खत ने भी मेरे साथ खता की कदमों में जाकर गिरने की रस्म अदा की,
देख कर भी अनदेखा कर दिया तो खत ने कदमों में सलाम कर दिया,
बडा क्रूर है खत भी मेरा उसको नीद से जगाकर मेरा पैगाम दे दिया,
नहीं पहचाना उसने मुझे तो खत दिल पर हाथ रखने का फरमान दे दिया,
क्या ये कम था जो खत ने उसे भूल जाना मेरा मुकाम बता दिया,
उसको हुआ दर्द तो खत ने मेरा एक मत्ला उसके नाम सुना दिया,
मैं तो उसकी ही याद में पागल हुआ क्या उसे भी कभी ये एहसास हुआ,
कर लिया है खुद को एक मुकम्मल आशिक क्या ऐसा उसके साथ भी हुआ,
खत ने भी मेरे साथ खता की कदमों में जाकर गिरने की रस्म अदा की,
देख कर भी अनदेखा कर दिया तो खत ने कदमों में सलाम कर दिया,