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मोहब्बत की ये इप्तिदा चाहता है,
मेरा इश्क तुझसे वफ़ा चाहता है,
ये आँखों के दरिया नशीले-नशीले,
इन आँखों में दिल डूबना चाहता है।
उसे रूठ जाने की आदत पड़ी है,
मनाता हूँ फिर रूठना चाहता है,
उसे चीर कर मैं दिखाऊं तो कैसे,
ये दिल उसको बेइंतेहा चाहता है।
मेरा इश्क तुझसे वफ़ा चाहता है,
ये आँखों के दरिया नशीले-नशीले,
इन आँखों में दिल डूबना चाहता है।
उसे रूठ जाने की आदत पड़ी है,
मनाता हूँ फिर रूठना चाहता है,
उसे चीर कर मैं दिखाऊं तो कैसे,
ये दिल उसको बेइंतेहा चाहता है।