैसे के लिए भागम भागी करने वाले लोग सफर करते है ज्यादातर आज भी वैसे ही लोग थे । ट्रेन में और भी लड़किया औरतें थी । लेकिन मां को देख के कोन बोल सकता है की ये भी मिडिल क्लास की 25000 कमाने वाली औरत है जिसकी उम्र 48 साल की है देखने पे 35 की ऊपर नही लगती । लोगो को लगता होगा की किसी मजबूरी में अपनी मर्चेडिज छोड़ के ट्रेन में आ गई ।
ये सफर मेरे लिए किसी जन्नत की सैर करने जैसा होता था । हमेशा की तरह मेरी नजर आसपास की लोगों के नजरे पकड़ने में लगे । में मां की पीछे लेफ्ट साइड में खड़ा हो गया । मां के आगे एक लड़की और एक औरत थी और पीछे तीन मर्द । एक मेरे उम्र का लड़का दो अधेड़ उम्र के बूजुर भी कहा जा सकता है।
सबकी नजरे अपने कला से भाप लिया की कोन कोन मां ताड़ रहा है और कोन नही । एक नजर ऐसी मिली जो पीछे वाला लड़का था उसकी नजर मां की कमर में थी ।
मां की लेफ्ट कंधे पे हैण्ड बेग थी । और उसने राइट हैंड से ऊपर हैंड ग्रीब पकड़ रखी थी । मां जिस जगह खड़ी थी उस जगह पे पंखे कि हवा नही आ रही थी । और भीड़ की वजह से दरवाजे और खिड़की से आती हुई हवा भी मां के पास नही पड़ रही थी । मां की ब्लाउस के बाहर उसकी व्हाइट ब्रा लाइन दिखाई दे रही थी इतना को लोग बिना ब्लाउस के अंदर झांक बता सकता था की मां ने व्हाइट ब्रा पहनी हे । मां की ब्लाउस दीप नेक और दीप बैक्लस थी जिससे मां की गोरी चिकनी पीठ देखने वालो कि मुंह में पानी ला रहा होगा । मां की कमर दाई तरफ से खुली प्रदर्शन करवा रही थी । उनके कमर में एक तील था जो उसकी हुस्न को और चार चांद लगा देती थी ।
वो लड़का मां चूतर मां की पीठ से हवास की नजरें हटा ही नही रहा था एक पल के लिए भी ।बाकी लोग तो फिर भी एक नजर मार के देख लेते है । गर्मी के कारण मां की पीठ पे पसीने के बूंदे आने लगी । उनकी बगल पसीने से गोली हो गए माथे से पसीने बहने लगे जो बार बार रुमाल से पोंछ रही थी । और मेरा अंदर का जानवर ये सब देख कर उपभोग कर रहा था ।